हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........complete

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vnraj
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by vnraj »

बहुत सुंदर अपडेट दिया है मित्र
abpunjabi
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Joined: 21 Mar 2017 22:18

Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by abpunjabi »

सलोनी और राहुल सख्लन के बाद शांत पड गए थे | दोनों में से कोई भी हिलडुल नहीं रहा था | सख्लन के पश्चात् थकान और संतुष्टि से दोनों कुछ ही देर में ऊँघने लगे |

कोई एक घंटा बीत जाने के बाद सलोनी की आँख खुली | राहुल कुछ देर पहले ही जागा था | सलोनी अधमुंदी आँखें ऊपर उठाती है और राहुल की आँखों में देखती है | हालाँकि नींद के बाद वो थोडा सा सुस्त पड गया था मगर सलोनी उसकी आँखों में अपने लिए असीम प्यार के साथ साथ संतुष्टी की भावना को साफ़ साफ़ देख सकती थी | सलोनी उठने की कोशिश करती है तो उसे एहसास होता है उसके बेटे का हाथ अभी भी वहीँ हैं यहाँ वो उसके सख्लन के समय थे | सलोनी बेटे की आँखों में देखकर मुस्कराती है और धीमे से उसका हाथ जो उसके मुम्मे पर था उसको हटाती है और फिर अपने पायजामे में हाथ डाल राहुल के हाथ को जो उसकी चूत को भीगी कच्छी के ऊपर से दबाए हुए था, बाहर निकालती है |

“सॉरी मम्मी....” राहुल को लगा शायद उसे अपना हाथ वहां से पहले हटा लेना चाहिए था | मगर सलोनी उसकी बात की और कोई धयान नहीं देती | वो राहुल की उँगलियों को देखती है जो उसकी चूत के रस से भीगी हुई थीं | उसकी चूत ने कितना रस बहाया होगा उसका अंदाज़ा उसे अपने बेटे की उँगलियाँ देखकर हो रहा था जो कच्छी के ऊपर से इतनी बुरी तरह भीगी हुई थी जैसे उसकी चूत के भीतर समाई हुई हों | वो राहुल की और देखती है, राहुल उसे ही देख रहा था | सलोनी राहुल के हाथ पर अपने चेहरे को झुकाती है और गहरी सांस लेती है जैसे उसकी खुशबू को सूंघ रही हो फिर वो राहुल की और देखती है तो उसके होंठो पर मुस्कान फ़ैल जाती है | वो राहुल की आँखों में देखते हुए अपनी जिव्हा बाहर निकालती है और उसकी उँगलियों को चाटने लगती है |

राहुल अपनी माँ को हैरत से देख रहा था और उधर उसके पयजामे में फिर से हलचल होने लगी थी | सलोनी की जिव्हा एक एक ऊँगली को चाटती जा रही थी वो तभी रूकती है जब राहुल का पूरा हाथ साफ़ हो चूका था मगर अब उसका लंड खड़ा हो चूका था | सलोनी की नज़र बेटे के तने लंड पर पडती है तो एक शरारती सी मुस्कान उसके होंठो पर फ़ैल जाती है | वो अपना एक हाथ लंड पर रखकर उसपे अपना वजन डालती ऊपर को उठती है और गहरी साँसे लेते राहुल के होंठो को चूमती है | राहुल भी अपने होंठ सलोनी के होंठो पर दबाकर उसके चुम्बन का जवाब देता है | सलोनी हल्के से चुम्बन के बाद अपने होंठ हटा लेती है और हँसते हुए राहुल की और देखती है जो अपने होंठो पर जीभ घुमाते हुए अपनी माँ की चूत के रस को चाटता है जो सलोनी के होंठो ने उसके होंठो पर छोड़ा था |

राहुल सलोनी की हंसी की आवाज़ सुनता है तो आँखें खोल देता है | सलोनी का चेहरा उसके चेहरे के सामने था, वो शर्मा जाता है |

“ओए होए, देखो तो साहब को अभी शर्म आ रही है” राहुल के गाल लाल होने लगते हैं | सलोनी और भी जोर से हंसती है “अभी उठो और जाकर थोडा समय पढाई कर लो, बाद में रात के खाने की तैयारी करनी है, मैं अभी कपडे धोने जा रही हूँ, तुम भी अपना अंडरवियर और पेंट उतार कर दे देना और कुछ न्यु पहन लेना” | इतना कह कर सलोनी उठती है और उठने के साथ राहुल के लंड को अपनी मुट्ठी में भर लेती है और कस कर मसल देती है |

“आह्ह्ह्ह...” राहुल सिसक उठता है | उसका लंड इस समय पूरे जोश में था, जंग लड़ने के लिए बिलकुल तैयार मगर अभी उसे इंतज़ार करना पड़ेगा | अपनी माँ को जाते हुए राहुल देखता है तो अपने लंड को बड़े प्यार से सहलाता है “बस थोडा सा सब्र कर जल्द ही तेरी मन की मुराद पूरे होने वाली है | लंड ने एक जोर का झटका मारा जैसे राहुल की बात से उसे अत्यंत ख़ुशी मिली हो |

राहुल अपनी पेंट और अंडरवियर उतारता है और एक इलास्टिक का पायजामा पहन लेता है | उसे बहुत शर्म आ रही थी अपनी माँ को अपने वीर्य से खराब कपडे देने में, इसीलिए वो उन्हें गोल करके इकठ्ठा कर देता है और अपनी माँ के कमरे में जाता है यहाँ सलोनी अपने कमरे से अटैच्ड बाथरूम में कपडे धो रही थी | राहुल जैसे ही बाथरूम में पाँव रखता है सामने का नज़ारा देखकर उसके होश गुम हो जाते हैं | सामने सलोनी राहुल की तरफ पीठ करके खड़ी थी | उसके बदन पर कपडे के नाम पर एक काली कच्छी थी | उसका पायजामा , टीशर्ट उसके पाँव के पास फर्श पर पड़े हुए थे | वो नल चलाकर बाल्टी में पानी भर रही थी | राहुल का ध्यान अपनी माँ की गर्दन से होता हुआ नीचे की और आता है | उसने अभी भी अपने बालों में रबड़ डाली हुई थी | उसकी माँ की पीठ पर बाल आसमान में बादल की तरह मंडरा रहे थे | ‘उफफ्फ्फ्फ़’ कितनी गोरी थी, एकदम दूध के जैसे , कहीं पर एक निशान तक नहीं था | राहुल पहली बार अपनी माँ को इस हालत में देख रहा था | उसके बाल उसकी कमर पर उसके नितम्बो से थोडा सा ऊपर तक आ रहे थे | कंधो से निचे को आते हुए उसकी कमर अन्दर को बल खाकर पतली हो रही थी और फिर थोडा निचे जाकर बाहर को बल खाते हुए उसके नितम्बो के रूप में फ़ैल जाती थी | कच्छी के अन्दर से झांकती उसकी उभरी गोल मटोल गांड राहुल को पुकार रही थी | उसके नितम्बो को चुमते हुए उसकी कच्छी नितम्बो पर खूब कसी हुई थी और नितम्बो की घाटी में थोडा सा अन्दर की और समाई हुई थी | राहुल का गला खुशक हो गया | उसके गले से आवाज़ नहीं निकल रही थी | उधर बाल्टी आधी पानी से भर जाती है | सलोनी निचे झुक जाती है, टांगों के बीच में से उसे कच्छी पर एक बहुत बड़ा गीला धब्बा दिखाई देता है | यहाँ उसकी कच्छी भीगी होने के कारण इस तरह चूत से चिपकी हुई थी कि राहुल चूत के होंठो को और उनके बीच हलकी सी दरार तक को देख सकता था | मगर जिस चीज़ ने सबसे जयादा उसका धयान अपनी और खींचा वो था सलोनी का मुम्मा जो कि झुकने और एक तरफ को मुडने के कारण निचे को झूलता हुआ राहुल की आँखों के सामने था, पूरा तरह से बेपर्दा |

“उन्न्नग्गग्ग्ग्गह्ह्ह्ह” ना चाहते हुए भी राहुल के होंठो से तेज़ सिसकी निकल जाती है |

“ओह्ह्ह्हह.... बेटा तुम हो, मुझे मालूम ही नहीं चला, इधर अपने कपडे डाल दो, मैं धो देती हूँ” सलोनी अनजान बनते हुए बोलती है जैसे राहुल के आने का पता ही ना चला हो | वो उठकर खड़ी हो जाती है |

राहुल अपनी माँ के करीब जाता है, इतना करीब कि उसकी गांड उसके अकड़े लंड से मात्र एक हाथ की दूरी पर थी | उस समय उसकी एक ही ख्वाइश थी अपनी माँ की कच्छी उतार कर उसको उसी तरह घोड़ी बनाने का जैसा वो अभी अभी बनी हुई थी और फिर उसकी चूत में अपना लंड डालकर उसको चोदने का | मगर वो उसे चोद नहीं सकता था, कम से कम अभी तो हरगिज़ नहीं | उसे अभी इंतज़ार करना होगा मगर वो अपनी माँ की नंगी गांड को एक बार छूना जरूर चाहता था | उसकी नंगी पीठ को सहलाना चाहता था | वो अपना हाथ अपनी माँ के गोल मटोल उभरे हुए दुधीआ नितम्ब की और बढाता है, उत्तेजना के मारे वो बुरी तरह से कांप रहा था, उसकी उँगलियाँ लगभग अपनी माँ के नितम्ब को छू रही थी |

“बेटा कहाँ खो गये, इधर डाल दो कपडे” सलोनी की आवाज़ से राहुल जैसे नींद से उठता है और अपना हाथ तुरंत वापिस खींच लेता है मगर घबराहट में उसकी उँगलियाँ धीरे से सलोनी के नितम्बो को सहला देती हैं |

“आँ......हाँ....हाँ मम्मी....” राहुल अपने कपडे फर्श पर फेंक देता है, सलोनी थोडा सा घूमती है और राहुल को देखती है जो उसके घूमने के कारण नज़र आ रहे मुम्मे को देखते हुए अपने होंठो पर जिव्हा फेर रहा था | डार्क गुलाबी रंग का निप्पल अकड़ कर कठोर हो चूका था, राहुल उसे होंठो में भरकर चुसना चाहता था, काटना चाहता था | इसी बीच सलोनी फर्श पर पड़े राहुल के कपडे उठाने के लिए फिर से झुकती है तो राहुल का लंड उसकी गांड में धंसता चला जाता है |

“अरे यह क्या.......” सलोनी चौंकने का नाटक करती है, “यह मेरे नितम्बो में क्या चुभ रहा है” कहकर सलोनी सीधी हो जाती है और राहुल की तरफ घूम जाती है | अब माँ बेटा आमने सामने थे | माँ अपने बेटे के सामने केवल एक कच्छी में थी और वो भी बुरी तरह से भीगी हुई उसकी चूत के होंठो को स्पष्ट दिखा रही थी | राहुल की नज़र पहली बार अपनी माँ के नगन मुम्मो पर पडती है | ‘उफफ्फ्फ्फ़’ क्या गोल मटोल भरी मुम्मे थे, सीधे तने और उन पर गुलाबी रंग के कड़क तीखे निप्पल, राहुल सांस लेना भूल गया था |

“अरे तूने इसे फिर से खड़ा कर दिया, मैंने तुझे पढने के लिए कहा था और तू इसे खड़ा करके मेरे पीछे चुभा रहा है” सलोनी झूठ मूठ का नाटक करती कहती है, जैसे बेटे का लंड खड़ा होना उसे पसंद नहीं आया हो |

“सॉरी मम्मी..... सॉरी...अभी जा कर पढता हूँ” राहुल बाहर को भागता है |

“अभी इसे मत छेड़ना सुबह से मेहनत कर रहा है, थोडा आराम करने दो, रात को बेचारे को फिर से मेहनत करनी पड़ेगी” राहुल के पीछे उसकी माँ चिल्ला कर कहती है | बेटे की हालत देख सलोनी की हंसी रोके नहीं रुक रही थी | वो आज कुछ ज्यादा ही शरारती बन रही थी | उसे बेटे को छेड़ने में , उकसाने में एक अल्ग ही लुत्फ प्राप्त हो रहा था |
abpunjabi
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by abpunjabi »

राहुल कमरे में जाते ही अपनी पेंट नीचे करता है और लंड मुट्ठी में भरकर मसलता है |

“हाएएएएएएईएएए मम्मी.....म्म्मम्म्मी” उसे सलोनी के तने हुए मुम्मे याद आते हैं, उसे गुलाबी रंग के तीखे निप्पल याद आते हैं |

“उम्म्म्ममम्मम्मम.... मम्म्म्ममी” उसे सलोनी की उभरी हुई गोल मटोल कसी हुई गांड याद आती है |

“आआअह्ह्ह्ह......ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़.....” उसे अपनी माँ की भीगी पेंटी से झांकती चूत की याद आती है | उसे याद आता है कैसे पेंटी उसकी चूत के होंठो को चूम रही थी, कैसे वो उसके होंठो के बीच की लकीर के अन्दर को घुसी हुई थी | राहुल अपना हाथ लंड पर चलाता हुआ मुट्ठ मारने लगता है | मगर तभी उसे याद आता है कि उसकी मम्मी ने उसे क्या कहा था | उसे अपने लंड को आराम देना चाहिए था | मगर वो खुद पर काबू नहीं कर सकत था, सलोनी ने जो शो उसे दिखाया था उसे देखने के बाद उसकी उत्तेजना चरम पर पहुँच गई थी | वो फिर से मुट्ठ मारने लगता है | उसके कानों में अपनी माँ के बोल फिर से गूंजते हैं, ‘रात को इसे फिर से बहुत मेहनत करनी है’ राहुल ना चाहते हुए भी अपने लंड से अपना हाथ हटा लेता है | वो सच में सुबह का दो बार झड चूका था और अगर उसे अब मुट्ठ मारी तो हो सकता है उसका लंड इतना थकने के बाद रात को जवाब दे जाए और अगर उसे रात को जैसा उसकी माँ ने कहा था कि बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और जो दिन भर की घटनायों को देखते हुए लगभग तय भी लग रहा था तो कहीं वो अपनी मम्मी के सामने शर्मिंदा ही ना हो जाए | राहुल अपने लंड से हाथ हटा लेता है | वो बुरी तरह से झटके मार रहा था | राहुल तकिये पर सर रखकर अपने झटके मारते हुए लंड को देखता है | लंड का फूला हुआ सुपाड़ा देखते हुए वो कल्पना करता है कि उसका वो सुपाड़ा अपनी माँ की गुलाबी चूत में घुस रहा है और उसकी माँ अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसक रही है | वो पूरी नंगी है उसके मुम्मे उभरे हुए हैं, राहुल लंड को चूत में घुसाते उन्हें पकड लेता है और कस कर धक्का मारता है ......

“आआअह्ह्ह्ह............उफफ्फ्फ्फ़.....बेटा....” उसके कानो में अपनी माँ की सिसकी गूंजती है | वो कल्पना मात्र से इतना उत्तेजित हो उठा था कि उसके हाथ फिर से अपने लंड पर पहुँच जाते हैं और वो उसे मसलने लगता है | मगर अगले ही पल वो फिर से अपने लंड पर से हाथ हटा लेता है और झटके से उठ खड़ा होता है |

“मुझे खुद पर काबू पाना है....मुझे खुद पर काबू पाना है.....उफफ्फ्फ्फ़... मम्मी यह तुमने मुझे क्या कर दिया है” राहुल खुद को समझा रहा था |

उधर सलोनी को बहुत मस्ती चडी हुई थी | उसे अपने अन्दर आज इतनी ऊर्जा, इतना जोश महसूस हो रहा था कि उसके पाँव धरती पर नहीं लग रहे थे | वो बेटे के स्पर्श मात्र से झड गई थी और वो स्पर्श भी सीधा नहीं था | उसने उसकी चूत को कच्छी के ऊपर से सह्लाया था, उसके मुम्मो को टीशर्ट के ऊपर से मसला था, हाए क्या होगा जब वो उसकी नंगी चूत को छुएगा....जब उसके बेटे की उँगलियाँ उसकी चूत को कुरेदेंगी...उसे सह्लायेंगी..................

“ऊऊऊऊऊउन्न्नन्न्न्हह्ह्ह्हह्ह्ह्ह........”

जब वो अपने होंठ उसकी चूत पर रगड़ेगा......... जब उसकी जिव्हा उसकी चूत को चाटेगी.........जब उसकी जिव्हा उसके दाने को सहलाएगी ...........

“आआअह्ह्ह्ह.................उन्न्नन्न्न्हह्ह्ह्ह.....”

और फिर जब वो अपना लंड उसकी चूत के होंठो पर रखेगा, उसका लंड उसकी चूत की पंखुड़ियों को फैलाएगा और फिर उसका वो मोटा लम्बा लौड़ा उसकी चूत में घुसता चला जाएगा...घुसता चला जाएगा..............

“बेटाआआअह्ह्ह्ह....आआअह्ह्ह्ह”

वो अपने लंड से उकी पूरी चूत भर देगा.......... उसका बेटा अपने मोटे लम्बे लंड से अपनी माँ की चूत को भर देगा...........उसे इतना फैला देगा जितना उसका बाप आज तक नहीं फैला पाया ....फिर उसका बेटा उसे चोदेगा.....

“बेटाआआआह्ह्ह्ह ...............हाएएएए.........ईईई.....”

उसक बेटा अपना लंड उसकी चूत में अन्दर बाहर करते हुए उसे चोदेगा....उसका बेटा अपनी माँ को चोदेगा...........और माँ बेटे से चुदवाएगी..........उसका लंड अपनी चूत में लेकर उससे तब तक चुदवाएगी जब तक वो झड़ नहीं जाता ....जब तक वो अपने गर्म वीर्य से अपनी माँ की चूत को भर नहीं देता......

“मेरे लाल........मेरा बेटा..........हे भगवान............” सलोनी झड़ रही थी | उसके हाथ उसके अंगो को मसल रहे थे और सखलित होते उसके दिल में तीव्र इच्छा उठती है कि उसका बेटा उस समय उसके अंगो को मसले | अगर राहुल उस समय बाथरूम में होता तो सही इस समय उसका लंड उसकी चूत में होता और सलोनी बेटे से चुद रही होती | रात तक इंतज़ार करना उसके लिए बहुत भारी था | उसका दिल कर रहा था वो उसी समय अपने बेटे के कमरे में जाये और उससे चुदवा ले | धीरे धीरे सख्लन के ठंडा पड़ने के बाद सलोनी खुद पर काबू पाने में सक्षम हुई | ठन्डे पानी से नहाकर और सख्लन के पश्चात उसकी गर्मी थोड़ी सी कम हो गई थी |


उसे खुद को व्यस्त करना होगा....... तभी वो चुदवाने की अपनी जबरदस्त इच्छा को दबा सकेगी | वैसे भी शाम तक छे बज चुके थे, रात का खाना बनाने का समय हो चूका था | वो शावर से बाहर निकलती है और तौलिये से बदन पोंछती है | गोरे जिस्म से पानी पोंछते हुए सलोनी यही सोच रही थी कि वो क्या पहने? वो कुछ ऐसा पहनने की फ़िराक में थी जिससे वो राहुल की उत्तेजना को बढ़ाए, उसकी भावनाओं को भड़काए | उसके पास कुछ पारदर्शी कपडे थे मगर नहीं वो कुछ और पहनना चाहती थी | अचानक उसका धयान बाल्टी में पड़े धोये कपड़ों पर जाता है तो उसके होंठो पर मुस्कान फ़ैल जाती है ....उसे अपनी समस्या का हल मिल गया था |

राहुल कंप्यूटर पर नज़रें गडाए बैठा था जब उसे किचन से बर्तन खटकने की आवाजें आती सुनाई देने लगती है | नाजाने राहुल क्या देख रहा था, जा क्या पड़ रहा था कि वो किचन में जाने की अपनी बलवती इच्छा को कुछ देर दबाने में सफल हो गया | स्क्रीन पर जो कुछ भी था शायद राहुल के ख़ास काम का था, राहुल पूरा धयान देकर उसे समझने की कोशिश कर रहा था |

सात बजे के करीब राहुल निचे आता है और सीधे रसोई में जाता है |

“आ गया मेरा राजा बेटा, क्या कर रहा था” सालोनी खाना बनाते हुए बिना दरवाजे की तरफ देखते बोलती है | जब राहुल इतनी देर से निचे नहीं आया था तो उसके मन में चिंता के बादल घिरने लगे थे |

“हाँ मम्मी , वो लैपटॉप पर पढ....” राहुल से बात पूरी नहीं होती | सामने उसकी मम्मी उसके कपडे पहने खड़ी थी | सलोनी ने वही अंडरवियर और शर्ट पहनी थी जो राहुल उसे धोने के लिए देकर आया था |

“उम्म्म्म.... तुम्हे देखकर लगता है तुम्हे मेरी ड्रेस खूब पसंद आई है” सलोनी राहुल को मुख खोले खुद को घूरते हुए देखती बोलती है, “तुम्हारे कपडे धोकर और सुखाकर जब मैंने इन्हें सुंघा तो इनसे इतनी प्यारी खुशबू आई कि मैंने इन्हें ही पहनने का फैसला कर लिया, तुम्हे कोई आपत्ति तो नहीं है ना?” सलोनी बेटे की हाफ पेंट में बना हुआ उभार देखते हुए कहती है | उसका उभर अपनी माँ की शर्ट के खुले बटनों और उनके बीच का नज़ारा देख लगातार बढ़ रहा था |

“मुझे कोई आपत्ति नहीं है और तुम इनमे बहुत सुन्दर लग रही हो और..........और........” राहुल अपनी बात पूरी करने से कतराता है |

“और........और क्या....बोलो ना....चुप क्यों हो गये ....और क्या? सलोनी जैसे बेताब थी उसकी बात सुनने के लिए |

“और और आप इनमे बहुत सेक्सी भी लगती हो” राहुल ने दिल तगड़ा करते हुए धीमी आवाज़ में कहा |

“ओह्ह्ह्हह .... सच में मैं सेक्सी दीखती हूँ या फिर मुझे बहलाने के लिए कह रहे हो”, सलोनी राहुल से भी धीमे स्वर में बोलती है जैसे वो कोई गुप्त राज़ साँझा कर रहे हों |

“सच मम्मी....आप सच में बहुत सेक्सी दिख रहे हो.......बहुत बहुत सेक्सी दिख रहे हो” राहुल जोश में आ जाता है | सलोनी की हंसी छूट जाती है | राहुल अपने जोशीलेपन पे थोडा शर्मिंदा हो जाता है | सलोनी फिर से मूड कर खाने की और ध्यान देने लगती है | राहुल अपनी माँ की गांड को अपने अंडरवियर में चमकते देखता है | उसका अंडरवियर यु शेप का था और वो सलोनी की गांड के उस तरह दर्शन नहीं कर सकता था जिस तरह उसने कुछ देर पहले उसकी वी शेप कच्छी में किये थे | मगर फिर भी जो नज़ारा उसके सामने था वो भी कम नहीं था | उसका अंडरवियर सलोनी के नितम्बो को कस कर उनके अकार को खूब अच्छे से दर्शा रहा था | उनकी गोलाई , उनकी मोटाई और उनके बीच की घाटी...... ‘उन्ह्ह्हह्ह्ह्ह’ बहुत जानलेवा गांड थी उसकी माँ की | नीचे उसकी मोटी गोरी जांघें कितनी लुभावनी थी और ऊपर से उस शरारती माँ ने शर्ट के दो बटन खुले रख छोड़े थे इससे उसके मुम्मो का उपरी भाग और उनके बीच की खाई काफी हद तक नगन थी |

राहुल सलोनी के पास जाकर खड़ा हो जाता है | वो अपनी माँ के पीछे खड़ा उसकी गांड को देख रहा था | सलोनी को राहुल की मौजूदगी का पूरा एहसास था | राहुल की नज़र माँ की उभरी हुई गांड पर जमी हुई थी और उसका हाथ स्वयं ही उठता हुआ सलोनी की गांड की तरफ बढ़ता है जैसे उसका अपने हाथ पर कोई कण्ट्रोल ना हो |

“उन्ह्ह्हह्ह्ह.........” सलोनी गांड पर बेटे के हाथ को महसूस करते ही ‘आह’ सी भरती है | राहुल नितम्ब की गोलाई पर अपना हाथ फेरता है |

“तुम सच में सेक्सी हो माँ , इतनी सेक्सी कि मैं तुम्हे बता नहीं सकता” माँ की मादक गांड ने राहुल के दिल पे वार किया था | वो फिर से होश खोने लगा था |

“ऊऊऊउम्म्म्मम्मम्मम्म..........” सलोनी फिर से थोड़ी आह भरती है, “मुझे इसका एहसास बहुत प्यारा लगा रहा है, मेरी पेंटी से कहीं ज्यादा आरामदायक है........ और......और.....” सलोनी थोडा पीछे हटती है तो उसका बेटा उसकी गांड से हाथ हटा लेता है और उसकी कमर को थाम लेता है | सलोनी तब तक पीछे होती है जब तक उसकी उभरी गांड अपने बेटे के लंड को चूम नहीं लेती | सलोनी अपनी गांड को हलके से लंड पर दबाती है और उसका बेटा अपने लंड को माँ की गांड पर |

“उन्न्न्नम्मम्मम्ममह्ह्ह्हह....... हाएएएएए.........”, सलोनी बेटे की तरफ मुंह घुमाती है, “और मैने सच कहा था, तुम्हारे अंडरवियर में से सच में बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी, शायद तुमने इसमें कुछ गिराया था....... मुझे लगता है दोपहर को कुछ गिराया होगा” सलोनी की बात से राहुल के गाल लाल होने लगते हैं |

“बता ना क्या गिराया था तूने अपने अंडरवियर में” सलोनी बेहद कामुक आवाज़ में लौड़े पर गांड दबाती बोलती है |

“तुम भी ना मम्मी........” राहुल और भी शर्मा जाता है | मगर वो अपनी कमर पीछे नहीं हटाता बल्कि उसे हल्का सा और दबाता है | उसका लंड कूल्हों की खाई के बीच धंसता जा रहा था | सलोनी को एहसास होता है कि सिचुएशन फिर से पहले वाली होती जा रही है | खुद उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी | मगर अभी सही समय नहीं था अभी उन्हें कुछ देर इंतज़ार करना था इसीलिए वो जिस तरह पीछे को हुई थी उसी तरह आगे को बढ़ गई | राहुल का लंड उसके नितम्बो की घाटी में से निकला तो बुरी तरह से झटके मार रहा था |

“तुम तो कहते थे घर के काम में मेरी मदद करोगे, यह मदद करोगे, मुझे भी काम नहीं करने देते, जब देखो अपने इसको घुसा देते हो मेरी ....” सलोनी राहुल को डांटने के स्वर में बोलती है |

“वो मम्मी....वो मम्मी” राहुल शर्मिंदा था और अपनी मम्मी की इस अचानक तबदीली से हतप्रभ भी |

“इधर आओ ...और यह सलाद काटो, सब्जी बन गई है, मैं रोटी पका लेती हूँ” सलोनी बेटे का उतरा हुआ चेहरा देखकर चह्कती है, “खाली पेट मेहनत नहीं की जाएगी.... ..पहले पेट पूजा फिर......बाकी खाने के बाद” |

“जी मम्मी” राहुल बुझे मन से बोलता है, “उफ्फ्फ्फ़ कैसी ज़ालिम औरत है मेरी मम्मी” जितना उस समय राहुल को अपनी माँ पर प्यार आ रहा था उतना गुस्सा भी |

सलोनी राहुल के उतरे चेहरे को देखती है तो वो मुंह घुमा कर होंठ काटती हंसती है “बेचारा” अपने मन में दोहराती है |
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