हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........complete

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rajaarkey
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by rajaarkey »

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Kamini
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by Kamini »

Plz continued updated
abpunjabi
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

Post by abpunjabi »

"आती नही तो क्या करती? तुम्हारा क्या भरोसा, तुम उपर कामसूत्र पर अध्याय करने लग जाते और फिर अपने ज्ञान को मेरे उपर ही इस्तेमाल करते......कल शाम को भी तुम्हे पढ़ने के लिए भेजा था ना और तुमने क्या किया? जाकर चूत कैसे मारनी है वो सीखने लगे"

सलोनी की बात से राहुल लाल हो गया था. उसे समझ नही आ रहा था वो क्या ज्वाब दे | वो चुपचाप अपनी उसकी टांग को एक हाथ से कोमलता से सहलाता रहता है | उसका हाथ स्लोनी के घुटने से लेकर उसके पाँव तक फिर रहा था |

"म्‍म्म्मममम्म्मी........उउउम्म्म्मममम" सलोनी को बेटे का स्पर्श बहुत आरामदायक लग रहा था | उसके उस स्पर्श से जैसे उसके तन मन में सकुन फैलता जा रहा था | "उउउम्म.... दोनो को सहलायो ना" सलोनी बेटे को बहुत ही प्यार भरे स्वर में बोलती है |

राहुल सलोनी की बात से खुश हो जाता है | वो उठकर पीछे को होता है और सलोनी की टांगों के बीच उसके घुटनो के पास में बैठ जाता है | वो अपने हाथ और भी कोमलता से स्लोनी की नरम मुलायम टांगों पर रख उन्हे सहलाना शुरू कर देता है | राहुल के हाथों का स्पर्श अपनी टांगों पर पाकर सलोनी अपने बदन को ढीला छोड देती है और वो उस आनंदायक एहसास को महसूस करने लगती है |

"उउउम्म्म्म......म्‍म्म्ममम्म्मम...." स्लोनी के उपर मदहोशी सी छाती जा रही थी | वो धीरे से राहुल की आँखो में देखती अपनी आँखे बंद कर लेती है | राहुल अपनी माँ की प्रतिकिरिया से और भी खुश हो जाता है | पयज़ामे में उसका लंड तंबू बना चुका था | राहुल टांगों को सहलाता धीरे धीरे उपर को बढ़ने लगता है | मगर घुटनो से उपर चादर थी | हर बार जब राहुल के हाथ सलोनी के घुटनो से उपर जाते चादर से टकराते और वो वहाँ से फिर अपने हाथ नीचे को लाने लगता | मगर हर बार जब उसके हाथ उपर जाते थे तो वो चादर को थोड़ा सा उपर को कर देते थे | राहुल बड़े धर्य से धीरे धीरे चादर को घुटनो तक ले गया था |

"नीचे ही सहलाते रहोगे क्या... उपर भी करो ना… असली दर्द तो मेरी जाँघो में है...." अचानक स्लोनी राहुल को आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी दिखाती है | राहुल के हाथ चादर के नीचे अब अपनी मम्मी की जाँघो के उपरी हिस्से तक पहुँचने लगे थे | चादर के अंदर से उसके हाथ सलोनी के घुटनो से उसके नितंबो के हल्का सा नीचे तक सहला रहे थे | बस थोड़ा सा और उपर जाते ही वो उसके नितंबो को उसकी गांड को छू सकता था | मगर वो उसे देखना चाहता था | अपनी आँखो से अपनी मम्मी के गोल गोल नितंबो को सहलाना चाहता था | चादर के अंदर से अपनी मम्मी की जांघें सहलाता वो उसके नितंबो को घूर रहा था | सलोनी की पीठ पर उसकी कमर के पास से एक बेहद्द नाज़ुक सी कर्व के रूप में उसके नितंबो का उभार शुरू होता था जो उपर को और होता हुआ बिल्कुल गोलाई में बाद में नीचे को ढालाव की कर्व में बदल जाता था | चादर उसके नितंबो के उठान, उनकी ढलान, बाहर से उनकी उपर को गोलाई और दोनो नितंबो के बीच की घाटी को चूमती सी उसे आलिंगन करती हुई उनका पूरा रूप दिखा रही थी | चादर दोनो नितंबो के बीच हल्की सी अंदर को बैठी हुई थी |

"उउउम्म्म्मम......म्‍म्म्मममममम......म्‍म्म्ममम्म......और उपर करो ना" सलोनी मदहोश से स्वर में बोली | राहुल का दिल धम्म धम्म धड़क रहा था जब उसने अपने हाथ चादर के अंदर से उन मुलायम नरम गोल मटोल उभरे हुए नितंबो पर रख दिए थे | उसका शक बिल्कुल सही था | सलोनी ने कच्छी नही पहनी थी | वो चादर के अंदर पूरी नंगी थी | सलोनी के भी रोंगटे खड़े हो गये थे | उसकी मदहोशी में और भी बढ़ोतरी हो गयी थी |

"म्‍म्म्ममममम........म्‍म्म्मममममम........चादर निकाल दो बेटा" सलोनी के थरथराते बोल राहुल के कानो में शहद घोल गये थे | सलोनी टांगों को थोड़ा सा खोल देती है और तकिये पर दोनो बाहें रखकर उनपर अपना सर रख लेती है | अब वो पाँव से लेकर सर तक उल्टी थी |

राहुल अपनी मम्मी की खुली टांगों के बीच आगे को होकर उसकी जाँघो के पास बैठ जाता है और काँपते हाथों से चादर को थाम अपनी मम्मी को नंगी करने लग जाता है |
जैसे जैसे राहुल चादर को खींच रहा था वो स्लोनी की पीठ से सरकती जाती थी | उसकी पीठ हर पल के साथ नुमाया और नुमाया होती जा रही थी | चादर जब सलोनी के कंधो से खिसक कर उसकी कमर के निचले हिस्से की और जाने लगी तो राहुल ने देखा कि वाकई उसकी पीठ पर ब्रा के स्ट्रेप्स नही थे, उसका अंदाज़ा सही था | वो नंगी थी, पूरी नंगी | वो चादर खींचता गया | उसके दिल की धड़कने और भी तेज़ होती जा रही थी | चादर कमर के बिल्कुल निचले हिस्से तक पहुँच गई थी जहाँ से सलोनी के नितंबो का उभार शुरू होता था | राहुल अपने सूखे होंठो पर जीभ फेरता चादर को खींचता है | सलोनी की कमर पर वो बाहर की और उभरती कर्व दिखाई देने लगी थी | फिर वो कर्व धीरे धीरे एक बड़ी सीधी उठान में परिवर्तित होने लगी | वो उठान अब सलोनी के कुल्हों के रूप में दिखाई दे रही थी | दोनो नितंबो के बीच की घाटी की और राहुल का खास ध्यान था | चादर नितंबो के उठान को चूमती सहलाती उन्हे विदा कह रही थी | अब चादर नितंबो के बिल्कुल उभरे सिरे पर उनकी चोटी पर थी जहाँ से आगे उनकी ढलान शुरू हो जाती थी | राहुल घाटी में नज़र दौड़ता चादर को खींचने की रफ़्तार और भी कम कर देता है | सलोनी के मोटे कसे हुए नितंब आपस में भिड़े हुए थे हालांकि उसने थोड़ी टाँगे भी खोली हुई थी | राहुल कोशिश करने के बावजूद भी अपनी माँ की गांड का छेद नही देख पाता |

चादर अब ढलान से उतरती सलोनी की गांड को लगभग पूरी नंगी कर चुकी थी | मगर अभी वो उसकी त्वचा को आलिंगन करती, चूमती सहलाती उसे छोड़ नही रही थी | राहुल चादर को अपने हाथों में भर लेता है और उठाकर उसे दूर बेड से नीचे फेंक देता है |

"उउउम्म्म्मम......उुउउन्न्ञणनह......." सलोनी अपने नितंबो पर बेटे के लंड का स्पर्श होते ही मादक सी सिसकी भरती है | राहुल के हाथ उसके नितंबो पर घूमते उसकी जाँघो के उपरी हिस्से को सहला रहे थे | नितंबो पर वो कुछ ज़्यादा ही ध्यान दे रहा था | उपर से नीचे दाएँ से बाएँ, उसके हाथ अपनी मम्मी की गांड पर थिरक रहे थे | जब राहुल सलोनी की दरार में हल्के से अपनी उंगली रख कर उसे उपर से नीचे लाता है |

"आआआअहह........राहुउऊउल्ल्ल.......बेटा..." सलोनी एक उँची सिसकी भरती है | हालांकि अभी तक उसने उसकी गांड को नही छुआ था और ना ही उसके नितंबो को चौड़ा किया था |

राहुल नितंबो को सहलाता अपने हाथ अब उपर सलोनी की पीठ पर घूमाने लगता है | मगर सलोनी की जाँघो के बीच पीछे की और बैठे होने के कारण वो ज़्यादा दूर तक उसकी पीठ नही सहला सकता था | राहुल कुछ देर यूँ ही नितंबो से लेकर उसकी पीठ तक सहलाता है और फिर आगे बढ़कर अपने घुटनो के बल हो जाता है | उसके घुटने लगभग सलोनी के नितंबो को छू रहे थे | फिर वो आगे को सलोनी की पीठ पर झुकता चला जाता है | उसके हाथ सलोनी की पीठ से आगे उसके कंधो की तरफ बढ़ने लगते हैं | सलोनी की सिसकियाँ और भी मादक होती जा रही थी | राहुल के हाथ उसकी पीठ को सहलाते जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे उसका पयज़ामे में तना लंड सलोनी की गांड के करीब पहुँचता जा रहा था | राहुल सलोनी की पीठ पर झुकता और झुकता अपने हाथ अपनी मम्मी के कंधो तक पहुँचा देता है |

"उउम्म्म्ममममम.........उनन्नज्ग्घह...........राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल....... मेरे लाअलल्ल्ल्ल्ल्ल........" राहुल का पयज़ामे में तना लंड उसकी मम्मी के नितंबो को छूते ही उनकी गर्माहट पाकर झटका मारता है और सलोनी सिसकने लग जाती है | अब उसके मुख से निकलने वाली सिसकियाँ सकूँ और आनंद की नही बल्कि के कमौन्माद में आँधी हो चुकी और वासना में जल रही एक औरत की सिसकियाँ बन चुकी थी | राहुल अपनी मम्मी के कंधो को सहलाता उन्हे कोमलता से दबाता है और अपनी टाँगे हिलाकर थोड़ा सा लंड को सेट करता है कि वो उसकी मम्मी के नितंबो की दरार में जाकर घुस जाए | मगर उसके बैठने की पोजीशन कुछ ऐसी थी कि लंड दरार में नही जा रहा था बल्कि दरार को उपर से सहला रहा था | उसका लंड कभी दरार के दाएँ नितंब को ठोकर मारता तो कभी बाएँ नितंब को | लंड दरार से रिसती गर्माहट और दोनो नितंबो के कोमल और मुलायम एहसास के कारण बेकाबू होता जा रहा था |

राहुल वापस धीरे धीरे उपर उठता अपनी मम्मी की पीठ को सहलाता वापस नीचे की और जाने लगता है | सलोनी की पीठ से होते उसके हाथ उसकी बगलों तक जा रहे थे और वो साइड से अपनी मम्मी के मुम्मो को भी सहला रहा था | कुछ देर बाद वो और उपर उठता है और उसके हाथ वापस सलोनी की कमर पर पहुँच जाते हैं | वो कुछ लम्हे फिर से अपनी मम्मी की कोमल गांड को सहलाता है और फिर से नीचे झुकता उसके कंधो की और आगे बढ़ने लगता है | इस बार वो बहुत जल्दी उसके कंधो तक पहुँच गया था और उसका लंड फिर से अपनी मम्मी की गांड पर चुभने लगा था | राहुल इस बार और नीचे को झुकता है और धीरे धीरे लगभग अपनी मम्मी के उपर लेट सा जाता है | उसका लंड अब सलोनी के नितंबो की दरार में चुभने लगा था |

राहुल अपना चेहरा नीचे लाता है और सलोनी के कंधो को चूमता है |

"उउम्म्म्ममममममम.........उम्म्म्ममममम......." राहुल के होंठ अपनी मम्मी की गर्दन से होते हुए दूसरे कंधे पर पहुँच गये थे | चुंबनो की बौछार करता वो और आगे को बढ़ता है और अपनी माँ के कान की लौ को अपने होंठो में भर लेता है | मगर इस तरह और आगे जाने से उसका लंड अबकी बार सलोनी के नितंबो को फैलाता उसकी गांड का छेद रगड़ता दरार में आगे पीछे होता है | राहुल सलोनी के कान की लौ चुभलाता है और सलोनी सिसकियाँ लेती धीरे से अपना सर उठाती है और उसे उसी और मोड़ लेती है जिस तरफ का कान राहुल चुभला रहा था | राहुल का मुँह नीचे होता है और वो अपनी मम्मी के गाल को चूमने लग जाता है | और आगे वो उसके साइड से जीतने होंठ चूम सकता था, चूमता है और फिर उसके होंठ उसकी नाक की बाली को चूमने लग जाते हैं | नाक की बाली से उसके होंठ उपर जाते हैं और सलोनी की आँख पर राहुल प्यारा सा चुंबन अंकित करता है | फिर से उसके होंठ सलोनी के होंठो की साइड को चूमते हैं | राहुल की जिव्हा बाहर आती है और होंठो को चाटने लग जाती है | वो धीरे से अपनी जिव्हा उसके होंठो की दरार में घुसाकर कुछ पल सलोनी के मुँह के अंदरूनी हिस्से को चाटता है | सलोनी अपने हाथों पर अपना गाल टिकाए आँखे बंद किए उन उत्तेजित पलों का मज़ा ले रही थी | राहुल की जिव्हा अब उसके गाल को चाटती वापस उसकी गर्दन की और बढ़ चली थी | धीरे धीरे वो उसकी गर्दन को कुछ देर चूमता अपनी जिव्हा वापस नीचे की और लेजाने लगता है |
वो अपनी जिव्हा को अपनी मम्मी की पीठ पर गोल गोल घूमाता उसे कुछ देर यूँ ही चाटता रहता है | फिर वो उठ कर घुटनो के बल बैठ जाता है और कुछ देर नग्न नितंबो को घूरता है | फिर वो थोड़ा सा पीछे को हटता है और अपने दोनो हाथ सलोनी की जाँघो के बाहर रख अपने दहकते होंठ उसके दाएँ नितम्ब पर रख देता है, एन टॉप पर |

"उउउम्म्म्ममम.....उउउम्म्म्मममम......" सलोनी इस पल का जैसे बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी | उसकी चूत से उसका रस रिस रिस कर बाहर आने लगा था | राहुल बहुत कोमल कोमल चुंबन लेता दोनो नितंबो को चूमता है | उसके होंठ उसके नितंबो की घाटी को चूमते सहलाते हैं |

"म्‍म्म्मममममम्म्म.........म्‍म्म्मममममाआहमम्म्मम...." सलोनी की सिसकियाँ राहुल को जैसे बता रही थी कि उसे कितना आनंद आ रहा था |

राहुल नितंबो को जी भर कर चूमने के बाद अपने होंठो को सलोनी की पीठ पर थोड़ा सा नितंबो के उपर लेट जाता है | वहाँ वो अपनी मम्मी की पीठ के सेंटर में रीढ़ पर एक बड़ा सा चुम्मा लेता है | फिर राहुल की जिव्हा बाहर आती है और इस बार वो पूरी जिव्हा का इस्तेमाल करता सलोनी की रीढ़ की हड्डी को चाटता नीचे उसके नितंबो की और जाता है | जैसे जैसे राहुल की जीभ सलोनी की रीढ़ पर उसे रगडती नीचे आ रही थी वैसे वैसे सलोनी के मुख से फूटने वाली सिसकियाँ उँची होती जा रही थी | राहुल की जीभ नितंबो के बिल्कुल पास पहुँच चुकी थी और वो उसे उसकी रीड पर रगडता उसे चाटता नीचे बढ़ता जा रहा था | दोनो माँ बेटे के दिल जोर से धड़क उठते हैं | सलोनी आँखें खोल लेती है और अपनी सिसकी रोक उस लम्हे का इंतज़ार करती है | राहुल की जिव्हा बिलकुल सीधी लाइन में आगे बढ़ती जाती है और दोनो नितंबो की दरार के शुरुआती हिस्से में परवेश कर जाती है | सलोनी अपने होंठ काटती है | राहुल की जिव्हा उसी तरह रगड खाती नितंबो की लगातार गहरी होती जा रही घाटी में पहुच जाती है | राहुल नितंबो की दरार में बिना दबाए अपनी जीभ उपर से नीचे तक रगडता है |

abpunjabi
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Re: हाए मम्मी मेरी लुल्ली..........

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Dolly sharma wrote: 21 Nov 2017 10:35 plz give big updates
rajaarkey wrote: 04 Dec 2017 12:08kahan ho dost
Kamini wrote: 10 Dec 2017 10:23 Plz continued updated
sorry dosto itni lambi waiting karwai , actually life thodi busy chal rahi hai , sorry again , sabhi story poori karunga bus update thode slow ho skte hain .....
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