ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete

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jay
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

Ankit wrote: 18 Sep 2017 12:49Superb update
kiran yadav wrote: 18 Sep 2017 12:08 Mast update
pongapandit wrote: 17 Sep 2017 13:28 superb update bro
thanks all
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

कमलेश: भाई आपको कोई दिक्कत तो नही होगी….

मे: यार इसमे दिक्कत वाली क्या बात है…..

कमलेश: वो क्या है ना भाई……कहाँ आप बड़े लोग और कहाँ हम ग़रीब…..आपके पीने का ढंग मुझसे अलग होगा…..

मे: यार कोई बात नही बैठो तो सही…..जैसे तुम्हारा दिल करे वैसे पीना…..

कमलेश मेरे साथ बैठ गया….मैने पहले से हाफ ले रखा था विस्की का …..पर उसने भी पहले से देसी दारू का कर्टर लिया हुआ था….”यार आज तुम ये पी कर देखो….अँग्रेज़ी है…..” मैने उसको बॉटल दिखाते हुए कहा….

.”नही भाई….फिर इसका क्या करूँगा….आप शुरू करो…अगर ये ख़तम होने के बाद भी दिल करेगा तो आपकी बोतल से भी एक पेग लगा लूँगा…..” उसने अपनी दारू के कर्टर को खोलते हुए कहा……फिर क्या था….पेग्स का दोर शुरू हो गया था….उसने अपना कर्टर सिर्फ़ दो ही पेग मे ख़तम कर दिया था…और मैने अभी तक आधा पेग भी नही ख़तम किया था….

जैसा कि मुझे यकीन था…..कमलेश एक नंबर का पियाक्कड इंसान निकाला……उसने मेरी बॉटल से भी दो बड़े-2 पेग मार लिए थे…..मुफ़्त की दारू देख कर वो अपनी हद से ज़्यादा ही पी गया था..इतनी कि जब हम जाने के लिए खड़े हुए तो उससे खड़ा भी नही हुआ जा रहा था…..मैने उस अहाते वाले से बात की और उसकी साइकल को उसके अहाते के अंदर ही खड़ा कर दिया….और उसको दो आदमियों की मदद से अपनी बाइक के पीछे बैठाया….और धीरे-2 बाइक चला कर किसी तरह घर तक पहुँचा…..

मैने बाइक स्टॅंड पर लगाई और उसको बाइक से नीचे उतारा….और उसको कंधे का सहारा देते हुए उसके घर के गेट के पास पहुँचा….और गेट नॉक किया….तभी अंदर से मुझे वीना की आवाज़ आई…..”आ रही हूँ..” मे वेट करने लगा….क्योंकि कमलेश तो बेसूध मेरे कंधे के साथ लटका हुआ था….और जैसे ही वीना ने डोर खोला तो वो मुझे कमलेश को इस तरह पकड़े देख कर एक दम से घबरा गयी….” क्या हुआ इन्हे….अनु जल्दी आ…..” वो बेहद घबरा गयी थी

……”कुछ नही हुआ….वो इन्होने ज़्यादा दारू पी ली थी…..” मैने उसको अंदर ले जाते हुए कहा…..तभी वीना की लड़की अनु भी अंदर से भागी चली आई…वो मुझे और अपने पापा को इस हालत मे देख कर एक दम सहम सी गयी थी….

पर मैने अभी अनु की तरफ ध्यान नही दिया था…..मैने कमलेश को अंदर जाकर एक चारपाई पर लेटा दिया…..और रूम से बाहर आकर आँगन मे खड़ा हो गया….थोड़ी देर बाद वीना बाहर आई…. “बहुत बहुत शुक्रिया आपका…..पर आप कॉन है….क्या आप भी इनके साथ फॅक्टरी मे काम करते है….”

मे: नही नही….वो दरअसल मे आपके पड़ोस मे रहता हूँ…..आज मे अपने दोस्त के साथ अहाते मे गया था….ये वहाँ मुझे मिले थे….इन्होने ज़्यादा पी रखी थी….आज सुबह जब मे आपके घर पानी लेने के लिए आया था…..तब मे इनसे मिला था……

वीना: ओह्ह तो आप सुबह पानी लेने आए थे….

मे: जी…….

वीना: आप बैठिए ना…..मे चाइ बनाती हूँ…..

मे: नही अब मे चलता हूँ….वैसे भी मे इस समय चाइ नही पीता….मेरे खाने का वक़्त हो गया है…..

वीना: तो खाना खा कर चले जाएगा….आप हमारे पड़ोसी हो…और पहली बार हमारे घर के अंदर आए हो….ऐसे नही जा सकते आप…..

मे: नही वो मे खाना बाहर से ही लेकर आता हूँ…..तो वो खराब हो जाएगा…..

वीना: क्यों बाहर से खाना क्यों लाते हो….घर पर पकाने वाला नही है कोई….

मे: नही वो मेरा परिवार ***** सहर मे रहता है……मे यहाँ अकेला रहता हूँ…..

वीना: ओह्ह अच्छा….वैसे आपने बहुत बड़ा उपकर किया है हम ग़रीबो पर…..पर एक ये है कि, इन्हे अपने घर बार की कोई चिंता ही नही…..

मे उसके घर से निकल कर बाहर आ गया….जब मे बाहर आया तो वो बाहर गेट की दहलीज पर खड़ी होकर मुझे देख रही थी…..मैने घर का लॉक खोला और बाइक स्टार्ट करके घर के अंदर कर दी…अब तक तो जैसे मैने सोचा था....वैसे ही हो रहा था.....और मेरी किस्मत भी मेरा साथ दे रही थी....मे उस रात वीना के बारे मे सोचते हुए सो गया....अगली सुबह मे उठा और फ्रेश होकर ब्रश करते हुए नीचे आया गेट खोला और गेट के बाहर खड़े होकर ब्रश करने लगा....तो देखा कि कमलेश गेट पर ही खड़ा था....मुझे देखते ही वो मेरे पास आया...और थोड़ा सा झुकते हुए बोला...."बहुत -2 शुक्रिया तुषार भाई....और कल के लिए मे माफी भी चाहता हूँ.....कल आपको मेरी वजह से परेशानी उठानी पड़ी...

मे: कोई बात नही कमलेश भाई....आप फिकर ना करें....

कमलेश: अच्छा भाई एक बात बताओ वो मेरी साइकल कहाँ है...मुझे ड्यूटी पर भी जाना है....

मे: हां वो जाते हुए उस अहाते से ले लेना....वही रखवा दी थी...

कमलेश: भाई कल इतनी पी ली थी कि, खुद का होश नही था....तो साइकल का कहाँ से रहता.....आए ना अंदर चाइ पी लीजिए.....

मे: नही भाई अभी तो मुझे नहाना भी है....

उसके बाद कमलेश अंदर चला गया.....और मे भी अंदर आ गया...नहा धो कर घर पर ही अंडे उबाले और दूध के साथ खाए....यही मेरा सिंपल सा नाश्ता था....मे काफ़ी देर तक ऊपर अपने रूम मे लेटा रहा.... मे नही चाहता था कि, मे कमलेश की नज़रों मे ज़्यादा आउ....और उसे ये पता चला कि, मे सारा दिन घर पर ही रहता हूँ....और किसी वजह से उसको मेरे ऊपर शक हो....

10 बज चुके थे....मे जानता था कि, कमलेश ड्यूटी पर चला गया होगा... इसलिए मे रूम से बाहर आया.....बाहर आकर गली की तरफ वाली बाउड्री के पास खड़ा हो गया....मे दिल ही दिल मे सोच रहा था कि, काश वीना ऊपर आ जाए....और बात को आगे बढ़ाने का कुछ मोका मिले....मे काफ़ी देर तक इंतजार करता रहा....पर ना तो वीना ही ऊपर आई और ना ही उसकी बेटी अनु....दोस्तो एक बार मे यहाँ फिर से अपने घर के नक्शे के बारे मे बता दूं टंकी के आपको संजने मे आसानी हो....

दोस्तो जैसे के मैने बताया की मेरे यूयेसेस घर मे दो फ्लोर थी....नीःे ग्राउंड फ्लोर पर दो रूम थी....पीछे एक बड़ा रूम था....और उस रूम से आगे किचन था....किचन के ठीक सामने लेफ्ट साइड मे गेट था.....और गेट के दूसरी यानी राइट साइड मे एक और रूम था....और उस रूम से पहले किचन से थोड़ा सा आगे बाथरूम और टाय्लेट था.....और साथ ही ऊपर जाने के लिए सीडीयाँ थी....

और ऊपर पीछे की तरफ ही एक रूम था....रूम से आगे किचन और फिर उसके आगे थोड़ी जगह खाली जगह छोड़ कर बाथरूम और टाय्लेट था....किचन बाथरूम और टाय्लेट तीनो एक ही लाइन मे थे....और बीच मे ऊपर आने वाली सीडीयाँ थी.....जिस तरफ ये तीनो चीज़े थी....उस तरफ के पड़ोस के घर से कोई मेरे घर की तरफ नही झाँक सकता था....

पर जिस तरफ वीना का घर था....उस तरफ सिर्फ़ 4 इंच की बाउंड्री बीच मे थी....जो रूम और बरामदे से आगे थी....मतलब सॉफ है कि, हम दोनो एक दूसरे के घरो की छत पर देख सकते थे...चलिए बहुत हो गया....अब फिर से स्टोरी की तरफ चलते है....जब काफ़ी देर तक वीना ऊपर नही आई तो मे अंदर आकर बेड पर लेट गया...लेटने से पहले टीवी ऑन कर लिया था...मैने करीब 1 घंटे तक टीवी देखा और फिर टीवी बंद करके फिर से बाहर आ गया.....

पर इस बार मे जैसे ही बाहर आया तो देखा वीना अपने घर की छत पर धोए हुए कपड़े सुखाने के लिए छत पर लगी तार पर डाल रहे थी....जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा तो उसने होंठो पर मुस्कान लाते हुए सर को हिलाया....."नमस्ते......" और फिर उसने मुझे नमस्ते कहा....तो मैने भी जवाब दिया...मे दोनो छतो के बीच मे बनी हुई बौंडरी के साथ लगी हुई चेयर पर बैठ गया....

और वीना को देखने लगा...वो अपने काम मे बिज़ी थी....तभी रूम मे पड़ा हुआ मेरा मोबाइल बजने लगा....मे चेयर से उठ कर रूम मे गया और मोबाइल उठा कर देखा तो मम्मी का फोन था....मे मम्मी पापा और छोटे भाई के साथ बातें करने मे बिज़ी हो गया...

करीब 20 मिनिट बात करने के बाद जब मे बाहर आया तो देखा कि, वीना नीचे जा चुकी थी.....उसकी छत पर एक सिरे से दुरसे सिरे तक जो तार कपड़े सुखाने के लिए बाँध रखी थी....वो पूरी भरी हुई थी....और तार पर और जगह ना होने के कारण उसने कुछ कपड़े दोनो घर के बीच वाली बाउंड्री पर डाल दिए थे.....

और उसी बाउंड्री पर उसकी वो साड़ी भी थी....जो उसने कल रात पहनी हुई थी...मेने कुछ देर और देखा पर वीना ऊपर नही आए तो मे जैसे ही वापिस अपने रूम मे जाने लगा तो मेरा ध्यान उस साड़ी के नीचे पड़ी हुई चीज़ पर गया....जैसे ही मैने साड़ी को थोड़ा सा ऊपर उठाया तो मेरे लंड ने शॉर्ट मे ज़ोर का झटका खाया....नीचे उसकी काले रंग की ब्रा और पैंटी पड़ी हुई थी....मैने उसकी छत की तरफ देखा और थोड़ा सा घबराते हुए उसकी ब्रा को उठा कर देखा तो उस पर साइज़ का टॅग लगा हुआ था.....36 डी क्या बड़े-2 मम्मे हैं मेरे दोस्त....

फिर मैने उसकी पैंटी को उठा कर कुछ देर देखा और फिर वही वापिस रख दी....मे वीना के बारे मे कुछ ज़्यादा जानता नही था....पर मुझे ऐसा लग रहा था कि, वीना एक बहुत ही समझदार औरत है....और अपनी मान मर्यादा मे रहने वाली औरत है....मैने उसको पहले कभी घर के बाहर या छत पर नही देखा था....मुझे लग रहा था कि, शायद मे उसे पाने मे नाकामयाब हो जाउन्गा......
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

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मेने उसकी ब्रा और पैंटी वैसे ही साड़ी के नीचे रख दी और अपने रूम मे चला आया...और फिर सो गया....2 घंटे बाद जब मेरी आँख खुली तो मे उठ कर बाहर आया...तो देखा कपड़े अभी भी कुछ गीले थे और ऊपर छत पर ही थे....क्योंकि सर्दियाँ अब शुरू हो चुकी थी...इसीलिए धूप कम तेज होने के कारण कपड़े देर से सुखते थे.... मे वही दीवार के पास चेयर पर बैठ गया.......

मे जानता था कि, अगर मेरे जल्द ही कुछ नही किया तो.....मुझे वीना से बात करने के लिए भी मोका ढूँढना मुस्किल हो जाएगा...क्योंकि कल उसके पति को घर छोड़ा था....तो इसका मतलब ये नही था कि, वो उस बात को लेकर बार- 2 मेरा शुक्रिया अदा करने के बहाने से बात करे....और वीना के नेचर को देख कर भी ऐसा लग रहा था....कि वो बिना किसी वजह से कम ही बात करती होगी.....

अचानक बैठे-2 मेरे दिमाग़ मे कुछ आया....और मेने उठ कर उसकी साड़ी के नीचे वो ब्लॅक कलर की ब्रा और पैंटी निकाली और अपनी छत की तरफ दीवार के पास नीचे फेंक दी.....और फिर से चेयर पर बैठ गया....और अपने सामने रखे हुए स्टूल पर अपने पैर उठा कर रख कर पीछे की तरफ अपनी पीठ टिका कर अपनी आँखे बंद करके लेट गया...और सोने की आक्टिंग करने लगा.....अब मेरे पास वेट करने के अलावा और कोई चारा नही था...और जब तक वीना ऊपर कपड़े लेने नही आ जाती तब तक मे वहाँ से हिल भी नही सकता था.....

मेरी चेयर से कुछ ही दूरी पर उसकी ब्रा और पैंटी नीचे पड़ी हुई थी.....और मे उसके ऊपर आने का वेट कर रहा था....इंताजार काफ़ी लंबा हो गया था…..पर कहते है ना सबर का फल मीठा होता है और उसी कहावत को याद करके मे वहाँ बैठा हुआ था…..करीब 1 घंटे बाद मुझे उसकी सीडीयों से किसी के ऊपर आने की आहट सुनाई डी….मैने उस तरफ देखा तो वीना छत पर आ चुकी थी….मैने उसी पल अपनी आँखे बंद कर ली…..वो तार पर से कपड़े उतारने लगी….अब मे वेट कर रहा था कि, कब वो बाउंड्री पर रखे हुए कपड़े उठाने आए…..

और जिस पल का मुझे बेसबरी से इंतजार था….वो आ ही गया….वो बाउंड्री के पास और कपड़े उतारने लगी….उसने सारे कपड़े उठा लिए थे….पर जैसे ही उसका ध्यान मेरे घर की तरफ नीचे गिरी हुई उसके ब्रा और पैंटी पर गया तो वो कुछ पल के लिए ठहर गयी….वो झुक कर अपनी ब्रा और पैंटी नही उठा सकती थी….क्योंकि साढ़े 4 फीट की बाउंड्री के दूसरी तरफ खड़े होकर झुक कर अपनी ब्रा और पैंटी उठाना उसके लिए ना मुनकीन था…..या तो वो मुझे आवाज़ देती और मुझे अपनी ब्रा और पैंटी जिसे वो अपनी चूत और मम्मों के ऊपर से पहनती थी….और मुझे उठाने के लिए कहती….

और या फिर वो खुद इस तरफ दीवार फाँद कर आती और खुद ही उठाती….पर क्योंकि मे ठीक उसी बाउंड्री के पास चेयर पर बैठा सोने की आक्टिंग कर रहा था….इसलिए उसे दीवार फान्दने की भी हिम्मत नही हो रही थी…..तभी उसने मुझे धीरे से पुकारा…..”सुनिए…..”

मे वैसे ही आँखे बंद करके लेटा रहा…

.”सुनिए…..” इस बार उसने थोड़ा उँचे स्वर मे कहा तो मैने ऐसे दिखाया जैसे मे अभी नींद से जागा हूँ….मैने उसकी तरफ देखा और चेयर से खड़े होते हुए पूछा….”जी कहिए…” मे जान बुझ कर नीचे की तरफ नही देख रहा था….

वीना: वो मेरी साड़ी नीचे गिर गयी है…..पकड़ा दीजिए ना….

मेने नीचे की तरफ देखा और मन ही मन उसके दिमाग़ की दाद दी….साली ने ब्रा और पैंटी के ऊपर जानबूज कर अपनी साड़ी फेंक दी थी…..कि जब मे उसी साड़ी उठा कर पकड़ा दूं तो साथ मे उसके ब्रा और पैंटी भी आ जाएगा…पर दिमाग़ लड़ाने मे तो मैं उसका भी उस्ताद था…मे साड़ी के पास गया और झुक कर साड़ी को ऐसे पकड़ा कि, साथ मे उसकी ब्रा और पैंटी ना आए…फिर मैने साड़ी उठाते ही ऊपर की तरफ फेस कर लिया…

और ऐसे दिखाया कि नीचे छूट गयी ब्रा और पैंटी मैने देखी ही ना हो….मैने उसकी तरफ साड़ी को बढ़ाया तो देखा कि उसके चेहरे पर अजीब से भाव थे. और वो थोड़ा शरमा भी रही थी….अब उसके पास और कोई चारा नही था….”जी वो भी उठा दीजिए….” उसने इशारा करते हुए कहा….जब मैने नीचे देखा तो उसकी ब्रा और पैंटी को देख कर अपने चेहरे पर भी ऐसे भाव ले आया….जैसे मे उसे देख कर नर्वस हो गया होऊ…..

मैने पहले उसकी ब्रा को उसके स्ट्रॅप्स से पकड़ कर उठाया और उसकी तरफ बढ़ाया….तो उसने अपनी नज़रें झुकाते हुए ब्रा को मेरे हाथ से पकड़ लिया…और अपने दूसरे हाथ मे पकड़ी हुई साड़ी के नीचे छुपा लिया….अब उसके चेहरे पर शरम के मारे मे जो लाली आई थी वो सॉफ दिखाई दे रही थी….पर उसके होंठो पर कोई मुस्कुराहट नही थी….फिर मैने झुक कर उसकी पैंटी को उठाया….मैने पैंटी को नीचे से पकड़ा था…जिस हिस्से से चूत ढँकती है…उस हिस्से के बीच मे अपनी उंगली फँसा कर उठाते हुए उसके चेहरे के सामने ले आया…मेरी उंगली उसकी पैंटी के अंदर उस जगह थी….जहाँ पर उसकी वो पैंटी उसकी चूत के छेद को ढँकती होगी…

अपनी पैंटी को मेरे हाथ की उंगली मे ऐसे लटकते हुए देख उसका चेहरा और लाल हो गया….और उसने अपने सर को झुकाते हुए पैंटी की तरफ हाथ बढ़ाया…मे उसके चेहरे और उसके होंठो को बड़े गोर से देख रहा था….तभी मुझे उसके होंठो पर हल्की सी शर्माहट भरी मुस्कान नज़र आई..और अगले ही पल उसने अपनी पैंटी को पकड़ कर जल्दी से साड़ी के नीचे कर दिया….फिर उसने एक बार मेरी तरफ देखा तो मे मुस्कराते हुए उसकी ओर देख रहा था….उसके होंठो पर भी मुस्कान फैल गयी…और अगले ही पल वो तेज़ी से मूड कर नीचे के तरफ चली गयी…..
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

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