ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete

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jay
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

pongapandit wrote: 21 Sep 2017 13:14 Nice update
Smoothdad wrote: 21 Sep 2017 20:43 शानदार अपडेट।
mastram wrote: 22 Sep 2017 12:03 super hot update
thanks all
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

मे: यार मे सोच रहा था….कि अगर तुम बुरा ना मानो….तो क्या तुम्हारी पत्नी मेरे लिए सुबह का नाश्ता और रात का खाना बना सकती है….मतलब कि उन्हे खाना बनाने के लिए मेरे घर आने की ज़रूरत नही है…जो भी आपके घर मे बनता है…वो साथ मे मेरे लिए भी बना लिया करे…उसके बदले मे जो मेरे खाने का खरचा होगा वो मे आपको दे दूँगा…महीने के महीने…..

कमलेश: अगर घर पर खाना बनाना है तो कोई दिक्कत नही….मे आज जाते ही बोल दूँगा…..

उसके बाद दारू ख़तम करने के बाद मे और कमलेश घर पर आ गये….मे भी थोड़ा नशे मे था…..इस लिए रास्ते मे खाना ढाबे पर ही खा लिया और फिर रात को 10 बजे घर पहुँचा और फिर पता नही नशे मे कब सो गया….अगली सुबह जब उठा तो रूटीन के मुताबिक मे बाहर आकर ब्रश करने लगा…..कमलेश भी बाहर ही था….वो मेरे पास आया….

कमलेश: तुषार भाई मैने आपकी भाभी को कह दिया है….वो आपका नाश्ता और रात का खाना बना दिया करेगी…

मे: बहुत -2 मेहरबानी आपकी कमलेश भाई….

कमलेश: कोई बात नही तुषार भाई आप बेगाने थोड़े ही हो…..

कमलेश ने अपना पन दिखाते हुए कहा….”अच्छा आप का नाश्ता भिजवा दूं…..” उसने मेरी ओर देखते हुए कहा…

.”नही भाई मे नाश्ता 9 बजे के पास करता हूँ..थोड़ी देर बाद…..”

कमलेश: ठीक है मे तो ड्यूटी जा रहा हूँ….वीना को बोल देता हूँ….

मे: ठीक है भाई….

उसके बाद मे अंदर आया फ्रेश हुआ….शवर लिया…और फिर बाहर अपनी चेयर लगा कर बैठ गया…आज मे मन ही मन बहुत खुश था..जैसे मैने सोचा था….वैसे-2 मे अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था….अभी मे कुछ ही देर बैठा था….मुझे वीना के घर की सीडीयों से किसी के ऊपर चढ़ने की आवाज़ सुनाई दी….मैने सीडीयों की तरफ देखा तो वीना ऊपर आ रही थी….वीना दीवार के पास आई….और दीवार पर अपने दोनो हाथ रखते हुए बोली….”आपका नाश्ता ला दूं…..”

मैने वीना की तरफ देखा तो उसके होंठो पर हल्की सी मुस्कराहट थी…..

मे: हां ला दीजिए….(मे चेयर से खड़ा हो गया…और दीवार के पास जाकर खड़ा होकर उसकी तरफ देखने लगा…..)

मे: आपको एक बात कहूँ….

वीना: जी….

मे: आपकी उम्र कितनी है….?

वीना: (मेरा ऐसा सवाल पूछने से वो थोड़ा सा चोंक गयी…)जी क्यों….

मे: वो दरअसल आपको देखने से लगता नही है कि, आपकी इतनी बड़ी बेटी है और बेटा भी है….और कमलेश भाई की एज तो बहुत ज़्यादा लगती है आपसे…..

वीना: (शरमाते हुए) जी 33 साल…..

मे: (चोन्कने का नाटक करते हुए) क्या 33 साल पर आपकी बेटी तो….

वीना: जी वो हमारे यहाँ लड़कियों की शादी जल्दी ही कर देते है…..

मे: ओह्ह अच्छा….वैसे आप दिखाने मे 33 की भी नही लगती…ऐसा लगता है कि आपकी उम्र ज़्यादा से ज़्यादा 25 साल के होगी…..

वीना: (वीना के चेहरे का रंग अपनी तारीफ सुनते हुए शरम से लाल हुआ जा रहा था….ख़ासतोर पर जब तारीफ करने वाला लड़का मेरे जैसा हॅंडसम और जवान हो…) जी काहे को झूट बोल रहे हो आप…हम कहाँ से जवान दिखाई देते है…..

मे: (वीना की चुचियों की तरफ घुरते हुए) हर तरफ से आप जवान ही तो दिखाई देती हो…..

वीना जान चुकी थी कि, मेरा इशारा किस ओर है….और ये बात जानते ही उसके गाल एक दम टमाटर की तरह लाल होकर दहकने लगे थे…..”मे आपका नाश्ता लेकर आती हूँ….” वीना शरमाते हुए जल्दी से नीचे चली गयी…

.मे फिर से बैठ गया और उसके वापिस आने का इंतजार करने लगा…..थोड़ी देर बाद वो हाथ मे नाश्ते की थाली लिए ऊपर आई…..वो अभी भी शर्मा रही थी….वो दीवार के पास आकर खड़ी हो गयी… मैने उसके चेहरे को ध्यान से देखा…..उसके बाल बिखरे हुए थे….शायद सुबह से काम मे लगी हुई थी…..

इसलिए खुद को सँवारने का मोका ही नही मिला होगा उसे….मे खड़ा हुआ और उसके हाथ से नाश्ते की थाली पकड़ ली…”अच्छा आपका बेटा तो स्कूल जाता है…पर आपकी बेटी स्कूल नही जाती…क्यों….?” मेरी बात सुन कर वो चुप हो गयी….फिर कुछ देर सोच कर बोली…”वो दरअसल हम अभी गाओं से आए है ना….तो इस साल बेटी का दाखिला नही करवा सके….*** क्लास तक पिछले साल पढ़ी है…अगले साल इसका भी दाखिला करवा देंगे….”

मैने गोर किया कि, ये कहते हुए उसका चेहरा कुछ बुझ सा गया था….फिर वो वापिस जाने के लिए मूडी, तो उसने अपने दोनो हाथो को सर के पीछे लाते हुए अपने बालो को खोला और फिर उन्हे इकट्ठा करते हुए उन्हे बांधने लगी….एक पल के लिए मैने उसके खुले हुए बालो को देखा….उसके बाल उसके नितंबों तक लंबे थे….और उसकी पीठ पर खुले हुए बाल बहुत अच्छे लग रहे थे….”सुनो….” मैने पीछे से आवाज़ दी….तो वो मेरे पास आ गयी…..”जी और कुछ चाहिए क्या…” उसने थाली मे देखते हुए कहा

…”नही और कुछ नही चाहिए…वो मे कहना चाहता था कि, आप अपने बाल खुले ही रहने दें…...आप के बाल खुले हुए बहुत अच्छे लगते है आप पर…..”

मेरे बात सुन कर वो फिर से शरमाते हुए मुस्कराने लगी…और मूड कर नीचे जाते हुए अपने बालो को बांधने लगी…उसने पलट कर मुझे नही देखा और नीचे चली गयी…तभी मुझे विक्रांत की कॉल आई….जिससे मुझे विशाल ने पिछली रात मिलवाया था….उसने मुझे बताया कि उसने एक छोटा सा नॉवेल मुझे मेल कर दिया है…और अगर हो सके तो मे उसको आज शाम 5 बजे तक उसको हिन्दी मे टाइप करके वापिस मेल कर दूं…मैने नाश्ता किया और अपने रूम मे जाकर पीसी ऑन किया और बैठ कर उसके नॉवेल को हिन्दी मे टाइप करने लगा….

अब तक मे वीना के नेचर को काफ़ी हद तक जान चुका था…..वीना उन औरतों मे से नही थी कि, जो जल्द ही किसी के पास चली जाए…..और मे ये भी जानता था कि, अब वो तब तक ऊपर नही आएगी….जब तक कोई ज़रूरी काम नही होगा…क्योंकि वो खाली बर्तन नीचे ले जा चुकी थी….इसीलिए मेने अपना काम शुरू कर दिया….और शाम 5 बजे तक काम निपटा दिया और विक्रांत को मेल भी कर दी….काम निपटाने के बाद मे रूम से बाहर आया….

वीना छत पर थी….वो नीचे छत के फरश पर चटाई बिछा कर बैठी हुई थी. साथ मे उसका बेटा भी था…जिसे वो उसके स्कूल का होमवर्क करवा रही थी…पर एक बात जो मैने नोटीस की….वो देख कर मेरा दिल ख़ुसी से उछल पड़ा…वीना सुबह के मुकाबले काफ़ी फ्रेश लग रही थी…शायद काम निपटा कर उसने नाहया होगा…उसने बाल भी धोए हुए थे और उसके बाल भले ही अब सुख चुके थे….पर उसने अपने बालो को बाँधा नही था……उसके माथे पर उसकी लटे बार-2 हवा से उड़ कर आ रही थी…..उसने अपने चेहरे से अपने बालो को हटाते हुए जैसे ही मेरी तरफ देखा तो उसके होंठो पर हल्की से मुस्कान फैल गयी….

मे बाहर गली वाली बाउंड्री पर खड़ा होकर नीचे गली मे देखने लगा…और बीच-2 मे उसकी तरफ देखता…कभी-2 हम दोनो की नज़रें आपस मे टकरा जाती. तो अपनी नज़रें झुका कर अपने बेटे की कॉपी मे देखते हुए काम करवाने लग जाती…थोड़ी देर बाद नीचे उसकी बेटी अनु की आवाज़ आई…..” मम्मी चाइ बन गयी है…” वीना उठ कर चली गयी….मैने अभी तक गोर से उसकी बेटी को नही देखा था…मे वहाँ खड़ा सोच रहा था कि, वीना की बेटी भी उसकी तरह कयामत होगी….थोड़ी देर बाद वीना दो कप चाइ लेकर ऊपर आई….और मेरी तरफ बढ़ी….”चाइ पी लीजिए…”
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा….मे उसकी तरफ बढ़ा और उसके हाथ से चाइ कप लेते हुए हल्का सा उसके हाथ को टच कर दिया…वो थोड़ा सा सकपकई…पर वही खड़ी रही…मैने चाइ का कप पकड़ा और उसके चेहरे की तरफ देखते हुए बोला… “देखा मैने कहा था ना….आप खुले हुए बालो मे बहुत खूबसूरत लगती हो…सच आप बहुत बहुत खूबसूरत लग रही हो….”

वीना नीचे नज़ारे झुका कर मुस्कराने लगी….अब मुझे अपनी गाड़ी सही पटरी पर दौड़ती हुई नज़र आ रही थी….पर अभी भी हम दोनो के बीच मे एक झिझक थी.. एक ऐसा बंधन था….जिसको हम आसानी से लाँघ नही सकते थी…मैने अपनी तरफ से एक और तारीफ का तीर छोड़ा….पर इस बार तीर ग़लत छोड़ दिया था…उसका खिला हुआ चेहरा एक दम से बुझ सा गया था….”कमलेश भाई कितने किस्मत वाले है…जो उनको आप जैसी अप्सरा जैसे पत्नी मिली….कमलेश भाई तो आपको बहुत प्यार से रखते होंगे…”

उसने एक बार मेरी तरफ देखा तो मुझे अहसास हुआ कि शायद मेने कुछ ग़लत कह दिया हो…वो बेचारी बुझे से मन के साथ फिर से अपने बेटे के पास जाकर बैठ गयी. पर मेरे दिमाग़ मे अब हज़ारो सवाल थे….कि आख़िर मैने ऐसी कॉन सी बात कह दी है…जिसका उसे इतना बुरा लग गया है….खैर अब मुझे उस अहाते पर फिर से जाना था….क्योंकि वीना को पाने के लिए मुझे कमलेश को अपने विश्वास मे लेना बहुत ज़रूरी था….


इस लिए मे रात को तैयार होकर वहाँ पहुँच गया…थोड़ी देर वेट करने के बाद कमलेश भी आ गया….मेरे दिमाग़ मे कई सवाल थे….जिसका जवाब मैने ढूँढना था…कमलेश और मे अब एक-2 पेग पी चुके थे…और कमलेश का एक पेग मेरे 3 पेग के बराबर होता था….और दोस्तो आप तो जानते ही हो कि, दारू के नशे मे इंसान सब कुछ बक देता है…..मैने भी इस बात का फ़ायदा उठाने की सोची…पर मे सतर्क भी था…मे जानता था कि कमलेश कितना बड़ा पियाक्कड आदमी है…

और उसे अब नशे की आदत हो चुकी है….शायद वो नशे की हालत मे सब सोचने समझने की कुब्बत रखता हो….इसलिए मुझे अपने सवालो को बड़े ध्यान से चुन -2 कर उसे पूछना था कि, उसे ना तो गुस्सा आए और ना ही किसी तरह का शक हो.

मे: कमलेश भाई आप क्या काम करते है….?

कमलेश: तुषार भाई मे एक प्रिटिंग फॅक्टरी मे काम करता हूँ…वहाँ पर टी-शर्ट्स पर प्रिंटिंग का काम होता है…..

मे: ओह्ह फिर तो आपको अच्छी सॅलरी मिलती होगे….

कमलेश: कहाँ भाई…..7000 हज़ार रुपये महीना मिलता है…भला कोई बताए हमारे मालिकों को कि आज कल के जमाने मे 7000 र्स मे क्या होता है….

मे थोड़ी देर चुप रहा…और सोचने लगा कि, साला कमाता तो 7000 है…और उसमे से आधी से ज़्यादा सॅलरी तो दारू मे उड़ा देता है……इसका मतल्ब घर मे पैसो की दिक्कत रहती है….इसलिए शायद वीना अनु को स्कूल मे अड्मिशन नही दिलवा पायी…मेने कुछ और दो चार बातें पूछी…फिर हम घर को चल पड़े….आज भी कमलेश ने ज़्यादा ही पी ली थी…मे घर पहुँचा तो सीधा ऊपर आया….जल्दी से चेंज किया…तो मुझे बाहर से वीना की आवाज़ सुनाई दी….

वो खाना देने ऊपर आई थी…मे उसके पास गया…और उसके हाथ से खाने की थाली ली….तभी नीचे से कमलेश की आवाज़ आई….”अर्रे ओ हरामजादी कहाँ रह गयी…जल्दी नीचे आ मुझे बहुत भूख लगी है….” इस बार बेचारी वीना अपनी पति की इस हरक़त बेहद शर्मिंदा सी हो गयी…

.”ये इंसान पागल है क्या…इतनी रात को इस तरह अपने घर मे कोई चिल्लाता है क्या,…..” मैने वीना की तरफ देखते हुए कहा

…”आप छोड़िए ना….ये तो इनका रोज का काम है….आप खाना खा लीजिए….बर्तन मे सुबह ले जाउन्गी…” वीना वापिस मूडी और नीचे चली गयी….

.”मैने खाना खाया और सो गया…” अगली सुबह भी सेम रूटीन था….सुबह-2 ही विक्रांत का फोन आ गया….उसने कुछ और नॉवलेस भेजे थे… सुबह 9 बजे वीना ऊपर नाश्ता देने के लिए आई तो मैने गोर किया कि, पिछले दिनो के मुकाबले उसके पहनावे मे बहुत फरक आ चुका था….

अब वो अच्छे से तैयार होती थी….हल्का सा शृंगार भी किया होता था…साड़ी भी रोज बदल कर पहनने लगी थी…और ये सब क्यों है वो मे भी जानता था…नाश्ता देने के बाद वो मूडी और नीचे जाने लगी…फिर कुछ कदम चल कर वो रुक गयी. और पलट कर मेरी तरफ देखते हुए बोली….”आपको खीर तो पसंद है ना…..”

मेने उसकी तरफ मुस्करा कर देखते हुए कहा…

मे: हां पसंद है क्यों….?

वीना: वो मे खीर बना रही थी…इसलिए आप से पूछा….आप खाएँगे ना…

मे: हां क्यों नही आप इतनी मेहनत से बनाए और हम खाने से मना कर दें. ये हो सकता है क्या…. पर एक शर्त पर…..

वीना: (मेरी तरफ सवालिया नज़रो से देखते हुए) जी क्या….?

मे: आप भी मेरी साथ खाएँगी…..

वीना: (मुस्कराते हुए) आपके साथ पर….

मे: क्यों क्या हुआ….आप यही ऊपर ले आना…वहाँ चटाई पर बैठ कर खा लेंगे..

वीना: (इधर उधर देखते हुए) पर सब इस समय अपने घर की छतो पर धूप सेंक रहे है…किसी ने देख लिया तो बाते करेंगे….

मे: तो फिर क्या हुआ….हम चोरी थोड़ा ही ना कर रहे है….(हम दोनो के मन मे पाप था….इसलिए वीना थोड़ा झिझक रही थी……)

वीना: आप यही छत से नीचे आ जाए…..(उसने नज़रें झुकाते हुए कहा…..)

मे: क्या नीचे वो आपकी बेटी…..

वीना: वो अपनी मौसी के पास उसके घर गयी है….यही पिछली गली मे मेरी बड़ी बेहन किराए पर रहती है…..पहले हम वही रहते थे….एक महीना वही रुके… फिर जगह कम होने के कारण ये मकान किराए पर ले लिया….

मे: तो इसका मतलब कि घर मे कोई नही है…..

वीना: (उसने मेरी तरफ बड़ी अजीब से नज़रो से देखा…..जैसे आँखो से पूछ रही हो.. कि आख़िर तुम चाहते क्या हो….? क्या तुम भी वही चाहते हो…..जो मे चाहती हूँ..) जी नही है…..आप थोड़ी देर बाद आ जाना…..

ये कह कर वीना नीचे चली गयी….उसकी आख़िरी कही लाइन के मायने मे अच्छी तरह समझता था….उसके दिल मे भी वही जज़्बात थे कि वो ग़लत कर रही है….इसलिए वो नही चाहती थी कि, कोई हमे देखे….और मे भी नही चाहता था कि, गली मोहल्ले मे किसी को पता भी चले…..मे वापिस चेयर बैठ गया…और नाश्ता करने लगा… नाश्ता ख़तम करने के बाद में चेयर से उठा चारो तरफ देखा…आसपास के घरो की छतों पर कोई ना था…..

मैने बर्तनो को दीवार पर रखा और वो दीवार फाँद कर उसके छत पर आया…फिर बर्तन उठाए और तेज़ी से सीडीयों की तरफ बढ़ने लगा….ये सब करते हुए मेरा दिल बहुत जोरो से धड़क रहा था….जब तक मे उसके घर की सीडीयों से कुछ नीचे नही उतरा…..मेरी साँस मेरे हलक मे अटकी रही…..जब मे सीडीयाँ उतार कर नीचे आया तो मेरी जान मे जान आई…..मे इस तरह किसी के घर मे चोरों की तरह पहली बार घुस रहा था….
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