ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete

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jay
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

mastram wrote: 17 Oct 2017 08:48gr8 going
Ankit wrote: 17 Oct 2017 08:55 एक दम मस्त कहानी है
rajaarkey wrote: 17 Oct 2017 09:21 maza aa gaya Jay pazi
kunal wrote: 17 Oct 2017 21:51 Hot update hai mitr
xyz wrote: 18 Oct 2017 13:26nice update bhai
thnx to all friends
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

अनु का बदन एक बार कुछ पलों के लिए ऐसे कांपा मानो जैसे उसके बदन में करेंट का झटका लग गया हो….उसकी चूत ने अंदर-2 ही मेरे लंड को निचोड़ना शुरू कर दिया….मेने भी पूरे जोश में आते हुए ऐसे-2 शॉट मारे कि अनु मेरे बदन से काँपते हुए लिपट गयी…और अनु की चूत के पानी से मेरे लंड के अंदर से निकल रही बौछारो का मिलन शुरू हो गया…..

में अनु के ऊपर से उठा और अपना लंड बाहर निकाल कर देखा तो, उस पर अनु की चूत की सील टूटने से निकला खून और हम दोनो का कामरस लगा हुआ था…इससे पहले कि अनु की नज़र उस पर पड़ती, मैने उसे लेटे रहने को कहा, और अपनी पेंट की पॉकेट से अपना रुमाल निकाल कर अपने लंड और उसकी चूत को अच्छे से सॉफ किया. और फिर से रुमाल को पेंट की पॉकेट में डाल लिया….में अनु के बगल में लेट गया… शाम के 4 बज चुके थे…..दिल तो कर रहा था कि, एक बार फिर से अनु को चोदु… पर कुछ सोच कर मैने ऐसा नही किया….

में चारपाई से नीचे उतरा और अपने कपड़े पहनने लगा….अनु मेरी तरफ हैरानी भरी नज़रों से देख रही थी….शायद वो भी फिर से चुदने को बेकरार थी. होती भी क्यों ना…आज उसे पहले बार चुदाई का सुख जो मिला था…दोस्तो आप तो जानते ही हो कि ये लत कैसी है…अगर किसी कुँवारी कमसिन लड़की की अच्छे तरह से ठुकाई कर दो….और वो पहली ही चुदाइ में झड भी जाए तो, उसके अंदर की आग किस तरह भड़क जाती है…वो उस चरम सुख को बार-2 पाना चाहती है…. यही हाल अनु का भी हो रहा था…उसका बस नही चल रहा था…..नही तो वो मुझे खुद चारपाई पर पटक कर मेरे लंड पर सवार हो जाती….

पर मे यही तो चाहता था कि, अनु की चूत की आग और भड़क उठे….वो बेमन से उठी और अपने कपड़े पहनने लगी….फिर कपड़े पहन कर वो बाथरूम में चली गयी….जब आई तो उसके हाथ और फेस गीला था…शायद मुँह धो कर आई थी… उसने सर झुका कर मुस्कराते हुए मुझसे चाइ के लिए पूछा….तो में मना कर दिया. फिर में जब ऊपर जाने लगा तो, वो भी सीडीयों तक ऊपर आई…..ऊपर सीडीयों के डोर के पास जाकर मैने अनु को बाहों में भर कर उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया…वो तो शायद इस पल का इंतजार कर रही थी,…..वो बिना विरोध के मेरी बाहों में समा गयी….

मैने कुछ देर उसके रसीले होंठो को चूसा और फिर अपने होंठो को उसके होंठो से अलग करते हुए कहा….” आज रात को तैयार रहना…..” तो वो मेरी बात सुन कर थोड़ा सा घबराई और मेरी तरफ देखते हुए बोली….”रात को…?”

मे: हां क्यों क्या हुआ….?

अनु: वो मम्मी……

मे: तो क्या हुआ….जब वो चुदवाती है तो तुम भी तो होती हो…..

अनु: पर में कैसे….

मे: और अगर तुम्हारी मम्मी खुद कहे तो…

अनु: नही मुझसे नही होगा…..आप प्लीज़ मम्मी को कुछ मत कहना…

मे: तुम घबराव नही….वो तुम्हे कुछ नही कह सकती…तुम तैयार रहना…

उसके बाद में अपने घर की छत पर आ गया…..शाम 6 बजे वीना ऊपर छत पर आई तो, मैने उसे सारी बात बताई….उसकी आँखो में अजीब सी चमक थी…जब मैने रात के बारे में उसे बताया तो, वो थोड़ी आना कानी करने के बाद मान गयी…….मेरे तो पाँव ज़मीन पर ही नही लग रहे थे….खैर जैसे तैसे रात हुई, और वीना ऊपर आई…..मुझे ये बताने के लिए उसका पति जॉब पर चला गया है…तो मे उसके साथ उसके घर नीचे आ गया….खाना खाया और फिर जब मे हाथ धोने के लिए बाहर बाथरूम में आया तो, वीना भी मेरे पीछे आ गयी…

और मग में पानी लेकर मेरे हाथ धुल्वाने लगी….उसने एक बार बाहर की तरफ झाँका और फिर धीरे से फुसफुसा कर बोली….”तुषार अगर उसने मना कर दिया तो,” में उसकी बात सुन कर मुस्कराने लगा….”नही करेगी…..”

वीना: तुषार मुझे यकीन नही है…तुम ऐसा करो….तुम उसे अभी पीछे स्टोर रूम में लेजाओ…और शुरू हो जाओ…में बाद में बर्तन सॉफ करके आती हूँ. ऐसे तो वो मेरे सामने कभी नही मानेगी….

मे: ठीक है…अगर तुम्हे ऐसा ही अच्छा लगता है तो यही सही….

मेने हाथ धोए और रूम में पहुँचा…अनु वहाँ चारपाई पर लेटी हुई टीवी देख रही थी….उसने मुझे देख कर शरमाते हुए मुझसे नज़रें चुरा ली….मे उसकी तरफ देखता हुआ स्टोर रूम में चला गया….और फिर बाहर आकर अनु को कहा… “अनु वो अंदर पानी नही है…एक जग में पानी डाल कर ले आओ….” वो मेरे बात सुन कर उठ कर बाहर चली गयी….मे स्टोर रूम में अंदर आकर नीचे बिछे बिस्तर पर बैठ गया….

दोस्तो आख़िर वीना क्यों चाहती थी कि, में उसके सामने ही उसकी बेटी अनु को चोदु ये सब मुझे बहुत बाद में पता चला…दरअसल उस दिन से कुछ दिन पहले अनु और वीना के बीच किसी बात को लेकर कहा सुनी हो गयी थी….और अनु ने अपनी माँ वीना को धमकी दी थी कि, वो मेरे और उसके बारे में सब अपने पापा को बता देगी…उसी दिन से वीना ने ये सोच लिया था कि, अगर उसे घर में ही मज़ा लेना है. और मुझसे अपने संबंध कायम रखने है तो, उसे अनु को बीच में लाना ही होगा….यही कारण था कि, वीना ये सब कर गुजरने के लिए तैयार हो गयी थी… ये सारी बातें मुझे वीना ने बाद में बताई थी….

तो मे वहाँ बैठा अनु के अंदर आने का इंतजार कर रहा था…थोड़ी देर बाद अनु एक हाथ मे पानी का जग और एक ग्लास लेकर अंदर आई, और एक साइड में पड़े संदूक के ऊपर रख कर जैसे ही वापिस जाने लगी…तो मैने उठ कर उसका हाथ पकड़ लिया…और उसे अपनी तरफ खींचते हुए अपनी बाहों में भर लिया…. अनु मेरी बाहों में आते ही कसमसा उठी…..और काँपती हुई आवाज़ में फुस्फुसाइ “माँ मम्मी आ जाएगी छोड़िए ना….”

अनु की सखत चुचियाँ मेरी चेस्ट में धँसी हुई थी…जिसे महसूस करके मेरा लंड मेरे शॉर्ट मे कुलाँचे मारने लगा था. “नही आएगी…मैने उसे समझा दिया है….” मैने उसकी कमर को अपने हाथो से सहलाते हुए कहा….

तो अनु मेरी तरफ हैरानी भरी नज़रों से देखने लगी….मैने अपने हाथो को उसकी कमर से सरकाते हुए उसके चुतड़ों की तरफ लेजाना शुरू कर दिया…और जैसे ही मेरे हाथ उसके चुतड़ों पर पहुँचे तो, मैने उसके मांसल चुतड़ों को अपनी हथेलयों में भर कर दबोचते हुए मसलना शुरू कर दिया…..मेरे ऐसा करने से अनु का पूरा बदन बुरी तरह से कांप गया…उसकी आँखे मदहोशी में बंद होने लगी थी…पर शायद वो वीना की वजह से डर रही थी….मैने उसकी पीठ को पीछे दीवार के साथ लगा दिया…और फिर उसके दोनो हाथो को पकड़ कर उसके सर के ऊपर लेजाते हुए दीवार से सटा दिया….और फिर अगले ही पल मैने उसके रसीले गुलाबी होंठो को अपने होंठो में लेकर चूसना शुरू कर दिया….

मे कभी उसके नीचे वाले होंठ को चूस्ता तो कभी उसके ऊपर वाले होंठ को….मेरा लंड मेरे शॉर्ट मे तना हुआ उसकी जाँघो के बीच रगड़ खा रहा था….और में अपनी कमर को हिलाते हुए, उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ने की कॉसिश कर रहा था….और बीच-2 में जब लंड उसकी सलवार के ऊपर से चूत पर रगड़ ख़ाता तो, वो एक दम से कांप जाती….और उसकी कमर आगे की तरफ ऐसे झटका खाती…..जैसे वो खड़े-2 ही खुद मेरे लंड को अपनी चूत में लिए हुए अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही हो…..



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Re: ज़िद (जो चाहा वो पाया)

Post by jay »

अनु ने भी अब मेरा साथ देना शुरू कर दिया….और वो अपने होंठो को खोल कर मुझसे चुसवा रही थी…मैने मोका फ़ायदा उठाते हुए अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी सलवार का नाडा खींच कर जैसे ही खोला तो, उसकी सलवार उसकी कमर से सरकते हुए उसकी जांघों तक आ गयी….फिर मैने नीचे बैठते हुए उसकी सलवार और पैंटी को एक साथ खींचते हुए उसके पैरो तक सरका दिया…और फिर उसके बदन से अलग करके, एक तरफ फेंक दिया….वो अपनी जाँघो को भींचे नीचे बिछे बिस्तर पर जा बैठी….मेने जल्दी से अपने सर कपड़े उतारे और उसके पीछे जाकर बैठते हुए उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया…..

और उसके सन्तरो जैसी चुचियों को पकड़ कर ज़ोर-2 से मसलना शुरू कर दिया…. “सीईईईईईईई अहह” अनु एक दम से सिसकी और आगे की तरफ लुड़की, पर मैने उसकी चुचियों को कस्के पकड़ा हुआ था…..अब मैने अनु की चुचियों को छोड़ा और उसकी कमीज़ और फिर ब्रा दोनो एक-2 करके उसके बदन से अलग कर दी….मेने अनु को पीठ के बल लिटाया और खुद उसके ऊपर आते हुए, उसके लेफ्ट निपल को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया……”श्िीीईईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” अनु ने सिसकते हुए दोनो हाथो से मेरे चेहरे को पकड़ लिया….नीचे मेरा लंड अनु की चूत के फांको पर रगड़ खा रहा था….मेने 5 मिनिट तक अनु की चुचियों को चूसा, और फिर अपने घुटनो के बल बैठते हुए अनु की टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपर उठा दिया….

अनु आँखे बंद किए हुए सिसक रही थी….जैसे ही मैने अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत के छेद के साथ लगाया, तो उसके बदन ने एक तेज झटका खाया…. और वो सिसक पड़ी….में कुछ देर रुका और फिर एक ज़ोर दार झटका मारा तो मेरे लंड का सुपाडा उसकी टाइट चूत के छेद को फैलाता हुआ अंदर घुसता चला गया…मेरा आधे से ज़यादा लंड उसकी चूत में उतर चुका था….इस धक्के से अनु एक दम से चीख उठी…और अगले ही पल मैने झुक कर अनु के होंठो को अपने होंठो में लेकर एक और जोरदार शॉट मारा….इस बार मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में उतरता चला गया…

अनु की चूत एक दम पनियाई हुई थी….मैने अनु के होंठो को चूस्ते हुए अपने लंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…अब अनु की सिसकारियाँ हम दोनो के मुँह में घुट कर दम तोड़ने लगी थी…..में अब पूरी रफ़्तार से अपने लंड को अनु की चूत के अंदर बाहर कर रहा था…..अनु मस्त होकर मुझसे एक दम चिपकी हुई थी….तभी पीछे से कदमो की आहट सुनाई दी….मैने पीछे फेस घुमा कर देखा तो, वीना अंदर आ चुकी थी….कदमो की आहट सुन कर जैसे ही अनु ने आँखे खोल कर सामने खड़ी वीना को देखा तो, वो बुरी तरह से घबरा गयी…..और अपने सर के नीचे रखे तकिये को उठा कर अपनी चुचियों को ढँकने लागी……

वीना: छिनाल अब क्यों छुपा रही है अपने आप को….इतनी ही शरम आ रही है तो, क्यों चुदवा रही है….

वीना ने अनु के पास आकर बैठते हुए तकिये को उसके हाथो से छीन लिया….और एक तरफ फेंकते हुए बोली….”उस दिन तो मुझ पर बड़ा चिल्ला रही थी कि, पापा को सब बता दूँगी….और आज खुद ही अपनी बुर मे लंड पेलवा कर मस्त हो रही है….”

मे: छोड़ो ना वीना इसने गुस्से से में कह दिया होगा….चलो अब इस पर गुस्सा ना करो…देख तेरे बेटी की चूत कितना पानी छोड़ रही है, मेरे लंड पर…

मैने अपना लंड अनु की चूत से बाहर निकाल कर वीना को दिखाते हुए कहा…वीना ने झट से मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ लिया….और फिर अनु की आँखो में झाँकते हुए बोली….”क्यों री अब क्यों तेरी बुर इतना रस टपका रही है….उस दिन तो कहती थी कि, में गंदे काम करती हूँ….” वीना ने मेरे लंड की मूठ मारते हुए कहा…

अनु ये सब बड़ी हैरानी से देख रही थी….मैने वीना को इशारे से कपड़े उतारने के लिए कहा तो, वीना ने मेरे लंड को पकड़ कर अनु की चूत के छेद पर भिड़ा दिया… ये देख अनु की आँखे हैरानी से फैल गयी…..मेरे एक बार में जबरदस्त शॉट लगाते हुए पूरा का पूरा लंड अनु की चूत की गहराइयों में उतार दिया….”अहह श्िीीईईईईईईईईईईईई” अनु मेरे इस जबरदस्त झटके से तिलमिलाते हुए सिसक उठी……इधर वीना ने अपनी नाइटी उतार फेंकी और फिर अपनी पैंटी निकाल कर एक साइड में रख दी….

अब हम तीनो उस स्टोर रूम में नंगे थे…..अनु ने अपनी आँखे बंद कर ली थी…वो इस हाल में वीना से नज़रें नही मिला पा रही थी….मैने झुक कर अनु की राइट चुचि को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया….तो अनु ने सिसकते हुए अपनी कमर को ऊपर की तरफ उचा किया…और अगले ही पल मेरे इशारे पर वीना ने भी झुक कर अनु की लेफ्ट चुचि को मुँह में भर लिया….जैसे ही अनु को अपनी दूसरी चुचि पर भी किसी की जीभ का अहसास हुआ तो, उसने सिसकते हुए अपनी आँखे खोली और जब उसने देखा क़ी, वीना झुक कर उसके दूसरी चुचि को चुस्स रही है तो वो एक दम से चोंक गयी…उसने अगले ही पल अपनी आँखो को फिर से बंद कर दिया…..

अनु: उम्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईईईईईई अहह ओह……….

ये सब अनु के लिए बर्दास्त करना बड़ा मुस्किल था….उसका बदन एक दम से ऐंठने लगा….नीचे मेरा लंड पूरी रफ़्तार से उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था…और ऊपर उसकी दोनो चुचियों की एक साथ जबरदस्त चुस्वाई हो रही थी…..”अहह श्िीीईईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँ अम्मी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह……” अनु झड़ते हुए बुरी तरह काँपने लगी…और फिर उसकी कमर तेज झटके खाने लगी…एक के बाद एक फिर जब वो शांत हुई तो, मैने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला तो उसने सहमे हुए अपनी आँखो को खोल कर हम दोनो की तरफ देखा, वीना ने एक बार अनु की तरफ देखा और फिर अपनी पैंटी उठा कर मेरे लंड पर लगे अनु की चूत से निकले कामरस को सॉफ करते हुए बोली…..”बड़ी गरमी थी ना तेरी चूत मे…ले देख सारी निकल गयी…..”

मे: अभी कहाँ जान….अभी तो रात बाकी है…चल आ….

मैने अनु की बगल में लेटते हुए वीना को अपने ऊपर खींच लिया…वीना ने मेरी कमर के दोनो तरफ अपने घुटनो को टिकाया और लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट करते हुए अपनी चूत को जैसे ही मेरे लंड पर दबाया तो, मेरे लंड का सुपाडा उसकी चूत को फैलाता हुआ अंदर घुसता चला गया…..”शियीयीयियीयियी ओह तुषार श्िीीईईईईईईई अहह इसस्स मोटे लंड ने अह्ह्ह्ह्ह आग लगा रखी है मेरी चूत मे…. आह्ह्ह्ह हां आज मेरी चूत में अपना लंड ऐसे पेलो कि सारी बुर की सारी गरमी निकल जाए….” वीना ने अपनी गान्ड को ऊपर ले जाकर अपनी चूत को लंड पर पटकते हुए कहा….पास में लेटी अनु तो जैसे बुत बन गयी थी…..

वो ये सब बड़ी हैरानी से देख रही थी….मैने अनु का हाथ पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींचा और फिर थोड़ा सा ज़ोर लगा कर उसे अपने ऊपर ले आया….इस तरह से उसकी चूत बिल्कुल मेरे होंठो के ऊपर आ जाए….और उसका फेस सामने मेरे लंड की सवारी कर रही वीना की तरफ हो….अब दोनो माँ बेटी एक दूसरे के सामने नंगी होकर मेरे ऊपर चढ़ि हुई थी….मैने बिना कोई देर किए, अनु की चूत की फांको पर जैसे ही अपनी जीभ चलाई तो, अनु एक दम से सिसकते हुए कांप उठी…उसकी कमर ने झटके खाने शुरू कर दिए….मैने नीचे से अपनी कमर को हिलाते हुए पूरी रफ़्तार से वीना की चूत की धज्जियाँ उड़ानी शुरू कर दी…और दूसरी तरफ में अनु की चूत की फांको को अपने होंठो को दबा-2 कर खींचते हुए जब चूस्ता तो, वो मदहोश होकर सिसकियाँ भरने लगती…

वीना: श्िीीईईईईईई ओह तुषार उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आ रहा है…..हाईए कभी मेरी बुर तो नही चाटी ऐसे आज तक….इस छिनाल की बुर में क्या शहद लगा है….

वीना ने अपनी गान्ड को पूरी रफ़्तार से ऊपर नीचे करते हुए कहा….”आह साली इसकी बुर में तो सच में शहद भरा हुआ है….ये आज मुझे पीने दे….तेरे सहद का स्वाद किसी और दिन चख लूँगा….तभी वीना ने कुछ ऐसा किया….जिसकी उम्मीद अनु को बिल्कुल भी नही थी…अनु आँखे बंद किए हुए अपनी चूत मुझसे चुसवा कर मस्त हो रही थी…कि तभी वीना ने थोडा सा आगे झुकते हुए, उसको अपनी बाहों में भर कर उसके एक निपल को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया…..”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्िीीईईई ना ना नही मम्मी अहह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…….” वीना की इस हरक़त से अनु की सिसकियाँ अब पूरी रूम में गूंजने लगी थी….

वीना: (अनु की चुचि को मुँह से बाहर निकालते हुए….) चुप कर क्या मम्मी-2 लगा रखा है….सौतन है तू मेरी सौतन….

और ये कहते हुए वीना ने फिर से अनु की चुचि को मसल्ते हुए चूसना शुरू कर दिया….”अहह नही मम्मी प्लीज़ अह्ह्ह्ह मत करो…..” और फिर तभी अनु के मुँह से घुन-2 की आवाज़ आने लगी….जब मैने देखा तो सामने का नज़ारा देखते ही मेरे लंड ने वीना की चूत के अंदर वीर्य की धार छोड़नी शुरू कर दी….वीना ने अनु के होंठो को अपने होंठो में ले रखा था…और वीना उसे अपनी बाहों में भरे हुए उसके होंठो को पागलो की तरफ चूस रही थी….दोनो की चुचियाँ एक दूसरे के निपल्स से रगड़ खा रही थी….

दोस्तो तो यहाँ होता है (ज़िद्द का सफ़र पूरा….) मेरी एक ज़िद्द पूरी हुई…..फिर कभी फिर किसी और ज़िद्द के साथ आपके सामने पेश हो जाउन्गा…. अब कहानी ने आपका कितना मनोरंजन किया ये तो आप ही बताएँगे .

समाप्त
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