अधूरी हसरतें

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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »



अच्छा दूसरों की मम्मी की गंदी बात सुनकर तो तू खूब मजा ले रहा था और अपनी मम्मी की बारी आई तो गुस्सा करता है। ( उस लड़के के सुर में सुर मिलाता हुआ दूसरा लड़का बोला।)
हां यार शुभम यह बात तो सच है पूरी सोसाइटी में तेरी मम्मी जैसी हाय क्लास दूसरी कोई औरत नहीं है। मुझे पता है जब तेरी मम्मी सोसाइटी से गुजरती है तो सभी की नजरें तेरी मम्मी पर टिकी होती है। तेरी मम्मी की बड़ी बड़ी चूचियां बड़ी-बड़ी गोल गोल गांड देखकर तो सब का लंट खड़ा हो जाता है। ( इतना सुनते ही शुभम गुस्सा करने लगा और उस लड़की को चुप रहने को बोला लेकिन वह लड़का कहां मानने वाला था।)
यार गुस्सा क्यों करता है सही बात तो है तेरी मम्मी को चोदने के लिए तो ना जाने कितने लोग तड़पते रहते हैं।
और सच कहूं तो तेरी मम्मी की गंदी बातें सोच सोच कर मैंने ना जाने कितनी बार लंड हिला कर मुठ मारा हुं।
( उस लड़के की बात सुनकर सभी लोग ठहाका मार कर हंसने लगे अपनी मां के बारे में ऐसी गंदी बातें सुनकर शुभम उस लड़के से हाथापाई कर लिया बड़ी मुश्किल से सभी ने उन दोनों को छुड़ाया और शुभम गुस्से में अपने घर की तरफ जाने लगा।)
निर्मला मार्केट में खरीदी करने गई थी। शाम होने वाली थी वहां से सब्जियां खरीद रही थी कि तभी उसकी नजर पास के ही ठेले पर से सब्जी खरीद रही शीतल पर गई, तो निर्मला के पास गई,,, शीतल भी निर्मला को देखकर खुश हो गई और उससे बोली।

अरे वाह ब्यूटी इधर मार्केट में क्या कर रही हो।
( शीतल के इस सवाल का जवाब निर्मला मुस्कुराकर देते हुए बोली।)

जो तुम यहां कर रही हो वही मैं भी करने आई हूं।

मैं तो यहां बेगन ले रही हूं।( एक मोटे ताजे और लंबे बेगन को अपनी मुट्ठी में लेकर) देखो कितना ताजा है। आज तो मजा ही आ जाएगा।
( शीतल धीमी आवाज में बातें कर रही थी जोकी सिर्फ निर्मला ही सुन पा रही थी। बैगन की तरफ देखते हुए निर्मला बोली।)

मैं क्या करूंगी बेगन लेकर के मुझे बेगन पसंद ही नहीं है और वैसे भी मेरे पति और मेरा शुभम खाता ही नहीं है।


अरे मेरी प्यारी निर्मला (बेगन को थेली में रखते हुए)
मुझे भी कहां बेगन पसंद है, लेकिन जरा इसके आकार पर गौर तो कर ।
( निर्मला के हाव भाव से ऐसा लग रहा था कि उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि शीतल क्या कहना चाह रही है इसलिए वह आश्चर्य से बोली।)

क्या मतलब!


अरे यार तुम ना एकदम बुद्धू हो। अच्छा थोड़ा आगे चलो मैं तुम्हें समझाती हूं।( इतना कहते हुए वह निर्मला को ठेले से थोड़ी दूरी पर ले गई। और थेली में से उसी दमदार बैंगन को निकालते हुए और निर्मला को दिखाते हुए बोली।)
देखो इस के आकार को( निर्मला थी उस दमदार बेगन को देखने लगी लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।) इसे देखकर कुछ समझ मे आ रहा है तुम्हें।


यार शीतल तुम इस तरह से पहेलियां क्यों बुझा रही हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। ( निर्मला आश्चर्य से बोली।)

यार तुम सच में एकदम बुध्धु हो पता नहीं बिस्तर पर अपने पति को कैसे खुश करती होगी। ( शीतल के मुंह से यह बात सुनकर वो थोड़ा उदास हुई लेकिन जल्द ही अपने आप को संभाल ली ।)
देखो निर्मला इसकी लंबाई को इसकी मोटाई को देखो है ना एकदम मर्दों के हथियार जेसा।
( शीतल की बात सुनकर निर्मला एकदम दंग रह गई और वह थोड़ा गुस्सा और थोड़ी मुस्कुराहट के साथ बोली।)

यार शीतल सच में तुम्हारे दिमाग में एकदम गंदगी भरी हुई है इन सब्जियों में भी तुम अपने ही मतलब की चीज ढुंढ़ती रहती हो। जब तुम्हें भी बैगन पसंद नहीं है तो आखिर ली क्यों?

निर्मला जरूरी तो नहीं कि इसे सिर्फ खाया ही जाए इससे दूसरे भी तो काम लिए जा सकते हैं।
( निर्मला फिर से उसे आश्चर्य से देखने लगी उसे अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। इसलिए वह फिर बोली।)

दूसरे काम मतलब! एक तो तुम पहेलियां बुझाना बंद करो और साफ-साफ मुझे बताओ क्योंकि मुझे भी सब्जियां खरीदने में देर हो रही है।
( निर्मला की बात सुनकर कामुक शीतल मुस्कुराने लगी और वह उससे बोली।)

यार तुम्हें अभी भी समझ में नहीं आया इतनी तो बात आजकल की लड़कियां भी समझ जाती है और तुम इतनी खेली खाई हो करके भी इतना मतलब नहीं समझ पा रही हो।

नहीं सच में,,,,, सच में मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है कि तुम कहना क्या चाहती हो।

मुझे लगता है कि तुम्हें खुलकर ही समझाना पड़ेगा।
देखो बेगन की लंबाई और चौड़ाई एकदम लंड के ही जैसी होती है। ( निर्मला शीतल की बात बड़े ध्यान से सुन रही थी) तो सोचो यह औरतों की कितने काम की चीज है। अगर कभी चुदवाने की इच्छा हो तो घर पर पति ना हो तो क्या करोगे उंगली से तो मजा आएगा नहीं।,,,,( शीतल के मुझे ऐसी बातें सुनकर निर्मला गंनगना गई,,,, वह शर्म के मारे इधर उधर देखने लगी कि कहीं कोई सुन तो नहीं रहा है। शीतल बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।) अंगुली से अपने जैसी औरतों की बुर की प्यास बुझाने वाली नहीं है और किसी गैर मर्द के लंड से चुदने से बदनामी का डर लगा रहता है और ऐसे में सबसे बेहतर और अच्छा इलाज यही है,,, यह बेगन,,,

ईसी को अपनी बुर में डाल कर अंदर बाहर करते हुए अपनी बुर खुद ही चोदो देखो कितना मजा आता है।,,,

( शीतल की बात सुनकर निर्मला की तो हालत खराब होने लगी उसके मन में अजीब सी गुदगुदी होने लगी,,,, निर्मला कभी सपने में भी नहीं सोच रही थी कि बेगन का इस तरह का भी उपयोग किया जाता है। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें उसे शर्म भी महसूस होने लगी थी। ना चाहते हुए भी निर्मला के मुंह से निकल ही गया,,,,,)

तो क्या,,,,,,, शीतल,,,,,, ततततत,,,,,तुम भी,,,,,,,,,


तो यह किस लिए ले रही हूं खाने के लिए थोड़ी ले रही हूं। ( शीतल बेझिझक जवाब देते हुए बोली। शीतल का जवाब सुनकर तो निर्मला दंग रह गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शीतल ईस तरह की हरकत भी करती होगी। वह शीतल को एतराज जताते हुए बोली।)

छी,,,, छी,,,,, शीतल तुम इतनी गंदी हरकत कैसे कर सकती हो आखिरकार तुम एक टीचर हो,,,,,,


सबसे पहले मैं एक औरत हूं और औरतों की भी ख्वाहिश होती है । (शीतल मुस्कुराते हुए जवाब दी)
और वैसे भी मेरे पति बिजनेस टूर पर गए हुए हैं ऐसे मैं अगर ईच्छा हो जाए तो क्या करें।
( निर्मला को भी शीतल की यह बातें अच्छी लग रही थी लेकिन वह ऊपर से ही ऐतराज जता रही थी। शीतल की ऐसी बातें सुनकर उसे ना जाने अजीब सी सुख की अनुभूति हो रही थी उस की उत्सुकता और ज्यादा बढ़ती जा रही थी बेगन के बारे में जानने की। इसलिए वह बोली।)

शीतल किसी दिन तुम्हारे पति को यह सब पता चल गया ना तो तुम्हारी हालत खराब हो जाएगी।


अरे किसी को नहीं पता चलेगा आखिर सब्जी ही तो है मैं सब्जी घर ले जा रही हूं,,,, ना की किसी मर्द को,,,,
औरतों को खुद ही संतुष्टि प्राप्त करने का यह सबसे सुरक्षित तरीका है और तो और निर्मला इसकी साईज, ईसकी मोटाई मर्दों के लंड से भी ज्यादा दमदार है। सच में जब भी नहीं इसका उपयोग करती हूं तो मुझे तो बेहद आनंद की प्राप्ति होती है ऐसा मजा मिलता है कि वैसा मजा तो मुझे अपने पति से भी नहीं आता।
( शीतल की बातों से निर्मला की जांघो के बीच रसीली बुर में सुरसुराहट बढ़ने लगी। ओर निर्मला को बुर मे से रिसाव सा महसूस होने लगा। वह तो बस मंत्रमुग्ध सी शीतल की बातें सुने जा रही थी। इससे पहले भी इसी तरह निर्मला के सामने खुलकर बहुत सी बातें शेयर की है लेकिन आज की बात निर्मला के अंदर एक अजीब सी कामना का एहसास करा रही थी। बेगन को लेकर निर्मला की उत्सुकता कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी।
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jay
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Re: अधूरी हसरतें

Post by jay »

Nice ...........
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

xyz wrote: 22 Sep 2017 14:12nice
Ankit wrote: 22 Sep 2017 18:25superb update
jay wrote: 23 Sep 2017 12:30Nice ...........
Thanks dosto
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