अधूरी हसरतें

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Aryan
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Re: अधूरी हसरतें

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Kamini
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Re: अधूरी हसरतें

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mast update
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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

Aryan wrote: 22 Oct 2017 11:03Mast
Kamini wrote: 23 Oct 2017 18:08mast update
thanks
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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

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शुभम अपनी मां को घर में चारों तरफ ढुंढ़ चुका था लेकिन उसकी मां का कहीं अता-पता नहीं था। तभी उसे ख्याल आया कि वह घर के पीछे वाले भाग में अभी तक नहीं ढूंढा था,,,, जहां पर निर्मला कभी-कभी कपड़े धोने जाया करती थी। उस जगह का ख्याल आते ही शुभम बिना कुछ सोचे समझे घर के पीछे की तरफ जाने लगा,,,,, जैसे ही वह घर के पीछे पहुंचा तो वहां का नजारा देखकर वह एक दम से दंग रह गया,,,,, वह तुरंत दीवार की ओट में छुपकर देखने लगा,,,,,
घर के पीछे थोड़ा खुला मैदान था जिसकी चारों ओर दीवार घिरी हुई थी,,,,, जिसकी वजह से बाहरी लोगो की नजर अंदर तक नहीं पहुंच पाती थी । जहां पर पानी की अच्छी खासी व्यवस्था थी इसलिए जब भी कभी पानी की समस्या होती थी तो निर्मला यहीं पर आकर सारे काम किया करतीे थी।
शुभम दीवार की ओट में छिपकर सब कुछ देख रहा था,,,,, क्या करें नजारा ही कुछ ऐसा था कि सामने खड़ा होकर के देख नहीं सकता था क्योंकि अगर ऐसा होता तो शायद नजारे पर पर्दा पड़ जाता,,,,, घर के पीछे का नजारा देख कर शुभम की आंखों में एक कामुकता भरी चमक नजर आने लगी थी।

वह छीप कर सब कुछ देख रहा था उसके मन में एक अजीब सी उमंग जगने लगी थी,,,, यहां का नजारा देख कर उसे तुरंत अपने दोस्तों की कही गई बातें याद आने लगी,,,,, और दोस्तों की बातें सुनकर जो उसके मन में एक आंख भरी हुई थी उसे ऐसा लगने लगा कि आज उसके भी अरमान पूरे हो जाएंगे क्योंकि वह भी अपनी मां को पूरी तरह से संपूर्ण नंगी देखना चाहता था। और इधर पर उसे वैसा होता नजर भी आ रहा था। निर्मला की पीठ शुभम के तरफ थी,, और उसके बदन पर मात्र पेटीकोट ही थी जिसे उसने कमर से खोल कर अपनी बड़ी बड़ी चूचीयो के उपर टिकाकर बांध रखी थी,,, जिसकी वजह से उसकी लंबी गोरी चिकनी टांगे जांगो से नीचे नजर आ रही थी । मोटी मोटी और चिकनी जांघों को देखते ही शुभम के लंड में सुरसुराहट होने लगी,,, ध्यान से देखने पर शुभम को इस बात का अंदाजा लग गया कि उसकी मां भी पूरी तरह से पानी में भीगी हुई थी और साथ ही उसकी पेटीकोट भी,,,, जिसकी वजह से पेटीकोट पानी में भीगने की वजह से उसके बदन से चिपक गई थी,,, और तो और पेटीकोट के भीगने की वजह से उसके बदन का हर एक अंग साफ-साफ उभरा हुआ नजर आ रहा था । यह सब देख कर तो शुभम की सांसे एकाएक तेज चलने लगी,,, वह अपने आप को दीवार की ओट में छिपाकर अपनी मां की गीले बदन का रसपान अपनी नजरों से कर रहा था । शुभम इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि उसकी मां उसे देख ना ले उसकी मां कपड़ों को बाल्टी में डाल डाल कर भीगो रही थी। जिसकी वजह से वो बार-बार बाल्टी में कपड़े भिगोने के लिए झुकती थी और जब वह झुकती थी तो उसकी बड़ी-बड़ी गांड का उभार कुछ ज्यादा ही उभरकर बड़े ही कामुक तरीके का मोड़ ले लेता था जिसे देखकर शुभम के पूरे बदन में हलचल सी मच जा रहे थे। पेटीकोट के गीले होने की वजह से निर्मला के कमर के नीचे का भाग का कटाव और उभार इतना साफ साफ नजर आ रहा था कि देखने वाले को यह अंदाजा लगाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं होता कि उसकी गांड का साइज कितना है। निर्मला यहां आकर अपने सारे कपड़े उतार दी थी यहां तक कि ब्रा और अपनी पैंटी तक को निकाल कर ऊसे धो रही थी,,,, लेकिन शुभम की बिन अनुभवी नजरें अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की चिकनाई को पेटिकोट की सतह पर उभरते हुए देख कर भी यह अंदाजा नहीं लगा पा रही थी कि उसकी मां ने पेटीकोट के अंदर पेंटी नहीं पहनी हुई है वह पेटीकोट के अंदर बिल्कुल नंगी है उसे तो यही लग रहा था कि उसकी मां ने पेंटी पहन रखी है। लेकिन भीगे बदन में भले ही वह संपूर्ण रुप से निर्वस्त्र ना हो लेकिन फिर भी अर्धनग्न अवस्था में भी वह एकदम कयामत लग रही थी जो कि जवान हो रही शुभम के लिए यह मादक दृश्य भी कामोत्तेजना का भंडार ही साबित हो रहा था।
शुभम अपने तन-बदन में प्रचंड उत्तेजना का अनुभव कर रहा था जिसका सीधा असर उसकी जांघों के बीच लटक रहे उसके हथियार पर हो रहा था। शुभम ने कभी सोचा भी नहीं था कि अपनी मां को इस हालत में कभी देख पाएगा वह तो बस यह सब कल्पना में ही देख रहा था और अपने आप को शांत करने की कोशिश कर ले रहा था। शुभम के दोस्तों की बातों ने शुभम के अंदर भी अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देखने का लालच बढ़ा दिया था वरना इस बात की लालच उसके अंदर अभी तक नहीं पनप पाई थी। शुभम एक टक अपनी नजरों को अपनी मां के बदन पर गड़ाए हुए था,,,, वह एक पल का भी दृश्य अपनी नजरों से ओझल नहीं होने देना चाहता था। उसकी मां भी इन सब बातों से बेखबर अपने ही धुन में कपड़ों को धो रही थी,,,,, हालांकि इस समय उसके मन में भी चुदासपन भरा हुआ था। तभी तो वह यहां आते ही अपने सारे कपड़े उतार फेंकी थी और बस अपनी पेटीकोट को ही अपने बदन पर लपेट रखी थी। निर्मला बार-बार कपड़े धोने के लिए नीचे झुक रही थी और जब भी झुकती थी तो एक बहुत ही गजब प्रचंड मादकता से भरा हुआ नजारा शुभम को देखने को मिल जा रहा था। पेटीकोट और बदन गीला होने की वजह से बार-बार पेटीकोट नीचे की तरफ तरफ जा रहा था जिसे निर्मला अपने हाथों से एडजस्ट कर ले रही थी,,, ऐसे ही पेटीकोट के नीचे वाला भाग जो कि उसके नितंबों को ढका हुआ था उसे एडजस्ट करने में भूल से पेटीकोट थोड़ा सा कमर के ऊपर चढ़ गई जिसकी वजह से उसकी मदमस्त मादक और भरी हुई गांड की उत्तेजित कर देने वाली गहरी लकीर नजर आने लगी और साथ ही भरपूर नितंब का अच्छा खासा भाग भी शुभम को नजर आने लगा,,
यह नजारा देखते ही शुभम का लंड पैंट के अंदर ठुनकीे लेने लगा,,,, शुभम की सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,,, अपनी मां की मदमस्त बड़ी-बड़ी और गोरी गांड को देखकर उसका मुंह आश्चर्य और उत्तेजना के कारण खुला का खुला रह गया। नंगी गांड को देखते ही उसे इस बात का पता चला कि उसकी मां ने पेंटी नहीं पहन रखी है। आज जिंदगी में पहली बार उसने अपनी मां की नंगी गांड को देखा था जोकी बिल्कुल चांद के टुकडे की तरह चमक रही थी और जिसे देखते ही उत्तेजना के परम शिखर पर वह विराजमान हो चुका था। उसे अपनी आंखों पर और इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि औरत की गांड इतनी ज्यादा खूबसूरत होती है। वैसे भी आज वह पहली बार नंगी गांड को देख रहा था। पर जिस तरह से उसके दोस्त मजे ले लेकर अपनी मां को नंगी देखने की बात कर रहे थे उसी तरह से शुभम को भी अपनी मां को नंगी देखने में मजा आ रहा था।
निर्मला इस बात से बेखबर कि उसका बेटा उसके नंगे बदन का रसपान कर रहा है अपने काम में मशगूल थी। वह कपड़े धो चुकी थी उसकी भी हालत कुछ कम ठीक नहीं थी मोटे लंड की प्यास उसके बदन को तड़पा रही थी। वह बार-बार अपनी हथेली को अपने पूरे बदन पर फिरा रही थी। धीरे-धीरे वह भी उत्तेजित हो चुकी थी। उसे तो पहले से ही एक जबरदस्त चुदाई की आवश्यकता हो रही थी लेकिन वह अपनी प्यास ना तो लंड से बुझा पा रही थी और ना ही बैगन से क्योंकि खरीद के लाए हुए बैगन भी खराब हो गए थे जिसे उसने कूड़ेदान में फेंक चुकी थी। निर्मला पूरी तरह से चुदास के रंग में रंग गई थी। इसलिए तो वहां उत्तेजित हो करके अपने बदन पर चारों तरफ अपनी हथेली फिराकर अपनी आग को और ज्यादा भड़का रही थी। जैसे ही उसने अपनी हथेलियों को अपनी कमर से नीचे की तरफ ले गई तो नितंबों पर हथेली पड़ते ही उसे इस बात का अंदाजा लग गया कि उसकी गांड भी पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी है। लेकिन इस बात का अंदाजा लगने के बावजूद भी उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी की घर के पीछे वाला भाग चारों तरफ से दीवारों से घिरा हुआ था जिससे किसी के देखे जाने का डर बिल्कुल भी नहीं था।
लेकिन उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसका ही बेटा उसे छिप कर देख रहा था। शुभम कीे तो दिल की धड़कन बहुत ही तीव्र गति से चल रही थी। उसकी हालत पल पल खराब होते जा रही थी ।उसकी पेंट में पूरी तरह से तंबू तन चुका था। अपने दोस्तों की बात सुनकर उसके मन में भी अपनी मां को नंगी देखने का अरमान बन चुका था जिसकी ताक में वह हर पल लगा रहता था लेकिन फिर भी उसे सफलता प्राप्त नहीं हुई थी,,, उसे ऐसा लगने लगा था कि शायद अब वह अपनी मां को कभी भी नग्नावस्था में नहीं देख पाएगा,,,, और अपनी मां को नग्नावस्था में देखकर बदन में कैसी मस्ती चढ़ती है शायद वह उस मस्ती के एहसास को कभी भी महसूस नहीं कर पाएगा उसने तो शायद आस ही छोड़ दिया था,,, लेकिन आज अनजाने में ही उसे अपने अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे।
शुभम बार-बार अपनी मां की नंगी गांड को देखकर पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था और उसे ऐसा करने में बहुत ही आनंद मिल रहा था। उसकी मां भी मस्ती में जहां तहां अपने बदन को अपनी हथेली में भर कर दबा दे रही थी।
निर्मला के बदन में पूरी तरह से उत्तेजना का सुरूर चढ़ चुका था इसलिए वह बार-बार अपनी चुचियों को भी अपनी हथेली में भरकर पेटीकोट के ऊपर से ही दबा दे रही थी,,,, लेकिन जहां शुभम खड़ा था उसे इस अतुल्य दृश्य का रसपान करने को नहीं मिल पा रहा था क्योंकि निर्मला की पीठ शुभम की तरफ थी वहां से बस उसे उसके हाथों की हरकत ही नजर आ रही थी और दिन अनुभवी शुभम को इस बात का अंदाजा लगा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था कि उसकी मां अपने हाथों से अपनी चुचियों का मर्दन कर रही है।
निर्मला मस्ती से सराबोर हो चुकी थी और वह जोर-जोर से अपनी चूचियों को दबाकर सिसकारी ले रही थी। हालांकि उसकी सिसकारी अभी बहुत ही मंद थी जिसकी वजह से गर्म सिसकारियों की आवाज शुभम के कानों तक नहीं पहुंच पा रहीे थी। लेकिन शुभम को इसमें इतना ज्यादा आनंद और मस्ती की अनुभूति हो रही थी कि शायद ही उसे इस तरह की अनुभूति हुई हो। पेंट में उसका लंड तनकर एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था। जिसे वह पेंट के ऊपर से ही मसल रहा था।
निर्मला धीरे-धीरे मस्ती के सागर में डूबती चली जा रही थी।
निर्मला धीरे-धीरे मस्ती के सागर में डूबती चली जा रही थी वह एकदम बेफिक्र और बिंदास होकर के अपने बदन से आनंद ले रही थी। वह पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को मसलते चली जा रही थी। थोड़ी ही देर बाद उसका एक हाथ चूची पर और दूसरा हाथ धीरे धीरे नीचे की तरफ फीसलता हुआ आगे बढ़ रहा था। और शायद हथेली को उसकी मंजिल मिल गई थी और हथेली जांघो के बीच की पतल़ी दरार पर हरकत करना शुरु कर दी। निर्मला बड़े ही मादक अंदाज में अंगड़ाई ले रही थेी जो कि शुभम को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर कार उसकी मां कर क्या रही है लेकिन इतना जरुर पता था कि जो भी कर रही थी उसे देखकर शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी। निर्मला के ऊपर कामोत्तेजना का असर भारी होता चला जा रहा था। वह जोर जोर से अपनी हथेली को अपनी बुर पर रगड़ रही थी लेकिन ऐसा करने से उसकी प्यास शांत होने की वजाय और ज्यादा भड़कने लगी,,,, आज खुले में पहली बार हुआ इस तरह की हरकत कर रही थी,,,, इससे पहले भी उसने बहुत बारिश है वहां पर आकर कपड़े धोने थे और घर के काम भी किए थे लेकिन जिस तरह की कामुकता का एहसास की वजह से उसने अपने सारे कपड़े उतार फेंके थे और सिर्फ पेटीकोट में ही अपने वदन से खेल रही थी ऐसा कभी उसने बंद कमरे में भी नहीं की थी। निर्मला भी मजबूर थी आखिर कब तक अपने बदन की प्यास ओर उसकी जरुरतो पर काबू कर पाती,,,,, अपने पति से उपेछित होने के बाद उसके पास यही एक राह रह गई थी।
अपनी हथेली को अपनी बुर पर रगड़ रगड़ कर वह अपनी प्यास को और ज्यादा बढ़ा ली थी और अपनी मां को अपने बदन से खेलते देखकर शुभम की हालत पतली हुए जा रही थी। वह भी जोर जोर से अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही रगड़ रहा था। पूरी तरह से संपूर्णता कामुकता से भरा हुआ मंजर नजर आ रहा था। निर्मला की प्यास और ज्यादा बढ़ती जा रहीे थी। उससे रहा नहीं गया तो वह अपनी हथेली से बुर को रगड़ते रगड़ते अपनीे बीच वाली उंगली को धीरे से बुर की गुलाबी छेद में घुसा दी,,,,, और जैसे ही उसकी उंगली बुर में प्रवेश की वैसे ही तुरंत उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी। शुभम को तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कर रही है बस उसे उसका हाथ हिलता हुआ नजर आ रहा था लेकिन इतने से उसके लिए अंदाजा लगा पाना मुश्किल था। शुभम की जगह अगर कोई और होता तो वह जरुर समझ जाता कि आखिर निर्मला क्या कर रही है।
ईधर देख देख कर शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी।
और उधर निर्मला अपनी बुर में उंगली कर कर के अपनी प्यास को शांत करने की कोशिश कर रही थी। निर्मला से अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। वह अपनी उंगली को बड़ी तेजी से अपनी बूर. में अंदर बाहर कर रही थी। और अब उसके मुंह से सिसकारी की आवाज तेज आने लगी थी जो कि अब शुभम के कानों तक आराम से पहुंच रही थी। अपनी मां के मुंह से अजीब अजीब सी आवाज सुनकर शुभम तो एकदम हैरान हो गया,,,,, उसने आज तक ऐसी गरम आवाज नहीं सुनी थी।
सससससहहहहहह,,,,,, आहहहहहहह,,,, ऊूूहहहहहहह,,,,, ओोोहहहहहहहह,,,,,
( निर्मला के मुंह से इस तरह की आवाजें आ रही थी,,,, जिसे सुनकर शुभम की हालत खराब हो रही थी। यह आवाजे उसे बेहद आनंददायक और खुद की उत्तेजना को बढ़ाने वाली लग रही थी तभी तो वह अब जोर जोर से पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा था। उसकी निगाह बराबर अपनी मां के तेज चल रहे हाथ की हरकत और उसकी भरावदार गांड पर टिकी हुई थी।
निर्मला की उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी वह अपनी उंगली को बड़ी तेजी से अपने बूर में अंदर बाहर करते हुए मस्त हुए जा रही थी। शुभम तो बस देख कर ही मस्त हुए जा रहा था हालांकि उसने अभी तक अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को ही देख पाया था,,, उसकी नजरों से अभी उसकी मां की रसीली बुर और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां दूर थी। इतने से ही शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी तो अगर वह अपनी मां की रसीली बुर और बड़ी बड़ी चूचियां देख लें तो शायद खड़े-खड़े उसका पानी निकल जाए।
शुभम यहां से बस देखे जा रहा था उसे यह नहीं पता था कि उसकी मां अपनी उंगलियों का सहारा ले कर के अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी क्योंकि यहां से सिर्फ उसे अपनी मां के हाथ की हरकत ही नजर आ रही थी बाकी वह अपने हाथ से क्या कर रही है यह बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था।
और नजर आता भी तो कैसे क्योकि निर्मला खड़ी हो करके अपनी बुर में उंगली पेल रही थी,,,, और उसकी मांसल मोटी मोटी जांघों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी भऱावदार गांड की वजह से उसकी उंगलियों की हरकत देख पाना शुभम के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। शुभम अपने मां बाप का वजन कितना देखा था शायद अब उससे उसका मन नहीं भरा था। अब वह अपनी मां की जानवरों के बीच के उस जगह को देखना चाहता था जिसे बुर कहते हैं। कोई इसलिए वह मन ही मन थोड़ा उदास भी नजर आ रहा था पर उत्तेजना तो उसके बदन में अपना पूरा असर दिखा रहा था। उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल लाल हो गया था। वह इसी ताक झांक में था कि उसे जांघों के बीच की वह जगह नजर आ जाए,,,, तभी जैसे उसके मन की बात को निर्मला सुन ली हो,,, और वह तुरंत अपनी बुर में उंगली अंदर बाहर करते हुए झुक गई,,,, और जैसे ही वह नीचे झुकी शुभम को उसकी जांघों के बीच कि वह पतली और गुलाबी दरार नजर आने लगी जिसे बुर कहा जाता है। उस पतली गुलाबी दरार पर नजर पड़ते हैं शुभम की तो जेसे सांस ही अटक गई,,, उसका दिमाग काम करना बंद हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या देख रहा है। आज पहली बार उसने बुर के दर्शन किए थे उसकी बनावट को दूर से ही सही पर देख रहा था। शुभम का तो गला सूखने लगा था उत्तेजना के मारे वह थुक को भी निगल नहीं पा रहा था। शुभम कीे सांसे ऊपर नीचे हो रही थी। अपनी मां के अतुल्य अंग को ईस समय वह देख रहा था उसके बारे में उसने कभी ईतनी कल्पना भी नहीं कर पाया था। कभी ध्यान से देखने पर उसे जो नजर आया उसे देखकर वह दंग रह गया। ऊसे अब ऊसकी मां के हाथों के हरकत के बारे में समझ आया था।
वह साफ साफ देख पा रहा था की ऊसकी मां की ऊंगलियां ऊसकी बुर के अंदर थी जिसे वह बड़ी तेजी से अंदर-बाहर कर रही थी। यह नजारा देखकर शुभम की कामोत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसका लंड पैंट के अंदर ही अकड़ने लगा,,,, उससे भी अब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था और अपनी मां को बुर के अंदर उंगली अंदर बाहर करते हुए देखकर वह कब अपनी पेंट की चेन को खोलकर लंड अपने हाथ में ले कर मसलने लगा उसे पता ही नहीं चला। अपनी मां को देख देख कर उसे अपने लंड को मसलने में बेहद आनंद मिल रहा था। उसकी मां अभी भी झुक कर अपनी बुर में उंगली को अंदर बाहर करके मजा ले रही थी। उत्तेजना की वजह से उसके मुंह से तेज तेज सिसकारियां निकल रही थी जोकी शुभम को साफ सुनाई दे रही थी।
निर्मला की उत्तेजना इस तरह से ऊंगली से शांत होने वाली नहीं थी लेकिन फिर भी कुछ हद तक वह अपने मन को बहलाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उससे अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। इसलिए वह तुरंत अपनी चुचियों पर बंधी हुई पेटीकोट की डोरी को खोलकर जल्दी-जल्दी पेटीकोट को नीचे सरकाते हुए अपने कदमों में गिरा दी। अब निर्मला पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी शुभम तो यह नजारा देखकर एकदम आश्चर्य चकित हो गया। उसके अरमान आज पूरे हो गए थे उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी खड़ी थी। उसे अपनी आंखों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था वह अपने आप को छुपाते हुए अपने लंड को जोर जोर से मसल रहा था।
लेकिन फिर भी अभी उसकी इच्छा अधूरी ही थी क्योंकि वह अपनी मां की पीठ के ही तरफ का भाग देख रहा था सामने से उसने अभी तक अपनी मां को नंगी नहीं देख पाया था।
पेटीकोट को उतारने के बाद निर्मला फिर से उसी तरह से झुक कर अपनी बुर को अपनी उंगली से पेलने लगी।
निर्मला आज पहली बार इतनी बेशर्म हुई थी। इस तरह से पूरी तरह नंगी होने के बावजूद उसके चेहरे पर शर्म की एक रेखा तक नजर नहीं आ रही थी। बल्कि उत्तेजना के मारे उसका चेहरा सुर्ख लाल हो गया था उसकी खूबसूरती और भी ज्यादा निखर आई थी। शुभम को यही चाह रहा था कि एक बार उसकी मां उसकी तरफ चेहरा कर के घूम जाए लेकिन उसे डर भी था कि अगर इस तरह उसकी मां चेहरा करेगी तो कहीं वह उसे देख ना ले।
गजब का नजारा बना हुआ था शुभम अपनी मां को एकदम नंगी देखकर अपने लंड को हिला रहा था और उसकी मां एकदम बेशर्म हो करके अपने पूरे कपड़े उतार कर अपने ही उंगली से अपनी बुर को चोद रही थी। अपनी ब** में ऊंगली करते हुए उसके मन में बैंगन का विचार जरूर आ रहा था वह मन में यही सोच रही थी की अगर उंगली की जगह बैगन भी होता तो आज शायद उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती यह सोचते हुए वह जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करके अपनी बुर को चोद रही थी। और साथ ही जोर-जोर से गर्म सिसकारियां भी ले रही थी। निर्मला चरम सुख के बिलकुल करीब पहुंच चुकी थी उत्तेजना के मारे उसके पैर कांप रहे थे। उसे भी इस बात का एहसास हो गया था कि वह झड़ने वाली है इसलिए वह अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपने बुर में जोर जोर से उंगली पेलने लगी।
इधर अपनी मां को संपूर्ण नग्न अवस्था में देखकर और उसे देखते हुए अपने लंड को मसल का उसे भी अजीब सा महसूस होने लगा था उसे भी ऐसा लग रहा था कि उसके हाथ पांव फूल रहे हैं और उसके पैरों में कंपन सा महसूस हो रहा था। तभी निर्मला अपने चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच गई उसका हाथ पाव कांपने लगा और उसके मुंह से सिसकारी ओ की आवाज भी तेज हो गई,,,,, यह देखकर शुभम भी जोर-जोर से अपने लंड को मसलने लगा,,,,,
तभी निर्मला के मुख से जोर से चीख निकली और वह भल भला कर झड़ने लगी,,,, अपनी मां की हालत को देख कर शुभम भ ी अपने आप पर काबू ना कर सका और उसके लंड ने एक तेज पिचकारी की धार मारी और शुभम झड़ने लगा।
अपने लंड से निकल रहे सफेद गाढ़े पदार्थ को देखकर शुभम के तो जैसे होश ही उड़ गए,,, ऊसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है। क्योंकि आज पहली बार उसे इस तरह का अनुभव हो रहा था वह एकदम डर गया था लेकिन जितनी देर तक उसके लंड से पानी निकलता रहा उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती रही उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह हवा में झूला झूला हो। लेकिन वह एकदम से डर गया था एक नजर अपनी मां की तरफ देखा तो वह अभी भी घुटनों के बल बैठ कर हांफ रही थी और उसकी उंगली अभी भी उसकी बुर में ही थी।
शुभम डर के मारे जल्दी से अपने लंड को वापस पैंट में ठूस कर जल्दी से वहां से चला गया।
SUNITASBS
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super update
😪
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