अधूरी हसरतें

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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »


ससस,,,, सॉरी मम्मी,,,,,( इतना कहकर वह अपनी नजरें नीचे झुका लिया,,, लेकिन निर्मला अपने बेटे के सामने भी एकदम बिंदास होकर अपनी पैंटी को पहनने लगी। अपनी लंबी लंबी चिकनी गोरी टांगो को पैंटी में डालकर वह धीरे-धीरे सरका कर अपनी जांघो तक ला दी,,,, और इतने पर ही अटका कर एक नजर शुभम पर डाली तो वह तिरछी नजर से उसे ही देख रहा था दोनों की नजरें जब आपस में टकराई तो शुभम शरर्मा कर फिर से नजरें झुका लिया,,,, यह देखकर निर्मला के चेहरे पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,, निर्मल ने अपनी पैंटी को जांघो तक लाकर जानबूझकर अटका दी थी। ताकि वह उसकी चिकनी और तरोताजा बुर को देख सके लेकिन डर के मारे शुभम नजर उठा कर अपनी मां की जांघों के बीच के उस खूबसूरत द्वार को देख ना सका। यह कसमसाहट उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी क्योंकि उसने अब तक अपनी मां के बदन के सारे अंगो को देख चुका था लेकिन वही एक अंग को अभी तक नहीं देख पाया था। बल्कि अभी तो उसके पास पूरा मौका भी था लेकिन ना जाने कौन से डर की वजह से वह आंख उठाकर जांगो के बीच की उस जगह को देख नहीं पाया। निर्मला भी मुस्कुराते हुए पैंटी को पहन ली और पहनने के बाद उसे इधर उधर से खींचकर ठीक से आरामदायक स्थिति में कर ली। अभी तो मात्र उसके बदन पर पैंटी ही चढी़े थी बाकी का पूरा बदन नंगा ही था। लेकिन आज ना जाने निर्मला को कौन सा जुनून सवार था कि अपने बेटे की उपस्थिति में भी शर्माए बिना ही संपूर्ण रूप से नंगी होकर कि अपने कपड़े बदल रही थी। पेंटी पहनने के बाद वह शुभम से बोली,,,,,,

शुभम तेरे पीछे मेरी ब्रा भी है उसे भी दे दे,,,, लेकिन फ़ेंक कर नहीं मेरे हाथ में दे,,,,,
( इस बार ब्रा मांगने पर फिर से शुभम की हालत खराब होने लगी पेंट में लंड पूरी तरह से तंबू बनाए हुए था उसकी हालत फसल खराब हुई जा रही थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि बिना छुए हि आज उसका पानी निकल जाएगा। वह अपने आप को संभालते हुए पीछे हाथ बढ़ाकर बिस्तर पर से ब्रा उठाया जो की बहुत ही मुलायम थी। और खड़े होकर अपनी मां को थमाया लेकिन इस बार वह अपनी उत्तेजना को छिपा ना सका,,,, उसकी मां की नजर उसके पैंट में बने तंबू पर पड़ ही गई और उस तंबू को देखकर निर्मला के बदन में सुरसुराहट सी दौड़ गई। वह मुस्कुराते हुए शुभम के हाथ से ब्रा को लेकर पहनने लगी। वह शुभम की तरफ देखते हुए अपनी चूची को एक एक हाथ से पकड़ कर ब्रा के अंदर कैद करने लगी और शुभम यह नजारे को छुपते छुपाते देखे बिना अपने आप को रोक नहीं पा रहा था। यही सब निर्मला को बहुत ही ज्यादा उत्तेजना का अनुभव करा रहा था और उसे मजा भी बहुत आ रहा था। धीरे धीरे करके ऐसे ही शुभम की उत्तेजना को बढ़ाते और उसे अंदर ही अंदर तड़पाते हुए निर्मला अपने कपड़े पहन ली,,,, आसमानी साड़ी में निर्मला एकदम परी की तरह खूबसूरत लग रही थी जिसको देखकर शुभम की आंखें उसके बदन की खूबसूरती की चमक से चौंधिया सी गई थी। घर से निकलते निकलते वह शुभम पर आखरी बार अपने हुस्न का जलवा बिखेरते हुए बोली,,,,,

शुभम बेटा लगता है मेरे ब्लाउज की डोरी ठीक से बंधी नहीं है तू जरा इसे ठीक से बांध दे तो,,,,
( अपनी मां की यह बात सुनते ही शुभम की उंगलियां तो पहले से ही कांपने लगी,,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा वह धीरे धीरे चलते हुए अपनी मां के करीब आया और उसके पीछे खड़े होकर के धीरे-धीरे ब्लाउज की रेशमी डोेरी को खोलने लगा,,, डोरी को खोलते हुए उसके हाथ कांप रहे थे,,, उसकी उंगलियों के कंपन को निर्मला अपनी पीठ पर साफ महसूस कर रही थी और मन ही मन प्रसन्न भी हो रही थी। अगले ही पल उसने अपने हाथ की उंगलियों का सहारा लेकर ब्लाउज की डोरी को खोल दिया और खोलने के बाद उसे ठीक से बांधते हुए,,, उसमे गीठान मार दिया,,,, चिकनी गोरी पीठ पर ब्लाउज की डोरी कसते ही पीठ की खूबसूरती और भी ज्यादा निखरने लगी। लेकिन तभी उसकी नजर ब्लाउज के साइड से निकली हुई ब्रा के स्ट्रैप पर पड़ी,,,,, उसे देखते ही वह अपनी मां से डरते हुए बोला,,,,

मम्मी आपकी ब्रा की स्ट्रेप बाहर निकली हुई है।

( अपने बेटे की बात सुनकर उसके भी बदन में हलचल सी मच गई,,,, और मुस्कुराते हुए वह बोली।)

कोई बात नहीं बेटा तू उसे अंदर की तरफ कर दें,,,,
( शुभम फिर से अपने कांपते उंगलियों से अपनी मां की ब्रा की स्ट्रेप को ब्लाउज के अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यही सही मौका देखकर निर्मला अपने बेटे की तड़प को और ज्यादा बढ़ाते हुए बोली,,,,)

बेटा लगता है कि तेरे उसमे अभी तक आराम नहीं हुआ है,,,
( शुभम अपनी मां की हर बात को समझ नहीं पाया और उसकी ब्रा की स्ट्रैप को ब्लाउज के अंदर उंगली से सरकाते हुए बोला,,,)

कीसमे,,,,,,,

अरे तेरे लंड में और किसमे,,,, लगता है फिर से तेरे लंड की अच्छे से मालिश करनी पड़ेगी तब जाकर इस में,,, आराम होगा,,,,,

( अपनी मां की मुझे ऐसी खुली बातें सुनते ही शुभम के दिल की धड़कन तेज हो गई और पेंट के अंदर से ही लंड ने सलामी भरना शुरु कर दिया,,,,,, वह अपना बचाव करते हुए बोला,,,)


ननननन,, नननन,,, नही मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है मुझे आराम है,,,( इतना कहने के साथ ही वह ब्रा के स्ट्रैप को ठीक कर दिया,,,,, निर्मला शुभम की तरफ घूमी और अपनी नजर को उसके पैंट में बने तंबू की तरफ घूमाते हुए बोली,,,,)

आराम है तो फिर इतना तना हुआ क्यों है? ( इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर जाने लगे तो शुभम भी पीछे-पीछे अपनी मां के पिछवाड़े को देखता होगा जाने लगा वह अपने मां की इस बात का जवाब नहीं दे पाया,,,, घर से बाहर आते हैं वहां के राज में से गाड़ी बाहर निकालने के लिए गई मौसम खराब हो रहा था हल्की हल्की बारिश होने लगी थी। )

शुभम और निर्मला दोनों घर के बाहर आ गए थे । बाहर का मौसम कुछ कुछ खराब होने लगा था हल्की हल्की बारिश हो रही थी आसमान में काले बादल पूरी तरह से छा चुके थे,,, ऐसा लग रहा था कि पूरे शहर को अपनी गिरफ्त में कर लिए हो। निर्मला गैराज मैं जा कर गाड़ी स्टार्ट कर के घर के मेन गेट तक लाइ,,, जहां पर शुभम गाड़ी का दरवाजा खोलकर आगे वाली ही सीट पर अपनी मां के करीब बैठ गया।
और निर्मला एक्सीलेटर पर पैर दबाते हुए गाड़ी को गति प्रदान करने लगी। निर्मला के घर से शीतल घर की दूरी तकरीबन 1 घंटे की थी। चारों तरफ घने बादल की वजह से अंधेरा हो गया था,,,,, निर्मला बहुत अच्छे से तैयार हुई थी और वह आज बेहद खूबसूरत और साथ ही बड़ी सेक्सी लग रही थी। वैसे तो वह दूसरे मर्दों के लिए हमेशा से सेक्सी ही थी लेकिन आज सेक्सी शब्द की परिभाषा को पूरी तरह से उसने अपने अंदर उतार ली थी और सेक्सी पन का एहसास उसे खुद भी हो रहा था। इस तरह के कपड़े उसने कभी पहले नहीं पहनेी थी,,, डीप गले का ब्लाउज और वह भी पूरी तरह से बेतलेंस,,, बस एक पतली सी रेशमी डोरी ब्लाउज को बांधने के लिए,,,, और ऊपर से ट्रांसपेरेंट साड़ी जिसमें से छुपाना चाहो तो भी अपने बदन को छुपा नहीं सकते और वैसे भी निर्मला को कुछ छुपाना नहीं था इसलिए तो उसने इस तरह की साडी पहनी हुई थी।


निर्मला सामान्य गति से ही अपनी गाड़ी को आगे बढ़ा रहे थे वह बहुत ही संभाल कर गाड़ी चलाते थे वह बार-बार शुभम की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रही थी और इस तरह से अपनी मां को मुस्कुराता हुआ देखकर,,,, उसके दिल की घंटियां बजने लगती थी। बार-बार उसे बाथरुम वाला नजारा याद आ जा रहा था,,,, वह अपने नसीब को मन ही मन धंयवाद भी कर रहा था कि अच्छा हुआ था कि उसे इस समय पेशाब लग गई थी और वह बाथरुम की ओर आ गया था वरना इस तरह का अद्भुत और कामुकता से भरा उन्मादक. द्रश्य का लाभ वह कभी भी नहीं ले पाता। का मन ही मन सोच कर उत्तेजित होने लगा कि कितना काम होते देना से भरा हुआ वह नजारा था किस तरह से उसकी मां बाथरूम में अपने पूरे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर नहा रही थी। उस की नंगी चिकनी पीठ और उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड पानी में भीग कर कैसे चमक रही थी। किस तरह से वह खड़ी हो करके नहा रही थी और उसकी गांड मटक रही थी ऊसके गांड की थिरकन देख कर के उसके लंड की हरकत बढ़ने लगी थी। और तो और उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब होने लगी जब उसकी मां नहाते नहाते नीचे बैठ कर पेशाब करने लगी,,,, सच में यह नजारा देख कर तो वह इतना ज्यादा कामोत्तेजित हो गया था कि उसे लगने लगा की कहीं उसका लंड पानी ना छोड़ दे,,,, यह सब उसकी मां के अनजाने में ही हुआ था उसकी मां यह नहीं जानती थी कि शुभम यह सब देख रहा है और अगर वह जान भी लेती तो शायद जो चीज अनजाने में हुई थी वह जानबूझकर उसकी आंखों के सामने निर्मला की जानकारी में ही हो जाती। वह सब पल याद करके उसके लंड के ऐंठन बढ़ने लगी थी।


लेकिन उसे यह नहीं समझ में आ रहा था कि आखिर उसकी मां नग्नावस्था में भी बिना जी जाती उसकी आंखों के सामने क्यों कपड़े बदल रही थी जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। उसकी मां इतनी शर्मीली थी कि उसके सामने इस तरह की अर्धनग्न अवस्था में भी नहीं आती थी और आज तो वह उसकी आंखों के सामने ही एकदम बेफिक्र होकर के नग्नावस्था में अपनी पैंटी ब्रा और कपड़े पहन रही थी।


आखिर निर्मला ऐसा क्यों कर रहीे थी यह शुभम के समझ के बाहर हो रहा था। अाखिर उसकी मां उसकी आंखों के सामने ऐसा क्यों कर रही थी,,,, कहीं वो जानबूझकर तो उसे अपना बदन नहीं दिखा रही थी,,,, कभी उसे उसके दोस्तों की कही बात याद आने लगी जब खेल के मैदान में उसका दोस्त बता रहा था कि उसकी सगी भाभी भी उसकी आंखों के सामने इसी तरह की हरकत करती थी नहाने के बाद वह टावल में ही बाहर चली आती थी,,,, तो कभी खुद उसी से ही बाथरुम में ही टावल मांगा करती थी और टावल लेते समय,,
भीे एकदम नग्न अवस्था में ही रहती थी। और अपने देवर को देखकर मुस्कुराती भी थी,,, उसके दोस्त ने यह भी कहा था कि जिस तरह से वह अपना नंगा बदन दिखाती थी,, उसे मोटे ताजे लंड की जरूरत थी,,,, वह अपनी भाभी के इशारे को समझ कर और उसकी जमकर चुदाई कर दिया उसके बाद से वह लगातार अपनी भाभी को रोज यही चोदने लगा,,,,, वह उस दिन साफ-साफ बताया था कि जब औरत इस तरह की हरकत करने लगे तो समझ जाने का कि उसका चुदवाने का मन कर रहा है तभी वह अपना बदन दिखा कर अपनी तरफ आकर्षित कर रही है।


अपने दोस्त की कही बात याद आते हैं शुभम का लंड ठुनकी मारने लगा,,,, वह सोचने लगा कि क्या उसकी मां भी एक दम से चुदवासी हो गई है,,,,,, इसलिए वह उसे अपना नंगा बदन दिखाती है। क्या वह भी यही चाहती है कि उसका ही बेटा उसको ़ चोदे,,,,,, हां बिल्कुल ऐसा ही है तभी तो वह मुझे अपना नंगा बदन दिखा कर मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। और पिछले कुछ दिनों से उसके बर्ताव में भी काफी बदलाव आ गया है कपड़े पहनने का ढंग ही बदल गया है। अगर उसके मन में ऐसा कुछ नहीं होता तो तैयार होते समय जिस तरह से वह केवल टॉवल में ही थी मुझे कमरे में आने को ना कहती,,, और अगर भूल से आ भी गया होता तो,,,, मेरी उपस्थिति में वह एकदम बिंदास होकर कपड़े नहीं बदलती बल्कि मुझसे शर्माती,,, और तो और जिस तरह से उसके बदन से टावल गिर गई थी और वह नंगी हो गई थी,, य,वह झट से टावल उठाकर अपने बदन पर लपेट लेती। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि बेझिझक होकर के उसी तरह से ना तो अपने बदन को छुपाने की रत्ती भर कोशिश ही की और ना ही मुझसे जरा सा भी शरमाई बल्कि,,, बेझिझक होकर मुझसे अपनी पैंटी मांगी,,,,, अगर वह सामान्य होती तो इस तरह की हरकत बिल्कुल भी ना करती क्योंकि इससे पहले उन्होंने अपने पहनने के एक भी कपड़े मुझसे कभी नहीं मांगी,,,, और तो और जिस तरह से वह बार-बार पेंट उतार कर लंड दिखाने की बात कर रही थी इससे साफ़ लगता है कि जरूर उसके दोस्तों की कही बात शत प्रतिशत सच है। जरुर वह एकदम चुदवासी हो गई हैं।
दोस्तों की कही बातें उसकी अंतरात्मा को एकदम झकझोर गई। यह सब उसके लिए बड़ा ही आश्चर्यजनक भी था और उसे प्रसन्न करने वाला भी था। क्योंकि वह सोचने लगा कि अगर सच में कुछ ऐसा है तो उसका काम और भी आसान हो जाएगा,,,, इधर तो ऐसा हाल हो जाएगा कि प्यासे को कुएं के पास जाना ही नहीं पड़ेगा बल्कि कुंआ ही प्यासे के पास चलकर आएगा,,,,, उसका मन प्रसन्नता से भर गया उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसका सपना बहुत ही जल्द सच हो जाएगा। उसे लेकिन इस बात से हैरानी भी हो रही थी कि अगर उसके दोस्तों की कही बात सच निकली तो क्या सच में उसकी मां उसेसे चुदवाएगी उसके मोटे ताजे लंड को अपनी बुर मे लेगी,,,, वह तो कल्पना करके ही एकदम मस्त हुए जा रहा था कैसा लगेगा जब उसकी मां अपनी टांगे फैला कर उसका मोटा लंड अपनी बुर में डलवा कर चुदवाएगी,,,,,


क्या सच में इतना मोटा ताजा और लंबा लंड औरत की छोटी सी बुर में घुस जाता है और घुसता है तो उन्हें कैसा लगता है,, यह सब बातें उसे एकदम परेशान किए हुए थी। क्योंकि एक बात तो सत प्रतिशत सच ही थी कि उसने औरतों के हर अंग को लगभग देख ही चूका था,,,,, वह भी अपनी मां का ही लेकिन अभी तक उसने मुख्य केंद्र बिंदु बुर के दर्शन नहीं कर पाया था।


उसके मन में तो लड्डू फूट रहे थे । लेकिन यह बात भी उसके लिए जानना जरूरी था कि क्या सच में वह जैसा सोच रहा है ठीक वैसा ही होगा अगर कहीं उसके दोस्तों की बातें गलत निकली तो और उसकी मां यह सब जानकर कि उसका बेटा उसके बारे में गंदे विचार कर रहा है तो वह क्या सोचेगी,,,,, कहीं सब कुछ उल्टा ना हो जाए यह ख्याल मन में आते ही उसके मन में उदासी छा गई और वह मन ही मन सोचने लगा कि कैसे भी है वह हो वह अपनी मां के मन की बात को जरूर जान कर रहेगा।

बाहर का मौसम धीरे धीरे बिगड़े नहीं लगा था हल्की हल्की हो रही बारिश अब थोड़ा तेज हो चुकी थी। अपने बेटे को किसी ख्यालों में खोया हुआ देखकर निर्मला बोली,,,,

क्या हुआ बेटा तू इतना उदास क्यों है क्या सोच रहा है?

कुछ नहीं मम्मी मैं आपके ही बारे में सोच रहा था। ( उसके मुंह से एकाएक निकल गया उसे समझ में नहीं आया कि वह क्या बोले अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुरा दी और वह मुस्कुराते हुए बोली।)

मेरे बारे में,,,,,, मेरे बारे में ऐसी कौन सी बात तो सोच रहा है कि एकदम गहराई में डूब गया,,,,,,


यही मम्मी कि मैंने आपको और पापा को एक साथ कहीं भी आते जाते लगभग नहीं देखा ना तो किसी शादी में आप दोनों साथ में जाते हैं ना किसी की पार्टी में और ना ही कभी मार्केट ही जाते हैं। मुझे यह सब बड़ा अजीब लगता है दूसरों के मम्मी पापा हमेशा साथ में घूमते फिरते रहते हैं हंसते बोलते रहते हैं लेकिन मेरे पापा इस तरह से क्यों करते हैं। ( शुभम बात को संभालते हुए एक ही सा में सब कुछ बोल गया,,,
अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला को भी हैरानी हुई कि आज वह ऐसा क्यों पूछ रहा है। इसलिए वह बोली।)

तू ऐसा क्यों पूछ रहा है?

इसलिए मैं पूछ रहा हूं कि आज देखो ना पापा को हमारे साथ आना चाहिए था ।लेकिन वह नहीं आए क्या आपने उन्हें बताया था।

हां बेटा,,,,, मैंने तो तुम्हारे पापा को साथ में आने के लिए बोली थी। ( निर्मला गहरी सांस लेते हुए बोली) लेकिन उन्हें मुझसे ना जाने कौनसी दुश्मनी है कि मेरे साथ कहीं भी आना जाना पसंद नहीं करते। ( गाड़ी का स्टेयरिंग हल्के हल्के घुमाते हुए बोली।)

लेकिन ऐसा क्यों है मम्मी?

पता नहीं बेटा ऐसा क्यों है!


मम्मी,,, पापा का यह व्यवहार मुझे तो बिल्कुल भी समझ में नहीं आता।


बेटा इतने सालों में तो मैं तेरे पापा के व्यवहार को नहीं समझ पा रही तो तू कहां से समझ पाएगा,,,,( वह शुभम की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोली। कुछ देर तक शांति छाई रही लेडीज परफ्यूम के साथ निर्मला के बदन की मादक खुशबू भी कार में उत्तेजना जगा रही थी। )
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jay
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Re: अधूरी हसरतें

Post by jay »

wow superb story bro

maza aa gya
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

jay wrote: 19 Nov 2017 09:09 wow superb story bro

maza aa gya
thankss dear
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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

कार में लेडीज परफ्यूम की खुशबू के साथ-साथ निर्मला के खूबसूरत बदन की मादक खुशबू भी फैली हुई थी। धीरे धीरे बारिश का जोर बढ़ता जा रहा था निर्मला हमेशा से बड़ी ही सावधानी के साथ धीमी गति से ही गाड़ी चलाती थी। कुछ देर तक दोनों खामोश थी बैठे रहे शुभम ही खामोशी को तोड़ते हुए बोला।

मम्मी पापा आपसे प्यार तो करते हैं ना!

क्यों ऐसा क्यों पूछ रहे हो? ( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली)

नहीं ऐसे ही,,,,,


ऐसे ही कैसे कुछ तो बात है तभी तुम ईस तरह से पूछ रहे हो।


मम्मी,,,,,,,,,,, पापा हम लोगों के साथ ज्यादा समय नहीं बिताते,,,,,,,, हमेशा जब देखो बिजनेस,,, बिजनेस,,,, बिजनेस,,
इसलिए मैं ऐसा पूछ रहा हूं।

तुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तेरे पापा मुझसे प्यार नहीं करते ओर तुझे यह सब प्यार वार के बारे में कैसे मालूम,,,,,,,


मम्मी मे अब बड़ा हो गया है थोड़ा बहुत तो मुझे भी समझ में आता ही है,,,,,
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला को थोड़ी हैरानी हुई लेकिन ऊसे अच्छा भी लगा यह सुनकर कि उसका बेटा बड़ा हो गया है । तभी तो उसका हथियार भी इतना जानदार हो गया था। निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,,,,।)

अच्छा तू अब बड़ा हो गया है,,,,,, कहीं तुझे तो प्यार व्यार नहीं हो गया,,,


नहीं मम्मी मुझे यह सब मैं बिल्कुल भी इंट्रेस्ट नहीं है,,,,,,( शुभम शरमाते हुए बोला।)

अरे अभी तो तूने ही कहा कि अब तु बड़ा हो गया और अब कह रहा है कि मुझे ईसमें इंटरेस्ट नहीं है। ऐसा क्यों क्या तुझे लड़कीयां अच्छी नहीं लगती। ( निर्मला बड़े ही सहज भाव से शुभम से बोली धीरे-धीरे वह अब खुलने लगी थी,,,, वह बातचीत के जरिए अपने बेटे के मन की बात को जानना चाहती थी ऊसे अब अच्छा लगने लगा था,,,, लेकिन शुभम अपनी मां की बात को सुनकर थोड़ा परेशान सा हो गया था कि वह निर्मला के सवाल का क्या जवाब दें क्योंकि आज तक सच में उसे प्यार व्यार का मतलब ही नहीं मालूम था लेकिन तभी उसे अपने दोस्त की बात याद आ गई जो कि उस दिन बता रहा था कि जिस तरह के सवाल निर्मला पूछ रही थी वैसे ही सवाल उसकी भाभी उससे पूछ रही थी,,,, जो कि ऐसे सवालों का मतलब साफ होता है कि औरत धीरे धीरे खुल रही है या तो इस तरह के सवाल पूछ कर सामने वाले की झिझक को खत्म करना चाहती है। उसका दोस्त तो अपनी भाभी के सवालों का सीधा सीधा और थोड़ा मिर्च मसाला लगाकर जवाब देता था जिसकी वजह से वह अपनी भाभी के साथ संभोग सुख का मजा ले पाया,, अपने दोस्त की बात याद है आते हैं उसके बदन में झुनझुनी सी फैल गई.
कुछ देर तक अपने बेटे को किसी ख्यालों में डूबा देखकर निर्मला फिर बोली।)

क्या हुआ बेटा क्या सोच रहा है।

कुछ नहीं मम्मी आपके सवाल के बारे में ही सोच रहा हूं।

मैंने ऐसा क्या पूछ ली जो तू इतना सोच रहा है । (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,, निर्मला को मुस्कुराते हुए देखकर शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ जा रही थी अपनी मां की गुलाबी होठों को देखकर उसके बदन में झुनझुनी का एहसास हो रहा था। तेज चल रही हवा की वजह से निर्मला की बालों की लटे उसके गालों पर घूम जा रहीे थी,,, शुभम अपनी मां की खूबसूरती को अपनी आंखों से पीता हुआ बोला।)


तो क्या करूं मम्मी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है की क्या बोलूं,,,, मुझे तो यह भी नहीं मालूम कि प्यार कैसे किया जाता है क्या करते हैं प्यार में आपको मालूम है क्या,,,,,, ( शुभम बड़ी चालाकी से जवाब देता हुआ बोला वह भी अपने दोस्त की बताई हुई बात पर चलते हुए बातों ही बातों में बहुत कुछ जान लेना चाहता था और बोल भी देना चाहता था।)

ममममम,,,, मुझे,,,, मुझे क्या मालूम,,,,,( निर्मला अपने बेटे के इस सवाल पर शक पकाते हुए बोली।)

अरे भला आपको कैसे नहीं मालूम हो सकता है,,,,, आप तो इतनी बड़ी है आप भी तो पापा से प्यार की होंगी पापा ने भी आपसे प्यार किए होंगे,,,, तो आपको तो पता ही होगा,,,,,, बताओ ना मम्मी प्लीज,,,, ( शुभम अपनी मम्मी से आग्रह करते हुए बोला वह अपनी मम्मी के मन की बात जानना चाहता था बात करते हुए भी उसकी निगाह बार-बार अपनी मम्मी के बदन पर चारों तरफ घूम रही थी और इस बात का एहसास निर्मला को अच्छी तरह से हो रहा था लेकिन निर्मला को भी अपने बेटे की इस ताक झांक में बड़ा ही आनंद मिल रहा था। अपने बेटे की इस बात पर निर्मला थोड़ी परेशान जरूर हुई लेकिन वह भी शायद यही चाहती थी। धीरे-धीरे बातों के जरिए आपस में दोनों खुलना चाहते थे। )

बेटा यह सब बताने की चीज थोड़ी है तो अपने आप ही हो जाता है और उम्र के साथ साथ प्यार करना भी इंसान सीख जाता है तुझे भी तो तेरे दोस्तों ने कुछ ना कुछ तो बताया ही होगा,,,, क्योंकि इस मामले में दोस्त ही एक शिक्षक की तरह होता है जो कि अपने दोस्त को इन सब बातों के बारे में बताता है। हां मैंने भी तेरे पापा से प्यार की थी। लेकिन उनके व्यवहार के कारण अब मेरा दिल टूट गया,,,,,, लेकिन तेरे दोस्त भी तो मुझे कुछ बताते ही होंगे ऊनसे तू कुछ तो सीखा होगा,,,,
( शुभम अब अपनी मां के सवाल का जवाब क्या देते क्यों बताता वह अपनी मां को उसके दोस्त सिर्फ चुदाई के बारे में ही बातें करते हैं। एक दूसरे की मां के बारे में गंदी बातें करते हैं कोई अपनी मां को चोद चुका है तो कोई अपनी भाभी को और कोई एक दूसरे की मां को चोदना चाहते हैं। यह सब बातें उसके दोस्त करते थे क्योंकि वह अपनी मां को
नहीं बता सकता था। लेकिन जिस तरह से उसकी मां जिद कर रही थी वह सोचने लगा कि अगर वह सच में बता दे तो वास्तव में उसकी मां की मन में क्या चल रहा है वह साफ तौर पर जाहिर हो जाएगा,,, अगर उसकी मां बात को सुनकर गुस्सा करे तो समझो उसके मन में जरा भी गंदगी नहीं है और अगर गुस्सा ना करें तो जरूर कुछ ना कुछ उसके मन छिपा हुआ है।,,,,, वो अभी सोच ही रहा था कि बारिश का जोर बढ़ने लगा अब तो बादलों की गड़गड़ाहट भी बढ़ने लगी। मौसम का मिजाज देख कर निर्मला को थोड़ी चिंता होने लगी अभी शीतल का घर काफी दूर था। वैसे तो अगर तेजी से कार दौड़ाती तो 1 घंटे मे हीं पहुंच जाती लेकिन आराम से चलाने की आदत की वजह से काफी समय हो गया था अंधेरा छा चुका था हाईवे पर स्ट्रीट लाइट जल चुकी थी लेकिन तेज वर्षा के जोर के कारण कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था। गाड़ी के हेडलाइट की रोशनी में भी ज्यादा दूर तक देखा नहीं जा रहा था। मौसम पूरी तरह से बिगड़ चुका था। ऐसे हालात में निर्मला के लिए गाड़ी चलाना उचित नहीं था यह बात वह खुद भी जानती थी। बार बार आसमान में हो रही बादलों की गड़गड़ाहट से वह घबरा जा रही थी।

एक तरफ उसके मन में घबराहट भी हो रही थी और एक तरफ वह अपने बेटे के मुंह से यह सुनना चाहती थी कि उसके दोस्त प्यार व्यार कि किस तरह की बातें उससे करते हैं।,,,, शुभम को भी लगने लगा था कि यही मौका ठीक है वह भी सब कुछ खुलकर बता देगा हो सकता है उसके लिए भी मस्ती के दरवाजे खुल जाए। वह भी मौसम का मिजाज देख कर थोड़ा सा घबरा रहा था। आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी। निर्मला बड़े ही धीमी गति से कार को आगे बढ़ा रही थी,,, क्योंकि दो मीटर से ज्यादा की दूरी ठीक से नजर ही नहीं आ रही थी। तेज हवा के साथ साथ तेज बारिश हो रही थी जिसकी वजह से सब कुछ धुंधला धुंधला सा नजर आ रहा था। निर्मला को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह शीतल के घर तक पहुंचेगी कैसे पार्टी भी शुरू हो गई होगी यह सब सोचकर वह बड़ी चिंतित नजर आने लगी। कुछ देर पहले बड़ा ही रोमांटिक माहौल के बीच उसके मन में शुभम के हालात को जानने की बड़ी ही उत्सुकता थी लेकिन अब मौसम का मिजाज देख कर वह चिंतित हो गई थी। ऐसे खराब मौसम में उसने कभी भी गाड़ी नहीं चलाई थी इसलिए उसके चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी। काफी देर से दोनों के बीच में खामोशी छाई रही क्योंकि सुबह मैं इस बात का इंतजार कर रहा था कि उसकी मां फिर से उसे ज़ोर देकर पूछे और वहां धीरे धीरे सब कुछ बता दे,, ताकि उसे भी ठीक तरह से पता चले कि उसकी मम्मी के मन में क्या चल रहा है।वह बार बार उसके सामने अपने अंको का प्रदर्शन लगभग नग्नावस्था में क्यों कर रही है आखिर वह चाहती क्या है? और दूसरी तरफ निर्मला की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी जबसे शुभम उसके सपने में आकर उसकी जबरदस्ती चुदाई करके गया है तब से वह यही चाहती थी कि उसका यह सपना हकीकत में बदल जाए,,, और वह जिस सुख का अनुभव सपने में भी करके एक दम मस्त हो गई थी उसे हकीकत में करके किस तरह का आनंद की अनुभूति होती है उस अनुभूति का अनुभव करना चाहती थी । निर्मला का मन और दिमाग दोनों अब वासना के वशीभूत हो चुके थे।, संभोग सुख प्राप्त करने की प्रबल भावना उसके मन में प्रजव्लित हो चुकी थी।
बरसात अपने पूरे जोर पर था हवा की जगह अब आंधीे चलने लगी थी। गाड़ी में तेज बौछार आ रही थी इसलिए निर्मला ने दोनों तरफ के कांच को बंद कर दी। निर्मला आज मौसम के मिजाज को देखते हुए अच्छी तरह से समझ गई थी कि ऊससे ड्राइविंग कर पाना बड़ा मुश्किल होगा।
ऐसे हालात में शीतल के घर पहुंच पाना बहुत मुश्किल सा हो गया था।
निर्मला के मन में यही सब चल रहा था कि तभी उसने अपनी गाड़ी को एका एक बहुत जोर से ब्रेक मारी,,,, जोर से ब्रेक मारते ही,,,,,,चीईईईईईई,,,,, की जबरदस्त आवाज के साथ ही गाड़ी अपनी जगह पर ही रुक गई गाड़ी रुकते ही निर्मला की जान में जान आए क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करती तो सामने वाली कार से टक्कर हो जाती जोकि तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई नहीं दे रही थी,,,,,,,,

मम्मी लगता है कि गाड़ी चला पाना आसान नहीं होगा (शुभम तेज बारिश को देखते हुए बोला।)

मैं भी यही सोच रही हूं बेटा समय भी काफी हो गया है अब शीतल के घर भी पहुंच नहीं पाएंगे वहां तो पार्टी शुरू हो गई होगी। और इतनी तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा है,,,,, देखा नहीं तूने अगर ठीक समय पर ब्रेक नहीं मारी होती तो गाड़ी की टक्कर हो जाती ।

गाड़ी को इस तरह से हाईवे पर खड़ी भी नहीं रह सकते जिस तरह से हमें दिखाई नहीं दिया उस तरह से दूसरे गाड़ी वालों को भी इतना नहीं दिख रहा होगा ऐसे में टक्कर होने का डर बना रहेगा।


तो अब क्या करें मम्मी,,,,,( शुभम चिंतित स्वर में बोला।)

रुक जा कुछ सोचती हूं,,,,,,,,
( इतना कहकर निर्मला इधर-उधर नजर दौड़ाने लगी,,,, उसकी बात भी सही थी हाईवे पर गाड़ी खड़ी करने का मतलब था किसी भी गाड़ी का टक्कर होना मुमकिन था,,,,
निर्मला इधर उधर नजर दौड़ा कर सेफ जगह ढूंढ रही थी कि तभी उसे हाईवे के बगल में ही एक खाली जगह नजर आई,,,
निर्मला धीरे-धीरे गाड़ी को आगे बढ़ाते हुए हाईवे से नीचे गाड़ी को उतारने लगी और अगले ही पल निर्मला हाईवे से नीचे गाड़ी उतार कर एक घने पेड़ के नीचे गाड़ी को खड़ी कर दी,,,, यहां लंबी लंबी घास भी हुई थी चारों तरफ घने पेड़ पौधे भी लगे हुए थे जिसकी वजह से गाड़ी ठीक से नजर भी नहीं आती और यह जगह सुरक्षित भी थी। बरसात अभी भी जोरो से बरस रही थी। गाड़ी को खड़े होते ही शुभम बोला।


यह कहां ले आई मम्मी यहां पर चारों तरफ लंबी लंबी ऊंची घासे है। और यहां से अब तो हाईवे भी ठीक से नहीं नजर आ रहा है।


हां तो यही जगह तो एकदम सुरक्षित है। जहां पर रुक कर हम लोग बारिश थमने का इंतजार करेंगे और बारिश के कम होते ही यहां से चले जाएंगे तब तक के लिए हमें यहीं रुकना पड़ेगा ऐसे हालात में हाईवे पर रुकना भी ठीक नहीं है। ( निर्मला शुभम को समझाते हुए बोली।)

ठीक है मम्मी लेकिन बारिश को देख कर लगता नहीं है कि बारिश इतनी जल्दी बंद हो जाएगी और अब तो हम लोग पार्टी में भी नहीं पहुंच पाएंगे,,,, शीतल मैडम खामखा नाराज होंगी,,,,


नहीं नाराज होंगे आंखें तुंहें भी तो पता ही होगा कि बारिश बहुत तेज पड़ रही है अच्छा रुकने उसे फोन करके बोल देती हूं।
( इतना कहने के बाद निर्मला अपनी पत्नी से मोबाइल निकाल कर शीतल का नंबर डायल करने लगे लेकिन तेज बारिश की वजह से नेटवर्क ही नहीं मिल पा रहा था तीन चार बार ट्राई करने के बाद हैरान होकर वाह मोबाइल को फिर से पर्स में रखते हुए बोली।)
धत तेरे की नेटवर्क ही नहीं मिल रहा,,,,

सारा मजा किरकिरा हो गया मम्मी,,,,, पूरा प्लान चौपट हो गया,,, तुम कितनी अच्छी तरह से तैयार हुई थी पार्टी में जाने के लिए लेकिन तुम्हारा मूड भी ऑफ हो गया होगा,,,।


हां सो तो है लेकिन मौसम के आगे कर भी क्या सकते हैं।
( निर्मला और शुभम दोनों का मूड ऑफ हो गया था क्योंकि दोनों के बीच बड़े ही अच्छी तरीके से वार्तालाप हो रहे थे और यह वार्तालाप धीरे धीरे गर्माहट का अंदेशा लिए आगे बढ़ रही थी लेकिन मौसम की वजह से सारा मजा किरकिरा हो चुका था। गाड़ी का कांच बंद होने की वजह से परफ्यूम और निर्मला के बदन की मादक खुशबू का मिलाजुला बेहद मादक सुगंध पूरी गाड़ी में बड़ी तीव्रता के साथ अपना असर दिखा रही थी। शुभम को परफ्यूम की खुशबू से ज्यादा बेहतर और उत्तेजनात्मक खुशबू उसकी मां के बदन से आ रही सुगंधित खुशबू लग रही थी । दोनों के बीच फिर से खामोशी छाई रहीं निर्मला स्टेयरिंग पर अपना हाथ रख कर शुभम की ही तरफ देखे जा रही थी धीरे-धीरे निर्मला के बदन में वासना की गर्मी फैलती जा रही थी। शुभम का खूबसूरत चेहरा निर्मला को ऊन्मादित कर रहा था,,,, शुभम का गठीला बदन निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर फैला रहा था।
वैसे देखा जाए तो हालातों पर माहौल का भी गहरा असर पड़ता है और मौसम का मिजाज जरूर थोड़ा सा खराब था लेकिन जितना खराब था ऊतना ही एक औरत एक मर्द के लिए बेहद रोमांटिक और उत्तेजनात्मक भी था । और इस समय कार में भले ही एक मां और एक बेटा बैठा हुआ था लेकिन इस तरह के बरसाती मौसम में और वह भी हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर और एक बंद कार में,,, यह हालात ओर एकांत किसी भी पवित्र रिश्ते चाहे वह कैसा भी हो चाहे भाई-बहन का हो या फिर मां-बेटे का हो,,,,, उनके बीच का पवित्र रिश्ते की डोरी टूट कर बिखर जाती है केवल उनके बीच रिश्ता रह जाता है तो सिर्फ एक मर्द और एक औरत का । और आज जिस तरह का एकांत और मौसम का साथ शुभम और निर्मला को मिला था और दोनों के अंदर जो काम भावना एक दूसरे के बदन को देखकर प्रज्वलित हो चुकी थी उससे यही लग रहा था कि आज की रात इन दोनों के पवित्र रिश्ते के बीच की मर्यादा की डोऱ संस्कारों की डोर टूट कर तार-तार हो जाएगी। इसलिए तो इस तरह के बरसाती माहौल में एकदम सुनसान जगह पर एकांत पाकर अपने बेटे को एकटक निहारते हुए मुस्कुरा रहीे थी,,, शुभम अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर बोला।


क्या मम्मी तो सारा मजा किरकिरा हो गया पार्टी में जा नहीं पाए और तुम हो कि इस तरह से हंस रही हो,,,,,
,,,
अब हंसो नहीं तो क्या करूं ,,,,,, वैसे एक बात कहूं जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली।)


क्या खाक जो भी होता है अच्छे के लिए होता है इतनी तूफानी बारिश मे हमें इस तरह से हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर रुकना पड़ा यह क्या अच्छा हो रहा है।


हां बेटा जो भी होता है अच्छे के लिए होता है तू इस तरह से उदास मत हो हम दोनों इसी जगह पर पार्टी मनाएंगे बस,, मैं हूं ना तू चिंता मत कर,,,,,

( निर्मला की बात शुभम को अजीब लग रही थी आखिर ईस जगह पर कैसे पार्टी मनाएंगे,,,,,।)
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