अधूरी हसरतें

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jay
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Re: अधूरी हसरतें

Post by jay »

nice update bro
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

jay wrote: 20 Sep 2017 17:45nice update bro
thanks mitr
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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

Post by Rohit Kapoor »

। निर्मला की आधी नंगी जांघ को देख कर अशोक से रहा नहीं गया और वह पहले कि ही तरह एक बार फिर से निर्मला के ऊपर चढ़कर झुकने लगा और उसकी जांघों को फैला कर बिना प्यार कीए ही अपने खड़े लंड को सीधे निर्मला की बुर पर रखकर अंदर ही डाल दिया। निर्मला के अरमान की स्याही जो की बुर से बह रही थी वह सुख चुकी थी,,, इसलिए अशोक की इस हरकत की वजह से उसे दर्द होने लगा और उसकी आंख खुल गई लेकिन इस बार बिना कुछ बोले आंखों से आंसू बहाते हुए और अपने किस्मत को कोसते हुए अशोक के हर धक्के के साथ दर्द को झेलती रही,,, और अशोक जी निर्मला की प्यासी और दहकती हुई गरम बुर की दीवारों की रगड़ को ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाया और एक बार फिर से अपना हथियार नीचे रख दिया।

रविवार का दिन था। स्कूल में छुट्टी होने की वजह से आज निर्मला की नींद थोड़ा लेट में ही खुली थी। नींद खुली तो देखी थी बिस्तर पर अशोक नहीं था ।वह उठकर जा चुका था, वैसे भी अगर बिस्तर पर होता तो क्या हो जाता। उसके रहने ना रहने का कोई मतलब नहीं निकलता था। रात वाली बात से निर्मला का मन उदास ही था। निर्मला को रात की बात याद आ गई और खुद की गई हरकत के बारे में सोच कर ही निर्मला शर्मा गई,,, सबसे पहले तो उसे इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह ऐसी हरकत कर गई थी। जिस तरह से वह अपने कामुक बदन को उत्तेजनात्मक तरीके से अशोक के सामने पेश करते हुए रचनात्मक तरीके से अपने वस्त्रों को एक-एक करके अपने संगमरमरी बदन से उतारने का कार्यक्रम पेस की थी। यह उत्तेजक और उमदा कार्य निर्मला के बस के बिल्कुल भी नहीं था लेकिन जिस तरह से वह हिम्मत दिखाते हुए बड़े ही कलात्मक तरीके से वस्त्र त्याग का अभूतपूर्व कार्यक्रम पेश की थी वह बहुत ही काबिल ए तारीफ थी। अगर अशोक की जगह दुनिया का दूसरा कोई भी मर्द होता तो इतने में ही वह ना जाने कितनी बार पानी छोड़ देता,,,,,
यहां पर घर की मुर्गी दाल बराबर की कहावत को बिल्कुल सार्थक करते हुए अशोक ने अपनी पत्नी के इस कामुक प्रदर्शन को लगभग नजरअंदाज कर दिया था। हाय पल के लिए जरूर अशोक मचलता गया था तड़पता गया था निर्मला के बदन को पाने के लिए लेकिन संपूर्ण नग्नावस्था का नजारा दिखाने के बाद जैसे ही निर्मला ने अपनी नग्न बदन पर गाउन डालकर,, अपनी संग-ए-मरमरी बदन को ढंकी वैसे ही तुरंत निर्मला के बदन का नशा अशोक के ऊपर से उतर गया। और नतीजा यह निकला की निर्मला एक बार फिर प्यासी रह गई लेकिन निर्मला की भराव दार नितंबों ने अपना असर अशोक पर जरूर कर दिया,,, जिससे सोने से पहले अशोक निर्मला पर चढ़कर अपना अहम पूरा किया। लेकिन अशोक जिस तरह श्री निर्मला के संभोग करता था ऐसे संभव से ना तो संपूर्ण संतुष्टि अशोक को ही मिल पाती थी और ना ही निर्मला की प्यास बुझ पाती थी। लेकिन इस बात को अशोक नजर अंदाज कर देता था उसे तो निर्मला कि अब बिल्कुल भी फिक्र नहीं होती थी।
रात वाली बात को याद करके निर्मला की सूखी पड़ी बुर एक बार फिर से गीली होने लगी,,,,, निर्मला की प्यास एक बार फिर भड़के इससे पहले ही निर्मला जल्दी से बिस्तर पर से उठ कर सीधे बाथरूम में चली गई वहां जाकर के ठंडे पानी से स्नान करके अपने मन को कुछ हद तक हल्का कर ली ।
नहाने के तुरंत बाद वह डाइनिंग टेबल के करीब आए तो देखी की प्लेट में ब्रेड के कुछ टुकड़े पड़े हुए हैं जिससे वह समझ गई थी अशोक नाश्ता कर चुका है।
वह डाइनिंग टेबल के करीब खरीदी थी कि अशोक रसोई घर से बाहर आता हुआ दिखा तो निर्मला उससे बोली।

आप मुझे बुला ली होते तो मैं आपके लिए नाश्ता तैयार कर देती,,,,, इस तरह से आप अपने हाथ से लेकर के खाते हैं अच्छा नहीं लगता,,,,,,, आखिर मेरे होते हुए आप अपने हाथ से काम करें अच्छा नहीं लगता ना।

हा,,,,,, हां,,,,,,, ठीक है मुझे जल्दी जाना था तो,,,,,, इसलिए अपने हाथ से ले लिया। ( अशोक की बात सुनते ही निर्मला बोली।)

लेकिन आज तो संडे है ऑफिस में भी छुट्टी है तो आपको क्या जरूरी काम है।


देखो क्या जरूरी है क्या नहीं जरूरी है मैं तुम्हें बताना उचित नहीं समझता और काम अपना है इसमें छुट्टी कैसी।।।( अशोक शर्ट की बटन को बंद करते हुए बोला,,, अशोक की बात सुनकर निर्मला उदास हो गई वह जितनी भी ज्यादा मीठी बातें करके अशोक का मन बहलाने की कोशिश करती लेकिन अशोक हमेशा कड़वी जुबान से ही बोलता था। निर्मला उदास होकर के रसोईघर में चली गई और अशोक ऑफिस के लिए निकल गया। रसोईघर में निर्मला शुभम के लिए नाश्ता तैयार करने लगी और बाहर गाड़ी की आवाज सुनकर उसे यह पता चल गया कि अशोक जा रहा है। अशोक की लगातार बढ़ती नजरअंदाजी की वजह से निर्मला का मन खिन्न होने लगा था वह अशोक के ऊपर से ध्यान ना हटाकर नाश्ता तैयार करने में जुट गई। समय ज्यादा दे चुका था इसलिए वह समझ गई थी कि शुभम पूजा-पाठ कर चुका होगा और नाश्ता भी कर चुका होगा। लेकिन आज रविवार था इसलिए वह उसके लिए पराठे बना रही थी क्योंकि रविवार के दिन बाद ज्यादातर समय घर के बाहर मैदान पर क्रिकेट खेल कर दोस्तों के साथ ही बिताता था।
निर्मला का मन किसी काम में नहीं लगता था बड़ी मुश्किल से वह शुभम के लिए परांठे तैयार कर रही थी और मन में ढेर सारी वेदनाएं,,, दर्द,,,,, तड़प उसे पल-पल तड़पा रही थी। उसे इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो गया था धीरे-धीरे करके समय रेत की तरह उसकी हथेली से निकल चुका था। वह तो भगवान की बड़ी कृपा थी कि अब भी उसकी खूबसूरती बरकरार थी। पराठा तैयार हो चुका था निर्मला ने अपने लिए कुछ भी नहीं बनाया क्योंकि उसे भूख ही नहीं थी और जिस चीज की भूख थी,,,, वह उस के नसीब में ही नहीं था या उसे पाने का उसने पूरी तरह से प्रयास ही नहीं की थी ।
कभी-कभी तो वह मां बाप से पाई हुई तहजीब और संस्कार को लेकर के भगवान से मन ही मन बोला करती थी कि भगवान तूने इतनी संस्कारी क्यों बनाया क्यों दूसरी औरतों के तरह थोड़ी सी बेशर्मी नहीं भर दी।
तहजीब और संस्कार किसी के लिए दुख का कारण बन सकते हैं,,, यह बात निर्मला से ज्यादा अच्छी तरह भला कौन जान सकता है ।
पराठा बन चुका था शुभम पढ़ाई में लगा हुआ था वह जानती थी कि शुभम थोड़ा लेट ही खाएगा इसलिए वह घर के काम में लग गई।

दूसरी तरफ अशोक अपनी ऑफिस में बैठा हुआ था घर से तो निकला था यह कहकर, कि काम बहुत है लेकिन यहां आराम से सिगरेट का कश लगाते हुए रीता का इंतजार कर रहा था। रीता उसकी पर्सनल असिस्टेंट थी। अशोक तीन चार साल से ज्यादा किसी को भी अपना पर्सनल असिस्टेंट नहीं रखता था। तीन चार साल से ज्यादा वह किसी को भी अपनी कंपनी में नहीं रखता था । उसने अभी तक आठ से दश लेडी असिस्टेंट को बदल चुका था। अशोक बड़ी बेसब्री से रीता का इंतजार कर रहा था अब तक उसने चार पांच सिगरेट पी चुका था। उसकी नजर एक बार बार ऑफिस के दरवाजे पर चली जा रही थी और बार-बार दीवार पर लगी हुई परियार पर टिक टिक करती सुईयों के साथ साथ उसकी नजरें भी घूम रही थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी और अशोक बिना एक पल की भी विलंब किए बिना तुरंत कुर्सी पर से उठ करके दरवाजा खोलने गया और जैसे ही दरवाजा खोला,,,,, सामने २८ से ३० साल के लगभग खूबसूरत लेडी खड़ी थी। यह रीता ही थी जिसका इंतजार अशोक बड़ी बेसब्री से कर रहा था दोनों एक दूसरे को देखते ही मुस्कुराने लगे अशोक तो लगभग उसका हाथ पकड़ कर अंदर खींचते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया। छरहरे गोरे बदन की रीता अपने आप को ऊसकी बाहों कें सुपर्द करके एकदम से सिमट गई और अपने होंठ को अशोक के हॉठ पर रखकर चूसने लगी। राहुल का हांथ रीता की पीठ पर से होता हुआ उसके कमर के नीचे उसके नितंबों पर चला गया,,,, और जैसे ही अशोक की दोनों हथेलियां रीता के ऊभारदार नितंबो पर गए अशोक ने तुरंत उसे अपनी दोनों हथेलियों में दबोच लिया,,,,

आऊच्च,,,,,,, क्या कर रहे हो मुझे दर्द हो रहा है।

ओहहहहह मेरी जान मेरी तो मुझे कितना दर्द हो रहा है इसका तो तुम्हें अंदाजा भी नहीं है कितनी देर से मैं यहां तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं और तुम हो कि ना जाने किस दुनिया में खोई हुई हो,,,,,,,
( अशोक की बात सुनकर रीता हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

क्या अशोक रोज तो तुम्हारे साथ ही रहती हूं फिर भी मेरे इंतजार में तुम इतने पागल हो जाते हैं कि एक पल भी मेरे बगैर गुजार पाना तुम्हारे लिए मुश्किल हुआ जाता है।

क्या करूं रानी तुम माल ही कुछ ऐसी हो की तुम्हारे बिना एक पल भी गुजार पाना मेरे लिए मुश्किल हो जाता है। ( अशोक रीता को फिर से अपनी बाहों में भऱते हुए बोला। )


क्या करूं अशोक मेरा शराबी पति दिन रात मुझसे झगड़ते रहता है आज भी यहां आने से पहले मेरे साथ झगड़ा हो गया और उसी झगड़े के चक्कर में लेट हो गई।
( अशोक कुछ सोचते हुए बोला)

मेरी जान तुम जैसी बीवी पाकर के तो तुम्हारे पति को खुश होना चाहिए और उल्टा वह तुमसे झगड़ा करते रहता है साला नासमझ है जो एक कोहिनूर हीरे की कदर नहीं कर पा रहा है।।
( रीता अशोक की यह बात सुनकर खुश हो गई हो अपनी खुशी का जिक्र उसने अपने होठों को अशोक के होठ पर रखकर उसे किस करते हुए बोली।)

खुशनसीब तो तुम अभी हो सर जो तुम्हें इतनी खूबसूरत बीवी मिली है।( रीता की बात सुनकर अशोक रीता की आंखों में देखने लगा) मे देखी हूं तुम्हारी बीबी को ऐसा लगता है कि मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर के नीचे आ गई हो,,,,, बहुत खूबसूरत है।


अरे यार एैसे रोमांटिक मौसम में तुमने किसका नाम ले ली ।

क्यों क्या हुआ सर (रीता आश्चर्य के साथ बोली)
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Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें

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वह ऊपर से ही खुबसुरत लगती है। अपने पति को कैसे खुश कीया जाता है यह कला उसमे बिल्कुल भी नहीं है एकदम ठंडी है ठंडी,,,,,,,,,, मेरी तो नसीब खराब थी जो मेरी शादी उसके साथ हो गई मुझे तो तुम्हारी जैसी बीवी चाहिए थी,एकदम गरम जो बिस्तर पर अपने पति को कैसे खुश कीया जाता है अच्छी तरह से जानती हे।
( इतना कहते हुए अशोक ब्लाउज के ऊपर से ही रीता की चुचियों को दबाने लगा,,,, रीता चूचियों पर अशोक की हथेली का दबाव पाकर मस्त होने लगी वह अशोक की बातें सुनकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। रीता यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अशोक,,,,, कंपनी का मालिक उसकी खूबसूरती का दीवाना है और इस बात का वह पूरी तरह से फायदा उठातीे थी। एक मर्द की उन्नति और बर्बादी के पीछे औरत का ही हाथ होता है। अशोक भी औरतों के पीछे कंपनी का अच्छा खासा फायदा लुटा चुका था और लुटाता आ रहा था। रीता की माली हालत अच्छी नहीं थी वह बड़ी गरीबी में जी रही थी और ऐसे में उसकी शादी उसके मां बाप ने ऐसे लड़के से कर दी जो कि कुछ भी कमाता नहीं था। शादी के बाद उसकी जिंदगी और बदतर होने लगी क्योंकि उसका पति तो कुछ कमाता नहीं था।

एक दिन अखबार में रीता नौकरी का इश्तेहार पढ़ कर अशोक के ऑफिस पहुंच गई। इंटरव्यू लेते लेते बातों ही बातों में उसने रीता की माली हालत का पूरी तरह से जायजा ले लिया,,,, अशोक ऐसी ही औरत और लड़कियों को अपनी असिस्टेंट लगता था कि उसकी हालत खराब हो जो कि पैसों के लिए अशोक की सारी इच्छाएं पूरी कर सके। रीता की मजबूरी को पूरी तरह से फायदा उठाते हुए उसने उसे नौकरी पर रख लिया और एडवांस मे हीं ₹5000 उसके हाथ में थमाते हुए,, ऑफिस में ही उसे अपनी बाहों में भर कर उसके होठों को चूमने लगा। एडवांस मे हीं 5000 मिलने की मेहरबानी को रीता अशोक कीे ईस हरकत से अच्छी तरह से जान गई लेकिन उसके सामने भी कोई दूसरा रास्ता नहीं था तो वह अशोक को ईन्कार ना कर सकी और इंटरव्यू के दिन ही नौकरी और एडवांस में ₹5000 मिलने की खुशी में वह ऑफिस में ही अशोक से चुदवा ली । उस दिन से लेकर आज तक रीता अपने बदन का जलवा अशोक को दिखाते हुए धीरे-धीरे उसने अशोक के पैसे से अपने लिए एक घर और घर के अंदर सुख सुविधाओं का सारा सामान बसा ली।
अशोक धीरे-धीरे रीता के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा,,, और रीता भी अपने हाथों से अशोक के पेंट के बटन को खोलकर उसके चेन को नीचे सरकाने लगी,, यही अदा रीता को अशोक की नजर में निर्मला से अलग करती थी। क्योंकि रीता अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द को खुश करने के लिए औरत को क्या करना चाहिए। अशोक रीता के ब्लाउज के सारे बटन खोल चुका था और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके संतरों को दबा रहा था। रीता तो अशोक की ईस हरकत की वजह से गरम हुए जा रही थी और उसके मुंह से लगातार सिसकारी की आवाज आ रही थी।

सससससहहहहहहह,,,,,,,,, आााहहहहहहहहह,,,,,,,, अशोक मेरे राजा ऐसे नहीं पहले मेरी ब्रा और ब्लाउज दोनों को निकाल दो और फिर मेरी चुचियों को मुंह में भर भर कर दबा-दबा कर पीअो,,,,,, रुको मै हीं निकाल देती हूं मेरे राजा,,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह ब्लाउज को अपनी बाहों से निकाल सके और अपने दोनों हाथों की से ले जाकर ब्रा के हुक को खोल दी,,,,, और रीता ने ब्रा को भी निकाल फेंकी। ब्रा कोे बदन से दूर होते ही रीता की गोल-गोल नारंगीया अशोक की आंखों में चमकने लगी,,, वह नंगी चूचियों को देख कर पागल सा हो गया और सीधे अपने मुंह को चुचियों के बीच डालते हुए बोला।।


ओह मेरी जान मेरी तो तुम्हारी यही अदा तो मुझे तुम्हारा दीवाना बना दि है। यही सब अदा तो मेरी बीवी निर्मला में नहीं है तभी तो मुझे वह बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती।। क्योंकि खूबसूरती ही सब कुछ नहीं होती औरतों को अपने पति को कैसे खुश करना है यह भी आना चाहिए जो कि निर्मला को बिल्कुल भी नहीं आता। ( इतना कहने के साथ ही अशोक रीता की चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा,,,,,, और रीता अशोक की इस हरकत से सिसकारी लेते हुए बोली।)
सससससहहहहहहह,,,,,,, आहहहहहहह,,,,,, अअशोक,,,,,, मैं हूं ना मेरी जान मैं तुम्हें सारा सुख दूंगी,,,, (इतना कहने के साथ ही रहता अंडर वियर में तने हुए लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही मसलने लगी,,,, और रीता के ईस हरकत पर अशोक गरम आहें भरने लगा।,,,)

आहहहह,,,,,, रीता,,,,,, ( अशोक के मुंह से बस इतना ही निकला था कि वह रीता की दूसरी चूची को मुंह में भर कर पीने लगा।
अशोक इसी तरह से अपने ऑफिस में रीता के साथ रंगरेलियां मनाता था। लेकिन आज तक इस बात की भनक ऑफिस में काम कर रहे किसी भी कर्मचारी को नहीं लगी। रीता के साथ ही क्या इससे पहले भी जितने भी औरतों के साथ अशोक के संबंध रहे हैं आज तक इस बात की भनक किसी को भी नहीं लग पाई क्योंकि ऑफिस में अशोक हमेशा सख्ती से पेश आता था और जिन औरतों के साथ उसके शारीरिक संबंध होते थे उनके साथ भी दूसरों के सामने वह बड़े ही शख्ती से पेश आता था। इसलिए कभी भी किसी को इस बात की बिल्कुल भी मन नहीं लग पाती इसलिए अशोक के उसके पर्सनल असिस्टेंट के साथ शारीरिक संबंध है।

अशोक रीता की दोनो चुचियों को बारी-बारी से मुंह में भरकर पीने का आनंद ले रहा था। रीता मस्त हुए जा रही थी,वो अपनी चूचियों को चुसवाते हुए धीरे से अशोक के अंडर बीयर को नीचे सरकाई और उसके हथियार को बाहर निकाल कर मुठीयाने लगी,,,, अशोक भी एकदम से चुदवासा हुए जा रहा था।रीता की हर एक हरकत पर अशोक पागलों की तरह ऊससे लिपट चिपट रहा था। रीता बड़े ही उत्तेजक तरीके से अशोक के खड़े लंड को मुट्ठी में भरकर आगे पीछे कर रही थी। अशोक दीवानों की तरह रीता की चुचीयो पर टूट ही पड़ा था।

ओहहहहह,,,, अशोक,,,, मेरे राजा,,,,, आहहहहहहह,,,, और जोर के पियो,,,, खूब जोर जोर से दबाओ,,,,,,,( अशोक भी रीता की बात मानते हुए जोर जोर से दबाना शुरु कर दिया) सससससहहहहहहह,,,,, ओहहहहह,,,,, अशोक,,,,, बस ऐसे ही दबाते रहो बहुत मजा आ रहा है।

कुछ देर तक अशोक रीता की चुचियों से ही अपनी प्यास बुझाता रहा। रीता की दोनों चुचीयां उत्तेजना के असर में अपने आकार से थोड़ी बड़ी हो चुकी थी और अशोक के द्वारा मसलने की वजह से एकदम लाल लाल टमाटर की तरह हो गई थी। रीता तो अशोक के लंड से ही खेल रही थी उसे हल्के हल्के मुठीयाते हुए अशोक को पूरी तरह से गर्म कर चुकी थी।
दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके थे रीता अपनी चुचियों पर से अशोक का मुंह हटाते हुए उसकी आंखों में आंखें डाल कर बड़ी ही नशीली अंदाज में अपने दांत से होठों को दबाते हुए एकटक देखने लगी। अशोक तो रीता की नशीली आंखें देखकर नशे में डूबने लगा और देखते ही देखते रीता उसके होठो को चुंबन करते हुए धीरे धीरे नीचे की तरफ आने लगी और आते-आते उसके शर्ट के बटन खोलते जा रही थी। धीरे-धीरे रीता अशोक की शर्ट के सारे बटन को खोलते हुए घुटनों के बल बैठ गई अशोक कुछ समझ पाता इससे पहले ही रीता ने उसके टनटनाए हुए लंड को अपने मुंह में भर कर चुसना शुरु कर दी। रीता की इस गरम हरकत की वजह से अशोक की तो हालत खराब हो गई उसके मुंह से गरम आहे निकलने लगी।

आहहहहहह,,,,,, रीता,,,, ( अशोक एकदम से उन्माद मैं भर चुका था उसकी आंखें सुख की अनुभूति करते हुए बंद होने लगी। उसका गला सुर्ख होने लगा। रीता को तो जैसे कोई आइसक्रीम कौन मिल गई हो इस तरह से ऊसे मुंह में भर कर चुसे जा रहीे थी। रीता कि यह अदा अशोक को पागल किए जा रही थी और इसी अदा पर तो अशोक पूरी तरह से फ़िदा था। यही सब बातों की वजह से निर्मला दूसरी औरतों से बिल्कुल अलग थी और जिस प्रकार से रीता अपनी अदाओं से अशोक को संपूर्ण रूप से संतुष्टि प्रदान कर रही थी यही अदा वह निर्मला में देखना चाहता था। बिस्तर पर निर्मला को वाह इसी रूप में देखना चाहता था जिस तरह से रीता बिना कुछ बोले अपने आप से ही अशोक को संपूर्ण रुप से संतुष्टि देते हुए खुद ही उसके अंगों से खेल रही थी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी यही सारी अदाएं वह निर्मला से चाहता था लेकिन निर्मला अपने आप को इस कला में परिपूर्ण नहीं कर पाई। अशोक के कई बार दबाव देने पर निर्मला ने रीता की तरह अशोक को खुश करने की कोशिश की लेकिन उससे यह सब नहीं किया गया वह जब भी अशोक के लंड को अपने मुंह में लेती तो उसका जी मचलने लगता उसे उबकाई आने लगती और फिर वह उल्टी कर देती थी जिससे अशोक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता था और वहां निर्मला को खरी-खोटी सुनाकर उसका अपमान करते हुए उसी हालत में छोड़कर चला जाता था।
रीता धीरे-धीरे अशोक के पूरे लंड को अपने गले तक उतारकर चुशना शुरू कर दी। अशोक तो उसके मुंह को ही ऊसकी बूर समझ कर धक्के देना शुरु कर दिया था।
रीता भी उसके धक्कों का जवाब देते हुए अपने मुंह को ही आगे पीछे करके जोर-जोर से ऊसके लंड को चुसना शुरु कर दी । दोनों कामातूर हो चुके थे कुछ देर तक यूं ही रीता अशोक के लंड को चुसती रही और उसके बाद अशोक को लगने लगा कहीं ऊसका पानी ना निकल जाए इसलिए वह रीता के मुंह में से अपने लंड को बाहर खींच लिया। रीता की सांसे ऊपर-नीचे हो रही थी अशोक एक पल भी रुके बिना रीता की बाहों को पकड़कर उपर की तरफ उठाया और उसे टेबल पर बिठा दिया,,,, टेबल पर बैठते ही रीता को समझ में आ गया कि उसे क्या करना है इसलिए उसने झट से अपनी साड़ी को धीरे-धीरे सरकाते हुए अपने कमर तक चढ़ा ली और अपनी जांघों को फैला दी। अशोक तो यह नजारा देख कर एकदम कामातुर हो गया उससे रहा नहीं गया और वह घुटनों के बल बैठ कर. रीता की पैंटी को एक छोर से पकड़ कर दूसरी तरफ कर दिया जिससे कि उसकी फुली हुई बुर उभरकर एकदम सामने आ गई। रस से भरी रसमलाई को देखकर अशोक अपना मुंह सीधे उस रसमालाई में डाल दिया,,, और जीभ से नमकीन रात को चाटना शुरू कर दिया। रीता तो पागल हुए जा रही थी उसके बदन में उन्माद का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था। जैसे-जैसे अशोक की जीभ रीता की रसीली बुर पर इधर उधर घूम रही थी वैसे वैसे रीता की सिसकारी और तेज होती जा रही थी और साथ ही वह अपने दोनों हाथ से अशोक का सिर पकड़कर उसका दबाव अपनी जांघों के बीच बढ़ा रही थी।
अशोक को इस तरह से काफी अरसा बीत चुका था निर्मला की बुर को चाटे। शुरु-शुरु में वह इसी तरह से निर्मला से प्यार करता था लेकिन धीरे-धीरे यह प्यार निर्मला के लिए कम होता है गया। इसी तरह के प्यार के लिए निर्मला तड़प रही थी उसके मन में भी यही होता था कि अशोक उसके साथ ऐसा ही प्यार करें जैसा कि वह रीता के साथ कर रहा था।

ओहहहहहह,,,,, अशोक,,,,,, मेरे राजा,,,,,,, बस ऐसे ही ऐसे ही,,,,,, जोर जोर से चाटो । मेरे राजा मेरी बुर का सारा रस पी जाओ अपनी जीभ से,,,,,,,आहहहहहहह,,,,,,, बहुत मजा आ रहा है अशोक यही मजा पाने के लिए तो मैं तुम्हारे पास आती हुं,,,,,, मेरा पति कभी भी मुझे इस तरह से प्यार नहीं करता,,,,,,, ससससससहहहहहह,,,,, ओोोहहहहहहहहहह,,,,,, म्मांं,,,,,,,, मर गई रे मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है मेरे राजा,,,,,,,,बस अब बिल्कुल भी देर मत करो,, अपना मोटा लंड डालकर मेरी बुर की खुजली मिटा दो बहुत पानी छोड़ रही है जो चोदोे अशोक चोदो,,,,,

मेरी प्यासी बुर तड़प रही है तुम्हारे लंड के लिए,,,,
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pongapandit
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Re: अधूरी हसरतें

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Nice update
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