अधूरी हसरतें
- Dolly sharma
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Re: अधूरी हसरतें
superb.................
खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
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Re: अधूरी हसरतें
ग्रेट स्टोरी दोस्त
न्यु हियर
लेकिन काफी दिनों से आपकी कहानी पढ़ रहा हूँ
न्यु हियर
लेकिन काफी दिनों से आपकी कहानी पढ़ रहा हूँ
- Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें
thankss dear friends and readres
Read my all stories
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
- Rohit Kapoor
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Re: अधूरी हसरतें
अशोक को कमरे में आने से पहले ही जल्दी-जल्दी शुभम ने अपनी मां की कपड़ों को व्यवस्थित कर दिया था,,,, अशोक घर में प्रवेश किया तो उसे जरा सी भी भनक नहीं लग पाई कि कमरे में कुछ देर पहले क्या चल रहा था उसने बस निर्मला के हाथों में लगी मेहंदी को देखा और अपने कमरे में चला गया,,,, अशोक को अपने कमरे में जाते ही निर्मला ने राहत की सांस ली,,,,, लेकिन सारे किए कराए पर पानी फिर गया था। आज दूसरी बार अपने बेटे के लंड को इतने करीब से देखने का शुभ अवसर प्राप्त की थी,,,, जैसे ही शुभम ने अपने हाथ से अपने पेंट को खोलकर नीचे जांघो तक लाया था। और शुभम का खड़ा लंड हवा में लहरा ही रहा था कि गाड़ी का हॉर्न सुनाई दिया और सारे दृश्य पर जैसे परदा सा पड़ गया,,,, शुभम भी काफी उत्तेजित नजर आ रहा था एक तो वैसे ही उस की मां की अस्त व्यस्त कपड़ों की स्थिति के कारण काफी काम उत्तेजना का अनुभव अपने बदन में कर रहा था और करता भी कैसे नहीं,,, क्योंकि निर्मला भी तो यही चाहती थी इसलिए तो वह खुद ही अपने ब्लाउज के दो तीन बटन को अपने हाथों से खोलकर अपनी चूचियों का ज्यादातर हिस्सा बाहर की तरफ दिखा रही थी ताकि शुभम की नजर उस पर पड़ते ही उसके अंदर चुदास का कीड़ा रेंगने लगे। और वैसा हुआ भी शुभम की नजर अपनी मां पर पड़ते ही वह अपने बदन में कामोत्तेजना का अनुभव करने लगा था। ऊपर से उसके नरम नरम हथेली को अपने हाथ से पकड़ कर मेहंदी लगाते हुए जो उन्मादक नजारा देख कर अपनी आंखों के साथ-साथ अपने बदन को भी सेंक. रहा था। वह नजारा उसके बदन में हलचल मचा दिया था। वैसे भी आज पहली बार उसने अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी चूचीयो को देखा था। हालांकि उसने अपनी मां को अब तो काफी बार नंगी देख चुका था लेकिन अपनी मां के बदन के कुछ अनोखे और अनमोल पन्ने खुलने बाकी थे जिसमें से आज एक और अद्भुत और अपने आप में ही प्रचुर कामोत्तेजना का भंडार लिए हुए उत्तेजनात्मक पन्ना खुल चुका था। अपनी मां के बदन के ईस पन्ने के खुलते ही चूची की मनोरम में बनावट उसकी संरचना और गोलाकार रचना को देखकर वह विष्मय में पड़ गया था। उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि वास्तव में चूची का आकार और उसकी गोलाइयां इतनी ज्यादा कामोत्तेजित कर देने वाली होती है कि आदमी का खड़े-खड़े ही पानी निकल जाए। अभी तक तो वह केवल चुचियों के बीच की गहरी नहर के सामान लकीर को देख कर ही उत्तेजित हुआ करता था और उसको लेकर के ना जाने कैसी कल्पनाए कर कर के अपने खड़े लंड को शांत करने की पूरी कोशिश किया करता था।
पहले की ही तरह आज भी उसका नसीब बड़े जोरों पर था उसकी मां के हाथों में मेहंदी लगी हुई थी,,, और विक्स की डिब्बी उसके नसीब के जोर के कारण हीै ऐसी जगह जाकर गिरी थी,,,,,, जिस जगह के बारे में सोच कर ही जांघों के बीच के हथियार में उत्थान आना शुरू हो जाता है।
शुभम यही सोच रहा था कि यह शायद उसके नसीब के जोर से ही हुआ है लेकिन यह नहीं जानता था कि यह सब उसकी मां की ही सोची समझी साजिश थी वह खुद यही चाहती थी कि उसका बेटा उसके बदन को देखकर उत्तेजित हो,,,, और ऐसा हुआ भी था। अपनी मां की नंगी बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर शुभम एकदम हैरान था उसकी खूबसूरती से उसकी आंखें चौंधिया सी गई थी,,,, अपनी मां की चुचियों को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया था वह अपनी मां की चुचियों को दोनों हाथों से पकड़कर उसे दबाना चाहता था उसे मुंह में भर कर पीना चाहता था। वह ऐसा कर भी सकता था क्योंकि निर्मला भी यही चाहती थी लेकिन शुभम में पहल करने की अभी हिम्मत नहीं थी। वह तों अपनी मां की चुचियों को देखकर ही अपनी उत्तेजना के थर्मामीटर को बढ़ा रहा था। अपने सिर में बिक्स लगवाने के लिए शुभम को बोली थी वह विक्स लगाने की शुरुआत करता इससे पहले ही ऐसा लग रहा था कि सच में कुदरत दोनों पर मेहरबान थी इसलिए तो प्लान में ना होने के बावजूद भी,,, कुछ ऐसा घटित हो गया था कि शुभम को खुद अपने हाथों से ही अपनी मां के ब्लाउज के बाकी बचे बटन को खोलना पड़ रहा था। शुभम तो जैसे उत्तेजना के घोड़े पर सवार हो गया था उसकी सांसे तीव्र गति से टप टपाते हुए दौड़ रही थी। शुभम प्रसन्नता के नाव पर सवार होकर उन्माद की लहरों को चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था,,,, उस की उंगलियां अपनी मां के ब्लाउज के बटन पर हरकत कर रही थी और धीरे-धीरे करके उसने ब्लाउज के बाकी बचे बटन को खोल दिया और बटन की खुलते ही,, दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर बाहर आ गए उनको देखकर तो शुभम की आंखें फटी की फटी रह गई,,,, उत्तेजना के मारे निर्मला की दोनों निप्पले तन कर एकदम टाइट हो चुकी थी,,,, शुभम का का मन कर रहा था कि दोनों हाथों में भरकर वह अपनी मां की चुचियों को दबाए. लेकिन ऐसा वह कर. सका। बस हल्के-हल्के उंगलियों का स्पर्श ऊस पर होते ही इतने मात्र से ही वह एकदम प्रसन्न और उत्तेजित हो गया था।
और जैसे ही उसकी मां मैं पेंट को खोलकर अपने लंड को दिखाने के लिए कहीं तो शिवम को लगने लगा था कि आज जरूर कुछ ना कुछ बात आगे बढ़ेगी,,,, और शायद बात आगे भी बढ़ जाती इसलिए तो उसने तुरंत अपनी मां की बात मानते हुए अपनी पेंट को खोलकर नीचे जांघो तक सरका दिया था। खड़े लंड को देख कर उसकी मां की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी। अपने बेटे के तने लंड को देखकर उसकी बुर में पानी आ गया था। वह अपने बेटे के लंड के साथ कुछ कर पाती इससे पहले ही गाड़ी की आवाज सुनकर वह हड़ बड़ा गई थी। उसका पति कहीं यह सब देख ना ले इसलिए उसने शुभम को जल्दी से कपड़े पहनने और उसके ब्लाउज को जल्दी से बंद कर के कपड़ों को व्यवस्थित करने के लिए बोली,,,,,
शुभम भी घबरा गया था लेकिन अपनी मां की चुचियों को पकड़ने की ख्वाहिश ब्लाउज के बटन को बंद करने के साथ ही पूरी होनी लीखी थी इसलिए,,, वह जैसे ही अपनी मां के ब्लाउज के बटन को बंद करने लगा तो उससे ठीक से बटन लग नहीं पा रहा था क्योंकि उसे ब्लाउज के बटन लगाने का अनुभव बिल्कुल भी नहीं था तो निर्मला ने ही उसे चुचीयो को हाथों से पकड़कर ब्लाउज में कैद कर के बटन लगाने को बोली,,,, यह सुनते ही उसे लगने लगा कि चूचियों को पकड़ने की हसरत उसकी पूरी हो जाएगी और ऐसा हुआ भी वह अपनी मां की चुचियों को पकड़कर ब्लाउज में कैद कर के बटन लगा भी दिया और वह जब अपनी मां की चूची को हाथ से पकड़ा था तो उससे रहा नहीं गया और वह कसके के एक बहाने से अपनी मां की चूची को दबा दिया,,,, जैसे ही उसने अपनी मां की चूची को दबाया था वैसे ही निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई थी। ऊपर से एकदम साफ और कड़क दिखने वाली सूची अंदर से इतनी रुई की तरह मुलायम होगी इस बात का अंदाजा शुभम को चूची को दबाने पर ही पता चला था। उसका मन तो और कर रहा था उसे कब तक के दबाने का लेकिन क्या करता है कि पापा जी आ गए थे इसलिए उसने जल्दबाजी में चूचियों को दबा कर उसे ब्लाउज में कैद करते हुए जल्दी-जल्दी बटन लगाकर अपनी मां के कपड़ों को व्यवस्थित कर दिया।
यहां पर दोनों के लिए ही बड़ा उत्तेजनात्मक और कामुकता से भरा हुआ था यह नजारा दोनों के मन पर गहरा असर कर गया था।
रात को सोते समय वह मन में यही विचार करके सोई थी कि कल जैसा फिर से उसे सपने में उसका बेटा आ कर जमकर ऊसकी चुदाई करें।,,, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं हां इतना जरूर था कि अपने बेटे का ख्याल करके सोते समय उसकी बुर पानी से सरोबोर हो चुकी थी,,,, बगल में अशोक लेटा हुआ था लेकिन उसके करीब होने से भी कोई फायदा नहीं था। कल उसे परिवार सहित शीतल ने अपने घर पर उसकी शादी की सालगिरह पर बुलाई थी,,,,, वह मन मे सोची की अशोक के कल के प्रोग्राम के बारे में कुछ बात करें हो सकता है बातों बातों में ही उसका मूड बन जाए और उसकी बुर में छोटा ही सही लंड तो नसीब हो,,, निर्मला उससे बात करने के लिए जैसे ही उसकी तरफ नजर घुमाई तो वह निर्मला की तरफ पीठ करके सो चुका था अब उसे जगह पर बात करने का कोई फायदा नहीं था और वैसे भी वह निर्मला के साथ शीतल की सालगिरह पर जाता भी नहीं,,, निर्मला उसकी आदत को जानती थी। वह भी मन मार के सो गई,,,,
तकरीबन 3:00 बजे फिर से वही आदत के अनुसार अशोक ने निर्मला के ऊपर चढ़ कर बिना किसी प्यार के एहसास और संवेदना के बगैर उसकी चुदाई करने लगा,,,, वह ऐसा करना भी नहीं चाहता था वह तो उसे बाथरुम जाने के लिए उठना पड़ा और जब बाथरुम जाकर वापस लौटा तो निर्मला के अस्त व्यस्त कपड़ों को देखकर खास करके गाउन को कमर तक चढ़ जाने की वजह से उसके मदमस्त गोरी बड़ी बड़ी गांड नजर आ रही थी जिसे देखते ही एकदम से चुदवासा हो गया और निर्मला की चुदाई करने लगा,,,, अशोक की चुदाई से निर्मला को कुछ खास मजा नहीं आ रहा था लेकिन यही मौका था अशोक से कल के प्रोग्राम के बारे में बात करने का,,, क्योंकि वह अशोक को बिना बताए जाना भी नहीं चाहती थी क्योंकि ऐसा करने पर अशोक उस पर बेवजह गुस्सा करता,,, इसलिए अशोक जब जोर जोर से धक्के लगा रहा था तभी उसने कल के प्रोग्राम के बारे में उसे बताना शुरू कर दी,,,, लेकिन इस तरह के मौके पर निर्मला की बातें सुनकर अशोक निर्मला पर गुस्सा करने लगा और उसे चोदते हुए साफ-साफ बोल दिया कि तुम्हें जाना हो तो चले जाना मैं नहीं आऊंगा मुझे ऑफिस में बहुत काम है। इतना कहकर अपना काम करके वह फिर से सो गया,,,।
पहले की ही तरह आज भी उसका नसीब बड़े जोरों पर था उसकी मां के हाथों में मेहंदी लगी हुई थी,,, और विक्स की डिब्बी उसके नसीब के जोर के कारण हीै ऐसी जगह जाकर गिरी थी,,,,,, जिस जगह के बारे में सोच कर ही जांघों के बीच के हथियार में उत्थान आना शुरू हो जाता है।
शुभम यही सोच रहा था कि यह शायद उसके नसीब के जोर से ही हुआ है लेकिन यह नहीं जानता था कि यह सब उसकी मां की ही सोची समझी साजिश थी वह खुद यही चाहती थी कि उसका बेटा उसके बदन को देखकर उत्तेजित हो,,,, और ऐसा हुआ भी था। अपनी मां की नंगी बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर शुभम एकदम हैरान था उसकी खूबसूरती से उसकी आंखें चौंधिया सी गई थी,,,, अपनी मां की चुचियों को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया था वह अपनी मां की चुचियों को दोनों हाथों से पकड़कर उसे दबाना चाहता था उसे मुंह में भर कर पीना चाहता था। वह ऐसा कर भी सकता था क्योंकि निर्मला भी यही चाहती थी लेकिन शुभम में पहल करने की अभी हिम्मत नहीं थी। वह तों अपनी मां की चुचियों को देखकर ही अपनी उत्तेजना के थर्मामीटर को बढ़ा रहा था। अपने सिर में बिक्स लगवाने के लिए शुभम को बोली थी वह विक्स लगाने की शुरुआत करता इससे पहले ही ऐसा लग रहा था कि सच में कुदरत दोनों पर मेहरबान थी इसलिए तो प्लान में ना होने के बावजूद भी,,, कुछ ऐसा घटित हो गया था कि शुभम को खुद अपने हाथों से ही अपनी मां के ब्लाउज के बाकी बचे बटन को खोलना पड़ रहा था। शुभम तो जैसे उत्तेजना के घोड़े पर सवार हो गया था उसकी सांसे तीव्र गति से टप टपाते हुए दौड़ रही थी। शुभम प्रसन्नता के नाव पर सवार होकर उन्माद की लहरों को चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था,,,, उस की उंगलियां अपनी मां के ब्लाउज के बटन पर हरकत कर रही थी और धीरे-धीरे करके उसने ब्लाउज के बाकी बचे बटन को खोल दिया और बटन की खुलते ही,, दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर बाहर आ गए उनको देखकर तो शुभम की आंखें फटी की फटी रह गई,,,, उत्तेजना के मारे निर्मला की दोनों निप्पले तन कर एकदम टाइट हो चुकी थी,,,, शुभम का का मन कर रहा था कि दोनों हाथों में भरकर वह अपनी मां की चुचियों को दबाए. लेकिन ऐसा वह कर. सका। बस हल्के-हल्के उंगलियों का स्पर्श ऊस पर होते ही इतने मात्र से ही वह एकदम प्रसन्न और उत्तेजित हो गया था।
और जैसे ही उसकी मां मैं पेंट को खोलकर अपने लंड को दिखाने के लिए कहीं तो शिवम को लगने लगा था कि आज जरूर कुछ ना कुछ बात आगे बढ़ेगी,,,, और शायद बात आगे भी बढ़ जाती इसलिए तो उसने तुरंत अपनी मां की बात मानते हुए अपनी पेंट को खोलकर नीचे जांघो तक सरका दिया था। खड़े लंड को देख कर उसकी मां की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी। अपने बेटे के तने लंड को देखकर उसकी बुर में पानी आ गया था। वह अपने बेटे के लंड के साथ कुछ कर पाती इससे पहले ही गाड़ी की आवाज सुनकर वह हड़ बड़ा गई थी। उसका पति कहीं यह सब देख ना ले इसलिए उसने शुभम को जल्दी से कपड़े पहनने और उसके ब्लाउज को जल्दी से बंद कर के कपड़ों को व्यवस्थित करने के लिए बोली,,,,,
शुभम भी घबरा गया था लेकिन अपनी मां की चुचियों को पकड़ने की ख्वाहिश ब्लाउज के बटन को बंद करने के साथ ही पूरी होनी लीखी थी इसलिए,,, वह जैसे ही अपनी मां के ब्लाउज के बटन को बंद करने लगा तो उससे ठीक से बटन लग नहीं पा रहा था क्योंकि उसे ब्लाउज के बटन लगाने का अनुभव बिल्कुल भी नहीं था तो निर्मला ने ही उसे चुचीयो को हाथों से पकड़कर ब्लाउज में कैद कर के बटन लगाने को बोली,,,, यह सुनते ही उसे लगने लगा कि चूचियों को पकड़ने की हसरत उसकी पूरी हो जाएगी और ऐसा हुआ भी वह अपनी मां की चुचियों को पकड़कर ब्लाउज में कैद कर के बटन लगा भी दिया और वह जब अपनी मां की चूची को हाथ से पकड़ा था तो उससे रहा नहीं गया और वह कसके के एक बहाने से अपनी मां की चूची को दबा दिया,,,, जैसे ही उसने अपनी मां की चूची को दबाया था वैसे ही निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई थी। ऊपर से एकदम साफ और कड़क दिखने वाली सूची अंदर से इतनी रुई की तरह मुलायम होगी इस बात का अंदाजा शुभम को चूची को दबाने पर ही पता चला था। उसका मन तो और कर रहा था उसे कब तक के दबाने का लेकिन क्या करता है कि पापा जी आ गए थे इसलिए उसने जल्दबाजी में चूचियों को दबा कर उसे ब्लाउज में कैद करते हुए जल्दी-जल्दी बटन लगाकर अपनी मां के कपड़ों को व्यवस्थित कर दिया।
यहां पर दोनों के लिए ही बड़ा उत्तेजनात्मक और कामुकता से भरा हुआ था यह नजारा दोनों के मन पर गहरा असर कर गया था।
रात को सोते समय वह मन में यही विचार करके सोई थी कि कल जैसा फिर से उसे सपने में उसका बेटा आ कर जमकर ऊसकी चुदाई करें।,,, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं हां इतना जरूर था कि अपने बेटे का ख्याल करके सोते समय उसकी बुर पानी से सरोबोर हो चुकी थी,,,, बगल में अशोक लेटा हुआ था लेकिन उसके करीब होने से भी कोई फायदा नहीं था। कल उसे परिवार सहित शीतल ने अपने घर पर उसकी शादी की सालगिरह पर बुलाई थी,,,,, वह मन मे सोची की अशोक के कल के प्रोग्राम के बारे में कुछ बात करें हो सकता है बातों बातों में ही उसका मूड बन जाए और उसकी बुर में छोटा ही सही लंड तो नसीब हो,,, निर्मला उससे बात करने के लिए जैसे ही उसकी तरफ नजर घुमाई तो वह निर्मला की तरफ पीठ करके सो चुका था अब उसे जगह पर बात करने का कोई फायदा नहीं था और वैसे भी वह निर्मला के साथ शीतल की सालगिरह पर जाता भी नहीं,,, निर्मला उसकी आदत को जानती थी। वह भी मन मार के सो गई,,,,
तकरीबन 3:00 बजे फिर से वही आदत के अनुसार अशोक ने निर्मला के ऊपर चढ़ कर बिना किसी प्यार के एहसास और संवेदना के बगैर उसकी चुदाई करने लगा,,,, वह ऐसा करना भी नहीं चाहता था वह तो उसे बाथरुम जाने के लिए उठना पड़ा और जब बाथरुम जाकर वापस लौटा तो निर्मला के अस्त व्यस्त कपड़ों को देखकर खास करके गाउन को कमर तक चढ़ जाने की वजह से उसके मदमस्त गोरी बड़ी बड़ी गांड नजर आ रही थी जिसे देखते ही एकदम से चुदवासा हो गया और निर्मला की चुदाई करने लगा,,,, अशोक की चुदाई से निर्मला को कुछ खास मजा नहीं आ रहा था लेकिन यही मौका था अशोक से कल के प्रोग्राम के बारे में बात करने का,,, क्योंकि वह अशोक को बिना बताए जाना भी नहीं चाहती थी क्योंकि ऐसा करने पर अशोक उस पर बेवजह गुस्सा करता,,, इसलिए अशोक जब जोर जोर से धक्के लगा रहा था तभी उसने कल के प्रोग्राम के बारे में उसे बताना शुरू कर दी,,,, लेकिन इस तरह के मौके पर निर्मला की बातें सुनकर अशोक निर्मला पर गुस्सा करने लगा और उसे चोदते हुए साफ-साफ बोल दिया कि तुम्हें जाना हो तो चले जाना मैं नहीं आऊंगा मुझे ऑफिस में बहुत काम है। इतना कहकर अपना काम करके वह फिर से सो गया,,,।
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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