जुआरी complete

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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »

वो जाने के लिए मुड़ा तो कामिनी बोली : "रहने दो, मुझे फिर नहाने में देर हो जाएगी और इंद्राणी के आने का भी टाइम हो रहा है, तुम ऐसा करो अपने पैर का अंगूठा रखकर बैठ जाओ, मैं आज ऐसे ही मैनेज कर लुंगी ''

कुणाल के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी ये सुनकर
ये साली अमीर औरतें भी कितने ड्रामे करती है
कल की चुदाई के बाद तो उसे सीधा नंगा होकर बिस्तर पर लेट जाना चाहिए था
पर साला ऐसे नाटक करके चुदवाने में ज्यादा मजा मिलता है इन्हें
खैर कुणाल को क्या प्रोब्लेमम होनी थी
उसका तो एक तरह से मनोरंजन ही हो रहा था
अंत में उसे चूत तो मिलनी ही थी.

इसलिए वो अपना एक पैर बाथटब के अंदर लटकाकर बैठ गया और उसने अपने अंगूठे से छेद बंद कर दिया

कामिनी : "ऐसे बैठोगे तो पानी भरने पर तुम्हारी पेंट गीली हो जाएगी...''

कुणाल उसका इशारा समझ गया, उसने अपनी पेंट उतार दी, अब वो सिर्फ अपने अंडरवेयर में बैठा था टांग लटकाकर

कामिनी ने उसे सेक्सी नजरों से देखते हुए एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार दी



अंदर से जब उसके पके हुए आम झूलते हुए दिखे तो कुणाल का मन ललचा गया
एक औरत को हर बार नंगा देखकर मर्द अपना आप खो देता है
यही हाल कुणाल का भी हो रहा था...
कामिनी ने अपनी गांड का रुख उसकी तरफ किया और झुककर उसने जब पानी को ऑन किया तो कुणाल को उसकी गांड का गोल्डन छेद साफ़ दिखाई दिया
गांड के नीचे उसे चूत का दरवाजा भी अपनी तरफ बुलाता हुआ दिखा



उसका तो मन किया की टब के छेद को अंगूठी से बंद करने के बजाये वो उसकी गांड और चूत का छेद अपने लंड से बंद कर दे
पर उसे कामिनी मेडम के हुक्म का इन्तजार था,
चूत तो मिल ही जानी थी उसे ,

कामिनी मेडम गर्म हो चुके पानी में जाकर बैठ गयी,
पानी उनके मुम्मो से थोड़ा नीचे तक था, और उस पानी में उनकी चुचिया ऐसी लग रही थी जैसे पानी में फुटबॉल तैर रही हो



कुणाल का लंड पूरा खड़ा हो चूका था,
कामिनी ने सैक्सी नजरों से उसे देखा और फिर उसके कड़क लंड को...

और फिर बोली : "तुम भी अंदर ही आकर बैठ जाओ और मेरे पैरों की मसाज करो...''

कुणाल ने अपने कपड़ों की तरफ देखा तो कामिनी ने कहा की उन्हें उतार दो

बस फिर क्या था, कुणाल ने एक ही झटके में सारे कपडे निकाल फेंके और टब में अंदर आकर बैठ गया, छेद पर उसने अपनी गांड टिका दी

एक झुग्गी में रहने वाले ऐय्याश नौकर के लिए ये बहुत बड़ी बात थी की वो अपनी मालकिन के साथ उन्ही के बाथटब में बैठकर नहा रहा था

कामिनी ने अपनी सिल्की टांग उठाकर कुणाल की तरफ कर दी...
गर्म पानी में डूबकर वो किसी बंगाली रसगुल्ले की तरह रसीली लग रही थी.

कामिनी ने अपने पैरों को उसके सीने पर रखा और अपनी उंगलियो से उसके सीने के बालों से खेलने लगी...

कुणाल ने अपने हाथ उसके पेट पर रखे और ऊपर तक लेजाकर उसे सहलाने लगा



दूर बैठकर कामिनी, पानी में डंडे की तरह खड़े हुए कुणाल के लंड को देख पा रही थी...
जिसका सूपाड़ा पानी से थोड़ा बाहर निकल कर अपने गुलाबजामुन जैसे रंग की छठा बिखेर रहा था

कुणाल के हाथ उसकी चूत पर आकर रुक से गए और वो अपने हाथ के अंगूठे से उसकी चूत के दाने को मसलने लगा,



कामिनी ने अपने होंठों को दांतो तले दबाकर खुद ही उनका रस पी लिया

कुणाल ने अपनी दो उँगलियाँ उसकी चूत में उतार दी थी, और वो उन्हें अंदर बाहर करते हुए कामिनी मेडम को एक अलग ही दुनिया का मजा देने लगा



वो आँखे बंद करके चीखे मारने लगी

''आआह्ह्ह्ह्ह कुणाल मममममममम यस्स्सस्स ऐसे ही करो, अंदर तक घुसाओ.... अह्ह्ह्ह ''

और जब उसने आँखे खोली तो उसके चेहरे पर हंसी आ गयी क्योंकि कुणाल ने काम ही ऐसा किया था

कुणाल ने कामिनी मेडम की रसीली चूत से निकली अपनी उँगलियों को अपने मुंह में लेजाकर चूस लिया और उसका सारा रस पी गया

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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »



कामिनी अपने पैरों को धीरे-२ नीचे लाने लगी, जैसे-२ वो पैर कुणाल के लंड की तरफ बढ़ रहे थे, उसका लंड पानी में झटके मार रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे बाथटब में कोई शार्क है, जिसे कामिनी अपने पैरों से पकड़ने जा रही है

और अंत में आकर उसने जब अपने कोमल पैर उसके सुपाड़े पर रखे तो कुणाल ने आँखे बंद कर ली

और किसी राजा की तरह टब में बैठकर वो कामिनी मेडम के पैरों को अपने लंड पर फील करने लगा

कामिनी ने अपने पैरों का फंदा उसके लंड पर लगाया और उसे दोहने लगी
कुणाल को ये सब फील करके परम आनंद की अनुभूति हो रही थी



कामिनी बड़े आराम से अपने पैरों की मसाज उसे दे रही थी, कुणाल को कड़क काम पसंद था इसलिए उससे सब्र नहीं हुआ और उसने कामिनी के पैरों को जोर से पकड़ कर उसे अपने लंड पर रगड़ दिया

कामिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली और उसके जंगली बर्ताव और लंड का मजा लेने लगी...
ऐसा लग रहा था जैसे उसका पैर किसी बड़े से कैक्टस में उलझ गया है,
झांटो से भरे उसके लंड पर उसका पैर जब घिसाई कर रहा था तो उसे थोड़ी तकलीफ भी हो रही थी,पर उसने उस दर्द को सह लिया,

कुणाल ने अपनी मालकिन के पैरों को लंड पर रगड़ा और फिर उन्हें ऊपर लाकर अपनी जीभ लगा दी उसपर...
एक पल के लिए तो कामिनी भी अपनी जगह से उठ खड़ी हुई,
कुणाल ने उसके पैरों की उंगलियों को अपने मुंह में लिया और उसे ऐसे चूसने लगा जैसे उनमे से दूध निकल रहा हो...

कामिनी के लिए भी ये पहला मौका था जब कोई उसके पैरों को कुत्ते की तरह चाट रहा था
पर उसे मजा बहुत आ रहा था..

अचानक कामिनी को अपनी चूत पर कुणाल के पैरों का एहसास हुआ,
कुणाल ने अपनी टांग सीधी करके अपना अंगूठा उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया था...
कामिनी ने अपनी जाँघे थोड़ी और चौड़ी कर ली और उसके लंड जैसे अंगूठे को अपने इंडिया गेट के अंदर घुस लिया

''ससससससsssssssssssssssss आआआआअह्ह्ह ''

वो सिसिया उठी , और उसके लंड को महसूस करते हुए अपनी आँखे बंद करके उस एहसास का मजा लेने लगी.

कुणाल भी कामिनी मेडम के अंगूठे को मुंह में लेकर ऐसे चूस रहा था जैसे वो उनकी क्लीट को चूस रहा हो...

माहौल बड़ा ही गर्म हो चूका था...
कामिनी की चूत अब कुछ बड़ा मांग रही थी...
वो अपनी जगह से उठी और एक ही झटके में उछलकर कुणाल की गोद में आकर बैठ गयी...
टब का आधे से ज्यादा पानी उछलकर बाहर गिर गया...
और उसके होंठों पर अपने होंठ लगाकर उसे चूसने लगी...
कुणाल भी कामिनी मेडम के मुम्मो को दिवाली के लड्डू समझ कर मसलने लगा..
और फिर उसने भी उनपर मुंह लगा दिया...
ऐसे अमीरी से भरे मोम्मे रोज-२ थोड़े ही मिलते है
और नीचे हाथ करके उसने बड़े ही प्यार से उसकी चूत को अपने खड़े हुए लंड पर लाकर सजा दिया

कामिनी भी कसमसाती हुई सी उसके लंड को चूत पर महसूस करके गुनगुना उठी और किलकारियां मारती हुई वो उसके लंड पर फिसलती हुई नीचे आने लगी..

''आआआआय्य्यीइइइइइइ शेरअअअअअअअअ aahhhhhhhhhh मर्रर्रर्र गयीईईईई उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ''



रात को दारु के नशे में उसके लंड को लेकर इतनी तकलीफ नहीं हुई थी जितनी अभी हो रही थी
पर मजा दुगना मिल रहा था उसे अभी

और फिर कुणाल ने उसके मुम्मो और होंठों को चूसते हुए, नीचे से उसकी गांड पर हाथ लगाकर , ऐसे झटके लगाए की टब का रहा सहा पानी भी कब निकल गया उन्हें पता ही नहीं चला

और हर झटके से कामिनी अपने ओर्गास्म के करीब पहुँच रही थी



और अंत में आकर जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो वो कुणाल के बालों को पकड़कर, ऊपर मुंह करके इतनी जोर से चीखी की किचन में काम कर रही पायल को भी वो चीख सुनाई दे गयी...
पर वो बेचारी उसे सुनने के अलावा कुछ और कर ही नहीं सकती थी..

और कामिनी के पीछे-२ कुणाल ने भी अपना पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया...

कामिनी उसके सीने पर हांफती हुई सी गिर पड़ी...

कुणाल ने पानी दोबारा चला कर टब को फिर से भर लिया और उसके बाद काफी देर तक वो अपनी मालकिन के हर अंग को झाग वाले पानी से साफ़ करता रहा..अब उसे एक नया एहसास मिल रहा था.



बाहर निकलकर कुणाल ने कामिनी को अपनी गोद में उठाकर बेड पर जाकर लिटा दिया..
और अपने हाथो से उसे ब्रा और पेंटी पहनाई , ऐसा करते हुए वो मन में सोच रहा था की काश ये काम वो रोज कर पाए

उसके बाद कुणाल ने भी कपडे पहन लिए और जब वो नीचे जाने लगा तो कामिनी ने उसे पीछे से आवाज देकर कहा : "सुनो कुणाल, वो इन्द्राणी को भी तुम्हारी ताश वाली ट्रिक्स सीखनी है, कही जाकर सो मत जाना, वो आने ही वाली है ''

कुणाल समझ गया की ये ताश का खेल तो एक बहाना है, जरूर कामिनी ने अपनी सहेली को उसके हरियाणवी लंड के बारे में कुछ ख़ास बताया होगा, जिसका मजा लेने वो आ रही है

वो मुस्कुराता हुआ, सर हाँ में हिलाकर नीचे चला आया

अब उसकी आँखों के सामने इन्द्राणी मेडम का चेहरा नाच रहा था

कामिनी मेडम की बाथरूम में जबरदस्त चुदाई करने के बाद कुणाल अपने कमरे में आ गया
थोड़ी देर में पायल उसके लिए नाश्ता ले आई पर उसकी हिम्मत नही हुई की वो अपने पति से ये पूछ ले की कामिनी मेडम के साथ क्या कर रहे थे...
आज कई सालो के बाद वो इस वक़्त चुदने से भी बच गयी थी वरना अपने पति को सुबह उठाने का मतलब होता था की पहले अपनी चूत मरवाओ और फिर उसे नाश्ता कारवाओ.

वैसे भी पायल खुद कौन सा दूध की धूलि रह गयी थी अब...
अपने मालिक से चुदाई करवाकर और वो भी अपने पति के सामने, वो भी उसी रंग मे रंग चुकी थी जिसमे रंगकर कुणाल इतने सालो से अपनी जिंदगी के मज़े ले रहा था..

वैसे होना भी यही चाहिए, पति-पत्नी को एक दूसरे पर ज़्यादा रोक-टोक नही रखनी चाहिए, जहाँ जिसकी मर्ज़ी हो , वो वहां जाकर अपनी जवानी के मज़े लूट ले..

नाश्ता करके कुणाल फिर से सो गया, उसे दोपहर के लिए अपनी एनर्जी भी तो सेव करनी थी.

जब वो उठा तो 1 बजने वाला था, पायल भी वहां नही थी..वो उठा और शेव बनाकर, सॉफ सुथरे कपड़े पहनकर कोठी में आ गया..

वहां ड्रॉयिंग रूम में कामिनी और पायल बैठकर बाते कर रहे थे...
वो शायद अभी कुछ देर पहले ही आई थी..पायल उनके लिए किचन में चाय बना रही थी..

कामिनी उसे देखकर बोली : "आओ कुणाल, इन्हे तो तुम जानते ही हो, ये आज ख़ास तौर पर तुमसे वो ताश की ट्रिक्स सीखने आई है...ताकि दीवाली पर कुछ स्पेशल जलवा दिखा सके...''

जलवे वाली बात पर दोनो खिलखिलाकर हंस दी..कुणाल भी मुस्कुरा दिया..
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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »

Ankit wrote: 20 Oct 2017 11:00Superb update
thanks you sooooooooooooo much
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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »

तभी कामिनी उनके लिए चाय लेकर आ गयी

इंद्राणी : "क्या यार कामिनी, इतना बढ़िया मूड बनाकर आई हूँ और तुम चाय पीला रही हो...''

वो समझ गयी और कामिनी को चाय वापिस ले जाने के लिए कहा..

और कुणाल को कहा की फ्रिज में से ठंडी बियर्स निकाल कर ऊपर ले आए...

और वो दोनो उठकर उपर चल दी, कामिनी के बेडरूम की तरफ.

कुणाल भी बियर निकाल कर, उनकी मटक रही गांडो को देखता हुआ उपर आ गया...

दोनो को ठंडी बियर के ग्लास देता हुआ कुणाल जब जाने लगा तो कामिनी ने उसे भी बियर लेने को कहा और ताश भी लाने के लिए बोला.

और फिर अगले 15 मिनट तक कुणाल वहां बैठकर इंद्राणी को अलग-2 ट्रिक्स बताने लगा...
कामिनी ने तो कल रात वाली वो ट्रिक भी इंद्राणी को बताई जिसमे कुणाल ने ट्रेल बनाकर अपनी आस्तीन में छुपा ली थी...पर ये नही बताया की उस खेल की आड़ में वहां क्या-2 चल रहा था.

इसी बीच 2-3 बियर भी ख़त्म हो गयी...
हल्का-2 सरूर भी चड़ने लगा..
कामिनी की ज़बान और इंद्राणी की नज़रें भी बहकने लगी थी..

इसलिए कामिनी को मुद्दे की बात पर आते ज़्यादा देर नही लगी...

वो इंद्राणी को देखते हुए बोली : "और तुम्हे पता है इंद्राणी, ये मसाज भी काफ़ी अच्छी करता है...ही इस सो स्ट्रॉंग...''

इंद्राणी ने अपनी नशीली आँखो से कुणाल की बाजुओ को नापते हुए कहा : "ओ या, आई केन सी इट... तुम कितनी लक्की हो, जो कुणाल के हाथो की मसाज तुम्हे मिलती है...''

कामिनी : "अरे , इसमे क्या प्राब्लम है, ये तुम्हे भी मसाज दे सकता है... क्यो कुणाल...दोगे ना..मसाज..''

कुणाल हंस दिया, उसका लंड उनकी बकचोदी सुनकर पहले ही खड़ा हो चुका था...
वो बड़ी बेशर्मी से अपने लंड को अड्जस्ट करता हुआ बोला : "क्यू नही मेडम जी...आप जैसा कहेंगे, वैसी सेवा कर देंगे इंद्राणी मेडम की ...हम तो आपके हुक्म के गुलाम है...''

कामिनी इस वक़्त अपने आप को महारानी जैसा समझ रही थी जिसके पास कुणाल जैसा गुलाम था जो उसके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार था.

और कामिनी के कहने मात्र से ही वो मसाज टेबल को तैयार करने लगा...
कामिनी एक कोने में रानी बनकर बैठ गयी और इंद्राणी ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए..

इस तरह से किसी अजनबी के सामने अपने कपड़े उतारने में , और वो भी एक नौकर टाइप के इंसान के सामने, उस हाई सोसायटी की औरत को थोड़ी बहुत झिझक तो हो रही थी, पर बियर का सरूर और कामिनी ने जो बाते उसे बताई थी, उन्हे सोचकर इंद्राणी ने अपने कपड़े उतार दिए...
और कुछ ही देर में वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में उनके सामने खड़ी थी..



कुणाल ने देखा की उसका बदन तो कामिनी मेडम से भी ज़्यादा रसीला और गदराया हुआ था..
पता नही ये मंत्रियो की बीबियाँ किस चक्की का आता खाती है जो ऐसा जिस्म मेन्टेन करके रखती है.

जब वो मसाज टेबल पर लेटी तो कुणाल ने कामिनी की तरफ देखा, जैसे आगे बढ़ने के लिए उसकी परमिशन माँग रहा हो...
कामिनी ने मुस्कुराते हुए अपनी पेरमिशन दे दी...
वो अपनी सहेली को आज पूरी तरह से खुश करके भेजना चाहती थी.

कुणाल ने उन्हे लेटने को कहा, वो टेबल पर उल्टी होकर लेट गयी...

कुणाल जैसे ही स्पेशल तेल इंद्राणी के बदन पर लगाने के लिए आगे बड़ा, कामिनी बोल उठी

"कुणाल, पहले इनके अंडरगार्मेंट्स तो निकाल दे, कही ऐसा ना हो की खराब हो जाए...''

कुणाल तो कब से यही बोलना चाह रहा था...
उसने आगे बढ़कर उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए...
उसके स्ट्रेप्स छिटककर अलग हो गये...
और शरमाती हुई इंद्राणी ने अपनी ब्रा निकाल कर साइड में रख दी..

और जब कुणाल उसकी पेंटी को उतारने लगा तो कामिनी फिर बोली : "इतने सिंपल तरीके से क्यो कर रहे हो कुणाल...बिना हाथ लगाए करो ना...''

कुणाल उसका मतलब समझ गया और इंद्राणी भी...
और उसका तो शरीर काम्प सा गया कामिनी की बात सुनकर...
साली दूर बैठकर मज़े ले रही थी...

कुणाल थोड़ा झुका और उसने अपने दांतो से उसकी कछी का कामिनीस्टिक अपने दांतो में दबा लिया..
और उसे धीरे-2 नीचे खींचना शुरू कर दिया...

कुणाल ने आज से पहले इतना एरॉटिक काम नहीं किया था और ना ही ऐसा दृश्य उसने अपनी आँखो के इतने करीब देखा था...
जैसे-2 वो उसके नितंबो से पेंटी को खींच कर उतार रहा था, उसका दरार वाला दूधिया चाँद उसकी आँखो के बिल्कुल करीब नंगा होकर प्रकट हो रहा था...
लोगो ने दूर आकाश में चाँद को निकलते हुए अक्सर देखा है पर कुणाल ने आज 2 इंच की दूरी से वो कारनामा देख लिया...
और इस चाँद को देखने का तो कोई मुकाबला ही नही था..बेदाग़ था ये वाला चाँद



और साथ ही साथ उसके नथुनों से एक चिर-परिचित सी गंध भी आ टकराई..
वो थी इंद्राणी की चूत से रिस रहे रस की...
वैसे तो हर चूत के रस की गंध अलग ही होती है पर कुणाल को इनकी अच्छे से पहचान थी...
वो तो गंध सूँघकर ही समझ गया की इसके रस का स्वाद खट्टा-मीठा होगा..
इतने सालो का एक्सपीरियेन्स जो था उसे चूत चाटने का..
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