जुआरी complete

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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »

sexi munda wrote: 14 Oct 2017 09:49 मोह्तर्मा इंतिहाई मस्त कहानी है
mastram wrote: 14 Oct 2017 19:48 मस्त जा रही है कहानी कामिनी जी
thanks you soooooooooooooooo much
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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »

हालाँकि वो सिर्फ़ देख ही पाए थे
पर उन्हे ऐसे खुल्ले आम करते देखना भी करने से कम नही था...

और उन्हे अच्छी तरह से पता था की आने वाली गेम्स में ये रहे-सहे पर्दे भी गिर जाएँगे..

अब अगली गेम की बारी थी...

और उससे पहले उन्हे ये भी डिसाईड करना था की उसमें हार-जीत होने पर क्या होगा..

विजय ने पत्ते बाँटे , सभी की नज़रें और कान विजय की तरफ ही थे...

विजय : "अब अगली गेम के लिए थोड़ा चेंज करना होगा.... यानी, जो मसाज तुम दोनो ने एक दूसरे को दी है, वही अब एक दूसरे के हसबैंड्स को देनी होगी...''

यानी, विजय हारा तो उसकी बीबी कामिनी, कुणाल को मसाज देगी
और
कुणाल हारा तो पायल को विजय के पास एक बार फिर से मसाज देने आना होगा..

विजय के हरामी दिमाग़ में हर तरह के ख़याल और संभावनाए आ रही थी, जिन्हे वो इस जुए के खेल के मध्यम से साकार करना चाहता था.

और वो ये भी जानता था की उसकी कही बात को ना मानने की किसी में भी हिम्मत नही है...
एक तरह से देखा जाए तो वो अपनी दबी हुई कुंठस्त भावनाओ को इस खेल के माध्यम से बाहर निकाल रहा था.

पर वो ये नही जानता था की उसके अलावा उसकी बीबी और कुणाल के बीच भी कुछ ख़ास चल रहा है, शायद इसलिए वो उसकी किसी भी बात का विरोध नही कर रहे थे...
पायल तो उसके लंड का स्वाद चख ही चुकी थी.

पत्ते तो ऑलरेडी बंट ही चुके थे, इसलिए उसने उपर वाले का नाम विजय ने अपने पत्ते उठा लिए...
इस गेम में वो जीतना चाहता था ताकि कुणाल की बीबी उसकी मसाज कर सके..

और हुआ भी ऐसा ही..

उसके पास सीक़वेंस आया था..... 8,9, 10 का.

उसने जोरदार तरीके से हंसते हुए पत्ते नीचे फेंक दिए...
कुणाल के पास इस बार भी पेयर आया था, 10 का...
पर सीक़वेंस के सामने वो बेकार था.

कुणाल ने पायल की तरफ देखा और धीरे से बोला : "चल जा....साब की मालिश कर दे...''

ये एक ऐसी लाइन थी जिसमें वो एक तरह से अपनी बीबी को ये कह रहा था की जा,साहब को खुश कर दे...

पायल भी एक बार फिर अपने मालिक को मालिश करने के नाम से तप सी गयी....
उसके हाथ पैर फूल से गये...
हालाँकि ऐसा उसके साथ पहली बार नही हुआ था, पर अब इसलिए हो रहा था क्योंकि उसका पति और मालिक की बीबी सामने बैठकर वो नज़ारा देखने वाले थे...

विजय उठकर उसी सोफे पर जाकर लेट गया जहाँ कुछ देर पहले आधी नंगी होकर पायल अपना बदन मसलवा रही थी ..

और पायल से बोला : "चल, आजा जल्दी से...''

पायल धीरे-2 चलती हुई वहां आ गयी...
कामिनी वहां से हटकर कुणाल के साथ वाली चेयर पर आकर बैठ गयी...
जहां से दोनो पूरे सीन को सॉफ तरह से देख पा रहे थे.

विजय ने देखा की पायल अभी तक हिचकिचा रही है...
वो थोड़ी कड़क आवाज़ में बोला : "सुना नही....जल्दी आओ यहाँ और शुरू करो...''

अपने मालिक की वही सुबह वाली डांट सुनकर उसके बदन में फिर से तेज़ी आ गयी....
उसने आनन-फानन मे तेल की शीशी उठाई और उनके करीब जाकर खड़ी हो गयी...

विजय ने एक बार फिर से घूर कर देखा तो उसने उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए...
पहले कुर्ता..
फिर पयज़ामा और फिर बनियान भी.

अब विजय सिर्फ़ एक बॉक्सर में लेटा हुआ था.

कमरे में मौजूद दोनो औरतें अच्छे से जानती थी की उस बॉक्सर के नीचे की चीज़ कैसी है...

कामिनी तो बरसों से चुदती आई थी उस लंड से...
इसलिए उसे कुछ ख़ास दिलचस्पी नही रह गयी थी इस खेल में.

वो तो बस यही सोच रही थी की काश कुणाल जीत जाता ये गेम...
वो उसके काले कलूटे बदन को अपनी नर्म उंगलियों से मसलकर मसाज करती..
ठीक वैसे ही जैसे उसने जंगल की झाड़ियों में उसके लंड को पकड़ कर मूठ मारी थी उसकी...

भले ही अभी के लिए ये नही हो रहा था पर वो जान चुकी थी की आने वाली गेम्स में ऐसा मौका उसे ज़रूर मिलेगा...
इसलिए वो बड़ी ही प्यासी नज़रों से कुणाल को देख रही थी, जो उससे सिर्फ़ 2 फीट की दूरी पर बैठा अपने लंड को मसल रहा था.
इस वक़्त कुणाल का ध्यान अपनी बीबी पायल पर था
वो शायद देखना चाहता था की वो गाँव की भोली भाली औरत आज अपने पति के सामने किस हद्द तक खेलने की हिम्मत रखती है...

पर उसे ये नही पता था की वो सारी हदें तो सुबह ही पार कर चुकी थी, अपने मालिक को ऐसी ही मसाज देकर और उनके लंड को पीकर..
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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »


दूसरी तरफ पायल की नज़रें जब विजय से मिली तो वो शरमा गयी...
शायद उसे सुबह वाली मसाज याद आ गयी थी...
अंदर से तो वो चाह रही थी की उनके लंड को पकड़े और उसपर भी तेल लगा कर उसे चमका दे
पर शर्म की वजह से वो नही कर पाई..

पर विजय तो यही करवाने के लिए इस गेम को खेल रहा था...

उसने पायल का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया...
वो बेचारी अपने मालिक की इस हरकत को देखकर काँप सी गयी....
उसने घबरा कर अपने पति कुणाल की तरफ देखा, जिसने लास्ट मूमेंट पर अपनी नज़रें घुमा कर कामिनी की तरफ कर ली, जैसे वो उन्हे देख ही नही रहा था...
कामिनी भी कुणाल को देखकर कुछ बात करने लगी जैसे उसे भी उनके खेल में कोई दिलचस्पी नही थी..

विजय के लंड को पकड़ कर पायल को भी कुछ-2 होने लगा था...
उसके जहन में एक बार फिर से सुबह वाली बातें घूमने लगी...
और वो सोच-सोचकर उसके हाथ विजय के लंड पर कसते चले गये.

पायल की आँखो में गुलाबीपन उतर आया...
उसकी साँसे तेज हो गयी...
छातियाँ उपर नीचे होने लगी..
छूट से पानी रिसने लगा...
होंठ फड़फड़ाने लगे...
और ये सब हुआ सिर्फ़ एक लंड पकड़कर.
मर्दों के लंड में कितनी ताक़त होती है, अपने लंड के दम पर वो औरत के शरीर में कैसे-2 बदलाव ले आते है, शायद ये उन्हे भी नही पता होता..

रह रहकर पायल तिरछी आँखे करके कुणाल को देख रही थी और उसकी तरफ से मिल रहे अनदेखेपन से उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी...
उसने कस कर आँखे बंद कर ली पूरी लगन से अपने मालिक की सेवा करने लगी...
उसकी हालत इस वक़्त उस बिल्ली की तरह थी जो अपनी आँखे बंद करके ये सोचती है की उसे कोई नही देख रहा..
पर वो बोडम महिला कितनी ग़लत थी ये उस कमरे में मोजूद हर इंसान जानता था...

पायल की आँखे बंद होते देखकर कुणाल समझ गया की वो अब सब कुछ करके रहेगी...
अपनी ही बीबी को ऐसी हरकत करते देखकर उसे इस वक़्त बिल्कुल भी गुस्सा नही आ रहा था, उसे तो मज़ा आ रहा था ये सोचकर की जब उसका नंबर आएगा तो कामिनी मेडम भी अपने पति के सामने उसके साथ ऐसा ही करेगी...

विजय ने अपने बॉक्सर को भी निकाल दिया...
हालाँकि इस वक़्त कुणाल भी उसी कमरे मे मोजूद था पर अब तक वो भी जान चुका था की कुणाल तो कामिनी के लालच में कुछ भी नही बोलेगा...
और पायल तो उसकी बोतल में पहले ही उतर चुकी थी...
अब तो बस पूरा नंगा होकर उसे इस खेल की अच्छे से शुरूवात करनी थी.

विजय का अंडरवीयर निकलते ही उसका कड़क लंड पायल के सामने पकी हुई फसल की तरह लहराने लगा...
पायल तो पहले ही अपने सपनो की रंगीन दुनिया में पहुँच चुकी थी...
उसने एक बार फिर से उस नंगे लंड पर कब्जा जमा लिया और उसपर तेल लगाकर उसकी मालिश करने लगी...



विजय भी अपनी बीबी कामिनी से नज़रें मिलाकर उसके दिल में चल रही उथल पुथल को जानने की कोशिश कर रहा था...
और उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर और कुणाल की तरफ प्यासी नज़रों से देखने के अंदाज से उसे पता चल गया था की वो भी इस खेल में सब कुछ करने को तैयार है.

इसलिए उसने अपने लंड को मसलवाते हुए कामिनी के बूब्स पर हाथ रख दिया...
वो कुछ ना बोली
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से सिसकारी निकलने से बचाई.
उसकी साड़ी का पल्लू खिसककर नीचे आ गया, विजय ने उसके पेटीकोट में फंसी साड़ी को बाहर निकाल कर नीचे गिरा दिया, और अब वो सिर्फ एक पेटीकोट और ब्लाउस में खड़ी थी

विजय के दिमाग़ में भी इस वक़्त बहुत कुछ चल रहा था..
उसे ये तो पता चल ही चुका था की जिस तरह की नंगी गेम वो खेलना चाहता है उसके लिए सभी तैयार है...
पर वो एक ही बार में उसे नंगा करके , चुदाई की शुरूवात करके, इस खेल की मर्यादा और मज़ा नही बिगाड़ना चाहता था...
वो सब कुछ आराम से करने वालो में से था...

इसलिए उसने पायल के बूब्स को सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से दबाया, उसे नंगा नही किया...
हालाँकि विजय के हाथ लगाने से पायल के निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे, और उन्हे अब विजय के गीले होंठों और तेज दाँतों की ज़रूरत महसूस हो रही थी, पर विजय सिर्फ़ उन्हे उपर-2 से मसलता रहा...

विजय की इस हरकत से पायल बुरी तरह से उत्तेजित हो रही थी...
और उसके हाथ पहले से ज़्यादा तेज़ी से उसके लंड को मसाज कर उसका रस निकालने की तैयारी में लगे हुए थे... और करीब 2 मिनट की जोरदार मालिश के बाद विजय के लंड से तेल निकलकर उसी के पेट पर गिरने लगा.


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