जुआरी complete

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shubhs
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Re: जुआरी

Post by shubhs »

बिंदास
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »

वो उछलकर विजय के पास आई और उसकी गोद में बैठ गयी...
विजय ने भी बिना कोई देरी किए उसकी चूत का निशाना बना कर अपना लंड उसके अंदर उतार दिया....
और वो फकफकाती हुई सी, उसके अमीरी से भरे लंड को अपनी गरीब पर रसीली चूत में लेकर , उसकी गोद में कूदने लगी..



''आआआआआआआआअहह माआाअलिक..... क्या मज़ा दे रहे हो आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज.... उफफफफफफफफफफ्फ़ इतनी मस्ती तो आज तक नही मिली....... डालो इस लौड़े को मेरे अंदर....चोदो मुझे मालिक ...चोदो ....''

उसकी इस चीख पुकार को कुणाल और कामिनी ने भी सुना पर इस वक़्त उस तरफ ध्यान देने का टाइम उनके पास भी नही था, क्योंकि कामिनी भी अपनी कच्छी उतार कर कुणाल के उपर चढ़ चुकी थी...

सोफे पर लेते हुए कुणाल के लंड को जब अपनी चूत में लेकर कामिनी ने नीचे उतरना शुरू किया तो उसे एहसास हुआ की वो क्या लेने जा रही है....
कुणाल के मोटे लंड ने उसकी चूत की मांसपेशियो को जब दोनो तरफ से फेला कर फाड़ना शुरू किया तो उसकी अभी तक की मस्ती चीखे बनकर बाहर निकलने लगी...
जो पायल की सिसकारियों को दबाने में पूरी तरह से सफल हो गयी..

**** वीमेन न टॉप

''उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कुणाल........ क्या मोटा लंड है तुम्हारा....अहह फककककककक ...फाड़ दी मेरी चूत .....ओह्ह्ह माय गॉड ..... फाड़ डाली तुमने तो मेरी....''

पर वो कहते है ना उपर वाले ने औरत की चूत बनाई ही ऐसी है की बच्चा भी उसी में से बाहर निकलता है और वो अपने हिसाब से खिंच भी जाती है उस वक़्त...
बड़े से बड़ा लंड उसमें घुस सकता है
पर हर बार खिंचाव से दर्द होना भी स्वाभाविक ही है...
और वही हो रहा था इस वक़्त कामिनी को भी...
पर मज़ा भी बहुत मिल रहा था.

अंत मे जब उसने पूरा लंड अपने अंदर पिलवा लिया तो उसके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी जैसे उसने एवरेस्ट पर अपनी जवानी का झंडा फहरा दिया हो..

और फिर तो दोनो तरफ जो छलांगे लगी,उन्हे देखकर कोई कह ही नही सकता था की ये आपस में उन लोगो की पहली चुदाई है...

पायल अपनी जवानियो को अपने हाथों में लेकर उपर नीचे उछाल रही थी...
और वही कुणाल ने कामिनी की गांड को पकड़ कर अपना लंड उसकी टनल में पूरा उतार रखा था...



और जल्द ही दोनो तरफ से आ रही सिसकारियों में बढ़ोतरी होती चली गयी...
और अंत में आकर दोनो की बंदूको से निकली गोलियां पायल और कामिनी को अंदर तक ज़ख्मी करती हुई, उन्हें एक अलग ही ख़ुशी प्रदान कर गयी.

पूरे वातावरण में एक ठंडक सी फैल गयी...
जो कुणाल और विजय के लंड से निकले पानी की थी शायद...

और ये ठंडक अभी कुछ और दिन तक रहने वाली थी इस घर में ..
क्योंकि एक बार शेर के मुँह खून लग जाए तो उसका बार -2 शिकार करने का मन करता है...
और यहाँ तो चारों के मुँह खून लग चुका था.

दो दिन बाद दीवाली थी, यानी पटाखे जोरदार तरीके से फटने वाले थे हर तरफ.


अगले दिन जब कामिनी की नींद खुली तो उसने पाया की वो अपने बिस्तर पर नंगी सो रही है



रात को पीने के बाद और कुणाल से अपनी चूत मरवाकर उसे पता ही नहीं चला की वो कैसे अपने बिस्तर पर पहुँच गयी.. विजय भी नहीं था
उसे याद आया की आज विजय को दिवाली देने के लिए चीफ मिनिस्टर के घर जाना था, वो शायद वही गया होगा..
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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »


कामिनी ने टाइम देखा तो 11 बज रहे थे
उसका पूरा बदन दुःख रहा था
उसके बूब्स पर लाल निशान थे जो कल कुणाल के दांतो के काटने से बने थे
उन निशानों को देखकर उसे एक बार फिर से उस जंगली कुणाल के झटके याद आ गए और उसका हाथ अपने आप अपनी चूत की तरफ चला गया, जो पहले के मुकाबले ज्यादा चौड़ी हो चुकी थी कुणाल के लंड के अंदर जाने के बाद..
वो मुस्कुरा उठी, अपनी चूत की किस्मत पर, जो उसे ऐसा लंड मिला जो उसे अंदर तक तृप्त कर गया था

वो उठकर बालकनी के पास आ गयी.
अभी भी उसके शरीर पर कोई कपडा नहीं था,
एकदम नंगी थी वो,
सिर्फ हाई हील के सेंडल पहने हुए थे
खिड़की से आती धुप में उसका सुनहरा बदन लश्कारे मार रहा था.



अपने कड़क बूब्स को खुद ही दबा कर उसकी नजरें कुणाल को ढूंढने लगी, खिड़की से उसे वो दिखाई नहीं दिया तो वो अंदर आयी और अपने मोबाइल से उसे फ़ोन किया...

उसने उंघती हुई सी आवाज में फ़ोन उठाया : "उम्म्मममममम कौन है.... ''

कामिनी समझ गयी की उसने बिना देखे ही फ़ोन उठा लिया है वर्ना उसकी इतनी हिम्मत नहीं थी की वो कामिनी से ये सवाल पूछता

वो बोली : "कुणाल, मैं बोल रही हूँ , कामिनी ''

कामिनी की सेक्सी आवाज और नाम सुनकर वो उछलकर बैठ गया..
वो भी इस वक़्त नंगा ही सो रहा था, पायल वहां नहीं थी, वो शायद कोठी में नाश्ता बनाने तैयारी कर रही थी

कुणाल : "ओह्ह मेडम, सॉरी मैंने देखा नहीं था फ़ोन , कहिये मेडम, कैसे याद किया, कही जाना है क्या ? ''

कामिनी : "नहीं, मुझे कही नहीं जाना, साहब कहीं गए हुए है आज तो वो शाम तक ही आएंगे, और दोपहर तक वो मेरी फ्रेंड इन्द्राणी आएगी , जिनके पास हम लोग कल गए थे...''

कामिनी ने एक ही सांस में पूरे दिन का शेड्यूल अपने ड्राइवर को बता डाला..

कुणाल की समझ में भी नहीं आया की ये सब बताने के लिए फ़ोन किया है क्या मेडम ने ?

फिर वो असली बात पर आयी : "अच्छा सुनो, मुझे नहाने जाना है, और बाथटब का स्टॉपर नहीं मिल रहा है, तुम आकर देखो की क्या हो सकता है '

कुणाल के बदन के सारे रोंये खड़े हो गए ये सुनकर

वो खुली आँखों से आने वाली संभावनाओ के बारे में सोचकर सपने देखने लगा
वैसे भी सुबह-२ उठकर उसका लंड बुरी तरह से दर्द कर रहा था
उसे हमेशा से ही आदत थी की सुबह उठकर वो सबसे पहले पायल की चूत मारता था
उसका मन हो या न हो
वो उसकी चूत में लंड पेलकर अपना सारा रस उसमें निकालकर ही नहाने जाता था
अब ये रस उसे कामिनी मेडम के लिए संभालकर रखना था
इसलिए जल्दी से अपनी पेंट शर्ट पहन कर वो मेडम के रूम की तरफ चल दिया

ऊपर पहुंचकर उसने देखा की कामिनी मेडम अपनी अलमारी के आगे खड़ी होकर अपने अंडरगारमेंट्स निकाल रही है, कामिनी ने तब तक एक लंबी सी टी शर्ट पेहेन ली थी, जो उसकी जांघो तक आ रही थी, नीचे वो अभी भी नंगी ही थी
हाई हील की सेंडल पहन कर वो अलमारी के आगे खड़ी होकर झुक के खड़ी थी तो कुणाल का मन किया की उसके पीछे जाए और अपना लंड पेल दे उसकी गांड में
पर अपनी औकात का पता था उसे
कल की चुदाई के बाद भी अब तक उसमे इतनी हिम्मत नहीं आ पायी थी की वो ऐसी गुस्ताखी कर सके..

कामिनी ने मुड़कर उसे देखा और फिर उसकी नजर सीधा उसके लंड पर गयी, जो अभी तक तम्बू बनाकर खड़ा था, वो बोली : "उठ गए, लगता है कल रात काफी गहरी नींद आयी तुम्हे .. ''

कुणाल मुस्कुरा दिया, बोलना तो वो चाहता था की चुदाई करके उसे अच्छी ही नींद आती है पर बोल नहीं पाया

कामिनी : "जाओ देखो जरा बाथरूम में, फिर मुझे नहाना भी है''

कुणाल अंदर चला गया, कामिनी भी मुस्कुराती हुई सी, अपने हाथ में पकड़ी ब्रा पेंटी को बेड पर फेंककर बाथरूम में आ गयी.

अंदर आकर कुणाल ने काफी कोशिश की स्टॉपर को ढूंढने की पर वो मिला नहीं
मिलता भी कैसे, कामिनी ने उसे अलमारी में जो छुपा दिया था
फिर उसने सोचा की कुछ और रखकर वो पानी रोक दिया जाए पर ऐसा कुछ मिला ही नहीं जो वहां फिट हो पाता ...

अंत में उसने कामिनी से कहा : "मेडम, ऐसा तो कुछ मिल ही नहीं रहा, मैं मार्किट से जाकर नया ले आता हूँ ''

पर वो जानता था की ये सब तो नाटक ही चल रहा था
वो जाने के लिए मुड़ा तो कामिनी बोली : "रहने दो, मुझे फिर नहाने में देर हो जाएगी और इंद्राणी के आने का भी टाइम हो रहा है, तुम ऐसा करो अपने पैर का अंगूठा रखकर बैठ जाओ, मैं आज ऐसे ही मैनेज कर लुंगी ''
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Re: जुआरी

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rajsharma
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Re: जुआरी

Post by rajsharma »

दीपावली की आप सभी दोस्तो को बहुत बहुत हार्दिक बधाई
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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