जुआरी complete

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jay
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Re: जुआरी

Post by jay »

Nice keep it up.
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »

jay wrote: 17 Oct 2017 08:38Nice keep it up.
thanks you sooooooooooooo much
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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »

कामिनी के मुँह में वो पूरी तरह से जा भी नही रहा था फिर भी कुणाल ने नीचे से धक्का देकर और उसके सिर के पीछे हाथ लगाकर उसके मुँह में अपना घीस जैसा काला और मोटा लंड उतार दिया...

कामिनी को इसी तरह की ज़बरदस्ती पसंद थी
उसकी हमेशा से फेंटसी रही थी की उसका पार्ट्नर अलग-2 तरीके से उसे टॉर्चर करके उसकी मर्ज़ी के विपरीत उसकी चुदाई करे, पर वो खुद ही इतनी बड़ी चुदक़्कड़ थी की सामने वाले को ऐसा करने का मौका भी नही मिलता था ...
पर आज कुणाल के साथ वो अपनी जिंदगी की उन दबी हुई इच्छाओं को पूरा कर लेना चाहती थी..

सामने बैठा विजय अपनी बीबी के इश्स रूप को देखकर ज़्यादा हैरान नही हुआ, वो जानता था की एक बार शुरू होने के बाद कामिनी को रोक पाना मुश्किल होगा...
इसलिए वो हर गेम खुद ही जीतने की फिराक में था...
पर अब कुछ नही हो सकता था
कामिनी आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी थी
उसके मुँह में कुणाल का पूरा लंड था और कुणाल के हाथ में उसका पूरा मुम्मा..

पायल बेचारी अपने पति की रंगरेलियाँ देखकर शरमा रही थी
अचानक उसने महसूस किया की विजय साहब का पैर उसके पेटीकोट के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा है...
वो तो पहले से ही अपने पति और कामिनी मेडम के खेल को देखकर गर्म हो रही थी, अपने मालिक के पैरों को अपने पेटीकोट पर दस्तक देते देखकर उसने अपनी पूरी दरियादिली दिखाते हुए अपने दोनो पैर खोल दिए
विजय का पैर पेड़ के तने की तरह उसके पेटीकोट में घुसता चला गया और सीधा जाकर उसके ताजमहल के दरवाजे पर रुका...
उसने अंदर कच्छी नही पहनी हुई थी
चूत तो पहले से ही गीली थी, हल्के दबाव के साथ विजय का मोटा अंगूठा पायल की रिसती चूत में घुस गया और उसके मुँह से हल्की सी सिसक निकल गयी...

पर वो इतनी धीरे थी की वो सिसक कुणाल और कामिनी तक नही पहुँची
वैसे भी उनकी तरफ से आ रही सिसकारियाँ और आवाज़ें काफ़ी तेज थी और उन्हे इस तरफ देखने का टाइम ही नही था...



खेल अपने पुर शबाब पर आ चुका था
अब ये कोई मामूली जुए का खेल नही रह गया था
एक ऐसा ज़रिया बन चुका था जिसमे एक दूसरे का इस्तेमाल करके अपनी उत्तेजना को शांत करना था सभी को..

बस देखना ये था की सबसे ज़्यादा सेटिसफाई कौन होता है और कैसे..

कुणाल के सामने उसके सपनो की मल्लिका यानी उसकी मेमसाब उसका लंड चूस रही थी और वो भी अपने पति के सामने जो एक पति होने के साथ -2 देश का एक मंत्री भी था और उसका मालिक भी...

ऐसे में कुणाल अपना लंड कामिनी मेडम से चुस्वाते हुए अपने आप को काफ़ी बड़ा महसूस कर रहा था..

और उसी बड़प्पन के आवेश में आकर, उसने कामिनी के बालों को पकड़ा और अपना लंड धक्का देकर सीधा उसकी हलक में उतार दिया और बड़े ही गंदे तरीके से उससे बोला

''चूस साली ...कुतिया ...ऐसे लंड तूने सपने में ही देखे होंगे...चाट इसे अच्छे से....गोटियों को भी चमका दे चूस्कर ...साली हरामजादी....''



उसके इन शब्दों ने विजय को अंदर तक किलसा दिया
कुणाल इस वक़्त उसकी पत्नी से ठीक वैसे ही बर्ताव कर रहा था जैसे 2 दिन पहले वो अपने क्वार्टर में पायल के साथ कर रहा था जब विजय ने उन्हे छुपकर चुदाई करते देखा था...
उसकी ऊँचे रुतबे वाली बीबी के साथ वो गँवार एक रंडी जैसा बर्ताव कर रहा था
ऐसे उमें सका गुस्से में आना तो स्वाभाविक ही था...
और कामिनी का क्या हाल हो रहा होगा ये सब ज़िल्लत सहते हुए, ये जानने के लिए उसने कामिनी के चेहरे की तरफ देखा तो हैरान रह गया, वो तो दुगनी मस्ती में भरकर उसके लंड को चूस रही थी, ठीक वैसे ही जैसा कुणाल उसे चूसने के लिए कह रहा था, उसे ललचा रहा था, उसके मुँह में लंड ठूसकर अपने इशारो पर नचवा रहा था.

विजय समझ गया की उसकी बीबी पर कौन सा भूत चढ़ गया है...
वो उसे भी अक्सर इसी तरह का बर्ताव करने के लिए उकसाया करती थी, जिसमे विजय उसके साथ ज़बरदस्ती करके, उसे गालियां देकर उसकी चुदाई करे
पर शुरू से ही सभ्य समाज में रहने के कारण उसे ना तो इस तरह की संगत मिली थी और न ही इतना उँचा रुतबा होने की वजह से चुदाई में कोई मुश्किल आती थी...

पर उसे क्या पता था की ये कामिनी के मन की अंदरूनी फैंटेसी है जो आज कुणाल के माध्यम से पूरी होने जा रही थी..

विजय ने अब उस तरफ ध्यान देना सही ही नही समझा और उठकर अपने लिए एक और पेग बनाया और वापिस आकर बैठ गया...
पायल अपने मालिक की हालत देखकर उनके उपर बीत रही बात का अंदाज़ा लगा पा रही थी..
और उसे पता था की क्या करने से उसके मालिक का मूड ठीक होगा, वो अपनी जगह से उठी और विजय के सामने ज़मीन पर बैठ गयी और उनके पैर दबाने लगी...
विजय ने उसे उठाना चाहा पर पायल ने मना कर दिया और पैर दबाने में लगी रही...
और फिर धीरे-2 उसने विजय के पैरों को अपनी फेला रखी टाँगो के अंदर घुसा लिया...और अपनी चूत से एक बार फिर विजय के अंगूठे को ढक लिया

ये पहला मौका था जब पायल अपनी तरफ से कोई पहल कर रही थी...
इससे पहले तो वो सिर्फ़ अपने मालिक के इशारों पर नाच ही रही थी, विजय भी उसमे आए इस बदलाव को देखकर समझ गया की अब गेम का असली मज़ा आएगा...

जब कुणाल उसकी बीबी के साथ अपने हिसाब से बर्ताव कर सकता है तो वो भी उसकी बीबी को अब अपने इशारो पर नचाएगा...

और फिर विजय ने एक ही झटके में अपना पयज़ामा उतार कर साइड मे फेंक दिया और अब वो पूरा नंगा था...
भले ही वो देश का मंत्री था पर इस वक़्त उसे कोई शर्म महसूस नही हो रही थी.
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Kamini
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Re: जुआरी

Post by Kamini »


दूसरी तरफ कुणाल ने जब मंत्री जी को नंगा होते देखा तो वो भी समझ गया की कैसा खेल चलेगा वहां पर...
इसलिए उसने भी अपने हाथो की सफाई दिखाते हुए एक ही झटके में कामिनी मेडम की ब्रा के हुक्स को खोल दिया और वो ब्रा किसी समान से लदे जाल की तरह नीचे आ गिरी...
और फिर उभरकर आए कामिनी मेडम के मदमस्त यौवन...
जिन्हे देखने के लिए वो कब से मरा जा रहा था..



और जैसे ही वो गोरे-2 खरबूजे उसकी आँखो के सामने आए वो उनपर टूट पड़ा...
अपने दैत्याकार दांतो के साथ जब उसने उन रसीले फलों को काटना शुरू किया तो कामिनी की दर्दीली मस्ती से भरी सिसकारियाँ पूरी कोठी में गूँज उठी..

''आआआआआआआययययययीीईईईईईईईईईईईईई........... अहह........ फककककककककककककककक............ ढीईरए काट कुणाल......आआआआआआहह''

पर कुणाल अब कहां मानने वाला था, उसने तो उसके गोरे जिस्म पर दांतो से लाल-2 निशान इतने गहरे बना दिए की महीने से पहले वो उसके बदन से जाने ही नही वाले थे..

और उसके अंगूरी दानो को तो उसने छोड़ा ही नही
उसके निप्पल्स को चूसते हुए कुणाल को ऐसा लग रहा था जैसे उनमें से साक्षात शराब निकल कर उसके मुँह में जा रही है...
वो मन में सोचने लगा की काश वो उसकी बीबी होती तो रोज शराब के ठेकों पर लाइन लगाने के बदले वो उसी के मोम्मे चूस्कर मज़ा लेता रहता..

लेकिन आज के बाद तो शायद ऐसा ही होने वाला था, क्योंकि कुणाल को अपने लंड पर इतना भरोसा तो था की मेमसाब एक बार जब उसे अपनी फुददी में ले लेंगी तो रोज लेने के लिए मचला करेंगी..

इधर कुणाल अपने लंड का अभिमान कर रहा था और दूसरी तरफ़ विजय ने अपने खूँटे जैसे लंड को पायल के मुँह में ठूस दिया...
कुछ देर पहले जो पायल अपने मालिक की नीचे वाली टांगे दबा रही थी अब वो उनकी तीसरी टाँग की सेवा कर रही थी...




वो उनके लंड को बुरी तरह से चूस रही थी...

उसे अपने हाथों में लेकर नीचे तक जाकर उनकी गोटियों को भी मुँह में भरकर उनका नारियल पानी पी रही थी..

और फिर विजय ने वो किया जिसका शायद पायल को भी अंदाज़ा नही था...

विजय ने अपने हाथ मे पकड़े शराब के ग्लास से दारु को धार बनाकर अपने लंड पर गिराना शुरू कर दिया...
और वो शराब धार बनकर नीचे अपना मुँह लगाए पायल के मुँह तक जाने लगी...




पायल ने पीछे होना चाहा तो विजय ने उसे ज़बरदस्ती पकड़कर कहीं जाने ही नही दिया..
और बेचारी को ज़बरदस्ती, ना चाहते हुए भी, अपने मलिक के लंड से लिपटकर आती हुई शराब पीनी पड़ी...
और उसका असर भी जल्द दिख गया उसके उपर..

आँखे नशीली हो गयी
ज़बान फिसलने लगी
अदाओं में मस्ती आ गयी और झिझक तो पूरी मिट सी गयी...
अब उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की उसका पति भी वहां है, मालिक की बीबी भी वही है...
उसे तो बस अब सिर्फ़ अपनी मस्ती से मतलब रह गया था
जो इस वक़्त उसके मालिक के लंड को चूसने से मिल रही थी.



उसने अपनी नागिन जैसी जीभ से उपर से नीचे तक अपने मालिक के लंड को चूस डाला और फिर खड़ी होकर उसने अपने ब्लाउस के हुक्स को तोड़ते हुए उसे भी निकाल दिया...
पेटीकोट का नाडा नही खुला तो उसकी भी भेंट चड़ा दी उसने...
और जब वो पेटीकोट गिरा तो सुंदरता की मूरत खड़ी थी विजय के सामने...
एकदम कसा हुआ शरीर, मस्त स्तन, मोटी जांगे, सपाट पेट और पूरी मस्ती से भरी जवानी...



वो उछलकर विजय के पास आई और उसकी गोद में बैठ गयी...
chusu
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Re: जुआरी

Post by chusu »

mast
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