जुआरी complete

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Kamini
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जुआरी complete

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जुआरी

ये कहानी है पायल की, जो शहर के जाने माने राज नेता के घर नौकरानी का काम करती है, उस राज नेता की गंदी नज़र उसपर है, वहीं दूसरी तरफ पायल के बदमाश पति की नज़र राज नेता की सुंदर बीबी पर है.
जुए का खेल दोनो को किस कदर पास ले आता है और उनकी इच्छा पूरी करने में हैल्प करता है, ये आप कहानी में देखेंगे.

घर का सारा काम निपटा कर जैसे ही पायल घर जाने लगी तो उसकी मालकिन कामिनी ने उसे रोक लिया...

''अरे पायल, बड़ी जल्दी हो रही है तुझे घर जाने की...बोला था ना तुझसे काम है, चल ज़रा उपर मेरे कमरे में...''

ये थी मिसेस कामिनी त्रिपाठी, शहर के जाने माने पॉलिटिशियन विजय त्रिपाठी की पत्नी..



उम्र होगी करीब 37 के आस पास... शादी तो उसकी 20 साल की उम्र में ही हो गयी थी...जबकि विजय की उम्र उस वक़्त 30 थी..
और कामिनी को देखकर पता ही नही चलता था की वो 30 की भी होगी..37 तो बहुत दूर की बात है...
एक बेटी है जो पुणे में एक कॉनवेंट में पढ़ रही थी.. अपना खुद का NGO चलाती है कामिनी.

पति के पोलिटिकल कैरियर और अपने काम की वजह से वो हमेशा हाइ सोसायटी में गिने जाते थे.
सरकार की तरफ से मिला काफ़ी बड़ा बंगला था...गाड़ियां थी...नौकर चाकर थे.
उन्ही में से नौकरानी थी पायल,26 साल की उम्र थी ,रंग सांवला सा था, पर देखने में काफ़ी आकर्षक थी...
घर का काम करने की वजह से उसका शरीर एकदम कसा हुआ था...
मोटे-2 मोम्मे और निकली हुई गांड उसके शरीर का स्पेशल एट्रेक्शन थे.



पर वो थी एक नंबर की बोड़म महिला... एकदम भोली भाली सी, दुनिया की चालाकी और ठगी से अंजान, कोई सामने बैठकर भी उसपर लाइन मारे तो उसे बात समझ ना आए... ऐसी थी वो.. (बिल्कुल भाभी जी घर पर है वाली अंगूरी भाभी की तरह)
वो करीब 1 साल से कामिनी के पास काम कर रही थी...
और उसकी विश्वासपात्र भी बन चुकी थी...
कारण था उसके काम करने का तरीका..
वो किसी भी काम के लिए माना नही करती थी..
और जो भी करती थी, पूरी लगान से करती थी..

पायल को लेकर कामिनी अपने बेडरूम में पहुँची और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया.
फिर अपने सारे कपड़े वो एक-2 करके उतारने लगी...
और देखते ही देखते वो पूरी नंगी होकर खड़ी थी पायल के सामने.



ये पहली बार नही था की वो पायल के सामने इस तरह से नंगी खड़ी थी...पहले भी ये सब होता रहता था.

कामिनी अपने बेड पर लेट गयी और पायल ने तेल की शीशी लेकर उनके बदन की मालिश करनी शुरू कर दी...
ये एक स्पेशल तेल था, जो कामिनी ने हॉंगकॉंग से मँगवाया था, और शायद यही उसकी खूबसूरती का राज था, हफ्ते में 2 बार उस तेल की मालिश करवाने की वजह से उसके कूल्हे और मोम्मे एकदम तने हुए से थे...
उनमें वही कसाव आ चुका था, जो शादी के कुछ सालो बाद तक रहा था उसमें..
बेटी होने के बाद वो धीरे-2 ढीली पड़ती गयी ..
पर पिछले साल उसकी सहेली ने जब ऐसे तेल के बारे में बताया तो उसने वो तुरंत मंगवा लिया...
हालाँकि वो काफ़ी महँगा आया था, पर उनके लिए पैसे कोई वेल्यू ही नही रखते थे...
और तेल की मालिश उसने शुरू से ही कामिनी से करवानी शुरू कर दी थी, इसके लिए वो उसे अलग से कुछ पैसे भी देती थी...
और देखते ही देखते उसका असर भी दिखाई देने लगा था...
उसका बदन पहले से ज़्यादा आकर्षक, कसावट लिए हो गया था...
एक तो ये उम्र भी ऐसी होती है उपर से जवानी फिर से वापिस आ जाए,ऐसा शरीर प्राप्त हो जाए तो सोने पे सुहागा हो जाता है..
पायल के हाथों में जैसे जादू था....
उसने जब कामिनी के शरीर को मसलना शुरू किया तो वो अपनी आँखे बंद करके एक दूसरी ही दुनिया मे पहुँच गयी... और दूसरी तरफ पायल गुमसुम सी होकर कुछ सोचे जा रही थी.

उसे कुछ चिंता थी...
और वो थी उसका पति, जिसे शराब और जुए की लत्त ने बर्बाद करके रख दिया था..
आज सुबह आते हुए वो उसे मकान मलिक को देने के लिए पैसे तो दे आई थी, पर अंदर ही अंदर उसे डर सा लग रहा था की कहीं वो उन पैसों को भी अपनी अय्याशी में ना उड़ा दे.

दूसरी तरफ, बस्ती में बने एक शराब के ठेके के बाहर बैठा कुणाल, यानी पायल का पति, वही सब कर रहा था,जिसका उसकी पत्नी को डर था.

"ये आई मेरी 500 की चाल....''

राजू ने ये कहते हुए एक मटमेला सा 500 का नोट बीच में फेंक दिया...

सामने बैठे अरुण और हरिया तो उसके कॉन्फिडेंस को देखते ही पेक कर गये...
पर कुणाल डटा रहा.

उसने देसी शराब का भरा हुआ ग्लास एक ही बार में खाली किया और 500 का नोट बीच में फेंक कर चाल चल ही दी...

पर शराब नशे में वो ये भूल गया की उसे इस वक़्त शो माँगना चाहिए था..

इस वक़्त जो जुआ चल रहा था, उसमें करीब 8 हज़ार रुपय बीच में आ चुके थे.

और अपने आख़िरी 500 के नोट के बाद कुणाल के पास लगाने के लिए कुछ भी नही था...
हालाँकि उसे अपने पत्तो पर पूरा भरोसा था...इसलिए वो किसी भी कीमत पर , सब कुछ लगाकर ये गेम जीतना चाहता था.

पर पत्तो और नशे के चक्कर में उसका दाँव उल्टा ही पड़ गया, अब उसके पास शो माँगने के भी पैसे नही थे....
इसलिए जैसे ही राजू ने अगली चाल चली, कुणाल के पसीने छूट गये....
अपनी बीबी से लाए सारे पैसे वो हार चुका था, और ये वो पैसे थे जो उसे आज किसी भी कीमत पर अपने मकान मलिक को देने थे...
पर अब कुछ नही हो सकता था, उसे पता था की वहां बैठा कोई भी शख्स उसे पैसे नही देगा, ये रूल था वहां का.

इसलिए झक्क मारकर उसे पेक करना पड़ा... वो सारे पैसे जुए मे हार चुका था....
राजू ने जोरदार ठहाका लगाते हुए वो सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए.

कुणाल ने उसके पत्ते उठा कर देखे, उसके पास पान का कलर था, जबकि कुणाल के पास सीक़वेंस आया था....
इतने अच्छे पत्ते होने के बावजूद उसे ये भी ध्यान नही रहा की कब शो माँगना था...
अपनी बेवकूफी से वो अपने साथ लाए सारे पैसे हार चुका था.... उसने कसम खायी बाद जुए और नशे को कभी मिक्स नही करेगा

मुँह लटका कर वो घर पहुचा, उसकी बीबी दरवाजे पर ही खड़ी थी...और साथ में था खोली का मालिक रंगीला...

रंगीला ने पैसे माँगे और कुणाल ने मुँह लटका लिया... पायल ने अपना माथा पीट लिया.
फिर वही हुआ, जिसकी धमकी उन्हे पिछले 4 महीनो से मिल रही थी...
रंगीला ने 2-4 भद्दी सी गाली देते हुए उन्हे कल ही कल खोली खाली करने को कहा...

रंगीला के जाने के बाद पायल ने जब कुणाल को बोलना शुरू किया तो उसने एक उल्टे हाथ का रख दिया उसके चेहरे पर...बेचारी वहीं सुबकती रह गयी... उसे रोता हुआ छोड़कर वो फिर से दारू के अड्डे की तरफ चल दिया.

अब पायल के पास सिर छुपाने के लिए छत्त भी नही थी... इसलिए उसने गाँव जाने में ही भलाई समझी... उसने अपना सारा सामान बाँध लिया..


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Kamini
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Re: जुआरी

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हाथ के खर्चे के लिए उसे कुछ पैसे चाहिए थे, अभी कामिनी मेडम की तरफ 10 दिन का हिसाब निकलता था, जो रास्ते के लिए बहुत थे... वो उनके पास गयी और उन्हे सारी गाथा सुनाई...

कामिनी चुपचाप अंदर गयी और उसके 10 दिन के पैसे लाकर उसके हाथ में रख दिए...
जब वो चलने को हुई तो मेडम ने पीछे से उसे पुकारा और बोली : "अब जल्दी से जा और सारा समान लेकर यही आ जा...पीछे जो सुर्वेंट क्वाटर है, उसमे रह लेना तुम दोनो...''

ये सुनते ही वो एक झटके से पलटी...
कामिनी ने मुस्कुराते हुए सिर हिला कर उसे वो करने को कहा...
बेचारी रोते-2 उसके कदमों में गिर गयी....
उसे बड़ी मुश्किल से चुप करा कर कामिनी ने उसे घर भेजा...
शाम तक वो एक ऑटो में ज़रूरत का सारा समान लेकर कुणाल के साथ वहां शिफ्ट हो गयी.

उनके आलीशान बंगले के ठीक पीछे एक छोटा सा लॉन था, और साइड में एक क्वाटर बना रखा था उन्होने, पहले वहां हरिया काका रहा करते थे, पर उनके मरने के बाद वो करीब 1 साल से ऐसे ही पड़ा था...
पूरे दिन की सफाई के बाद पायल ने उस 2 कमरे के क्वाटर को चमका डाला...
बस एक परेशानी थी वहां , अंदर बाथरूम नही था...
क्वाटर के साइड में एक नलका था, जिसके आगे एक छोटी सी दीवार थी, बस उसी की आड़ में बैठकर नहाया जा सकता था... टाय्लेट ठीक उसके पीछे था.

पायल को ना जाने देने और उसे वहां रखने के पीछे भी कामिनी का एक मकसद था...
वो इतनी मेहनती नौकरानी नही छोड़ना चाहती थी...
जब से वो आई थी, उसका घर हमेशा चमकता रहता था...
और साथ में जो वो उसकी मालिश वाला काम करती थी, उसकी वजह से तो उसे और भी ज़्यादा लगाव सा हो गया था पायल से...
एक अच्छा काम करने वाली नौकरानी जो अच्छी मालिश भी करती हो, कहाँ मिलती है आजकल...
अगर कामिनी किसी स्पा में जाकर बॉडी मसाज करवाए तो वो पायल की सैलेरी के बराबर की रकम होती थी...
हालाँकि कामिनी को पैसों की कोई कमी नही थी, पर घर में ही जब ऐसी सर्विस मिले तो बाहर क्यों जाना.

पर वो बेचारी ये नही जानती थी की उसका ये कदम उसकी जिंदगी पलट कर रख देगा.

कामिनी के पति विजय को जब पता चला तो उसने भी कुछ नही कहा अपनी बीबी से...
घर के मामलों में वो वैसे भी कोई दखल नही देता था...
और वैसे भी, उसकी काफ़ी दिनों से पायल पर नज़र थी...
अब वो उनके घर के पीछे ही रहेगी तो शायद काम बन सकता है...
उसकी बीबी तो वैसे ही अक्सर NGO के काम से बाहर रहती थी...ऐसे में वो पायल पर चांस मार सकता था...
पर मुसीबत ये थी की उसका पति भी साथ था...
पता नही उसे ऐसा मौका मिल पाएगा या नही जब उसकी बीबी कामिनी और पायल का पति कुणाल दोनो घर पर ना हो...
पहले भी उसने अपनी कई नौकरानियों की चूत बजाई थी...
पर पायल पर हाथ डालने की उसमें अभी तक हिम्मत नही हुई थी...
वो जानता था की उसकी बीबी की ख़ास है वो, ज़रा सी भी चूक का मतलब था, अपनी बीबी के सामने जॅलील होना, जो वो हरगिज़ नही चाहता था.

विजय जब अगली सुबह उठकर अपने जॉगिंग शूज़ पहन रहा था तो उसने अपने बेडरूम की खिड़की से पीछे की तरफ झाँका... इस वक़्त सुबा के 5 बाज रहे थे... और उसकी किस्मत तो देखो, पायल उसे नहाती हुई दिख गयी...
और वो भी खुल्ले में..
उसे तो अपनी आँखो पर विश्वास ही नही हुआ..
हालाँकि वो काफ़ी दूर थी, दीवार की आड़ में भी थी...
और हल्का फूलका अंधेरा भी था...
पर फिर भी उसके नंगे जिस्म का एहसास उसे सॉफ हो रहा था...
ज़िम जाना तो वो एकदम भूल सा गया और वहीं छुपकर वो उसे नहाते हुए देखने लगा..

पायल को तो अभी तक यही पता था की कोठी में इस वक़्त सभी सो रहे होंगे..
और वैसे भी उसे इस तरहा खुल्ले में नहाने की आदत थी...
गाँव में तो वो एक साड़ी लपेट कर नहा लेती थी कुँवे पर...
लेकिन यहाँ कौन देखेगा, यही सोचकर वो नंगी ही नहा रही थी.



साबुन को जब उसने अपने काले कबूतरों पर रगड़ा तो खिड़की पर खड़े विजय ने अपना लंड पकड़ लिया और जोरों से हिलाने लगा...
एक नौकरानी उसे इस कदर उत्तेजित कर सकती है, ये उसने सोचा भी नही था...
पर ये हो रहा था, शहर का जाना माना नेता, अपनी नौकरानी को नहाते देखकर अपना लंड मसल रहा था...
मसल क्या रहा था उसने तो अपने लंड को बाहर ही निकाल लिया...
और उसे देखकर मूठ मारने लगा...
ऐसी उम्र में आकर उसे ये सब शोभा नही देता था, वो चाहता तो किसी भी कॉल गर्ल के सामने पैसे फेंककर उसकी मार सकता था या उससे लंड चुसवा सकता था, अपनी खुद की बीबी कामिनी भी कम सैक्सी नही थी,पर अपनी नौकरानी को सिर्फ़ नहाते देखकर वो खुद अपना लंड रगड़ने पर मजबूर हो गया था, ये बहुत बड़ी बात थी.

उफफफफ्फ़..... क्या मोम्मे है साली कुतिया के...... एकदम कड़क माल है....''

और फिर नहा धोकर पायल बिना कपड़ों के, किसी हिरनी की तरह छलांगे मारती हुई अपने रूम में घुस गयी...
उसके हिलते चूतड़ देखकर विजय की उत्तेजना चरम पर पहुँच गयी और उसने अपना माल वहीं झाड़ दिया.

इतने सालो बाद खुद मुठ मारकर झड़ा था विजय...
अब किसी भी कीमत पर उसे पायल को भोगना था.

पर उससे पहले उसे पायल के पति का कुछ करना पड़ेगा...
वो साला हरामखोर बनकर पूरा दिन घर पर बैठेगा तो वो कुछ कर ही नही पाएगा.

उसके दिमाग़ में एक आइडिया आ गया, पर अभी के लिए उसे जिम के लिए निकलना ज़रूरी था, और वहां से उसे गोल्फ कोर्स जाना था, जहां एक जाने माने उद्योगपति ने एक बहुत बड़ी रकम पहुँचाने का वादा किया था आज..
बाद में उसे क्लब भी जाना था, जुए का चस्का था उसे भी.

वो तैयार होकर निकल गया.

कुणाल की जब नींद खुली तो पायल काम पर जा चुकी थी...
उसे तो हमेशा से ही देर तक सोने की आदत थी...
टाइम देखा तो 12 बजने वाले थे...
बाहर आकर देखा तो नहाने के लिए कोई अलग जगह उसे दिखाई ही नही दी...
वैसे भी जब तक वो अपनी चॉल में रह रहा था, वहां भी वो खुल्ले में ही नहाता था...
इसलिए अपने कपड़े उतार कर, सिर्फ़ अपना कच्छा पहने हुए वो नहाने पहुँच गया.
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Kamini
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Re: जुआरी

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उसी वक़्त कामिनी अपने बेडरूम में किसी काम से आई, पर जैसे ही खिड़की से बाहर उसकी नज़र पड़ी तो उसके होश उड़ गये...
पिछले हिस्से में कुणाल बड़ी ही बेशर्मी से खड़ा होकर नहा रहा था...
वो तो शुक्र था की उस छोटी सी दीवार ने उसके ख़ास हिस्से को धक रखा था, वरना उसकी बेशर्मी पूरी उजागर हो जानी थी..

कामिनी को इस बात पर बहुत गुस्सा आया...
कैसे एक सभ्य समाज और घर में रहना है, इस बात का तरीका ही नही है उसमें ..
उसका तो मन किया की अभी के अभी पायल और उसके फूहड़ पति को निकाल बाहर करे...
पर फिर कुछ सोचकर उसने अपने गुस्से पर काबू किया और अलमारी से जो समान लेने आई थी, वो लेकर बाहर निकल गयी.

कुणाल के लिए पायल अंदर से ही खाना बना कर ले आई थी, खाना खाने के बाद रोजाना की तरह उसने पायल के बटुए से पैसे निकाले और बाहर निकल गया...
पायल जानती थी की अब वो देर रात तक ही लौटेगा.. आएगा भी तो दारू पीने के बाद.

पर जाने से पहले उसने समझा दिया था की यहां रहना है तो अपने चाल चलन, शोर शराबे और गंदी आदतों पर काबू रखना पड़ेगा, वरना उसकी गंदी आदतों की वजह से उन्हे वहां से निकाला भी जा सकता है.

कुणाल भी जानता था की ऐसे फ्री में रहने और खाने की जगह मिलना मुश्किल है, इसलिए वो उसकी बात मानकर बाहर निकल गया.

दोपहर को पायल सफाई में लगी रही और शाम को वो वापिस अपने फ्लैट में आई और नहा धोकर जैसे ही कपड़े निकाले, बाहर से विजय की आवाज़ आई..

इस वक़्त उसने सिर्फ़ एक गीली साड़ी लपेट रखी थी अपने जिस्म पर..

अब यहाँ पायल के बारे में एक बात बता देना ज़रूरी है की उसे दुनिया की गंदी नज़रों का कोई आभास ही नही हो पता था
एकदम बोडम महिला थी..(भाभीजी घर पर हैं की अंगूरी भाभी के जैसी)



कोई जितना भी सामने से द्विअर्थी बातें करता रहे, उसके भोले दिमाग़ में उनका ग़लत मतलब आता ही नही था..
जब तक वो बातें खुल कर ना की जाएँ..
गाँव में रहने वाली पायल अभी तक शहर के चालू लोगो से अंजान थी.

विजय भी जानता था इस वक़्त उसकी बीबी घर पर नही है, अंदर आने के बाद उसने चोकीदार से कुणाल के बारे में भी पूछ लिया था, वो भी नही था, इसलिए उसका रास्ता सॉफ था..
अंदर आने के बाद जब उसने दरवाजा खड़काया तो वो अपने आप ही खुल गया...
सामने गीली साड़ी में पायल अपने कपड़े निकाल रही थी..

उसके गीले जिस्म से आ रही भीनी खुश्बू ने उसे पागल सा बना दिया..
वो समझ गया की वो अभी नहा कर आई है, काश वो कुछ देर पहले आया होता वहां पर तो उसे सुबह की तरह नहाते हुए देख पाता.....

लेकिन अब उसे पायल को अपने जाल में फंसाना था, और एक प्लान उसके दिमाग में आलरेडी आ चुका था

पायल भी अपने मालिक को इस तरह अपने कमरे के बाहर खड़ा देखकर चोंक सी गयी..

पायल : "अरे ...सरजी आप..... मुझे बुला लिया होता.... मैं आ जाती...''

विजय तो उसके गीले बदन से झाँक रहे अंगो को देखने में बिजी था.. खासकर गीली साड़ी नीचे उभर रहे काले बेरों को

वो हड़बड़ाकार बोला : "वो दरअसल...मुझे...चाय पीनी थी...मैने आवाज़ भी दी..पर तुमने शायद सुनी नही...इसलिए देखने चला आया...''

पायल : "ओहो.... वो मैं नहा रही थी ना... इसलिए...''

विजय उसके बदन को घूरता हुआ बोला : "नहा रही थी... इस वक़्त भी... सुबह ही तो नहाई थी...''

और कोई होता तो झट्ट से बोल देता की आपने कब देखा मुझे सुबह नहाते हुए...
पर पायल थी एक नंबर की बोडम महिला...
वो बोली : "वो क्या है ना सरजी... मुझे दिन में दो बार नहाने की आदत है... एक बार तो सुबा 5 बजे उठकर नहाती हूँ ... और दूसरी बार शाम को 4 बजे ''
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Re: जुआरी

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पायल ने बड़ी मासूमियत से अपने नहाने का टाइम टेबल विजय को दे डाला..

विजय फुसफुसाया : "और क्या -2 करती हो...''

पायल : "जी मालिक, कुछ कहा क्या आपने...?''

विजय : "अर्रे नही...वो मैं कह रहा था की चाय पीने का मन था...सो''

पायल : "ओह्ह ...मैं भूल ही गयी... आप चलिए अपने कमरे में ...मैं कपड़े पहन कर, चाय बनाकर लाती हूँ बस...''

विजय मन में बोला 'हाय , कपड़े पहनने की क्या जरूरत है मेरी जान, नंगी ही आ जा '

अब विजय का मन तो नही कर रहा था वहां से जाने का, पर फिर भी चल दिया वापिस.

पायल ने फटाफट अपने कपड़े पहने और अपने मालिक के लिए चाय बनाकर ले आई.. विजय भी अपने कपड़े चेंज करके चेयर पर बैठा था..

हमेशा की तरह पायल ने एक कॉटन की साड़ी पहनी हुई थी इस वक़्त...
उसकी कमर का नंगा हिस्सा इस वक़्त विजय को काफ़ी उत्तेजित कर रहा था...

चाय देकर जैसे ही वो जाने लगी तो विजय बोला : "सुनो पायल...वो तुमसे एक ज़रूरी बात करनी थी...''

''जी मालिक''

विजय : "बैठ जाओ..''

उसने कुर्सी की तरफ इशारा किया पर वो ज़मीन पर पालती मारकर बैठ गयी..

विजय : "मैने सुना है की तुम्हारा पति कोई काम धंदा नही करता...''

अपने मालिक की बात सुनकर वो रुन्वासी सी हो गयी...
उसे लगा की शायद वो उन्हे घर से निकालने की बात करेंगे..

वो बोली : "नही मालिक...वो..उनकी समझ मे..कुछ आता ही नही...मैं तो समझाकर थक चुकी हूँ ''

विजय : "और सुना है वो दारू भी पीता है...जुआ भी खेलता है..''

अब तो सच में उसे डर लगने लगा था...
वो थोड़ा आगे खिसक आई और विजय के पैर पकड़ कर बोली : "मालिक...मैने आज ही उसे समझाया है...आप चिंता ना करो..वो अपनी आदतो को जल्दी ही बदल देगा..आप मेरा विश्वास कीजिए..''

विजय ने उसकी बाहे पकड़कर उसे उपर उठा लिया... और खुद भी खड़ा हो गया.. और उसे लगभग अपने बदन से सटा कर बोला : "अरे नही पायल... मेरा वो मतलब नही था.. मैं तो चाह रहा था की वो कोई काम करे..इन्फेक्ट मैं तो सोच रहा था की उसे तुम्हारी कामिनी मेडम का ड्राइवर रख लूं ... कुछ पैसे भी आएँगे तुम लोगो के पास और उसकी आदते भी सुधर जाएँगी...''

ये सुनते ही पायल की आँखो में आँसू आ गये...
पहले कामिनी मेडम ने उनपर ये उपकार किया था की उन्हे रहने की जगह दे दी और अब उनके पति कुणाल को भी नौकरी दे रहे है... एक दम से दुगनी खुशी के एहसास जैसा था ये सब..

इसी बीच विजय के हाथ उसकी कमर के उसी नंगे हिस्से पर थे जहां से उसके शरीर का कर्व शुरू होता था...
यानी पेट से नीचे की फेलावट...



वो उसपर अपने हाथो को लगभग धँसाता हुआ सा बोला : "और उसकी सेलेरी होगी 15000''

इतने पैसे सुनकर तो उसकी आँखे और भी ज़्यादा फेल गयी...
उसे खुद 10 हज़ार मिलते थे.. जिसमें वो अभी तक दोनो का खर्चा चला रही थी..
उपर से ये 15 हज़ार और मिलने लगे तो उनकी जिंदगी कितनी सुधर सकती है, ये सोचकर वो खुशी से मरी जा रही थी.

उसे इस बात का एहसास तक नही हो रहा था की विजय उसकी कमर के गुदाज हिस्से को मसल रहा है..
विजय तो तभी समझ गया की वो कितनी झल्ली किस्म की औरत है, इसे चोदने में कितना मज़ा आने वाला है, ये उसने सोचना शुरू कर दिया.

पर वो ये काम बड़े आराम और इत्मीनान से करना चाहता था...
पायल अब उसके लिए उस मछली की तरह थी जो बाहर के समुंदर से निकलकर उसके स्वीमिंग पूल में आ चुकी थी, जिसे वो जब चाहे, काँटा डालकर
पकड़ सकता था...
उसके साथ खेल सकता था...
उसका मज़ा ले सकता था.

इसलिए अभी के लिए उसने उसे जाने दिया...
वो पायल को पहले अपने एहसानो के नीचे दबा लेना चाहता था, उसके बाद ही अपनी चाल चलनी थी उसे ताकि पायल चाहकर भी उसकी बीबी से कुछ ना बोल सके.

दूसरी तरफ कुणाल फिर से अपनी चॉल में पहुँच चुका था, उसके सारे अय्याश दोस्त वहीं जो रहते थे...
आज कुणाल अपनी बीबी के पार्स में से 2000 रुपय लेकर आया था... और उसे किसी भी कीमत पर कल की हार का बदला लेना था राजू से.

एक बार फिर से बाजी लगनी शुरू हो गयी...
कुणाल ने ज़्यादा रिस्क नही लिया शुरू में, इसलिए बिना कोई ब्लाइंड चले ही वो पत्ते देख लेता, अच्छे आते तो चाल चलता वरना पैक कर देता..
और इसी समझदारी की वजह से उसने जल्द ही 2 के 10 हज़ार कर लिए...
और फिर वो मौका भी आ गया जिसके लिए वो आज वहां आया था, एक गेम फँस गयी, जिसमें दोनो चाल पे चाल चलते चले गये... अंत में आकर दोनो के पास 1-1 हज़ार रुपय बचे.. पर आज कुणाल कल वाली भूल नही करना चाहता था, इसलिए आख़िरी के 1 हज़ार बीच में फेंककर उसने शो माँग लिया.. कुणाल के पास आज कलर आया था, जबकि राजू के पास इक्के का पेयर था.
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Re: जुआरी

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कुणाल ने जोरदार ठहाका लगाते हुए सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए...
कल का बदला अच्छे से ले लिया था उसने.. कुणाल की जेब में इस वक़्त 20 हज़ार रुपय थे...
उस खुशी में वो अपने चेले चपाटों को लेकर सीधा दारू के अड्डे पर गया और वहां सबने जी भरकर दारू पी.

ऑटो से जब वो वापिस कोठी पर पहुँचा तो उसे सुबह अपनी पत्नी की दी गयी नसीहात याद आ गयी...
इसलिए बिना कोई शोर शराबा और हरकत किए वो अंदर आ गया... अपनी बाल्कनी में बैठे विजय ने उसे लड़खड़ाते हुए अंदर आते देखा और मुस्कुरा दिया... उसने सोचा की ऐसी हालत में आकर वो भला क्या कर पाता होगा अपनी पत्नी के साथ..इसलिए शायद पायल प्यासी रह जाती होगी...
ऐसे में उसे चोदना कितना आसान होगा

उसने सोचा की चलकर देखना चाहिए की पीने के बाद कुणाल अपनी बीबी के साथ कैसा व्यवहार करता है, कामिनी गहरी नींद में थी, वो चुपचाप कोठी के पिछले हिस्से में पहुँच गया, और उनके क्वाटर के पीछे की तरफ जाकर वहां की खिड़की से अंदर झाँकने लगा..उन्होने भी खिड़की खुली छोड़ रखी थी, वहां से भला कौन देख पाएगा, शायद यही सोच थी... विजय एक बड़े से पौधे की आड़ में खड़ा होकर उन्हे देखने लगा.

कुणाल अपने कपड़े उतार रहा था और पायल बड़बड़ाते हुए उसके लिए खाना गर्म कर रही थी.

वो बोले जा रही थी 'पता नही कब समझोगे, मालिक और मालकिन कितने अच्छे है, हमे रहने को घर दिया, अच्छी तनख़्वा दे रहे है, तुम्हे भी साब ने ड्राइवर की नौकरी देने की बात की है, पर तुम अपनी इस शराब और जुए की आदत से सब डुबो दोगे...''

वो शराब के नशे में लड़खडाता हुआ पलटा, उसने सिर्फ़ एक कच्छा पहना हुआ था, उसके काले कलूटे शरीर को देखकर और उसकी निकली हुई तोंद को देखकर विजय को घिन्न सी आ रही थी, पायल कैसे झेलती होगी इस गँवार को..

वो बोला : "चुप कर साली... तेरे साब मेमसाब् की माँ की चूत , मुझे क्या नौकरी देंगे वो दोनो, ये देख, 20 हज़ार रूपए जीते है आज, कितने पैसे देंगे तेरे ये साब-मेमसाब्, 10 हज़ार, 15 हज़ार या 20 हज़ार... पूरे महीने उनके सामने सलाम ठोंको फिर मिलेंगे... ये देख, एक ही रात में जीते है ये सारे पैसे...मुझसे नही होती किसी की गांड-गुलामी, बोल दियो अपने साहब को जाकर की कोई दूसरा ड्राइवर रख ले..''

और कोई मौका होता तो विजय अपने बारे में गालियां सुनकर उसे जेल भिजवा देता, उसकी अच्छे से मरम्मत करवाता, पर इस वक़्त उसे पायल का लालच था, इसलिए खून का घूँट पीकर रह गया.

पायल भूनभूनाकर बोली : "हाँ हाँ , देखी है तेरी ये जुवे की कमाई, एक दिन जीतेगा तो दूसरे दिन दुगना हारकर आएगा, शराब और जुए ने तेरी मती भ्रष्ट कर रखी है...और वो नौकरी साब की गाड़ी चलाने की नही बल्कि मेमसाब् की गाड़ी चलाने की है''

''मेमसाब् यानी कामिनी...'' उसने चोंकते हुए कहा.

उसके तेवर एकदम से नर्म पड़ गये...
वो उसके करीब आया और बोला : "अरे, पहले बोलना था ना की मेमसाब् की गाड़ी चलानी है, मैने कब मना किया है..मैं बिल्कुल तैयार हूँ तेरी मेमसाब् की लेने के लिए, मेरा मतलब उनकी जॉब का ऑफर लेने के लिए...''

विजय तो उसके रवैय्ये को देखकर ही समझ गया की वो एक नंबर का ठरकी है और उसकी बीबी का नाम सुनकर उसकी लार टपक गयी है, एक बार फिर उसने अपने आप पर कंट्रोल किया,वरना अपनी बीबी बारे में ऐसे विचार रखने वाले को वो नौकरी पर तो क्या, अपने घर पर भी ना रखे
पर पायल अपने बोड़मपन की वजह से उसे समझ नही सकी, उसके लिए इतना बहुत था की उसका पति नौकरी के लिए इंटरस्ट दिखा रहा है.

वो खुश होती उही बोली : "क्या, सच में , आप तैयार हो...मैं कल ही साहब को बोलकर तुम्हारी ड्यूटी शुरू करवा देती हूँ ..पर मुझसे वादा करो की आप ये जुआ और शराब छोड़ दोगे, मैं नही चाहती की कोई इनकी वजह से आपको कुछ कहे..''

उसके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी...

कुणाल : "ठीक है मेरी जान, जैसा तू कहे, जुआ नही खेलूँगा, पर दारू नही छूटने वाली, एक काम करूँगा, तेरे सामने बैठकर पिया करूँगा..ड्यूटी ख़त्म होने के बाद, अब तो ठीक है ना..''

पायल ने खुशी से सिर हिला कर अपनी सहमति जताई...

खिड़की के पीछे खड़ा विजय देख और सोच रहा था की कितनी चालाकी से इस कामीने इंसान ने अपनी भोली भाली बीबी को उल्लू बना दिया है...
कामिनी मेडम का नाम सुनकर उसका लंड भी कच्छे में खड़ा हो चुका था, और शायद वो कुछ सोचते हुए उसे मसल भी रहा था.. फिर वो धीरे-2 पायल के करीब आया और उसके बदन को रगड़ने लगा.

पायल ने जब ये देखा तो वो कुणाल का इशारा समझ गयी,उसके चेहरे पर लालिमा छा गयी,वो बोली : "पहले खाना तो खा लेते, ये एकदम से क्या करने लगे हो...''

''खाना तो खा ही लेंगे, पहले मेरी ये भूख तो मिटा दे मेरी जान...कामिनी मेडम की गाड़ी चलाने की खुशी में तेरी गाड़ी को झटके मारना तो बनता ही है.''

पायल शरमा कर उससे लिपट गयी...
और फिर कुछ देर तक दोनो एक दूसरे को इधर-उधर चूमते रहे और कुणाल ने पायल की साडी खोल दी, उसका पेटीकोट खोल दिया और उसे नीचे बिछे गद्दे पर घोड़ी बनाया, उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और उसे चोदने लगा.


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