एक नंबर के ठरकी complete

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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by Kamini »

सभी मर्दों के मुँह से लार निकलने लगी...ख़ासकर कपूर और गुप्ता के....उन्हे तो अपनी इस बंबो भाभी के मोटे मुम्मे हमेशा से ही पसंद थे...

अब शशांक उठ खड़ा हुआ और बोला : "खेल का अगला नियम मैं बताता हूँ ....सभी अपने-2 पत्ते खोलेंगे...जिसके पत्ते सबसे छोटे हुए, उससे शुरूवात की जाएगी...उसने जो भी दाँव पर लगाया था,उसका बाकी के सभी लोग मज़ा लेंगे...एक-एक करके...और उसके बाद उससे नेक्स्ट जिसके पत्ते बड़े थे,उसका नंबर आएगा...ऐसे ही ये आखरी तक चलेगा,यानी जिसके सबसे बड़े पत्ते होंगे ,उसका नंबर सबसे लास्ट में आएगा...''

कहने का मतलब ये था की इस खेल में किसी की भी हार या जीत नही होगी, हर कोई इस खेल मे हारेगा और हर कोई इस खेल मे जीतेगा...

सभी शशांक की ये बात सुनकर काफ़ी खुश हुए...पर नीरू के मन में अभी तक भय बना हुआ था...वो सोच रही थी की कैसे वो किसी और को किस्स कर पाएगी...या कैसे अपने पति को किसी और के होंठों को चूसते देख सकेगी...पर महफ़िल का माहौल ही ऐसा बन चुका था की कुछ कहने या करने का सवाल ही नही उठता था...सुमन ने जब उसे इस तरह से सोचते हुए देखा तो एक ग्लास वोड्का और उसके हाथ में थमा दिया,जिसे वो एक ही झटके में गटक गयी....

खेर, सबने अपने-2 पत्ते एक साथ टेबल पर सीधे कर दिए...

गुरपाल के पास, कलर आया था, 2,4,9 के साथ

राहुल के पास बहुत घटिया पत्ते आए थे, 3,7, 10

गुप्ताजी के पास 4 का पेयर आया था.

कपूर साहब के पास सीक़वेंस आई थी, और वो भी 1,2,3 की

शशांक के पास 2,9 और बादशाह आया था...

यानी सबसे छोटे पत्ते राहुल के ही थे...शुरूवात उसी से होनी थी..

शशांक और सुमन का दिल भी इस वक़्त जोरो से धड़क रहा था...वो दोनो जानते थे की खेल का ये पड़ाव बहुत अहम है, इस वक़्त अगर कोई पीछे हट गया तो उन दोनो की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा...और अगर ये पड़ाव पार हो गया तो सभी के दिल से झिझक दूर हो जाएगी और अगली बार सब बढ़ चड़कर इस खेल में हिस्सा लेंगे...

पहला नंबर सबा का था..और दाँव के मुताबिक, सबा को 2 किस्सेस सभी को देनी थी...

सबा अपनी सीट से उठी और अपनी गांड मटकाती हुई बीच में आकर खड़ी हो गयी...सबसे पहला नंबर गुरपाल का ही था...वो किसी शेर की तरह उठा और उसने सबा को अपनी बाहों में पकड़कर अपने सीने से लगा लिया और उसके चेहरे को पकड़कर उसके होंठों को चूसने लगा...सबा भी उसका साथ दे रही थी...



सभी दम साधे उनकी इस किस्स को देख रहे थे...

नीरू और काजल को तो विश्वास ही नही हो रहा था की अभी तक जो वो सोच रही थी वो सही में हो रहा था...यानी हर कोई एक दूसरे की बिबियों को किस्स करेगा...और उनका नंबर भी आएगा...

गुरपाल साँस लेने के लिए रुका और एक बार फिर से उसके रस भरे होंठों पर टूट पड़ा...सबा को उसकी दाढ़ी और मूँछ के बाल अपने चेहरे और होंठों पर चुभ रहे थे और वो उनकी चुभन से और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी...वो तो उसकी घनी मूँछो तक को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी...और सबा की इस हरकत पर गुरपाल को भी बहुत मज़ा आ रहा था और उत्तेजना में आकर उसने उसके दोनो मुम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हे इतने ज़ोर से दबाया की सबा की चीख हि निकल गयी...और दोनो की दूसरी किस्स टूट गयी..

सुमन ने मज़ाक में कहा : "गुरपाल जी, बात तो किस्स की हुई थी, आपने तो सबा की ब्रेस्ट को ही निचोड़ दिया...देखो ना,बेचारी को कितना दर्द हो रहा है...हा हा..''

डिंपल ने उसका जवाब दिया : "मेरे सरदारजी को संभालना हर किसी के बस की बात नही है....इन्हे संभालने के लिए बड़ा जिगर चाहिए...''

उसकी बात पर भी सब हंस दिए..

उसके बाद सबा ने सभी को अपने गुलाबी होंठों की शराब पिलाई...जब कपूर का नंबर आया तो उसे तो विश्वास हि नहीं हुआ की ये वही सबा है जिसे देखने भर से उनका लंड खड़ा हो जाता था, आज वही उन्हें खुद किस्स करने के लिए तैयार खड़ी है ...इसलिए जैसे ही सबा उनकी बाहों में आई,कपूर उसपर भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा, और तब तक उसे चूसता रहा,जब तक उसकी साँस नही उखड गयी...



अपनी बीबी को दूसरे मर्दों के साथ किस्स करते देखकर राहुल का लंड बुरी तरह से खड़ा हो चुका था, उसे तो बस अपनी बारी का इन्तजार था.

गुप्ता ने भी सबा के होंठों को पीकर अपनी प्यास बुझाई और इस तरह से उसका रोल अभी के लिए ख़त्म हो गया,और वो अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी, उसकी चूत इस वक़्त बुरी तरह से पनिया रही थी



शशांक ये सारा खेल बड़े इत्मिनान से देख रहा था...उसे सबा के उठते-गिरते सीने को देखकर ही ये अंदाज़ा हो गया था की उसकी चूत में इस वक़्त किस तरह का कोहराम मचा हुआ है...

अब किस्स करवाने का अगला नंबर सुमन का था...क्योंकि शशांक के पास 2,9 और बादशाह आए थे...जो राहुल से बड़े थे.

सुमन तो जैसे इसी पल का इंतजार कर रही थी...एक सच्ची रंडी बनने के सभी गुण मोजूद थे उसके अंदर,वो खुद ही अपने ग्राहक के पास,यानी पहले दावेदार गुरपाल के पास गयी और उससे लिपट कर बुरी तरह से चूमने लगी...कुछ देर पहले तक जो जादू सबा ने सभी के उपर बिखेर रखा था, वही अब सुमन फेला रही थी..

सुमन ने अपने नशीले बदन को मटकाते हुए उस कमरे में सभी को सम्मोहित सा करके अपनी जवानी का नशा सबमें भरना शुरू कर दिया, अपने होंठों के थ्रू...सभी ने एक-2 करके उसके होंठों का शहद पिया और मस्ती में झूम गये...कपूर और गुप्ता की झिझक पिछली बार से थोड़ी कम सी हो चुकी थी,इसलिए उन्होने सबा से ज़्यादा सुमन को चूस डाला..

खेर,सुमन के होंठों की चुसाई करने के बाद सभी के लंड में तंबू बन चुका था...दारू और वोड्का का एक और दौर चला,जिसकी वजह से माहौल में थोड़ा और सुरूर बिखर गया,सभी के दिमाग़ थोड़े और हल्के हो गये और उनके लंड और चूत की नमी भी थोड़ी और बड़ गयी..

महफ़िल गर्म होती जा रही थी ...शशांक बस ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था की इस गेम के बाद भी अगली गेम खेलने की ज़रूरत पड़ेगी या इसी में सब अपनी लाज-शर्म छोड़कर चुदाई के खेल में शामिल हो जाएँगे...पर उसकी सोच बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती थी की मिसेस कपूर और मिसेस गुप्ता कैसे किस्स करवाएँगी...यानी नीरू और डिंपल ने अगर बिना ना नुकुर के अपने होंठों की चुसाई करवा ली तो ठीक है,वरना अगली गेम में क्या दाँव पर लगवाना है,ये एक बार फिर से सोचना पड़ेगा.

वैसे ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नही थी उसे,अगला नंबर मिसेस गुप्ता यानी काजल का था..



अब काजल तो पिछले आधे घंटे से अपनी कॉलेज के दिनों की यादो में खोई हुई थी,और सबा के बाद सुमन ने जिस अंदाज में सभी को चूमा था,उसके बाद तो उसकी चूत ऐसे फड़क रही थी जैसे पिंजरे में बंद चिड़िया...पर उसे अपने पति की चिंता भी हो रही थी....और वैसे भी,एकदम से उठकर वो अपनी छुपी हुई बेशर्मी का परिचय नही देना चाहती थी.

सुमन ने जब उसका नाम पुकारकर उसे उठने के लिए कहा तो उसके दिल की धड़कन बहुत तेज हो गयी, सभी की नज़रें उसपर थी...पर शशांक की नज़र उसके पति यानी गुप्ता पर थी, जिसके मन में कब से अंतर्द्वंद चल रहा था, अभी कुछ देर पहले तक उसने सबा और सुमन को तो अच्छी तरह से चूमा, चूसा..पर जब अपनी पत्नी का नंबर आया तो उसे समझ नही आ रहा था की उसे कैसे रिएक्ट करना चाहिए...वैसे उसे कोई आपत्ति तो नही थी, उसे डर था तो सिर्फ़ काजल की तरफ से ना बोलने का, क्योंकि उसके हिसाब से तो काजल एक आदर्श और पतिव्रता स्त्री थी, लेकिन वो उसकी पिछली जिंदगी की वो बाते जानता या इस वक़्त काजल के मन में क्या चल रहा है, ये जानता तो शायद ऐसा ना सोचता और खुद ही उसे उठाकर दूसरों के सामने फेंक देता..पर अपनी मर्यादा वो भी जानता था,इसलिए अपने पैर के नाखुनो से ज़मीन कुरेदता हुआ काजल के कुछ बोलने का इंतजार करने लगा..

सुमन : "अब उठ भी जाओ काजल भाभी...आप इस मजेदार खेल को इस तरह बीच में रोककर इसका मज़ा ना खराब करो...प्लीज़ उठो ना...''

पर वो चोर नज़रों से अपने पति यानी गुप्ता जी को ही देखे जा रही थी...

सुमन भी समझ गयी की जब तक गुप्ता जी खुद उसे उठने के लिए नही कहेंगे वो नही उठेगी, इसलिए सुमन अपनी मोटी गांड मटकाती हुई गुप्ता जी के पास आई और उनके घुटने पर हाथ रखकर वो अपने पंजों पर उनके सामने ऐसे बैठ गयी जैसे उनका लंड चूसने आई हो...गुप्ता जी भी आँखे फाड़ कर उसकी साड़ी के पल्लू गिरने के बाद का नज़ारा देखकर अपनी जीभ निकाले उसके अर्धनग्न मुम्मो को देखे जा रहे थे...



सुमन (बड़े ही सेक्सी अंदाज में ,उनकी जाँघ रगड़ते हुए बोली) : "गुप्ता जी...कहिए ना काजल से की वो ऐसे सबका मूड स्पायिल ना करे...मैने और सबा ने भी तो किया ना...अब वो देखो ना कैसे नखरे कर रही है...आप बोलिए ना इन्हे...''

कहते-2 सुमन का हाथ गुप्ता जी के कुर्ते के नीचे से खिसकता हुआ उनके लंड तक पहुँच गया...सिर्फ़ काजल की नज़रें ज़मीन की तरफ थी,उसके अलावा सभी देख पा रहे थे की सुमन किस अंदाज में गुप्ता जी को कनविंस कर रही है...

और गुप्ता जी की तो हालत खराब थी, सुमन ने सीधा उनके लंड पर अटैक कर दिया था...और वो भी खड़े लंड पर...

कहते है मर्द का लंड सहलाकर औरत उससे कोई भी बात मनवा सकती है....यहाँ भी यही होने जा रहा था...उन्होने उखड़ते स्वर में अपनी बीबी को कहा : "उः....उम्म....का..काजल....अगर सब इतना कह रहे है तो कर लो....आई एम ओके विद दिस...''

उनके इतना कहने की देर थी की काजल का सिर एक झटके में उनकी तरफ घूम गया...अपने पति की आँखो में देखकर उसने स्वीकृति ली...और एक बार फिर से शरमाने का नाटक करते हुए वो धीरे-2 उठकर गुरपाल की तरफ चल दी...

गुरपाल के तो आज मज़े थे...उसका नंबर पहला था इस वजह से हर लड़की को चखने का पहला मौका भी उसे ही मिल रहा था...

गुरपाल भी जानता था की काजल का ये पहला मौका है,इसलिए उसे ज़्यादा ज़ोर से चूमकर वो उसे डराना नही चाहता था...वो उसके करीब गया और बड़े ही प्यार से उसने काजल को बाहों में लेकर चूम लिया...काजल भी अपनी तरफ से कोई हरकत करके अपना उतावलापन सभी को पहली ही बार में दिखाना नही चाहती थी...इसलिए चुपचाप गुरपाल के होंठों द्वारा अपने होंठ चुसवाती रही..

लेकिन जब राहुल का नंबर आया तो काजल से रहा नही गया, राहुल उसे हमेशा से ही पसंद था इसलिए उससे लिपटकर एक जोरदार सिसकारी उसके मुँह से निकल ही गयी...और उसने उसके गले में बाहें डालकर उसे अपनी तरफ खींचा और ज़ोर से चूम लिया...
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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by Kamini »

Ankit wrote: 20 Oct 2017 11:01Superb update
thanks you soooooooooooooooooooooooo much
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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by Kamini »

इसी बीच कामिनी ने अपनी टांगे उपर कर ली, उसने इस वक़्त सिर्फ़ नेट वाला टॉप और लंबी सी स्कर्ट पहनी हुई थी, जिसके अंदर कुछ भी नही था...उसने अपना टॉप नीचे करके अपने कड़क बूब्स बाहर निकाल लिए और अपनी टांगे उठा कर उसने अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में डाल दी और उसे मसलने लगी..



इस बीच कुणाल ने इंद्राणी की पेंटी पूरी उतार दी और फिर ढेर सारा तेल उसके नंगे बदन पर डालकर वो उसे मसलने लगा..
कुणाल जैसे ताकतवर हाथ उसने आज तक महसूस नही किए थे, उसके हाथो की ताक़त से वो उसके लंड की अकड़ का अंदाज़ा लगाने लगी...

कुणाल ने धार बनाकर उसकी गांड में जब तेल डाला तो इंद्राणी ने सिसकारी मारते हुए अपनी चूतड़ हवा में उठा दी... मतलब सॉफ था की वो अंदर से उत्तेजित हो चुकी थी, कुलबुला रही थी वो कुछ करवाने के लिए..

कुणाल ने उसकी उभरी हुई गांड में अपनी मोटी-2उंगलियाँ उतार दी...
3 उंगलियाँ सीधा उसकी चूत में घुसती चली गयी और अंगूठा उसने उसकी गांड के छेद में डाल दिया..

वो कराह उठी...
उसकी मोटी उंगलियाँ मिलकर और अंगूठा अकेला ही , उसके पति के लंड से मोटे जो थे...

''आआआआआआआआआआआहह ....... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.... मररर गयी.....''

कामिनी बोली : "शाबाश कुणाल, ऐसे ही अंदर तक वाली मसाज करो मेडम की.... मेडम खुश हुई तो शायद तुम्हारी भी मसाज कर दे ...''

उसका इशारा कुणाल के लंड चूसने से था.

इंद्राणी से अपने लंड को चुसवाने की बात सुनकर वो दुगनी लगन से उसकी चूत और गांड को अपने हाथ की उंगलियो से चोदने लगा...

कुछ ही देर मे वो झड़ गयी....
सुबह से उसके जिस्म में जो सैक्सुअल टेन्षन बन रही थी वो सिर्फ़ एक मिनट में ही निकल गयी...

पर वो भी जानती थी की ऐसी टेंशन तो अभी कई बार निकलेगी उसके बदन से..

कुणाल ने उसे पलट कर सीधा कर दिया और पहली बार उसने उसके सैक्सी बूब्स को देखा...
वो काफ़ी बड़े थे...
करीब 38 साइज़ था उनका...
पर एकदम कड़क और उपर की तरफ मुँह था उनका...
कही से भी ढलक नही रहे थे वो...
लेटे होने के बावजूद वो काफ़ी मोटे लग रहे थे...
कुणाल ने जब तेल उसके शरीर पर डालना चाहा तो कामिनी एक बार फिर से बोली



''कुणाल, यहाँ भी हाथो का इस्तेमाल करे बिना मसाज करो ना... इंद्राणी को अच्छा लगेगा...''

बिना हाथ के मसाज तो सिर्फ़ होंठों और जीभ से ही हो सकती है....
कुणाल के साथ-2 इंद्राणी भी सुलग उठी ये सुनकर...

कुणाल ने मुस्कुराते हुए अपना चेहरा नीचे किया और अपनी मर्दो वाली आदत के अनुसार सीधा उसने अपना मुँह उसके निप्पल्स पर लगा दिया...

इंद्राणी ने जोरदार चीख मारते हुए अपना सीना हवा मे उठा लिया और उसके सिर को पकड़ कर अपने अंदर खींच लिया...

''आआआआआआआआआआययययययययययीीईईईईईई ओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... फकककककककक''

शायद हर औरत की तरह उसके बूब्स ही उसका वीक पॉइंट थे...
कुणाल ने उसके निप्पल्स को जी भरकर चुभलाया और फिर दूसरे का भी उसने वही हाल किया.

फिर धीरे-2 अपनी जीभ से उसके जिस्म की मसाज करता हुआ वो नीचे आने लगा और अंत में आकर जब उसने अपने खुरदुरे होंठ उसकी चिकनी चूत पर लगाए तो उसने किलकिलाते हुए उसका सिर ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबा लिया, जैसे चूत वाले होंठों के ज़रिए उसे अंदर निगल जाएगी...



कुणाल भी उसकी खट्टी-मीठी चूत को चूस्कर काफ़ी उत्तेजित हो गया और उसने अपनी पेंट और कच्छा एक ही झटके में उतार फेंका...

और चुदाई के लिए उसने कामिनी मेडम की परमिशन लेना भी सही नहीं समझा...
मौका ही ऐसा था की उससे सब्र नही हो रहा था अब...
कुणाल ने उसकी दोनो जांघे पकड़ कर टेबल के किनारे कर ली और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया...



''आआआआआआआआआआअहह ओह फकककककककककककककक..... मॅर गयी...''

इतना मोटा लंड जब अंदर जाता है तो ऐसी ही आवाज निकलती है...

इंद्राणी का भी यही हाल था...
उसने आज से पहले इतना मोटा और जंगली लंड अपनी चूत में नही लिया था...
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by Kamini »

गुप्ता जी भी समझ गये की अब काजल पर सेक्स का भूत चड चुका है..वो उसकी सिसकारी का मतलब अच्छी तरह से जानते थे...वो ऐसी गर्म सिसकारी तभी लेती थी जब वो चुदाई के लिए किसी कुतिया की तरह बिलबिलाने लगती है...उसके बाद तो एक रात में 2 बार भी चुदवाकर उसकी भूख नही मिटती थी..

पर अभी तो किस्स का खेल चल रहा था...उसने काजल और राहुल को जब एक दूसरे को किस्स करते देखा तो अपनी पत्नी को किसी दूसरे मर्द की बाहों में देखकर उसे उतनी जलन नही हुई जितनी वो सोच रहा था...वो शायद इसलिए की वहां का माहौल ही ऐसा बन चुका था...

उसके बाद तो एक-2 करके काजल ने सभी को चूमा...और अंत में अपने पति को भी...

इस तरह से एक हर्डल तो पार कर ही लिया था शशांक ने..

पर दूसरा नही कर पाया...

क्योंकि डिंपल के बाद जब नीरू का नंबर आया तो उसने सॉफ लफ़्ज़ों में बोल दिया की वो किसी को भी स्मूच नही करेगी....लेकिन सुमन और सबा के ज़ोर देने पर...और कपूर साहब के कहने पर उसने सभी के गाल पर एक-2 पप्पी देना स्वीकार कर लिया...



शशांक को अब अगली गेम की प्लानिंग करनी ही थी...

कुछ देर तक अपनी ड्रिंक्स पीने के बाद अगली गेम शुरू हुई..

और इस बार भी पिछला वाला रूल ही था...यानी सबसे छोटे पत्ते वाले की वाइफ शुरूवात करेगी..लेकिन वो क्या करेगी इसका निर्णय सिर्फ़ वही मर्द करेगा जिसका नंबर होगा...यानी सामने वाला उससे कुछ भी करवा सकता है...

सभी लोग समझ चुके थे की इस खेल में अब क्या होने वाला है, अपने-२ मन में सभी ये सोचने लगे की अब क्या करवाया जाए

इस बार शशांक इस गेम को उस पार लेकर जाना चाहता था...और उसकी इस गेम की प्लानिंग ही ऐसी थी की उस पार जाने से उसे कोई भी रोक नही सकता था.



शशांक का शैतानी दिमाग़ अब ये बात तो अच्छी तरह से जानता था की यही वो गेम है जिसके बाद सब पाबंदिया हट जाएँगी, उसके बाद जो वासना का नंगा नाच होगा वहां पर, उसी को देखने और महसूस करने के लिए उसने कई सालों तक मेहनत की थी...और उसकी मेहनत का फल अब जल्द ही मिलने वाला था...

सबा के बाद काजल ने भी उसे काफ़ी इंप्रेस किया था...उसने जैसा सोचा था ना तो सबा ही वैसी निकली और ना ही काजल...एक बार उनकी शर्म का परदा जो हटा था, उसके बाद तो दोनो ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे बरसों से ये सब करती आई हो...

शशांक ने सुमन को एक कोने में लेजाकर अगली गेम कैसे खेलनी है ये समझा दिया...सुमन ने सबा और डिंपल को बाद में वही बात समझा दी...वैसे उनके लिए तो शशांक ने सिर्फ़ इतना ही कहलवाया था की अब जो जैसे बोलते जाए,उन्हे बिना किसी झिझक के वैसे ही करते चले जाना है...दोनो समझ गयी की अब वो घमासान चुदाई ज़्यादा दूर नही रह गयी जिसके बारे में उन दोनो ने सोच रखा था..

शशांक जानता था की उस कमरे में बैठे मर्दों में इतनी तो अक्ल है ही की जीतने के बाद कैसे इस खेल का मज़ा लेना है...

बस अगली गेम जल्द ही शुरू हो गयी..

राहुल ने पत्ते बाँटे.

सभी ने अपने-2 पत्ते उठा कर देखे..

शशांक के पास 1,2,3 का सीक़वेंस आया था....जाहिर था की वही सबसे बड़े पत्ते होंगे...और उसके हिसाब से उसका नंबर सबसे लास्ट में आना था...

गुरपाल के पास 2,4,6 आए थे...जो वाकई में काफ़ी छोटे थे...

राहुल के पास 2 का पेयर और बादशाह

गुप्ता जी के पास इक्का,बादशाह और 6 नंबर..

और कपूर साहब के पास बेगम , गुलाम और 8 नंबर..

यानी इस बार भी सबसे पहले गुरपाल से शुरूवात होनी थी...वो अपनी मर्ज़ी से,किसी की भी बीबी से, कुछ भी करवा सकता था...

गुरपाल जानता था की जो वो करवाना चाहता है उसके लिए शायद काजल और नीरू एकदम से तैयार ना हो...इसलिए उसने सबा को बुलाया...उसे भी इसलिए क्योंकि उस कमरे में बैठे सभी ठरकियों को सबा ही सबसे ज़्यादा पसंद है...वो जब अपने हुस्न का दीदार करवाएगी तो सभी की झिझक दूर हो जाएगी...

वो बोला : "मैं चाहता हूँ की सबा भाभी मुझे टिट फकिंग का मज़ा दे...''

अब बोलने को तो वो उसे चोदने की बात भी बोल सकता था, पर पहली ही बार में वो ऐसा करके नीरू को वहां से डराकर भगाना नही चाहता था....

सबा की तो चूत गीली हो गयी ये सुनकर...उसे पता था की गुरपाल का लण्ड काफ़ी बड़ा है, और काला भी,अपने मोटे और सफ़ेद मुम्मो के बीच उसके काले लण्ड को फंसाकर उसे मसलने के नाम से ही सिहर उठी...

वो मटकती हुई आगे आई, उसने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिराया तो आधे से ज़्यादा मम्मे झाँकते हुए दिखाई दिए...वो गुरपाल के कदमो में बैठ गयी और उसने धीरे-2 अपने ब्लाउस की डोरियाँ खोल दी...

ब्लाउस के नीचे उसने ब्रा तो पहनी ही नही हुई थी...इसलिए डोरी खुलते ही उसके सफेद कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर निकल आए...गुरपाल तब तक अपनी पेंट को खोलकर नीचे खिसका चुका था और अपने हाथ में लंबे और काले लण्ड को मसलकर वो सबा के मुम्मे देख रहा था..



दूर बैठी नीरू और काजल तो सरदारजी के चमकते हथियार को देखकर बेहोश होते-2 बची...अभी तक जो खेल स्मूच तक सीमित था वो नंगेपन पर उतर आया था...सरदारजी को आजतक उन्होने एक अच्छे पड़ोसी की तरह देखा था, हमेशा उसे और इस कमरे में मौजूद हर आदमी को सिर्फ़ भाई साहब बोलकर ही सम्बोधित किया करते थे...लेकिन आज जब उनके लंड को देखा तो दोनो के चेहरे के रंग बदल गये...काजल तो बैठी-2 पनिया गयी...ऐसा लगा उसका सूसू निकल गया है...और नीरू तो उसके काले लंड को देखकर बस यही सोच रही थी की 'क्या इतना लंबा भी होता है किसी का...ये डिंपल का क्या हाल करता होगा..'

पर अभी तो हाल सबा का खराब हो रहा था...इतने करीब से जब कोई गुलाब जामुन और मोटा केला देख ले तो मुँह में पानी आना स्वाभाविक ही है...

सरदरजी के मुँह में भी पानी आ रहा था जब उन्होने लाल निप्पल वाले गोरे मुम्मे देखे सबा के..

सबा ने अपना ब्लाउस पूरा निकाल कर सोफे पर फेंक दिया...अब वो उपर से नंगी होकर अपना यौवन सभी को दिखा रही थी...नीरू अब भी सोच रही थी की क्या वो ऐसा कुछ कर पाएगी...वो भी उन लोगो के सामने जिनके साथ उसका रोज का उतना - बैठना है...पर जब उसने सबा के चेहरे के भाव देखे...और उस कमरे में मोजूद हर औरत और मर्द के चेहरे को देखा तो वो समझ गयी की ऐसा करने में सबा के साथ-2 उन सभी को भी मज़ा आ रहा है...पर वो ये कर पाएगी या नही,वो अभी तक डिसाईड नही कर पा रही थी...पर हाँ , अपनी चूत से निकल रहे गर्म पानी को वो रोकने में असमर्थ हुए जा रही थी...

सबा ने काले नाग को हाथ मे पकड़ा और धीरे-2 उसे पकड़ कर अपने मम्मों के बीच फँसा लिया...और गुरपाल की आँखो में देखकर मुस्कराते हुए उसने उसके लंड को मुम्मो के बीच की दीवारों में मसलते हुए उपर नीचे होना शुरू कर दिया...



वो ऐसा करते हुए अपनी गांड को भी हिरनी की तरह हिला रही थी जिसकी वजह से उसके बिल्कुल पीछे बैठे कपूर साहब का बुरा हाल हो गया...वो तो हमेशा से उसकी चौड़ी गांड के दीवाने रहे थे...काश वो पूरी नंगी होकर ये काम कर रही होती तो उसके लचकते कूल्हे देखकर वो अपना लंड रगड़ लेते...पर उन्हे अब ये आभास हो चुका था की यही हाल चलता रहा तो वो वक़्त भी दूर नही जब उसकी नंगी गांड भी सभी को देखने को मिलेगी...
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