एक नंबर के ठरकी complete

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Kamini
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एक नंबर के ठरकी complete

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एक नंबर के ठरकी

ये कहानी है राहुल की. जिसकी उम्र करीब 25 साल है.



कहानी शुरू करने से पहले राहुल की लाइफ का बॅकग्राउंड बता दूँ ..जिससे आपको इसकी आगे की कहानी समझने में मदद मिलेगी.

राहुल पुणे में एक मल्टिनॅशनल कंपनी में काम करता था..और उसे अपने ऑफीस में काम करने वाली एक लड़की से प्यार हो गया, और दोनो ने एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें भी खा डाली..बात शादी तक पहुँच गयी..लेकिन राहुल के घर वालो को उसका ये फ़ैसला मंजूर नही था...कारण था वो लड़की...क्योंकि वो मुसलमान थी. नाम था सबा.



आज से पहले राहुल के खानदान में किसी ने भी इंटरकास्ट मैरिज नही की थी...राहुल के घर वालो ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो किसी की भी बात समझने को राज़ी नही हुआ...आख़िरकार उसके पापा ने गुस्से में आकर उसे घर से निकल जाने की बात कह दी...जवान खून था और प्यार का भूत सवार था, इसलिए राहुल ने भी बिना कोई देरी किए उसी वक़्त अपना सामान पैक किया और घर छोड़ दिया...उसकी माँ और बहन ने काफ़ी रोका, रोई,पर उन बाप-बेटे ने अपने फैसले नही बदले..

वहां से निकलकर राहुल सीधा सबा के घर पहुँचा..
उसके पिता का देहांत कई साल पहले हो चुका था...उसकी माँ एक सरकारी स्कूल में टीचर थी और सबा की एक छोटी बहन कॉलेज में पढ़ रही थी...उसकी माँ को राहुल के घर वालो की तरह उनकी शादी से कोई आपत्ति नहीं थी ..वो अपनी बेटी की खुशी में ही खुश थी...इसलिए उसने उन दोनो को एक साथ रहकर अपनी जिंदगी जीने की इजाज़त दे दी ..

राहुल और सबा की शादी आनन-फानन में एक आर्यसमाज मंदिर में हुई...और शादी के बाद राहुल सीधा मुंबई के लिए निकल गया..जहाँ उसके दोस्त ने एक अच्छी सी जॉब का पहले से प्रबंध कर रखा था.

नौकरी तो उसे मिल गयी पर घर आसानी से नही मिल सका..राहुल कुछ दिन के लिए अपने दोस्त के घर पर ही रुक गया..उसका भी छोटा सा घर था, इसलिए राहुल जल्द से जल्द वहां से निकलना चाहता था..

मुंबई मे घर मिलना आसान काम नही था...वो शुरू से ही सॉफ सुथरे माहौल में रहता आया था..इसलिए अब भी ढंग की जगह पर ही रहना चाहता था...और जो ढंग की जगह उसे पसंद आती वहां का किराया काफ़ी था जो राहुल की सैलेरी का लगभग आधा था...आधे से ज़्यादा पैसे अगर किराए में दे दिए तो बाकी के खर्चे कैसे चलाएगा..यही सोचकर राहुल अक्सर परेशान रहता था.

उसकी परेशानी देखकर सबा ने भी जॉब करने की बात कही...आख़िरकार पहले भी तो वो जॉब कर ही रही थी..राहुल भी उसकी बात मान गया और सबा ने जॉब ढुढ़नी शुरू कर दी.राहुल के बॉस को जब ये बात पता चली तो उसने उसी ऑफीस में सबा को जॉब करने की सलाह दी..इंटरव्यू हुआ और सिलेक्शन भी हो गया.अब उन दोनो की सॅलरी से वो आसानी से एक अच्छा सा घर ले सकते थे.

और यहाँ भी राहुल के बॉस ने ही उसकी मदद की,उन्होने अपनी ही सोसायटी में उसे एक फ्लॅट किराए पर दिलवा दिया, जो ऑफीस के काफ़ी करीब था...सोसायटी भी अच्छी थी और रेंट भी वाजिब था...और धीरे-2 राहुल और सबा की जिंदगी सेट्ल होने लगी.

और अब आप सभी को ज़्यादा बोर ना करते हुए असली कहानी पर आती हूँ.

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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

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तो दोस्तो..ये था राहुल की जिंदगी का पहला भाग...और दूसरा भाग शुरू हुआ कुछ महीने बाद...जब दीवाली करीब थी..

राहुल और सबा की जिंदगी में ये दीवाली कैसे-2 रंग लाने वाली थी और क्या-2 धमाके करने वाली थी,इसका अंदाज़ा दोनो को ही नही था.

दशहरे वाले दिन पूरी कॉलोनी में काफ़ी रौनक थी...सबने मिलकर वहां एक हाउसिंग वैलफेयर कमेटी बनाई हुई थी जो ऐसे कार्यकर्म आयोजित करती थी जिसमें ज़्यादातर हर त्योहार को मिल जुलकर मनाया जाता था...दशहरे वाले दिन भी एक छोटा सा रावण बना कर उसका दहन किया गया..और बाद में सभी ने मिल जुलकर डिनर भी किया.

राहुल का बॉस शशांक सिन्हा इस सोसायटी की वेलफेयर कमेटी का प्रेसीडेंट था...इसलिए ऐसे सभी कार्यकर्म की ज़िम्मेदारी उसी के कंधो पर रहती थी.

डिनर के टाइम भी माहौल काफ़ी खुशनुमा था...

सोसायटी की सारी महिलाए अपने-२ ग्रुप बनाकर टेबल पर बैठी गप्पे मार रही थी...बच्चे पास ही बने पार्क में खेल रहे थे...और सभी मर्द अपने -२ ग्रुप में बैठकर खाना खा रहे थे या दारू पी रहे थे..

ऐसे ही एक टेबल पर राहुल अपने बॉस शशांक के साथ बैठा था, साथ में थे सोसायटी के ३ लोग और

बियर पीते हुए इधर - उधर की बाते होने, कुछ देर बाद वहीं बैठे गुप्ता जी ने एक टॉपिक छेड़ा,जिसे सुनकर सभी के कान खड़े हो गये..

गुप्तजी : "अरे भाई...दीवाली आने वाली है...कुछ सोचा है अब की बार कैसे मैनेज करेंगे...''

राहुल का बॉस शशांक बोला : "सोचना क्या है...हमेशा की तरह वही पुराना तरीका...बारी-2 से सभी के घर पर...ऐसा करने से किसी पर बर्डन भी नही पड़ता और एंजाय भी हो जाता है...''

गुप्तजी : "वो तो मुझे भी पता है...पर मैं जिस बारे में बात कर रहा हू वो तो समझो सिन्हा साहब...इस बार कैसे करेंगे...हमारे मेंबर्स तो काफ़ी कम है...ऐसे मज़ा नही आएगा...''

उनकी बात सुनकर शशांक बोला : "गुप्ताजी ...सब हो जाएगा....आप बस देखते रहिए...मेंबर्स की कमी थोड़े ही है....ये है ना राहुल...ये जॉइन करेगा इस बार....''

राहुल जो अभी तक चुपचाप बैठकर अपनी बियर के सीप लगा रहा था,एकदम से अपना नाम सुनकर चोंक गया...उसे तो पता भी नही था की किस बारे में बात चल रही है...वो बेचारा अवाक सा होकर कभी गुप्ताजी और कभी अपने बॉस शशांक को देखने लगा..जैसे उनसे पूछना चाहता हो की किसमें उसे जॉइन करवा रहे है...

उसके चेहरे को देखकर शशांक बोला : "अरे राहुल, घबराओ मत...सिर्फ़ खेलने की बात चल रही है...वो क्या है ना, हमारी सोसायटी में हर साल दीवाली पर ताश खेलते है...दशहरे के बाद तकरीबन रोजाना ये खेल खेलकर हम अपना टाइम पास करते है...वैसे तो हमने जो सोसायटी का क्लब बनाया हुआ है उसमे अक्सर हम ताश खेलते है , पर दिवाली के दिनों में हम पैसो से खेलते है, और इन दिनों जुआ खेलना शुभ माना जाता है....इसलिए धीरे-2 हम सभी ने अपना एक ग्रुप बना लिया है, जिसमे हम सभी ताश खेलते है...''

राहुल ने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई...और बोला : "ओह्ह्ह ..तो ये बात है...ताश तो हमारे यहाँ भी खेलते है...दिवाली के दिनों में ..और मुझे तो शादी से पहले इसका बहुत ज़्यादा शोंक था...पर पैसो से खेलना थोड़ा मुश्किल होगा ....''

राहुल को ऐसे अटकता देखकर उसका बॉस समझ गया की वो क्या कहना चाहता है.... वो बोला : "अरे राहुल...तू पैसो की चिंता मत कर...इस साल दीवाली का बोनस मिलेगा...और मैने तेरा नाम एस ए स्पेशल केस रिकमेंड कर दिया है...इसलिए अगले 10 दिनों में तुम्हारे खाते में बोनस की रकम ट्रान्स्फर कर दी जाएगी...''

वैसे तो बोनस उन्ही को मिलता है जो कंपनी में एक साल पूरा कर चुके है...पर उसके बॉस की वजह से राहुल को वो बोनस सिर्फ़ 6 महीने की सर्विस के बाद ही मिल रहा था...ये राहुल के लिए बहुत खुशी की बात थी...और करीब 50 हज़ार रुपय एकदम से बिना माँगे मिल जाए तो थोड़ा बहुत इस तरह से जुए में लगा देने से उसे कोई परेशानी नही होने वाली थी...बल्कि राहुल को तो यकीन था की वो जीतेगा ही...क्योंकि उसके बॉस और सोसायटी में रहने वाले दूसरे लोग ये नहीं जानते थे की वो अपने दोस्तो में ताश खेलने का चैम्पियन था...वो तो समय के साथ-2 उसकी ताश खेलने की आदत छूट गयी वरना इस खेल में उसने काफी पैसे भी कमाए थे.

उसने खुशी-2 हाँ कर दी..

शशांक ने बताया की उनके ताश खेलने वाले क्लब में सिर्फ़ 4 दंपति है जो ये खेल हर साल खेलते है, पहले 5 थे, जो अब सोसायटी छोड़कर जा चुका है ..ये सुनकर राहुल को थोड़ा आश्चर्य ज़रूर हुआ की जिस सोसायटी में करीब 200 फॅमिलीस रहती है,उनमें से सिर्फ़ 4 लोग ही इस ताश खेलने वाले ग्रुप के मेंबर है...वो ये बात अपने बॉस से क्लेरिफाई करना चाहता था पर उसकी हिम्मत नही हुई पूछने की ...वैसे भी इस खेल में जितने ज़्यादा मेंबर होंगे उतना ही कम मज़ा मिलेगा..इसलिए उसने कुछ पूछा ही नही.

राहुल ने अपना पेग ख़त्म किया और उन्हे अगले दिन मिलने को कहकर वहां से चला गया.

उसके जाते ही वहां बैठे गुप्ताजी और शशांक के साथ -2 उनके दोस्त मनोहर कपूर और सरदारजी (गुरपाल सिंह) के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गयी...

दरअसल ये चारों एक ही थाली के चट्टे -बट्*टे थे...और इन सभी ने मिलकर राहुल को अपने जाल में फँसाने का ये तरीका निकाला था..

और इन सभी का निशाना था उसकी खूबसूरत बीबी....सबा.
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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

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जिस दिन से शशांक ने राहुल की बीबी को ऑफिस की पार्टी में देखा था, उसके मन मे उसे चोदने के ख़याल आने लगे...इसलिए वो अपनी तरफ से बढ़ - चड़कर उसकी मदद करने लगा..उसकी वाइफ को अपने ही ऑफीस में जॉब भी दिलवा दी...अच्छी सैलरी के साथ...और अपनी सोसायटी में ही उसे फ्लैट भी दिलवा दिया...और उसका कारण था उसकी जैसी मानसिकता वाले उसके ये तीनों दोस्त..

वैसे तो ये सभी अच्छे बिज़नेसमॅन या ऑफिस में उँची पोस्ट पर थे...पर रात को एक साथ बैठकर ये दारू पीते तो पूरी सोसायटी में रहने वाली औरतों की माँ-बेटी एक कर देते थे...चारो एक नंबर के ठरकी थे...सभी की उम्र 40-50 के बीच थी..कई सालों से पड़ोसी रहने की वजह से सभी में काफ़ी गहरी दोस्ती हो चुकी थी...कई बार मिलकर इन्होने रंडिया भी चोदी थी...जब भी किसी की बीबी किसी काम से बाहर या मायके जाती तो उसके खाली घर में ये चारों मिलकर हवस का नंगा खेल खेलते...हर उम्र की और खासकर कच्ची कलियों को चोदना ही इनका मकसद रहा करता था...इसलिए सोसायटी में रहने वाली औरतों के साथ-2 उनकी जवान हो रही लड़कियों को भी ये नही छोड़ते थे...

इन सभी की ऐसी हरकतों की वजह से ही सोसायटी के ज़्यादातर मर्द इनसे दूर रहते थे...पर इनकी बेबाक शरारतों की वजह से इन्होने अपनी कॉलोनी की कई औरतों को चोद भी डाला था...क्योंकि वहां रहने वाली कई औरतों की चूत भी काफ़ी खुजलाती थी...लेकिन फिर भी हर बार नए माल की तलाश में इनकी भूखी नजरें लगी रहती थी

बस ऐसे ही इन सभी की जिंदगी चल रही थी जब एक रात दारू पीते हुए शशांक ने अपने ऑफीस में काम करने वाले राहुल की जवान बीबी सबा का ज़िक्र छेड़ दिया...एक तो नाम इतना सेक्सी...उपर ने नयी ब्याही हुई लड़की...उन सभी के लंड तन कर खड़े हो गये...और उसकी बीबी को फ़साने और चोदने के अलग-2 तरीके वो शशांक को बताने लगे...उन्ही तरीक़ो पर अमल करते-2 उसने उसकी बीबी को जॉब दे डाली...अपनी सोसायटी में कम रेंट पर फ्लेट भी दिलवा दिया..लेकिन इस बीच शशांक या उसके इन दोस्तों ने कभी भी अपने गंदे इरादो की भनक राहुल या सबा को नही लगने दी...वो सभी उन दोनो के सामने बड़े ही सभ्य तरीके से पेश आते थे....और ये भी उन्ही का प्लान था...जिसके अनुसार वो सही मौके की तलाश कर रहे थे...

और इन 4-5 महीनो में वो जब भी एकसाथ मिलकर बैठते तो उनकी चर्चा का विषय सबा ही होती..

शशांक अक्सर बोलता : "यार.....आज तो ऑफीस में साली टाइट स्लेक्स पहन कर आई थी....और उसमें से उस रंडी की मोटी जांघे ऐसे दिख रही थी जैसे एक बड़ा सा चबा जाने लायक लेग पीस....बस स्लेक्स उतारो और चबा जाओ उसकी टंगड़ी को....''

उपर से गुप्ता जी अपने लंड को मसलते हुए कहते : "भेन की लौड़ी के मुम्मे तो देखो...कल सुबह जब सीडियों से उतर रही थी तो ऐसा लग रहा था जैसे दो छोटी-2 फुटबॉल उछल रही है...मुझे दुनियादारी की परवाह ना होती तो इस रंडी को वहीं नंगा करके पेल देता...''

सरदारजी बोले : "आज सुबह मेरी वाइफ अपने घर की चाबी इनके घर छोड़ गयी थी...शाम को जब मैं वापिस आया तो इसे लगा की राहुल आया है...मदारचोद ऐसी ही भागती चली आई दरवाजा खोलने ....छोटी सी निक्कर और टी शर्ट में ..ऐसी मलाई जैसी टांगे थी यारो...बस चाटते रहो...लंड रगड़ते रहो उसपर....''

कपूर साहब भी कहाँ पीछे रहने वाले थे...वो भी बोलते : "ऐसी खूबसूरत रंडी को चोदकर ही मेरे लंड को सकून मिलेगा...संडे को मेरी मिसेज के साथ मेरे ही बैडरूम में बैठकर बाते कर रही थी , बस उसी बेड पर चोदना है मुझे तो उसे , दोस्तों अब हमे जल्द से जल्द कुछ करना होगा...''

उन्हे जो भी करना था, तरीके से करना था...जैसे अभी तक योजना बनाकर वो करते आए थे...सबा को अपने जाल में फँसाकर चोदना तो बस एक ज़रिया था अपनी लाइफ का मज़ा लेने का...वरना चारों की पत्निया एक से बढ़कर एक खूबसूरत थी...वो भी अपने पतियों की तरह आपस में घुल मिलकर रहती थी और उनके रंगीन मिज़ाज से वो सब भी वाकिफ़ थी...लेकिन वो अपने रंगीन मिज़ाज के लिए क्या-2 करते है,ये उनमे से कोई भी नही जानता था...और उन्हे ज़रूरत भी नही थी उनकी जिंदगी में दखल देने की...सभी को ऐश की जिंदगी जीने को मिली हुई थी...ऐसे में अपने पतियों के उपर लगाम लगाकर उन्हे कुछ मिलने वाला तो नही था...और वैसे भी, जो आग इन मर्दों को जलाती थी,वो क्या इन गर्म औरतों को कम जलाती थी ..

बिल्कुल जलाती थी जनाब.

सभी की उम्र 30 - 4 0 के बीच थी, ये सब भी आपस में इतनी घुल मिल चुकी थी की अपने-2 पुराने बॉयफ्रेंडस और चुदाई के किस्से एक दूसरे से आसानी से शेयर कर लेती थी....हर जवान मर्द को ये सब भी ऐसे देखती थी जैसे आजकल के मर्द कमसिन लड़कियों को देखकर लंड सहलाते है...फ़र्क सिर्फ़ इतना होता था की इनके हाथ अपनी चूत की लकीरों पर चलते थे...यानी देखा जाए तो ये पूरा गैंग सेक्स के मामले में काफ़ी खुला हुआ सा था...बस थोड़ा बहुत परदा था आपस में ..और वो कितनी देर तक रहने वाला था ये वो भी नही जानते थे..

राहुल के आने के बाद अक्सर ये चारों औरतें उसी के बारे में बाते करती रहती थी....क्योंकि राहुल देखने में बिल्कुल मॉडल जैसा था...और एकदम जवान भी ...इसलिए उन्होने सबा को अपनी सहेली बना लिया था ताकि उसके और राहुल के अतरंग पलों को सुन सके...पर सबा थी की अपनी प्राइवेट बातों को छुपा लेती थी...वो काफ़ी उगलवाने की कोशिश करती पर उसके शर्म से लाल हुए चेहरे से कुछ निकलता ही नही था..



ऐसे ही दशहरे वाले दिन भी हो रहा था...जब उनके हस्बेंड्स एक टेबल पर बैठे थे और सबा इस गेंग के साथ एक बड़ी सी टेबल पर...सभी के हाथ में वोडका के ग्लास थे, वो सभी मिलकर आज भी सबा को छेड़ रहे थे ...


शशांक की बीबी, सुमन सिन्हा, जो इस ग्रूप में सबसे शरारती थी ,वो बोली : "सबा...बता ना...कल राहुल ने कितने राउंड लिए....वो तेरी एस्स फकिंग भी करता है क्या...तेरी बेक देखकर तो लगता है की वो इसके बहुत मज़े ले रहा है आजकल ...बोल ना...''

मिसेज काजल गुप्ता बोली : "यार...मुझे तो लगता है की राहुल इसके बूब्स ही चूसता रहता है...देख ना, कितने बड़े हो गये है पिछले 2 महीने में ...मेरा साइज़ भी ऐसे ही बढ़ता था,जब मेरी नयी-2 शादी हुई थी...अह्ह्हहह इसे देखकर तो मुझे अपने पुराने दिन याद आ गये...''

मिसेज नीरू कपूर बोली : "लेकिन जो भी है, इसकी चुप्पी देखकर तो लग रहा है की जो भी हम बोल रहे है वो सब सच है...काश हमारे पति भी ऐसे ही रोजाना हमारी अंदर की आग बुझा सकते....''

उनकी बात सुनकर सबा का चेहरा हमेशा की तरहा लाल हो उठा...उसे सेक्स बहुत पसंद था, इतना की राहुल उसे जितना भी चोदता था उसे कम ही लगता था ...लेकिन सेक्स के बारे में बात करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था उसे ...इसलिए आज भी वो अपना चेहरा झुका कर बस इतना ही बोल पाई : "नही...ऐसा कुछ भी नही है....''

और इस बार सोहनी सरदारनी डिंपल बोली : "क्या ऐसा कुछ नही है.....तेन्नु राहुल मज़े नही देंदा की .....दस मैन्नू ....मेरे सरदारजी तो मुझे सोने भी नही देते थे....रात को कपड़े भी नही पहने मैने तो शादी के 1 साल बाद तक...समझी....''

वो सब अपनी बाते सुनाकर उसे उकसा रही थी ,पर वो अपने बैडरूम के राज खोलने को राजी ही नहीं हो रही थी

वो बाते कर ही रही थी की राहुल वहां आया और सबा से बोला : "सबा....अब हमे चलना चाहिए....''

सबा भी वहां से भागने की फिराक में थी...वो जल्दी से उठी....उन दोनो ने सभी को गुड नाइट बोला और अपने फ्लैट में चल दिए...पीछे से डिंपल ने आवाज़ लगाकर सबा से कहा : "गुड नाइट जी....एंजाय करो...''

जवाब मे सबा ने मुड़कर उन्हे देखा और मुस्कुरा दी...राहुल कुछ ना समझ सका..वैसे भी वो राहुल को इन सभी की बातें बताती नहीं थी, उसे लगता था की राहुल को ये सब पसंद नहीं आएगा और वो उसका उनके साथ उठना-बैठना बंद करवा देगा, जो वो हरगिज नहीं चाहती थी, वो भले ही अपनी अतरंग बाते सोसायटी की इन औरतों के साथ शेयर नहीं करती थी, पर उनकी बाते सुनना उसे बहुत पसंद था, जिसे सुनकर वो एक्साइटिड हो जाया करती थी

दीवाली के दिनों में सोसायटी में ऐसी मस्ती आम बात थी...लेकिन इन सभी दंपतियो में सबसे ख़ास दिवाली का समय रहता था शशांक और सुमन के लिए.

दरअसल उन्हे शुरू से ही ऐसी मस्ती भरी दिवाली मनाने की आदत थी.

इन्हे मुंबई में आए हुए करीब 5 साल हो चुके थे...यहाँ आने से पहले शशांक बेंगलोर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था...शशांक और सुमन शुरू से ही सेक्स के मामले में एकदम खुले विचारो के थे..शशांक ने अपने ऑफीस की सेक्रेटरी को कई बार घर लाकर चोदा था...सुमन के भी कई अफेयर्स थे...दोनो एक दूसरे की सेक्स लाइफ में दखल नही देते थे...दोनो ने एक क्लब भी ज्वाइन किया हुआ था...जिसमें वीकेंड पर होने वाली पार्टीस में सभी मर्द अपनी-2 गाड़ी की चाबियाँ एक टेबल पर रख देते और जिसके हाथ जो चाबी आती वो उसी गाड़ी में जाकर वहां पहले से वेट कर रही उस गाड़ी के मालिक की बीबी को वहीं चोद देता था...इस खेल में सभी को हर बार नयी-2 चूतें चोदने को मिला करती थी...उस क्लब में शशांक और सुमन ने करीब 1 साल तक जमकर मज़े किए.

पर जब उसे नयी नौकरी मिली तो उसे मुंबई आना पड़ा..यहां भी उसने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की पर उस तरह के खुल्ले विचारो वाले लोग उसे मिल नही पाए...फिर उसने अपना ये सोसायटी वाला ग्रुप बना लिया जिसमें वो एक दूसरे की बीबी के साथ तो नही पर दूसरे तरीके से मज़े ले सकता था...वाइफ स्वेपिंग करने की जब भी वो बात छेड़ता तो कोई उसमे इंटरेस्ट ही नहीं लेता, वहीं दूसरी तरफ सुमन ने भी कई बार अपनी सहेलियो के मन टटोलने की कोशिश की पर अपनी एक दूसरे के पतियों के साथ सेक्स करने की बात वो सिर्फ़ हँसी मज़ाक में ही टाल दिया करती थी...

और इस बार की दीवाली पर राहुल और सबा को शामिल करके, शशांक अपने दिल की वो आरजू भी पूरी करना चाहता था जो उसके मन मे कई सालों से थी...यानी अपने दोस्तो की बीबियों को चोदने की....उसकी खुद की बीबी तो हमेशा से उसके साथ थी...बस वो बाकी सभी को अपनी संगत में लेकर एक साथ मज़ा लेना चाहता था...थोड़ा मुश्किल था,लेकिन उसे पूरा भरोसा था की इस बार वो ज़रूर कामयाब होगा.

अगले दिन से जुए का प्रोग्राम शुरू होना था...यानी मौज मस्ती से भरी रातें जो दिवाली तक चलने वाली थी..

और शशांक ने जाने से पहले सभी को एक ख़ास बात कही...इस बार की ताश की पार्टीस में सभी सिर्फ़ नाइट सूट्स में ही आएँगे...उसकी इस बात पर किसी ने भी आपत्ति नही की,क्योंकि तैयार होकर 2-3 घंटे तक बैठना काफ़ी मुश्किल होता था..

पर उसकी इस बात के पीछे उसका उद्देश्य वो नही समझ पाए...जो आने वाले दिनों में काफ़ी मददगार होने वाला था.
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Re: एक नंबर के ठरकी

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अपने फ्लैट में पहुँचते ही सबा ने राहुल को पीछे से पकड़ लिया और अपनी नुकीली छातियाँ उसकी कमर में धंसा कर उससे बुरी तरह से लिपट गयी...

राहुल समझ गया की सबा इस वक़्त काफ़ी गर्म है....

और वो हो भी क्यों नही...अभी कुछ देर पहले जिस तरह से सोसायटी की लेडीज़ उसके और राहुल की चुदाई के बारे में उससे पूछ रही थी उन्हे सुनने के बाद जो आग उसके अंदर सुलगनी शुरू हुई थी,वो अब पूरी तरह से भड़क चुकी थी...वो गहरी -2 साँसे लेती हुई अपने बूब्स को उसकी पीठ पर रगड़ रही थी..

राहुल को हमेशा से सबा का सेक्स के बारे में पहल करना पसंद आता था...आज भी वो ऐसा ही कर रही थी...लेकिन आज वो और दिनों से कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित लग रही थी...और उसे पता था की जब भी ऐसा होता है तो उसे मिलने वाला मज़ा काफ़ी बढ़ जाता है...और ऐसे में वो अपने आप को उसके हाथो में छोड़कर निश्चिन्त हो जाता था...जो भी करती थी,सबा ही करती..उसे तो अपने आप मज़े मिल जाया करते थे..

राहुल अपनी मस्ती में मस्त था और सबा के जहन में उसकी सहेलियो की बातें घूम रही थी...

'राहुल तेरी एस फकिंग करता होगा न......देख न इसकी गांड कैसे फ़ैल गयी है '

वैसे तो आज तक सबा ने अपनी गांड नहीं मरवाई थी,लेकिन उनकी बाते सुनकर वो भी मरवाने का मन करता था
'राहुल तेरे बूब्स काफ़ी चूसता है ना...देख तो कितने बड़े हो गये है...'

बस ये याद आते ही सबा ने राहुल को अपनी तरफ घुमाया और एक ही झटके में अपना टॉप उतार कर नीचे फेंक दिया...नीचे उसने डिज़ायनर ब्रा पहनी हुई थी...जो उसने बड़ी बेरहमी से नोच फेंकी...और एक ही पल के अंदर वो राहुल के सामने टॉपलेस होकर खड़ी थी...उसके गोरे-2 बूब्स देखकर राहुल की आँखे चुंधिया गयी...



सबा ने उसके सिर को पकड़कर अपनी छाती की तरफ धकेला और चिल्लाई : "चूसो इन्हे राहुल.....सक्क माय बूब्स नाउsssssssss ....''

राहुल तो उसके इस रवैय्ये को देखकर हैरान रह गया...पर उसे क्या फ़र्क पड़ रहा था...उसे तो दूध पीने से मतलब था..बस फिर क्या था...वो भी अपने पैने दाँतों और गर्म जीभ के साथ टूट पड़ा उसके नर्म मुलायम बूब्स पर...और ऐसे चूसने लगा जैसे वैक्यूम क्लीनर किसी चीज़ को अपनी तरफ खींचता है..

सबा भी उसकी सकिंग पावर से उसके मुँह की तरफ खींचती चली गयी...और अपने पंजों पर खड़ी होकर अपना पूरा का पूरा मुम्मा उसने मुँह में घुसेड़ दिया...और साथ ही साथ एक सुरीली और सेक्सी आवाज़ में कराह भी उठी...
''उफफफफफफफफफ्फ़........माआआआआआआआयययय डार्लिंग.................उम्म्म्ममममममम.........ज़ोर से........ऐसे ही.........आआआआआआआआआअहह .............. हाआआआआआआअ.....''



राहुल की उंगलियाँ उसकी गद्देदार गांड के अंदर धँस गयी....और उसने उसे उपर हवा में उठा लिया...और अपने लंड के उपर उसकी चूत को रगड़ते हुए उसके बूब्स को चूसने लगा...दोनो के कपड़े बीच में ना आए होते तो एक ही झटके में राहुल ने उसकी चूत में दाखिला ले लेना था...

सबा के पैरों के नीचे से ज़मीन क्या गायब हुई वो हवा में फड़फड़ाती हुई अपने दर्द भरे मज़े बयां करने लगी..

''ओह राहुल........मार डालो मुझे आज.....आआअहह चबा जाओ.....इन्हे.........ज़ोर से चूसो.......काटो.....मेरे निप्पल्स को.....उम्म्म्मममममममममम.....''

राहुल को वो ये सब ना भी कहती तो वो यही करता...और कर भ रहा था...अपने तेज दांतो से वो उसके बर्फ़ी जैसे नर्म मुम्मों की मिठास को अपने मुँह में लेकर मज़े ले रहा था....उसके निप्पल्स के चारों तरफ जो घेरा था,उनमे भी नन्हे दाने चमक उठे...उनको भी राहुल के निर्दयी दाँतों ने नही छोड़ा और उन्हे ज़ोर -2 से चबा कर पहले से ज़्यादा लाल कर दिया...

सबा : "बाइट मी राहुल......बाइट मीइइइइइइइइइ ........मार्क बनाओ इनपर......अपने प्यार के टैटू छाप दो इनपर.....''

ये सबा हमेशा करवाती थी....उसे अपने गोरे-2 बूब्स पर राहुल के दांतो के निशान काफ़ी पसंद आते थे...वो सुबह उठकर जब बाथरूम में नहाने जाती तो उन मार्क्स को देखकर उसे काफ़ी मज़ा आता था...और अपनी चूत सहलाकर वो अक्सर वहीं झड़ जाया करती थी..

आज भी वो अपने बूब्स पर राहुल की कला का नमूना बनवाना चाहती थी...जिससे वो अगले दिन की मूठ का इंतज़ाम कर रही थी...

राहुल ने उसके मुममे चूसते -2 उसकी जीन्स भी उतार दी...साथ में उसकी कच्छी भी लिपट कर उतर गयी...अब वो पूरी तरह से नंगी थी...

उसका नंगा हुस्न देखते ही बनता था..

सबा ने भी राहुल की टी शर्ट उतारने में मदद की और उसके बाद उसकी पेंट भी...

और फिर उसने राहुल को बेड पर खींच लिया ..और खुद उसकी टाँगो के बीच लेट गयी...उसकी नज़र अब राहुल के लंड पर थी...जो कुतुब मीनार की तरह एकदम सीधा खड़ा हुआ था..



उनकी सोसायटी की मेंबर, डिंपल सरदारनी उसे हमेशा लंड चूसने के बारे में ही पूछा करती थी...आज शाम भी उसने एक-दो बार उसके लिए पूछा था...बस उसी के बारे में सोचते -2 सबा ने राहुल के लंड को पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लगी..

ऐसा नही था की ये सबा का पहली बार था...आज से पहले भी वो हमेशा चुदाई से पहले राहुल के लंड की पूजा मुँह में लेकर करती थी...बाद मे उसके गीले लंड को अपनी भीगी हुई चूत में लेकर मज़े किया करती थी..

पर किसी के उकसाने के बाद जो चूसने का मज़ा उसे आज मिल रहा था वो थोड़ा अलग ही था...जो राहुल को बहुत ज़्यादा ज्यादा मजे के रूप में महसूस हो रहा था....उसके चूसने की गति उतनी ही तेज थी जितनी ज़ोर से राहुल ने उसके बूब्स चूसे थे...

सबा तो उसके लंबे लंड को मुँह में लेकर ऐसे सक्क कर रही थी जैसे नारियल पानी पीते हुए स्ट्रा को मुँह में लेकर चूसते है...फर्क बस इतना था की ये स्ट्रॉ थोड़ी मोटी थी...और यम्मी भी...और इसका पानी निकलने में भी अभी टाइम था , लेकिन बूँद-२ करके जो मलाई उसमे से बाहर आ रही थी वो उसे बड़े मजे से निगलती जा रही थी

सबा के होंठों के साथ-2 उसकी जीभ भी उसके लंड पर फिसलकर उसका मज़ा ले रही थी..



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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by Kamini »


सबा को लंड चूसना सबसे ज़्यादा पसंद था....या ये कह लो की ये उसकी कमज़ोरी थी....वो जब अपने हनिमून पर शिमला गयी थी तो घंटो तक राहुल के लंड से खेलती रहती थी...उसे चूमती...सहलाती...चूसती ....और जब वो झड़ जाता तो अगली बार के लिए फिर से उसी तरह से उसे तैयार करती...आज तक उसकी लगन में कोई कमी नही आई थी..वो अब भी राहुल के लंड पर अपनी जान न्योछावर करती रहती थी...

और राहुल को भी उसकी चूत की चुसाई सबसे ज़्यादा पसंद थी...कारण था उसकी खुश्बू...जिसे सूँघकर राहुल किसी दूसरी दुनिया में पहुँच जाय करता था...सबा को हमेशा से मीठा खाने का शोंक था...खट्टी चीज़े उसे पसंद ही नही थी...इसलिए उसकी चूत से भी मीठापन बरसता था...

राहुल का लंड पूरी तरह से खड़ा था अब.....उसने सबा को बेड पर लेटने को कहा...अब उसकी नज़रें उसकी चिकनी चूत पर थी....जिसकी गुलाबी फूल जैसी पंखुड़ियों में शहद जैसा रस चमक रहा था



उसने धीरे-2 अपना सिर उसकी चूत पर झुकाया.....थोड़ी देर तक उसकी भीनी खुश्बू को सूँघा...और फिर धीरे-2 अपनी जीभ से उसके निचले होंठ कुरेदने लगा...

सबा तो सिसक उठी.....उसके मुँह से ऐसी आवाज निकली जैसे गर्म तवे पर पानी के छींटे मार दिए हो...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआआआअहह.........उम्म्म्मममममममम राहुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल.....''

सबा की पीठ तीर जैसी तिरछी होकर उपर उठ गयी....और राहुल को उसकी चूत और सॉफ तरीके से चूसने को मिल गयी....वो उसकी फांको को फेला कर अंदर तक चूस पा रहा था....या ये कह लो की वो अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई कर रहा था...



सबा के लिए ये भी चुदाई के एहसास जैसा ही था....लेकिन असली लंड का एहसास अलग ही होता है...इसलिए वो सिसकती हुई बोली...

''ओह राहुल...प्लीज़......अब ना तरसाओ ......जल्दी से डालो......अपना ...........लंड ......मेरी चूत में .....''

सिर्फ़ सेक्स के दौरान ही सबा ऐसे शब्दो का प्रयोग करती थी....इसके अलावा जब भी वो इन्हे सुनती,बस शरमा कर रह जाती थी.

राहुल से भी अब रुका नही जा रहा था....उसने उसकी टाँगो को दोनो दिशाओं में फेलाया....उसकी शरबती नज़रों को देखा...और अपने लंड को उसकी जाँघो के बीच पहुँचा दिया....

बेसब्री सबा ने जल्दी से अपना हाथ नीचे करते हुए उसके लंड को अपनी चूत पर लगाया और अपनी टांगो से उसकी कमर को लपेट कर उसे अपने उपर खींच लिया....राहुल का लंड दनदनाता हुआ सा एक ही वार में उसकी चूत की दीवारें रगड़ता हुआ अंदर तक जा धंसा....और दोनो के मुँह से मादकता भरी चीखे निकल पड़ी...

''उम्म्म्मममममममममममममममममम........ओह..............सबाआाआआ.......मेरी ज़ाआआअन्*नन् ...... आआआआआआआआआआअहह''

राहुल का लंड जब पूरा अंदर तक डूब गया तो उसने उसे धीरे-2 बाहर खींचा....सबा की नज़रें सीधा अपनी चूत की तरफ चली गयी...उसे अपनी चूत में लंड जाते और निकलते हुए बड़ा अच्छा लगता था...राहुल ने धक्के लगाने शुरू किए और वो उसे पिस्टन की तरह अंदर बाहर होते हुए देखकर सिसकारियाँ मारने लगी....

''अह्ह्हह्ह्ह्ह राहुल्ल्ल......फककक मी राहुल..............आअहह ....उूुउउम्म्म्ममममम..... यसस्स्स्स्स्स्स्सस्स...... अहह''

दोनो को पता था की अंदर का तूफान जल्द ही निकल सकता है....इसलिए दोनो अपनी तरफ से झटके और ज़ोर से लगाने लगे...

और करीब 5 मिनट तक की चुदाई के बाद सबा की आँखे उपर की तरफ घूम कर बंद हो गयी...और वो आनंद सागर मे गोते लगाती हुई अपने ऑर्गॅज़म को महसूस करने लगी...




''उम्म्म्मममममममममम....राहुल..................... आई लव यू .......''

राहुल को भी अपने प्यार का एहसास उसे दिलाना था...इसलिए उसे झड़ता देखकर वो और तेज़ी से धक्के मारने लगा...और जैसे ही उसके लंड से प्रेशर के साथ पिचकारी निकली....उसका शरीर झनझना उठा....जिसे सबा ने भी महसूस किया.....और आख़िरी के 4-5 झटके रुक-रुककर मारने के बाद वो उसके उपर लुडक गया...और उसके कानों में उसने भी बोल दिया....''आई लव यू टू सबा......''

और फिर दोनो एक दूसरे की बाहों में नंगे ही सो गये..

अगला दिन नॉर्मल ही रहा .....राहुल ऑफीस गया...शशांक ने इधर-उधर की बातों में उसे रात के ताश के प्रोग्राम के बारे मे फिर से याद दिलवाया...राहुल ने उसे आश्वस्त किया की वो और सब रात को 8 बजे उनके घर पर पहुँच जाएँगे..

रात को 8 बजते ही सभी अपनी-2 बीबियों के साथ शशांक के घर की तरफ चल दिए...और जैसा की सबने डिसाइड किया था,सभी ने नाइट सूट्स ही पहने हुए थे..ज़्यादातर पुरुष टी शर्ट और पायजामे में थे...सिर्फ़ गुरपाल सिंह ने ट्रेक सूट पहना हुआ था...शायद वो उसी में सोता था...

लेडीज़ भी अपने-2 नाईट गाउन में ही थी....सिर्फ़ सबा ही थी जिसने ज़ारा का पयज़ामा और जीपर पहना हुआ था...उसमे उसके तने हुए बूब्स बड़े ही कातिल लग रहे थे...

और सबसे बड़ा सरप्राइज तो उन्हे शशांक के घर पर मिला...जैसे ही सब मिलकर उनके घर पहुँचे,शशांक की बीबी सुमन ने दरवाजा खोला....और उसके नाइट सूट को देखकर तो सभी की नज़रें फटी की फटी रह गयी...

औरतें तो उसकी हिम्मत की दाद दे रही थी...और मर्द अपनी लार टपकाए उसके शरीर को अपनी आँखो से पीने मे लगे थे..


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