एक नंबर के ठरकी complete

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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

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कपूर की तरह गुप्ता जी भी वहां के जलवे देखकर हैरान रह गये...वैसे तो दोनो ही अंदर ही अंदर खुश हो रहे थे की उनकी सोसायटी की ये सैक्सी भाभीयां उन्हे अपना यौवन दिखा रही है,पर अंदर ही अंदर उन दोनो को अपनी-2 बीबियों का डर भी सता रहा था की कही उन्होने ऐसा करते हुए देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी..

पर उनकी बिबियों के पास इतना वक़्त ही कहाँ था की वो अपने पतियों के उपर नज़र रखे, नीरू और काजल , दोनो ही अपनी सहेलियों के ऐसे सैक्सी कपड़े देखकर सड़ रहीं थी, ख़ासकर त्योहार पर तो उन्हे इतने सैक्सी कपड़े नही पहनने चाहिए, और अगर ऐसा करना ही था तो उन्हे क्यो नही बताया , वो भी ऐसे सैक्सी कपड़े पहन कर आ जाती..अब मन ही मन वो दोनो सबसे जल रही थी...और ये जलन जल्द ही उन्हे करीब ले आई और दोनो ने आपस में कुछ बात की और फिर अपने-2 पतियों के पास जाकर बोली की जब बाकी सभी इतने सैक्सी कपड़ो में बैठी है तो वो क्यो संस्कारी बनकर घूम रही है...वो भी घर जाकर कपड़े बदल कर आएँगी...

कपूर और गुप्ता तो अपनी बिबियों के चमचे थे, उन्होने एक ही बार में उन्हे जाने की इजाज़त दे डाली..

उन सभी की हर बात पर शशांक नज़र रख रहा था...उसकी योजना सफल हो गयी थी...वो जानता था की औरतों में एक दूसरे से ज़्यादा सैक्सी दिखने की होड़ हमेशा से होती है, और यही होड़ अब आगे का सारा काम अपने आप करवाएगी.

लेकिन इस बीच उनके पतियों को भी तो संभालना था, कपूर के बारे में तो शशांक जानता था की वो आसानी से मान जाएगा, प्राब्लम थी तो गुप्ता की, वो पहले भी इस तरह के सुझाव को मना कर चुका था, इसलिए शशांक अपनी तरफ से हर कदम फूँक-2 कर रखना चाहता था...और इसके लिए उसने अपनी बीबी को पहले से ही समझा कर रख दिया था...

सुमन की चूत में तो वैसे भी सूअर का बाल था, जो हमेशा खुजली करता रहता था ... अपने पति की इस प्लानिंग में तो उसे और भी मज़ा मिलने वाला था, इसलिए मिसेस कपूर और मिसेस गुप्ता के जाते ही वो अपने काम पर लग गयी...उन्हे कपड़े बदल कर आने में करीब 10-15 मिनट तो लगने ही वाले थे...इतना टाइम बहुत था उसके लिए.

राहुल और सबा,शशांक के साथ बैठे थे, और दूसरी तरफ गुप्ता और कपूर गुरपाल के साथ...साथ में डिंपल भी थी..जो अपनी टाँग पर टाँग रखकर कुछ ऐसे बैठी थी की उसकी नंगी पिंडलियाँ सभी को नज़र आ रही थी..लुंगी का एक हिस्सा फिसल कर नीचे जा चुका था और इस बात से ना तो उसे कोई फ़र्क पड़ रहा था और ना ही उसके पति गुरपाल को...फर्क पड़ रहा था तो सिर्फ़ कपूर और गुप्ता को,जिन्होने अपनी जिंदगी में पहली बार इतनी गोरी और सुडोल पिंडलियाँ देखी थी...ऐसा लग रहा था जैसे सफेद मक्खन की बनी है वो..कपूर का बस चलता तो कुत्ता बनकर उसके कदमों में बैठ जाता और अपनी गीली जीभ से उसकी टाँगे उपर से नीचे तक चाट लेता.

शशांक ने सबके लिए पेग बनाए और सुमन को बर्फ लाने के लिए कहा..सुमन आइस बॉक्स लेकर आई और पहले की तरह झुककर सभी के ग्लास में बर्फ डालने लगी..कपूर साहब का तो हाथ कांप गया जब उन्होने इतने करीब से एक बार फिर उसके मोटे-2 मुम्मे देखे...और इस बार तो उन्हे निप्पल का भी थोड़ा सा लाल वाला हिस्सा नज़र आ गया...जिसे देखकर वो सिहर उठे ,जिसकी वजह से जो बर्फ उनके ग्लास में गिरनी थी, वो सीधा उनके लंड पर जा गिरी..

सुमन : "ओहो.....आई एम वेरी सॉरी कपूर साहब...आई एम सॉरी...''

और उसने एक ही पल में वो बर्फ वहां से उठा ली और नंगे हाथों से ही उनके लंड वाले हिस्से को झाड़ने लगी...

कपूर तो पागल सा हो गया सुमन की इस हरकत से...उसने चारों तरफ देखा तो सभी अपने में मस्त थे...किसी का भी ध्यान उनकी तरफ नही था...सिर्फ़ एक आदमी था जो सुमन की इस हरकत को देखकर सदमे में चला गया..और वो था गुप्ता.

गुप्ता जी तो ये सोचकर परेशान हुवे जा रहे थे की ये हुआ क्या है...और अंदर ही अंदर सोच रहे थे की काश ये हादसा उनके साथ हुआ होता..

सुमन : "सॉरी कपूर साहब...आपकी पेंट खराब हो गयी...आप अंदर चलिए,वहां टावल है..''

उसे भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...वैसे भी अपने खड़े हो रहे लंड को वो सभी को दिखाना नही चाहता था,इसलिए खुद ही उठकर अंदर चल दिया.

सुमन भी शशांक की तरफ देखकर,सेक्सी हँसी हँसती हुई,अंदर चल दी..अपना शिकार करने..

अंदर जाकर कपूर साहब सीधा बाथरूम में गए और शीशे में अपना चेहरा देखकर हंस दिए..वो पूरा लाल हुआ पड़ा था...उत्तेजना के मारे उनके चेहरे की रंगत ही बदल चुकी थी...वो सोच ही रहे थे की अपने ही घर में, अपने पति के सामने ही सुमन भाभी ने वो हरकत क्यों की..उन्होने सॉफ महसूस किया था की जब सुमन ने वो आइस क्यूब उठाई थी तो उसके लंड को भी पकड़कर उपर खींचा था उसने..जैसे आइस नही,उसके लंड को पकड़ना चाहती हो..

वो ये सोच ही रहा था की बाथरूम में सुमन आ गयी...


वो एक बार फिर से घबरा गया.

सुमन (बड़ी ही सेक्सी आवाज़ मे) : "क्या हुआ कपूर साहब ...आप कुछ परेशान लग रहे है...''

कपूर : "न....ना...नही तो....ऐसा कुछ नही है...''

सुमन : "तो मेरे छुने से आपकी रंगत क्यो बदल गयी...''

कहते-2 सुमन ने अपनी उंगली कपूर साहब की छाती पर रख दी...उसके लंबे नेल्स कठोर माँस में धँस गये...

कपूर : "ना...नही तो....मेरी रंगत क्यो बदलेगी भला....नही....''

सुमन ने एक सेक्सी स्माइल दी और धीरे-2 अपनी उंगली को नीचे ले जाने लगी...कपूर ने भी नही रोका, वो भी देखना चाहता था की आख़िर ये चाहती क्या है..सुमन की वो लंबी उंगली चलती-2 एक बार फिर से उसके लंड के उपर पहुँच गयी..और उसके चेहरे पर फिर से पसीना चमक उठा

सुमन : "ये देखो...एक बार फिर से आपकी रंगत बदलने लगी है..''

कपूर अब समझ चुका था की उसने जो भी किया,सब जानबूझकर किया...अब इतना चूतिया तो वो भी नही था...उसे बस अभी तक अपने दोस्त शशांक का डर था, लेकिन इस वक़्त तो वो भी यहा नही था, इसलिए वो भी थोड़ा निश्चिंत हो गया..और उसने अपने लंड को थोड़ा आगे की तरफ करते हुए सुमन की जाँघ से टच करवा दिया..

और बोला : "अब तुम ऐसी जगह वार करोगी तो चेहरे की रंगत तो बदलेगी ही ना...सबके सामने ऐसा करके आपने तो मुझे मुसीबत में ही डाल दिया था...''

सुमन : "कैसी मुसीबत ...?''

जवाब में कपूर साहब ने बड़ी ही बेशर्मी से सुमन का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया...और कहा : "ये मुसीबत...इसे टच करके आपने मेरे सोए हुए अरमानो को खड़ा कर दिया...''
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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

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सुमन ने उसके फुफ्कार रहे लंड को पकड़कर बुरी तरह निचोड़ डाला और बोली : "जब आपके अरमान इतने ख़तरनाक है तो उन्हे दबा क्यों रखा है...निकल जाने दो...''

दोनो ने आँखो ही आँखो में एक दूसरे को देखा और अगले ही पल भूखे भेड़ियों की तरह एक दूसरे के होंठों पर टूट पड़े...



ऐसी ख़तरनाक स्मूच शायद दोनो ने आज तक नही ली थी...उत्तेजना का पारा उपर पहुँच चुका था और फटने के बाद जो हालत होती है, वो हो रही थी दोनो की इस वक़्त...

सुमन को कपूर साहब शुरू से ही पसंद थे, गोरे चिट्टे पंजाबी बन्दे थे वो, सोसायटी में जब वो वाइट कलर की शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन कर बेडमींटन खेलते थे तो उनके कसरती शरीर को देखकर वो अक्सर सोचा करती थी की ऐसे एथलीट जैसी बॉडी के मालिक के नीचे आकर चुदने में कितना मज़ा आएगा..

लेकिन अभी वो अपनी प्लानिंग के तहत कुछ ज़्यादा नही करना चाहती थी....सिर्फ़ उतना करना चाहती थी जिसके बाद कपूर साहब उसके हुस्न के गुलाम बन जाए और कुछ भी करने से ना घबराए..

सुमन ने अपना ब्लाउस नीचे करते हुए अपना एक मुम्मा निकाल कर बाहर किया और उसे कपूर साहब के आगे लहरा दिया, आज तक जिस मुम्मे को देखकर उनका लंड करवट लिया करता था, वो नके सामने था , कपूर तो एक नंबर का हरामी था, उसे पता था की ऐसी डिश के साथ क्या किया जाता है,वो अपना पूरा मुँह खोलकर उसके मुम्मे को निगल गया और एक जोरदार चुप्पा दे डाला..

आअअहह.....इतना मीठा मुम्मा था उसका...जैसे शहद लगाकर आई हो..



वैसे ये सच भी था...आज शाम को तैयार होते हुए शशांक ने उसके निप्पल्स पर मज़ाक-2 में थोड़ा सा शहद लगा दिया था, ताकि उसके मीठेपन में डूबकर उसका शिकार पागल हो जाए...और ये योजना काम भी कर गयी...उसके मुम्मे को चखने के बाद तो कपूर पागल सा हो गया और उसके दूसरे मुममे को भी निकालने लगा...और तभी सुमन ने उसे मना करते हुए अपना वो नंगा मुम्मा वापिस अंदर डाल लिया.

कपूर को तो ऐसा लगा जैसे उसके मुँह से कोई स्वादिष्ट पकवान वापिस खींच लिया गया हो...वो अपने खड़े लंड के साथ उसे टुकूर-2 देखने लगा.

सुमन बोली : "इतनी भी क्या जल्दी है कपूर साहब...अभी तो पूरी रात पड़ी है...और ये जगह सही भी नही है इस काम के लिए...''

कपूर (हकलाते हुए) : "पर...पर...बाहर तो सब लोग होंगे...उनके सामने कैसे...शशांक भी होगा...और मेरी वाइफ भी...''

वो बेचारा असमंजस में था की ये सब कैसे हो पाएगा..

सुमन (सेक्सी अंदाज में बोली) : "तुम्हारी बीबी की तो तुम जानो, मेरा पति मुझे कुछ नही कहेगा...इन्फेक्ट बाहर बैठा हर पति अब इन सबमे टोका टाकी नही बल्कि मज़ा करते है...''

इतना कहकर सुमन ने कल रात वाली पूरी कहानी उसे सुना दी...

कपूर को तो यकीन ही नही हुआ की इतना कुछ हो गया...एक बार पहले भी शशांक ने उसे इस तरह के खेल में शामिल होने की बात कही थी, पर अपनी बीबी की वजह से वो उससे दूर ही रहा था...वो खुद तो करना चाहता था पर अपनी बीबी को वो अच्छी तरह से जानता था की वो इसके लिए कभी नही मानेगी...अपने पति को किसी और की चुदाई करते देखकर वो तो उसका खून ही कर देगी...और वो खुद भी काफ़ी पत्निव्रता टाइप की औरत थी...शादी के बाद से आज तक उसने किसी और मर्द के बारे में ना तो बात की थी और ना ही उसे कोई और पसंद था...अपने पति में उसे पूरे जहान की खुशिया दिखाई देती थी.

उसे सोच में पड़ता देखकर सुमन बोली : "तुम बस अपनी फ़िक्र करो...भाभी को मनाना मेरा काम है...''

ये सुनकर कपूर की आँखे चमक उठी...वो झट्ट से बोल उठा : "ठीक है फिर, अगर तुम उसके मुँह से इस बात की रज़ामंदी करवा दो तो मुझे भी कोई प्राब्लम नही है...''

और दोनो एक बार फिर एक गहरी स्मूच करके बाहर की तरफ चल दिए.


इसी बीच, कपूर साहब और सुमन के अंदर जाने के बाद, शशांक ने इशारा करके सबा और डिंपल को उनके शिकार की तरफ जाने को कहा..और वो दोनो आँखो ही आँखो में इशारा करके अपनी सीट से उठी और गुप्ता जी की तरफ चल दी.गुप्ता जी के लिए शशांक ने उन दोनों को इसलिए कहा था क्योंकि दोनों एक से बढ़कर सैक्सी थी, एक साथ 2 हुस्न परियों के जाल से बचना नामुमकिन ही था

सरदरजी और राहुल शशांक के पास जाकर बैठ गये और बातों मे ऐसे मशगूल हो गये जैसे उन्हे उस कमरे में और क्या चल रहा है, उससे कोई फ़र्क हि नही पड़ता..

गुप्ता जी ने जब देखा की सबा और डिंपल उसके अगल बगल आकर बैठ गयी है तो वो घबरा सा गया...एक पंजाबन सरदारनी और दूसरी मुस्लिम हूरपरी, दोनो उसके सपनो में ना जाने कितनी बार आकर चुदवा चुकी थी...और आज वो अपने सेक्सी कपड़े पहन कर उसके दोनो तरफ ऐसे बैठ गयी थी जैसे अपनी हर उस सपने वाली चुदाई का बदला लेने आई हो..

डिंपल ने गुप्ता जी से कहा : "क्या हुआ गुप्ता जी...काजल भाभी एकदम से कहाँ चली गयी...''



वो बेचारे क्या बोलते, सबा बीच में बोल पड़ी : "लगता है उन्हे हमारे सैक्सी कपड़े देखकर जेलीसी हो गयी है, वही बदलने गयी है...है ना गुप्ता जी..''

गुप्ता बेचारा परेशान सा उन दोनो परियों के बीच फँसा बैठा था...सबा को इस तरह से बाते करता देखकर उसे मज़ा तो आ रहा था पर साथ ही उनके पतियों का डर भी सता रहा था...

डिंपल : "पर तुम कैसे कह सकती हो की हमारे कपड़े सैक्सी है...ये तो नॉर्मल से है...ऐसे तो मैं अक्सर घर पर पहना करती हूँ ...''

सबा : "डिंपल भाभी, आपके लिए ये नॉर्मल है, पर इन मर्दों के लिए नही...अभी थोड़ी देर पहले मैने देखा था की राहुल कैसे आपकी नंगी टाँगो को देखकर अपनी एक्साईटमेंट दबा रहे थे...''



डिंपल : "अर्रे....उसे अगर मेरी टांगे इतनी ही पसंद आ रही है तो उसे बोल ना की आकर छू ले इन्हे...मैं बुरा नही मानूँगी...हा हा...''

वो दोनो एक दूसरे से ऐसे बाते कर रहे थे जैसे गुप्ता बीच में बैठा ही नही है..

और उनकी बाते सुनकर वो बेचारा बड़ी मुश्किल से अपने लंड को खड़ा होने से रोक रहा था.

उसकी टांगे देखकर तो वो भी काफ़ी एक्साइटेड हो गया था...तो क्या डिंपल उसे भी अपनी टांगे छूने देगी...तो क्या इसलिए वो उसके पास बैठकर वो बात कर रही है...यानी...यानी डिंपल चाहती है की वो उसकी टाँगो को छुवे...

पर कैसे...वहां तो सब लोग मोजूद थे...और उसका पति भी...ऐसे में वो कैसे उसकी टाँगो को छू पाएगा..

डिंपल ने गुप्ता जी को देखा और बोली : "मैने तो गुप्ता जी को भी ऐसा करते देखा था...''

गुप्ता जी कुछ बोल पाते,इससे पहले ही सबा बोल पड़ी : "तो इनको छुवा दो..इन्हे भी मज़ा मिल जाएगा और आपकी वो कई दिनों की दबी हुई इक्चा पूरी हो जाएगी, जिसमे आप किसी और मर्द से,अपने ही पति के सामने मज़े लेना चाहती थी..''

गुप्ता का सिर चकरा गया, ये कैसी बातें कर रही थी दोनो...अपने ही पति के सामने डिंपल भला किसी और से मज़े क्यों लेगी...लेकिन वो सोचता ही रह गया और डिंपल ने उसके हाथ को पकड़कर अपनी जाँघ पर रखा और धीरे से बोली : "गुप्ता जी...मन को मत मारिए...कर लीजिए अपने मन की...और मेरी इच्छा भी पूरी करिए...''

गुप्ता जी को लगा की शायद ये उन औरतों में से है,जिसे घर तो खाने को भरपूर मिलता है,पर फिर भी बाहर के खाने की भूख हमेशा रहती है...जैसे आजकल के मर्दों में होता है..

गुप्ता ने देखा की शशांक , राहुल और गुरपाल तो आपस में बाते करने में व्यस्त है, उसने तुरंत मौके का फायदा उठाते हुए डिंपल की जाँघ को अपने कठोर हाथों से मसल दिया...

उफफफफफफफफ्फ़ इतनी मुलायम जाँघ थी उसकी....अभी तो सेटन के कपड़े की लुंगी पहनी हुई थी...जब नंगी टाँगो को दबाएगा तो कैसा लगेगा...

डिंपल ने उसकी ये इच्छा भी पूरी कर दी...उसने गुप्ता का हाथ पकड़ कर अपनी लुंगी के उस हिस्से में रख दिया,जहाँ से उसकी टाँगों का नंगापन नज़र आ रहा था...और अपनी नंगी जाँघ पर उसका हाथ रखकर ज़ोर से दबा दिया..

अब तो गुप्ता एकदम बावला सा हो गया...उसके लंड ने भी पेंट में डंडा गाड़कर तंबू बना दिया..दूसरी तरफ से सबा ने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपनी जाँघ पर रख दिया...ये तो गुप्ता के लिए किसी सपने जैसा था...जिस सबा की चर्चा पूरे केम्पस में थी,वो खुद उसके हाथ को पकड़कर अपनी नर्म और गर्म जाँघ पर रख रही थी..और दूसरी तरफ उनकी सोसायटी की सबसे सेक्सी और मस्त मुम्मो वाली भाभी डिंपल, उसके हाथ को पकड़कर खुद अपनी जांघों पर मसल रही थी..मतलब सॉफ था,उन दोनो की चूतों में आग लगी हुई थी...और उसे बुझाने के लिए वो गुप्ता की मदद माँग रही थी...

गुप्ता जी ने एक नज़र फिर से शशांक ,राहुल और गुरपाल की तरफ देखा...और इस बार वो सकपका सा गया...वो तीनों उसी को देख रहे थे...गुप्ता जी के दोनो हाथ उनकी बिबियो की जांघों पर थे..कमरे में एकदम सन्नाटा सा छा गया..

और तभी गुरपाल ने हंसते हुए कहा : "ओये...हैप्पी दीवाली गुप्ता जी...कर लो एंजाय...हा हा...''

और सभी लोग ठहाका लगाकर हंस दिए...गुप्ता ने देखा की राहुल भी अपनी बीबी सबा को नही रोक रहा...यानी उन्हे कोई प्राब्लम नही थी...उसकी तो खुशी का कोई ठिकाना ही नही रहा...और उसकी इस खुशी को डिंपल ने दुगना कर दिया जब उसने एक झटके से गुप्ता जी के चेहरे को अपनी तरफ किया और उनके होंठों से अपने होंठ लगा कर जोरदार किस्स करने लगी...

वो किस्स करीब एक मिनट तक चली, और इस किस्स ने गुप्ताजी के शरीर के सारे बाल और अंग खड़े कर दिए थे...वो साँस लेने के लिए हटा,और उसके पति की तरफ देखा,वो अपने में ही मस्त था,दारु पी रहा था, दोस्तों से बाते कर रहा था ...जैसे उसे अपनी बीबी की इस हरकत से कोई फ़र्क ही नही पड़ता..राहुल का भी यही हाल था
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Kamini
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Re: एक नंबर के ठरकी

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rajsharma
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Re: एक नंबर के ठरकी

Post by rajsharma »

दीवाली की आप सभी दोस्तो को बहुत बहुत हार्दिक बधाई
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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Re: एक नंबर के ठरकी

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कपूर साहब और सुमन अभी तक अंदर ही थे...गुप्ता समझ गया की ये इन सभी की चाल है...अपनी बिबियो से वो उनका शिकार कर रहे है...हो ना हो,अंदर कपूर के साथ भी शायद सुमन यही सब कर रही होगी..डिंपल ने अपना हाथ आगे करके गुप्ता जी के लंड को उपर से पकड़ लिया...उन्होने सबा की तरफ देखा और वो भी आगे होकर गुप्ता जी के होंठों पर टूट पड़ी..पहले डिंपल और अब उसके सपनो की रानी,सबसे जवान और सेक्सी,सबा उसे चूस रही थी...अब तो गुप्ता जी से सब्र नही हुआ और उन्होने अपने हाथ उपर करके सबा के मुम्मे पकड़ कर ज़ोर से दबा डाले...

सबा ने कराहते हुए अपने आप को उनके चुंगल से छुड़वाया और दूर हो गयी...गुप्ता जी डिंपल की तरफ पलटे तो वो भी वहां से उठकर अपने पति के पास जा चुकी थी..

उन्हे समझ नही आया की एकदम से इन दोनो को क्या हुआ, उसे अपने होंठों का रस चखा कर अब दूर क्यो हो रही है..

वो सोच ही रहा था की अंदर से कपूर साहब और सुमन बाहर निकल आए..

कपूर के लाल चेहरे और उसकी पेंट मे खड़े हुए लंड को देखकर सॉफ पता चल रहा था की उसके साथ भी वही हुआ है जो बाहर गुप्ता के साथ हो रहा था..

कपूर साहब बाहर आकर गुप्ता के पास बैठ गये...दोनो ने एक दूसरे को देखा...और फिर एकसाथ शशांक की तरफ.

शशांक किसी गैंग लीडर की तरह अपनी जगह से उठा और बीच में आकर खड़ा हो गया...और उसने वो सारी बाते उनके सामने कर दी जो कल से लेकर अब तक हुई थी...और ये भी बताया की वो और सुमन कब से इस बात के लिए ट्राइ कर रहे थे की उन्हे आपस में ऐसा स्वेपिंग क्लब बना लेना चाहिए जिसमे हर किसी को एक दूसरे की बीबी और पति के साथ मज़े लेने की आज़ादी हो...

राहुल और गुरपाल तो अपनी बिबियो के साथ इस ग्रूप का हिस्सा बन ही चुके थे.

सब बाते सुनने के बाद और इस खेल में मिलने वाले अनगिनत मजे में सोचकर , गुप्ता जी और कपूर साहब ने हाँ कर दी..

अब बस उनकी बिबियो की रज़ामंदी लेने की देर थी..

और वो ज़्यादा मुश्किल काम नही था..

शशांक ने सभी को समझा दिया की उसके लिए क्या करना है.

और तभी बाहर की बेल बज गयी..सुमन दरवाजा खोलने चल दी और सभी ने अपनी-2 पोज़िशन ले ली.


सुमन ने जब दरवाजा खोला तो उसे एक झटका सा लगा...जो अभी कुछ देर पहले तक भारतीय लिबास में लिपटकर बैठी थी वही अब भड़कीले कपड़े पहनकर बाजारू औरतों से कम नही लग रही थी...पर जो भी लग रही थी,कमाल की लग रही थी...और आज की रात के लिए तो ऐसे ही कपड़ो की ज़रूरत थी.

काजल ने बहुत ही खूबसूरत पार्टी स्टाइल ईव्निंग गाउन पहना हुआ था...जो फ्रंट से,टांगो वाले हिस्से से ओपन था...इसलिए उसकी मलाईदार टांगे सॉफ दिखाई दे रही थी...वो आकर कुर्सी पर बैठ गयी और उसने अपनी मोटी टांगे एक के उपर एक रख ली..सभी की नज़रें उसकी नंगी टाँगो पर थी..



और मिसेस कपूर यानी नीरू ने तो और भी ज़्यादा कयामत ढाई हुई थी..वो तो ऐसी छोटी सी फ्रॉक टाइप की ड्रेस पहन कर आई थी जैसे वो अभी भी स्कूल मे जाने वाली बच्ची हो...कपूर साहब उसे देखकर खुद भी चोंक गये थे,क्योंकि ये उसकी नाइट ड्रेस थी जो वो अक्सर रात को ही पहना करती थी...जब उसका खुद का चुदने का मन करता था तब...क्योंकि वो अच्छी तरह से जानती थी की उस ड्रेस को देखकर कपूर साहब का लंड अपने आपे में नही रहता.जब उनका ऐसा हाल होता होगा तो सोचिए दूसरो का क्या होगा..



राहुल तो काजल को ऐसे घूर रहा था जैसे उसकी टाँगो पर लगा मक्खन चाट जाएगा...और शशांक और सरदारजी अपनी आँखो से नीरू को चोदने में लगे थे...अभी कुछ देर पहले तक जो कयामत डिंपल,सबा और सुमन बरपा रही थी वो अब नीरू और काजल बरपा रही थी..

सुमन ने उन्हे ड्रिंक्स दी...और इस बार वोड्का कुछ ज़्यादा ही डाल दिया सभी के ग्लासस में ,क्योंकि वो चाहती थी की अब जो खेल शुरू हो,उसमे किसी को भी सोचने और समझने का मौका ना मिले.

सभी मर्दों ने भी अपनी ड्रिंक्स ले ली...और शशांक ने अपनी ताश की गड्डी निकाल ली.

सभी लेडीज़ अपने-2 हज़्बेंड्स के साथ आकर बैठ गयी...क्योंकि आज वो अलग बैठकर या खेलकर इस फाइनल खेल का मज़ा नही खोना चाहती थी.

सबा,डिंपल और सुमन के चेहरे पर तो रहस्यमयी मुस्कान थी, और नीरू व काजल के चेहरे पर थोड़ी गुरूर वाली स्माइल,क्योंकि वो दोनो जानती थी की इस वक़्त वो दोनो ज़्यादा सैक्सी लग रही है...इस बात से अंजान की दूसरे लोग किस बात की वजह से उनके जिस्मो को देख रहे है..

खेल शुरू हुआ..शशांक ने कहा की ये नॉर्मल गेम है..कोई वेरीएशन नही है...और गेम में चाल नही चली जाएगी,जो पत्ते मिलेंगे,उसी में फेसला कर दिया जाएगा..

काजल और नीरू के अलावा सबी जानते थे की इस खेल में क्या होने वाला है.

शशांक ने सभी को पत्ते बाँटे

सबसे पहले गुरपाल सिंह की बारी थी,इसलिए वो बोला : "मेरी तरफ से डिंपल के होंठों की 2 किस्स दाँव पर...''

उसके ये कहने की देर थी की काजल और नीरू अपनी जगह से लगभग ही उछल पड़ी...उन्हे विश्वास ही नही हुआ की सिंह साहब ने ऐसा कुछ कहा है..वो दोनो हैरानी से कभी सिंह साहब को और कभी अपने-2 पतियों को देखने लगी...जैसे पूछना चाहती हो की ये हो क्या रहा है.

तब तक राहुल का नंबर आ गया, उसने चाल चलते हुए कहा : "मेरी तरफ से भी सबा के होंठों की 2 किस्सेस दाँव पर...''

अब तो जैसे हद हो गयी....मिसेज़ कपूर यानी नीरू अपनी सीट से उठ खड़ी हुई और बोल पड़ी : "ये हो क्या रहा है...ये कैसा खेल है....अभी तक जिस तरह से खेल खेलते आए है,वैसे क्यों नहीं खेल रहे.....''

कपूर ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाया और धीरे से कहा : "डार्लिंग ,क्यों माहौल खराब कर रही हो...पहले देख तो लो की क्या होने वाला है...''

बेचारी अपने पति की बात सुनकर,कुन्मूनाती हुई सी, चुप होकर बैठ गयी..

दूसरी तरफ काजल के मन में गुदगुदी शुरू हो चुकी थी,शायद ये जानकार की ये कैसा खेल खेला जा रहा है...उसे अपने कॉलेज टाइम की बातें याद आ गयी...कॉलेज के दिनों में उसका एक बाय्फ्रेंड हुआ करता था, जिसके साथ उसके शारीरिक संबंध भी थे...दोनो लगभग रोज चुदाई किया करते थे...एक दिन उसके बाय्फ्रेंड ने उसे अपने रूम पर बुलाया,जहाँ पर उसका एक दोस्त भी अपनी जी एफ को लेकर आया हुआ था, तब दोनो ने इस तरह की ताश का खेल खेला था, जिसमें दोनो ने अपनी-2 जी एफ को दाँव पर लगाया था...और अंत में वो खेल एक ग्रूप सेक्स में बदल गया था...उसे अच्छी तरह से याद है की उस दिन उसके बाय्फ्रेंड और उसके दोस्त ने उसे और दूसरी लड़की को मिलकर बुरी तरहा से चोदा था...वो सीन याद करके एकदम से उसकी चूत गीली हो गयी...और रोमांच मे भरकर वो सोचने लगी की क्या आज भी कुछ ऐसा ही होने वाला है...

अगला नंबर उसके पति का ही था...गुप्ता जी ने काजल की तरफ देखा,वो मुस्कुरा दी,और ये देखकर उन्हे थोड़ी हिम्मत मिली, उन्होने कहा : "मेरी तरफ से भी 2 किस्सस दाँव पर....क...काजल की...''

गुरपाल मजाकिया लहजे में बोल पड़ा : "ओये पाजी, ये तो बता दो की कौनसे लिप्स की...उपर वाले या नीचे वाले ...हा हा हा...''

उसकी ये बात सुनकर काजल तो शर्म के मारे काँप सी गयी...नीरू का भी यही हाल था...पर दूसरे सभी लोग ठहाका लगा कर हंस रहे थे...

सुमन बोली : "गुरपाल जी, आपने भी तो नही बताया की कौनसे लिप्स की किस्स कारवाओगे आप डिंपल भाभी के...''

गुरपाल : "आए लो जी, जब बोल दिया है तो इसमें बताने वाली क्या बात है...जोनसे लिप्स पसंद हो, उनपर कर लेना...हा हा ..''

नीरू ने देखा की अपने पति की इस बात पर डिंपल भी सिर हिला कर अपनी सहमति जता रही है...और खुलकर हंस भी रही है...और उस हँसी में तो अब काजल भी शामिल हो चुकी थी...यानी उसके अलावा सभी इस खेल का हिस्सा बन चुके थे..वो बीच मे इस तरह का एतराज जताती हुई बुरी नही बनना चाहती थी, इसलिए वो भी अपने चेहरे पर थोड़ी सी स्माइल लाई और उस खेल में उन सभी का साथ देने लगी.

अगला नंबर उसके पति का ही था..

कपूर साहब ने होले से कहा : "जी...मेरी तरफ से भी 2 किस्सेस दाँव पर...नीरू के होंठों की...''

वो कुछ ना बोली, बस चुपचाप बैठी रही....ये देखकर कपूर भी खुश हो गया...

अब शशांक की बारी थी...उसने जो दाँव पर लगाया उसकी कल्पना शायद किसी ने नही की थी...

वो बोला : "मेरी तरफ से सुमन के बूब्स को चूसने का मौका दाँव पर...''
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