बहन का दांव complete

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Rishu
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Re: बहन का दांव

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मोनू ने भी बुरा सा मुँह बनाते हुए अपने पत्ते ज़ोर से पटक दिए..सिर्फ़ एक पत्ते से हारा था वो..गुस्सा आना तो लाजमी था.
और मोनू से ज़्यादा गुस्सा तो राजू को आ रहा था अपने उपर...क्योंकि उसके पास पेयर था और उसके बावजूद उसने पैक कर दिया था. अगर उसने पैक नहीं किया होता तो वो ये बाजी जीत चुका होता
पर अब कुछ नही हो सकता था..
अगली गेम की तैयारी होने लगी...
राजू पत्तों को ज़ोर-2 से पीटने लगा , शायद अपना गुस्सा उनपर उतार रहा था वो.
और जैसे ही वो पत्ते बाँटने लगा, पीछे से रश्मी की सुरीली आवाज़ आई
''आज मेरे बिना ही खेल शुरू कर दिया आप लोगो ने..
रिशू और राजू तो कब से उसका इंतजार कर रहे थे...पर लाला ने जब देखा की रश्मी भी वहाँ आकर खड़ी हो गयी है और वो बहुत ही सेक्सी नाइट ड्रेस में ...तो उसकी बाँछे खिल उठी...उसके बारे मे सोचकर वो कितनी मूठ मार चुका था..कितनी लड़कियों को उसके साथ कम्पेयर कर चुका था, पर उस जैसी लड़की उसे पुर मोहल्ले मे नही दिखी थी..
और जब उसे गोर से देखने के बाद लाला को ये एहसास हुआ की उसने ब्रा नही पहनी है तो उसका लंड जींस के अंदर बड़ी ज़ोर से कसमसाने लगा..
उसने सोच लिया की जब सामने से वो खुद चलकर आ रही है तो उसपर एक बार तो चांस लेना बनता ही है..
सभी ने रश्मी का स्वागत किया खड़े होकर..और रश्मी लचकति हुई सी आई और मोनू की बगल मे आकर बैठ गयी.
Rishu
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Re: बहन का दांव

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रिशू ने लाला को समझा दिया की वो भी एक-दो दिनों से उनके साथ खेल रही है...अपने भाई के साथ या उसकी जगह पर..इस बात से भला लाला को क्या प्राब्लम हो सकती थी,क्योंकि वो तो खुद ही गुड्डू के भरोसे खेल रहा था..
पर लाला के दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी की कैसे रश्मी को शीशे मे उतार कर उसके साथ मज़ा लिया जाए..
अभी तो खेल शुरू ही हुआ था...अभी तो पूरी रात पड़ी थी उस काम के लिए..
अब तो लाला किसी भी तरह रश्मी को इंप्रेस करना चाहता था...उसने गुड्डू के कान में बोल दिया की अब वो बिना उसकी हेल्प के खेलेगा...क्योंकि ये बात वो भी जानता था की जब गुड्डू उसकी हेल्प नही करता तो वो हारता ही है...और रश्मी के हाथो हारकर वो उसे खुश करना चाहता था और इंप्रेस भी..
गुड्डू समझ गया की लाला बावला हो गया है लोंडिया देखकर...पर वो कर भी क्या सकता था...उसके पैसे तो थे नही जो वो चिंता करता..वो आराम से पीछे होकर बैठ गया और खेल देखने लगा.
अगली गेम शुरू हुई.
सबने बूट के 100-100 रुपए बीच मे डाल दिए..सबसे पहली ब्लाइंड चलने की बारी लाला की ही आई, उसने ब्लाइंड के लिए सीधा 500 रुपय बीच मे फेंक दिए..
राजू की तो पहले से ही फटी पड़ी थी..उसने अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास 2,3,5 आया था...यानी सबसे छोटे और बेकार पत्ते..उसने अपना माथा पीट लिया और पत्ते नीचे फेंक दिए..
अब रिशू की बारी थी, उसने भी ब्लाइंड के 500 नीचे फेंक दिए..
रश्मी तो जैसे जानती ही थी की वो ही जीतेगी, उसने ब्लाइंड को डबल करते हुए 1000 रुपए बीच में फेंक दिए..इतनी दरियादिली तो गुड्डू ने भी किसी में नही देखी थी..लाला भी रैरान सा होकर रह गया, वो समझ रहे थे की वो अपनी नादानी मे ऐसे 1000 की ब्लाइंड खेल गयी...पर लाला भी पीछे रहने वालो से नही था...उसे तो रश्मी को वैसे भी इंप्रेस करना था..इसलिए उसने भी ब्लाइंड को .डबल करते हुए 2000 बीच में फेंक दिए..
और इन दोनो के बीच बेचारा रिशू फँस कर रह गया...2000 की ब्लाइंड चलने का उसे शोंक कोई नही था..उसने झट से पत्ते उठा लिए..और उन्हे देखते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी..उसके पास सीक़वेंस आया था..8,9,10.
उसने अपनी खुशी को चेहरे पर नही आने दिया, और कुछ सोचने के बाद 4000 की चाल चल दी.
रिशू जैसे बंदे की तरफ से चाल आती देखकर मोनू समझ गया की उसके पास ज़रूर बढ़िया पत्ते ही आए होंगे..उसने रश्मी को पत्ते उठाने के लिए कहा..पहले तो रश्मी ने मना कर दिया, क्योंकि वो कल से एक भी गेम नही हारी थी..और उसे विश्वास था की ये गेम भी वही जीतेगी..पर मोनू के ज़िद करने के बाद उसने पत्ते उठा लिए.
लाला की नज़रें गेम से ज़्यादा रश्मी का शरीर नापने मे लगी थी...वो उसके हर अंग को अपनी आँखों से चोद रहा था...अपने होंठों पर जीभ फिराता हुआ लाला भूखी नज़रों से रश्मी को घूरे जा रहा था..वो सोचने लगा की काश इस वक़्त रश्मी बिना कपड़ों के उसके सामने बैठी होती , वो तो अपनी सारी दौलत लुटा देता उसके उपर..
वैसे भी बिना ब्रा के वो लगभग नंगी हालत मे ही थी...क्योंकि काफ़ी गोर से देखने पर उसके उभारों के उपर हल्के-2 भूरे रंग के निप्पल सॉफ दिखाई दे रहे थे...पर शायद इस बात का रश्मी और मोनू को एहसास नही था, क्योंकि पास से देखने मे कुछ नही दिख रहा था, दूर बैठे लाला को वो साफ़ दिख रहा था, शायद कपड़े के रंग की वजह से ऐसा था. वैसे एक बात और भी है, ऐसे ठरकी लोगों को अंदर तक का सामान दिख ही जाता है, लड़कियां कितना भी छुपाना चाहे, ठरकी लड़के उनके कपड़े भेदकर सब पता लगा लेते हैं, और यहाँ तो रश्मी खुल्लम खुला सब दिखती हुई सी बैठी थी , वो भला कैसे बच पाती लाला की चुदासी भरी नजरों से
और इधर मोनू और रश्मी भी अपनी खुशी कंट्रोल नही कर पा रहे थे...उनके पास पत्ते आए ही ऐसे थे..मोनू तो पुराना खिलाड़ी था, इसलिए उसने खुशी के भाव चेहरे पर नही आने दिए, पर रश्मी के चेहरे की चमक बता रही थी की इस बार भी उसका जलवा चलने वाला है..
मोनू ने भी 4000 की चाल चल दी..
अब लाला को भी पत्ते उठाने ही पड़े, क्योंकि जिसके लिए वो पैसे लूटा रहा था वो तो खुद ही चाल चल बैठी थी.
उसने अपने पत्ते देखे...और गुड्डू को भी दिखाए...भले ही उसने पहले उसकी हेल्प लेने से मना कर दिया था, पर २-२ चाल आने के बाद उसने गुड्डू की सलाह लेनी ही उचित समझी , पत्ते तो उनके पास अच्छे ही आए थे...कुछ देर सोचने के बाद गुड्डू ने उसे चाल चलने के लिए कहा...शायद ये सोचकर की रश्मी के पास कुछ खास नही होगा..और ना ही रिशू के पास...
यहाँ लाला एक बार फिर से रश्मी को इंप्रेस करने के चक्कर मे चाल को डबल करते हुए 8000 पर ले गया, अब बारी फिर से रिशू की थी...उसके पास पत्ते तो काफ़ी जबरदस्त थे, पर एक प्राब्लम भी थी...वो आज के लिए सिर्फ़ 30 हज़ार रुपय ही लाया था घर से...अगर ऐसी 2-3 चाले और चलनी पड़ी तो वो आगे खेल ही नही पाएगा..पर फिर भी एक चाल और चलनी तो बनती ही थी...ये सोचकर की शायद सामने से कोई पीछे हट जाए और वो दूसरे से शो माँग ले, ऐसे मे जितने भी आ जाएँ, वही बहुत है.
पर हर जुवारी यहीं ग़लती कर देता है और हारता चला जाता है.
Rishu
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Re: बहन का दांव

Post by Rishu »

रश्मी की बारी आते ही मोनू ने बिना किसी झिझक के 8 हज़ार निकाल कर नीचे फेंक दिए.
और इस बार लाला ने चाल डबल नही की, पर चाल ज़रूर चल दी 8 हज़ार की..
अब तो रिशू का दिल धड़कने लगा...पत्ते तो उसके पास अच्छे ही थे...और जेब मे सिर्फ़ 16-17 हज़ार के आस पास बचे थे..
उसने मन को कड़ा करते हुए एक निर्णय लिया और 16000 बीच मे फेंकते हुए दोनो से शो माँग ली..
अब उसकी जेब मे कुछ भी नही बचा था...पर अंदर से उसे विश्वास था की वही जीतेगा..
अपने पत्ते रिशू ने नीचे फेंक दिए...और लाला की तरफ देखा...
लाला ने भी अपने पत्ते सामने रख दिए, उसके पास इक्के का कलर आया था...पर सीक्वेंस के आगे वो भी बेकार थे...रिशू खुश हो गया.
अब बारी थी रश्मी की..पर रिशू के पत्तो को देखने के बाद वो थोड़ी कन्फ्यूज़ थी..और वो किसलिए थी, वो भी जल्द ही पता चल गया..क्योंकि उसने जब अपने पत्ते सामने फेंके तो उसके पास भी सीक़वेंस था...और वो भी सेम टू सेम रिशू जैसा 8,9,10.
रश्मी तो ज़्यादा नही जानती थी खेल के बारे मे की ऐसी स्थिति मे क्या होता है..पर उन जुआरियों को वो पता था, और दोनो तरफ के पत्ते देखने के बाद गुड्डू एकदम से बोला : "ये बाजी रश्मी की हुई...उसके पास हुक्म का 10 है..''
और ये सही भी था...सेम पत्तो मे जब बाजी फँस जाती है तो सबसे बड़े पत्ते को देखा जाता है, जिसके पास हुक्म का आ जाए, वही जीत जाता है...
रिशू को तो विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी किस्मत इतनी खराब भी हो सकती है, पहली बार ढंग के पत्ते आए और वो भी क्लैश कर गये रश्मी के साथ..और अंत मे वो जीत भी गयी...
करीब 45 हज़ार जीत गयी थी रश्मी एक ही झटके में .
वो तो खुशी से चिल्ला ही उठी...और सारे पैसे अपनी तरफ करते हुए उसके निप्पल्स भी पहले से ज़्यादा उभरकर बाहर आ चुके थे...और ये देखकर लाला बड़ा ही खुश हुआ..जैसे उसके सारे पैसे वसूल हो गये हो..लाला ने ये भी नोट किया की पैसे देखकर रश्मी कितनी खुश है..वो सोचने लगा की क्या पैसे देकर वो उसकी चूत भी ले सकता है..
पहली गेम ही इतनी मोटी हो गयी थी की आने वाली गेम्स मे क्या होगा ये सभी सोचने लगे..
पर रिशू की हालत खराब थी..वो अपने सारे पैसे हार चुका था, उसने मोनू से कुछ पैसे उधार माँगे, क्योंकि उन दोनो मे पहले भी उधार चलता रहता था, और मोनू वैसे भी काफ़ी माल जीत चुका था, इसलिए उसने रिशू को आगे खेलने के लिए 20 हज़ार रुपय उधार दे दिए.
एक बार फिर से गेम शुरू हुई...पर शुरू होने से पहले ही रिशू बोला : "देखो भाइयों, मेरे पास तो ज़्यादा पैसे है नही...इसलिए रिक्वेस्ट है की मोटी गेम मत खेलो...ब्लाइंड भी 500 से ज़्यादा नही और चाल भी 1000 से ज़्यादा नही...''
उसकी बात सुनकर राजू भी बोल पड़ा : "सही कहा रिशू....मेरे पास भी ज़्यादा माल नही है...ऐसे तो हम आधे घंटे में ही खाली होकर बैठ जाएँगे..आज तो पूरी रात का प्रोग्राम है ना..''
मोनू तो मोटा माल जीत चुका था, इसलिए उसने आपत्ति उठाई : "अरे नही, ऐसा कैसे होगा...जिसकी जितनी मर्ज़ी होगी, वो उतना खेलेगा...''
और लाला ने भी उसका साथ दिया..वो बोला : "सही कहा मोनू....ऐसे छोटी गेम में मज़ा ही नही आता...
तभी रश्मी बीच मे बोल पड़ी : "मेरे पास एक प्लान है...जो बड़ी ग़मे खेलना चाहते हैं, वो अलग खेले और जो छोटी खेलना चाहते हैं, वो अलग...''
उसकी बात सभी को जाच गयी...अब बड़ी गेम खेलने वालो में सिर्फ़ रश्मी और लाला ही थे...और उनके निकल जाने के बाद पीछे सिर्फ़ राजू और रिशू ही बचते थे..क्योंकि गुड्डू और मोनू तो सिर्फ़ साथ देने के लिए बैठे थे..
पर मोनू का दिमाग़ बड़ी तेज़ी से चल रहा था...वो अच्छी तरह से जानता था की उसकी बहन को तो कोई हरा ही नही सकता...एक पर्सेंट शायद हो भी सकता है की वो हार जाए अगर लाला के साथ गुड्डू रहा तो...इसलिए लाला और गुड्डू को अलग करना ज़रूरी था...पर ऐसा क्या किया जाए की दोनो अलग हो जाए... और वो ये अच्छी तरह से जानता था की अगर रश्मी और लाला अकेले खेलेंगे तो रश्मी ही जीतेगी..
मोनू अचानक से बोला : "एक काम करते हैं, मैं भी इस छोटे वाले ग्रुप में खेलता हूँ ...और गुड्डू तुम भी आ जाओ यहीं पर, तुम भी अपना हाथ आजमाओ...''
अपने ग्रूप मे शामिल करके वो गुड्डू और लाला की जुगलबंदी को तोड़ना चाहता था..गुड्डू ने इसलिए कुछ नही बोला क्योंकि वो जानता था की जुआ खेलकर वो जीतगा ही...और लाला इसलिए नही बोला की रश्मी के साथ अकेले में खेलने का मौका जो मिल रहा था उसको..
वो दोनो मोनू की बात सुनकर खुश हो गये..
Rishu
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Re: बहन का दांव

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पर रिशू और राजू को ये सब सही नही लगा...वो भी तो रश्मी के साथ खेलना चाहते थे...पर वो भी कुछ नही बोल पाए, क्योंकि छोटी गेम खेलने की बात तो उन्होने ही शुरू की थी, रश्मी के साथ खेलना है तो जेब मे माल होना चाहिए..वरना मोनू और गुड्डू के साथ ही खेलो..
लाला और रश्मी सोफे से उठ खड़े हुए...
मोनू ने अब ऐसी बात बोली जिसे सुनकर लाला की तो बाँछे ही खिल उठी...और रिशू और राजू की रही सही मुस्कान भी जाती रही ..
मोनू : "रश्मी, तुम एक काम करो...यहाँ ज़्यादा जगह तो है नही...तुम और लाला उपर मेरे कमरे में चले जाओ...वहाँ आराम से खेलना...हम लोग नीचे खेलते हैं...''
रश्मी को भी विश्वास नही हुआ की उसका भाई ऐसे क्यों बोल रहा है...लेकिन बात तो सही थी, नीचे के छोटे से कमरे मे ज़्यादा जगह तो थी नही...सिर्फ़ एक फाइव सीटर सोफा ही बिछा था..और बाकी की जगह पर टीवी ट्रॉल्ली, अलमारी और एक बड़ा सा शो केस रखा था
पर मोनू ने ये बात इसलिए भी बोली थी की उन सभी के सामने अगर वो दोनो खेलेंगे, और बीच-2 मे अगर गुड्डू ने लाला की मदद करने की कोशिश की तो प्राब्लम हो जाएगी...इसलिए मोनू नही चाहता था की वो वहाँ बैठकर खेले...जबकि अपनी जवान बहन को लाला जैसे ठरकी के साथ उपर भेजना काफ़ी ख़तरनाक था..पर ये सोचकर की वो भला उनके नीचे रहते क्या कर पायेगा , उसने उन्हे उपर जाने का आदेश दे डाला ..
रश्मी को कोई प्राब्लम नही थी...वो तो इतने पैसे जीतने के बाद हवा मे उड़ रही थी...और रश्मी के साथ उपर अकेले में खेलने के बारे में सोचकर लाला भी उसी हवा मे उसकी बगल मे उड़ रहा था..
रश्मी अपनी गांड मटकाती हुई उपर की तरफ चल दी...
और उसकी महीन नाईटी में थरक रही नंगी गांड को देखते -2 लाला भी सम्मोहित सा होकर उसके पीछे उपर चल दिया..
लाला को तो विश्वास ही नही हो रहा था की वो रश्मी के साथ अकेला है...मोनू के रूम मे जाते ही लाला तो किसी रईस अय्याश की तरह पलंग पर लेट गया, जैसे मुज़रा सुनने आया हो वहाँ पर..और लेटने के साथ ही उसने अपनी दोनो जेबों में से पैसों की गड्डियां निकाल कर अपने सामने रख दी..शायद रश्मी को इंप्रेस करने के लिए..वो लगभग 2 लाख रुपय थे..लाल नोटों की गड्डियां देखकर रश्मी की तो आँखे ही फटने को आ गयी...और अंदर से तो उसे जैसे ये विश्वास भी हो चुका था की कुछ ही देर में वो सारा पैसा उसके पास होगा..
वो आँखे फाड़कर नोटों को देख रही थी और लाला उसके चेहरे और मुम्मों को..एक्ससाइटमेंट की वजह से उसके उपर नीचे हो रहे सीने को देखकर वो काफ़ी खुश सा हो रहा था..और जब उसने देखा की रश्मी की नज़रें उसके आगे रखे पैसों की तरफ है तो उसके कमीने दिमाग़ में एक आइडिया आया..वो सारे पैसे उसके लंड के बिल्कुल आगे की तरफ रखे थे...और वो तो कब से खड़ा होकर अंदर ही अंदर हुंकार रहा था..उसने बड़ी ही बेशर्मी का प्रदर्शन करते हुए अपने लंड को ज़ोर से खुजलाना शुरू कर दिया...जैसे अंदर से उसे कोई कीड़ा काट रहा हो..
अपनी नज़र के सामने पड़े पैसों के बिल्कुल पीछे ऐसी हलचल होती देखकर रश्मी का भी ध्यान उस तरफ चला गया..और जब उसे एहसास हुआ की वो कर क्या रहा है तो उसका चेहरा लाल सुर्ख हो उठा..क्योंकि पेंट के उपर से उसके 9 इंच के मोटे लंड की रूपरेखा साफ दिख रही थी..वो अपने हथियार को उपर से नीचे तक सहला रहा था, उंगलियों के नाखूनों से नोच सा रहा था..और उत्तेजना में भरकर वो किसी बँधे हुए जानवर की तरह हिनहीना रहा था अपने पिंजरे में ..
रश्मी ने तो अभी तक सिर्फ़ मोनू का ही लंड देखा था...और अब दूसरे को लगभग देख ही लिया था...मतलब उसकी लंबाई का अंदाज़ा तो लग ही रहा था उसकी पेंट से...उसकी लाइफ की सबसे ज़रूरी चीज़े उसके सामने थी इस वक़्त..पैसा भी और लंड भी...पर अभी तक उसने दोनो को सही से एंजाय नही किया था...पैसे तो वो खेर कर ही लेगी..पर लंड का मज़ा लेने के लिए वो ज़्यादा इंतजार नही करना चाहती थी.
लाला भी समझ चुका था की वो अपने प्लान मे सफल रहा है.
लाला : "बैठो ना रश्मी...पूरी रात है हमारे पास...ये देखन दिखाई भी करते रहते..''
उसने उसके मोटे-2 मुम्मों को घूरते हुए कहा.
रश्मी ने शरमा कर अपना मुँह झुका लिया....वो समझ गयी की उसका इशारा किस तरफ है...
रश्मी उसके सामने अपनी टांगे मोड़ कर बैठ गयी ... लाला ने पत्ते बाँटे और खेल शुरू हुआ.
जैसा की डिसाईड हो चुका था, ब्लाइंड 500 की चली गयी...3-3 ब्लाइंड चलने के बाद एकदम से लाला ने ब्लाइंड को बढ़ाकर 1000 कर दिया...रश्मी ने भी 1000 की ब्लाइंड चल दी..
2 ब्लाइंड चलने के बाद ना जाने रश्मी के मन मे क्या आया, उसने अपने पत्ते उठा लिए...लाला तो सोच कर बैठा था की वो तब तक नही उठाएगा, जब तक रश्मी नही उठाती...पैसे की कमी तो थी नही उसके पास...इसलिए वो पीछे नही हटना चाहता था..
रश्मी के पास हमेशा की तरह चाल चलने लायक पत्ते आए थे...9 का पेयर था उसके पास..
उसने अगले ही पल 2 हज़ार की चाल चल दी..अब लाला ने भी अपने पत्ते उठा लिए..उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बादशाह था...कुछ ख़ास नही था उसके पास, और सामने से चाल भी आ चुकी थी...पर फिर भी रश्मी के चेहरे पर थोड़ी और खुशी देखने के लिए उसने भी 2 हज़ार बीच में फेंके और शो माँग लिया..
लाला ने अपने पत्ते सामने रखे और रश्मी ने अपने...और दोनो तरफ के पत्ते देखकर रश्मी ने खुशी से एक चीख मार दी...और सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए.
नीचे बैठे मोनू को वो खुशी से भरी चीख सुनाई दे गयी...और वो समझ गया की उपर की कमाई शुरू हो चुकी है..
Rishu
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Re: बहन का दांव

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लाला : "रश्मी...तुम्हारी किस्मत सच मे बड़ी कमाल की है...वैसे तो मैने आज तक किसी लड़की के साथ जुआ नही खेला...आज खेला भी तो तुम्हारे साथ , जिसके हाथों हारने में भी कोई परेशानी नही है मुझे...''
रश्मी समझ गयी की वो उसके उपर लाइन मार रहा है...अब खूबसूरत लड़कियों की ये सबसे बड़ी प्राब्लम होती है...उन्हे पता होता है की एक बंदा पहले से सेट है उनके हाथ (मोनू) पर फिर भी नये आशिक़ों को वो मना नही करती..अपने उपर मरने वालों मे एक और नाम लिखवाने में भला किसे प्राब्लम हो सकती है..
लाला की दिलफेंकी वैसे भी पूरे मोहल्ले मे माशूर थी..गली से निकलते हुए पहले भी वो कई बार उसकी भूखी आँखों का सामना कर चुकी थी...पर आज माहौल अलग था...वो अपने पैसे लुटवाने के लिए उसके सामने तैयार बैठा था...और उपर से उसपर लाइन भी मार रहा था...दोनो ही बातें रश्मी को पसंद आ रही थी.
रश्मी ने गोर किया की लाला का हाथ अभी भी उसके लंड के उपर सरक रहा है...जैसे वो जान बूझकर उसे अपने लंड को दिखाना चाहता था..रश्मी की चूत में भी खुजली सी होने लगी...शायद मोनू होता उसके सामने तो वो भी अपनी चूत वाले हिस्से को रगड़कर वहाँ की खुजली मिटा लेती..पर लाला के सामने ऐसा करना उसे सही नही लगा...वो बस अपनी दोनो जांघों को भींच कर आपस मे रगड़ने लगी..ताकि लाला को पता ना चले की वो कर क्या रही है.
पर लाला तो एक नंबर का हरामी था , उसके पैरों की हल्की हरकत को देखकर वो एक ही पल मे समझ गया की वो क्या कर रही है...यानी वो इस समय उत्तेजित है और अगर वो अपनी तरफ से थोड़ी सी कोशिश करे तो उसका काम बन सकता है.
लाला ने अपनी टांगे थोड़ी और फेला कर रख दी...और ऐसा करने से उसके आगे वाला हिस्सा और भी ज़्यादा फूल कर बाहर की तरफ निकल आया..ऐसा लग रहा था की उसकी पेंट के अंदर बाँस का बंबू लगा कर टेंट बनाया गया है...और बेशरम लाला उसे छुपाने के बजाए और भी ज़्यादा उभारकर दिखाने की कोशिश कर रहा था.
अगले पत्ते रश्मी ने बाँटे...पर उसका ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ तंबू और बंबू पर ही था..
3 ब्लाइंड चलने के बाद लाला ने 1000 की दो ब्लाइंड और चल दी...इस बार रश्मी ने भी सोच लिया था की वो पत्ते नही उठाएगी..उसने 2 हज़ार की ब्लाइंड कर दी..लाला ने भी उसका साथ दिया...अगली 3 ब्लाइंड 2 हज़ार की आई...ब्लाइंड मे ही इतना पैसा इकट्ठा हो चुका था , जितना की नीचे बैठे जुआरी चाल चलने के बाद भी इकट्ठा नही कर पा रहे थे..
अब लाला ने थोड़ा और आगे बढ़ने की सोची...
अभी तक होता क्या था, लाला जब भी ब्लाइंड या चाल चलता था,अपने पैसे चूम कर नीचे फेंकता था...और पत्ते भी पहले चूमता था और उसके बाद देखता था..ये उसका टोटका था, जो अभी तक चला नहीं था
इस बार जब उसने अपनी अगली चाल चली तो पैसे अपने होंठों से चूमने के बदले अपने खड़े हुए लंड पर घिस कर दिए...पहली बार लाला को ऐसा करते देखकर रश्मी हैरान भी हुई और शरम से लाल भी..पर जब अगली बार उसने फिर से ऐसा किया तो उससे रहा नही गया, वो बोल पड़ी : "अब ये क्या तरीका है...''
उसने उसकी टाँगो के बीच इशारा करते हुए कहा..
लाला (मुस्कुराते हुए) : "ये मेरा टोटका है...जब मैं हारने लगता हू तो अपने दोस्त की मदद लेता हू...अब गुड्डू तो नीचे बैठा है, इसलिए अपने दूसरे दोस्त की मदद ले रहा हू..''
रश्मी (हँसते हुए, शरारती आवाज में बोली ) : "ऐसा थोड़े ही होता है...''
रश्मी को अपनी बातों में फँसता देखकर लाला बोला : "अब ये तो इस गेम के बाद ही पता चलेगा...''
रश्मी को भी डर सा लगने लग गया...वैसे भी बीच मे लगभग 15 हज़ार आ ही चुके थे...उसने अपने पत्ते उठा कर देख लिए..इस बार पहली दफ़ा उसके पास ढंग के पत्ते नही आए थे...बादशाह, बेगम और चोक्की...पर फिर भी उसने 2000 बीच मे फेंकते हुए शो माँग लिया.
लाला ने उसके पत्ते देखे..और फिर अपने पत्ते उठा लिए..और उन्हे फिर से एक बार अपने खड़े हुए लंड पर रगड़ा और खुद बिना देखे उन्हे नीचे फेंक दिया..
उसके पास 1,2,3 की सीक़वेंस आई थी...लाला को तो खुद ही विश्वास नही हुआ की उसके पास इतने बढ़िया पत्ते आए हैं...और वो भी उस वक़्त जब उसने लंड पर रगड़ने वाले टोटके का तुक्का मारा था...आज से पहले उसने ऐसा कुछ भी नही किया था...वो तो बस रश्मी को उकसाने के लिए और उसे अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए उसने बोल दिया था..पर वो नही जानता था की असल में वो जीत जाएगा..पर जो भी था, वो अंदर से काफ़ी खुश हो रहा था..क्योंकि अब रश्मी को उसकी बात पर विश्वास हो जाएगा..और वो खुलकर वो सब कर सकेगा जो उसने पहले से सोच लिया था..
रश्मी भी पहली बार हारकर थोड़ा मायूस थी...जब से उसने तीन पत्ती खेलना शुरू किया था, वो हारी ही नही थी..शायद ओवर कॉन्फिडेंट हो चुकी थी वो...वो सोचने लग गयी की ऐसा क्यो हुआ, क्या लाला ने जो टोटका अपनाया उसकी वजह से...वो सही भी था शायद..क्योंकि अभी तक वो खुद भी तो बिना अंडरगारमेंट्स के खेल रही थी..वो भी तो एक टोटका ही था, क्योंकि पहले जब वो मोनू के साथ अंदर के कपड़े पहन कर खेली थी तो वो हारती जा रही थी..मोनू ने ही उसे ये सलाह दी थी..और जब से उसने अपनी ब्रा और पेंटी उतार कर खेलना शुरू किया वो हारी ही नही..पर अब हार गयी...और वो शायद इसलिए की शायद उसका टोटका ज़्यादा भारी पड़ गया उसके उपर..
अब वो बेचारी उन बातों में इतनी अंदर तक घुस गयी थी की ये भी नही समझ पा रही थी की ये मात्र इत्तेफ़ाक़ था...ऐसे पत्तों पर किसी का भी ज़ोर नही चलता..और अभी तक सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी किस्मत ही उसका साथ दे रही थी..मोनू ने भी सिर्फ मजे लेने के लिए उसके अंडरगारमेंट्स निकलवाए थे, और वो उसके मजे भी ले चूका था, पर बेचारी रश्मी समझ कर बैठी थी की वो इसी वजह से जीत रही है.
लाला ने पैसे समेट लिए और गोर से उसके चेहरे को देखते हुए ये जानने की कोशिश करने लगा की रश्मी के दिमाग़ में चल क्या रहा है..
खेर, जब अगली गेम शुरू हुई तो लाला ने फिर से वही हरकत करनी शुरू कर दी...और इस बार तो वो और भी ज़्यादा बेशर्मी पर उतर आया..ये जानते हुए भी की रश्मी घूर-2 कर वहीं देख रही है, वो अपने खड़े लंड पर लाल नोटों को ज़ोर-2 से रगड़कर नीचे फेंकने लगा..
इस बार रश्मी ने चांस नही लिया..वो देखना चाहती थी की क्या इस बार भी लाला का टोटका काम करेगा..उसने अपने पत्ते उठा लिए..उसके पास 3 का पेयर आया था..पत्ते एक बार फिर से चाल चलने लायक थे..इसलिए उसने 2000 की चाल चल दी..पर लाला ने बिना पत्ते देखे, एक बार फिर 1000 का नोट अपने खड़े लंड पर मसल कर नीचे फेंक दिया..अब रश्मी फिर से घबराने लगी, क्योंकि लाला एक दम कॉन्फिडेंट होकर वो ब्लाइंड चल रहा था..जैसे वो जानता हो की उसके पास बड़िया पत्ते ही आएँगे..
अब मोनू भी उसके साथ नही था, जिससे पूछ कर वो कोई डिसीसन ले सकती...उसने अपने दिल की बात मानते हुए शो माँग लिया. लाला ने फिर से एक बार बिना देखे ही अपने तीनों पत्ते उसके सामने पलट दिए..और उन्हे देखकर रश्मी को पक्का विश्वास हो गया की अब उसका नही बल्कि लाला का टोटका हावी है गेम पर.. क्योंकि उसके पास 10 का पेयर आया था..
लाला ने मुस्कुराते हुए एक बार फिर से वो सारे पैसे समेट लिए.
लाला : "देखा ...मैने कहा था ना...मेरा टोटका है ये...''
रश्मी ने भी सोच लिया की वो भी ये टोटका ट्राइ करेगी..
अगली ब्लाइंड चलने से पहले रश्मी ने वो किया जो लाला ने सोचा भी नही था..रश्मी ने 1000 का नोट लेकर सीधा अपने मुम्मे पर रगड़ा और उसे नीचे फेंक दिया..
लाला : "हा हा हा ...तो तुम भी इन बातों पर विश्वास करती हो...''
रश्मी : "हाँ ..तभी तो मैने अंदर कुछ भी नही .....''
वो बोलते-2 रुक गयी....पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी...लाला को उसकी ब्रा और पेंटी के गायब होने का राज पता चल चुका था..और वो ये सुनकर बड़ी ही बेशर्मी से अपने होंठों पर जीभ फेरता हुआ मुस्कुराने लगा.
लाला : "इसमें शरमाने की क्या बात है...सही है...अगर तुम उसकी वजह से जीत रही हो तो इसमे नुकसान ही क्या है...बस सामने बैठे लोगो को थोड़ी परेशानी हो जाती है, पर उससे तुम्हे क्या, तुम्हे तो जीतने से मतलब है बस..''
रश्मी उसकी बात सुनकर शर्म से गड़ी जा रही थी..
अगली बार फिर से लाला ने 2 हज़ार का नोट अपने लंड से रगड़ा...और फिर उसके बाद रश्मी ने भी अपने मुम्मे पर ..अब वो ऐसा करते हुए शरमा भी नही रही थी...अपने ही हाथों अपने मुम्मे को रगड़ना और वो भी लाला के सामने, उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर रहा था...उसके बदन मे चींटियाँ सी काट रही थी..वो करारे नोट को जब अपने खड़े हुए निप्पल के उपर रगड़ती तो एक अजीब सी झनझनाहट होती उसके जिस्म में ..और वो बेचारी सिसक भी नही सकती थी..बस दाँतो से होंठ दबा कर ब्लाइंड चलती रही..
कुछ देर बाद रश्मी ने अपने पत्ते उठा ही लिए..उसके पास सिर्फ़ इक्का और 5, 9 नंबर आए थे...इकके के बल पर चाल चलना काफ़ी रिस्की था, पर वो देखना चाहती थी की उसका ये टोटका भी काम कर रहा है या नही..इतना सोचते हुए उसने शो माँग लिया
लाला ने हर बार की तरह गहरी मुस्कान के साथ अपने पत्ते उठाए , उन्हे अपने खड़े लंड से रगड़ा...और बिना देखे ही सामने फेंक दिए.
उसके पास 2,3 और 9 नंबर आए थे...यानी ये गेम सिर्फ इक्के के बल पर रश्मी जीत चुकी थी...और रश्मी ने खुशी की किल्कारी मारते हुए वो सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..
और उसे जीतता देखकर लाला भी काफ़ी खुश था...दरअसल वो चाहता भी यही था..क्योंकि अगर वो जीत जाता तो रश्मी उसकी इस झूटी टोटके वाली बात पर कभी विश्वास नही करती...अब तो लाला को एक तरीका मिल गया था उसे उत्तेजित करने का...उसे अपनी तरफ आकर्षित करने का..
अगली गेम शुरू हुई...और रश्मी ने ब्लाइंड चल दी...और इस बार उसने एक-2 करते हुए अपने दोनो मुम्मों पर नोट रगड़ा ...उसके मुम्मों की थिरकन से लाला की आँखे चुंधिया सी रही थी..और वो बड़ी मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल रखकर बैठ हुआ वो देख रहा था.
लाला की बारी आई तो उसने एक और डेयरिंग दिखाई...उसने धीरे से अपनी जीप खोल दी..उसके अंडरवीयर मे फँसे लंड को थोड़ा और फेलने की जगह मिल गयी..और फिर उसने अपने खड़े हुए लंड को अपने हाथ से मसला..उसे सहलाया..और फिर हज़ार के नोट को उसने अंदर डाल कर उससे टच करवाया..यानी अपने नंगे लंड से ..और फिर वो नोट नीचे फेंक दिया.
लाला : "मुझे लगता है इसको सीधा टच करवाने से ही असली असर आएगा ...मेरा जादू तभी चलेगा...''
रश्मी उसकी बातें सुन रही थी और अपनी फटी हुई आँखों से उसके उभार को देखकर साँस लेना भी भूल गयी थी..
ऐसा लग रहा था की उसने अंडरवीयर मे नाग पाल रखा है..जो किसी भी पल बाहर निकल कर उसपर हमला कर देगा..
रश्मी मे इतनी भी हिम्मत नही हुई की वो उसे ऐसा करने से मना कर दे...उसके कमरे में वो लाला अपनी बेशर्मी दिखा रहा था, वो चाहती तो उसे ऐसा करने से मना कर सकती थी..खेल को छोड़ सकती थी...अपने भाई को आवाज़ देकर उपर बुला सकती थी और उसे बता सकती थी की देखो, तुम्हारा दोस्त कैसी गंदी हरकत कर रहा है...पर ये सब तो तब होता ना जब वो ऐसा करना चाहती....वो तो ऐसा सीन देखकर खुद ही उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी...उसकी नंगी चूत में से पानी निकल कर उसके पायजामे में गीला धब्बा बना चुका था...उसके कड़क निप्पल टी शर्ट में ड्रिल करके छेद बनाने की कोशिश कर रहे थे..और ये सब उसे इतना रोमांचित कर रहा था की वो बस यही चाह रही थी की ये सब ऐसे ही चलता रहे...कोई उन्हे डिस्टर्ब ना करे...आज बात बढ़ती है तो बड़ जाए...वो भी देखना चाहती थी की ये खेल कहाँ तक चलता है..
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