मौका है चुदाई का complete

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sexi munda
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Re: मौका है चुदाई का

Post by sexi munda »



अगले दिन सोम ने इंदु को कॉल किया और कहा की वो और नीलू उसके घर आ रहे हैं कुछ बात करनी है...दोपहर में दोनों इंदु के घर पहुचे...दोनों रस्ते में यह सोच के आये थे की इंदु को सब बात समझा देंगे और कह देंगे की अब वो यह काम नहीं कर सकते.....इंदु के घर पहुचने पर......




इंदु - आईये आईये आप लोग तो ईद का चाँद हो गए हैं...बल्कि वो भी साल में दो तीन बार आ जाता है आप तो उससे भी कम दीखते हैं अब...

नीलू - मजे मत लो यार. हम बहुत सीरियस मूड में हैं.

इंदु - सीरियस मूड में हो तो यहाँ क्यों आये हो? यह तो रंडीबाजी का अड्डा है जी..यहाँ तो अय्याशी होती है.सीरियस मूड नहीं चलता यहाँ...

सोम - इंदु तुम समझ नहीं रही हो. हम सच में बहुत सीरियस हैं...

इंदु - अरे ऐसी भी क्या बात है..मुझे तो लगा की आप लोग मुझे झटका दे रहे हैं...बताओ क्या हुआ...

नीलू - तुम तो जानती ही हो की हमारी अगली पार्टी ड्यू है.....

इंदु - हाँ. उसी का तो वेट है.

नीलू - लेकिन तुम ही सोचो की अब घर में बच्चे भी हैं. ऐसे में हम वो सब कैसे कर सकते हैं जैसा अपनी पार्टीस में होता है...

इंदु - हाँ थोड़ी मुश्किल तो जाएगी लेकिन कुछ मेनेज कर लोना आप लोग...

नीलू- अरे कैसे मेनेज कर लो. घर में जवान बच्चे हैं. क्या वो कुछ समझते नहीं हैं? उनसे क्या कहेंगे? की हमें पार्टी करनी है तुम लोग बाहर चले दो दिन के लिए?

इंदु- हाँ तो उन्हें भी कर लो न शामिल.

सोम - कैसी बात कर रही हो इंदु. उन्हें कैसे शामिल कर लें? पार्टी में तुम सब औरतें नंगी फिरती हो.ऐसी पार्टी में हम अपने बच्चों को कैसे शामिल कर लें. कोई माँ बाप ऐसा कर सकते हैं क्या...

इंदु - मुझे क्या पता. मैं तो इतना जानती हूँ की पूरा ग्रुप पार्टी का वेट कर रहा है.

सोम - उसी के लिए तो तुमसे बात करने आये हैं. तुम सब को बता दो की अब हमारे यहाँ वैसी पार्टी नहीं हो सकती. कोई और मेनेज कर ले अब आगे से.

इंदु- यह तो पॉसिबल नहीं है. किसी के पास इतनी बड़ी जगह नहीं है. और सोम भाईसाब आप कब से इतनी निराशा वाली बात करने लगे. सब औरतें आपका वेट कर रही हैं और आप सबको मना करने की सोच रहे हैं...

सोम - इंदु बात को समझो. हम कैसे कर पाएंगे यह सब अब...

इंदु - सुनो...तुम लोग मेरी बात ध्यान से सुनो.......अगर हमने इसी समय हार मान ली तो फिर कभी हम अपनी लाइफ एन्जॉय नहीं कर पाएंगे..जरा सोचो इस उम्र में आ के वैसे भी हमरे पास कितने कम आप्शन बचे हैं. कोई नया लौंडा तो फंसता नहीं है. सब अपनी उम्र की चूत खोजते हैं. ऐसे में हम सब खुले भोस वाली औरतें कहाँ जाएँगी अपनी चूत मरवाने के लिए? और सोम भाईसाब आपने ही सबकी आदत बिगड़ी है. सबको इतना चोदा है की आपसे चुदना हम सब की जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. अब आप कहते हैं की आप चोदेंगे नहीं...

सोम - अरे मैंने कब कहा की मैं नहीं चोदुंगा....मैं तो खुद तुम सबको अपनी रखैल बना के रखना चाहता हूँ. और रखता भी तो हूँ. लेकिन अब हालत बदल गयी है न.

इंदु- ऐसी सिचुएशन तो आती रहती है. बच्चे हमेशा के लिए यहाँ थोड़ी न रहेंगे. उन्हें भी बड़े शहर की हवा लग गयी है. देखना कुछ समय बाद वो लोग खुद ही बाहर सेटल होने का सोचेंगे. लेकिन अगर आज से हमने यह बंद कर दिया तो ग्रुप बिखर जायेगा और फिर अगर आप लोगों के बच्चे बाहर सेटल हो गए तो फिर यह ग्रुप दोबारा नहीं बनेगा. इसलिए हिम्मत न हार जाओ.....जरा सोचो लॉन्ग टर्म का....और फिर फैसला करो..इतनी जल्दी न करो...

नीलू - यार तुम ठीक कह रही हो लेकिन हमें तो कोई रास्ता नहीं दीखता...तुम्हें कोई आईडिया हो तो बताओ...

इंदु - मैं इतना कर सकती हूँ की पुरे ग्रुप को बता दूँगी की इस बार की पार्टी कुछ दिन बाद होगी और उसके बाद हम अगली पार्टी में थोडा और टाइम ले लेंगे..पहले हम हर हफ्ते पार्टी करते थे. अब ऐसा नहीं करेंगे. अब महीने में एक दो बार ही करेंगे. और अगर एक दो बार भी हो गया न तो ग्रुप बना रहेगा.....और फिर हम ऐसा कर देंगे की पार्टी का चार्ज बढ़ा देंगे...तो उससे इनकम भी ज्यादा होगी और लोग खुद ही हफ्ते के हफ्ते इतनी महंगी पार्टी करने के लिए नहीं कहेंगे. खुद ही वो लोग महीने में एक दो बार के लिए मान जायेंगे...

सोम - मुझे तो नहीं समझ आ रहा....

इंदु- मुझे समझ आ रहा है...मेरी बात मानो..ज्यादा मत सोचो. जो मैं कह रही हूँ उसी पर यह बात रोक दो...आगे का फिर टाइम आने पर सोचेंगे..मैं अपने ग्रुप को कह दूँगी की अगली पार्टी अपनी दस दिन बाद होगी...दस दिन में देखना कोई न कोई रास्ता तो निकल ही आएगा....

सोम - ठीक है. तुम्हारी बात ही मान लेते हैं. चलो नीलू चले अब.

इंदु - नीलो को मैं ड्राप कर दूंगी बाद में. और मैं तो कहती हूँ बहुत दिनों बाद मिले हैं आप भी आ जाईये भाईसाब एक राउंड चुदाई का हो ही जाये.

सोम - नहीं इंदु. अभी तो जाने दो. चुदाई तो फिर कभी कर लेंगे.

इंदु - अच्चा तो लौड़ा ही चुसवा दीजिये.कितने दिन हो गए आपकी मलाई नहीं मिली खाने को. मैं तो तरस गयी आपके हलब्बी लंड की मलाई के लिए.

नीलू - तुझे तो हर समय बस यही दीखता है. अभी इन्हें जाने दे. इन्हें और भी काम हैं. मैं रूकती हूँ तेरे पास लेकिन तू मुझे जल्दी ड्राप कर देना घर.

इंदु - चल ठीक है. भाईसाब के हिस्से का भी आज तुझी से ले लूंगी...



सोम वहां से वापस आ गया. उसे बाहर का भी कुछ काम था और फिर घर जा के काकी को भी बताना था की इंदु से क्या बात हुई...सुबह जब उन दोनों ने काकी को बताया था की वो इंदु से आज यह बात करने वाले हैं तभी काकी ने कह दिया था की इंदु नहीं मानेगी और किसी न किसी बहाने से वो इन दोनों को भी अपनी बात में फंसा लेगी.....बाहर जाते समय सोम यही सोच रहा था की काकी सच ही कह रही थी...इंदु ने खुद तो बात मानी नहीं बल्कि इन दोनों को भी फंसा लिया....जिस समय यह दोनों यहाँ थे उधेर बच्चे घर में जाग गए थे और वो काकी के साथ बैठे हुए थे...कुछ देर बाद भानु तो अपने कमरे में चला गया लेकिन रानी और काकी साथ बैठे रहे...


रानी - काकी यहाँ कुछ करने को ही नहीं है.मैं तो घर में रह रह के बोर हो गयी.

काकी - तो किसने तुझे मना किया है. घर में इतनी गाड़ियाँ हैं. तू कहीं भी चली जाया कर.

रानी - मैं अकेले कहाँ जाउंगी. मैं तो यहाँ का कुछ जानती ही नहीं.

काकी - तो मुझसे पूछ लिया कर न. बता क्या देखना है तुझे मैं बता देती हूँ तो ड्राईवर को साथ ले जाना.

रानी - नहीं. अभी तो कहीं नहीं जाना. मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी. अच्चा काकी तुम क्या करती हो दिन भर घर में.

काकी - मैं क्या करुँगी रे....दिन भर घर का ही इतना काम रहता है. वही सब देखना होता है. उसी में दिन निकल जाता है.

रानी - माँ भी तो घर का ही काम देखती होंगी...इतना क्या काम होता है की तुम दोनों का टाइम उसी में निकला जाता है ?

काकी- तेरी माँ को तो घर के काम में जरा भी मन नहीं लगता. वो कुछ नहीं करती. सब मुझे ही देखना होता है.

रानी - यह तो गलत बात है. इस उम्र में भी तुमको इतना काम करना पड़ता है.

काकी- अरे नहीं. मैं ही उसे मना करती हूँ.यह कोई उसकी उम्र है घर का काम करने की. मैं हूँ न घर का काम देखने के लिए...

रानी - तो और क्या करने की उम्र है माँ की? वो भी तो लगभग ५० की हो गयी होंगी न? इस उम्र में और क्या कर सकता है कोई?

काकी - क्यों नहीं? उसके इतने सरे दोस्त हैं.इतनी सारी सहेलियां हैं. उन सब के साथ आउटिंग पर जाना. पार्टी में जाना. पार्टी करना. शौपिंग करना. यही सब उसके मन का काम है. वो इसी में बिजी रहती है.

रानी - तो तुम भी जाया करो न उनके साथ.

काकी - अच्चा?? मुझे कौन अपने साथ ले के जायेगा. मैं तो बुधिया लगती हूँ..

रानी - नहीं काकी. तुम्हें और माँ को कोई साथ देखे तो यही कहेगा की दोनों सगी बहने हैं. तुम दोनों को देखने में उम्र का ज्यादा फर्क नहीं मालूम पड़ता.

काकी - तू तो बड़ा अच्चा झूट बोल लेती है.

रानी - नहीं काकी. सच में. उस दिन मैं और भानु सोच ही रहे थे की तुम दोनों ने अपना फिगर कितना अच्चा मेन्टेन किया हुआ है.

काकी - चुप कर बदमाश. हमारा फिगर मत देखा कर. तेरी उम्र लड़कों को देखने की है.औरतों को देखने की नहीं.

रानी - हा हा हा हा हा...हाँ हाँ काकी मैं लड़कियों को नहीं देखती. तुम चिंता मत करो.

काकी - अरे तुम इस जमाने के लड़के लड़कियों का कुछ भरोसा नहीं है. तुम लोग तो कुछ भी कर सकते हो. चिंता तो हो ही जाती है.

रानी - अच्चा काकी यह बताओ माँ इतनी पार्टी करती हैं लेकिन हमने तो कभी उन्हें घर में पार्टी करते नहीं देखा...अभी क्या वो लोग पार्टी करने ही गए हैं..

काकी - नहीं. इनकी एक दोस्त है इंदु. उसके यहाँ गए हैं. कुछ बिज़नस की डील करनी है उससे आज.

रानी - मैं तो यह भी नहीं जानती की हमारा घर का बिज़नस क्या है..लेकिन जिस तरह का अपना घर है और जिस तरह से साज सज्जा होती है उससे तो यही लगता है की पापा बहुत बड़े बिज़नस में हैं.

काकी - यह तो तू उसी से पूछना. मुझे भी नहीं पता की सोम क्या बिज़नस करता है..मुझे कहाँ यह सब समझ में आएगा.

रानी - मैं तो पापा से ही पूछ लेती लेकिन उनके पास भी कहाँ टाइम है हमारे लिए...देखो न हमें आये इतने दिन हो गए लकिन वो हमारे साथ कभी ठीक से बैठे भी नहीं.

काकी - ठीक है. मैं आज ही सोम की खबर लेती हूँ.भला बिज़नस भी कभी बच्चों से बड़ा होता है क्या..मैं सोम को कहूँगी की वो टाइम निकल के घर पर ज्यादा रहा करे...

रानी - अच्चा काकी मैं नहाने जाती हूँ...फिर दोपहर के खाने के लिए निचे आउंगी..

काकी - तुम लोग उपर करते क्या रहते हो दिन दिन भर?

रानी - कुछ नहीं काकी बस इन्टरनेट पर कुछ करते रहते हैं. उसी में टाइम पास होता है......

रानी उपर आ गयी...काकी वहीँ बाहर लॉन में बैठी अख़बार पढ़ रही थी लेकिन उसका मन तो इसमें लगा हुआ था की इंदु के यहाँ क्या हुआ है.....उसे सोम के लौटने का वेट था...रानी उपर आई तो उसे भानु की आवाज सुनाई दी..वो उसे अपने कमरे में आने को कह रहा था..रानी एक पल को ठिठक सी गयी...उसे याद आ गया की कल रात को वो भानु का लैपटॉप ले के आई थी और अब भानु जरुर उसके मजे लेगा की कोई पोर्न पसंद आई की नहीं.....वैसे मन तो उसका भी था सेक्स की बात करने का लेकिन वो हमेशा से ही भानु को सेक्स के बारे में ऐसे ज्ञान देती आई थी जैसे वो खुद कितनी बड़ी मस्त है...और ऐसे में अगर वो भी भानु के सामने अपनी चुदास की बात करेगी तो इससे उसकी पूरी इमेज धुल जाएगी....लेकिन फिर भी भानु बुला रहा था तो उसे तो जाना ही था.....वो भानु के कमरे में पहुची तो अन्दर भानु अपने नए सिस्टम पर कुछ काम कर रहा था....


रानी - यह कब ले आया तू?? तेरे पास तो पहले से ही लैपटॉप है फिर इसकी क्या जरुरत थी?

भानु - मैंने बताया था न की घर के सब सीसी टीवी कैमरा की फीड मैंने अपने सिस्टम से जोड़ ली है तो उसके लिए लैपटॉप से काम नहीं चलता. इसलिए यह ले आया....अब देखना घर की जितनी भी नौकरानियां हैं न उन सब को मैं यहाँ से बैठे बैठे देखूंगा...

रानी - हाँ पहले देखेगा फिर मौका निकाल के उनकी लेगा और फिर मुझसे कहेगा की यह पेट से है वो पेट से हैं...मैं तो नहीं हेल्प करने वाली तेरी.

भानु - अरे नहीं.मैं कल सोच रहा था की इनके साथ सेक्स नहीं करूँगा. इन्हें तो बस तब तक के लिए रखूँगा जब तक मुझे यहाँ कोई सेटिंग नहीं मिल जाती. बस देख के आँख सकूंगा...

रानी - इतनी अकल अगर पढाई में लगायी होती तो अच्छी नौकरी मिल जाती तुझे.

भानु - नौकरी की क्या जरुरत है? मैं तो यहीं कोई बिज़नस करूँगा और अपने ऑफिस में एक से एक टंच माल को नौकरी दूंगा. उन्हें महीने की सैलरी दूंगा और उसके बदले में उनकी सेवा लूँगा.

रानी - देखना एक दिन तू इतनी जल्दी बुद्धा हो जायेगा की कुछ कर नहीं पायेगा. खुद को इतना खर्च मत कर की बाद के लिए कुछ बचे ही न....

भानु - ऐसा कुछ नहीं होने वाला. मैं तो मरते दम तक जवान रहूँगा..

रानी - हाँ हाँ तू तो सुपरमैन है. चल अब जरा अपना सिस्टम तो दिखा..

भानु - नहीं अभी नहीं...अभी मैं पूरा डाटा लोड कर रहा हूँ...करीब तीन महीने पुरानी तक की फीड्स हैं..वो सब इसमें आ जाएँगी. बहुत डाटा है. शायद आज का पूरा दिन तो इसी में लग जायेगा....तू क्या कर रही है आज?

रानी - कुछ नहीं. अभी तो नहाने जा रही हूँ. फिर आज माँ पापा के साथ कहीं घुमने जाने का प्लान बनूंगी....

भानु - ठीक है. मैं तब तक अपना यह काम निपटा लेता हूँ...


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Re: मौका है चुदाई का

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रानी वहां से बाहर आ गयी...वो बड़ी खुश थी की भानु ने उससे कल रात की मूवी के बारे में नहीं पुचा था....और उसका कारण यह था की अभी तो भानु को वो सीसी टीवी के सिवा कुछ दिख नहीं रहा था......शायद यह दोनों ही नहीं जानते थे की अनजाने में इनके हाथ में क्या चीज लग गयी थी और उसके कारण यह दोनों आगे किस किस बात से सामना करने वाले थे इसका भी इन्हें कोई अंदाजा नहीं था....उदर काकी सोम और नीलू तीनो ही यह सोच रहे थे की वो हर बात में बहुत सावधान हो गए हैं लेकिन उन्हें यह जरा भी याद नहीं रह गया था की घर में कमरों के अन्दर छोड़कर बाकी हर जगह पर सीसी टीवी कैमरा लगे हुए हैं.....सब अपनी तरफ से नार्मल लाइफ जी रहे थे लेकिन इनकी यह नार्मल लाइफ इन्हें किस तरह एब्नार्मल टाइम दिखाने वाली थी इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं था.....





सोम घर वापस आ गया था.....काकी उसी का वेट कर रही थी...उसे आते देख काकी ने अख़बार को एक किनारे रख दिया और उसे अपने पास बैठने को कहा...सोम सामने रखी कुर्सी पर आ के बैठ गया...काकी की नजर में हजारों सवाल एक साथ आ गए.....




सोम- मुझे पता था तुम यहीं बाहर मिलोगी सुधा.

काकी - तू मुझे जब नाम ले के बुलाता है तो कितना प्यारा लगता है. कितने दिनों बाद मुझे नाम ले के पुकारा है तूने.

सोम - हाँ जब नीलु नहीं होती तभी तो तुझे नाम ले के बुला सकता हूँ न सुधा....उस पगली को कितना बुरा लगता है जब उसके सामने तुझे नाम ले के बुलाता हूँ...

काकी - इसमें उसका क्या दोष रे....उसकी जगह मैं होती तो मुझे भी नहीं अच्चा लगता....और फिर मैं तुझसे उम्र में भी तो बड़ी हूँ न...

सोम - उम्र का इसमें क्या काम है? तू मेरी पहली पत्नी है...नीलू तो मेरी दूसरी पत्नी है.....

काकी - नीलू तेरी दूसरी नहीं तीसरी पत्नी है. अपनी दूसरी पत्नी को तो तू भूल ही गया.

सोम - उस छिनाल कुतिया को मैं याद भी नहीं करना चाहता. मेरे लिए तो सबसे पहले मेरी सुधा थी और फिर नीलू थी..बीच में कोई नहीं .

काकी - हाँ हाँ पता है मुझे...एक तरफ मैं एक तरफ नीलू और बीच में तू......

सोम - चल न अन्दर एक राउंड हो जाये. कितने दिनों बाद आज नीलू नहीं है तो हमें अकेले में मौका मिला है.

काकी - और बच्चों का क्या??? वो तो हैं न घर में.....चल तो यह बात छोड़....सब कुछ सही हुआ तो ऐसे हजार मौके हमें मिलेंगे आगे...पहले यह बता की इंदु से क्या बात हुई...

सोम - वही बात हुई जिसका तुझे अंदेशा था..उसने हमें फंसा लिया अपनी बातों में...हमने लाख कोशिश की लेकिन निकल नहीं पाए उसके जाल से. वो बहुत हरामिन है.

काकी - मुझे पता था यही होने वाला है.वो बहुत बड़ी रंडी है और उसने तुम दोनों को उलझा लिया होगा. क्या बोली वो?

सोम - कहने लगी की ऐसे हिम्मत मत हारो. जवानी बीत जाएगी तो फिर किसे चोदोगे और पता नहीं किसी को चोदने लायक रहोगे भी या नहीं तो अभी से हार मत मानो. कुछ न कुछ रास्ता खोजो.

काकी - और तुम लोग उसकी बातों में आ गए?

सोम - क्या करूँ सुधा,...मुझे तो कुछ समझ नहीं आया..मेरे लिए तो यह ख्याल ही सबसे भारी है की चुदाई बंद करनी पड़ेगी.

काकी - अरे पागल तुझे हम दोनों से पेट नहीं भरता क्या? हमने कब तुझे प्यासा रखा है? और जितने चूत तू चोद चुका है एक जनम में उतनी तो कोई बीस जनम में नहीं चोद पता. फिर भी तेरी भूख कम नहीं हुई.

सोम - जनता हूँ सुधा. मुझे हवस के हाथों मजबूर नहीं होना चाहिए था. लेकिन क्या करूँ..बस नहीं चलता...

काकी - तो अब क्या सोचा है?

सोम - इंदु ने कहा है की वो बात कर लेगी सबसे की अगली पार्टी दस दिन बाद होगी. हमारे पास दस दिन हैं कुछ मेनेज करने के लिए.

काकी - दस दिन में क्या होगा? और बात एक पार्टी की नहीं है.....अब बच्चे हमेशा हमारे साथ रहेंगे. आज एक पार्टी कर ली हमने तो आगे भी सब हमें ही करना पड़ेगा. कब तक इसी चक्कर में पड़े रहेंगे?

सोम - मेरी और नीलू की भी यही बात हुई थी...लेकिन फिर भी हम इंदु को मना नहीं पाए...खैर..अब इस पार्टी से तो निपट ही लेते हैं...बाद में देखेंगे की आगे क्या करना है..बच्चे कहाँ हैं?

काकी - अपने अपने कमरे में हैं....आज रानी तुम लोगों के बिज़नस के बारे में पूछ रही थी. मुझे कुछ समझ नहीं आया की उसे क्या बताऊँ....ऐसे तो उन दोनों को शक पड़ने लगेगा ....

सोम - मैं आज उसे कुछ समझा दूंगा...तू चिंता मत कर...अब चल न अन्दर...

काकी - नहीं. तू बहुत कमजोर हो गया है. जरा जरा सी बात में तेरी लार टपकने लगती है. मैंने तुझे इतना कुछ सिखाया इतना कुछ दिया लेकिन तू है की कमजोर बन जाता है. उस बहेनचोद इंदु को वहीँ दो थप्पड़ रसीद करता तो उसकी अकाल ठिकाने आ जाती...याद रख औरत जब तक मर्द के नीचे रहती है तब तक ही काबू में रहती है.....और जो औरत रोज रात को अपना मर्द बदलती हो उसकी न दोस्ती अच्छी न दुश्मनी....तुम लोगों को इस इंदु का कुछ करना पड़ेगा...

सोम - हाँ....तुम ही देखो इसे. मैं तो इससे हार गया...अब जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा......अब जाने दो यह सब और कुछ खाने को दो बहुत भूख लगी है...





वो दोनों उठ के अन्दर आ गए.....उधर दूसरी तरफ इंदु के घर में इंदु और नीलू के बीच.........




इंदु - हाँ तो अब बता क्या चल रहा है...

नीलू - क्या चल रहा है? कुछ भी तो नहीं चल रहा...

इंदु - चल साली...मुझे न पढ़ा. सब सच सच बता...कैसे चोदा भाईसाब ने कल तुझे...

नीलू - नहीं रे. अब सच में हम वो सब नहीं करते. अब तो बस दो तिन दिन में एक बार रात में हो जाता है बस. बाकि वो पहले जैसा घर में नंगे घूमना तो अब बंद कर दिया हमने....

इंदु - और वो भाईसाब की रखैल सुधा..उसका क्या हाल है?

नीलू - वो भी अब ऐसे ही रहती है.और तू कभी भूल के भी उसे इनके सामने रखैल न कह देना नहीं तो तेरी गांड में डंडा घुसेड देंगे वो.

इंदु - यार मेरी समझ में नहीं अत....भाईसाब के पास चोदने के लिए तू है मैं हूँ और न जाने कितनी जवान चूतें हैं तो फिर वो उस बुधिया की चूत में क्यों घुसना चाहते हैं....और यह काकी का रिश्ता क्या है?? काकी मतलब तो चाची होता है न..तो क्या वो भाईसाब की चाची है???

नीलू - नहीं नहीं. काकी तो उसे बस ऐसे ही कहते हैं. वैसे तो मैं भी नहीं जानती की काकी कहाँ की है कब से है इनके साथ..मैंने तो जब से जाना तब से काकी को इनका लंड चुसते ही देखा है.....

इंदु - तूने इन लोगों को कैसे स्वीकार कर लिया...कोई औरत अपने पति को किसी और के साथ कैसे शेयर कर सकती है?

नीलू - अरे जाने दे न यह सब बातें...तू सुना क्या चल रहा है तेरा...

इंदु - तू कभी काकी के बारे में मुझसे खुल कर बात नहीं करती. मुझे कितना कुछ पूछना है उसके बारे में. वो मुझे कुछ अलग सी लगती है...

नीलू - हां जानती हूँ तुझे बहुत कुछ पूछना है. लेकिन अभी नहीं. फिर कभी...चल अब बता भी दे की क्या चल रहा है तेरा...

इंदु - मेरा क्या चलेगा? दो दिन से तो पीरियड चल रहे हैं तो कोई चुदाई नहीं हुई....

नीलू - क्यों पीरियड गांड में भी चल रहे हैं क्या?? तू तो गांड में ले लेती है न उन दिनों में..

इंदु - हाँ लेकिन इस समय जो मेरा यार है वो गांड पसंद नहीं करता.मुझे लगा की दो तीन दिन की बात है तो नया माल खोजने से अच्चा है की वेट ही कर लो...बस कल का दिन और..परसों से फिर से मेरी भोस चुदाई का मैदान बन जाएगी...

नीलू - अच्चा यह बता की पहले तो तू सोम को नाम से ही बुलाती थी...लेकिन कुछ दिनों से देख रही हूँ की भाईसाब कह रही है..क्या बात है.? यह इतना भाईचारा क्यों बढ़ रहा है???

इंदु- नहीं तो. ऐसा तो कुछ नहीं है..

नीलू - है. बिलकुल है. तू बार बार भाईसाब कहती है और फिर चुदाई की खुल्ली बात करती है......भाई बना के चुदना चाहती है????

इंदु - हा हा हा हा हा....क्या करूँ यार कुछ नयापन तो होना चाहिए न...सोचा की इतने सरे लंड खा चुकी हूँ तो अब किसी को मुंहबोला भाई बना के उसके मुंह में अपनी भोस दे दूं....इसका भी तो स्वाद है....

नीलू - तू तो उम्र के साथ और भी ज्यादा पागल होती जा रही है. भाई बहन चुदाई के लिए नहीं होते......तू सोम को सोम ही बोला कर...

इंदु - नहीं. सोम मेरे भाई और तू मेरी भाभी...और मैं तेरी ननद....

नीलू - हे भगवन क्या दिमाग है तेरा..कहाँ कहाँ तक सोच लेती है...अब भाई बहन बन के चुदने में क्या मजा मिलेगा तुझे???

इंदु - ये तू क्या जाने...कभी तूने ट्राई नहीं किया न...सुन आज रत में जब वो तुझे पेलेंगे तो उन्हें भैया बोल के देखना...बहुत मजा आएगा......

नीलु- चुप कर कमीनी...तेरी तो कोई सीमा ही नहीं है...अच्चा तू कुछ लायी था मेरे लिए...दे न...

इंदु - हाँ. वही देने के लिए तो रोका हुआ था तुझे...आ जरा बेडरूम में चल....




और दोनों बेडरूम में चली गयीं......





इंदु ने बेडरूम में आके दरवाजा बंद किया और फिर अपनी अलमारी से दो पैकेट निकाले....वो दोनों ही पैकेट्स गिफ्ट के थे. उसने कहा की इन्हें यहाँ मत खोलना. घर जा के देखना. मुझे पक्का पता है तुझे बहुत पसंद आएगा.एक तेरे लिए है और एक तेरी काकी के लिए....इंदु का मन तो था की इसके बाद वो और नीलू कुछ करेंगे लेकिन नीलू ने कहा की उसे बहुत देर हो गयी है...वो बाद में आएगी......इंदु ने ज्यादा जिद नहीं की और अपने ड्राईवर को कह दिया को नीलू को घर ड्राप कर देगा...नीलू घर वापस आ गयी....घर आ के नीलू जैसे ही अपने कमरे में जाने वाली थी की पीछे से रानी ने आवाज लगा दी...


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Re: मौका है चुदाई का

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रानी - मम्मी आप कहाँ थी सुबह से...

नीलू - बस अपनी एक दोस्त के यहाँ गयी थी.

रानी - इंदु आंटी के यहाँ?

नीलू - हां बेटा. तुझे कैसे पता.

रानी - काकी ने बताया था. मम्मी आप लोगों के पास हमारे लिए टाइम है की नहीं?

नीलू - ऐसा क्यों कह रही हो?

रानी - कब से हम लोग आये हैं लेकिन आप लोग हमें कहीं घुमाने नहीं ले गए. हमने अभी तक अपना फार्म हाउस भी नहीं देखा. आप लोग तो बहुत बिजी हैं.

नीलू - नहीं ऐसा तो नहीं है. बस पहले के कुछ कमिटमेंट थे वो ही पुरे कर रहे हैं और उसके बाद तो पूरा दिन तुम लोगों के साथ ही रहेंगे.

रानी - यह आपके हाथ में क्या है?

एकदम से सकपका गयी नीलू. अब क्या कहेगी? उसे तो ख्याल ही नहीं रहा था की छुपा के अन्दर लाती. वो तो अच्चा हुआ की दोनों डब्बे गिफ्ट पेपर में बंद थे तो बाहर से देख के अंदाज नहीं लगता.

नीलू - यह तो इंदु के गिफ्ट हैं.

रानी - अरे वाह अप को गिफ्ट दिया उन्होंने...खोलो न मुझे भी दिखाओ क्या है इसमें...

अब तो नीलू और भी घबरा गयी की अगर खोल दिया तो पता नहीं अन्दर से क्या निकलेगा. इतना तो पक्का था की कुछ चुदाई का सामान ही होगा. अब क्या करे नीलू..उसने कुछ देर डब्बे को उल्टा पलता के कहा की.

नीलू - नहीं नहीं दिया नहीं है. बल्कि मैं लायी हूँ इंदु को देने के लिए....

रानी - ओके. क्या लायी हो? और दो दो पैकेट क्यों हैं? और किसी को भी देना है क्या?

अब तो नीलू को डर भी लग रहा था और उसे खीझ भी हो रही थी की यह रानी इतने सवाल क्यों पुच रही है. और वहीँ रानी को भी कुछ अजीब लग रहा था की गिफ्ट की बात पर उसकी माँ इतनी हैरत में क्यों है...

नीलू - नहीं दोनों ही उसी के लिए हैं. मैं एक लेने गयी थी लेकिन दो अच्छे लग गए तो दो ले लिए. इंदु हमारी बहुत ख़ास दोस्त है न. तो उसके लिए ऐसे ही गिफ्ट लेते रहते हैं.

रानी - वाह. क्या लिया है बताओ न? यहाँ कोई अच्छी गिफ्ट शॉप है क्या? कैसे आइटम मिलते हैं यहाँ?

अब तो नीलू को गुस्सा आने लगा था...उसने तुरंत बात को ख़त्म करना ही ठीक समझा...

नीलू - बेटा हम बाद में बात करते हैं. मैं सुबह से नहाई नहीं हूँ. देखो न इतनी देर हो गयी. अभी तुम अपना काम करो मैं नाहा के आती हूँ फिर बैठते हैं हम लोग....




नीलू वहां से लगभग भागती हुई अपने कमरे में आ गयी...आज तो वो फंस ही गयी थी..आज उसे एहसास हुआ की काकी इतने दिनों से उन्हें क्या समझा रही थी की ऐसी लापरवाही मत किया करो. अब तो उसे भी लगने लगा की हर कदम पद चौकन्ना रहने की जरुरत है....सोम अपने कंप्यूटर पर बैठा कुछ कर रहा था....नीलू ने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया तो उसने उसे देखा..

सोम - क्या हुआ? ऐसी हैरत में क्यों दिख रही हो?

पूरी बात बताई उसने सोम को की अभी बाहर वो कैसे रानी के जवाब देने में घबरा गयी थी...और फिर उसने वो गिफ्ट के डब्बे दिखाए सोम को.

सोम - पहले दरवाजा ठीक से बंद करो....

नीलू - तुम खोलो इसे.

दोनों डब्बे सोम ने उसे हाथ से ले लिए और लगभग एक साथ ही दोनों डब्बों को खोल लिया...

डब्बे के अन्दर से यह निकला...





सोम - ओ मादरचोद यह क्या है?

नीलू - इसे स्ट्रेपओन कहते हैं . अब तो तुम गए काम से.

सोम - क्यों???

नीलू - यह औरतों के लिए लंड का काम करता है. देखो यह पेंटी में फिट है. इसे पहन के मैं भी लंड वाली बन जाउंगी और फिर तुम्हें चोदूंगी अपने इस लंड से.

सोम - अभी बाहर रानी के सामने गांड फट रही थी तुम्हारी और अब फिर चोदा चादी की बात शुरू केर दी.

नीलू -सॉरी सॉरी. लेकिन यह देखो न कितना बढ़िया गिफ्ट दिया है जब तुम नहीं रहोगे तब मैं काकी एक दुसरे को चोद लेंगे. मैं तो कब से कह रही थी की डिलडो ला दो डिलडो ला दो लेकिन तुमने नहीं सुना. अब देखो मेरी कितनी अच्छी सहेली है. इंदु कितनी अच्छी है. कितना बढ़िया गिफ्ट ला के दिया मुझे.

सोम - तुम तो ऐसे पागल हो रही हो जैसे की बच्ची को पहली बार कुछ मिला है. इतना न उछलो

नीलू - हाँ हाँ तुम न उछलो. कहीं ऐसा न हो की तुम्हारी गांड में घुस जाये मेरा लंड...हा हा हा हा अब तो मेरे पास भी लंड है...मैं भी तुमको चोदूंगी. तुम कहोगे अब बस अब दुःख रही है मेरी गांड और मैं एक नहीं सुनूंगी मैं तो तुम्हें दिन रत रगड़ रगड़ के चोदूंगी. इतना चोदूंगी की तुम एक नंबर की रांड बन जाओगे....

वैसे तो नीलू दो बच्चों की माँ है लेकिन वो अभी भी बहुत बचपना करती है और अभी यह गिफ्ट देख के उसका वही रूप बाहर आ रहा था...सोम को वैसे तो नीलू का बचपना करना हमेशा ही अच्छा लगता था लेकिन आज उसे थोड़ी खुन्नस हो रही थी क्योंकि अब तो सच में उसकी गांड को खतरा हो गया था....लेकिन नीलू को कोई फिक्र ही नहीं थी...वो कभी उस पेंटी को कपड़ों के उपर से ही अपने चूत पर रखती और कमर ऐसे हिलाती जैसे सच में सोम को चोद रही है...कभी वो और कुछ भौंडे इशारे करती सोम को देख के...सोम यह सब देख देख चिढ रहा था...उसे अभी थोड़ी देर पहले काकी से हुई अपनी बात याद आ रही थी..और तभी उसे आईडिया आया की नीलू के इस बचपने से उसे काकी ही बचा सकती है....उसने तुरंत ही काकी वो आवाज लगा दी.....काकी उस समय अपने कमरे में थी और सोम की आवाज सुन के ही उसकी समझ में आ गया की कुछ गड़बड़ है....वो तुरंत अपने हाथ का काम बंद कर के उसके कमरे में आ गयी....अन्दर आ के उसने देखा की नीलू और सोम दोनों बिस्टर पर हैं....सोम तो चुपचाप लेता हुआ है लेकिन नीलू हाथ में कुछ काले कपडे जैसा लिए हवा को चोद रही है..काकी को कुछ समझ नहीं आया,...उसने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया और सोम को इशारा किया की यह क्या हो रहा है...

सोम - देखो न इसको. समझो कुछ. कितनी बार कहा है जरा ठीक से रहो लेकिन इसका बचपना नहीं ख़त्म होता.

काकी - क्यों री?? क्या कर रही है और यह हाथ में क्या है???

नीलू - काकी यह है मेरा लंड और वो डब्बे में एक लंड तुम्हारे लिए भी रखा है. तुम भी ले लो. फिर हम अपना अपना लंड पहन के सोम को छोड़ेंगे. अभी तक हम सोम की रंडियां थे अब सोम हमारी रंडी बनेगा. मैं तो बहुत खुश हूँ..देखो न काकी तुम्हारे लिए भी है उस डिब्बे में.

दुसरे डिब्बे को अपने हाथ में ले के काकी ने जब उसमे रखा सामान बहार निकला तो उसे भी वही मिला.....लेकिन काकी इन दोनों से ज्यादा समझदार तो वो एक पल में ही समझ गयी की यह क्या चीज है...




काकी - क्या है यह?

नीलू - काकी ये आज के जमाने का लंड है. हम औरतों के लिए है. इसे पेंटी जैसा पहन लो. फिर हमारे पास भी लंड हो जायेगा,.मैं पिक्चर में खूब देखा है. इसे डिलडो कहते हैं. तुम्हारे जमाने में नहीं होता था ये. ये आजकल की चीज है. पर तुम्हें भी बहुत मजा आएगा. और जब सोम बाहर जायेगा तब भी हम इसे पहन लेंगे और एक दूसरी की चुदाई करेंगे. यह हमें इंदु ने दिया है. उसके पास तो ऐसे बहुत सारे हैं.उसने हमारे लिए मंगवाया है यह. कितनी अच्छी है न इंदु. बोलो न काकी....तुम्हें अच्चा लगा न...चलो न पहन के दिखाओ की कैसा लग रहा है...

काकी - तू सांस भी ले ले नहीं तो बोल बोल के मर जाएगी और पहले तो ऐसे उछलना बंद कर. और अपनी आवाज जरा धीमी कर और चुप हो के बैठ जा.

ये सुन के नीलू सच में शांत हो गयी. काकी के सामने वो हमेशा ही दब के रहती थी....काकी ने उस डब्बे को पूरा खोला और फिर उसे हाथ में ले के सोम की तरफ देख के कहा....

काकी - तू एकदम लौड़े का बाल ही रहेगा जिंदगी भर. चूतिये साले मैंने तुझे कुछ सिखाया है की नहीं...तुझे समझ में नहीं आया की ये क्या है???

सोम - मुझे तो आ गया समझ में लेकिन इसे कौन समझाए? ये तो कुछ सुन ही नहीं रही है. तब से शुरू है की तुझे चोदूंगी मेरा लंड है. इतना तो मैं अपना लंड देख के नहीं पागल हुआ था जितना यह इसे देख के हुई जा रही है.

काकी - तू कब सुधरेगा??? और तू कब बड़ी होगी? जरा सी बात पर बच्चों जैसा फुदकती है...

नीलू - अब क्या कर दिया मैंने???

काकी - ध्यान से देख इसे??

नीलू - देख तो रही हूँ. इसे पेंटी के जैसे पहन लेना है फिर यह लंड बन जायेगा.

काकी - यह काला वाला पॉइंट जिसे तू लंड कह रही है यह पेंटी के अन्दर है बाहर नहीं है. जब तू उसे पहनेगी तो यह बाहर नहीं रहेगा बल्कि तेरी चूत में घुस जाएगा.

नीलू - नहीं काकी. यह लंड जैसा बाहर लटकेगा. मैं पिक्चर में देखा है.

काकी - अच्छा??? अगर ऐसा है तो यह लंड इतना छोटा क्यों है?????

नीलू -वो तो सोम का भी छोटा रहता है फिर तन के बड़ा हो जाता है न वैसे ही यह भी बड़ा हो जायेगा.

काकी - हे भगवन क्या करूँ मैं इसका...यह कब बड़ी होगी...अरे पगली ...ध्यान से देख इसे...यह छोटा सा काला सा जो है यह तेरी चूत में जायेगा और जब तू उसे पहन लेगी तो ऐसा लगेगा जैसे लंड तेरी चूत में फंसा हुआ है. ये तुझे चोदने के लिए है. ताकि तू हमेशा अपनी चूत में चुदाई का एहसास फील कर पाए. इससे तू किसी को चोद नहीं सकती..

नीलू - क्या????

काकी - हाँ. और यह इसके साथ में रिमोट है.इसे पहन के तू जब इस रिमोट को चालू करेगी तो तेरी चूत में खुजली करेगा यह. जैसे जब लंड अन्दर बाहर घिस्से खता है न चूत में वैसी फीलिंग देगा ये. ये उन औरतों के लिए है जो हर समय चुदना चाहती हैं लेकिन चुद नहीं पाती.

नीलू - तो ये इंदु ने क्यों दिया मुझे???

काकी - वही तो कहती हूँ की तू कब बड़ी होगी...यह इंदु ने तुझ पर ताना मारा है. वो चिढ़ा रही है तुझे. अब तक पुरे ग्रुप में तू ही सबसे ज्यादा चुदासी थी और हमेशा सोम से चुदती थी. लेकिन अब बच्चे आ गए तो तेरी भी चुदाई कम हो गयी इसलिए इंदु ने तुझ पर ताना मारा है की अब तू भी बाकी की औरतों की तरह इसी तरह की चीजों से अपनी चूत की प्यास बुझाएगी. यह कोई गिफ्ट नहीं है बल्कि उसने व्यंग मारा है तुझ पर. अब समझ में आया?????





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sexi munda
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Re: मौका है चुदाई का

Post by sexi munda »



नीलू ये बात सुन के थोडा दुखी हो गयी...काकी ने उसे थोडा लाड से समझाया की कोई बात नहीं. अभी भी तेरे पास ही सबसे बढ़िया मर्द पति है. तू क्यों परेशान होती है. और फिर हम इस गिफ्ट का भी स्वाद लेंगे. दोनों इसे पहन के घूमेंगे घर में. किसी को पता नहीं चलेगा की अन्दर ही अन्दर हमारी चूत की मालिश हो रही है.....नीलू का मूड थोडा ठीक हुआ तो वो लोग अपने अपने काम में लग गए......




दूसरी तरफ भानु का सिस्टम अब कुछ कुछ काम करने लगा था....काफी डाटा डाउनलोड हो चुका था और भानु ने सोचा की एक बार चेक कर के देख लेता हूँ की इसमें क्या क्या है........और वो अपने सिस्टम पर चेक करने के लिए बैठ गया........





भानु जब अपने सिस्टम पर बैठा तो थोड़ी देर तक उसे कुछ समझ में नहीं आया की करे क्या....अभी भी काफी सारा डाउनलोड होना बाकी था.....दरअसल वो मेन सर्वर से सारा डाटा अपने सिस्टम पर डाल रहा था..उसने किसी तरह से दोनों कंप्यूटर को कनेक्ट कर लिया था....फिर उसने अपने एक दोस्त को कॉल किया और काफी देर तक उससे इस बारे में बात की...उसने यह तो नहीं बताया की वो उससे यह सब क्यों पूछ रहा है और इसका क्या उपयोग करेगा....कितना अजीब लगता बोलने में की वो अपने ही घर की इस तरह निगरानी कर रहा है...उसका दोस्त क्या सोचता उसके बारे में...वैसे अभी उसे खुद भी यह एहसास हो रहा था की यह थोड़ी नहीं बल्कि बहुत अजीब बात है की वो इस तरह से घर की निजता में दखल दे रहा है...लेकिन बहुत दिनों से उसे सेक्स का कुछ भी राशन नहीं मिला था..और उसे लग रहा था की यहाँ से उसे कम से कम घर में काम करने वाली औरतों को देखन में सहूलियत रहेगी....इससे ज्यादा उसने कुछ नहीं सोचा था...वो कभी सपने में भी अपने घर में निगरानी करने की बात नहीं सोच सकता था...कुछ देर वो डाटा डाउनलोड होता देखता रहा लेकिन वो ऐसे बैठे बैठे बोर हो रहा था तो उसने सोचा की ये देख लेता हूँ की क्या क्या डाटा है......




लेकिन बहुत जल्दी उसे समझ में आ गया की उसने डाटा ट्रान्सफर करने में कोई गड़बड़ी कर दी है क्योंकि अब तक जो फाइल्स पूरी डाउनलोड हुई थी तो डेट वाइज नहीं थी....सब फाइल्स ऐसे ही बेतरतीब ढंग से डाउनलोड हो रही थी..उसे लगा की यह तो बड़ी आफत है..अगर डेट वाइज होती तो अच्चा रहता क्योंकि उससे देखने में आसानी रहती....ऐसे में तो उसके पास इतनी सारी फाइल्स हो जाएँगी की कुछ पता ही नहीं चलेगा की कौन सी फाइल किस फाइल के बाद की है....फिर उसने नोटिस किया तो पाया की हर फाइल ठीक एक घंटे की है....मतलब हर दिन में २4 फाइल्स होती हैं....अब अगर यही फाइल्स डेट और टाइम के साथ होती तो वो एक लाइन से एक एक दिन की फाइल्स देख सकता था.....लेकिन ऐसा हुआ नहीं था...मतलब वो रैंडम तरीके से किसी भी दिन के किसी भी घंटे की फाइल देख सकता था....फिर उसने सोचा की इतनी भी क्या अकल लगाना इस चीज के पीछे....वो धीरे धीरे अपना उत्साह खोता जा रहा था इस काम में....उसे समझ में आ रहा था की यह तो अपने आप में बड़ी मुसीबत है...इसमें तो मनोरंजन कम और मेहनत ज्यादा है.....उसने एक रैंडम फोल्डर पैर क्लिक किया....इस फोल्डर में कुछ पिक्स थी..ज्यादातर पिक्स अभी अधूरी थी इसलिए खुल नहीं रही थी...उसने एक पिक पर क्लिक किया तो वो बड़ी साइज़ की हो गयी...यह नीलू की पिक थी...










उसे पिक देख के लगा की क्या बुरी किस्मत है...अभी मन में यही चल रहा है की यह काम करूँ या न करूँ और पहली ही पिक उसकी अपनी माँ की ही आ गयि...पिक में ऐसा कुछ बुरा नहीं था..सिंपल पिक ही थी....हाँ ब्लाउज थोडा लो कट था लेकिन बड़े शहर में और हर तरह की अरतों के साथ रह रह कर भानु के लिए यह सब अब इतना आम हो चुका था की उसे इसमें कुछ बुरा या गलत नहीं लगा...उसकी नजर में तो यह नार्मल पिक ही थी...उसने सिस्टम वैसे ही चलने दिया और वो खुद कमरे से निकल के रानी के कमरे की तरफ जाने लगा...उसने देखा की उसके पेरेंट्स का कमरा बंद था....उसे याद आया की अक्सर वो उस कमरे को बंद ही देखता है....घर में सब घर के ही लोग हैं तो फिर ये लोग कमरा इस तरह से बंद क्यों करते हैं.....खैर उसने इस बात पर ज्यादा नहीं सोचा और रानी के कमरे की तरफ बढ़ गया...रानी ने कमरे को बंद नहीं किया था..उसक दरवाजा आधा खुला और आधा बंद था.....भानु जैसे ही अन्दर आया तो उसने देखा की रानी अपने लैपटॉप पर कुछ कर रही है...भानु के अन्दर आते ही उसने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और एकदम नोर्मल बिहेव करने लगी....भानु यह देख के मुस्कुरा दिया...





रानी - इस तरह क्यों मुस्कुरा रहा है???

भानु - मुझे पता है तू क्या कर रही थी सिस्टम पर...

रानी - अच्छा??? बता तो मैं क्या कर रही थी?

भानु - रहने दे. मुझे बता के तुझे और शर्मिंदा नहीं करना. देख तेरे गाल कैसे लाल हो गए हैं...तुझे अगर ठीक लगे तो मैं बाहर चला जाता हूँ थोड़ी देर के बाद आ जाऊंगा...

रानी - ओ गंदे दिमाग..तेरा तो दिमाग ही बस एक ही तरफ जाता है...मैं तो बस ऐसे ही अपना अकाउंट चेक कर रही थी की दोस्तों ने क्या अपडेट भेजी है...

भानु - तुझसे झूट बोलते नहीं बनता....तू कहे तो मैं सच में बाहर चला जाता हूँ. मुझे बुरा नहीं लगेगा...

रानी - नहीं यार...सच में कुछ नहीं कर रही थी..ऐसे ही बस....तू आ न अन्दर..कुछ बात करते हैं..अकेली बैठी बैठी मैं बोर हो रही थी...

भानु - हाँ यार. मैं बी बहुत बोर हो रहा था..इसीलिए तेरे पास चला आया....

रानी - वो तेरे सिस्टम का क्या हुआ ? फाइल्स ट्रान्सफर हो गयीं?

भानु - नहीं अभी हो रही हैं.....एक ही पिक देखि अभी तक तो...और वो भी माँ की निकली...

रानी - हा हा हा हा हा तेरी बुरी किस्मत....कितना टाइम लगेगा पूरा डाउनलोड होने में?

भानु - एक दो घंटे और लगेंगे बस....फिर देखूंगा की कुछ मजेदार मिलता है की नहीं...

रानी - जब हो जाये तो मुझे भी दिखाना,.....मैं भी थोडा मनोरंजन कर लूंगी...

भानु - यार मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा ???

रानी - क्यों ऐसा क्या मिल जायेगा तुझे उस सब फाइल्स में जो गलत होगा????

भानु - पता नहीं क्या मिलेगा क्या नहीं. मुझे लगा की कहीं मैं घर के लोगों की निजता तो नहीं भंग कर रहा न...

रानी - अरे बाप रे...इतना कब से सोचने लगा तू????? कुछ दिन सेक्स नहीं मिला तो तू तो साधू हो गया......

भानु - मजाक मत कर. ठीक से बता मैं ठीक कर रहा हूँ?

रानी - देख इतना तो मैं जानती हूँ की हमारे पेरेंट्स अभी भी बहुत एक्टिव हैं.

भानु - एक्टिव हैं मतलब???

रानी - एक्टिव हैं मतलब एक्टिव हैं यार....अब इससे ज्यादा क्या कहूँ???

भानु - कैसे एक्टिव हैं?? ठीक से बता?

रानी - मतलब उनके बीच रोमांस अभी ख़त्म नहीं हुआ है. नॉर्मली इस उम्र में कपल्स के बीच रोमांस या तो ख़त्म हो जाता है या बहुत कम हो जाता है..लेकिन इनके बीच ऐसा नहीं है.

भानु - तुझे कैसे पता??

रानी - बस पता है.....और यह भी पता है की मुझे सही पता है.

भानु - बता न कैसे पता है? तूने क्या देख लिया?

रानी - ऐसा कुछ नहीं देखा....लेकिन माँ हर सुबह जब सो के उठती हैं तो उनके चेहरे का ग्लो और उनके बदन के हल्केपन से ही पता चल जाता है की वो पूरी तरफ से संतुष्ट होती हैं.

भानु - यह कैसे पता चलता है? मुझे भी सिखा.

रानी - यह कोई सिखने वाली चीज नहीं है. यह बस हम औरतों की इंस्टिंक्ट होती है. हमें एक दुसरे को देख के समझ में आ जाता है की कौन कितना एक्टिव है.....

भानु - ओके.....और बता कुछ...

रानी - और मुझे क्या पता? मैं उनकी जासूसी थोड़ी न करती हूँ...इतना ही पता है बस..तो इसलिए हो सकता है तुझे वो दोनों ही दिख जाएँ उन कैमरा में....तो यह तू सोच ले की तुझे वो सब फाइल्स देखनी हैं की नहीं...

भानु - यार तूने तो सीरियस कर दिया. मुझे नहीं देखना अगर ऐसा है तो.

रानी - अरे पागल जरुरी थोड़ी न है की वो लोग ही दिखेंगे और कुछ करते हुए ही दिखेंगे...तू तो देख और मुझे भी दिखा....वैसे भी यहाँ बहुत बोरियत होती है.और हमारे पेरेंट्स अगर एक्टिव हैं भी तो क्या हर्ज है आखिर दोनों हैं तो मियां बीवी ही न..उनके बीच तो सब जायज है...तू बेकार में मत सोच....तू तो फाइल डाउनलोड कर फिर दोनों मिल के देखेंगे...

भानु - ओके....अच्छा तू आज काकी से क्या बात कर रही थी...मैं नीचे आने वाला था मैंने तुम दोनों को बात करते देखा तो लगा की मेरे जाने से रुकावट होगी तो नहीं आया...

रानी - ऐसे बस इधर उधर का पूछ रही थी....कुछ खास बात नहीं की...काकी ने बताया की वो लोग बहुत पार्टी करते हैं...उनका बहुत अच्छा ग्रुप है....सब मिल जुल के रहते हैं और बहुत एन्जॉय करते हैं लाइफ को बस...

भानु - लेकिन हमारे आने के बाद से तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. कोई पार्टी नहीं हुई.

रानी - हाँ तो वो अभी तो हम लोगों के साथ बिजी हैं न....इसलिए नहीं हुई होगी....

भानु - अच्छा सुन मैं सोच रहा था की किसी दिन अपने फार्म हाउस चलते हैं...एक दो दिन वहाँ रहेंगे तो मूड बदल जायेगा..

रानी - हाँ ये ठीक रहेगा...यहाँ पड़े पड़े बोर होने से अच्छा है की वहां चलते हैं...वहाँ तो पूल भी है न....मजा आएगा..

भानु - हाँ...इसी वीकेंड पर चलते हैं...




दोनों ने उसी समय प्लान बनाया की काकी को भी अपने साथ ले चलेंगे और दो दिन वहीँ रहेंगे..काकी रहेंगी तो ठीक रहेगा नहीं तो वहां तो हम अपने स्टाफ को भी नहीं जानते...अकेले जायेंगे तो वहां भी बोर हो जायेंगे...और फिर दोनों ने फाइनल किया की अभी खाना खा लेते हैं और उसके बाद तब तक डाउनलोड हुई फाइल्स को देखेंगे......उधर दूसरी तरफ सोम और नीलू के कमरे में....





नीलू - आज इंदु ने काकी के बारे में बहुत परेशां किया...

सोम - क्या कहा??

नीलू - वही जो उसकी हमेश की नाक घुसाने की आदत है की काकी कौन हैं हामारे साथ कब से हैं और फिर तुम्हारा और काकी का ये रिश्ता कैसे है...

सोम - ये इंदु न जरुरत से ज्यादा सवाल करती है.....

नीलू - मुझे तो अब लग रहा है की वो घुमा फिराकर हमें काकी के बारे में ब्लैक मेल कर रही है...

सोम - वो कैसे?

नील - देखो न अगर उसकी बात को मानें तो जो वो सोच रही है वो ये है की काकी तुम्हारी रिश्तेदार हैं....और तुम्हारी काकी हैं मतलब मेरी तो सास हुई न...और फिर हमारे बीच जिस तरह का रिश्ता है वो तो समाज की नजर में गलत ही है न...

सोम - हाँ लेकिन हमने तो पहले ही सबको बताया हुआ है न की काकी तो उन्हें सिर्फ नाम से बुलाते हैं....कहने भर की काकी हैं वैसे कोई रिश्ता नहीं है. सब को तो यही बताया है हमने तो फिर शक की बात ही कहाँ है..

नीलू - हाँ लेकिन इंदु की तो जासूसी करने की आदत है न...वही तो आज सब पूछ रही थी की कब से हैं काकी और यह सब रिश्ता कैसे बना उनके साथ और मैं कैसे ये सब के लिए हामी भर देती हूँ...

सोम - तुम कैसे मतलब??
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Re: मौका है चुदाई का

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नीलू - कह रही थी की मैं कैसे अपने सामने ही अपने पति को किसी और को चोदते हुए देख लेती हूँ और शामिल भी हो जाती हूँ...

सोम -अरे वाह??? छिनाल खुद भी तो कितनी बार चुदी है हमारे साथ..तब तो उसे यह ख्याल नहीं आया...अब यह सवाल कर रही है...

नीलू - तुम तो जानते ही हो इंदु की आदत...वो तो इतनी बड़ी रंडी है की पहले अपने बाप को अपनी चूत दिखा दिखा के उससे चुदवा लेगी और फिर पूछेगी की मुझे चोद के कैसा लगा मुझे क्यों चोदा क्या मुझे हमेशा से चोदना चाहते थे....वो पूरी बात अपने बाप पर डाल देगी जैसे सारी गलती उसके बाप की हो...

सोम - ये बाप कहाँ से बीच में आ गया? क्या बोल रही हो तुम?

नीलू - अरे ये इंदु ने आज दिमाग में एक अजीब सी बात डाल दी है...वही सोच रही थी...तुमने नोटिस किया है की वो आजकल तुम्हें भाईसाब कहती है और भाई शब्द पर बड़ा जोर देती है.

सोम - हाँ. पहले तो हमेशा मुझे नाम से ही बुलाती थी लेकिन इन दिनों तो बस हमेशा भाईसाब ही कहती हैं......

नीलू - आज मैंने भी उसे पूछ लिया की यह क्या चक्कर है तो कुतिया की औलाद रंडी साली कहती है की तुम्हें भाई सोच के चुदाने में उसे बड़ा मजा आता है...

सोम - ओ तेरी....

नीलू - हाँ वही तो...वो तो तुम्हें भाई मान के तुमसे मजे कर रही है...

सोम - मुझे नहीं बनना किसी का भाई शाई...समझा देना उसे ये मुझे बिलकुल पसंद नहीं है.

नीलू - हाँ जैसे मैं कुछ कहूँगी और वो मान लेगी......मुझे तो चिंता हो रही है की वो काकी के बारे में अपनी नाक कुछ ज्यादा ही घुसेड़ रही है...कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये...

सोम - क्या गड़बड़ होगी? किसे पता है हमारे बारे में? हमें तो इस शहर में हमसे पहले कोई जनता भी नहीं था. लोग तो वही मानेंगे जो उनसे हम कहेंगे..

नीलू - नहीं सोम. लोग बहुत मादरचोद होते हैं इस बारे में......और फिर सच कितने दिन तक छुपा रहेगा...काकी है तो तुम्हारी काकी ही न...

सोम - सिर्फ मेरी काकी है? तुम्हारी कुछ नहीं है?

नीलू - सोम नाराज क्यों होते हो? क्या मैंने कभी काकी की कम इज्जत की है? कभी काकी से कम प्यार किया है? तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मैं काकी से कितना जलती हूँ....

सोम - नहीं ऐसी बात नहीं है...लेकिन फिर ये भी तो देखो की तुम मुझे काकी को सुधा नहीं कहने देती...

नीलू - वो तो बस ऐसे ही सोम...मुझे लगता है की थोड़ी बंदिश डाल देने से उस बंदिश को तोड़कर चोदा चादी करने का मजा बढ़ जाता है...सिर्फ इसीलिए वरना मुझे कोई दिक्कत नहीं है...मैं जानती हूँ की जैसे मैं तुम्हारी बीवी हूँ वैसे ही काकी को भी तुम अपनी बीवी ही मानते हो और उतना ही प्यार करते हो....भूल गए हमारी तो सुहागरात में भी काकी हमारे साथ थी....मैंने तो काकी को हमेशा ही हमारे बीच कोई बाधा नहीं माना है..मैं तो खुद उनकी बहुत शुक्रगुजार हूँ...

सोम - हाँ नीलू....मैं जनता हूँ.....

नीलू - देखो न इस सुअरिया के कारण हमारे बीच भी कैसी बहस होने लगी..हमने तो कभी काकी से खुल्ली चुदाई करने में कभी ऐसी बहस नहीं की...लेकिन इसने हमारे बीच भी ये दरार डालने की कोशिश की...

सोम - हाँ....सही कह रही हो..इस इंदु का कुछ करना पड़ेगा.....

नीलू - हाँ कुछ तो सोचना ही पड़ेगा इसका नहीं तो हमें बर्बाद कर देगी.....अच्चा अब चलो खाना खा लेते हैं बच्चे भी लंच का वेट कर रहे होंगे.....




वो दोनों अपने कमरे से निकल कर खाने की टेबल पर आ गए...वहां पहले से ही काकी और दोनों बच्चे मौजूद थे..उनके बीच कुछ बात चल रही थी...


काकी - लो अभी हम तुम दोनों को आवाज देने ही वाले थे....चलो अब खाना खा लो बहुत देर हो गयी....

नीलू - रानी और भानु तुम लोग अकेले अपने अपने कमरे में बोर नहीं होते क्या कभी? कहीं बहार ही नहीं जाते तुम लोग?

भानु - हम लोग तो बहुत बोर हो चुके हैं. इसलिए हमने प्लान बनाया है की इस वीकेंड पर हम काकी को ले के फार्म हाउस जाने वाले हैं...दो दिन वहीँ रहेंगे.....ठीक है न???? हम लोग जा सकते हैं न??


साथ चुदाई करने वालों की सोच भी एक जैसी हो जाती है...जैसे ही भानु ने अपनी बात कही इन तीनो के दिमाग में एक ही चीज कौंधी.....जब ये लोग फार्म हाउस में रहेंगे तब घर में पार्टी की जा सकती है. बहुत अच्चा मौका अपने आप ही उनके सामने आ गया था...इतनी बड़ी मुसीबत का हल अपने आप ही मिल गया था इन्हें.....उन लोगों ने जरा भी देर नहीं की हाँ कहने में.....फिर सभी लोग खाना खाने लगे और इस बीच उन सबमे बातें होती रही.....खाने के बाद सोम और नीलू जानते थे की अब उन्हें काकी के साथ बैठकर वीकेंड की प्लानिंग करनी है और इस मौके का फायदा उठा कर इस पार्टी से मुक्ति पानी है..बाकी की पार्टीज कब कैसे करनी है यह बाद में सोच लेंगे...अभी तो जो एक बाधा थी उसे ही दूर किया जाए.....और उधर भानु और रानी खाना ख़त्म करते ही भानु के रूम में जाकर फाइल्स देखने वाले थे की क्या क्या मिलता है देखने को..............


भानु और रानी खाना खाने के बाद अपने अपने कमरे में आ गए...दोनों ही इस बात का वेट कर रहे थे की कुछ देर में वो दोनों डाउनलोड हुई फाइल्स देखेंगे....दोपहर जब कुछ और बीत गयी और दोनों ने सोचा की बाकि सभी लोग अपने कमरे में या तो आराम कर रहे होंगे या सो रहे होंगे तो भानु ने रानी को उसके मोबाइल पर रिंग कर दी.रानी ने कॉल देखि तो तुरंत अपने कमरे से निकल कर भानु के कमरे में आ गयी....आते समय उसने देख लिया था की बाकी के सभी कमरों के दरवाजे बंद थे मतलब उन्हें डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं था...कमरे में आ के...


रानी - हो गया सब डाउनलोड?

भानु - काफी कुछ हो गया है. मैंने सोचा की इसे बाद में सेट करता रहूँगा. अभी तो जैसा भी मिक्स अप है उसी में देख लेते हैं की है क्या क्या इसमें...

रानी - ओके. अच्चा ये सिस्टम क्या है सी सी टीवी का ?

भानु - मैंने अपने एक दोस्त को कॉल कर के इस कंपनी के सिस्टम के बारे में पुचा था..उसने मुझे बताया की ये तो बहुत महंगा सिस्टम है. इसमें घर में चलने वाले सभी वाई फाई अपने आप कैच हो जाते हैं और सारा डाटा अपने आप ही बेक अप होता रहता है.और सी सी टीवी कैमरा भी सब चलते रहते हैं. जानती है ये सब कैमरा बहुत ही अच्छी क्वालिटी के हैं. बहुत महंगा सिस्टम लगा है हमारे घर में.

रानी - हमारे घर में तो हर चीज महंगी ही है. तूने देखा नहीं हम सब के लिए अलग अलग कार हैं. इतना बड़ा घर है. लगता है की पापा बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं...

भानु -- हाँ. अच्चा देख मुझे अभी सब कुछ तो समझ में नहीं आया है लेकिन जो थोडा बहुत समझ पाया हूँ वो ये है की ये कैमरा विडियो भी रिकॉर्ड करता है और थोड़े थोड़े टाइम पर अपने आप पिक्स भी लेता रहता है. तो दो तरह की फाइल्स हैं. एक तो पिक्स हैं और दूसरी विडियो फाइल्स हैं. विडियो फाइल्स अभी डाउनलोड हो रही है और काफी साडी पिक फाइल्स डाउनलोड हो गयी हैं...अभी पिक्स ही देख लेते हैं.

रानी - किसकी पिक्स हैं?

भानु - मुझे क्या पता....असल में जैसे अपने लोग कंप्यूटर की स्क्रीन का स्क्रीनशॉट लेते हैं न वैसे ही ये सिस्टम भी जो कुछ भी रिकॉर्ड करता है उसके स्क्रीनशॉट भी लेता रहता है अपने आप....लगातार नहीं लेता है. थोड़े गैप के बाद लेता रहता है. मतलब अगर आप के पास पूरा विडियो देखने का टाइम न हो तो अप पिक्स देख के जान सकते हो की क्या क्या हुआ है.

रानी - ओके. मुझे कुछ समझ में तो आ नहीं रहा है. ये सब थ्योरी जाने दे न. तू तो पिक्स खोल. देखें किसकी पिक्स दिखाती हैं....

भानु - ओके....मैं रेंडम चला देता हूँ. जो भी पिक्स डाउनलोड हो गयी हैं पूरी वो एक एक कर के अपने आप खुलती जाएँगी....

रानी - हाँ. ये ठीक रहेगा. वरना तू भी कब तक एक एक पिक पर क्लिक करता रहेगा.....


रानी ने एक कुर्सी सिस्टम के पास खीच ली...भानु अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ था...सामने २९ इंच का बड़ा सा मॉनिटर था जिस पर ये सब चल रहा था....दोनों को अन्दर ही अन्दर बहुत मजा आ रहा था और रोमांच भी हो रहा था की वो लोग अपने ही घर की जासूसी कर रहे हैं....भानु ने पिक शो शुरू केर दिया और पहली पिक आई....

भानु - ये कौन हैं???

रानी - ठीक से तो पता नहीं लेकिन शायद ये मंजरी आंटी हैं.मम्मी की सहेली हैं.

भानु - तो ये हमारे यहाँ क्या कर रही हैं?

रानी - मुझे क्या पता??? मुझसे क्यों पुच रहा है?

भानु -अरे पुच नहीं रहा..बस ऐसे ही...सुन्दर हैं न.

रानी - हाँ सुंदर तो हैं. देखने में सिन्धी दिख रही हैं

भानु - कैसे पता?

रानी - ऐसे ही गेस किया. सिन्धी औरतें ऐसी ही गोरी और भरी भरी होती है न.

भानु - हाँ मॉडर्न भी हैं. ड्रेस कितने लो नैक की पहनी हुई है.

रानी - इन लोगों के सभी दोस्त मॉडर्न ही हैं.

भानु - तुझे कैसे पता?

रानी - मम्मी से जब बात होती थी तो कभी कभी बताया करती थी की उनके सब सहेलियां बहुत मॉडर्न हैं. और शहर छोटा होने के बाद भी सब लोग बहुत फैशन करते हैं.

भानु - हाँ फैशन तो दिख ही रहा है इनका....बड़ा बड़ा गोल गोल ....

रानी - देख तुझे अगर इस तरह की बात करनी है तो फिर मुझे नहीं देखना.

भानु - अब मैंने क्या कह दिया????

रानी - अच्छा??? बड़ा बड़ा गोल गोल क्या दिख रहा है तुझे मैं जानती हूँ.

भानु - हाँ तो गलत थोड़ी न कह रहा हूँ.

रानी - सही भी कह रहा है तो मेरे सामने मत कह. और अगर ऐसे ही कमेंट्स करने हैं सब के बारे में तो मुझे नहीं देखना मैं जा रही हूँ.

भानु - अरे यार नाराज क्यों हो रही है? इतना तो हम बात कर ही सकते हैं. और फिर अगर ऐसी बात ही नहीं करेंगे तो फिर देखने में मजा क्या आएगा...मत नाराज हो न प्लीज.....

( रानी खुद नाराज नहीं थी. वो तो बस भानु को झटका दे रही थी ताकि भानु उसके कण्ट्रोल में रहे....वो भानु की बात मान गयी और वो आगे की पिक्स देखने लगे.....उसके बाद बहुत सारी पिक्स घर के बहार की थी कुछ घर के अन्दर की भी थी लेकिन उसमे कोई था नहीं..बस खली कमरे की पिक्स थीं...ये देख के रानी बोली...

रानी - ये क्या पिक्स हैं? इसमें तो कोई है ही नहीं तो फिर ये पिक्स क्यों खिची हैं?

भानु - अरे सिस्टम ने ऐसी ही पिक्स खिचि है. सिस्टम को कोई ऑपरेट थोड़ी न कर रहा है. उसका कैमरा तो एक टाइम पैर सेट है उस टाइम पैर वो पिक खीच देता है. वो कोई ये देख के थोड़ी न खिचता है की किसकी पिक्स खीचनी है.....

रानी - ओह्ह हाँ...मुझे लगा की कोई पिक्स खीच रहा होगा तो कैसा चुटिया होगा जो खाली कमरों की पिक्स खीच रहा है....

( अगले लगभग दस मिनट तक ऐसी ही खाली कमरों की बाहर की पिक्स आती रही....अब दोनों लोग बोर होने लगे थे..अभी तक सिर्फ पहली पिक में ही कुछ देखने को मिला था और उसके बाद की सब पिक्स एकदम बेकार थी...दोनों के मन में ये ख्याल आया की ये तो बड़ा ही बोरिंग काम है..और ठीक उसी समय सिस्टम ने उनकी बात सुन ली जैसे..और ये पिक सामने आई...)

भानु - ओ तेरी...ये कौन माल है???

रानी - इसे तो मैं भी नहीं जानती....मंजरी आंटी को तो कभी कभी मम्मी की पिक्स में देखा था इसलिए पहचान गयी लेकिन इसे तो मैं भी नहीं जानती की ये कौन है....

भानु - सिगरेट कैसे पि रही है वो तो देख....कितना सारा धुंआ है चरों तरफ...

रानी - हाँ.

भानु - ये तो घर के अन्दर की पिक है....मम्मी पापा सिगरेट पीते हैं क्या?

रानी - पता नहीं. देखा तो नहीं कभी. पीते होंगे. और फिर पार्टी में तो सिगरेट चलती ही होगी...

भानु - हाँ....

रानी - मुझे पता है तेरे दिमाग में क्या चल रहा है..बोल दे बोल दे..

भानु - क्या??? नहीं कुछ नहीं चल रहा. मैं तो बस पिक देख रहा था. सिगरेट पिने की इच्छा कर गयी मेरी भी.

रानी - चल झूठा. तू सिगरेट नहीं कुछ और देख रहा था.

भानु - अच्छा?? बता दे क्या देख रहा था??

रानी - बड़े बड़े गोल गोल...हा हा हा हा हा..

भानु - हा हा हा हा हा मैं तो वही देख रहा था लेकिन तू क्यों देख रही है बड़े बड़े गोल गोल....तुझे कब से इसमें इंटरेस्ट आने लगा..??

रानी - हा हा हा हा....मैं तो ऐसे ही देख रही थी बस...

भानु -,अच्छा जरा ज़ूम कर के देख तो....इसने सिर्फ वो छोटी सी ब्लाउज ही पहनी हुई है बस.

रानी - उसे ब्लाउज नहीं कहते.

भानु - तो????

रानी - इसे कौर्सेट कहते हैं. ये बहुत ही मॉडर्न चीज होती है. एकदम शरीर से कासी हुई रहती है.

भानु - हाँ कसी हुई तो सच में बहुत है. लग रहा है की फट ही जाएगी...लेकिन यार रानी देख न..सिर्फ एक कौर्सेट और उसके नीचे कुछ भी नहीं. ये तो लो नैक भी है और इसमें से पेट भी दिख रहा है...

रानी - ये ऐसी ही होती है.

भानु - तो उसे बाहर पहन के जाते हैं ऐसे ही???

रानी - नहीं. वैसे तो इसके उपर कुछ और पहना जाता है. ये तो अन्दर रहती है.लेकिन इसने सिर्फ यही पहन रखी है.

भानु -एक बात बता....तुझे नहीं लगता की ये जरुरत से ज्यादा ही मॉडर्न है?

रानी - तुझे तो इसी उम्र की पसंद हैं. फिर क्यों ऐसा कह रहा है?

भानु - नहीं. मेरे कहने का मतलब की किसी के घर में पार्टी में जाओ तो क्या इस तरह के कपडे के पहन के जाता है कोई?

रानी - नहीं. ये नार्मल ड्रेसिंग तो नहीं है. सही कह रहा है. हो सकता है की ये हमारे घर की रेगुलर मेहमान हो कोई इसलिए इस तरह की ड्रेस में है...

भानु - हाँ हो सकता है....यार हमारे घर में तो बहुत मस्त पार्टी होती है...

रानी - हा हा हा हा....हाँ ...

( दोनों को अब पिक्स देख देख के उसके बारे में बात करने में मजा आने लगा था....और फिर सिस्टम पर अगली पिक आई...)

ये पिक देख के दोनों के मुंह से आह सी निकल गयी...

भानु - मुझे तो कुछ कहना ही नहीं है इस पिक के बारे में..

रानी - नहीं नहीं. बोल न...

भानु - यार रानी ये तो कुछ ज्यादा ही मॉडर्न है. इसकी ड्रेस तो देख यार...

रानी - ड्रेस हो तो देखूं न...ड्रेस के नाम पर छोटा सा कुछ पहन लिया है. ड्रेस तो कहीं दिख नहीं रही और जो नहीं दिखना चाहिए वो सब दिख रहा है....

(भानु ने नोटिस किया की अब रानी की जुबान भी खुलती जा रही है )

भानु - क्या क्या दिख रहा है तुझे?

रानी - क्यों तू अंधा है क्या? तुझे नहीं दिख रहा है क्या?

भानु - आरे यार..हमेशा तुझे मिर्ची ही लगी रहती है. बता न ठीक से की क्या दिख रहा है तुझे...

रानी - इसकी ड्रेस बहुत छोटी है. और ऐसे बैठी है की पुरे लेग्स दिख रहे हैं.

भानु - लेग्स नहीं..जांघें. जांघें बोल न. जांघे सुनने में ज्यादा डर्टी लगता है न.

रानी - ( बनावती गुस्सा करते हुए ) मैंने कहा था न की इस तरह की बात नहीं करनी है. करनी है तो तू खुद ही देख ले अकेले अकेले.

भानु - ( सहम के ) ओके सॉरी.

रानी - हा हा हा हा दब्बू कहीं का. मैं तो मजाक कर रही थी..हाँ उसकी जांघें पूरी खुली हुयी हैं. सामने अगर कोई बैठा होगा तो उसे अन्दर का भी सब दिख गया होगा.

भानु - हाँ. जांघें सुनने में ही कितना सेक्सी लगता है. लेग्स सुनने में तो कुछ नहीं लगता.

रानी - तू बहुत बड़ा ठरकी है.

भानु - तू भी तो है...

रानी - हाँ हूँ. अच्छा देख ये बिस्टर पर बैठी हुई है. मतलब की ये घर के किसी कमरे के अन्दर थी. पार्टी तो बाहर हॉल में होती होगी न. तो अन्दर कमरे में कैसे आ गयी?

भानु- बाहर की पार्टी में गरम हो गयी होगी तो अन्दर आ गयी होगी ठंडी होने के लिए...हा हा हा हा हा..

रानी - हमारे घर की पार्टी में लोग गरम हो के ठन्डे होने आते हैं?

भानु - अगर ठन्डे नहीं होते होंगे तो इतना गरम होने के बाद अपने घर की तरफ जरुर भागते होंगे...हा हा हा हा ...

रानी - हाँ यार...लगता है हमारे शहर की पार्टी से अच्छी पार्टी तो हमारे घर में होती है.....

दोनों कुछ देर तक और इसी तरह की खूब सर्री पिक्स देखते रहे और उनके बारे में कमेंट्स करते रहे....दोनों अन्दर ही अन्दर बहुत गरम हो रहे थे....और उनकी बातें भी धीरे धीरे ओपन होती जा रही थीं...रानी और भानु दोनों ही अब जांघे चूची गांड जैसे शब्द बोल रहे थे वो पिक्स देख देख के....दोनों को इस बात का जरा सा भी ख्याल नहीं रह गया था की वो अपने घर के अन्दर ली गयी पिक्स देख रहे हैं....और जैसे इन पिक्स में अभी दुसरे लोग हैं वैसे ही उनके पेरेंट्स की भी पिक हो सकती हैं....दोनों अपनी मस्ती में एकदम चूर थे और फिर अचानक ये पिक सामने आई....
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