मौका है चुदाई का complete

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sexi munda
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मौका है चुदाई का complete

Post by sexi munda »

मौका है चुदाई का

कहानी ठाकुर परिवार की है. चार लोगों के इस परिवार मे बाहरसे देखने पर सब कुछ सामानया ही था लेकिन इसके अंदर कितने गहरे राज छुपे हुए थे यह कोई नही जनता था. परिवार का मुखिया ठाकुर सोमराज सिंह. उँची कद काठी का आदमी था. पढ़ने लिखने मे कुछ बहुत तेज नही था वो इसलिए उसने नौकरी नही बल्कि अपना खुद का बिसनेस शुरू कर दिया था बहुत पहले ही.

आज के समय मे अपने शहर के सबसे राईस लोगों मे शुमार था ठाकुर सोमराज सिंह. उसकी पत्नी नीलू सिंह. देखने मे बहुत सुंदर नही थी लेकिन फिर भी आकर्षक थी. उसमे कुछ ऐसा था जो नज़र खीच लेता था. नीलू सिर्फ़ हाउसवाइफ थी. उन दोनो के जुड़वा बच्चे थे. एक लड़का एक लड़की. लड़के का नाम भानुप्रताप और लड़की का नाम नंदिनी था.

नंदिनी को सभी प्यार से रानी कहते थे. भानु को हमेशा इस बात की शिकायत रहती थी की उसका नाम पुराने जमाने का है लेकिन बेचारा इस बारे मे कुछ कह नही सकता था. सोमराज बहुत ही कड़क आदमी था और उससे बात करना हर एक के लिए बहुत मुश्किल होता था. यह रहा परिवार का फॉर्मल इंट्रो. यह लोग उत्तरप्रदेश के कानपुर मे रहते थे. भानु और रानी दोनो ही शुरू से ही बोरडिंग स्कूल मे डाल दिए गये थे. उन्हें सिर्फ़ छुट्टियों मे ही अपने घर आने का मौका मिलता था. लेकिन दोनो माता पिता उनसे मिलने के लिए साल मे काई बार उनके बोरडिंग स्कूल ज़रूर जाते थे.

दोनो बच्चे पढ़ने मे बहुत अच्छे थे. और दोनो ने हमेशा ही अपने परिवार से बहुत प्यार पाया था. नीलू अपने बच्चों पर जान छिडकती थी और उनकी हर तमन्ना पूरी करती थी. सोमराज कुछ ४७ साल के थे. नीलू ४५ की थी. दोनो बच्चों की उम्र २१ साल की थी. अब शुरू करते हैं इनकी कहानी........आज रानी और भानु अपने कॉलेज से अपना कोर्स ख़त्म कर के अपने घर लौट रहे हैं. दोनो ने बी कॉम किया है. दोनो अलग अलग शहर के कॉलेज मे थे. दोनो की छुट्टियाँ एक साथ ही शुरू ही थी. आगे का उन्होने अभी कोई प्लान नही किया था. वो कुछ लंबे समय के लिए अपने घर पर ही रहना चाहते थे. आज दोनो के आने का इंतजार नीलू को बहुत ज़्यादा था. लेकिन सोमराज कुछ ज़्यादा खुश नही था. सोम भी अपने बच्चों से बहुत प्यार करता था. लेकिन उनके घर पर रहने का मतलब यह था की सोम के कुछ काम बंद होने वाले थे. सोम अपने घर मे जिस तरीके से रहता था वो उसे बदलना पड़ता था. जब भी बच्चे घर आते थे. लेकिन पिता के रूप मे वो खुश भी था की उसके बच्चे इतने सालों के बाद अपने घर आ रहे हैं और इस बार उनके पास रहने के लिए बहुत टाइम है......नीलू समझ रही थी की सोम के मान मे क्या चल रहा है. उसे भी काफ़ी सारे बदलाव करने थे खुद मे. बच्चों के प्यार मे बहुत ताक़त होती है. दोनो ने सोच लिया था की कुछ समय के लिए यह नये तरीके की जिंदगी भी जी के देख ली जाए.......


भानु और रानी आज दोपहर की फ्लाइट से आने वाले हैं. उनकी फ्लाइट का टाइम ३ बजे का है. अभी दिन के नौ बाज रहे हैं. सोम और नीलू अपने लौन मे बैठे हुए हैं. ठंडी का समय है. अंदर घर का स्टाफ घर की सफाई कर रहा है.

सोम - नौकरों को सब समझा दिया है ?

नीलू - हाँ. समझा तो सब दिया है. पता नही कैसे कर पाएँगे. कहीं कुछ बिगड़ ना दें.

सोम- बिगाड़ देंगे तो इनकी मा चोद दूँगा मैं.

नीलू - सबसे पहले तो आप ही बिगाड़ेंगे सारा खेल. अब बंद कीजिए ऐसे गली देना. बच्चे आ रहे हैं और आप अभी तक मा बहन एक कर रहे हैं सब की.

सोम - सॉरी. गुस्से मे निकल गया.

नीलू - आपके इसी गुस्से की वजह से हमारी पोल खुल जाएगी बच्चों के सामने.

सोम - अब नही बकुँगा गाली. बस यह लास्ट थी. क्या क्या कह दिया है स्टाफ को.

नीलू - कुछ नही बस इतना कह दिया है की अब तुम लोग कभी घर मे आ जा सकते हो. जब भी भानु और रानी आवाज़ दें तो उनकी बात सुनना और काम करना.

सोम - ओके. देखना यह है की इनमे से कोई अपनी ज़ुबान न खोले बच्चों के सामने.

नीलू - अगर किसी ने कुछ कह दिया तब तो ज़रूर उसकी मा चोद देना.

सोम - मुझे तो बड़ा ज्ञान दे रही थी. अब खुद की ज़ुबान को क्या हुआ?

नीलू - सॉरी . लेकिन सच मे मुझे बहुत डर लग रहा है. कितने ऐश मे जीते थे हम लोग. लेकिन अब सब बंद हो जाएगा. लेकिन क्या कर सकते हैं बच्चे भी तो हमारे हैं. उन्हें भी तो हमारे प्यार की ज़रूरत है. वैसे भी हमने कभी अपने बच्चों को अपने पास नही रहने दिया. देखो ना दोनो २१ साल के हो गये लेकिन कभी एक महीने भी नही रहे होंगे घर पर. हमेशा या तो हम उनके स्कूल चले जाते थे या उन्हें कहीं और घूमने ले जाते थे.

सोम- हाँ सही कह रही हो. लेकिन फिर भी मुझे लगता है की हमारे बच्चे हमारे बहुत क्लोज़ हैं. नही तो देखो ना दूसरों केबच्चे अपने मा बाप से सब छुपा लेते हैं. हम तो फिर भी लकी हैं इस मामले मे.

नीलू - हन.रोज बात होती रहती थी हमारी बच्चों से इसीलिए ऐसा हैंअहि तो हमारे बच्चे भी हमसे दूर हो जाते.

सोम - इसीलिए कहता हूँ तुम बेकार मे परेशन मत हो. सब कुछ ठीक ही होगा. देखना हम कोई ना कोई तरीका खोज ही लेंगे. और फिर वैसे भी बच्चे जवान हैं. वो लोग सारा दिन घर पेर तो रहेंगे नहि.कहिन बाहर जाएँगे ही. तो हमारे लिए वो एक मौका तो है ही.

नीलू - ऐसे तो कई मौके मिलेंगे लेकिन उसमे वो बात कहाँ...

सोम - आएगी. वो बात भी आएगी और वो मज़ा भी आएगा. तुम देखती जाओ बस. जल्दी जल्दी मे चुदाई करने का मज़ा ही कुछ और है.......अर्रे देखो यह नौकरों ने अभी तक हमारा कमरा सॉफ नही किया क्या.......ज़रा देख के आओ. अगर सॉफ हो गया हो तो कमरे मे चलते हैं. अंदर से बंद कर लेंगे और एक चुदाई कर लेंगे जल्दी से.

नीलू - हाँ मैं भी यही सोच रही थी. रूको मैं देख के आती हूँ.......

नीलू ने बारी बारी से सभी कमरे देखे..उसे बहुत जल्दी भी थी क्योंकि बच्चों को लेने के लिए एयरपोर्ट जाने में भी अब ज्यादा समय नहीं रह गया था.....वो जिस जिस भी कमरे में जाती वहां उसे कुछ न कुछ कमी दिख जाती थी.....उसने नौकरों को बुलाने के बजाय खुद ही काम करना शुरू कर दिया....उधेर नीचे सोम बैठा नीलू की आवाज का वेट कर रहा था की कितनी जल्दी नीलू इशारा कर दे और वो तुरंत जा के उसके उपर चढ़ाई कर दे.......जब बहुत देर तक उसे नीलू की आवाज नहीं आई तो उसने ही आवाज दी..........जवाब आया की यहाँ तो बहुत काम बाकी बचा है...आओ जरा मदद कर दो फिर हमें एयरपोर्ट भी जाना है.......इतना तो सोम को नाराज करने के लिए काफी था...वो उसी समय नौकरों पर चिल्लाने लगा की हरामखोर हैं सब कोई काम ठीक से नहीं करते.......लेकिन फिर उसे ही ख्याल आया की अभी चिल्लाने के चक्कर में जो एक मौका है चुदाई करने का कहीं वो न हाथ से निकल जाये...तो वो भी तुरंत भाग के उपर गया और नीलू के साथ काम करवाने लगा.....दरअसल यह दोनों ही पति पत्नी दिन रात चुदाई करते थे तो उनके पुरे घर में चुदाई से जुडी हुई चीजें ही फैली हुई थीं....नौकरों को तो यह बात मालूम थी की उनके मालिक मालकिन कैसे हैं लेकिन बच्चों के सामने यह सब जाहिर नहीं होने देना चाहते थे...बहुत सफाई करने के बाद भी नौकरों ने कुछ चीजें मिस कर दी थीं....जैसे खुद उन्ही के बेडरूम में टीवी की टेबल के नीचे ही बहुत सारी पोर्न फिल्म और पोर्न वाली पत्रिकाएं रखी हुई थी.....नीलू के कुछ चुदाई वाले स्पेशल कपडे भी बहार रह गए थे....इसी तरह की छोटी छोटी चीजें अभी भी घर में बिखरी हुई थी....

सबसे बड़ी दिक्कत की बात तो यह थी की दोनों घर में अकेले ही रहते थे इसलिए वो कब कहाँ किस जगह पर चुदाई करना शुरू कर देंगे इसका भी कुछ हिसाब नहीं था....भानु और रानी दोनों के ही नाम से घर में कमरे तो थे लेकिन वो लोग कभी घर में रहे नहीं इसलिए उन कमरों का उपयोग भी इन्ही पति पत्नी की चोद्लीला के लिए ही होता था...और वहां भी इसी तरह के सामान बिखरे हुए थे अभी भी......इसीलिए सोम इतना नाराज हो रहा था नौकरों पर की इतने दिनों से सफाई के लिए कहा हुआ है लेकिन घर साफ़ नहीं हुआ....घर के यह वफादार नौकर आपसे बाद में मिलेंगे...अभी सोम और नीलू का हाल सुनिए.......जैसे ही सोम कमरे के अन्दर आया तो देखा की नीलू ने हाथ में बहुत साडी पत्रिकाएं उठाई हुई हैं और कुछ उठा रही रही है...

सोम - यह अभी बाहर ही रह गयी हैं..???

नीलू- हाँ वही तो. पुरे घर में इतने दिनों से सफाई चल रही है लेकिन यह सामान है की ख़त्म ही नहीं होता.

सोम- यह हरामजादे नौकर भी न...कोई काम ठीक से नहीं करते.

नीलू - उन्हें गाली बाद में दे लेना अभी काम करवाओ हमें फिर जाना भी है न..

सोम- अरे तो क्या उसी में सारा समय निकल जायेगा....एक बार चोद लेते हैं न जल्दी से फिर पता नहीं कब मौका मिले...

नीलू- बिलकुल नहीं. पहले यह सब काम करवाओ फिर मार लेना....

सोम- लेकिन इतना टाइम ही कहाँ है हमारे पास...

नीलू- तो जल्दी जल्दी हाथ चलाओ न जब से मुंह चला रहे हो...आओ जल्दी से काम करवाओ...

सोम चिढ के मुंह बना तो लेता है लेकिन जनता है की नीलू सही कह रही है......दोनों जल्दी जल्दी से चीजें समेटने में लग जाते हैं.......भानु और रानी दोनों ही २१ साल के हो चुके हैं...खुद सोम और नीलू के बीच सिर्फ दो साल का ही अंतर है...हालांकि सोम दो साल छोटा है नीलू से.....नीलू की उम्र लगभग ४७ साल और सोम की उम्र ४५ साल की है......इनकी शादी कब कैसे किन हालातों में हुई इस पर बाद में रौशनी डाली जाएगी...अभी तो गौर करने वाली बात यह है की दुनिया में शायद यह एकलौते ऐसे माँ बाप होंगे जो अपने बच्चों के आ जाने से अपनी चुदाई में पड़ने वाली बाधा से चिंतित थे और वो भी इतने ज्यादा चिंता में थे........दोनों काम के साथ साथ बातें भी कर रहे थे...

सोम - इतने दिनों से हमें पता है की बच्चे आने वाले है लेकिन फिर भी यह सब काम ख़त्म क्यों नहीं हुआ...

नीलू - पता तो तुम्हें भी था न लेकिन तुमने भी ध्यान नहीं दिया की समय नजदीक आ रहा है तो फिर मुझे क्यों दोष दे रहे हो ?

सोम - तुम्हें दोष नहीं दे रहा हूँ बल्कि हैरान हूँ की हमने इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर दी?

नीलू - तुम्हें हैरानी होती होगी मुझे तो नहीं हो रही...यह सब तुम्हारे हलब्बी लंड का नतीजा है. जब देखो खड़ा रहता है. न खुद कुछ करते हो न मुझे काम करने देते हो...जब देखो तुम्हें बस चुदाई चाहिए होती है...उसी का नतीजा है यह सब...

सोम- लेकिन हम तो इतनी बड़ी पार्टीज मैनेज कर लेते हैं फिर यह इतनी सी बात कैसे नहीं मैनेज हुई हमसे...

नीलू - मैंने सोचा था की एक रात पहले सब ठीक कर लूंगी...

सोम - तो फिर किया क्यों नहीं? क्या करती रही कल रात?

नीलू - मैं करती रही या तुम करते रहे? मैंने तो कहा था कल ही की रात में सरला को मत बुलाना. वो छिनाल एक बार चुद के कभी नहीं सोती. एक बार शुरू होती है तो पुरे मोहल्ले से चुदने के बाद ही सोती है. फिर भी तुमने नहीं मानी बात और बुला लिया उसे भी.......

सोम - मैंने तो यह सोच के बुलाया था की तुम इस काम में बिजी रहोगी तो मैं उसे चोद लूँगा तब तक..

नीलू - हाँ वो तो जैसे इतनी सीधी है.....रात भर तुमसे लंड लेती रही और मेरी भोसड़ी में मुंह डाल के बैठी रही...आज सुबह आँख भी देर से खुली उसके कारन....

सोम - हाँ लेकिन मजा तो आया न....कुछ भी कहो सरला है बड़ी नमकीन..

नीलू - हाँ वो तो है लेकिन उसके नमक के चक्कर में अब जो हमारी आफत हो रही है उसका क्या....सोमू मैं तो खुद बड़ी परेशां हूँ की अब कैसे यह सब रंग रेलियाँ किया करेंगे हम लोग....

सोम - चिंता न करो..कुछ न कुछ रास्ता निकाल लेंगे...और फिर हमारे फार्म हाउस तो है ही इसी काम के लिए...वहां जा जा के बुझाएंगे अपनी ठरक....

नीलू - हाँ ऐसा ही कुछ करना पड़ेगा..


इतनी देर में उन्होंने अपना कमरा लगभग सेट कर लिया था और फिर भानु का कमरा भी सेट हो गया था...वो लोग अब रानी के कमरे में थे...इस कमरे में वो लोग अक्सर बाहर के लोगों के साथ मजे करते थे.....तो यहाँ तो और भी ज्यादा सामन पड़ा हुआ था......अब एयरपोर्ट के लिए निकलने में सिर्फ एक घंटा रह गया था....दोनों ने जल्दी जल्दी हाथ चलाना शुरू किया.....काफी चीजें वहां से हटा देने के बाद जब नीलू कमरे के एक कोने में कड़ी कमरे का मुआयना कर रही थी तब सोम ने सोचा की अभी सही समय है राउंड लगाने का...........नीलू ने सलवार कुरता पहना हुआ था....और जाने के पहले वो कपडे चेज करने वाली थी..यह बात सोम भी जनता था......यह दोनों ही चुदाई के समय खूब शोर करते थे..एक दुसरे को गाली देते थे...एक दुसरे को जोर से करने के लिए उकसाते थे और इनके बीच सेक्स में कुछ भी गन्दा नहीं था...यह सब कुछ करने के शौक़ीन थे...सब कुछ..........सोम जैसे ही नीलू के पीछे आ के खड़ा हुआ...नीलू भी समझ गयी की सोम का क्या मूड है......उसने बिना किसी देरी के अपनी सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार सर्र से नीचे सरक गयी...कुरते के बड़े बड़े कट उसकी जाँघों से ले के कमर तक थे.....सोम ने भी अपनी ज़िप खोल ली थी...अभी इनके पास ज्यादा रस ले के चुदाई करने का समय नहीं था..इसलिए सीधे ही चुदाई करने के सिवा कोई रास्ता नहीं था......नीलू ने अभी भी कमरे को ताकना जारी रखा था...हाँ वो अब नीलू के पलंग पर अपनी एक टांग चढ़ा चुकी थी...इससे उसकी चूत खुल गयी थी....सोम पीछे आया...उसने न थूक लगाया न कुछ..बस नीलू के पीछे आ के उसने चूत के मुंह पर अपना लंड सेट किया.......और एक पल के लिए थम गया....नीलू ने अपना बैलेंस बनाया और फिर सर को हलके से हिलाया जैसे सोम को इशारा कर रही हो की डाल दो अन्दर और सोम ने इस एक इशारे के बाद एक पल भी नहीं गंवाया और अपना पूरा ९ इन्च का लम्बा लंड नीलू की चूत में एक झटके से घुसेड दिया...........सरसराता हुआ लंड बिना किसी बाधा के पूरा जड़ तक नीलू की चूत में समां चुका था........और नीलू के मुंह से आह निकली.......यस डैडी...........इसके पहले भी यह दोनों एक दुसरे के साथ बहुत सरे रोल प्ले कर चुके थे...लेकिन आज इसी मौके पैर नीलू के मुंह यस डैडी निकलना किसी बड़े संजोग से कम नहीं था........या यह किस्मत का तरीका था कुछ संकेत करने का......पता नहीं क्या था...दोनों का ध्यान इस समय इस बात पर नहीं था....सोम ने शुरू से ही धक्कों की गति तेज रखी थी....दोनों को जल्दी से झड़ना जो था.....नीलू हर धक्के पर थोडा और झुक जाती थी सामने की तरफ और सोम हर धक्के पर उसके उपर झुकता जा रहा था.......जैसे जैसे सोम के धक्के तेज होते रहे वैसे वैसे ही नीलू की आवाज भी तेज होती रही....यस डैडी गिव इट टू मी.......यस डैडी फक मी......यस डैडी....आआआआआ.......और सोम और तेज धक्के देता जा रहा था.....और फिर नीलू ने कहा स्लैप मी....और सोम ने बिना किसी देरी के एक जोरदार थप्पड़ नीलू की गांड पर जमा दिया.....यह कोई प्यार से सहलाने वाला थप्पड़ नहीं था...बल्कि गुस्से में मारा गया थप्पड़ था...नीलू को ऐसे ही चपत पसंद थी अपनी गांड पर...और उस एक चपत ने उसका मजा दुगना कर दिया...नीलू ने फिर से हुंकार भरी ...यस डैडी हिट मी हार्ड...और उसके बाद तो सोम ने एक झड़ी लगा दी थप्पड़ों की.....नीलू की गांड दो मिनट में ही लाल हो गयी..और लंड और चूत का खेल भी पुरे जोर पर था.....नीलू बार बार उसे यस डैडी कह रही थी और सोम भी उसी जोश में उसे बुरी तरह से पेल रहा था.....और फिर दोनों ही अपनी चरम पर पहुचने वाले थे.....सोम ने नीलू की छोटी को पीछे से पकड़ लिया और जोर से खीच दिया...नीलू का सर और पीठ एक आर्क शेप में मुद गयी और सोम ने एक गहरे धक्के के साथ अपना पानी नीलू की बुर में निकाल दिया जहाँ उससे मिलने के लिए नीलू की बुर ने पहले ही अपने पानी का झरना बहा दिया था.............इतनी तेज चुदाई और जोरदार मारपीट के बाद भी दोनों थके नहीं थे......दोनों इस उम्र में भी बहुत जोश वाले थे.......लेकिन इसके पहले की दोनों कुछ कहते या सोचते पीछे से सुधा की आवाज आई....

सुधा - बेटा अब आप दोनों को निकलना चाहिए...रस्ते में अगर कहीं जाम लग गया तो मुश्किल हो जाएगी...
नीलू - हाँ हम बस जाने ही वाले थे.....
सुधा - यह लो तुम्हारे कपडे मैं ले आई हूँ.....सोमू बेटा तुम भी चेंज कर लो...लाओ यह सलवार कुरता मुझे दे दो नीलू और यह पेंटी भी उतर दो....
नीलू - पेंटी तो ठीक है रहने दो इतना टाइम कहाँ है.
सुधा - नहीं नहीं. उतार के जाओ.....यह दूसरी वाली पहन लो....वैसे भी तुम्हारी यह थोंग वाली पेंटी मुझे बड़ी अजीब लगाती हैं...यह तो एकदम दरार में घुस जाती हैं और फिर मन हो चाहे न हो रगड़ती रहती हैं अन्दर ही अन्दर...बेकार में तूफ़ान मचा देती हैं....अभी तुम लोग अच्छे काम के लिए जा रहे हो. इसलिए यह थोंग पेंटी न पहनो तुम....यह नार्मल टाइप वाली ले आई हूँ तुम्हारि अलमारी से यह पहन लो....
सोम - तुम कहाँ रह गयी थी सुधा काकी...हम लोग कितने परेशां थे....देखो न...कितना सामन फैला हुआ था...अभी तक उसी में लगे थे...
सुधा - तुम लोग मेरी बात तो सुनते नहीं हो. वरना अब तक तो सब हो गया होता....चलो कोई बात नहीं...तुम जाओ...मैं यहाँ देख लूंगी और क्या क्या करना है....लाओ सोम तुम्हारा लंड पोंछ दूं.....नीलू की बुर इतना पानी लगा देती है इस पर की टपकने लगता है...
नीलू - हाँ हाँ यह कहो न काकी की तुम्हें भी चूसने का मन कर गया है....
सुधा - तो क्या हुआ? सोम मेरा भी तो कुछ लगता है न?
नीलू - हाँ सुधा काकी..मैंने कब मना किया है...सोम तुम्हारा भी लगता है...हम सब का लगता है सोम...इस पर मेरा अकेले का हक नहीं है...हम सब का है......तुम चूस के जल्दी से साफ़ कर लो तब तक मैं रेडी हो जाती हूँ और फिर हम सीधे चले जायेंगे.......

सुधा काकी कौन है और इन दोनों से उसका क्या रिश्ता है...यह सब आगे पता चलेगा...इतनी भी क्या जल्दी है......????

घर से निकल के दोनों कार में आ गए और एयरपोर्ट की तरफ चल पड़े....उम्मीद के विपरीत दोनों ने सभी काम समय रहते निपटा लिए थे और उनके पास अभी भी काफी टाइम था की वो आराम से चल के एयरपोर्ट पहुच जायेंगे....सोम को वैसे भी तेज गाड़ी चलाना पसंद नहीं था.....दोनों बातें करते हुए एयरपोर्ट की तरफ जा रहे थे....
नीलू - जिस दिन सुबह से एक राउंड न लग जाये मेरा बदन खुलता ही नहीं है....लगता है जैसे पुरे शरीर में अकड़न सी हो...
सोम - हाँ मेरा भी वही हाल है...सुबह उठ के नाश्ता मिले या न मिले लेकिन एक बार चुदाई तो मिलनी ही चाहिए...
नीलू - सुनो वो काकी के लिए भी कुछ सामान लेना था तो मैं सोच रही थी की तुम भी साथ चलते.
सोम - ऐसा क्या सामान लेना है जो मैं भी साथ चलूँ?
नीलू - काकी ने ही कहा था की तुम्हें कह दूं बाकी तुम खुद ही समझ जाओगे...
सोम - मैं नहीं समझा...पूरी बात बताओ...
नीलू - वो दोनों बच्चे आ रहे हैं न....तो काकी ने कहा की दोनों की जांच कर लेनी चाहिए...अभी दोनों काफी दिनों तक घर में ही रहेंगे...या हो सकता है की अब वो हमेशा ही हमारे साथ रहें...तो हमारे पास काफी समय है उन्हें सब कुछ समझा के उनकी जांच करवा लेने का.....
सोम - हाँ हाँ...काकी ने एक दिन कहा तो मुझसे भी था लेकिन मैं ध्यान नहीं दे पाया...हाँ ठीक कहती हो....अभी ही सही समय है...अभी दोनों को समझा देंगे तो जांच के लिए शायद मान जाएँ...लेकिन बाद में तो उन्हें यह कहने में खुद हमें ही शर्म आने लगेगी...
नीलू - हाँ काकी भी यही कह रही थी की जितनी जल्दी जांच हो जाये उतना ही अच्चा है......

इससे पहले की यह बात आगे बढ़ पाती नीलू के सेल पर एक कॉल आ गया...यह उसकी ही एक सहेली का कॉल था...
नीलू - हेल्लो शालू कैसी हो...
शालू - एकदम मस्त हूँ यार...तू सुना कैसी है...
नीलू - मैं भी एकदम अच्छी हूँ..और बड़े दिनों बाद मेरी याद आई तुझे...
शालू - नहीं याद...कई दिनों से बाहर थी इसलिए बात नहीं हो पाई....तू सुना क्या चल रहा है...कहाँ हो अभी तुम...?
नीलू - अभी तो एयरपोर्ट जा रही हूँ....
शालू - कोई गेस्ट आ रहे हैं क्या? नयी पार्टी ओर्गेनायिज़ कर रही हो क्या? मुझे भी बताना....बहुत दिन हो गए याद अय्याशी नहीं की...
नीलू - अरे नहीं रे पगली.....मेरे बच्चे दोनों घर आ रहे हैं...उन्हें लेने जा रही हूँ...
शालू - ओह्ह ....अरे वाह यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है....
नीलू - हाँ हम लोग भी बहुत खुश हैं.....
शालू - लेकिन यार इससे तो तुम दोनों की लाइफ एकदम बदल जाएगी...
नीलू - हाँ वो तो है...लेकिन बच्चों के साथ रहने का सुख भी तो है...
शालू - हाँ सही कह रही हो.......लेकिन बेचारे सोम भाईसाहब का क्या होगा....
नीलू - यह तुम उन्ही से पूछ लो... ( नीलू ने सेल स्पीकर पर कर दिया )
सोम - नमस्ते भाभी जी..
शालू - नमस्ते भाईसाहब कैसे हैं आप....
सोम- हम तो अच्छे हैं लेकिन आप तो हमें बिलकुल भूल ही गयी हैं...
शालू - अरे नहीं भाईसाहब ऐसा नहीं है....वो बस इधेर उधेर थोडा बिजी थी....और कोई बात नहीं...
सोम - ठीक है...मुझे लगा कहीं हमसे तो कोई खता नहीं हो गयी जो आपने इस तरह हमसे मुंह मोड़ लिया है...
शालू - अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है...और फिर कोई औरत आपके नीचे आने के बाद भला आपसे कैसे मुंह मोड़ सकती है...
नीलू - ओये मैं सब सुन रही हूँ..मेरे पति को लाइन मत मार तू...
शालू - हाँ तो कौन सा तेरे पीठ पीछे करती हूँ...तू खुद ही तेल लगा के उनका लंड डलवाती है मेरी चूत में मेरी सौतन.....
नीलू - सौतन मैं नहीं तू है मेरी......
सोम - हाँ हाँ दोनों एक दुसरे की सौतन ही बनी बैठी रहना....लेकिन अब जरा दोनों खुद पर कण्ट्रोल रखना...अब घर का माहौल बदलने वाला है.....भाभी जी आप भी थोडा ध्यान रखना.....
शालू - हाँ हाँ जरुर...आप चिंता न करें भाईसाहब...कोई परेशानी नहीं होगी मेरी वजह से..मैं धयन रखूँगा...
नीलू - अच्छा शालू हम बाद में बात करते हैं....... ( नीलू ने कॉल काट दिया )
सोम - शालू ने ठीक ही किया उस आदमी से डाइवोर्स ले के...वो तो साला किसी काम का नहीं था...
नीलू - हाँ हाँ काम के तो तुम हो...शालू का नाम सुना नहीं की लार टपकाने लगे.....
सोम - तो तुम क्यों जल रही हो...तुम्हें कौन सी कमी है....
नीलू -.मैं क्यों जलूँगी....जले मेरी जूती...मेरे सामने तो सौ शालू भी कुछ नहीं हैं....
सोम - अरे तुम्हारे सामने तो कोई भी कुछ नहीं है.....यार बड़ा मन कर रहा है एक राउंड और लगाने का...लेकिन हम लोग पार्किंग लोट में पहुच गए हैं...अब तो कुछ संभव नहीं है....
नीलू - संभव कैसे नहीं है......अभी फ्लाइट आने में कुछ देर होगी...और एयरपोर्ट पर बाथरूम तो हमेशा ही बहुत अच्छे होते हैं...आओ आज सरकार की दी गयी सेवाओं का लाभ उठायें.....हम भी तो टैक्स देते हैं...
सोम - हाँ हाँ...सही कह रही हो...अभी इतना टाइम तो है ही.....मैं जल्दी से पार्क करता हूँ.....
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Re: मौका है चुदाई का

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दोनों इतने में ही रेडी हो गए थे....सोम ने कुरता पायजामा पहना हुआ था और नीलू ने जीन्स और लॉन्ग शर्ट......कार पार्क कर के दोनों जैसे ही एयरपोर्ट की लॉबी में गए वहां उन्होंने सीधा बाथरूम खोजा की किस तरफ है....लेडीज वाले सेक्शन में जाने का प्लान था क्योंकि लेडीज बाथरूम में जगह ज्यादा होती है.......दोनों पूरी तेज स्पीड से पैदल चल रहे थे...और एकदम मूड में थे लेकिन बाथरूम के ठीक पहले ही पीछे से सोम के एक कस्टमर ने आवाज दे दी...वो भी यहाँ एयरपोर्ट पर था और उसे इगनोरे नहीं कर सकता था सोम...तो दोनों को मन मसोस कर रुक जाना पड़ा उसकी आवाज सुन के......कुछ देर यहाँ वहां की फॉर्मल बात होती रही और फिर फ्लाइट की घोसना हो गयी....फ्लाइट आ गयी थी और कुछ ही देर में बच्चे चलते हुए बाहर आने वाले थे दोनों के.......नीलू ने उस कस्टमर को excuse me कहा और बाथरूम के अन्दर चली गयी...सोम वही खड़ा रहा और इतनी देर में वो आदमी भी वहां से चल गया......तभी नीलू बहार निकली....और उसने अपने हाथ की दो उँगलियाँ सोम की तरफ कर दी.......सोम ने उसे देखा और इशारे में पुचा की क्या है......नीलू ने हलके से सिर्फ इतना कहना की चूत का रस लगा के लायी हूँ अन्दर से...चाटो.......और सोम ने बिना किसी देरी के वो उँगलियाँ अपने मुंह में ले ली......लॉबी में खासी भीड़ थी लेकिन देखने वाला कोई यह नहीं कह सकता था की नीलू की उँगलियों में क्या लगा होगा जो सोम ऐसे उसे मजे से चाट रहा है............सोम ने उन उँगलियों से पूरा रस चाटा और फिर उँगलियाँ मुंह से निकल दी......नीलू और सोम दोनों ही बहुत कातिल नज़रों से एक दुसरे को देख रहे थे....और फिर दोनों वेटिंग वाली लाइन में आ गए जहाँ दोनों भानु और रानी का इन्तेजार करने लगे....दोनों के दिल बहुत तेज धड़क रहे थे.......दोनों की ही अंडरवियर में आग लगी हुई थी और दोनों के अन्दर का पेरेंट्स वाला प्यार भी जाग रहा था...इतने लम्बे समय के बाद वो अपने बच्चों के साथ रहने वाले थे...इस समय यह कहना मुश्किल था की दिल की यह बढ़ी हुई धड़कन उस प्यार के कारन थी या एक दुसरे के लिए जागी हुई वासना के कारन..............

रानी ने अभी हाल ही में मास कम्युनिकेशन की डिग्री पूरी की थी....उम्र पुरे २१ साल....देखने में बेहद सुन्दर और चंचल.....इस उम्र में आ कर लड़कियों को सेक्स के बारे में लगभग सब कुछ मालूम हो जाता है और मौका मिलने पर वो आजमा भी लेती हैं...रानी भी मौका चुकने वालों में से नहीं थी..उसने भी सेक्स को आजमाया हुआ था....लेकिन दूसरी लड़कियों में और रानी में यह अंतर था की वो इसके लिए अभी पागल नहीं हुई थी...जैसा हम दूसरी कहानियों में देखते हैं की लड़कियां बस गीली चूत ले के चलती रहती हैं और जो भी मिल जाये उससे चुद जाती हैं रानी वैसी नहीं थी.....उसने सेक्स कम बार ही किया था लेकिन सेक्स के बारे में उसने पढ़ा बहुत कुछ था...तंत्र सेक्स तक की कई सारी किताबें रानी ने बहुत बार पढ़ी थी.....वो किसी भी समय पोर्न फिल्म्स के पुरे इतिहास के बारे में बात कर सकती थी क्योंकि उसने दुनिया भर की पोर्न फिल्म्स देखि हुई थी...लड़कों को कैसा आकर्षित करना है इसमें भी उसे महारत हासिल थी.....यहाँ तक की वो लड़कियों के साथ भी सेक्स करने से परहेज नहीं करती थी.........लेकिन इसका मतलब यह नहीं था की कोई भी उसे चोद सकता था....वो बहुत सेलेक्टिव थी अपने सेक्स पार्टनर्स के बारे में और शायद इसीलिए इस जवान उम्र में भी उसने सिर्फ कुछ ही बस किसी लड़के के साथ सेक्स का अनुभव किया था........वो सेक्स के बारे में सोचती बहुत थी..उसके अपने सपने सेक्स के बारे में बहुत जंगली स्टाइल के होते थे...और उसी तरह का सेक्स पसंद था......
रानी सेक्सी दिखने की लिए नंगी होना जरुरी नहीं समझती थी.....जैसा की आप पिक्स में देख रहे हैं उसकी पोषक हमेशा ही बहुत शालीन और सुन्दर होती थी.....हाँ यह बात भी है की रानी हमेशा ही फिटिंग के कपडे पहनती थी...उसे शरीर को नंगा कर के दिखाना पसनद नहीं थी लेकिन वो अपने शरीर की बनावट को कपडे के उपर से भी बहुत अच्छे से नुमाईश कर सकती थी....और वो यही करती थी....सलवार कुरता भी पहनती तो उसमे सलवार इतनी ज्यदा टाइट होती थी की ध्यान से देखने पर गांड का शेप बहुत अच्चा दीखता था....कुरता हमेशा ही गहरे गले का होता था...शरीर से चिपका हुआ...लेकिन वो दुपट्टा हमेशा से बहुत सलीके से ओढ़ती थी जिससे की सिर्फ यह अंदाजा लगता था की इसकी चूचियां बड़ी बड़ी हैं लेकिन चूची नंगी हो के नहीं दिखाती थीं.......रानी को यही पसंद था...उसे लड़कों में आग लगा देना बहुत पसंद था......अगर आप यह सोच रहे हैं की बस अब तो रानी घर में आ गयी है और अब वो पहले ही दिन से रंडी बन के रहेगी और पहले अपने बाप से फिर भाई से चुदेगी तो आप गलत सोच रहे हैं...रानी के दिल में अपनी फॅमिली के लिए बहुत प्यार था और वो कभी अपनी हवास में उन्हें हिस्सेदार बनाने के सपने नहीं देखती थी....तो यह न सोचें की अब बस अगले ही दिन से घर में खुल्लम खुल्ला चुदाई शुरू होने वाली है....हमारी रानी अपने रंग में आ जाये तो बहुत बड़ी रंडी है लेकिन वो इतनी आसानी से अपने रंग में नहीं आती है...उसे उकसाना बहुत ही मुश्किल काम है...........लेकिन एक बार रानी को चुदास चढ़ जाये तो फिर वो सब कुछ भूल जाती है..फिर उसे कुछ दिखाई नहीं देता सेक्स के सिवा....एक बार उसके बॉयफ्रेंड ने उसे गरम कर दिया और वो जैसे ही चुदाई करने को हुए वो झड गया.....रानी ने उसे फिर से रेडी करने की बहुत कोशिश की लेकिन उसका लंड ही नहीं खड़ा हुआ....रानी ने उसे तीन चार थप्पड़ रसीद किये और बहार भगा दिया....प्यार अपनी जगह है लेकिन जब सेक्स का टाइम हो तो प्यार नहीं बल्कि जंगली वासना की पुजारिन है रानी.....उसे गरम करने के बाद अगर शांत नहीं किया गया तो वो किसी नागिन की तरह हो जाती है...और तब तक लंड के लिए तरसती रहती है जब तक उसकी ठोक के चुदाई न कर दी जाए........

घर लौटने के बारे में रानी भी बहुत खुश थी....कई दिनों से उसका कोई यार नहीं था अय्याशी करने के लिए...अपने अंतिम दिनों में वो काम में और अपनी पढाई में ही इतनी ज्यदा उलझी हुई थी की उसे यह सब करने की फुर्सत ही नहीं मिली....अपने घर आते समय वो रस्ते भर यही सोच रही थी की देखती हूँ वहां शायद कोई मिल ही जाये मजेदार आदमी......रानी ने अभी तक सिर्फ लड़कों और लड़कियों के साथ ही जवानी का भोग किया था.....और इधेर कुछ समय से उसके मन में किसी बढ़िया तगड़े मर्द या अनुभवी औरत के साथ कुछ करने की इच्छा होने लगी थी...इसकी वजह तो कुछ खास नहीं थी...वो बस सेक्स में कुछ नया करना चाहती थी........

दूसरा परिचय भानु का.....अपनी बहन के विपरीत भानु एक नंबर का हरामी था.....भानु इतना बड़ा वाला हरामी थी की कोई कुतिया भी उसके सामने गरम हो के आ जाये तो उसे भी छोड़ने में भानु को कोई दिक्कत नहीं होगी...इसे भगवन की दें ही समझिये की भानु को लड़की को देख के ही भानु को एक फीलिंग सी हो जाती थी की कौन सी लड़के चुदासी चल रही है..और फिर वो उसी पर डोरे डालने लगता था.....भानु को प्यार मुहब्बत से कुछ लेना देना नहीं था..उसका भी यही सोचना था की प्यार इश्क यह सब फ्री में चुदाई करने के बहाने हैं और कुछ नहीं.....रानी तो सेक्स में बहुत सेलेक्टिव थी लेकिन भानु के साथ ऐसा कुछ नहीं था...वो तो बस जो मिल जाये जहाँ और जैसे मिल जाये चूत मरने में यकीन रखता था बस...यही कारन था की जवान होने से ले के अब तक के दो तीन सालों में उसने अनगिनत औरतों लड़कियों के साथ सम्बन्ध बना लिए थे......
भानु शरीर से बहुत कोई फिल्म स्टार जैसा नहीं था..औसत कद था..साधारण काठी थी...जैसा हम इन कहानियों में पढ़ते हैं की १० इन्च का हलाबी लंड था वैसा लंड भी नहीं था उसके पास....उसका लंड मुश्किल से ६ इन्च का था बस...लेकिन मोटा बहुत था और सबसे खास बात तो यह की भानु को अपने लंड पर गजब का कण्ट्रोल था.....वो चाह ले के अभी लंड खड़ा नहीं करना है तो बड़ी से बड़ी रंडी भी उसके सामने नंगी नाच के मर जाएगी लेकिन भानु का लंड खड़ा नहीं होगा...और अगर भानु सोच के अभी उसे झाड़ना नहीं है तो फिर बहुत बहुत देर लगातार चुदाई करने के बाद भी न तो थकता था और न ही उसका लंड झाड़ता था..................हम पोर्न मूवी में देखते हैं की बड़े बड़े लंड वाले ही असली मर्द होते हैं...लेकिन भानु को अपने उस औसत कद के लंड पर भी बहुत यकीन था...और होता भी क्यों नहीं...उसने अपने इसी लंड से कई सारी चूतों को ठंडक पहुचाई थी.......वो तो बस घर पहुचने के इन्तेजार में था..उसे यकीन था की यहाँ भी वो अपने लिए चूत बहुत जल्दी खोज लेगा..........

भानु और रानी दोनों ही एक ही शहर में रहते थे लेकिन एक साथ नहीं रहते थे...पहले दोनों ने एक साथ ही एक फ्लैट किराये पर लिया था लेकिन जैसे जैसे दोनों अपनी सेक्स लाइफ में एक्टिव होते गए दोनों के लिए एक ही जगह पर रहना थोडा मुश्किल होने लगा...शुरू शुरू में तो दोनों ने उसमे भी एडजस्ट करना चाह लेकिन वो संभव नहीं हुआ....पहले पहले कई बार रानी अपने बॉयफ्रेंड को अपने फ्लैट ले आती थी या भानु अपनी किसी दोस्त को अपने साथ ले आता था लेकिन अगली सुबह दोनों के लिए एक दुसरे से आँख मिलाना थोडा मुश्किल हो जाता था...दोनों ही जानते थे की कल रात को उन्होंने क्या किया है और अपने घर में वो बहुत शरीफ समझे जाते हैं लेकिन उनकी हकीकत कुछ और है.....हालाँकि दोनों एक दुसरे की सेक्स लाइफ को ले के बहुत कूल थे लेकिन फिर भी थे तो दोनों भाई बहन ही..........कितना भी कूल क्यों न हो जाएँ लेकिन रिश्ता जो है वो तो रहेगा ही........और फिर एक दिन दोनों ने ही सोचा की सेक्स को छोड़ नहीं सकते और ऐसे झिझक में रह कर भी मजा नहीं आएगा तो भानु ने अपने लिए नया फ्लैट किराये पैर ले लिया था....पैसों की तो कमी थी नहीं...उसने नया फ्लैट भी पास ही में लिया था..और अक्सर वो रात का खाना रानी के साथ उसके फ्लैट पर ही खता था......दोनों में अक्सर खुल केर यह भी बात होती थी की आजकल उनकी सेक्स लाइफ में क्या चल रहा है...लेकिन उसमे भी एक सलीका अभी भी बरकरार था.....सोम और नीलू कम से कम इस बात पर गर्व कर सकते थे की उनके दोनों बच्चे नंबर एक के चुदासे होने के बाद भी अपने रिश्ते का ख्याल रखते थे.....
भानु तो शुरू से ही थोडा लापरवाह था इस मामले में...और तीन बार उसने अपनी दोस्त को पेट से भी कर दिया था.....उस समय रानी ने ही मेडिकल प्रॉब्लम ठीक करवाई थी...और भानु का साथ दिया था...और बार बार उसे हिदायत भी देती रहती थी की जरा कंडोम लगा लिया करो..नहीं तो किसी दिन कोई गोद में दे देगी यह कह के की लो अपने बच्चे लो पालो.....भानु भी उसकी बात को हमेशा गंभीरता से लेता था....घर आने के पहले दोनों के बीच इस बारे में भी काफी बात हुई थी की अब घर में जा के यह सब अय्याशी बंद कर देनी होगी...यह भी अजीब इत्तेफाक ही था की वहां इनके पेरेंट्स इसी बात को ले के चिंतित थे और यहाँ उनके बच्चों को भी अपनी अय्याशी बंद होने की बड़ी चिंता थी.....खैर...अब तो घर पहुच ही गए थे...कुछ न कुछ रास्ता खोज निकालने की उम्मीद इन दोनों को भी थी.....
दोनों ही बच्चे अपनी माँ से ज्यदा क्लोज थे...ऐसा तो हर घर में होता है की माँ ही घर का आधार होती है....रानी अपनी लाइफ की हर बात अपनी माँ से शेयर करती थी..और इशारों इशारों में ही उसने नीलू को बता दिया था की उसकी सील टूट चुकी है...और भानु ने भी ऐसा कारनामा कर लिया है यह बात भी नीलू को रानी ने ही बताई थी...लेकिन दोनों में इस बात को ले के कोई बहस नहीं हुई थी और ना ही दोनों गंदे तरीके से इस बारे में बात करती थीं......जैसे पेरेंट्स बाकि बातों के बारे में बच्चों को सलाह देते हैं वैसे ही इस मामले में नीलू ने सिर्फ इतनी सलाह दी थी की कोई परमानेंट नुक्सान नहीं होना चाहिए और दोनों अपनी सेहत का ख्याल रखना...रानी ने जब यह बात भानु को बताई तो उसे बहुत अजीब लगा की उसकी माँ जानती है की वो कितना बड़ा चुदासा लड़का है और जो अपनी से बड़ी बड़ी उम्र की औरतों की चूत में भी घुसने से परहेज नहीं करता......हाँ रानी ने अपने बारे में इतनी ज्यादा जानकारी नहीं दी थी..उसने यह नहीं बताया था नीलू को की वो जब चुदना चाहती है तो उसे घोड़े का लंड भी कम लगने लगता है......गन्दी जोरदार और दर्दनाक चुदाई का शौक शायद इस पुरे घर के खून में ही था.....अभी वो सब इस बात से अनजान थे लेकिन जब एक ही छत के नीचे रहना हो तो ज्यादा दिन तक ज्यादा बातें छुपी नहीं रहती......

वहां एयरपोर्ट पर जब सबका मिलन हुआ तो सभी बहुत बहुत खुश हुए...जैसा की औरतों के साथ होता है...नीलू और रानी तो थोडा भावुक भी हो गए और उनकी आँखें भी भर आयीं थीं.....सब गाड़ी में बैठ के घर आ गए थे....घर में आते ही सबसे पहले उन्हें उनके अपने अपने रूम दिखा दिए गए और घर के बाकि सिस्टम के बारे में बता दिया गया....घर में सबसे ज्यादा काम सुधा काकी के हाथ से ही होते थे..वो भी बच्चों को अपना ही मानती थी..और बच्चे भी उसे काकी ही कहते थे...हालांकि रिश्ता दादी का था लेकिन उसे सभी काकी ही कहते थे.....घर के बाकी स्टाफ से भी उन्हें मिलवाया गया....भानु ने नोटिस किया की घर में मर्द स्टाफ सिर्फ दो ही हैं...बाकी सभी औरते हैं और सब औरतें बदन के मामले में बड़ी टाइट हैं...उस समय उसने शायद ये न सोचा हो की इन औरतों के इस बदन का घर में कौन कौसे उपयोग करता है...घर के बाकि हिस्सों को देख के पता लगा की उपर वाले फ्लोर में एक अलग से बाथरूम बनाया गया है जिसमे एक बड़ा साइज़ का जकुजी लगा हुआ है....घर के चरों तरफ लॉन है और सेफ्टी के नजरिये से घर के कई हिस्सों में कैमरा लगे हुए हैं....भानु सब चीजें बहुत गौर से देख रहा था और रानी को इस सब पर कोई रूचि नहीं थी...वो बस देख रही थी की घर में क्या क्या है...दोनों इसी घर में पैदा हुए थे लेकिन बचपन के बहुत कम दिन इस घर में बीते थे दोनों के.....कुछ बातचीत होने के बाद सब अपने अपने कमरे में गए..यह तय हुआ की सब नाहा धो के कुछ देर बाद खाने की टेबल पर मिलेंगे....रानी और भानु अपने कमरे में आ गए और सोम और नीलू अपने बेडरूम में.....

नीलु - अभी तक तो सब ठीक ही हो रहा है..
सोम - हाँ. तुम तो बेकार ही इतना परेशां हो. अरे सब ठीक होगा.बच्चे समझदार हैं.
नीलू - हाँ वो तो हैं ही...अच्चा वो एयरपोर्ट पर कौन अपनी माँ चुदा रहा था?
सोम - हाँ वो ऐसे ही एक बन्दा था.कोई खास नहीं था.
नीलू - लेकिन साले ने बहुत गलत टाइम पर डिस्टर्ब किया था. पता है मैं एकदम गीली थी...उस समय सोच रही थी की आज तुम्हें लेडीज टॉयलेट में घुसा के तुमसे रगड़ के चुद्वौंगी...
सोम - हाँ गरम तो मैं भी था..लेकिन अब क्या करता..उसने रोक लिया तो मुझे एकदम चले आना ठीक नहीं लगा. पता नहीं हमारे बिसनेस में कौन कब कैसे काम आ जाये,...
नीलू - हाँ ठीक ही किया तुमने....अब चलो नाहा लेते हैं...
सोम - साथ में??
नीलू - हाँ. क्यों?
सोम - और बच्चे?
नीलू - उनका क्या?
सोम - अरे किसि ने आवाज लगा दी तो? क्या कहेंगे की हम दोनों एक साथ नाहा रहे थे?
नीलू - दोनो अपने अपने रूम में हैं....कोई नहीं आएगा....तुम लेट मत करो आ जाओ जल्दी से...
सोम - रुको मैं काकी को कह देता हूँ...
नीलू - ओके..मैं तब तक बाथरूम में तुम्हारा इन्तेजार कर रही हूँ...
सोम - हाँ...मैं अभी आता हूँ...तुम नंगी हो जाओ तब तक...

सोम अपने कमरे से बहार आता है और काकी के कमरे की तरफ जाता है..काकी उसी समय अपने कमरे में कुछ काम कर रही थी और टेबल पैर झुकी हुई थी...सोम जब अन्दर दाखिल हुआ तो उसे काकी की उभरी हुई गांड देखने को मिली...सारी के उपर से भी बड़ी बड़ी गोल गोल दिख रही थी...वो काकी के पास गया और उसकी गांड के उपर से ही अपना लंड चिपकता हुआ उस पर झुक गया...काकी समझ गयी......
सुधा- क्या हुआ बेटा?
सोम - कुछ नहीं काकी..मैं और नीलू नहाने जा रहे हैं.तुम जरा ध्यान रखना..
सुधा - साथ में नहाओगे?
सोम - हाँ काकी..
सुधा- नंगा नंगी हो के नहाओगे दोनों लोग?
सोम - हाँ काकी..
सुधा - वो तुम्हें साबुन लगाएगी तुम उसे लगोगे?
सोम - हाँ काकी...
( इस बात के दौरान वो दोनों ऐसे ही टेबल पैर झुके हुए थे और सोम सारी के उपर से ही काकी की गांड के उपर अपना लंड घिस रहा था जो अब अपनी फुल साइज़ में खड़ा हो चुका था)
सुधा- साबुन लगा के दोनों रुक थोड़ी न जाओगे...तुम तो एक दुसरे को रगडोगे भी न?
सोम - हाँ काकी....हाँ....
सुधा- तू पीछे से लेगा या आगे या?
सोम - पीछे से काकी....पीछे से लूँगा...
सुधा - हाय मेरा बेटा कितनी मेहनत करता है...जा जा के नाहा ले.....रगड़ ले अपनी बीवी को...जा
सोम- चिंता मत करो काकी जल्दी ही तुम्हारा नंबर भी आएगा.....
सुधा- मुझे क्या चिंता होगी रे...तुम दोनों हो न मेरा ख्याल रखने को...अब जा मुझे पता है नीलू अब तक तो नंगी हो के तेरा वेट कर रही होगी..
सोम - हाँ काकी....जाता हूँ...तुम अपना ध्यान रखना...और देखना बच्चे हमें पूछें नहीं...
सुधा- हाँ मैं देख लूंगी..लेकिन तुम लोग ज्यादा देर मत लगाना...सीधे चुदाई शुरू करना..हमेशा की तरह चूसा चासी मत करते रहना घंटे भर...सीधे चूत पर हमला करना लंड से..समझ गया न मेरा रजाबेटा...
सोम - हाँ काकी..हम लोग बस जल्दी ही बाहर आ जायेंगे.....


सोम काकी के कमरे से बाहर आ गया..काकी को भी अब तुरंत ही अपनी सारी ठीक करनी थी...जो की उपर से सोम के रगड़ते हुए लंड के कारन थोडा खुल गयी थी..उसे खुद को कण्ट्रोल करना था जिससे बच्चों को कुछ अजीब न लगे..उधर सोम भी तुरंत तेज गति से भाग के अपने रूम के बाथरूम में गया..जहाँ नीलू पहले ही गीली चूत ले के उसका वेट कर रही थी........सोम के आते ही उसने चिद के कहा....मुझे पता था तू काकी को घिस के आएगा.....अब आ जा जल्दी से कब से पानी बह रहा है मेरी चूत का....आ घुस जा मेरे भोस में....और फिर दोनों की काम लीला शुरू हो गयी.....

नीलू और सोम ने बाथरूम में चुदाई करने में ज्यादा देर नहीं लगायी....इसके पहले बड़े सरे रोमांचक काम यह लोग कर चुके थे...लेकिन कभी यह आनंद नहीं लिया था..बच्चों के हाथों पकडे जाने का डर...अपने आप में यह भी बड़ी चीज होती है..लगभग हर कपल शादी के बाद और खासकर बच्चे होने के बाद इस डर से गुजरता है...सेक्स करने का मन तो होता ही है लेकिन यह खटका भी लगा रहता है की कहीं बच्चे न आ जाएँ..कहीं उन्हें कुछ गलत न फील हो...कहीं ऐसा न हो की वो कुछ पूछ बैठें....इस तरह के डर दूसरों की जिंदगी में तो आम ही होते हैं लेकिन नीलू और सोम इस डर से अनजान थे..जब से उनके बच्चे कुछ जानने समझने लायक हुए तब से वो बाहर रहे और इन दोनों को चुदाई में कभी कोई दिक्कत नहीं आई.....आज जब पहली बार वो दिक्कत इन्हें पेश आई तो यह समझ नहीं पा रहे हैं की क्या कैसे करना है....जैसे अभी इसी बार की बात है की नीलू तो खुलकर चुदने को तैयार थी लेकिन सोम की गांड फटी जा रही थी.....खैर..जैसे तैसे दोनों ने एक राउंड ख़त्म किया.....नीलू ने तो कह भी दिया की उसे जरा भी मजा नहीं आया..सोम ने भी माना की हाँ सेक्स में जरा भी मजा नहीं आया..लेकिन और करने की फुर्सत नहीं थी...दोनों जल्दी जल्दी तैयार हो के बाहर आ गए.....खाने की टेबल पर पहुचे तो काकी वहां पहले से ही मौजूद थी....लेकिन भानु और रानी का कहीं अता पता नहीं था.....नीलू ने काकी से इशारे में पुचा तो काकी ने कहा की दोनों अभी भी अपने अपने कमरे में हैं.....नीलू ने दोनों को उनके सेल पर कॉल किया....आजकल एक ही घर में रहने वाले एक दुस्सरे के कमरे में नहीं जाते बल्कि फ़ोन पर बात कर लेते हैं...दोनों ने कहा की वो लोग जल्दी ही नीचे आ जायेंगे...तब तक सुधा भी नीलू और सोम के साथ टेबल पर बैठ चुकी थी.....

सुधा - क्या हुआ??
नीलू- जरा भी मजा नहीं आया..
सुधा - क्यों गांड फट रही थी क्या बच्चों के ख्याल से?
नीलू- हाँ तुम्हें कैसे पता चला काकी?
सुधा- यह तो हर एक के साथ होता है..जब मैं तुम्हारी उम्र की थी तो मेरी भी ये हालत होती थी...रात में लगता था की कर लूं और यह डर भी लगता था की बच्चे न जग जाएँ....
सोम- तो कैसे करती थी फिर?
सुधा- तुम्हारे काका बड़े जालिम आदमी थे....सारी रात सोते और सुबह ४ बजे उठ जाते. कहते हैं उस समय में सबसे गहरी नींद लगती है..और उसी समय में जब घर के सब लोग गहरी नीन्द में सो रहे होते तो तेरे काका जी भर के लेते थे मेरी और मैं भी मजे से देती थी क्योंकि धीरे धीरे मुझे भी पता चल गया था की इस समय में सच में कोई जाग नहीं रहा होता. सबसे बहुत गहरी नींद सोते हैं....और फिर जहाँ चाह वहां राह...अगर लेनी है तो फिर लेनी है...रास्ता अपने आप मिल जाता है...
सोम- अरे अब वो दिन नहीं रहे...अब तो बच्चे सारी सारी रात जागते हैं....कब कौन क्या सुन लेगा कुछ पता नहीं..
नीलू -हाँ . मेरी एक सहेली के साथ तो प्रॉब्लम हो गयी थी. वो सोचती की रत में घर के सब लोग सो रहे हैं और जब वो अपने पति से चुदाई करती थो उसका देवर उसका विडियो बना लेता था...
सुधा- पता नहीं तुम लोग पढ़ लिख के कुछ सीखे भी हो या तुम्हारा कॉमन सेंस भी ख़त्म हो गया है...
नीलू - क्यों???
सुधा- मैं यह नहीं कह रही की सुबह चार बजे उठ के करो...लेकिन अगर खोजना चाहोगे तो रास्ता मिलेगा न..ऐसे हाथ पर हाथ रख के न बैठो....
सोम- अरी अभी तो सब ठीक है..देखना कुछ दिन में एक न एक रूटीन बन जायेगा फिर यह सब दिक्कत न आएगी....
सुधा- देखते हैं...वैसे मेरी तरफ से जब भी कोई भी हेल्प चाहिए हो तो बता देना....

उधर दूसरी तरफ भानु का शैतानी दिमाग भी अपने काम में लगा हुआ था...आजकल टेक्नोलॉजी इतनी ज्यादा बढ़ गयी है की कोई सही तरीके से उसका उपयोग करना जनता हो तो उसके लिए कुछ भी करना बहुत आसन हो जाता है....भानु की नजरें अपने घर के स्टाफ पर टिक गयी थीं.......एक से एक बढ़कर औरतें और सब की सब गुदाज बदन वाली...जिन्हें मसल मसल के जिंदगी का असली सुख मिल सकता है...भानु को तो वैसे भी हर उम्र की लड़की और औरत में दिलचस्पी रहती थी....तो जाहिर सी बात है वो यहाँ भी कुछ वैसा ही सोच रहा था...उसने सबसे पहले यह प्लान बनाया की जैसे फिल्म्स में होता है वो सिक्यूरिटी वाले कैमरा का फीड किसी तरह से हासिल करेगा..और घर के स्टाफ की औरतों पैर नजर रखेगा...शायद कहीं से कुछ बात बन जाये तो उसे बाहर कुछ खोजना नहीं पड़ेगा..घर में ही काम चल जायेगा.....फिर उसे यद् आया की सब नीचे वेट कर रहे होंगे....

और रानी की सोच अभी तक सोयी हुई थी...वो तो बस घर आ के खुश थी....उसे अपना सामन थोडा बहुत खोल लिया था और अपने रूम को देख के यह सोच रही थी की उसे कैसे सजाना है....उसके दिमाग में अभी सेक्स के बारे में कोई ख्याल नहीं चल रहा था.....वैसे भी सेक्स का चौबीस घंटे वाला कीड़ा भानु के दिमाग में था..रानी के दिमग में नहीं....रानी ने भी सोचा की पहले नहा के नीचे चलते हैं..अब तो घर पर ही हैं तो बाकी का काम आराम से करते रहेंगे ऐसे भी क्या जल्दी है...दोनों अपने अपने कमरे से नहा के कुछ देर में नीचे आ गए...तब तक सुधा नीलू और सोम अपने लिए आगे का कुछ बंदोबस्त सोचने में लगे हुए थे.....बच्चों को आते देख के वो लोग चुप हुए और टॉपिक चंज कर दिया...

अगले एक दो दिन तो आराम से ऐसे ही बीत गए....बच्चों को अपने लिए कुछ कुछ सामन लेना था और चूँकि वो बाजार नहीं जानते थे इसलिए सोम उनके साथ बराबर रहा और उनकी खरीदारी करवाता रहा....भानु अपना लैपटॉप तो ले के ही आया था लेकिन साथ ही उसने एक कंप्यूटर और ले लिया नया...और रानी ने अपने लिए तो कुछ नहीं लिया पर अपने कमरे के लिए काफी सामान लिया......फिर एक दिन नीलू की कुछ सहेलियां उसके घर आयीं...सोम उस समय अपने ऑफिस में था...रानी अपने कमरे में और भानु अभी बाहर गया हुआ था...काकी और नीलू उन सहेलियों को ले के नीलू के कमरे में आ गए थे.....काकी उन लोगों के लिए चाय पानी लेने चली गयी....
इंदु - और सुना नीलू तू तो एकदम गायब ही हो गयी यार...
नीलू - अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं. बस बच्चे कुछ ही दिन पहले आये हैं तो उन्ही के साथ बिजी थी.
इंदु - हाँ हम लोग तो भूल ही गए थे....तुम लोगों को कभी बच्चों के साथ नहीं देखा न...
नीलू- हाँ वो भी पहले बार ही हम लोगों के साथ रह रहे हैं..
रीति - तो अब तुम्हें पता चलेगा की हम लोगों की जिंदगी कैसी होती है...
नीलू - क्या मतलब?
इंदु - हाँ और क्या...जब देखो तुम लोग घर में अय्याशी करते थे और हम लोग तुम्हें देख देख जलते थे...अब तुम्हारी भी अय्याशी बंद...
नीलू - अच्चा? क्यों बंद?
रीति - अरे बच्चू अभी तुम्हारी जवानी की हवा निकालनी शुरू होगी..तुम बस देखती जाना....जब एक एक किस के लिए तर्सोगी...जैसे हम लोग तरसते हैं...कहीं कोई देख न ले..कहीं दाग न लग जाये....तुम भी अब यह सब सोचोगी..
नीलू- मैं कुछ नहीं सोचने वाली ऐसा..देखना मैं तो वैसी ही रहूंगी जैसी पहले थी...
इंदु= यह तो कहने की बातें हैं....वक़्त ही बताएगा...अच्चा सुन वो फार्महाउस वाला ग्रुप कब हो रहा है? बड़े दिन हो गए यार कुछ अरेंज कर न अच्चा सा...
नीलू - हाँ सोचती हूँ उसके बारे में कुछ..बहुत दिन हो गए हमारी पूल पार्टी नहीं हुई...वैसे तुम लोग सुनाओ क्या चल रहा है आजकल.,..
इंदु - कुछ खास नहीं यार..मेरे पति को किसी ने लंड फुलाने की मशीन दे दी है और कहा है की इससे उनका लंड फूल के दोगुना हो जायेगा...तो पूरी पूरी उसी मशीन में लंड डाल के बैठे रहते हैं...
नीलू- हा हा हा हा...सच में?
इंदु- हाँ यार...उन्हें हमेशा से ही अपने नार्मल साइज़ के लंड से दिक्कत रही है.क्या क्या इलाज नहीं किया..लेकिन तू ही बता लंड की लम्बाई और चूत की गहराई ऐसे बढती है क्या कहीं...
नीलू - हाँ सही कह रही है. लेकिन अब वो कर ही रहे हैं तो कर लेने दे न...और तू सुना रीति तेरा आदमी क्या गुल खिला रहा है आजकल....
राती - मेरा वाला तो पिचले दो हफ्ते से टूर पर है....आजकल अपने ऑफिस के दो बन्दों से काम चल रहा है...एक तो अभी बस २२-२३ साल का होगा....हरामखोर से बनता कुछ नहीं है लेकिन झूमता ऐसे है की खा जायेगा...पता है उसके साथ सेक्स करने में प्यास तो नहीं बुझती लेकिन कॉमेडी होती है तो मजा तो आ ही जाता है..
नीलू- ऐसी क्या कॉमेडी होती है?
रीति - अरे यह आजकल के फुस्सी लौंडे साले...किसी काम के तो होते नहीं..स्टेमिना होता नहीं है लेकिन सब ब्लू फिल्म देख देख के अपने आप को हीरो समझने लगते हैं......कहता है नया नया पोस बना के करेंगे..मैंने कहा ठीक है बेटा देखती हूँ कितनी ताकत है......वो मुझे अपने उपर बैठ के कूदने को कह रहा था...मैं भी उसके लंड पर ऐसा फंसा फंसा के कूदी और उसकी गोटियों में ऐसे जोर जोर के झटके दिए की साले से खड़े होते नहीं बन रहा था.......बात तो एक हजार की तय हुयी थी लेकिन मैंने उसे दो हजार उपर से और दे दिए...बेचारे के गोते शोर्ट कर दिए मैंने...
इंदु - तू साली रहेगी छिनाल की छिनाल ही...वो तेरे बगल वाले अंकल का क्या हुआ?
रीति - वो तो बस उपर से छू के ही नहर बहा देता है. उसका क्या होगा ? एक दिन मैंने कहा की अंकल लोगे क्या? आ जाओ आज बहुत गीली हूँ......उस दिन के बाद से आज तक तो वो दिखा नहीं मुझे...
इंदु - लेकिन तू तो कहती थी वो तुझे देख देख के लंड घिसता है...
रीति - हाँ तो उतना ही करने के लायक है वो. उससे ज्यादा का उसमे दम नहीं था. मैंने खुल्ला न्योता दे दिया तो उसने तो वो गली ही छोड़ दी.....

तीनो सहेलियां एक नंबर की चुदासी औरतें थी...और सबके पति बहुत अमीर थे....नीलू उन सबकी बॉस जैसी थी...सब उसी के पास आते थे.और उन लोगों के ग्रुप सेक्स की पार्टी हमेशा ही नीलू ही प्लान करती थी........यह लोग काफी देर तक बैठे रहे और फिर अपने अपने घर चले गए......अब काकी और नीलू अकेले थे.....काकी ने इशारे में कहा की रानी अपने कमरे में है..और फिर उठ के वो बाथरूम की तरफ चल दी........नीलू ने भी देर नहीं की और वो भी उसी तरफ चल दी....काकी ने अन्दर आते ही अपनी सारी को उपर करना शुरू किया और उसकी सारी पूरी उसकी कमर तक आ गयी....काकी की उम्र काफी है....करीब करीब ६० साल की है काकी लेकिन इस उम्र में भी वो खुद को बहुत सजा के रखती है..इस बात का इससे बड़ा सबूत और क्या होगा की एक घरेलु औरत जिसकी उम्र ६० साल की है उसकी चूत में एक भी बाल नहीं है...झांट एकदम साफ़ है...चिकनी और वो पूरा हिस्सा भी काला नहीं पड़ा हुआ है...मेरे जिन भाइयों को नहीं पता है उन्हें बता दूं की हम औरतों के उस कोमल हिस्से की बार बार शेविंग करने से वहां एक कालापन आ जाता है...इसलिए वहां से हेयर रिमूव करना ज्यादा फायदेमंद होता है...लेकिन रेजर का उपयोग ज्यादा आसन होता है...खैर....अगर आगे किसी औरत की चूत पर इस तरह का कालापन दिखे तो उसे गन्दी मत समझना..बल्कि वो लगातार बाल साफ़ करते रहने के कारण होता है..........हाँ तो काकी का वो नाजुक हिस्सा अभी भी उतना ही नाजुक था..उतना ही कोमल था....नीलू ने भी अपनी जीन्स नीचे केर दी थी और अपनी पेंटी भी सिरका दी थी.....काकी ने तो पेंटी पहनना ही कब का बंद कर दिया था.....दोनों ने अपनी अपनी टाँगे थोडा सा झुका ली और अपनी चूत के अन्दर दो दो ऊँगली डाल दिन........लेकिन ऐसा वो लोग अपनी चूत में ऊँगली करने के लिए नहीं कर रहे थे..बल्कि अगले ही पल उन्होंने अपनी उँगलियाँ बाहर निकालनी शुरू केर दी..और इस बार उन दोनों की ही उँगलियों में फंसा हुआ कुछ उन दोनों की ही चूत से बाहर आ रहा था..........गरम मौसम में आप लोगों ने ककड़ी बिकते हुए देखि होगी...एक तो मोटा खीरा होता है और एक पतली ककड़ी होती है...वैसी ही एक एक ककड़ी इन दोनों ने अपनी अपनी चूत के अन्दर डाली हुई थी...करीब ४ इंच लम्बी और एक इंच मोती उस ककड़ी ने उनकी चूत में जरुर खूब घमासान मचाया होगा..क्योंकि जब वो ककड़ी चूत से बहार निकली तो उन दोनों के रस से एकदम भीगी हुई थी........दोनों ने हौले हौले वो ककड़ी अपनी अपनी चूत से बाहर निकाली ताकि कहीं वो ककड़ी अन्दर ही ना टूट जाये...और फिर दोनों ने अपनी अपनी चूत की ककड़ी बदल ली.......

नीलू वो ककड़ी खा रही थी जो बहुत देर से काकी की चूत में थी और काकी वो ककड़ी खा रही थी जो बहुत देर से नीलू की चूत में थी........

उधर दूसरी तरफ अब भानु और रानी भी थोडा थोडा बेचैन होने लगे थे...हालांकि अभी उनकी बेचैनी इतनी बड़ी नहीं हुई थी की उसके लिए वो कुछ करने की सोचते लेकिन जब चिंगारी जल जाये तो उसे आग बन्ने में ज्यादा देर नहीं लगाती..और दोनों के शरीर में चिंगारी तो जल ही चुकी थी........एक रात भानु को नींद नहीं आ रही थी तो वो निकल कर छत पर आया....उसने सोचा था की कुछ देर यहाँ ठंडी हवा खायेगा फिर सोने चला जायेगा.......उसके लिए बिना सेक्स के इतने दिन रहना बड़ा मुश्किल था..उसे पता नहीं था की रानी पहले से ही छत पर थी....वो जैसे ही उपर आया उसके रानी को वहां पर टहलता हुआ पाया....रानी ने एक टी शर्ट और उसके नीचे छोटे से शॉर्ट्स पहने हुए थे..उसने ब्रा नहीं पहनी थी और पेंटी भी वो नहीं पहना कर्री थी रात में.....भानु भी वहां अपने टी शर्ट और शॉर्ट्स में ही आया था.....
भानु - यहाँ क्या कर रही है?
रानी - नींद नहीं आ रही थी सो थोड़ी देर के लिए उपर आ गयी..तुझे भी नहीं आ रही?
भानु - हाँ यार.....बड़ी बोरियत सी हो रही है..करने के लिए कुछ है नहीं यहाँ पर...
रानी - हाँ यार.वही तो...अभी हमें कुछ ही दिन हुए हैं यहाँ आये और मुझे तो लगता है की जैसे कितने सालों से मैंने कुछ किया ही नहीं है....
भानु - मेरा भी वही हाल है...
रानी – नीचे देख के आया था? सबा लोग सो गए?
भानु – नहीं.मम्मी के कमरे की लाइट जल रही थी शायद. थोड़ी थोड़ी रौशनी आ रही थी. मैंने ध्यान से देखा नहीं.
रानी – वो लोग भी रात में लेट से सोते हैं.
भानु – तू क्या कर रही थी अब तक?
रानी – सिस्टम पे एक मूवी पड़ी थी वही देख रही थी.उसमे भी बोर हो गयी..
भानु – कौन सी मूवी थी? दे न मुझे भी देखने को.
रानी – तेरे वाली नहीं थी.मेरे वाली मूवी थी. तेरे टाइप वाली मेरे पास नहीं है.
भानु – तू तो हर समय बस ताना ही मारा करती है.मैं कोई नार्मल वाली मूवी नहीं देख सकता क्या?
रानी – देखता होगा. मुझे नहीं पता.मैंने तो नहीं देखा तुझे नार्मल वाली मूवी देखते हुए.
भानु – तो तूने मुझे वो वाली मूवी देखते हुए भी तो नहीं देखा है कभी.
रानी – देखा है. कई बार तू सिस्टम चालू कर के सो जाया करता था अपने पुराने वाले फ्लैट में. कई बार मैंने तेरे रूम में आकर तुझे चादर ओढाई है और सिस्टम पैर मूवी बंद की है.
भानु – सच में?
रानी – हाँ . कई बार.
भानु – कभी बताया नहीं तूने.
रानी – इसमें क्या बताने वाली बात थी? मुझे लगा तो थोडा ओड फील करेगा सुन के की मैंने तुझे ऐसे देख लिया.इसलिए नहीं बताया...
भानु – हाँ सही किया...कभी कभी मुझे लगता है की हमारे बीच भाई बहन वाली कोई बात रह ही नहीं गयी है. तूने मुझे हर हाल में देख लिया. मैंने भी तुझे हर हालत में देखा है.
रानी – तूने मुझे कब देख लिया?
भानु – नहीं. देखा नहीं है.लेकिन सुना बहुत बार है...तुझे याद है तेरा वो सीनियर था न वो हरयाणवी जाट,,,,उसके साथ तो तेरा शोर इतना ज्यादा होता था की कई बार तो मैं तकिये की नीचे कान दबाने के सोने की कोशिश करता था फिर भी तेरी चीखें आती थी मेरे रूम तक....
रानी – ओ बाप रे....सच में ?


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sexi munda
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Re: मौका है चुदाई का

Post by sexi munda »


भानु – हाँ...मैं क्या पुरे पड़ोस वाले भी सुनते होंगे तेरी चीखों को तो..इतना जोर जोर से चीखता है क्या कोई?
रानी – तो मुझे मना करना चाहिए था न.कोई क्या सोचेगा मेरे बारे में?
भानु – मैंने क्या कह के मना करता ? मुझे भी लगा की तुझे बेकार में परेशानी होगी इसलिए नहीं कुछ कहा...
रानी – हाँ ठीक किया. लेकिन फिर भी लोग क्या सोचते होंगे? उन्हें तो यही पता था की फ्लैट में सिर्फ हम दोनों रहते हैं. तो उन्हें तो यह लगता होगा की वो चीखें हमारी हैं?
भानु – यह बात मुझे भी कई बार फील हुई की कहीं लोग ऐसा न सोचते हों...फिर मुझे लगा की अगर सोचते भी होंगे तो क्या करना हमें..दुनिया का दिमाग है. जो चाहे सोचे.हम किस किस को समझाते फिरेंगे की क्या बात है और क्या बात नहीं है...
रानी – लेकिन यार सच में सोचने वाली बात है......मुझे तो उन दिनों कभी इस बात का ख्याल ही नहीं आया...अब क्या करें?
भानु- अरे करना क्या है?अब तो हम यहाँ रहने वाले हैं. वहां के लोग हमारे बारे में क्या सोचते थे इस बात का क्या ख्याल करना...जाने दे.यह सब सोच के टेंसन न ले.....
रानी – हाँ यह भी ठीक है.......और तू सुना क्या प्लान है तेरा.....
भानु – किस बारे में?
रानी – अरे अब तक तो तूने अपना अगला शिकार खोज लिया होगा....बता तो दे की किसका नंबर लगने वाला है?
भानु – नहीं यार. अभी तो कोई नहीं खोजा...लेकिन तूने एक बात नोटिस की घर में..
रानी – कौन सी बात? बता?
भानु – घर इतना बड़ा है फिर भी इतना साफ सुथरा है लेकिन हमारे सामने घर का कोई भी स्टाफ अन्दर काम नहीं करता है. सब बस बहार के काम करते हैं...कुछ समझ नहीं आया की माजरा क्या है...
रानी – हर जगह तुझे कुछ काला ही दीखता है. माँ का मैनेजमेंट है.वो करवाती होंगी सबसे काम....लेकिन तू यह भी तो देख की घर कितना अच्छे से मेन्टेन किया हुआ हैं उन्होंने....
भानु – हाँ बात तो सही है. घर भी मेन्टेन है और खुद वो भी कितनी फिट हैं. मैं तो सोच रहा था की काकी कितनी फिट हैं याद..उनकी उम्र किनती होगी?
रानी – मेरे ख्याल से तो ६० की होंगी..क्यों?
भानु – यार तूने कहा देखा है किसी ६० साल की औरत को इतना फिट?
रानी – तू उनकी फिटनेस को देख रहा है? कमीने.
भानु – नहीं यार. मैं तो ऐसे ही कह रहा था....तू तो बेकार में नाराज हो रह है...
रानी – नाराज नहीं हो रही. बस तेरी टांग खीच रही थी...कह तो तू सच रहा है...दोनों औरतें हमारे घर की बहुत फिट हैं..यह तो दोनों मुझे भी मात दे देंगी फिटनेस के मामले में.....ओये यार कुछ कर न यार...ऐसे तो हम बोर हो जायेंगे.
भानु – तुझे कब से इतनी खुजली होने लगी?
रानी – क्यों मुझे क्यों न हो?
भानु – नहीं. पहले कभी इतना बेचैन देखा नहीं तुझे. तू तो हमेशा ही कण्ट्रोल में रहती है...
रानी – यार वहां इतने सरे आप्शन रहते हैं की उन्हें तद्पाने में मजा आता है..यहाँ तो कोई साला मुझे देखने वाला भी नहीं है..किसका कण्ट्रोल ख़राब कर के अपना कण्ट्रोल बनाये रखूं......कोई तो चाहिए न...
भानु – भगवन का शुक्र है...
रानी – मतलब?

भानु – मैं तो समझता था की तू इस सबसे बाहर हो गयी है और अब तुझे सेक्स वेक्स में कोई इंटरेस्ट नहीं है और तू साधू बन्ने वाली है.......अब जान के सांस आई की तू भी कम नहीं है. बस लोगों को जला जला के मजे लेती है...
रानी – हाँ तो तेरे जैसा हिसाब नहीं है मेरा की जहाँ भी मौका मिले वही मुंह मार दो......मैं तो खूब टाइम लगाती हूँ.....खैर..मुझे यह तो पता है की तुन्ने किसी न किसी को तो चुन ही लिया होगा...तू इतने दिन बिना प्लान बनाये रह ही नहीं सकता...
भानु – हा हा हा हा..मजाक बना रही है मेरा? मैं क्या वहशी हूँ?
रानी – इस मामले में तो तू है.....भूल गया इसके लिए क्या क्या पापड़ बेले हैं तूने और फिर तुझे बचाने के लिए क्या क्या पापड बेले हैं मैंने......चल अब बता भी दे..किसपे निशाना लगाने वाला है तू....
भानु – हाँ हाँ सब याद है.और सच में अभी तक किसी का नंबर नहीं लगाया है मैंने लेकिन कल से शुरू करने वाला हूँ...
रानी – क्या शुरू करने वाला है?
भानु – घर में हर जगह कैमरा लगा हुआ है..मैंने सर्वर खोज लिया है उसका और उसे अपने लैपटॉप से जोड़ लिया है..कल से घर की निगरानी करूँगा....घर की नौकरानियों पर नजर रखूँगा कल से...
रानी – हा हा हा हा मुझे पता था की तूने कुछ न कुछ तो इन्तेजाम कर ही लिया होगा अपने लिए.....चल कुछ अच्चा मिले तो मुझे भी दिखाना.....अब चलो नीचे....तू भी सो जा और मैं भी सो जाती हूँ....

दोनों उतर के नीचे आ गए...इस दौरान रानी के मन में एक बात चल रही थी..वो सोच रही थी की कहूँ या न कहूँ..और उसकी इस कह्मोशी को भानु ने
भानु – क्या बात है? कुछ कहना है?
रानी – हाँ..नहीं कुछ नहीं..
भानु – अरे बोल न क्या हुआ?
रानी – कोई मूवी है क्या?
भानु – मेरे टाइप वाली मूवी????
रानी – (हिचकते हुए) हाँ...
भानु – तो तू इतना सोच क्यों रही थी इसके लिए??? शर्म आ रही है??? ( भानु अब रानी के मजे ले रहा था.)
रानी –मत दे. रहने दे. नहीं चाहिए.
भानु – अरे अरे अरे...तू तो सच में शर्मा गयी..यार क्या हुआ तुझे??? हमारे बीच यह शर्म अच्छी नहीं लगती.चल कमरे में.देता हूँ. बहुत हैं मेरे पास....( वो रानी को हाथ से पकड़ के अपने कमरे में ले गया और रानी के मन में यह बात चल रही थी की शायद उसे भानु से मूवी के लिए नहीं कहना चाहिए था....)
भानु – आज तुझे भी जरुरत आ गयी न.मुझे तो बड़ा कहती थी की यह सब बेकार चीज है. उसमे असली मजा नहीं है.आज देखना यही नकली चीजें असली का मजा देंगी....
रानी – रहने दे मुझे नहीं देखनी.
भानु – ऐसे नखरे तो मत कर जैसे पहले कभी तूने देखि नहीं हो ये मूवी.....ओके मैं नहीं लेता और मजे तेरे...तू ये मेरा लैपटॉप ही ले जा...जो मन करे देख लेना..इस वाले फोल्डर में रखा है सब कुछ....
रानी उसके रूम से लैपटॉप ले के आ गयी....क्या करती उसे भी जोर की खुजली मची हुई थी............

दूसरी तरफ

कमरे का दरवाजा खोल के काकी अन्दर आई....सोम और नीलू अन्दर पहले ही नंगे बैठे हुए थे बिस्टर पर...
काकी - एक राउंड हो गया क्या??
सोम - नहीं .नीलू कह रही थी की काकी आ जाएँ फिर शुरू करते हैं. बड़ी देर कर दी आने में?
काकी - हाँ बच्चों के कमरे की लाइट चालू थी. अभी थोड़ी देर पहले बंद हुई है.
सोम - क्या कर रहे थे इतनी देर तक दोनों?
काकी - पता नहीं. कुछ देर दोनों छत पर थे.फिर वहां से आये तो दोनों भानु के रूम में थे और उसके बाद अपने अपने रूम में गए.
नीलू - और तुम उन पर नजर रख रही थी?
काकी - हाँ और क्या...मैं भी वेट कर रही थी की कब इनकी लाइट बंद हो और मैं आ जाती यहाँ...इसीलिए तो लेट हो गयी. लेकिन तुम लोग इतना लापरवाह मत रहा करो अब.
सोम - क्यों हमने क्या कर दिया अब?
काकी- अरे दोनों कमरे में नंगे और कमरा अन्दर से बंद भी नहीं किया है. अभी अगर उनमे से कोई आ जाता तो क्या देखता और क्या सोचता?
नीलू - देखता की हम नंगे हैं और सोचता की हम बड़े चुदासे हैं.....हा हा हा हा हा...
काकी- हंस ले तू....जिस दिन सच में ऐसा होगा उस दिन गांड फट जाएगी...
सोम - हाँ काकी. मैं इसे कह रहा था की दरवाजा बंद कर लेते हैं.
काकी - भोसड़ी के इसे ये कह की अब ऐसे नंगा नंगी रहना ठीक नहीं.
सोम - वो तो नहीं हो सकता. और फिर बच्चे भी इतने बड़े तो हो गए हैं की उन्हें पता है की आदमी और औरत रात में ऐसे ही रहते हैं.....
काकी - बड़ी मस्ती में हो दोनों...ठीक है. मुझे क्या. मैं तो समझा के थक गयी. तुम लोग कुछ सुनते ही नहीं तो फिर मैं क्यों परेशां रहूँ...
सोम - नहीं काकी. ऐसा नहीं है. हम भी बहुत चिंता करते हैं की कोई गड़बड़ न हो. देखो न जब से यह लोग आये हैं मैं ऑफिस से सीधे शाम को ही आता हूँ. नहीं तो पहले थोड़ी थोड़ी देर में आ जाता था ऑफिस से चुदाई करने को....
नीलू - - हाँ काकी. और मैं भी तो घर में सलीके से रहती हूँ..अब रात में तो नहीं सबर होता न.इसलिए रात में थोडा रंडी पन तो किया जा सकता है न.
काकी -अच्चा बाबा तुम जीते मैं हारी. मैं तो बस इसलिए कह रही थी की हमारी इतने समय की मेहनत से यह सब सेट हुआ है तो कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये.
सोम - कुछ नहीं होगा काकी. तुम बेकार में इतना ज्यादा परेशान न रहा करो. हमें भी अच्चा नहीं लगता तुम्हें इतना परेशान देखना.
काकी - अच्चा? तो क्या देखना अच्चा लगता है?
सोम- मुझे तो तुम्हारी भोस में नीलू का मुंह देखना अच्चा लगता है और तुम्हारे मुंह में अपना लौड़ा देखना अच्चा लगता है...
काकी - लेकिन मुझे तो नीलू की भोस में तेरा लौड़ा और अपने मुंह में तेरी आंड देखना अच्चा लगता है.
नीलू - और मुझे तुम दोनों को इस तरह की चुदासी बातें करते देखना अच्चा लगता है....

अब तीनो के लिए और वेट करना मुश्किल था...अब तक काकी की सारी भी खुल चुकी थी और वो भी उन दोनों की ही तरह एकदम नंगी हो गयी थी......काकी का बदन अब भी काफी टाइट था..इतनी उम्र के बाद भी इतना टाइट बदन होना अपने आप में बड़े कमाल की बात थी.....नीलू सोम और काकी अक्सर साथ साथ चुदाई करते थे....लेकिन काकी सिर्फ रात में ही चुदती थी. दिन के समय में वो बस थोडा बहुत चूस लेती थी या चुसवा लेती थी लेकिन चुदाई नहीं करवाती थी....काकी का कहना था की अब इस उम्र में उसे अपनी भोस थोडा सोच समझ के खर्च करनी चाहिए नहीं तो उसकी टाइटनेस अब ख़त्म हुई तो हमेशा के लिए ही वो फटा भोसड़ा बन जाएगी....दिन के समय में अक्सर सोम और नीलू ही चुदाई करते थे...नीलू भी इससे खुश थी क्योंकि कभी कभी उसकी भी यही चाहत होती थी की सिर्फ वो और सोम रहें....वैसे तो सोम और नीलू दूसरों के साथ भी खुल्लम खुल्ला चुदाई करते थे लेकिन आखिरकार मिया बीवी होने से दोनों का एक दुसरे पर कुछ तो हक था ही अकेलेपन में चुदाई करने का........
काकी उठ के बिस्टर पर आ गयी और वो सोम के उपर झुक गयी.,...सोम बिस्टर पर टिक कर बैठा हुआ था....काकी उसके लंड पर झुक गयी और लंड को मुंह में ले लिया.....सोम का लंड पहले से ही तना हुआ था तो उसमे गीलापन बहुत था..काकी वो सारा चाट गयी और उसने साथ ही अपनी कमर पीछे की तरफ से उठा दी...नीलू उठी और अब वो काकी के ठीक पीछे आ गयी और उसने अपने हाथों से काकी की बुर की दोनों फांकों को अलग किया..काकी का भोसड़ा खुल गया था..उसका छेद जो की एकदम पिंक था वो अपना मुंह खोले नीलू की जीभ का वेट कर रहा था...नीलू ने उन फांकों को थोडा और खोला और काकी की भोस पर अपनी जीभ टिका दी.....एक तरफ से नीलू काकी को चूस रही थी और आगे से काकी सोम का लौड़ा पी रही थी....
कुछ ही देर में लंड और चूत एक दुसरे में घुस जाने के लिए तैयार थे.....काकी नीचे आ गयी....पीठ के बल लेट गयी और सोम उसके सामने आ गया..उसने काकी की कमर के नीचे दो तकिया लगा दी और खुद पोजीशन में आ गया....इधेर नीलू उठ ने काकी के चेहरे के दोनों तरफ टांगें कर के कड़ी हो गयी....सोम धीरे धीरे काकी की भोस में अपना लंड डाल रहा था और नीलू धीरे धीरे काकी के मुंह पैर बैठ गयी थी....काकी नीचे से चुद रही थी और नीलू की चूत अब उसके मुंह के ठीक उपर थी तो वो जीभ निकाल के नीचे से नीलू की चूत भी चाट रही थी....नीलू उपर से अपनी कमर को जोर जोर से हिला रही थी और अपनी चूत को काकी के मुंह पर रगड़ रही थी..उधेर सोम ने शुरू से ही तूफानी धक्के देना शुरू केर दिया था....चूत भले ही कितनी भी टाइट हो लेकिन जब ९ इन्च का लंड इतनी तेजी से अन्दर बहार होता है तो हालत बिगड़ ही देता है...यही कारन था की काकी जैसी चुदासी औरत भी बहुत जल्दी ही झड़ने की कगार पर पहुच गयी थी....सोम को अपने लंड पर काकी की टाइट होती चूत का पता चल गया....चूत खुद ही लंड को निचोड़ रही थी...सोम ने जल्दी नहीं की..पहले उसने रफ़्तार धीमी की और फिर लंड को पूरा ही बहार निकल लिया.....नीलू को भी समझ में आ गया था की क्या हो रहा है....यह तीनो इतने सालों से एक साथ चुदाई कर रहे थे की इन्हें अब कुछ कहने की जरुरत नहीं पड़ती थी..बस इशारों इशारों में ही साडी बात हो जाती थी....इसलिए जैसे ही सोम ने लंड बाहर निकला वैसे ही नीलू ने पूरी ताकत से अपनी चूत काकी के मुंह पर घिसनी शुरू कर दी क्योंकि वो जानती थी की लंड बाहर अ अजाने से काकी सोम को गाली देने वाली है...लेकिन उसने कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया.........दोनों की इस मिली भगत ने काकी को बहुत गुस्सा दिला दिया...उसने नीचे से ही अपने मुंह पर रगडती हुई नीलु की चूत को दांतों के बीच दबाया और जोर से काट दिया....नीलू को इसका अंदाजा नहीं था..काकी के ऐसा काटने से नीलू की चीख निकल गयी.......एक जमाना था जब यह तीनो इसी तरह एक दुसरे काट के मार के चिल्ला के पूरी रात चुदाई करते थे लेकिन अब वो समय बदल गया था..इसीलिए जैसे ही नीलू के मुंह से चीख निकली वैसे ही पीछे से सोम ने उसके मुंह पर हाथ रखा और उसे काकी के उपर से धकेल के बिस्तर पर गिरा दिया...काकी भी हडबडा के उठी....तीनो ने एक दुसरे को देखा और इशारों में थोड़ी देर शांत वैसे ही बैठे रहे और ध्यान से सुनते रहे की क्या बाहर कोई हलचल हो रही है....शंका इस बात की थी की कहीं बच्चों ने यह चीख न सुन ली हो और कहीं वो कमरे में न आ जाये.......तीनो उसी स्थिति में बैठे रहे जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो.....और फिर करीब पांच मिनट तक इन्तेजार करने के बाद जब कुछ नहीं हुआ तो तीनो नार्मल हो गए.....काकी ने नीलू को देखा तो नीलू हंस दी....काकी भी थोडा सा हंसी..उसे भी अपनी शरारत खुद ही पसंद आई थी....तीनो फिर शुरू हो गए...लेकिन इस बार तीनो बहुत सावधान थे और बहुत ही सिंपल सेक्स कर रहे थे....


कुछ देर बाद जब चुदाई ख़त्म हुई तो काकी ने अपने कपडे समेटे और सोम के रूम से लगभग भागती हुई अपने कमरे में आ गयी....अब काकी सोने वाली थी और सोम और नीलू भी कुछ देर चुम्मा चाटी करने के बाद सोने वाले थे.........
सोम - आज तो काकी ने मस्त मूव किया न तुम्हारी चूत काटने का.
नीलू- हाँ मजा आ गया...कुछ ज्यादा ही तेज से काट दी...अभी तक दुःख रही है....
सोम - अच्चा सुनो इंदु का बार बार कॉल आ रहा है...क्या करें उसका?
नीलू - हाँ. बाकी लोग भी कॉल कर रहे हैं. करीब दो हफ्ते हो गए उन सब को गोली दे रहे हैं हम लोग. और कितने दिन तक ऐसा चलेगा.
सोम - हाँ. कहीं वो लोग नाराज न हो जाएँ..कुछ तो करना पड़ेगा न...
नीलू - हमने तो सबसे पैसे भी ले लिए हैं. और इस बार अगर नहीं की पार्टी तो अगली बार कोई शामिल नहीं होगा.
सोम - अच्चा खासा धंधा चौपट हो जायेगा. लेकिन बच्चों का क्या करें...
नीलू- एक काम करते हैं. बच्चों से कहते हैं की हमारी बिज़नस ट्रिप है इसलिए हम दो दिन के लिए बहार जा रहे हैं.और फिर हम लोग फार्म हाउस में पार्टी कर लेंगे और बच्चे यहीं रहेंगे.
सोम - और अगर उन दो दिनों में बच्चों ने फार्म हाउस जाने का प्लान बना लिया तो...हम तो वहीँ रहेंगे तो फिर क्या बताएँगे उन्हें?
नीलू - तो फिर काकी को बच्चों के पास छोड़ देंगे वो बच्चों को यहीं पर रोके रखेंगी.
सोम - लेकिन हमने कभी काकी के बिना पार्टी नहीं की है. कैसे मैनेज कर पाएंगे हम लोग. सबा कुछ तो वही मैनेज करती हैं.
नीलू - तो फिर तुम ही कोई आईडिया दो न? हर आईडिया को ख़ारिज मत करो. कुछ सोचो भी. मैं ही अकेले सोच रही हूँ.
सोम - नाराज मत हो यार . मैं भी तो परेशां हूँ.
नीलू - एक काम करते हैं..इस बार पार्टी इंदु के यहाँ कर लेते हैं....लेकिन वो भी ठीक नहीं रहगे. एक बार उसके यहाँ हम करेब तीन चार लोग थे रत की पार्टी में तो उसके पड़ोसियों ने थाणे फोन कर दिया था.पुलिस ने हालत ख़राब कर दी थी हमारी. उसके यहाँ का पड़ोस अच्चा नहीं है.
सोम - हाँ. हमारे यहाँ ही इतनी बड़ी खुली और शांत जगह है.इसीलिए सबको हमारा ही घर पसंद है. हमने कोई रंडी खाना थोड़ी न खोला हुआ है. मैं तो कहता हूँ की एक मीटिंग में इन लोगों को बता देते हैं की हमने अब यह काम बंद कर दिया है.अगर तुम लोग अरेंज करो और हमें भी बुलाओ तो हम आयेंगे जरुर लेकिन अब हम अरेंज नहीं कर पाएंगे. हमारे बच्चे आ गए हैं.
नीलू - हाँ मेरे ख्याल से ये ठीक रहेगा.....कल काकी से भी बात कर लेंगे और फिर इंदु को बुला लेंगे. अगर इंदु समझ गयी तो बाकी के सब लोग भी समझ जायेंगे. और फिर देखो न...बच्चों का भी तो ख्याल रखना है न हमें. हम तो उन्हें ऐसे ट्रीट कर रहे हैं जैसे उनके आने से हमें किनती परेशानी हो रही है.उन्हें अगर ऐसा फील हो गया तो कितना बुरा लगेगा उन्हें....सुनो यही करते हैं. इंदु को समझा देते हैं की हम लोग नहीं कर पाएंगे मेनेज......
सोम - हाँ यही ठीक रहेगा. कम से कम खुले मन से बच्चों के साथ तो रह पाएंगे. नहीं तो यहाँ तो सारा दिन ही चुदास छड़ी रहती है.देखो न हमारी उम्र के बाकी लोग तो अब तक पूजा पाठ में मन लगाने लगते हैं. एक हम ही हैं जो इतने अय्याश हैं....अब यह अय्याशी बंद...अब बस हम तीन आपस में कभी कभी कर लेंगे. बाकी लोगों का आना जाना बंद अब....

दोनों ने सोच तो लिया लेकिन जो सोचा है वही हो जाये ऐसा जिंदगी में कम ही होता है.....


अगले दिन सोम ने इंदु को कॉल किया और कहा की वो और नीलू उसके घर आ रहे हैं कुछ बात करनी है...दोपहर में दोनों इंदु के घर पहुचे...दोनों रस्ते में यह सोच के आये थे की इंदु को सब बात समझा देंगे और कह देंगे की अब वो यह काम नहीं कर सकते.....इंदु के घर पहुचने पर......

इंदु - आईये आईये आप लोग तो ईद का चाँद हो गए हैं...बल्कि वो भी साल में दो तीन बार आ जाता है आप तो उससे भी कम दीखते हैं अब...
नीलू - मजे मत लो यार. हम बहुत सीरियस मूड में हैं.
इंदु - सीरियस मूड में हो तो यहाँ क्यों आये हो? यह तो रंडीबाजी का अड्डा है जी..यहाँ तो अय्याशी होती है.सीरियस मूड नहीं चलता यहाँ...
सोम - इंदु तुम समझ नहीं रही हो. हम सच में बहुत सीरियस हैं...
इंदु - अरे ऐसी भी क्या बात है..मुझे तो लगा की आप लोग मुझे झटका दे रहे हैं...बताओ क्या हुआ...
नीलू - तुम तो जानती ही हो की हमारी अगली पार्टी ड्यू है.....
इंदु - हाँ. उसी का तो वेट है.
नीलू - लेकिन तुम ही सोचो की अब घर में बच्चे भी हैं. ऐसे में हम वो सब कैसे कर सकते हैं जैसा अपनी पार्टीस में होता है...
इंदु - हाँ थोड़ी मुश्किल तो जाएगी लेकिन कुछ मेनेज कर लोना आप लोग...
नीलू- अरे कैसे मेनेज कर लो. घर में जवान बच्चे हैं. क्या वो कुछ समझते नहीं हैं? उनसे क्या कहेंगे? की हमें पार्टी करनी है तुम लोग बाहर चले दो दिन के लिए?
इंदु- हाँ तो उन्हें भी कर लो न शामिल.
सोम - कैसी बात कर रही हो इंदु. उन्हें कैसे शामिल कर लें? पार्टी में तुम सब औरतें नंगी फिरती हो.ऐसी पार्टी में हम अपने बच्चों को कैसे शामिल कर लें. कोई माँ बाप ऐसा कर सकते हैं क्या...
इंदु - मुझे क्या पता. मैं तो इतना जानती हूँ की पूरा ग्रुप पार्टी का वेट कर रहा है.
सोम - उसी के लिए तो तुमसे बात करने आये हैं. तुम सब को बता दो की अब हमारे यहाँ वैसी पार्टी नहीं हो सकती. कोई और मेनेज कर ले अब आगे से.
इंदु- यह तो पॉसिबल नहीं है. किसी के पास इतनी बड़ी जगह नहीं है. और सोम भाईसाब आप कब से इतनी निराशा वाली बात करने लगे. सब औरतें आपका वेट कर रही हैं और आप सबको मना करने की सोच रहे हैं...
सोम - इंदु बात को समझो. हम कैसे कर पाएंगे यह सब अब...
इंदु - सुनो...तुम लोग मेरी बात ध्यान से सुनो.......अगर हमने इसी समय हार मान ली तो फिर कभी हम अपनी लाइफ एन्जॉय नहीं कर पाएंगे..जरा सोचो इस उम्र में आ के वैसे भी हमरे पास कितने कम आप्शन बचे हैं. कोई नया लौंडा तो फंसता नहीं है. सब अपनी उम्र की चूत खोजते हैं. ऐसे में हम सब खुले भोस वाली औरतें कहाँ जाएँगी अपनी चूत मरवाने के लिए? और सोम भाईसाब आपने ही सबकी आदत बिगड़ी है. सबको इतना चोदा है की आपसे चुदना हम सब की जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. अब आप कहते हैं की आप चोदेंगे नहीं...
सोम - अरे मैंने कब कहा की मैं नहीं चोदुंगा....मैं तो खुद तुम सबको अपनी रखैल बना के रखना चाहता हूँ. और रखता भी तो हूँ. लेकिन अब हालत बदल गयी है न.
इंदु- ऐसी सिचुएशन तो आती रहती है. बच्चे हमेशा के लिए यहाँ थोड़ी न रहेंगे. उन्हें भी बड़े शहर की हवा लग गयी है. देखना कुछ समय बाद वो लोग खुद ही बाहर सेटल होने का सोचेंगे. लेकिन अगर आज से हमने यह बंद कर दिया तो ग्रुप बिखर जायेगा और फिर अगर आप लोगों के बच्चे बाहर सेटल हो गए तो फिर यह ग्रुप दोबारा नहीं बनेगा. इसलिए हिम्मत न हार जाओ.....जरा सोचो लॉन्ग टर्म का....और फिर फैसला करो..इतनी जल्दी न करो...
नीलू - यार तुम ठीक कह रही हो लेकिन हमें तो कोई रास्ता नहीं दीखता...तुम्हें कोई आईडिया हो तो बताओ...
इंदु - मैं इतना कर सकती हूँ की पुरे ग्रुप को बता दूँगी की इस बार की पार्टी कुछ दिन बाद होगी और उसके बाद हम अगली पार्टी में थोडा और टाइम ले लेंगे..पहले हम हर हफ्ते पार्टी करते थे. अब ऐसा नहीं करेंगे. अब महीने में एक दो बार ही करेंगे. और अगर एक दो बार भी हो गया न तो ग्रुप बना रहेगा.....और फिर हम ऐसा कर देंगे की पार्टी का चार्ज बढ़ा देंगे...तो उससे इनकम भी ज्यादा होगी और लोग खुद ही हफ्ते के हफ्ते इतनी महंगी पार्टी करने के लिए नहीं कहेंगे. खुद ही वो लोग महीने में एक दो बार के लिए मान जायेंगे...
सोम - मुझे तो नहीं समझ आ रहा....
इंदु- मुझे समझ आ रहा है...मेरी बात मानो..ज्यादा मत सोचो. जो मैं कह रही हूँ उसी पर यह बात रोक दो...आगे का फिर टाइम आने पर सोचेंगे..मैं अपने ग्रुप को कह दूँगी की अगली पार्टी अपनी दस दिन बाद होगी...दस दिन में देखना कोई न कोई रास्ता तो निकल ही आएगा....
सोम - ठीक है. तुम्हारी बात ही मान लेते हैं. चलो नीलू चले अब.
इंदु - नीलो को मैं ड्राप कर दूंगी बाद में. और मैं तो कहती हूँ बहुत दिनों बाद मिले हैं आप भी आ जाईये भाईसाब एक राउंड चुदाई का हो ही जाये.
सोम - नहीं इंदु. अभी तो जाने दो. चुदाई तो फिर कभी कर लेंगे.
इंदु - अच्चा तो लौड़ा ही चुसवा दीजिये.कितने दिन हो गए आपकी मलाई नहीं मिली खाने को. मैं तो तरस गयी आपके हलब्बी लंड की मलाई के लिए.
नीलू - तुझे तो हर समय बस यही दीखता है. अभी इन्हें जाने दे. इन्हें और भी काम हैं. मैं रूकती हूँ तेरे पास लेकिन तू मुझे जल्दी ड्राप कर देना घर.
इंदु - चल ठीक है. भाईसाब के हिस्से का भी आज तुझी से ले लूंगी...

सोम वहां से वापस आ गया. उसे बाहर का भी कुछ काम था और फिर घर जा के काकी को भी बताना था की इंदु से क्या बात हुई...सुबह जब उन दोनों ने काकी को बताया था की वो इंदु से आज यह बात करने वाले हैं तभी काकी ने कह दिया था की इंदु नहीं मानेगी और किसी न किसी बहाने से वो इन दोनों को भी अपनी बात में फंसा लेगी.....बाहर जाते समय सोम यही सोच रहा था की काकी सच ही कह रही थी...इंदु ने खुद तो बात मानी नहीं बल्कि इन दोनों को भी फंसा लिया....जिस समय यह दोनों यहाँ थे उधेर बच्चे घर में जाग गए थे और वो काकी के साथ बैठे हुए थे...कुछ देर बाद भानु तो अपने कमरे में चला गया लेकिन रानी और काकी साथ बैठे रहे...

रानी - काकी यहाँ कुछ करने को ही नहीं है.मैं तो घर में रह रह के बोर हो गयी.
काकी - तो किसने तुझे मना किया है. घर में इतनी गाड़ियाँ हैं. तू कहीं भी चली जाया कर.
रानी - मैं अकेले कहाँ जाउंगी. मैं तो यहाँ का कुछ जानती ही नहीं.
काकी - तो मुझसे पूछ लिया कर न. बता क्या देखना है तुझे मैं बता देती हूँ तो ड्राईवर को साथ ले जाना.
रानी - नहीं. अभी तो कहीं नहीं जाना. मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी. अच्चा काकी तुम क्या करती हो दिन भर घर में.
काकी - मैं क्या करुँगी रे....दिन भर घर का ही इतना काम रहता है. वही सब देखना होता है. उसी में दिन निकल जाता है.
रानी - माँ भी तो घर का ही काम देखती होंगी...इतना क्या काम होता है की तुम दोनों का टाइम उसी में निकला जाता है ?
काकी- तेरी माँ को तो घर के काम में जरा भी मन नहीं लगता. वो कुछ नहीं करती. सब मुझे ही देखना होता है.
रानी - यह तो गलत बात है. इस उम्र में भी तुमको इतना काम करना पड़ता है.
काकी- अरे नहीं. मैं ही उसे मना करती हूँ.यह कोई उसकी उम्र है घर का काम करने की. मैं हूँ न घर का काम देखने के लिए...
रानी - तो और क्या करने की उम्र है माँ की? वो भी तो लगभग ५० की हो गयी होंगी न? इस उम्र में और क्या कर सकता है कोई?
काकी - क्यों नहीं? उसके इतने सरे दोस्त हैं.इतनी सारी सहेलियां हैं. उन सब के साथ आउटिंग पर जाना. पार्टी में जाना. पार्टी करना. शौपिंग करना. यही सब उसके मन का काम है. वो इसी में बिजी रहती है.
रानी - तो तुम भी जाया करो न उनके साथ.
काकी - अच्चा?? मुझे कौन अपने साथ ले के जायेगा. मैं तो बुधिया लगती हूँ..
रानी - नहीं काकी. तुम्हें और माँ को कोई साथ देखे तो यही कहेगा की दोनों सगी बहने हैं. तुम दोनों को देखने में उम्र का ज्यादा फर्क नहीं मालूम पड़ता.
काकी - तू तो बड़ा अच्चा झूट बोल लेती है.
रानी - नहीं काकी. सच में. उस दिन मैं और भानु सोच ही रहे थे की तुम दोनों ने अपना फिगर कितना अच्चा मेन्टेन किया हुआ है.
काकी - चुप कर बदमाश. हमारा फिगर मत देखा कर. तेरी उम्र लड़कों को देखने की है.औरतों को देखने की नहीं.
रानी - हा हा हा हा हा...हाँ हाँ काकी मैं लड़कियों को नहीं देखती. तुम चिंता मत करो.
काकी - अरे तुम इस जमाने के लड़के लड़कियों का कुछ भरोसा नहीं है. तुम लोग तो कुछ भी कर सकते हो. चिंता तो हो ही जाती है.
रानी - अच्चा काकी यह बताओ माँ इतनी पार्टी करती हैं लेकिन हमने तो कभी उन्हें घर में पार्टी करते नहीं देखा...अभी क्या वो लोग पार्टी करने ही गए हैं..
काकी - नहीं. इनकी एक दोस्त है इंदु. उसके यहाँ गए हैं. कुछ बिज़नस की डील करनी है उससे आज.
रानी - मैं तो यह भी नहीं जानती की हमारा घर का बिज़नस क्या है..लेकिन जिस तरह का अपना घर है और जिस तरह से साज सज्जा होती है उससे तो यही लगता है की पापा बहुत बड़े बिज़नस में हैं.
काकी - यह तो तू उसी से पूछना. मुझे भी नहीं पता की सोम क्या बिज़नस करता है..मुझे कहाँ यह सब समझ में आएगा.
रानी - मैं तो पापा से ही पूछ लेती लेकिन उनके पास भी कहाँ टाइम है हमारे लिए...देखो न हमें आये इतने दिन हो गए लकिन वो हमारे साथ कभी ठीक से बैठे भी नहीं.
काकी - ठीक है. मैं आज ही सोम की खबर लेती हूँ.भला बिज़नस भी कभी बच्चों से बड़ा होता है क्या..मैं सोम को कहूँगी की वो टाइम निकल के घर पर ज्यादा रहा करे...
रानी - अच्चा काकी मैं नहाने जाती हूँ...फिर दोपहर के खाने के लिए निचे आउंगी..
काकी - तुम लोग उपर करते क्या रहते हो दिन दिन भर?
रानी - कुछ नहीं काकी बस इन्टरनेट पर कुछ करते रहते हैं. उसी में टाइम पास होता है......

रानी उपर आ गयी...काकी वहीँ बाहर लॉन में बैठी अख़बार पढ़ रही थी लेकिन उसका मन तो इसमें लगा हुआ था की इंदु के यहाँ क्या हुआ है.....उसे सोम के लौटने का वेट था...रानी उपर आई तो उसे भानु की आवाज सुनाई दी..वो उसे अपने कमरे में आने को कह रहा था..रानी एक पल को ठिठक सी गयी...उसे याद आ गया की कल रात को वो भानु का लैपटॉप ले के आई थी और अब भानु जरुर उसके मजे लेगा की कोई पोर्न पसंद आई की नहीं.....वैसे मन तो उसका भी था सेक्स की बात करने का लेकिन वो हमेशा से ही भानु को सेक्स के बारे में ऐसे ज्ञान देती आई थी जैसे वो खुद कितनी बड़ी मस्त है...और ऐसे में अगर वो भी भानु के सामने अपनी चुदास की बात करेगी तो इससे उसकी पूरी इमेज धुल जाएगी....लेकिन फिर भी भानु बुला रहा था तो उसे तो जाना ही था.....वो भानु के कमरे में पहुची तो अन्दर भानु अपने नए सिस्टम पर कुछ काम कर रहा था....


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sexi munda
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Re: मौका है चुदाई का

Post by sexi munda »

रानी - यह कब ले आया तू?? तेरे पास तो पहले से ही लैपटॉप है फिर इसकी क्या जरुरत थी?
भानु - मैंने बताया था न की घर के सब सीसी टीवी कैमरा की फीड मैंने अपने सिस्टम से जोड़ ली है तो उसके लिए लैपटॉप से काम नहीं चलता. इसलिए यह ले आया....अब देखना घर की जितनी भी नौकरानियां हैं न उन सब को मैं यहाँ से बैठे बैठे देखूंगा...
रानी - हाँ पहले देखेगा फिर मौका निकाल के उनकी लेगा और फिर मुझसे कहेगा की यह पेट से है वो पेट से हैं...मैं तो नहीं हेल्प करने वाली तेरी.
भानु - अरे नहीं.मैं कल सोच रहा था की इनके साथ सेक्स नहीं करूँगा. इन्हें तो बस तब तक के लिए रखूँगा जब तक मुझे यहाँ कोई सेटिंग नहीं मिल जाती. बस देख के आँख सकूंगा...
रानी - इतनी अकल अगर पढाई में लगायी होती तो अच्छी नौकरी मिल जाती तुझे.
भानु - नौकरी की क्या जरुरत है? मैं तो यहीं कोई बिज़नस करूँगा और अपने ऑफिस में एक से एक टंच माल को नौकरी दूंगा. उन्हें महीने की सैलरी दूंगा और उसके बदले में उनकी सेवा लूँगा.
रानी - देखना एक दिन तू इतनी जल्दी बुद्धा हो जायेगा की कुछ कर नहीं पायेगा. खुद को इतना खर्च मत कर की बाद के लिए कुछ बचे ही न....
भानु - ऐसा कुछ नहीं होने वाला. मैं तो मरते दम तक जवान रहूँगा..
रानी - हाँ हाँ तू तो सुपरमैन है. चल अब जरा अपना सिस्टम तो दिखा..
भानु - नहीं अभी नहीं...अभी मैं पूरा डाटा लोड कर रहा हूँ...करीब तीन महीने पुरानी तक की फीड्स हैं..वो सब इसमें आ जाएँगी. बहुत डाटा है. शायद आज का पूरा दिन तो इसी में लग जायेगा....तू क्या कर रही है आज?
रानी - कुछ नहीं. अभी तो नहाने जा रही हूँ. फिर आज माँ पापा के साथ कहीं घुमने जाने का प्लान बनूंगी....
भानु - ठीक है. मैं तब तक अपना यह काम निपटा लेता हूँ...

रानी वहां से बाहर आ गयी...वो बड़ी खुश थी की भानु ने उससे कल रात की मूवी के बारे में नहीं पुचा था....और उसका कारण यह था की अभी तो भानु को वो सीसी टीवी के सिवा कुछ दिख नहीं रहा था......शायद यह दोनों ही नहीं जानते थे की अनजाने में इनके हाथ में क्या चीज लग गयी थी और उसके कारण यह दोनों आगे किस किस बात से सामना करने वाले थे इसका भी इन्हें कोई अंदाजा नहीं था....उदर काकी सोम और नीलू तीनो ही यह सोच रहे थे की वो हर बात में बहुत सावधान हो गए हैं लेकिन उन्हें यह जरा भी याद नहीं रह गया था की घर में कमरों के अन्दर छोड़कर बाकी हर जगह पर सीसी टीवी कैमरा लगे हुए हैं.....सब अपनी तरफ से नार्मल लाइफ जी रहे थे लेकिन इनकी यह नार्मल लाइफ इन्हें किस तरह एब्नार्मल टाइम दिखाने वाली थी इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं था.....

सोम घर वापस आ गया था.....काकी उसी का वेट कर रही थी...उसे आते देख काकी ने अख़बार को एक किनारे रख दिया और उसे अपने पास बैठने को कहा...सोम सामने रखी कुर्सी पर आ के बैठ गया...काकी की नजर में हजारों सवाल एक साथ आ गए.....

सोम- मुझे पता था तुम यहीं बाहर मिलोगी सुधा.
काकी - तू मुझे जब नाम ले के बुलाता है तो कितना प्यारा लगता है. कितने दिनों बाद मुझे नाम ले के पुकारा है तूने.
सोम - हाँ जब नीलु नहीं होती तभी तो तुझे नाम ले के बुला सकता हूँ न सुधा....उस पगली को कितना बुरा लगता है जब उसके सामने तुझे नाम ले के बुलाता हूँ...
काकी - इसमें उसका क्या दोष रे....उसकी जगह मैं होती तो मुझे भी नहीं अच्चा लगता....और फिर मैं तुझसे उम्र में भी तो बड़ी हूँ न...
सोम - उम्र का इसमें क्या काम है? तू मेरी पहली पत्नी है...नीलू तो मेरी दूसरी पत्नी है.....
काकी - नीलू तेरी दूसरी नहीं तीसरी पत्नी है. अपनी दूसरी पत्नी को तो तू भूल ही गया.
सोम - उस छिनाल कुतिया को मैं याद भी नहीं करना चाहता. मेरे लिए तो सबसे पहले मेरी सुधा थी और फिर नीलू थी..बीच में कोई नहीं .
काकी - हाँ हाँ पता है मुझे...एक तरफ मैं एक तरफ नीलू और बीच में तू......
सोम - चल न अन्दर एक राउंड हो जाये. कितने दिनों बाद आज नीलू नहीं है तो हमें अकेले में मौका मिला है.
काकी - और बच्चों का क्या??? वो तो हैं न घर में.....चल तो यह बात छोड़....सब कुछ सही हुआ तो ऐसे हजार मौके हमें मिलेंगे आगे...पहले यह बता की इंदु से क्या बात हुई...
सोम - वही बात हुई जिसका तुझे अंदेशा था..उसने हमें फंसा लिया अपनी बातों में...हमने लाख कोशिश की लेकिन निकल नहीं पाए उसके जाल से. वो बहुत हरामिन है.
काकी - मुझे पता था यही होने वाला है.वो बहुत बड़ी रंडी है और उसने तुम दोनों को उलझा लिया होगा. क्या बोली वो?
सोम - कहने लगी की ऐसे हिम्मत मत हारो. जवानी बीत जाएगी तो फिर किसे चोदोगे और पता नहीं किसी को चोदने लायक रहोगे भी या नहीं तो अभी से हार मत मानो. कुछ न कुछ रास्ता खोजो.
काकी - और तुम लोग उसकी बातों में आ गए?
सोम - क्या करूँ सुधा,...मुझे तो कुछ समझ नहीं आया..मेरे लिए तो यह ख्याल ही सबसे भारी है की चुदाई बंद करनी पड़ेगी.
काकी - अरे पागल तुझे हम दोनों से पेट नहीं भरता क्या? हमने कब तुझे प्यासा रखा है? और जितने चूत तू चोद चुका है एक जनम में उतनी तो कोई बीस जनम में नहीं चोद पता. फिर भी तेरी भूख कम नहीं हुई.
सोम - जनता हूँ सुधा. मुझे हवस के हाथों मजबूर नहीं होना चाहिए था. लेकिन क्या करूँ..बस नहीं चलता...
काकी - तो अब क्या सोचा है?
सोम - इंदु ने कहा है की वो बात कर लेगी सबसे की अगली पार्टी दस दिन बाद होगी. हमारे पास दस दिन हैं कुछ मेनेज करने के लिए.
काकी - दस दिन में क्या होगा? और बात एक पार्टी की नहीं है.....अब बच्चे हमेशा हमारे साथ रहेंगे. आज एक पार्टी कर ली हमने तो आगे भी सब हमें ही करना पड़ेगा. कब तक इसी चक्कर में पड़े रहेंगे?
सोम - मेरी और नीलू की भी यही बात हुई थी...लेकिन फिर भी हम इंदु को मना नहीं पाए...खैर..अब इस पार्टी से तो निपट ही लेते हैं...बाद में देखेंगे की आगे क्या करना है..बच्चे कहाँ हैं?
काकी - अपने अपने कमरे में हैं....आज रानी तुम लोगों के बिज़नस के बारे में पूछ रही थी. मुझे कुछ समझ नहीं आया की उसे क्या बताऊँ....ऐसे तो उन दोनों को शक पड़ने लगेगा ....
सोम - मैं आज उसे कुछ समझा दूंगा...तू चिंता मत कर...अब चल न अन्दर...
काकी - नहीं. तू बहुत कमजोर हो गया है. जरा जरा सी बात में तेरी लार टपकने लगती है. मैंने तुझे इतना कुछ सिखाया इतना कुछ दिया लेकिन तू है की कमजोर बन जाता है. उस बहेनचोद इंदु को वहीँ दो थप्पड़ रसीद करता तो उसकी अकाल ठिकाने आ जाती...याद रख औरत जब तक मर्द के नीचे रहती है तब तक ही काबू में रहती है.....और जो औरत रोज रात को अपना मर्द बदलती हो उसकी न दोस्ती अच्छी न दुश्मनी....तुम लोगों को इस इंदु का कुछ करना पड़ेगा...
सोम - हाँ....तुम ही देखो इसे. मैं तो इससे हार गया...अब जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा......अब जाने दो यह सब और कुछ खाने को दो बहुत भूख लगी है...

वो दोनों उठ के अन्दर आ गए.....उधर दूसरी तरफ इंदु के घर में इंदु और नीलू के बीच.........

इंदु - हाँ तो अब बता क्या चल रहा है...
नीलू - क्या चल रहा है? कुछ भी तो नहीं चल रहा...
इंदु - चल साली...मुझे न पढ़ा. सब सच सच बता...कैसे चोदा भाईसाब ने कल तुझे...
नीलू - नहीं रे. अब सच में हम वो सब नहीं करते. अब तो बस दो तिन दिन में एक बार रात में हो जाता है बस. बाकि वो पहले जैसा घर में नंगे घूमना तो अब बंद कर दिया हमने....
इंदु - और वो भाईसाब की रखैल सुधा..उसका क्या हाल है?
नीलू - वो भी अब ऐसे ही रहती है.और तू कभी भूल के भी उसे इनके सामने रखैल न कह देना नहीं तो तेरी गांड में डंडा घुसेड देंगे वो.
इंदु - यार मेरी समझ में नहीं अत....भाईसाब के पास चोदने के लिए तू है मैं हूँ और न जाने कितनी जवान चूतें हैं तो फिर वो उस बुधिया की चूत में क्यों घुसना चाहते हैं....और यह काकी का रिश्ता क्या है?? काकी मतलब तो चाची होता है न..तो क्या वो भाईसाब की चाची है???
नीलू - नहीं नहीं. काकी तो उसे बस ऐसे ही कहते हैं. वैसे तो मैं भी नहीं जानती की काकी कहाँ की है कब से है इनके साथ..मैंने तो जब से जाना तब से काकी को इनका लंड चुसते ही देखा है.....
इंदु - तूने इन लोगों को कैसे स्वीकार कर लिया...कोई औरत अपने पति को किसी और के साथ कैसे शेयर कर सकती है?
नीलू - अरे जाने दे न यह सब बातें...तू सुना क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - तू कभी काकी के बारे में मुझसे खुल कर बात नहीं करती. मुझे कितना कुछ पूछना है उसके बारे में. वो मुझे कुछ अलग सी लगती है...
नीलू - हां जानती हूँ तुझे बहुत कुछ पूछना है. लेकिन अभी नहीं. फिर कभी...चल अब बता भी दे की क्या चल रहा है तेरा...
इंदु - मेरा क्या चलेगा? दो दिन से तो पीरियड चल रहे हैं तो कोई चुदाई नहीं हुई....
नीलू - क्यों पीरियड गांड में भी चल रहे हैं क्या?? तू तो गांड में ले लेती है न उन दिनों में..
इंदु - हाँ लेकिन इस समय जो मेरा यार है वो गांड पसंद नहीं करता.मुझे लगा की दो तीन दिन की बात है तो नया माल खोजने से अच्चा है की वेट ही कर लो...बस कल का दिन और..परसों से फिर से मेरी भोस चुदाई का मैदान बन जाएगी...
नीलू - अच्चा यह बता की पहले तो तू सोम को नाम से ही बुलाती थी...लेकिन कुछ दिनों से देख रही हूँ की भाईसाब कह रही है..क्या बात है.? यह इतना भाईचारा क्यों बढ़ रहा है???
इंदु- नहीं तो. ऐसा तो कुछ नहीं है..
नीलू - है. बिलकुल है. तू बार बार भाईसाब कहती है और फिर चुदाई की खुल्ली बात करती है......भाई बना के चुदना चाहती है????
इंदु - हा हा हा हा हा....क्या करूँ यार कुछ नयापन तो होना चाहिए न...सोचा की इतने सरे लंड खा चुकी हूँ तो अब किसी को मुंहबोला भाई बना के उसके मुंह में अपनी भोस दे दूं....इसका भी तो स्वाद है....
नीलू - तू तो उम्र के साथ और भी ज्यादा पागल होती जा रही है. भाई बहन चुदाई के लिए नहीं होते......तू सोम को सोम ही बोला कर...
इंदु - नहीं. सोम मेरे भाई और तू मेरी भाभी...और मैं तेरी ननद....
नीलू - हे भगवन क्या दिमाग है तेरा..कहाँ कहाँ तक सोच लेती है...अब भाई बहन बन के चुदने में क्या मजा मिलेगा तुझे???
इंदु - ये तू क्या जाने...कभी तूने ट्राई नहीं किया न...सुन आज रत में जब वो तुझे पेलेंगे तो उन्हें भैया बोल के देखना...बहुत मजा आएगा......
नीलु- चुप कर कमीनी...तेरी तो कोई सीमा ही नहीं है...अच्चा तू कुछ लायी था मेरे लिए...दे न...
इंदु - हाँ. वही देने के लिए तो रोका हुआ था तुझे...आ जरा बेडरूम में चल....

और दोनों बेडरूम में चली गयीं......

इंदु ने बेडरूम में आके दरवाजा बंद किया और फिर अपनी अलमारी से दो पैकेट निकाले....वो दोनों ही पैकेट्स गिफ्ट के थे. उसने कहा की इन्हें यहाँ मत खोलना. घर जा के देखना. मुझे पक्का पता है तुझे बहुत पसंद आएगा.एक तेरे लिए है और एक तेरी काकी के लिए....इंदु का मन तो था की इसके बाद वो और नीलू कुछ करेंगे लेकिन नीलू ने कहा की उसे बहुत देर हो गयी है...वो बाद में आएगी......इंदु ने ज्यादा जिद नहीं की और अपने ड्राईवर को कह दिया को नीलू को घर ड्राप कर देगा...नीलू घर वापस आ गयी....घर आ के नीलू जैसे ही अपने कमरे में जाने वाली थी की पीछे से रानी ने आवाज लगा दी...

रानी - मम्मी आप कहाँ थी सुबह से...
नीलू - बस अपनी एक दोस्त के यहाँ गयी थी.
रानी - इंदु आंटी के यहाँ?
नीलू - हां बेटा. तुझे कैसे पता.
रानी - काकी ने बताया था. मम्मी आप लोगों के पास हमारे लिए टाइम है की नहीं?
नीलू - ऐसा क्यों कह रही हो?
रानी - कब से हम लोग आये हैं लेकिन आप लोग हमें कहीं घुमाने नहीं ले गए. हमने अभी तक अपना फार्म हाउस भी नहीं देखा. आप लोग तो बहुत बिजी हैं.
नीलू - नहीं ऐसा तो नहीं है. बस पहले के कुछ कमिटमेंट थे वो ही पुरे कर रहे हैं और उसके बाद तो पूरा दिन तुम लोगों के साथ ही रहेंगे.
रानी - यह आपके हाथ में क्या है?
एकदम से सकपका गयी नीलू. अब क्या कहेगी? उसे तो ख्याल ही नहीं रहा था की छुपा के अन्दर लाती. वो तो अच्चा हुआ की दोनों डब्बे गिफ्ट पेपर में बंद थे तो बाहर से देख के अंदाज नहीं लगता.
नीलू - यह तो इंदु के गिफ्ट हैं.
रानी - अरे वाह अप को गिफ्ट दिया उन्होंने...खोलो न मुझे भी दिखाओ क्या है इसमें...
अब तो नीलू और भी घबरा गयी की अगर खोल दिया तो पता नहीं अन्दर से क्या निकलेगा. इतना तो पक्का था की कुछ चुदाई का सामान ही होगा. अब क्या करे नीलू..उसने कुछ देर डब्बे को उल्टा पलता के कहा की.
नीलू - नहीं नहीं दिया नहीं है. बल्कि मैं लायी हूँ इंदु को देने के लिए....
रानी - ओके. क्या लायी हो? और दो दो पैकेट क्यों हैं? और किसी को भी देना है क्या?
अब तो नीलू को डर भी लग रहा था और उसे खीझ भी हो रही थी की यह रानी इतने सवाल क्यों पुच रही है. और वहीँ रानी को भी कुछ अजीब लग रहा था की गिफ्ट की बात पर उसकी माँ इतनी हैरत में क्यों है...
नीलू - नहीं दोनों ही उसी के लिए हैं. मैं एक लेने गयी थी लेकिन दो अच्छे लग गए तो दो ले लिए. इंदु हमारी बहुत ख़ास दोस्त है न. तो उसके लिए ऐसे ही गिफ्ट लेते रहते हैं.
रानी - वाह. क्या लिया है बताओ न? यहाँ कोई अच्छी गिफ्ट शॉप है क्या? कैसे आइटम मिलते हैं यहाँ?
अब तो नीलू को गुस्सा आने लगा था...उसने तुरंत बात को ख़त्म करना ही ठीक समझा...
नीलू - बेटा हम बाद में बात करते हैं. मैं सुबह से नहाई नहीं हूँ. देखो न इतनी देर हो गयी. अभी तुम अपना काम करो मैं नाहा के आती हूँ फिर बैठते हैं हम लोग....

नीलू वहां से लगभग भागती हुई अपने कमरे में आ गयी...आज तो वो फंस ही गयी थी..आज उसे एहसास हुआ की काकी इतने दिनों से उन्हें क्या समझा रही थी की ऐसी लापरवाही मत किया करो. अब तो उसे भी लगने लगा की हर कदम पद चौकन्ना रहने की जरुरत है....सोम अपने कंप्यूटर पर बैठा कुछ कर रहा था....नीलू ने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया तो उसने उसे देखा..
सोम - क्या हुआ? ऐसी हैरत में क्यों दिख रही हो?
पूरी बात बताई उसने सोम को की अभी बाहर वो कैसे रानी के जवाब देने में घबरा गयी थी...और फिर उसने वो गिफ्ट के डब्बे दिखाए सोम को.
सोम - पहले दरवाजा ठीक से बंद करो....
नीलू - तुम खोलो इसे.
दोनों डब्बे सोम ने उसे हाथ से ले लिए और लगभग एक साथ ही दोनों डब्बों को खोल लिया...
डब्बे के अन्दर से यह निकला...

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Re: मौका है चुदाई का

Post by sexi munda »

सोम - ओ मादरचोद यह क्या है?
नीलू - इसे स्ट्रेपओन कहते हैं . अब तो तुम गए काम से.
सोम - क्यों???
नीलू - यह औरतों के लिए लंड का काम करता है. देखो यह पेंटी में फिट है. इसे पहन के मैं भी लंड वाली बन जाउंगी और फिर तुम्हें चोदूंगी अपने इस लंड से.
सोम - अभी बाहर रानी के सामने गांड फट रही थी तुम्हारी और अब फिर चोदा चादी की बात शुरू केर दी.
नीलू -सॉरी सॉरी. लेकिन यह देखो न कितना बढ़िया गिफ्ट दिया है जब तुम नहीं रहोगे तब मैं काकी एक दुसरे को चोद लेंगे. मैं तो कब से कह रही थी की डिलडो ला दो डिलडो ला दो लेकिन तुमने नहीं सुना. अब देखो मेरी कितनी अच्छी सहेली है. इंदु कितनी अच्छी है. कितना बढ़िया गिफ्ट ला के दिया मुझे.
सोम - तुम तो ऐसे पागल हो रही हो जैसे की बच्ची को पहली बार कुछ मिला है. इतना न उछलो
नीलू - हाँ हाँ तुम न उछलो. कहीं ऐसा न हो की तुम्हारी गांड में घुस जाये मेरा लंड...हा हा हा हा अब तो मेरे पास भी लंड है...मैं भी तुमको चोदूंगी. तुम कहोगे अब बस अब दुःख रही है मेरी गांड और मैं एक नहीं सुनूंगी मैं तो तुम्हें दिन रत रगड़ रगड़ के चोदूंगी. इतना चोदूंगी की तुम एक नंबर की रांड बन जाओगे....
वैसे तो नीलू दो बच्चों की माँ है लेकिन वो अभी भी बहुत बचपना करती है और अभी यह गिफ्ट देख के उसका वही रूप बाहर आ रहा था...सोम को वैसे तो नीलू का बचपना करना हमेशा ही अच्छा लगता था लेकिन आज उसे थोड़ी खुन्नस हो रही थी क्योंकि अब तो सच में उसकी गांड को खतरा हो गया था....लेकिन नीलू को कोई फिक्र ही नहीं थी...वो कभी उस पेंटी को कपड़ों के उपर से ही अपने चूत पर रखती और कमर ऐसे हिलाती जैसे सच में सोम को चोद रही है...कभी वो और कुछ भौंडे इशारे करती सोम को देख के...सोम यह सब देख देख चिढ रहा था...उसे अभी थोड़ी देर पहले काकी से हुई अपनी बात याद आ रही थी..और तभी उसे आईडिया आया की नीलू के इस बचपने से उसे काकी ही बचा सकती है....उसने तुरंत ही काकी वो आवाज लगा दी.....काकी उस समय अपने कमरे में थी और सोम की आवाज सुन के ही उसकी समझ में आ गया की कुछ गड़बड़ है....वो तुरंत अपने हाथ का काम बंद कर के उसके कमरे में आ गयी....अन्दर आ के उसने देखा की नीलू और सोम दोनों बिस्टर पर हैं....सोम तो चुपचाप लेता हुआ है लेकिन नीलू हाथ में कुछ काले कपडे जैसा लिए हवा को चोद रही है..काकी को कुछ समझ नहीं आया,...उसने अन्दर आ के दरवाजा बंद किया और सोम को इशारा किया की यह क्या हो रहा है...
सोम - देखो न इसको. समझो कुछ. कितनी बार कहा है जरा ठीक से रहो लेकिन इसका बचपना नहीं ख़त्म होता.
काकी - क्यों री?? क्या कर रही है और यह हाथ में क्या है???
नीलू - काकी यह है मेरा लंड और वो डब्बे में एक लंड तुम्हारे लिए भी रखा है. तुम भी ले लो. फिर हम अपना अपना लंड पहन के सोम को छोड़ेंगे. अभी तक हम सोम की रंडियां थे अब सोम हमारी रंडी बनेगा. मैं तो बहुत खुश हूँ..देखो न काकी तुम्हारे लिए भी है उस डिब्बे में.
दुसरे डिब्बे को अपने हाथ में ले के काकी ने जब उसमे रखा सामान बहार निकला तो उसे भी वही मिला.....लेकिन काकी इन दोनों से ज्यादा समझदार तो वो एक पल में ही समझ गयी की यह क्या चीज है...


काकी - क्या है यह?
नीलू - काकी ये आज के जमाने का लंड है. हम औरतों के लिए है. इसे पेंटी जैसा पहन लो. फिर हमारे पास भी लंड हो जायेगा,.मैं पिक्चर में खूब देखा है. इसे डिलडो कहते हैं. तुम्हारे जमाने में नहीं होता था ये. ये आजकल की चीज है. पर तुम्हें भी बहुत मजा आएगा. और जब सोम बाहर जायेगा तब भी हम इसे पहन लेंगे और एक दूसरी की चुदाई करेंगे. यह हमें इंदु ने दिया है. उसके पास तो ऐसे बहुत सारे हैं.उसने हमारे लिए मंगवाया है यह. कितनी अच्छी है न इंदु. बोलो न काकी....तुम्हें अच्चा लगा न...चलो न पहन के दिखाओ की कैसा लग रहा है...
काकी - तू सांस भी ले ले नहीं तो बोल बोल के मर जाएगी और पहले तो ऐसे उछलना बंद कर. और अपनी आवाज जरा धीमी कर और चुप हो के बैठ जा.
ये सुन के नीलू सच में शांत हो गयी. काकी के सामने वो हमेशा ही दब के रहती थी....काकी ने उस डब्बे को पूरा खोला और फिर उसे हाथ में ले के सोम की तरफ देख के कहा....
काकी - तू एकदम लौड़े का बाल ही रहेगा जिंदगी भर. चूतिये साले मैंने तुझे कुछ सिखाया है की नहीं...तुझे समझ में नहीं आया की ये क्या है???
सोम - मुझे तो आ गया समझ में लेकिन इसे कौन समझाए? ये तो कुछ सुन ही नहीं रही है. तब से शुरू है की तुझे चोदूंगी मेरा लंड है. इतना तो मैं अपना लंड देख के नहीं पागल हुआ था जितना यह इसे देख के हुई जा रही है.
काकी - तू कब सुधरेगा??? और तू कब बड़ी होगी? जरा सी बात पर बच्चों जैसा फुदकती है...
नीलू - अब क्या कर दिया मैंने???
काकी - ध्यान से देख इसे??
नीलू - देख तो रही हूँ. इसे पेंटी के जैसे पहन लेना है फिर यह लंड बन जायेगा.
काकी - यह काला वाला पॉइंट जिसे तू लंड कह रही है यह पेंटी के अन्दर है बाहर नहीं है. जब तू उसे पहनेगी तो यह बाहर नहीं रहेगा बल्कि तेरी चूत में घुस जाएगा.
नीलू - नहीं काकी. यह लंड जैसा बाहर लटकेगा. मैं पिक्चर में देखा है.
काकी - अच्छा??? अगर ऐसा है तो यह लंड इतना छोटा क्यों है?????
नीलू -वो तो सोम का भी छोटा रहता है फिर तन के बड़ा हो जाता है न वैसे ही यह भी बड़ा हो जायेगा.
काकी - हे भगवन क्या करूँ मैं इसका...यह कब बड़ी होगी...अरे पगली ...ध्यान से देख इसे...यह छोटा सा काला सा जो है यह तेरी चूत में जायेगा और जब तू उसे पहन लेगी तो ऐसा लगेगा जैसे लंड तेरी चूत में फंसा हुआ है. ये तुझे चोदने के लिए है. ताकि तू हमेशा अपनी चूत में चुदाई का एहसास फील कर पाए. इससे तू किसी को चोद नहीं सकती..
नीलू - क्या????
काकी - हाँ. और यह इसके साथ में रिमोट है.इसे पहन के तू जब इस रिमोट को चालू करेगी तो तेरी चूत में खुजली करेगा यह. जैसे जब लंड अन्दर बाहर घिस्से खता है न चूत में वैसी फीलिंग देगा ये. ये उन औरतों के लिए है जो हर समय चुदना चाहती हैं लेकिन चुद नहीं पाती.
नीलू - तो ये इंदु ने क्यों दिया मुझे???
काकी - वही तो कहती हूँ की तू कब बड़ी होगी...यह इंदु ने तुझ पर ताना मारा है. वो चिढ़ा रही है तुझे. अब तक पुरे ग्रुप में तू ही सबसे ज्यादा चुदासी थी और हमेशा सोम से चुदती थी. लेकिन अब बच्चे आ गए तो तेरी भी चुदाई कम हो गयी इसलिए इंदु ने तुझ पर ताना मारा है की अब तू भी बाकी की औरतों की तरह इसी तरह की चीजों से अपनी चूत की प्यास बुझाएगी. यह कोई गिफ्ट नहीं है बल्कि उसने व्यंग मारा है तुझ पर. अब समझ में आया?????

नीलू ये बात सुन के थोडा दुखी हो गयी...काकी ने उसे थोडा लाड से समझाया की कोई बात नहीं. अभी भी तेरे पास ही सबसे बढ़िया मर्द पति है. तू क्यों परेशान होती है. और फिर हम इस गिफ्ट का भी स्वाद लेंगे. दोनों इसे पहन के घूमेंगे घर में. किसी को पता नहीं चलेगा की अन्दर ही अन्दर हमारी चूत की मालिश हो रही है.....नीलू का मूड थोडा ठीक हुआ तो वो लोग अपने अपने काम में लग गए......

दूसरी तरफ भानु का सिस्टम अब कुछ कुछ काम करने लगा था....काफी डाटा डाउनलोड हो चुका था और भानु ने सोचा की एक बार चेक कर के देख लेता हूँ की इसमें क्या क्या है........और वो अपने सिस्टम पर चेक करने के लिए बैठ गया........

भानु जब अपने सिस्टम पर बैठा तो थोड़ी देर तक उसे कुछ समझ में नहीं आया की करे क्या....अभी भी काफी सारा डाउनलोड होना बाकी था.....दरअसल वो मेन सर्वर से सारा डाटा अपने सिस्टम पर डाल रहा था..उसने किसी तरह से दोनों कंप्यूटर को कनेक्ट कर लिया था....फिर उसने अपने एक दोस्त को कॉल किया और काफी देर तक उससे इस बारे में बात की...उसने यह तो नहीं बताया की वो उससे यह सब क्यों पूछ रहा है और इसका क्या उपयोग करेगा....कितना अजीब लगता बोलने में की वो अपने ही घर की इस तरह निगरानी कर रहा है...उसका दोस्त क्या सोचता उसके बारे में...वैसे अभी उसे खुद भी यह एहसास हो रहा था की यह थोड़ी नहीं बल्कि बहुत अजीब बात है की वो इस तरह से घर की निजता में दखल दे रहा है...लेकिन बहुत दिनों से उसे सेक्स का कुछ भी राशन नहीं मिला था..और उसे लग रहा था की यहाँ से उसे कम से कम घर में काम करने वाली औरतों को देखन में सहूलियत रहेगी....इससे ज्यादा उसने कुछ नहीं सोचा था...वो कभी सपने में भी अपने घर में निगरानी करने की बात नहीं सोच सकता था...कुछ देर वो डाटा डाउनलोड होता देखता रहा लेकिन वो ऐसे बैठे बैठे बोर हो रहा था तो उसने सोचा की ये देख लेता हूँ की क्या क्या डाटा है......

लेकिन बहुत जल्दी उसे समझ में आ गया की उसने डाटा ट्रान्सफर करने में कोई गड़बड़ी कर दी है क्योंकि अब तक जो फाइल्स पूरी डाउनलोड हुई थी तो डेट वाइज नहीं थी....सब फाइल्स ऐसे ही बेतरतीब ढंग से डाउनलोड हो रही थी..उसे लगा की यह तो बड़ी आफत है..अगर डेट वाइज होती तो अच्चा रहता क्योंकि उससे देखने में आसानी रहती....ऐसे में तो उसके पास इतनी सारी फाइल्स हो जाएँगी की कुछ पता ही नहीं चलेगा की कौन सी फाइल किस फाइल के बाद की है....फिर उसने नोटिस किया तो पाया की हर फाइल ठीक एक घंटे की है....मतलब हर दिन में २4 फाइल्स होती हैं....अब अगर यही फाइल्स डेट और टाइम के साथ होती तो वो एक लाइन से एक एक दिन की फाइल्स देख सकता था.....लेकिन ऐसा हुआ नहीं था...मतलब वो रैंडम तरीके से किसी भी दिन के किसी भी घंटे की फाइल देख सकता था....फिर उसने सोचा की इतनी भी क्या अकल लगाना इस चीज के पीछे....वो धीरे धीरे अपना उत्साह खोता जा रहा था इस काम में....उसे समझ में आ रहा था की यह तो अपने आप में बड़ी मुसीबत है...इसमें तो मनोरंजन कम और मेहनत ज्यादा है.....उसने एक रैंडम फोल्डर पैर क्लिक किया....इस फोल्डर में कुछ पिक्स थी..ज्यादातर पिक्स अभी अधूरी थी इसलिए खुल नहीं रही थी...उसने एक पिक पर क्लिक किया तो वो बड़ी साइज़ की हो गयी...यह नीलू की पिक थी...



उसे पिक देख के लगा की क्या बुरी किस्मत है...अभी मन में यही चल रहा है की यह काम करूँ या न करूँ और पहली ही पिक उसकी अपनी माँ की ही आ गयि...पिक में ऐसा कुछ बुरा नहीं था..सिंपल पिक ही थी....हाँ ब्लाउज थोडा लो कट था लेकिन बड़े शहर में और हर तरह की अरतों के साथ रह रह कर भानु के लिए यह सब अब इतना आम हो चुका था की उसे इसमें कुछ बुरा या गलत नहीं लगा...उसकी नजर में तो यह नार्मल पिक ही थी...उसने सिस्टम वैसे ही चलने दिया और वो खुद कमरे से निकल के रानी के कमरे की तरफ जाने लगा...उसने देखा की उसके पेरेंट्स का कमरा बंद था....उसे याद आया की अक्सर वो उस कमरे को बंद ही देखता है....घर में सब घर के ही लोग हैं तो फिर ये लोग कमरा इस तरह से बंद क्यों करते हैं.....खैर उसने इस बात पर ज्यादा नहीं सोचा और रानी के कमरे की तरफ बढ़ गया...रानी ने कमरे को बंद नहीं किया था..उसक दरवाजा आधा खुला और आधा बंद था.....भानु जैसे ही अन्दर आया तो उसने देखा की रानी अपने लैपटॉप पर कुछ कर रही है...भानु के अन्दर आते ही उसने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और एकदम नोर्मल बिहेव करने लगी....भानु यह देख के मुस्कुरा दिया...

रानी - इस तरह क्यों मुस्कुरा रहा है???
भानु - मुझे पता है तू क्या कर रही थी सिस्टम पर...
रानी - अच्छा??? बता तो मैं क्या कर रही थी?
भानु - रहने दे. मुझे बता के तुझे और शर्मिंदा नहीं करना. देख तेरे गाल कैसे लाल हो गए हैं...तुझे अगर ठीक लगे तो मैं बाहर चला जाता हूँ थोड़ी देर के बाद आ जाऊंगा...
रानी - ओ गंदे दिमाग..तेरा तो दिमाग ही बस एक ही तरफ जाता है...मैं तो बस ऐसे ही अपना अकाउंट चेक कर रही थी की दोस्तों ने क्या अपडेट भेजी है...
भानु - तुझसे झूट बोलते नहीं बनता....तू कहे तो मैं सच में बाहर चला जाता हूँ. मुझे बुरा नहीं लगेगा...
रानी - नहीं यार...सच में कुछ नहीं कर रही थी..ऐसे ही बस....तू आ न अन्दर..कुछ बात करते हैं..अकेली बैठी बैठी मैं बोर हो रही थी...
भानु - हाँ यार. मैं बी बहुत बोर हो रहा था..इसीलिए तेरे पास चला आया....
रानी - वो तेरे सिस्टम का क्या हुआ ? फाइल्स ट्रान्सफर हो गयीं?
भानु - नहीं अभी हो रही हैं.....एक ही पिक देखि अभी तक तो...और वो भी माँ की निकली...
रानी - हा हा हा हा हा तेरी बुरी किस्मत....कितना टाइम लगेगा पूरा डाउनलोड होने में?
भानु - एक दो घंटे और लगेंगे बस....फिर देखूंगा की कुछ मजेदार मिलता है की नहीं...
रानी - जब हो जाये तो मुझे भी दिखाना,.....मैं भी थोडा मनोरंजन कर लूंगी...
भानु - यार मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा ???
रानी - क्यों ऐसा क्या मिल जायेगा तुझे उस सब फाइल्स में जो गलत होगा????
भानु - पता नहीं क्या मिलेगा क्या नहीं. मुझे लगा की कहीं मैं घर के लोगों की निजता तो नहीं भंग कर रहा न...
रानी - अरे बाप रे...इतना कब से सोचने लगा तू????? कुछ दिन सेक्स नहीं मिला तो तू तो साधू हो गया......
भानु - मजाक मत कर. ठीक से बता मैं ठीक कर रहा हूँ?
रानी - देख इतना तो मैं जानती हूँ की हमारे पेरेंट्स अभी भी बहुत एक्टिव हैं.
भानु - एक्टिव हैं मतलब???
रानी - एक्टिव हैं मतलब एक्टिव हैं यार....अब इससे ज्यादा क्या कहूँ???
भानु - कैसे एक्टिव हैं?? ठीक से बता?
रानी - मतलब उनके बीच रोमांस अभी ख़त्म नहीं हुआ है. नॉर्मली इस उम्र में कपल्स के बीच रोमांस या तो ख़त्म हो जाता है या बहुत कम हो जाता है..लेकिन इनके बीच ऐसा नहीं है.
भानु - तुझे कैसे पता??
रानी - बस पता है.....और यह भी पता है की मुझे सही पता है.
भानु - बता न कैसे पता है? तूने क्या देख लिया?
रानी - ऐसा कुछ नहीं देखा....लेकिन माँ हर सुबह जब सो के उठती हैं तो उनके चेहरे का ग्लो और उनके बदन के हल्केपन से ही पता चल जाता है की वो पूरी तरफ से संतुष्ट होती हैं.
भानु - यह कैसे पता चलता है? मुझे भी सिखा.
रानी - यह कोई सिखने वाली चीज नहीं है. यह बस हम औरतों की इंस्टिंक्ट होती है. हमें एक दुसरे को देख के समझ में आ जाता है की कौन कितना एक्टिव है.....
भानु - ओके.....और बता कुछ...
रानी - और मुझे क्या पता? मैं उनकी जासूसी थोड़ी न करती हूँ...इतना ही पता है बस..तो इसलिए हो सकता है तुझे वो दोनों ही दिख जाएँ उन कैमरा में....तो यह तू सोच ले की तुझे वो सब फाइल्स देखनी हैं की नहीं...
भानु - यार तूने तो सीरियस कर दिया. मुझे नहीं देखना अगर ऐसा है तो.
रानी - अरे पागल जरुरी थोड़ी न है की वो लोग ही दिखेंगे और कुछ करते हुए ही दिखेंगे...तू तो देख और मुझे भी दिखा....वैसे भी यहाँ बहुत बोरियत होती है.और हमारे पेरेंट्स अगर एक्टिव हैं भी तो क्या हर्ज है आखिर दोनों हैं तो मियां बीवी ही न..उनके बीच तो सब जायज है...तू बेकार में मत सोच....तू तो फाइल डाउनलोड कर फिर दोनों मिल के देखेंगे...
भानु - ओके....अच्छा तू आज काकी से क्या बात कर रही थी...मैं नीचे आने वाला था मैंने तुम दोनों को बात करते देखा तो लगा की मेरे जाने से रुकावट होगी तो नहीं आया...
रानी - ऐसे बस इधर उधर का पूछ रही थी....कुछ खास बात नहीं की...काकी ने बताया की वो लोग बहुत पार्टी करते हैं...उनका बहुत अच्छा ग्रुप है....सब मिल जुल के रहते हैं और बहुत एन्जॉय करते हैं लाइफ को बस...
भानु - लेकिन हमारे आने के बाद से तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. कोई पार्टी नहीं हुई.
रानी - हाँ तो वो अभी तो हम लोगों के साथ बिजी हैं न....इसलिए नहीं हुई होगी....
भानु - अच्छा सुन मैं सोच रहा था की किसी दिन अपने फार्म हाउस चलते हैं...एक दो दिन वहाँ रहेंगे तो मूड बदल जायेगा..
रानी - हाँ ये ठीक रहेगा...यहाँ पड़े पड़े बोर होने से अच्छा है की वहां चलते हैं...वहाँ तो पूल भी है न....मजा आएगा..
भानु - हाँ...इसी वीकेंड पर चलते हैं...

दोनों ने उसी समय प्लान बनाया की काकी को भी अपने साथ ले चलेंगे और दो दिन वहीँ रहेंगे..काकी रहेंगी तो ठीक रहेगा नहीं तो वहां तो हम अपने स्टाफ को भी नहीं जानते...अकेले जायेंगे तो वहां भी बोर हो जायेंगे...और फिर दोनों ने फाइनल किया की अभी खाना खा लेते हैं और उसके बाद तब तक डाउनलोड हुई फाइल्स को देखेंगे......उधर दूसरी तरफ सोम और नीलू के कमरे में....

नीलू - आज इंदु ने काकी के बारे में बहुत परेशां किया...
सोम - क्या कहा??
नीलू - वही जो उसकी हमेश की नाक घुसाने की आदत है की काकी कौन हैं हामारे साथ कब से हैं और फिर तुम्हारा और काकी का ये रिश्ता कैसे है...
सोम - ये इंदु न जरुरत से ज्यादा सवाल करती है.....
नीलू - मुझे तो अब लग रहा है की वो घुमा फिराकर हमें काकी के बारे में ब्लैक मेल कर रही है...
सोम - वो कैसे?
नील - देखो न अगर उसकी बात को मानें तो जो वो सोच रही है वो ये है की काकी तुम्हारी रिश्तेदार हैं....और तुम्हारी काकी हैं मतलब मेरी तो सास हुई न...और फिर हमारे बीच जिस तरह का रिश्ता है वो तो समाज की नजर में गलत ही है न...
सोम - हाँ लेकिन हमने तो पहले ही सबको बताया हुआ है न की काकी तो उन्हें सिर्फ नाम से बुलाते हैं....कहने भर की काकी हैं वैसे कोई रिश्ता नहीं है. सब को तो यही बताया है हमने तो फिर शक की बात ही कहाँ है..
नीलू - हाँ लेकिन इंदु की तो जासूसी करने की आदत है न...वही तो आज सब पूछ रही थी की कब से हैं काकी और यह सब रिश्ता कैसे बना उनके साथ और मैं कैसे ये सब के लिए हामी भर देती हूँ...
सोम - तुम कैसे मतलब??
नीलू - कह रही थी की मैं कैसे अपने सामने ही अपने पति को किसी और को चोदते हुए देख लेती हूँ और शामिल भी हो जाती हूँ...
सोम -अरे वाह??? छिनाल खुद भी तो कितनी बार चुदी है हमारे साथ..तब तो उसे यह ख्याल नहीं आया...अब यह सवाल कर रही है...
नीलू - तुम तो जानते ही हो इंदु की आदत...वो तो इतनी बड़ी रंडी है की पहले अपने बाप को अपनी चूत दिखा दिखा के उससे चुदवा लेगी और फिर पूछेगी की मुझे चोद के कैसा लगा मुझे क्यों चोदा क्या मुझे हमेशा से चोदना चाहते थे....वो पूरी बात अपने बाप पर डाल देगी जैसे सारी गलती उसके बाप की हो...
सोम - ये बाप कहाँ से बीच में आ गया? क्या बोल रही हो तुम?
नीलू - अरे ये इंदु ने आज दिमाग में एक अजीब सी बात डाल दी है...वही सोच रही थी...तुमने नोटिस किया है की वो आजकल तुम्हें भाईसाब कहती है और भाई शब्द पर बड़ा जोर देती है.
सोम - हाँ. पहले तो हमेशा मुझे नाम से ही बुलाती थी लेकिन इन दिनों तो बस हमेशा भाईसाब ही कहती हैं......
नीलू - आज मैंने भी उसे पूछ लिया की यह क्या चक्कर है तो कुतिया की औलाद रंडी साली कहती है की तुम्हें भाई सोच के चुदाने में उसे बड़ा मजा आता है...
सोम - ओ तेरी....
नीलू - हाँ वही तो...वो तो तुम्हें भाई मान के तुमसे मजे कर रही है...
सोम - मुझे नहीं बनना किसी का भाई शाई...समझा देना उसे ये मुझे बिलकुल पसंद नहीं है.
नीलू - हाँ जैसे मैं कुछ कहूँगी और वो मान लेगी......मुझे तो चिंता हो रही है की वो काकी के बारे में अपनी नाक कुछ ज्यादा ही घुसेड़ रही है...कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाये...
सोम - क्या गड़बड़ होगी? किसे पता है हमारे बारे में? हमें तो इस शहर में हमसे पहले कोई जनता भी नहीं था. लोग तो वही मानेंगे जो उनसे हम कहेंगे..
नीलू - नहीं सोम. लोग बहुत मादरचोद होते हैं इस बारे में......और फिर सच कितने दिन तक छुपा रहेगा...काकी है तो तुम्हारी काकी ही न...
सोम - सिर्फ मेरी काकी है? तुम्हारी कुछ नहीं है?
नीलू - सोम नाराज क्यों होते हो? क्या मैंने कभी काकी की कम इज्जत की है? कभी काकी से कम प्यार किया है? तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मैं काकी से कितना जलती हूँ....
सोम - नहीं ऐसी बात नहीं है...लेकिन फिर ये भी तो देखो की तुम मुझे काकी को सुधा नहीं कहने देती...
नीलू - वो तो बस ऐसे ही सोम...मुझे लगता है की थोड़ी बंदिश डाल देने से उस बंदिश को तोड़कर चोदा चादी करने का मजा बढ़ जाता है...सिर्फ इसीलिए वरना मुझे कोई दिक्कत नहीं है...मैं जानती हूँ की जैसे मैं तुम्हारी बीवी हूँ वैसे ही काकी को भी तुम अपनी बीवी ही मानते हो और उतना ही प्यार करते हो....भूल गए हमारी तो सुहागरात में भी काकी हमारे साथ थी....मैंने तो काकी को हमेशा ही हमारे बीच कोई बाधा नहीं माना है..मैं तो खुद उनकी बहुत शुक्रगुजार हूँ...
सोम - हाँ नीलू....मैं जनता हूँ.....
नीलू - देखो न इस सुअरिया के कारण हमारे बीच भी कैसी बहस होने लगी..हमने तो कभी काकी से खुल्ली चुदाई करने में कभी ऐसी बहस नहीं की...लेकिन इसने हमारे बीच भी ये दरार डालने की कोशिश की...
सोम - हाँ....सही कह रही हो..इस इंदु का कुछ करना पड़ेगा.....
नीलू - हाँ कुछ तो सोचना ही पड़ेगा इसका नहीं तो हमें बर्बाद कर देगी.....अच्चा अब चलो खाना खा लेते हैं बच्चे भी लंच का वेट कर रहे होंगे.....

वो दोनों अपने कमरे से निकल कर खाने की टेबल पर आ गए...वहां पहले से ही काकी और दोनों बच्चे मौजूद थे..उनके बीच कुछ बात चल रही थी...
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