ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete

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007
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by 007 »

nice update
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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rajaarkey
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by rajaarkey »

update ka intizar hai
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

007 wrote: 28 Nov 2017 21:53nice update
rajaarkey wrote: 29 Nov 2017 09:43 bahut hi mast update
Kamini wrote: 29 Nov 2017 10:09mast update
rangila wrote: 29 Nov 2017 21:02 super hot stori hai bhai keep writing.............
thanks to my all friends
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

दूसरे दिन सीआर को चुनना था, जो 3-4 लोग सीआर का एलेक्षन लड़ना चाहते थे, जिनमें हमारी ओर से धनंजय भी था, उन सभी ने मिलके एलान कर दिया कि हमारे सेक्षन से कोई चुनाव नही लड़ेगा और ना ही कोई वोटिंग होगी.

हम सब की तरफ से अरुण हमारा सीआर होगा, मैने कहा नही भाई मुझे किसी पद की लालसा नही है, मेरी तरफ से धन्नु सीआर है, तो वो बोला नही यार, हमें एक ऐसा रेप्रेज़ेंटेटिव चाहिए जो हमारे हितों के लिए निडर होकर बिना पक्ष-पात के आवाज़ उठा सके, और हम सब लोगों ने देख भी लिया है कि वो तुझसे अच्छा कोई नही कर सकता, क्यों भाई लोगो, क्या बोलते हो..?

सभी एक स्वर में- हां हमारा सीआर अरुण ही होगा और कोई नही…

धनंजय – तो फिर सभी लोग एक पेपर पर लिख के सिग्नेचर करके दे-देते है, की हमारा सीआर अरुण निर्विरोध चुन लिया गया है.

और फिर जैसा तय हुआ था, सबने लिख के साइन करके सेक्षन हेड को पकड़ा दिया और इश्स तरह से में निर्विरोध सीआर चुन लिया गया.

हमारे पूरे सेक्षन की एक खास इमेज पूरे कॅंपस में ख़ासतौर से फर्स्ट एअर में बन चुकी थी, यहाँ तक की एलेक्षन के बाद की अपनी स्पीच में प्रिन्सिपल ने कई बार हमें अप्रीशियेट किया.

लेकिन जैसा हमें बाहर से माहौल शांत पूर्ण लग रहा था, अंदर से ऐसा नही था….

श्रीवास्तव और उसके जैसे दूसरे सीनियर्स को ये बात हजम नही हो रही थी, कि एक फर्स्ट एअर का लड़का ना ही बाज़ी मार ले गया अपितु, पूरे कॅंपस में हीरो बन गया…

वो मौके की तलाश में लग गये कि कब वो मुझे लपेटें, मुझे ये भी पता लग गया था, कि श्रीवास्तव के साथ कुछ थर्ड एअर और फाइनल एअर तक के गुंडे टाइप के स्टूडेंट भी हैं और वो उसको फुल सपोर्ट कर रहे हैं.

मैने बस एक ही बात सीखी जिंदगी में, की मौत सिर्फ़ एक बार ही आती है, कोशिश हर सफलता की कुंजी है.

डर के जीना ना तो मेरे खून में था, और ना ही मेरे संस्कारों में. इसलिए मे हर संभव बिंदास रहने की कोशिश करता रहता.

समय अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था, फाइनल्स का समय नज़दीक था, हमारा अधिकतर समय वर्कशॉप मे ही व्यतीत होने लगा प्रॉजेक्ट कंप्लीट जो करने थे..

एक दिन हम चारों दोस्त वॉरषोप में काम कर रहे थे, काफ़ी टाइम हो गया था शाम के लगभग 7 बज रहे थे.

तभी वहाँ श्रीवास्तव और उसके साथी आ गये, ये उनका देर शाम का अड्डा था रोज़ का, चूँकि शाम 6 बजे के बाद वर्क शॉप बंद हो जाता था, इसलिए वो लोग इसी समय यहाँ आके ड्रग्स लेते थे, वहीं पर वो ड्रग्स का अपना स्टॉक रखते थे छुपा के और दूसरे स्टूडेंट्स को भी सप्लाइ करते थे, ये हमें बाद मे पता चला.

ये बात हमें पता नही थी, वो लोग हमें इग्नोर करके हमारे पास से गुज़रते हुए अंदर की ओर जहाँ सबके ड्रॉवेर्स बने हुए थे उधर छिप्के ड्रग्स लेते रहे और थोड़ा सा स्टॉक लिया आज की सप्लाइ करने के लिए.

मे और धनंजय थोड़ा हटके दूसरी रो वाली मशीन पे काम कर रहे थे और जगेश & ऋषभ उस साइड थे जिधर से उनका पॅसेज था.

वो लोग 8 जने थे, लौटते मे वो लोग जैसे ही वहाँ से गुज़रे, उनमें से एक फाइनल एअर का बंदा नशे की पिन्नक मे अपनी सीनियर वाली टोन में, जगेश को बोला,

क्यों बे सालो एक ही साल में इंजीनियरिंग करने आए हो क्या? बेहेन्चोद रात मे भी लगे हो, भागो यहाँ से अब…

जगेश – सर थोड़ा प्रॉजेक्ट वाकी है, तो कंप्लीट कर लेते हैं..

वो- अबबे तो भोसड़ी के कल नही कर सकता क्या? आज ही माँ चुदाना ज़रूरी है तुम लोगों को.

जगेश- सर तमीज़ से बात करिए, गाली गलौज करने की क्या ज़रूरत हैं, उनकी वार्तालाप सुनके ऋषभ भी वहाँ आगया.

वो- भोसड़ी के हमें तमीज़ सिखाएगा… तेरी माँ को चोदु, हमसे पंगा लोगे तुम लोग,

सालो तुम्हारी औकात ही क्या है, हमसे ज़ुबान चलाता है भोसड़ी के, और वो उसकी तरफ मारने को बढ़ा, उसके साथी भी उसके पीछे ही थे.

मुझे कुछ आवाज़ें सुनाई दी, मशीन की आवाज़ में क्लियर नही था, मैने धनंजय को बोला - धन्नु, देखना क्या हो रहा है उधर..?

धनंजय ने जब झाँक के देखा, और बोला अरे यार, ये तो साले जगेश और ऋषभ के साथ मार-पीट कर रहे हैं भाई, जल्दी आ..

मैने मशीन बंद की और उधर दौड़ा, देखा कि एक फाइनल एअर का लड़का जगेश का कॉलर पकड़ के उसे मार रहा था और दो ने ऋषभ को पकड़ रखा था.

जैसे ही हम वहाँ पहुचे, दो लड़के धननज़े की ओर लपके और श्रीवास्तव और दो बंदे मेरी ओर.

धन्नु एक्शन, और कहते ही मैने आगे बढ़ते-2 एक सीधे पैर की किक एक के मुँह पे रसीद करदी, वो वही पीछे की तरफ मशीन के उपर गिरा, एक तो सेफ्टी शूस की किक इतनी तेज लगी, उपर से उसकी कमर लत्थे के बेड पर लगी, धडाम से वो वहीं ढेर हो गया.

वाकी के दोनो जब तक मेरे पास तक पहुँचते मैने लपक के अपना पसंदीदा पेन्तरा यूज़ किया और दोनो के गले एक-एक से पकड़ लिए.

एक मजदूर किसान के सख़्त हाथों की पकड़ इतनी मजबूत होती है, लाख कोशिशों के बावजूद वो छुड़ा नही पाए देखते-2 उनकी आँखें बाहर को उबलने लगी, नशे की हालत में और ज्यदा घबराहट जैसी महसूस हुई उनको, उपर से मैने उनके सर आपस मे टकरा दिए. कड़क.. और ढेर हो गये.

मैने उन दोनो को धक्का देके पीछे की ओर फेंका, वो दोनो पीछे रखी टूल्स टेबल जोकि लोहे की थी उसके उपर जाके गिरे.

धनंजय भी मजबूत कसरती शरीर वाला लड़का था, उसने भी उन दोनो को संभाल लिया, और वो उन्हें अच्छी ख़ासी टक्कर दे रहा था, उन पर पूरी तरह हावी था वो.

में लपक के ऋषभ के पास पहुचा, और उन दोनो लौन्डो को पीछे से बाजू गले मे लपेट के कस दिया, तुरंत उनकी पकड़ ऋषभ से ढीली पड़ गई और वो हाथ पैर मारने लगे अपने को मेरी गिरफ़्त से छुड़ाने के लिए.

मैने ऋषभ को कहा, तू जल्दी से धन्नु की हेल्प कर.
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