ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete

Post Reply
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

एग्ज़ॅम तो सिंसियर्ली देने ही थे, भारी मन से अगले पेपर की तैयारी में जुट गया, बेमन से पढ़ाई मे मज़ा नही आया, नेक्स्ट सेकेंड लास्ट पेपर थोडा खराब हो गया,

ये भी अच्छा था, कि हिन्दी सब्जेक्ट था, तो उसकी ज़्यादा इंपॉर्टेन्स नही थी, आगे की पढ़ाई के लिए,

ऐसे ही एग्ज़ॅम भी ख़तम हो गये, घर आ गया, और लग गया घर के कामों में, रिज़ल्ट को तो अभी दो महीने थे.

मन साला बार-बार रिंकी के साथ बिताए पलों में ही अटका रहता था, जैसे ही वो लम्हे याद आते, शरीर रोमांच से भर जाता,

पता नही ऐसा क्या जादू सा था हमारे प्यार का, किसी अन्य लड़की या औरत का विचार भी मन में नही आता.

ऐसा भी नही था कि गाँव में और हसीनाएँ नही थी, लेकिन शुरू से ही मेरा झुकाव नही था सेक्स की ओर. पता नही रिंकी के साथ ही क्यों हुआ और वो भी उसकी इक्षा थी इसलिए…

एक-दो दिनो के गॅप से टाउन भी जाना होता था घर के कामों की वजह से, लेकिन हिम्मत नही होती थी उससे मिलने की,

मन में इनसेक्यूरिटी उसके और उसके पिता के मान-सम्मान को लेके ज़्यादा थी, अपने डर की वजह से नही……
आख़िर इंतजार की घड़ियाँ समाप्त हुई, आज रिज़ल्ट आनेवाला था,

उन दिनों रिज़ल्ट का माध्यम केवल न्यूज़ पेपर था, या फिर कॉलेज में जाके ही देखना पड़ता था, अब गाँव मे न्यूज़ पेपर तो आते नही थे, सोचा कॉलेज मे ही जाके देख लेंगे.

सुबह जल्दी उठा, थोड़ा बहुत घर का काम भी करना था, वो निपटाया, और फिर नहा धोके मंदिर मे भगवान के आगे हाथ जोड़े, प्रार्थना की कुछ अच्छे की चाह में.

सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया, साइकल उठाई और निकल गया कॉलेज की तरफ.

हमारा कॉलेज रोड के किनारे ही था, रोड क्रॉस करके, रेलवे लाइन, और थोड़ा ही आगे रेलवे स्टेशन,

अपने गाँव से आएँ तो या तो रेलवे फाटक से होके बाज़ार से होते हुए, रोड पे आया जा सकता था, या फिर रेलवे लाइन क्रॉस कर के सीधा आया जा सकता था.

अब साइकल को उठाने में कोन्सि ज़्यादा परेशानी होनी थी, तो हम सीधे ही आ जाते थे समय बचाने के लिए.

कॉलेज का बड़ा सा मेन गेट था, गेट से एंटर होते ही दोनो साइड आर्ट्स की क्लासस थी, उसके बाद बड़ा सा प्रेयर ग्राउंड, फिर मैं बिल्डिंग डबल स्टोरी.

मैं बिल्डिंग का गेट सेंटर मे था, जिसके घुसते ही बाए साइड में क्लरिकल ऑफीस तन प्रिन्सिपल ऑफीस, ऑपोसिट मे टीचर्स रूम, दॅन गर्ल्स चेंजिंग रूम फिर क्लास रूम्स.

प्रिन्सिपल रूम और टीचर्स रूम ख़तम होते ही 12 फुट की गेलरी दोनो साइड को जाती थी, प्रिन्सिपल रूम साइड की गेलरी जो 12 फीट चौड़ी और करीब 150 फीट लंबी, सेंटर मे लाइब्ररी रूम का गेट.

उसी गेलरी में दीवार के उपर सभी सेक्षन्स के रिज़ल्ट्स लगाए गये थे.
सबसे पहले आर्ट्स के चार्ट्स, दॅन लाइब्ररी रूम का गेट, उसके बाद साइन्स बाइयालजी, दॅन साइन्स मत के रिज़ल्ट्स लगे थे.

मेरा रिज़ल्ट लास्ट मे ही था, दोस्त लोग मिल गये उनके साथ रिज़ल्ट देखने लगे, सभी ज़्यादातर स्टूडेंट्स आए थे तो भीड़ हो गयी पूरी गेलरी में.

मैने धड़कते दिल से आँख बंद करके भगवान का स्मरण किया, और फिर चार्ट पर नज़र डाली. डिविषन वाइज़ थे रिज़ल्ट.

60% यूपी ईस्ट डिविषन थी, जिसमे हमेशा कम ही स्टूडेंट होते थे, वैसे भी यूपी बोर्ड मे ईस्ट दिव लाना मतलब गान्ड तक का ज़ोर लगाना पढ़ाई मे, वो भी साइन्स मैथ से.

उपर से कुछ 4-6 ही नाम थे ईस्ट डिवीजन, जिनमे तो रोल नंबर. होने के कम ही चान्स थे, सेकेंड डिवीजन की लिस्ट कुछ लंबी थी, देखते-2 कुछ 5-6 नंबर के बाद ही मेरा रोल नंबर. दिख गया,

सीने पे हाथ रखके भगवान को धन्याबाद दिया, अपनी मेहनत को नही, ये ज़्यादातर हमान नेचर होता है, ख़ासतौर से हमारे जैसे टिपिकल ब्राह्मण फॅमिली के लोगो में.

पर्सेंटेज देखा, वाउ !! नोट बॅड, 58% मिले, सोचा अगर साला हिन्दी का पेपर और अच्छा जाता तो शायद 1स्ट डिवीजन हो सकती थी.

लेकिन “अब पछ्ताये हॉट क्या, जब चिड़िया चुग गयीं खेत”

कोई नही, वैसे भी इंजीनियरिंग के लिए हिन्दी मार्क्स कन्सिडर होने नही थे, सो एक होप तो था, कि शायद एडमिशन मिल जाए.

बाइयालजी मे लड़कियाँ ज़्यादा थीं, वो अपने से जस्ट पहले वाला ही चार्ट था.

में अपना रिज़ल्ट देख के पीछे भीड़ से बाहर आया, यहाँ बता दूं, कि गेलरी की आधी लंबाई के बाद ही दूसरी साइड में एक रेक्टॅंग्युलर गार्डन था.

तो में उस गार्डन मे आके खड़ा हो गया, और अनायास ही लड़कियों के झुंड की तरफ मेरी नज़र गयी.

वाउ ! दिन ही बन गया मेरा आज तो, आज भगवान से और भी कुछ माँगता तो शायद वो भी मिल जाता.

वहाँ लड़कियों के पीछे, मतलब मेरे से कुछ ही कदम की दूरी पर मेरी जान रिंकी खड़ी थी, वो मेरी ही ओर देख रही थी.

मैने स्माइल करके उसको विश किया, उसने भी मुस्कराते हुए अपनी पलकें झपका के रिप्लाइ दी.

वो अपनी कजन के साथ आई थी, जस्ट फॉर गॅदरिंग, अदरवाइज़ उसका रिज़ल्ट्स से कोई लेना देना नही था. बाद में उसने असली रीज़न बताया.

जहाँ से ये गेलरी मुड़ती थी, उसके सीधे, माने गेलरी की आधी लंबाई तक बिल्डिंग थी, और आधी तक गार्डन, बिल्डिंग की निचली स्टोरी में सभी लॅब थीं,

फर्स्ट बाइयालजी, दॅन फिज़िक्स आंड दॅन केमिस्ट्री लास्ट.

केमिस्ट्री लॅब असिस्टेंट. अपना खास चेला था, उसके लिए में अक्सर अपने खेतों मे से कुछ ना कुछ लाता रहता था.

मैने रिंकी को इशारा किया, कि थोड़ी देर के बाद मेरे पीछे-2 आना, और में, गार्डन से होते हुए, केमिस्ट्री लॅब के लास्ट मे पहुँच गया, फिर उसे भी आने का इशारा किया.

जब वो उधर को आने लगी, मे दीवार की साइड होगया और उसका वेट करने लगा, गार्डन कोई 200-250 फीट लंबा था.

जैसे उसे में दीवार की साइड मे दिखा, लपक के मेरे पास आई और मेरे से लिपट गयी.

रिंकी एक मिनट रूको, यहाँ नही, किसी की भी नज़र में आ सकते हैं, मैने कहा, तो वो अलग हो गयी मेरे से.

मैने उसको वहीं खड़ा किया, कॉलेज की लास्ट दीवार थी जो बौंडरी वॉल के जस्ट 5 फीट पहले थी, वैसे तो उधर किसी के आने के चान्स होते नही थे, फिर भी ओपन तो था ही.

में घूम के लॅब के गेट पर पहुँचा, अंदर देखा तो शंकर लॅब मे अकेला बैठा था.

मुझे देखते ही वो खुश होके बोला, आओ अरुण बाबू, कैसे हो, रिज़ल्ट कैसा रहा… वग़ैरह…2

मे – अरे शंकर यार, एक साथ इतने सवाल, में ठीक हूँ, रिज़ल्ट अच्छा है, 58% मिले हैं.

अच्छा शंकर मेरा एक सपोर्ट करोगे, उसने तपाक से कहा, बोलिए ना, आपके लिए किसी काम के लिए कभी मना किया है मैने.

मैने कहा, वो मे मानता हूँ, लेकिन ये काम थोड़ा पर्सनल है, और अगर तुम ये वादा करो कि इस बारे में तुम किसी को ना कुछ बताओ, और ना किसी को पता लगने पाए, तो ही में तुमसे कहूँ.. बोलो..

शंकर – अरे अरुण बाबू आपको मुझ पे भरोसा नही है, आप काम तो बोलिए.

मे- रूको एक मिनट, बाहर आके, मे रिंकी को साथ लिए लॅब मे पहुँचा, उसे देखते ही शंकर हड़बड़ा गया,

मैने कहा- देखो शंकर हम दोनो कुछ देर अकेले मे बात करना चाहते हैं, क्या तुम हमे यहाँ कुछ देर के लिए स्पेस दे सकते हो ? तो हां बोलो..

वो थोड़ा सकुचाते हुए बोला, देखो बाबू, मे ज़्यादा से ज़्यादा आपको आधे घंटे का टाइम दे सकता हूँ, अगर इस बीच कोई इधर आ गया तो मुसीबत हो सकती है, वो भी मेरे लिए. आपका तो कोई क्या कुछ बिगड़ेगा अब.

मैने उसको समझाया- तुम एक कम करो, हमें बाहर से बंद कर दो, और इधर-उधर हो जाना, रहना पास में ही,

जैसे ही हमारी बातें ख़तम हो जाएँगी हम 3 बार गेट को नोक कर देंगे, तुम गेट खोल देना.

और वैसे भी जब गेट बाहर से बंद दिखेगा, तो ग़लती से भी अगर कोई इधर आता है, तो लॅब बंद समझ के वापस चला जाएगा, क्यों?

बात उसकी खोपड़ी मे समा गयी और हमे अंदर बंद करके वो चला गया.

अब हमारे पास मन मर्ज़ी टाइम था साथ मे बिताने का.

में लॅब मे पड़ी ब्रेंच पर बैठ गया, रिंकी मेरी गोद मे बैठ गयी, मैने अपना सर थोड़ा आगे को झुकाया, उसने अपना सर थोड़ा मेरी तरफ घुमाया,

अब हम दोनो के फेस एक दूसरे के सामने बेहद करीब थे, रिंकी मेरी आँखों मे देखती हुई शिकायत भरे लहज़े मे बोली..

ढाई महीने हो गये, अब शक्ल दिखाई है, बिल्कुल भूल गये मुझे…हाआँ, कभी भूले से भी याद नही आई मेरी.. भीगे हुए स्वर में बोली वो, आँखों में पानी छलक आया था उसकी.

मे – रिंकी मेरी जान, अब तुम्हें कैसे विस्वास दिलाऊ की मैने तुम्हें कितना याद किया है, काश में हनुमान जी की तरह अपना सीना चीर के दिखा पाता,
जिसमें केवल और केवल तुम हो मेरी प्रिय… मेरी आवाज़ भी भीगने लगी थी.

मैने बहुत चाहा, कोशिश भी की तुमसे मिलने की, कई बार तुम्हारे घर के सामने से भी गुजरा, लेकिन हिम्मत नही हुई अंदर आने की.

डरता था कि कहीं मेरी जान मेरी वजह से रुसवा ना हो जाए, उसके पापा की सामाजिक प्रतिष्ठा खराब ना हो मेरे कारण.

फफक-फफक कर रो ही पड़ी वो, सीने से लग कर कितनी ही देर सुबक्ती रही, मे उसकी पीठ पर हाथ फेरके उसे चुप करने की कोशिश करता रहा, आँखे मेरी भी छलक आईं थी.

इतना ख़याल करते हो मेरा तुम ! और में बाबली तुम्हे ही दोष देने लगी,, माफ़ करदो अरुण मुझे, सोचना चाहिए था मुझे, की कोई तो मजबूरी रही होगी तुम्हारी जो मिलने ना आ सके, प्ल्स मुझे माफ़ करदो.

और वो फिर फफक पड़ी मेरे हाथों को अपने हाथों मे लेकर.

मैने माहौल को चेंज करने की गर्ज से टॉपिक चेंज करके बोला… छोड़ो ये गिले शिकवे डार्लिंग, और ये बताओ, तुम्हारा रिज़ल्ट कैसा रहा,

वो अपने सर पे चपत लगा के बोली, में सही मे बाबली हूँ, जो बातें करनी चाहिए, वो तो कर ही नही रही,

मेरा तो कोई नही, पास हो गयी हूँ, तुम बताओ, तुम्हरा रिज़ल्ट कैसा रहा? अच्छा रहा ना !

में हसके बोला- हां में पास हो गया, और 58% मिले हैं, उस दिन तुम्हें बस मे बिठा कर लौटा था, और फिर पढ़ने का मूड नही हुआ तो हिन्दी मे थोड़ा कम ही कर पाया वरना फर्स्ट डिवीजन हो सकती थी.

वो फिर सीरीयस हो गयी, और इसके लिए भी खुद को ज़िम्मेदार ठहराने लगी.. मे सोचने लगा क्या इसी को प्यार कहते है, की एक को कुछ ग़लत हो तो दूसरा दुखी हो जाता है, ये कैसा प्यार है??

मैने उसे समझाया और बोला, कि आगे इंजीनियरिंग के लिए हिन्दी के मार्क्स नही चाहिए, वैसे भी उसमें पीसीएम ही इंपॉर्टेंट हैं, तब जाके शांत हुई वो.

और मेरे अच्छे रिज़ल्ट की खुशी में मेरे गले से लिपट गयी, आज पहली बार उसने अपनी तरफ से पहल की और मेरे होठों पे किस कर लिया……
हम दोनो गहरे किस में डूब गये, किसिंग के साथ-2 मेरे हाथ भी अपने मनपसंद काम में जुट गये, और कुर्ते के उपर से उसके रसीले फलों को निचोड़ने लगे.

आज उसने सफेद हल्के कॉटन का सूट पहना था, जिसके कुर्ते पर लखनवी कढ़ाई हो रही थी, उसकी हल्की गुलाबी ब्रा का इंप्रेशन साफ दिखाई दे रहा था.

एक बार क्स्के दोनों आमों को जो रगड़ा, वो दर्द और मज़े के कारण सिसकार कर उठी, और ज़ोर-ज़ोर से मेरे होठों को चवाने लगी.

अब धीरे-2 हम दोनो को ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा लेने का अनुभव होता जा रहा था.
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »


मैने उसे अपनी गोद मे लिए हुए ही उसका कुर्ता निकाल फेंका, आअहह… क्या शेप होती जा रही थी उसके रस्फलो की, पहले से ज़्यादा भरे-2 से लग रहे थे, और उनमें कसाव भी बढ़ गया था,

ब्रा के उपर से ही मे उन्हें कितनी ही देर तक मसलता रहा, वो मज़े में आँखें बंद किए सिसकिया लेती रही,

मेरा लंड अपने पूरे शबाब पर आ चुका था, और उसकी कसी हुई गान्ड मे ठोकरें मार रहा था. मेरे लंड को फील करके रिंकी अपनी गान्ड उसपे रगड़ने लगी.

अब मैने उसे डेस्क के उपर बिठा दिया और उसकी सलवार को भी निकाल फेंका. वो अब ब्रा और पेंटी मे थी, आअहह…, मासा अल्लाह… क्या सगेमरमर की मूरत लग रही थी वो.

मैने उसकी ब्रा के हुक खोल के उसको भी अलग कर दिया, और उसके चुचकों को मुँह मे लेके चुभलने लगा, वो उसका सेन्सिटिव पार्ट था, जब भी मे ऐसा करता था, वो बेकाबू हो जाती थी और मेरे सर को अपने सीने में दवाने लगती थी.

अब में उसके पूरे दूध को मुँह मे भर के चूसने लगा, और एक हाथ से दूसरी चुचि को मसल्ने लगा…

आआहह…. अरुण चूसो मेरे राज एयेए… और जोर्र्र्र…सी…आआहह…ख़ाआ..जाऊओ..इन्हेंन्न…आअहह…उउउहह…

उसकी मादक सिसकिया, मुझे और ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी. कोई 5 मिनट दूध पीने के बाद मैने उसकी पेंटी को भी निकाल दिया, उसने अपनी गान्ड उचका के मेरी मदद करदी.

मैने उसको कोहनी के बल पीछे को अढ़लेटी कर दिया और उसकी रस गागर को चूमा, और फिर चाटने लगा…

ये उससे कभी सहन नही होता था, हमेशा चूत पे जीभ लगते ही उसकी उत्तेजना चरम पर पहुँच जाती थी.

मैने अपनी जीभ से उसकी क्लोरिटूस को कुरेदा तो उसकी गान्ड अधर उठ गयी और सीसीयाने लगी, साथ ही साथ अपनी मध्यमा उंगली उसकी गीली चूत में पेल दी, और ज़ोर ज़ोर से उसको अंदर-बाहर करने लगा,

जीभ और उंगली के एक साथ हमले को वो ज़्यादा देर तक झेल नही पाई और चीख मारते हुए झड़ने लगी. उसकी रामप्यारी रस बरसाती रही, और मेरी चटोरी जीभ रसास्वादन करती रही.

मेरे सब्र का पैमाना अब छल्कने लगा था, मैने उसे डेस्क पर लिटाया, झट-पाट अपने पेंट और अंडरवेर दोनो एक साथ ही निकाल दिया, फुनफानते लंड को उसकी रसीली चूत पर एक-दो बार रगड़के गीला किया और धप्प से पेल दिया,

आधा लंड सॅट से घुस गया उसकी पनीलि चूत मे, वो हल्के दर्द और मज़े के समिशरन मे कराहने लगी, मैने उसके होंठो को चूसा और एक और झटका मार दिया जिससे पूरा शेर मान्द के अंदर घुस गया.

उसके दोनो टाँगों को उपर उठाके पैरों को अपने कंधों पे रख लिया, और दोनो हाथों से उसकी चुचियों को मसल्ते हुए धक्के मारने लगा.

ढप-धाप, सटा-सॅट्ट… चुदाई तूफ़ानी रफ़्तार से चलने लगी, कॉलेज की लॅब मे चुदाई करने की एग्ज़ाइट्मेंट एक अलग ही अनुभव दे रही थी, हल्का सा डर, उत्तेजना को और बढ़ावा दे रहा था…

थोड़ी ही देर में रिंकी की पीठ डेस्क के हार्ड सर्फेस की वजह से दुखने लगी, तो मैने उसे नीचे खड़ा कर लिया, और उसके हाथों को डेस्क के उपर रखवा कर, उसे घोड़ी बना दिया.

ये पॉज पहली बार ट्राइ कर रहे थे हम, मैने उसकी चिकनी और रूई जसी मुलायम गान्ड के उपर हाथ फिराया…

आअहहाा-हहाअ…. क्या मुलायम गान्ड है, तेरी रिंकी… हाई… जीि.. करता है खा जाउ… सच में…आअहह..

और मैने अपना मुँह मार ही दिया एक साइड के चूतड़ पे…

आहह…ईईईई….क्या करते..हो.. जंगली कहीं के… काटते क्यों.. हो..?

देखा तो वाकई में दाँतों के गहरे निशान पड़ गये उस चूतड़ पे..

मैने कहा… में तुम्हारी मनुहारी गान्ड देख के पागला गया था..सब्र ही नही हुआ, मे क्या करूँ… और उस निशान को चूम के जीभ से चाटने लगा,

फिर उसको थोड़ा और झुका के, अपनी जीभ को उसकी चूत से चाटता हुआ, उसकी गान्ड के भूरे रंग के छेद को कुरेदने लगा.. जिसकी वजह से उसकी चूत मे सुरसूराहट होने लगी और वो अपनी गान्ड के छेद को खोल-बंद करने लगी, और अपनी कमर मटकाते हुए बोली…

अब डालो ना…
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
Kamini
Novice User
Posts: 2112
Joined: 12 Jan 2017 13:15

Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by Kamini »

mast update
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by 007 »

बहुत ही बढ़िया अपडेट
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
Post Reply