ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete

Post Reply
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

झटपट उसे नीचे लिटाया, और उसकी टाँगों को फैलाक़े, अपने लंड को उसकी गीली चूत के उपर फिराने लगा, मज़े की वजह से भाभी की आँखें बंद हो गयी, और वो आनेवाले सुखद पलों का इंतजार करने लगी.

आहह…देवर्जी अब डाल भी दो ना… और कितनी घिसाई करोगे.. शिकायती लहजे में बोली वो..

में भी तो आतुर था परम सुख पाने के लिए, लंड को चूत के छेद पर रखा, और पेल दिया उसकी आँसू बहती चुन-मुनिया के अंदर..

आहह… ससिईईई.. हाईए… धीरे… रजाअ..!

मे- क्यों भाभी क्या हुआ…? इतने दिनो से चुद रही हो फिर भी धीरे करने को बोल रही हो..!

असईईई..!! तुम्हारा लंड थोड़ा मोटा है… थोड़ा दर्द हुआ.. !

मे- क्यों भैया का इतना मोटा नही है…

भाभी- नही ना ! इसके लिए तो..

अभी मेरा आधा लंड ही गया था, फिरसे एक सुलेमानी धक्का दिया, पूरा साडे-साती लंड भाभी की चूत में समा गया…

हाईए… मारीी रईए.. जालिमम्म.. और कितना लंबा है,,?

बस पूरा हो गया भाभी.. अब बस मज़े लो..!

और धीरे-2 मैने स्ट्रोक लगाना शुरू किया..

2-4 धक्कों में ही भाभी की चूत लंड पे सेट हो गयी.. मुझे ऐसे लग रहा था मानो बिना किसी टॉलरेन्स के बोर में शाफ्ट ठोक दी हो.. एकदम कस गया था मेरा लंड चूत में.

जैसे-2 धक्के लग रहे थे उसके आहें अब मादक सिसकियों में तब्दील होती जा रही थी…

10 मिनट के ताबड़तोड़ चुदाई से भाभी की चूत पानी दे गयी, और वो कमर उचका-2 के लंड को अंदर और अंदर लेने की कोशिश करने लगी..

ढका-धक धक्के लग रहे थे,…जब उसकी चरम सीमा आई तो वो कमर उठाके चीख मारती हुई बुरी तरह से झड़ने लगी, उसके पैरों की एडियाँ मेरी गान्ड पे कसने लगी..

मेरा भी अब होने ही वाला था, सो 4-6 तगड़े शॉट मारके, मैने भी अपना कुलाबा उसकी चूत में खोल दिया…!

बहुत झडा…! जी लगाके झडा !! चूत लबालब उपर तक भर गयी, ओवरफ्लो होने लगा, लंड की साइड से हम दोनो का वीर्य, जहाँ से जगह मिली निकलने लगा..

2 मिनट. उसके उपर पड़े रहने के बाद मैने अपना लंड बाहर खींचा…भलल-भलाल करके ढेर सारा पानी चूत से निकला, और बहता हुआ गान्ड के छेद से होता हुआ बेड शीट को गीला करने लगा.

भाभी ने मुझे कस के चिपका लिया और बोली…!

जीवन में पहली बार इतना मज़ा मिला है मुझे.. तुम्हारे सुलेमानी लंड ने मेरी मुनिया की धुनाई सी कर दी.

मे- मज़ा तो आया ना…भाभी..?

वो- मज़ा..? पुछो मत.. ऐसी चुदाई मेरी अभी तक नही हुई..!

मे- और कितने लंड लिए हैं भाभी सच बताना..!

वो- शादी से पहले एक बाय्फ्रेंड था मेरा.. उससे कई बार हुआ था, पर ऐसा कभी नही..!

ऐसे ही थोड़ी देर बातें करते रहे, एक दूसरे की बगल में लिपटे हुए..!
मेरा हाथ, भाभी की गान्ड पे पहुँच गया, और उसके कल्शो को सहलाने लगा, और फिर एक उंगली उसकी गान्ड की दरार में डालके फिरने लगा.

मे- भाभी आपकी गान्ड बड़ी मस्त है.. एकदम गोल मटके जैसी लगती हैं.

भाभी- मुझे पता है, तुम्हारी नज़र मेरी गान्ड पे है..!

मे- तो दो ना..प्लस्सस.. भाभी .. बस एक बार.. फिर नही कहूँगा.. बच्चों जैसी ज़िद करते हुए कहा मैने.

भाभी- मैने अब तक कभी ट्राइ नही किया है, पता नही क्या होता होगा..!

मे- अरे कुछ नही होगा, चूत भी तो पहली बार मराई होगी.. ऐसे ही ये पहली बार… लेके देखो.. चूत में तो झिल्ली होती है जिसे टूटने में ज़्यादा दर्द होता है, इसमें तो वो भी नही होती, बस पहली बार थोड़ी टाइटनेस ज़्यादा होगी बस.

भाभी- तुम्हें सब चीज़ का अनुभव है..? लगता है, कई तोड़ चुके हो..

मे- नही सच में भाभी.. आप दूसरी हो, झूठ नही बोलूँगा.

भाभी- कॉन है वो पहली..?

मे- है एक.. मेरा फर्स्ट लव… मेरी जानेजिगर.. जो मुझे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यारी है..!

भाभी- ओह ! तो मजनू जी इश्क भी फरमाते हैं…क्यों..? सच मे तुम बड़े अच्छे हो वो बड़ी खुशकिस्मत है, जो तुम्हारा प्यार उसे मिला.. तो कब कर रहे हो शादी उससे..?

मे- पता नही भाभी, हो पाएगी भी या नही..?

भाभी- क्यों..?

मे- अपने-2 घरों के संस्कार.. ये जात-पात, रीति-रिवाज आड़े आ रहे हैं… फिर भी देखते हैं, क्या संभव हो सकता है..?

वो मेरे उपर लेटी हुई थी और मे उसकी चुचि पीने लगा, कुछ देर में वो गरम हो गयी, तो मैने उसे घोड़ी बनने को बोला और उसके पीछे आ गया.

वाह ! सच में उसकी गान्ड देखके मेरा शेर दहाड़ने लगा.. मैने उसके एक कूल्हे में दाँत गढ़ा दिए और काट लिया..

वो- अरईी.. दैयाअ… काटते क्यों हो,,?

मैने अनसुनी करते हुए, दूसरे कूल्हे में भी काट लिया.. वो सिसकारी लेने लगी दर्द और मज़े में.

फिर मैने उसकी गान्ड को चूमा, और चाटने लगा.. गान्ड में मुँह डालके उसकी चूत चाटी और फिर उसकी गान्ड के छोटे से भूरे रंग के छेद पर जीभ की नोक लगाके अंदर करने की कोशिश करने लगा..

सुरसूराहट में उसकी गान्ड का छेद खुल-बंद हो रहा था.. बड़ी ही मनोहारी गान्ड थी भाभी की…!

मैने जैसे ही अपना मूसल हाथ में पकड़ के उसकी चूत और फिर गान्ड पे फिराया, तो वो बोली..

देवर्जी पहले एक बार चूत में डालना थोड़ी देर..! फिर बाद में गान्ड मारना..!!

मैने कहा ठीक है, और लंड एक ही झटके में उसकी चूत में पेल दिया.. उसकी आहह… निकल गयी.. !!

सीयी…आअहह… बहुत जालिमम्म.. हो तुम अरुण… सच में…, एक ही बार में डालने की क्या ज़रूरत थी.. हान्ं..! धीरे-2 नही डाल सकते थे..?

मे- सॉरी भाभी.. आपकी गान्ड देखके सब्र नही हुआ मुझसे.. झटका लग गया ज़ोर से.. आप कहो तो निकाल लूँ..?

नही अब करते रहो..लेकिन आराम से.. हां ..!, धीरे-2 उसको मज़ा आने लगा और वो अपनी गान्ड लंड पे पटाकने लगी..
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

इस पोज़िशन में चूत मारने में बहुत मज़ा आरहा था, बार-2 मेरी झंघें उसकी चौड़ी गान्ड पे थपकी सी देती..ठप्प-ठप्प.. बड़ा अच्छा लग रहा था..

मैने अपनी बीच की उंगली मुँह से गीली करके उसकी गान्ड के संकरे छेद में डाल दी, शुरू में तो उसको दर्द हुआ, पर बाद में मज़ा लेने लगी.

कुछ देर चुदाई के साथ-2 गान्ड में एक उंगली अंदर बाहर करता रहा, उसके बाद दो उंगली पेल दी..

भाभी मज़े में थी सो उसकी गान्ड दोनो उंगली खा गयी..

धक्कों की रफ़्तार तेज और तेज होती गयी.. दोनो छेदों में एक साथ अटॅक होने से, 10 मिनट. में ही उसकी चूत पानी छोड़ गयी.. और वो झड़ने लगी..

लंड चूत रस से सराबोर तो था ही, देर सारा थूक लेके और गान्ड पे लगा दिया, और अपने मूसल को हाथ मे लेके गान्ड पे सेट करके दबा दिया, थूक और चूत रस से चिकनी गान्ड आसानी से सुपाडे को निगल गयी.

फिर मैने थोड़ा ज़ोर लगाके लंड अंदर किया, तो वो दर्द से छटपताई और कराहते हुए बोली…

ओह्ह्ह.. माआ.. हाइईई.. मारीी.. निकालो अरुण… बाहर निकालो प्लस्सस… मुझसे नही होगा…बाद में कर लेना… हाईए… जल्दी निकालूओ..

मे थोड़ा रुक गया और अपने दोनो हाथ उसकी कमर से लपेटे हुए उसके दोनो आमों को थाम लिया और मसल्ने लगा.. फिर एक हाथ से उसकी चूत भी सहलाना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर में ही उसको फिर से मज़ा आने लगा और अपनी गान्ड को उचका दिया.. मौके पे चौका मारते हुए..एक धक्का और कस्के मारा.. मेरा तीन चौथाई लंड उसकी गान्ड में धुंस गया..

अब तो मारे दर्द के उसका बुरा हाल था.. अगर किसी जंगल उंगले में ये चुदाई हो रही होती ना, तो शर्तिया वो दहाड़ें मार-2 के चिल्ला रही होती..

थोड़ी देर रुक के मे फिरसे उसकी चूत मे अपनी दो उंगली डाल दी और दूसरे हाथ से उसके निपल को मसल दिया…

निपल के मसल्ने से उसका दर्द गान्ड से निपल में आ गया और उसीका फ़ायदा उठाते हुए मैने पूरा लंड उसकी गान्ड में ठूंस दिया.. उसका दर्द और बढ़ गया..

पर अब मैने रुकने की वजे धीरे-2 लंड को अंदर बाहर करने लगा, और दोनो चुचियों को मसल्ने लगा.. कुछेक ही देर में उसकी गान्ड मेरे लंड के हिसाब से सेट हो गयी, और उसका दर्द अब मज़े में बदलने लगा.

वो भी अब अपने गान्ड को आगे-पीछे करने लगी…आज मैने भी पहली बार गान्ड मारी थी, लेकिन इसमे एक अलग ही तरह का मज़ा आरहा था.

कसी हुई गान्ड ने मेरे लंड को जल्दी ही पस्त कर दिया और मे 10 मिनट. में ही उसकी गान्ड में झड गया.. मेरे वीर्य की गर्मी अपनी गान्ड में महसूस करके वो भी झड़ने लगी..

कितनी ही देर मे उसके उपर पड़ा रहा.. उसकी गद्देदार गान्ड के उपर से उठने का मन ही नही कर रहा था.. पर उठना तो था ही..

हम दोनो बुरी तरह थक चुके थे, और समय भी अब 4 बजने वाले थे, सो

भाभी अपने कपड़े पहन कर अपने रूम में चली गयी और में खाली पाजामा पहन कर ही सो गया.

सुबह देर तक मेरी आँख नही खुली, आज भाभी भी चाइ लेके नही आई, शायद उसकी भी नींद नही खुली हो.

8 बजे के करीब धनंजय मेरे रूम में आया, तब उसने उठाया,

धनंजय- क्या बात है भाई, आज सारे नियम ताक पे रखके अभी तक सो रहा है..

मे- हां यार देर रात तक नींद ही नही आई, सो सुबह आँख नही खुली..

धनंजय- चल अब उठ फ्रेश हो चाइ नाश्ता करके निकलते हैं, शहर की तरफ कोई मूवी-ुओवी देख के आते हैं. अमिताभ बच्चन की नयी मूवी लगी है.

मैने कहा ठीक है, तू चल मे एक घंटे में तैयार होता हूँ फिर चलते हैं.

चाइ नाश्ता करके जब हम रेडी हुए, धनंजय ने अपने पिता जी से शहर जाने के लिए बात की और बताया कि क्या प्लान है तो उसकी मम्मी बोली, कि तुम लोग रेखा को भी साथ ले जाओ, वो भी देख आएगी.

हम तीनों चल दिए शहर की ओर, साधन के नाम पे उसके यहाँ एक बजाज का स्कूटर था, उसे लेके चल दिए. धनंजय स्कूटर चला रहा था, मे बीच में था, मेरे पीछे रेखा बैठ गयी दोनो पैर एक तरफ को करके.

बजाज स्कूटर की दो अलग-2 सीट होती हैं, मे आधा आगे की सीट पे और आधा पीछे की सीट पे अड़जस्ट हो गया. रेखा के लिए भी पीछे ज़्यादा जगह नही बची थी, सो वो मेरी पीठ से सटी हुई थी, वो थोड़ी तिर्छि होके बैठी थी, तो उसकी एक राइट साइड की चुचि मेरी पीठ में गढ़ रही थी, या वो जान-बुझ के और ज़्यादा गढ़ा रही थी.

उसकी कठोर चुचि मेरी पीठ से दबी हुई थी, उसके आभास से मेरा लॉडा तन्तनाने लगा, अब मुझे ये भी डर था कि साला कहीं आगे धनंजय की गान्ड में जाके ठोकर ना मारने लगे..इस वजह से मे और थोड़ा पीछे को दब गया,.

रेखा ने पकड़ने के लिए मेरी कमर में हाथ डाल दिया, और अब वो एक तरह से मेरी पीठ पे सवार ही थी, मेरी हालत बहुत खराब थी साला एक तो आगे को नही जा सकता, दूसरा वो पीछे से मुझे ठेस रही थी.
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

अब तो वो पूरा अड्वॅंटेज लेने पे उतरती जा रही थी, उसका हाथ अब प्रोहाइबिटेड एरिया की तरफ भी आने लगा, और मेरे लंड पे अपनी उंगलिया टच करने लगी.

मेरे से रहा नही गया और मैने उसका हाथ पकड़के उपर कमर पे रख दिया, अब वो कुछ संभली, और थोड़ा ठीक से बैठी लेकिन चुचि ठोकना बंद नही किया, रास्तों के झटकों का पूरा-2 लाभ लेती रही.

राम-राम करके शहर पहुँचे, शो में थोड़ा टाइम था तो कुछ आइस्क्रीम वग़ैरह खाई.. फिर टिकेट लेके हॉल के अंदर चले गये.

उपर की सीट मिली तो मे धनंजय के बाजू में बैठ गया और रेखा जानबूझ कर मेरे बाजू में बैठ गयी, मतलब मे दोनो के बीच में था.

मूवी शुरू हुई, थोड़ी देर मे वो भी शुरू हो गयी, मैने मन में कहा, ये लौंडिया तो बड़ी गरमा रही है यार.. क्या करूँ दोस्त की बेहन है.. कुछ गड़बड़ ना हो जाए.. साला टेन्षन होने लगा था मुझे अब.

मूवी शुरू होने के थोड़ी ही देर के बाद रेखा ने अपना हाथ मेरी जाँघ पे रख दिया, थोड़ी देर वो ऐसे ही हाथ रखे रही, सिनिमा हॉल में झापा-झप्प अंधेरा था. हाथ को हाथ सुझाई नही दे रहा था, सो लेने लगी उसका फ़ायदा.

अब उसका हाथ धीरे-2 मेरी जाँघ को सहला रहा था, मूवी अच्छी थी, मेरे मनपसंद सूपर स्टार की “नमक हलाल”, पर क्या करूँ साला ध्यान बार-2 भटक रहा था..

उसका हाथ जैसे ही मेरे लंड के उपर आया, मैने उसका हाथ हटा दिया, और उसके कान में बोला- दीदी क्या कर रही हो ठीक से बैठो ना प्लस्सस..

वो भी मेरे कान में बोली, भाभी के साथ तो रात भर खूब मज़े किए, मेरे हाथ में काँटे निकल आए…हान्ं..?

मेरा मुँह खुला का खुला रह गया….!

इंटर्वल हो गया था, टाय्लेट वग़ैरह जाने के बाद वेंडर’स लॉबी में आके कुछ खाने-पीने को लिया, और फिर से हॉल में आ गये.

इंटर्वल के बाद फिल्म फिर शुरू हो गयी, धनंजय मूवी में खो गया, मैने रेखा के कान में जाके पुछा, दीदी क्या कह रही थी तुम..?

रेखा- मैने तुम्हारी और भाभी की रात वाली पूरी मूवी देखी है अब अगर तुमने ज़्यादा शरीफ बनने की कोशिश की तो देख लेना.. हां.

मे- लेकिन तुम मेरी दीदी जैसी हो वो भाभी है,

रेखा – दीदी जैसी ही तो हूँ, दीदी तो नही.. फिर थोड़े रिक्वेस्ट वाले स्वर में बोली- प्लीज़.. अरुण मे भी तुम्हें पसंद करने लगी हूँ, मेरा दिल आ गया है तुम्हारी मर्दानगी पर, देखो मना मत करना.

मे मन में-ये साली मर्दानगी क्या दिखाई, यहाँ तो जिसे देखो पीछे ही पड़ गया है यार, अब क्या करूँ..? इसको मना करता हूँ तो पता नही क्या हंगामा खड़ा कर दे.. ? फिर कुछ सोच के..

अच्छा दीदी एक बताओ, पहले भी किसी के साथ….? मेरा मतलब है कि…

रेखा- नही .. नही… अरुण ! मे उस टाइप की लड़की नही हूँ, वो बस तुम भा गये हो मन को इसलिए, और फिर तुम्हारा भाभी के साथ वो सब देखा तो ….. और फिर से उसने मेरी जाँघ पे हाथ रख के मेरे गाल को चूम लिया..

मैने भी अब अपना हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया और सहलाने लगा..इसका मतलब अभी तक कुवारि हो…?

रेखा- हां..! और शर्म से नज़रें झुका ली..

अब मेरी भी झिझक कम होती जा रही थी, सोचा एक नयी चूत का उद्घाटन करने को और मिल रहा है, अपना क्या जाता है, लौंडिया सामने से ही कह रही है तो कर देते हैं इसकी भी इक्षा पूरी, और उसकी कुवारि चूत पे सलवार के उपर से ही हाथ ले जा कर सहला दिया.

ससिईई…! हाइईई...! उसकी सिसकी निकल गयी, धनंजय बोला क्या हुआ दीदी…?

रेखा- कुछ नही भाई, कोई कीड़ा शायद पैर पे आ गया था, अब चला गया तू मूवी देख..! मैने पैर झटक कर हटा दिया है.

मैने एक हाथ उसके गर्दन के पीछे से ले जाकर उसकी चुचि पे रख दिया… कसम से क्या सॉलिड चुचि थी उसकी बिल्कुल रिंकी के जैसी..!

मेरा एक हाथ उसकी चुचि पे, दूसरा हाथ उसकी चूत पे था, कैसा लग रहा है दीदी मैने उसके कान में पुछा…!

धीमी आवाज़ मे सिसकी लेते हुए.. सीयी.. आह.. बहुत अच्छा..! कह कर मेरा लंड पकड़ लिया उसने पेंट के उपर से ही और मरोड़ दिया..!

मे तो सिसक भी नही सकता था, वरना धन्नु को पता चल जाना था, मे उसी की तरफ जो था. फिर भी उसके कान में फुसफुसाकर कहा..! क्या करती हो दीदी..? तोड़ॉगी क्या उसे,,?

तूने भी तो मेरी पेंटी का बुरा हाल कर दिया है कमिने..! सच मुच उसकी सलवार तक गीली हो चुकी थी..!

अब इससे ज़्यादा यहाँ हम कुछ नही कर सकते थे, सो अब मूवी ख़तम होने का इंतजार करने लगे..!
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

मूवी ख़तम हुई, बाहर आकर थोड़ी बहुत खरीददारी की, मैने अपनी तरफ से रेखा के लिए कानों के लिए बलियाँ खरीदी, और भाभी के लिए एक अंगूठी.

फिर उसी स्कूटर पे लौट लिए घर को, लेकिन अब मुझे इतनी टेन्षन नही थी हम दोनो धनंजय के पीछे बैठे-2 गुप-चुप मस्तियाँ करते रहे रास्ते भर.

घर आते-2 शाम हो गयी थी, थोड़ा बहुत बैठके बातें की, मूवी की, इधर-उधर की..! इस दौरान भाभी नज़र नही आई..! मैने आंटी से पुछा भी.., तो उन्होने कहा, उसकी तबीयत ठीक नही है, कुछ कमर में दर्द बता रही थी..

मे और रेखा कुछ-2 समझ रहे थे उसकी प्राब्लम..!

मैने कहा मे देखता हूँ क्या प्राब्लम है, और उनके कमरे में चला गया..! भाभी बिस्तेर पे लेटी हुई थी, एक बाजू आँखों के उपर रखा था..!

मे- भाभी..क्या हुआ आपको..? वो चोंक के उठी..!

वो- दर्द देकर पूछते हो क्या हुआ..? पूरी गान्ड पके फोड़े की तरह दुख रही है, बैठा भी नही जा रहा है, चलने फिरने की तो बात ही छोड़ो..!

मे हंसते हुए..! अरे तो गरम पानी से सेंक ही ले-लेती.. चलो लो ये टॅबलेट खलो, और मैने एक पेन किल्लर उनके हाथ में रख दी, जग से पानी लिया और खिला दी.

अब देखो 10-15 मिनट. दर्द कम हो जाएगा..!

वो- तुम बताओ, देख आए मूवी.. ?

मे- हां..! अच्छी मूवी थी.. मे आपके लिए कुछ लाया हूँ..? और रिंग निकाल कर उनकी उंगली में पहना दी..

वो- रिंग देख कर.. तुम लाए हो..? मेरे लिए..?

मे- हां.. क्यों आपको पसंद नही आई..? तो मे वापस रख लेता हूँ..!

वो- अरे नही..नही..नही..! सच में बहुत अच्छी है, मुझे तो बहुत पसंद आई.. !

मे- तो आज इसका इनाम मिलेगा..?

वो- अरे नही..नही..! आज तो बिल्कुल भी नही.. वरना कल तो खड़ी भी नही हो पाउन्गी.. !

मे- ठीक है, वैसे भी आज संभव नही है.. !

वो- क्यों आज रात कहीं जा रहे हो..?

मे- नही.. जा कहीं नही रहा..! किसी से कुछ वादा किया है..!

वो- क्या..? किससे..?

और फिर मैने रेखा वाली बात बताई…! वो अवाक रह गयी और बोली- हे राम.. अब क्या होगा.. ? उसने किसी से इसका जिकर कर दिया तो..?

मे- इसलिए तो आज उसका मुँह बंद करना है, कुछ तो उसको भी देना ही पड़ेगा..?

वो- क्या वो करने देगी..?

मे- अरे उसी ने पूरे रास्ते मुझे परेशान किया, सिनिमा हॉल में भी छेड़ती रही, जब मैने उसे रोकने की कोशिश की, तो उसने सामने से ये बात बताई और प्रॉमिस लिया कि वो उसको भी वो सब देगा जो भाभी को दिया है, तभी चुप रहेगी.

वो- इसका मतलब ये लड़की भी महा चालू है..!

मे- नही…! वो अभी तक कुवारि है..!

वो- सच !!, फिर तो बड़ा मुश्किल होगी उसे आज..!

मे- क्यों ? आपने पहली बार किया था तो आपको मुश्किल हुई थी..?

वो- ज़्यादा तो नही..! पर तुम्हारा हथियार बहुत तगड़ा है इसलिए कह रही हूँ, रेखा की तो आज खैर नही, थोड़ा ध्यान से, कहीं ज़्यादा चीख पुकार कोई सुन ना ले..!

मे- आप चिंता ना करो, आपकी गान्ड फाडी.. तो आपने क्या घर सर पे उठा लिया था

क्या.. ? वो भी समझती है ये सब..!

थोड़ी देर में उसका दर्द कम हो गया, और मे वहाँ से आकर सब के साथ बैठ गया, रेखा ने इशारों में पुछा क्या हाल है अब, मैने भी आँखों के इशारे से बता दिया की सब ठीक है.
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Post Reply