ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete

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jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

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Dolly sharma wrote: 30 Oct 2017 16:53 Congratulations for New thread
xyz wrote: 30 Oct 2017 19:51 thanks for new story
Kamini wrote: 30 Oct 2017 22:05 Mast shuruwat Jay ji
Ankit wrote: 31 Oct 2017 11:27superb stori
007 wrote: 31 Oct 2017 12:33 congrats for new story dost
sexi munda wrote: 31 Oct 2017 13:09 Congratulations for new thread..
Nice start .. keep it up ...
thank you so much friends for supporting me
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

जिसके खेतों में पानी जा रहा था वो भी अरुण का एक लन्गोटिया यार, जिसका नाम नीरज था, जैसे ही अरुण वहाँ पहुँचता है, उसके चचेरे भाई जो वहाँ पहले से मौजूद थे वो बोले, कि चलो तू अच्छा आ गया, मुझे कहीं काम से जाना था तो तू यहाँ रुक, में चलता हूँ और 3-4 घंटे में आता हूँ.

यहाँ अभी ये इतना क्लियर कर देना बेहतर होगा कि अरुण और उसके चचेरे भाईओं की खेती शामिल ही होती थी, उनकी ज़मीन 3 जगहों पर थी और जिसमें दो जगह ट्यूब वेल थे और एक जगह बिल्कुल गाओं के पास वाली ज़मीन कम थी इस लिए वहाँ दूसरे के साधन से सिचाई होती थी.

बॅक ऑन टॉपिक: चचेरे भाई के जाने के बाद अरुण का दोस्त नीरज जो अपने खातों में पानी दे रहा था उसके ट्यूब वेल से उसकी बेहन –

एज ~18 साल, रंग एकदम गोरा इसलिए उसका नाम भूरी था, काली-काली हिरनी जैसी प्यारी आँखें लगता था जैसे अभी कुच्छ कहेंगी, पतले सुर्ख रसीले होंठ, सुतवा नाक, गोल गोल गाल, राउंड फेस, सीने पे दो कश्मीरी सेब के आकर के चूचे एकदम कड़क उठे हुए, सपाट पेट, पतली 22 की कमर, गोल-गोल लेकिन ज़्यादा उठी हुई नही यही कोई 28-30 की गान्ड कुल मिलाकर गाओं की नॅचुरल ब्यूटी क्वीन, जिसने कभी पाउडर भी यूज़ नही किया होगा, किया कहाँ से होगा बेचारी के पास था ही नही..

अपने भाई के लिए खाना लेके आती है और सीधी अपने खातों में भाई के पास जाके उसको खाना ख़िलाकर लौटती है, तभी उसका भाई नीरज उसको बोलता है…

नीरज : भूरी, घर जा रही है…

भूरी: हां भैया…

नीरज: एक काम कर, पानी की नाली को चेक करते हुए ट्यूब वेल तक जाना, ये देखते हुए कि पानी कहीं से निकल तो नही रहा…

भूरी- ठीक है भैया और वहीं से सीधी घर चली जाउन्गि…

वैसे यहाँ बता दूँ… कि जहाँ तक अरुण के खेतों की हद थी वहाँ तक की नाली लगभग सिमेंटेड ही थी, फिर भी कभी कभी दूसरे बंद रास्ते ना खुल जाए इतना तो चेक करना ही पड़ता था समय-समय पर.

नीरज के खेत जहाँ पानी जा रहा था वो लगभग 250-300 मीटर दूर थे और ट्यूबिवेल का जो रूम था जिसमें मोटर ऑर पंप थे उसके पीछे की साइड उसके खेत थे, माने कि अगर कोई रूम के गेट की तरफ है तो उसके खातों से नही दिखेगा,

अरुण टेब्वेल्ल के कमरे में एक चारपाई (कॉट) पे लेटा हुआ आँखें बंद किए अपनी ही सोच में गुम था जो बातें कुच्छ देर पहले भाईओं के बीच हुई थी उनको लेकर..

इधर जैसे ही भूरी दरवाजे पे पहुँची, और उसकी नज़र अरुण पे पड़ी, तो उसकी बाछे खिल उठी,
अरुण का सर दरवाजे की तरफ था और अपने विचारों से जुझरहा था उसने भूरी के आने की आहट तक भी नही सुनी,

अचानक जब उसकी आँखों पर किसी ने हाथ रख के बंद किया तो वो चोंक गया, लेकिन जैसे ही महसूस हुआ कि ये तो किसी लड़की के हाथ हैं तो मन ही मन गुदगुदा उठा….

अरुण ने भूरी के मुलायम हाथों के उपर जैसे ही अपने हाथ रखे, उसे महसूस हुआ कि ये तो मेरी कोई दिलरुबा ही है,

जैसे ही उसने भूरी के हाथ पकड़ के उसे घूमके सामने करने की कोशिश की, खिलखिलाती हुई भूरी भरभरा के उसके सीने से चिपक गई…

भूरी ने अधलेटे हुए अरुण के कंधे पर अपना सर रख दिया और उसके गले में अपनी पतली-2 कोमल बाहों का हार पहना दिया, जिससे उसके सख़्त और गोल-2 इलाहाबादी अमरूद जैसे उरोज अरुण की मेहनतकश चौड़ी छाती में दबने लगे…

स्वतः ही अरुण के दोनों हाथ भूरी के कड़क और गोल-मटोल चुतड़ों पे कस गये और उसने उन्हें एक बार ज़ोर्से मसल दिया….

ससिईईईईईईईईईईईय्ाआहह…. भैय्ाआआ…. क्या करते हो….. धीरे…

क्यों साली… इतनी ज़ोर से मेरे उपर क्यों कूदी तू…. ?? अरुण उसके चुतड़ों को मसल्ते हुए बोला…

पता नही.… आपको देखते ही मुझसे क्या हो जाता है, रहा ही नही जाता…, मेरा पूरा शरीर आपके नज़दीक आते ही काँपने सा लगता है.. कहते ही वो उसका पाजामा के उपर से ही लंड पकड़ लेती है और उसे ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगती है, जिससे अरुण का 7.5” लंड जो भूरी के हाथ की मुट्ठी में भी नही समाता, एकदम खड़ा डंडे की तरह कडक हो जाता है…

भूरी उसके लंड को पकड़ के सलवार के उपर से ही अपनी चूत के उपर रगड़ने लगती है और सीसीयाने लगती है…. सीईईईयाहह.. उउंम्म….भूरी की चूत लंड की रगड़ से पनियाने लगती है…

हालाँकि भूरी के मादक शरीर के स्पर्श से ही अरुण का लंड फुफ्कारने तो लगा था फिर भी उसका मन चुदाई करने के लिए नही था इस समय, क्योंकि अभी-भी उसके अंतर्मन में द्वंद चल रहा था सुबह के बार्तालाप को लेकर, इसलिए वो बोला…

भूरी छोड़ ना…. ये क्या कर रही है, पता नही., तेरा भाई खातों में पानी लगा रहा है, और यहाँ कभी भी आ सकता है….. छोड़…मुझे.. अब..

उन्नहुऊऊ.. बस एक बार करदो ना… 15 मिनट की ही तो बात है, वो अभी नही आएँगे… में अभी तो नाली चेक करके आरहि हूँ… वैसे भी उन्हें ये पता नही कि आप यहाँ हो… वो तो समझ रहे है कि ट्यूबिवेल पर स्वामी दादा ही हैं…ये कहते हुए भूरी उसका पाजामा नीचे सरकाने लगी..

चल ठीक है फिर, गेट तो बंद कर्दे, और अपने कपड़े उतार के आजा… आज तुझे जन्नत की सैर कराता हूँ..

भूरी उठके गेट लॉक करती है और अपनी कमीज़ और सलवार उतार के सिरहाने रख देती है, अब वो मात्र एक छोटी सी पैंटी में थी जो उसके गान्ड पे चिपकी हुई सी थी..

इधर अरुण ने भी अपने कपड़े उतार दिए थे…और खड़े होकर भूरी के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए… एक छोटा सा किस किया…

भूरी उसकी आँखों में आँखे डालके उसका लंड पकड़के मरोड़ देती है जिससे अरुण के मूह से एक आअहह सी निकल जाती है… और वो झपट के उसके होठों को फिरसे अपने मूह में भर लेता है और ज़ोर ज़ोर से उनका रस निकालने की कोशिश सी करता है…भूरी भी अपने होंठो को खोल देती है और अपनी जीभ को उसके मूह में पेवस्त कर देती है…

दोनों की ज़ुबाने एक दूसरे से कुस्ति करने लगती हैं… लगभग 4-5 मिनट के बाद अरुण उसके मूह को छोड़ भूरी के चुचकों को जकड लेता है और कड़क हाथों से उन्हें मसल देता है….

सस्सिईईईईईयाअहह…. भूरी की सिसकारी छ्छूट जाती है…

चल अब इसे चूस…. साली… अरुण उसे दबा कर नीचे धकेलते हुए बोलता है,

भूरी अपने पंजों के बल बैठ कर अरुण के जंग बहादुर को हाथों से मसल मसल कर उसे मुठियाने लगती है…. उसके रानीखेत के सेब जैसे सुपाडे के चीरे पर एक बूँद जैसी लगी थी जिसे भूरी बड़े अंदाज़ से अरुण की आँखों में देखती हुई अपनी जीभ के सिरे से चाट लेती है और चटकारे लेकर बोलती है,

आआआअहह कितना मीठा है ये…..

चल अब ढंग से इसे मूह में लेके चूस पूरा…. कहते हुए अरुण उसकी चुचियों को दोनो हाथो में लेकेर मसलने लगता है..

इधर भूरी पूरी तन्मयता से अरुण के लंड को चूसने लगी…. मारे मज़े के ना चाहते हुए भी अरुण के मूह एक लंबब्बीईईईईईई सी आहह निकलती है…

ससुउुुुुुुउउ आआहह…….. भूरिया सालीइीईई, क्या मज़ा देती है तुउउउ... सच में तू लज़्बाब है… और उसके कंधों को पकड़ के उससे खड़ा करता है और फिर से उसके रसीले होठों पे टूट पड़ता है… कुच्छ देर होंठ चुसाई के बाद अरुण उसके अमरूदों का स्वाद लेने की गर्ज से उसकी गोल-गोल अमरूद के साइज़ की चुचि को मूह में पूरा भर के खिचता है और दूसरी को एक हाथ से भीचने लगता है, उसकी चुचियों की घुंडिया एकदम चिड़िया की चोंच की तरह खड़ी हो गयी थी..जिन्हें वो बड़ी बेदर्दी से अपने हाथों के अंगूठे और उंगली के बीच पकड़ कर मरोड़ देता है….

आआहह…..मुंम्म्ममिईीईईईईई…..सस्स्सिईईहहिि… ओह्ह्ह्ह… भैय्ाआ….मरररर जाउन्गी…. कुकचह करूऊ नाआआआअ प्लस्सस्स्स्सस्स….

तब अरुण उसकी चुचियों को अच्छे से सर्विस देने के बाद वो उसी चारपाई के उपर धकेल देता है और खुद उसके दोनो टाँगों के बीच आकर उसकी गान्ड से चिपकी हुई पैंटी को कमर के दोनो साइड उंगली फँसाकर निकाल देता है…. भूरी की हल्के बालों वाली “पिंकी” जो कब्से आँसू बहाए जारही थी बेचारी,, नुमाया हो जाती है, जिसे अरुण नज़र भर देखता है…. फिर अपने हाथ का जेंटल टच उसपे करता है….. भूरी मारे मज़े के आपनी टांगे भींचने की कोशिश करती है, जो अरुण के वहाँ बैठे होने की वजह से संभव नही हो पाता…

अरुण ने भूरी की टाँगों के बेंड को अपने कंधों पे सेट किया और धीरे से अपनी जीभ की नोक को उसकी पिंकी के होठों के चारों तरफ फिराया……. भूरी को लगा मानो वो आसमानों में उड़ रही है… मज़े की वजह से उसकी आँखे बंद हो जाती हैं और मूह से मीठी-मीठी सिसकारियाँ फूटने लगती है…

कुच्छ समय ऐसे ही अपनी जीभ का जेंटल टच उसकी चूत के होंठों पर देने के बाद अरुण अपनी जीभ को उसकेछेद में नीचे से भिड़ा देता है और फिर उसे मूह में भरके ज़ोर्से खींचने लगता है, साथ ही साथ अपनी मध्यमा उंगली को उसकी चूत के सुराख में ठेल कर अंदर बाहर करता है…. नतीज़ा सब जानते है…..
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by Kamini »

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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

Kamini wrote: 31 Oct 2017 23:04Mast update
thanks
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना

Post by jay »

कुच्छ समय ऐसे ही अपनी जीभ का जेंटल टच उसकी चूत के होंठों पर देने के बाद अरुण अपनी जीभ को उसकेछेद में नीचे से भिड़ा देता है और फिर उसे मूह में भरके ज़ोर्से खींचने लगता है, साथ ही साथ अपनी मध्यमा उंगली को उसकी चूत के सुराख में ठेल कर अंदर बाहर करता है…. नतीज़ा सब जानते है…..

भूरी की कमर आपने आप उपर को उठने लगती है और वो बिल्कुल धनुष की भाँति बेंड होकर एक लंबी सी चीख मारती हुई अपनी चूत का कुलाबा खोल देती है…. भरभराकर चूत रस निकल ने लगता है, जिसे अरुण पूरे कॉन्सेंट्रेशन के साथ पी जाता है… जैसे ही उसका ओरगैस्म पूरा होता है, उसकी कमर धीरे-धीरे चारपाई पे लॅंड कर्देति है और हाफने लगती है, जैसे की मीलों की यात्रा दौड़ लगा के की हो

जैसे ही अरुण अपना मूह उपर उठाके भूरी की तरफ देखता है, उसके मूह से हँसी फुट पड़ती है……..

आई.. भूरिया हंस क्यों रही है….?

अरे भैया.. देखो ना आपका मूह तो ऐसा हो रहा है जैसे कोई छोटा बच्चा सिरेलॉक ख़ाके चुका हो…. ..

अच्छा …. तो ले इसे अपने जीभ से सॉफ कर….

भूरी उसके मूह पर टूट पड़ती है, और अपने ही चूतरस को जीभ से चाट-चाट कर स्वाद ले-लेकर सॉफ कर देती है… एक बार फिरसे उनके लब-लॉक हो जाते हैं…

भैय्ाआ…… हाँ…… अब असली वाला मज़ा दो ना…. भूरी उसके कान के पास अपना मूह रखके बहुत ही धीमी और नशीली आवाज़ में कहती है… मानो अपने किसी ईष्ट से कोई वरदान माँग रही हो…

अरुण भी तथास्तु कह कर उसकी टाँगो के बीच एक बार फिर सेट होता है और उसकी गान्ड के नीचे एक तकिया सेट करके उसकी चूत को उपर उठा लेता है….उसके बाद वो अपने जंग बहादुर को उसकी गीली पिंकी के मूह पर घिसने लगता है… जैसे कोई कसाई बकरे को हलाल करने से पहले अपने छुरे को धार दे रहा हो…

आअहह….. भैयाअ…… अब सबर नही होता….. जल्दी डालो ना इसे अंदर…. मेरी चूत में चींतियाँ सी काट रही हैं… जल्दी कुच्छ करो प्लस्सस्स…

सालिी इतनी गरमा रही है तेरी चूत…. अरुण मज़े लेते हुए बोला…

अबीए भोसड़िइई के डालनाअ…. और भूरी ने अपनी कमर को जैसे ही उपर को झटके से लंड लेने के लिए किया उसी टाइम अरुण ने भी अपना मूसल उसकी चूत में खूँटे की तरह ठोक दिया… नतीज़ा … एक ही झटके में साडे-साती मोटा तगड़ा पूरा का पूरा लंड भूरी की चूत के अंदर जड़ तक घुस गया……. वो तो अच्छा था कि चूत गीली थी…. बावजूद इसके… भूरी की इतनी तगड़ी चीख मूह से निकली कि अगर वहाँ पंप चलने की आवाज़ नही हो रही होती… तो शर्तिया उसकी चीख सात दरवाजे तोड़ती हुई उसके भाई के कानों तक पहुच ही जाती….

कितनी ही देर तक दोनो दम साढे यूही पड़े रहे…. कुच्छ देर बाद अरुण ने पूछा…. भूरी क्या हुआ…. तू ठीक तो है ना……

भूरी…हूंम्म में ठीक हूँ, पर भैयाअ.. एक बार तो मुझे लगा जैसे मेरी दम ही निकल गयी, ऐसा क्यों किया आपने..??

अब मुझे क्या पता था कि तू भी अपनी गान्ड उपर उठाएगी… तू मिन्नतें कर रही थी लंड लेने की तो मेने नॉर्मली ही डाला था…

हुउंम्म …. रहने दो ये बहाने…. अब शुरू करो…

ओके, तो चल फिर आसमानों की सैर करते हैं…. इतना कहके अरुण ने धीरे-धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, मोटे खूँटे जैसा लंड चूत में घर्षण पैदा करने लगा, 2 मिनट बाद ही भूरी नीचे से अपनी गान्ड को उचकाने लगी, साथ ही साथ उसके मूह से मज़ेयूक्त सिसकियाँ फूटने लगी….

आअहह ….. उउउंम्म… हीईिइ…भैय्ाआआआअ….चोदो मुझे… और ज़ोर से करो.. प्लस्ससस्स….

इतना सुनते ही अरुण ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और थोड़ी ही देर में उसकी स्पीड राजधानी एक्सप्रेस की तरह 120किमि घंटे की हो गयी, लंबा तगड़ा लंड किसी पिस्टन रोड की तरह भूरी के सेल्फ़-लूब्रिकेटेड सिलिंडर में चलने लगा… ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो जैसे उसके होल में कोई अमृत कुंड हो और उससे अरुण का ड्रिल मशीन निकालने के लिए बोर कर रहा हो…..

15-20 मिनट की धुँआधार चुदाई के बाद भूरी की संकरी गली जबाब देने लगी और वो चीख मारती हुई बुरी तरह से अरुण की पीठ पर अपने पैरों को कस्के लपेटी हुई झड़ने लगी… लेकिन अरुण के स्ट्रोक उसी स्टेप्स में बदस्तूर जारी रहे… जब भूरी की सहन शक्ति जबाब देगाई तो वो बोली…. प्लस्सस्स.. रूको थोड़ा, मुझे साँस तो लेने दो…

अरुण ने अपने पिस्टन के मूव्मेंट को रोक कर उसके होंठों पे कब्जा कर लिया…थोड़ी देर होठ चुसाइ के बाद उसने भूरी को चारपाई से नीचे खड़ा कर दिया और उसके हाथ चारपाई के किनारे की पाटी (फ्रेम का डंडा) पे रखवाके उसे झुकने को कहा…

भूरी अपनी 30 इंची गान्ड को चौड़ी करके नीचे खड़ी हो गयी, जिससे उसकी छोटी सी गान्ड का भूरे रंग का अठन्नी के साइज़ का छेद अरुण की आँखों के सामने नुमाया हो गया…

अरुण ने एक बार उसकी गान्ड के उपर किस किया और फिर हाथ फेरते हुए अपनी जीभ भूरी की चूत के उपरी दाने से शुरू होती हुई पूरी चूत की फांकों का स्वाद लेती हुई गान्ड के कत्थई छेद पे आके रेस्ट कर गई, और उससे धीरे धीरे नोक से कुरेदने लगी…

भूरी की चूत मज़े के मारे फिरसे ख़ुसी के आँसू बहाने लगी, कुच्छ तो थोड़ी देर पहले हुए ओरगैस्म की वजह से और फिर से मज़े के कारण उसकी चूत से बहता उसका रस उसकी टाँगों को भी लिसलिसा करने लगा…

अरुण ने लंड की पोज़िशन चूत के होल पे सेट की और फुल एफर्ट के साथ अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया और बिना सांस लिए धक्के मारना शुरू कर दिया…

भूरी की तो मानो लॉटरी ही लग गई आज…. अपने दोनो हाथों से चारपाई को कस के पकड़ अरुण के लंड के धक्कों का भरपूर मज़ा लेने लगी….

आअहह……सस्स्सिईईई….हहुउऊम्म्म्म…. हाईए…म्माआ…..सस्सिईईई.. बहुत मज़ा आ रहा है…. हीयययी भगवाानणन्न्… ईए क्य्ाआअ… सस्स्सिईईई … हूऊ…. रहाआ है … कही में मज़े के मारे मार ना जाआऊऊ…

हुउऊन्न्ं….लीयी सस्साालल्ल्लीइीइ और ले मेरा लंड… लीई और लीयी…स्साअल्ल्लीी कुतिया…बहुत आग है तेरी इससस्स.. चुउत्त्त में…

थप्प…थप्प..फॅच…फकच जैसी आवाज़ों से पूरा कमरा पंप की आवाज़ के साथ मिल कर एक संगीत जैसा पैदा हो रहा था… दोनो ही प्रेमी दीन-दुनिया से बेख़बर चुदाई की मस्ती में चूर लगे हुए थे… पसीने से दोनो के शरीर भीग गये थे… लेकिन कोई कम नही पड़ रहा था…

हालाँकि भूरी की टांगे कापने लगी थी और एक बार वो इस पोज़िशन में भी झड गई थी फिर भी वो अल्हड़, जवानी की दहलीज़ पे खड़ी चुदासी से भरपूर कमसिन बाला हार मानने को तयार नही थी…
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