अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ complete

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अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ complete

Post by rajaarkey »

अमन विला

दोस्तो आपके लिए सम्सख़ान द्वारा लिखी गई एक मस्त कहानी हिन्दी फ़ॉन्ट में शुरू करने जा रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ आपको ये कहानी बहुत पसंद आएगी और आप सभी अपना सहयोग बनाए रखेंगे


दोस्तो ये कहानी आपसी रिश्तों मे सेक्स के ताल्लुकातों की कहानी है जिन दोस्तों को आपसी रिश्तों में चुदाई की कहानी पढ़ने से परहेज होता हो वो कृपया इस कहानी को ना पढ़ें
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अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ-1

Post by rajaarkey »

‘अमन विला’ यही है उस खूबसूरत घर का नाम, 10 बेडरूम, एक हाल, 3 किचिन वाले इस बंगलो में 3 परिवार रहते हैं। ग्राउंड फ्लोर पे अमन का परिवार जिसमें 4 सदस्य हैं।
अमन-उमर 20 साल, एक खुश-मिज़ाज हट्टा-कट्टा गबरू जवान, क़द 6’, ब्राउन आँखें, सफेद त्वचा। कोई भी एक बार देखे तो देखता रह जाये।
रजिया बेगम-उमर 40 साल, सुडौल शरीर, क़द 5’5”, सफेद त्वचा।
अनुम-उमर 18 साल, बिल्कुल अपनी माँ रजिया बेगम की जिरोक्स कापी, होंठ लाल, आँखें ब्राउन, क़द 5’6”।
अमन के डैड और चाचू सऊदी में काम करते हैं और साल में दो बार ही आ पाते हैं। दूसरे फ्लोर पे रहते हैं।
अमन की चाची रेहाना-38 साल की खूबसूरत लेडी। जिनकी सिर्फ़ एक बेटी है फ़िज़ा वो अभी-अभी जवान यानी 18 साल की हुई है। फ़िज़ा एक खामोश तबीयत की लड़की है और उसकी अमन की बहन अनुम के साथ अच्छी बनती है।
तीसरा परिवार है अमन की खाला हीना बेगम का, जिनके पति का कुछ साल पहले रोड एक्सीडेंट में इंतकाल हो गया था। वो टीचर हैं, उमर 38 साल, एक लड़की है शीबा, जिसकी उमर 19 साल है।
अमन को कसरत का बहुत शौक है सुबह 6:00 बजे उठना उसकी आदत है। उसका शरीर भी किसी फिल्म आक्टर के शरीर से कम नहीं है। जब अमन ने जवानी की दहलीज पे कदम रखा तो उसे वो चीज़ सबसे ज्यादा अच्छी लगी वो थी उसकी अम्मी रजिया बेगम, और बहन अनुम। इन दोनों को देख-देखकर ही बड़ा हुआ है अमन।

रजिया तो उसे अभी भी छोटा सा, प्यारा सा बच्चा समझती है। पर अनुम जानती है की ये बच्चा अब बड़ा हो गया है। क्योंकी उसने एक बार अमन के रूम में कुछ ब्लू-फिल्मों की सी॰डी॰ देखी थी। तब से वो अमन से गुस्सा है और ठीक तरह से बात भी नहीं करती। ये बात अमन ने भी नोटिस की पर वो नहीं जानता था कि वजह क्या है? अमन ना सिर्फ़ ब्लू-फिल्में देखता है बल्की मूठ भी मारता है… वो भी अपनी अम्मी रजिया और अनुम को कल्पना करके। 2

रोज की तरह रजिया ने पहले अमन को उठाया फिर अनुम को और खुद किचिन में नाश्ता बनाने चली गई। अमन कसरत करने के बाद फ्रेश हुआ और किचिन में चला गया, जहाँ सिर्फ़ रजिया थी। अमन पीछे से जाकर रजिया से चिपक गया। ये उसका रोज का मामूल था।
रजिया-अमन आज तू नाश्ते में क्या लेगा?
अमन दिल में सोचते हुए-“आपकी चूत…” और कहा-“कुछ भी अम्मी आपकी पसंद का…”
रजिया-ह्म्मम्म्म्मम।
अमन-अम्मी 5 दिन बाद मेरा बर्थ-डे है, आप मुझे क्या गिफ्ट देने वाले हैं?
रजिया-क्या चाहिए मेरे राजा बेटा को?
अमन-मुझे वो गिफ्ट चाहिए वो अपने मुझे आज तक नहीं दिया है, वो मुझे ये यकीन दिलाए कि अब मैं 20 साल का हो गया हूँ।
रजिया हँसते हुए-“ओ हो… ऐसा क्या चाहिए मुझे भी पता तो चले?”
अमन-जाने दो अम्मी, आप मना कर दोगे।
रजिया अमन की तरफ मुँह करके उसके गले में बाहें डालकर-“मेरा बेटा मुझसे कुछ भी माँगे, मैं कभी मना नहीं करूंगी प्रोमिस। अब बोल क्या चाहिए तुझे?”
अमन रजिया की आँखों में देखते हुए-“अम्मी मुझे आपसे बर्थ-डे गिफ्ट में एक पैशनेट किस चाहिए…”
रजिया-“बस… ये लो…” और रजिया अमन के गालों पे एक प्यारी सी किस कर देती है।
अमन-“उफफ्र्फ… अम्मी ये नहीं होंठों पे…”
रजिया गम्भीर नज़रों से-क्या?
अमान-हाँ अम्मी।
रजिया-ये तू क्या कह रहा है? अमन तू मेरा बेटा है, मैं कैसे?
अमन-अम्मी अपने प्रोमिस किया है, मैं कुछ नहीं जानता। 3

रजिया कुछ सोचते हुए कि अगर मैंने प्रोमिस तोड़ दिया तो अमन को हर्ट होगा वो मैं कभी नहीं चाहती। फिर कहा-“ओके अमन, मैं तुम्हें तुम्हारा गिफ्ट दूंगी, पर एक शर्त पे कि ये बात सिर्फ़ हम दोनों तक ही रहेगी। प्रोमिस करो मुझसे…”
अमन-“अम्मी, ये भी कोई बोलने वाली बात है प्रोमिस। अम्मी मैं चाहता हूँ कि बर्थ-डे वाले दिन आप मुझे सही तरीके से गिफ्ट दें इसके लिये थोड़ी प्रेक्टिस करनी पड़ेगी…” और अमन रजिया को अपनी तरफ घुमा लेता है।
रजिया-अमन नहीं, वो भी चाहिए बर्थ-डे वाले दिन।
अमन-अम्मी, प्लीज़… सिर्फ़ एक केवल प्रेक्टिस के लिये।
रजिया अपने बेटे केी बात कैसे ठुकरा सकती थी-“ओके… लेकिन सिर्फ़ एक, उसके बाद तुम कोई रिक्वेस्ट नहीं करोगे…” और रजिया अमन के गले में बाहें डालकर एक हल्का सा किस करके पीछे हो जाती है।
अमन उसे दुबारा खींचकर अपने से चिपका लेता है-“ये क्या अम्मी? ऐसे नहीं…” और अमन रजिया के होंठों पे अपने होंठ रख देता है।
रजिया इस हमले के लिये तैयार नहीं थी वो ‘उंह्म्महन्’ की आवाज़ें निकालने लगती है। करीब दो मिनट बाद अमन रजिया को छोड़ देता है। रजिया हाँफने लगती है। उसे अमन की इस हरकत पे गुस्सा भी आता है, और प्यार भी। रजिया शरम के मारे अपनी आँखें नीचे कर लेती है।
अमन-“अम्मी, एक आख़िरी बार…”
रजिया जैसे ही अमन की तरफ देखने के लिये अपनी नज़रें ऊपर उठाती है, अमन फिर से उसे अपनी बाहों में भर लेता है। दोनों की नज़रें आपस में टकराती है।
अमन-“अम्मी मैं चाहता हूँ कि आप मुझे अपने बेटे की तरह नहीं बल्की अब्बू समझकर किस करें…” रजिया अपनी आँखें बंद कर लेती है। अमन अपने होंठ रजिया की होंठों पे रख देता है और गुलाबी लबों को चूसने लगता है। रजिया एक अलग ही दुनियाँ में खो जाती है।
अमन रजिया का मुँह खोलकर अपनी जीभ रजिया के मुँह में डाल देता है और अम्मी की जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर देता है। रजिया भी उसका पूरा साथ देती है। दोनों तकरीबन 5 मिनट से एक दूसरे का सलाइवा चाट रहे थे और एक दूसरे की जीभ चूस रहे थे। अचानक किसी के कदमों की आवाज़ सुनाई देती है तो रजिया अमन को धकेलते हुए अपना मुँह दूसरी तरफ कर लेती है। अमन भी हड़बड़ा जाता है।
अनुम-अम्मी नाश्ता तैयार है क्या?
रजिया-“बस एक मिनट बेटा…”
अनुम अमन को गुस्से से देखते हुए-“तू यहाँ क्या कर रहा है? तुझे कॉलेज नहीं जाना?”
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अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ-2

Post by rajaarkey »

अमन अनुम को घूरता हुआ अपने रूम में चला जाता है।
अनुम-अम्मी, इसका दिमाग़ खराब हो गया है। देखो, कैसे मुझे घूरता हुआ गया है, जैसे मैंने इसका कोई काम बजगाड़ दिया हो।
रजिया की लबों में मुश्कुराहट आ जाती है। वो सोचती है कि काम तो तूने बजगाड़ा है। फिर कहा-“तू बैठ, मैं नाश्ता लगाती हूँ। और ये अमन कहाँ चला गया उसे भी तो नाश्ता करना है…” और रजिया अमन के रूम की तरफ चल देती है।
रजिया अमन के रूम में दाखिल होती है। अमन मिरर के सामने बाल सँवार रहा था।
रजिया-अमन, नाश्ता तैयार है।
अमन-“बस एक मिनट अम्मी…” रजिया जाने के लिये मुड़ती है तभी अमन उसका हाथ पकड़ लेता है और अपने तरफ खींच लेता है।
रजिया उसके आँखों में देखती है।
अमन-अम्मी, मैं सोच रहा था कि थोड़ी प्रेक्टिस कर लेनी चाहिए।
रजिया अमन को घूरते हुए-“मैंने क्यों तुम्हें प्रोमिस किया?”
अमन-क्योंकी अम्मी आप मुझसे बहुत प्यार करती हैं।
रजिया की आँखें झुक जाती है। अमन उसका फायदा उठाते हुए रजिया के गले में बाहें डाल देता है और अपने होंठ रजिया की होंठों पे रख देता है। रजिया अपना बदन ढीला छोड़ देती है। दोनों के होंठ आपस में ऐसे मिले हुए थे जैसे शादीशुदा वोड़ा।
तभी नीचे से अनुम की आवाज़ आती है-“अम्मी, मैं कॉलेज के लिये लेट हो रही हूँ, अमन कहाँ है?”
अमन रजिया को छोड़ देता है। रजिया की आँखें लाल हो गई थी, एक अजीब सा खुमार उसके चेहरे से बयान हो रहा था। शायद इस किस ने उसे उसके शौहर की याद दिला दिया था।
रजिया-“अभी आइ बेटा। चलो अमन तुम भी नाश्ता कर लो और कॉलेज जाओ…” और बिना अमन का जवाब सुने किचिन में चली जाती है।
अमन नाश्ता करके कॉलेज बैग लेकर अम्मी को गुड-बाइ करने किचिन में जाता है। अनुम बाहर बाइक के पास अमन का इंतजार कर रही थी। 5

अमन-अम्मी, मैं कॉलेज जा रहा हूँ…”
रजिया उसे प्यार से देखते हुए गुड-बाइ कहती है।
तभी अमन रजिया को गले लगा लेता है। ये उसका रोज का मामूल था। पर आज उसने रजिया को कुछ ज्यादा ही कसके गले लगाया था। जिसे रजिया ने भी महसूस किया-“बाइ अम्मी…”
रजिया-बाइ बेटा।
बाहर अनुम तैयार खड़ी थी। अनुम ने कहा-कितना टाइम लगाते हो?
अमन-क्या दीदी, तैयार होने में वक्त तो लगता है ना।
अनुम दिल में-हाँ पता है, क्यों इतना तैयार होकर कॉलेज जाता है कमीना कहीं का।
अमन बाइक स्टाट़ कर देता है और अनुम उसके पीछे बैठ जाती है। रास्ते में ब्रेकर से बाइक उछल जाती है तो अनुम गुस्से में अमन के पेट में घूँसा मारते हुए-आराम से नहीं चला सकते?
अमन मुश्कुराता हुआ-“उफफ्र्फहो दीदी, आप मुझे कसके पकड़ो नहीं तो गिर जाओगी…”
अनुम-“तुम आराम से चलाओ…”
और बातों-बातों में दोनों कॉलेज पहुँच जाते हैं।
अनुम-“मैं ठीक 2:00 बजे गेट पे तुम्हारा इंतजार करूंगी। अपने दोस्तों के साथ गप्पें हांकते बैठ मत जाना…”
अमन-“ओके दीदी…” और दोनों अपने-अपने क्लास रूम में चली जाती हैं। आज अमन का मन क्लासरूम में नहीं लग रहा था। उसे बस सुबह हुई अम्मी के साथ किसिंग याद आ रही थी। वो क्लास से बाहर निकल जाता है।
उधर अनुम उसकी दोस्त सबा से बातें कर रही थी, तभी अमन उनके सामने से गुज़रता है।
सबा उसे देखते हुए-“अनुम, ये तुम्हारा भाई कितना हैंडसम है। यार सच में आँखें जब भी इसे देखती है बस देखती ही रह जाती हैं…”
अनुम गुस्से से-“अपनी बकवास बंद कर सबा…” पता नहीं जब भी कोई अमन की तारीफ अनुम के सामने करता था तो अनुम को बहुत गुस्सा आता था।
उधर रजिया नहाने के लिये बाथरूम में चले जाती है। मिरर के सामने जब वो पूरी नंगी होती है तो उसे शरम आने लगती है। वो सुबह हुई घटना को सोचने लगती है, और उसके हाथ खुद-बा-खुद अपनी चूत की तरफ बढ़ने लगते हैं। कई दिनों के बाद आज उसे अपनी चूत में अकड़न महसूस हो रही थी वो अपनी क्लिट को रगड़ने

लगती है और दूसरे हाथ से अपने निपल को मरोड़ने लगती है। उसे आज पता नहीं क्या हो गया था कि उसे सिर्फ़ अमन का चेहरा नज़र आ रहा था ‘अमन्न ऊओ अमन्न उंह्म्मह…’ और उसकी चूत पानी छोड़ देती है।
2:15 बजे अनुम पिछले 15 मिनट से अमन का इंतजार कर रही थे और उसे पता नहीं क्यों गुस्सा आ रहा था। तभी उसे अमन नज़र आया, वो किसी लड़की के साथ बातें करता हुआ आ रहा था। ये देखकर अनुम का गुस्सा सातवें आसमान पे पहुँच गया।
अमन ने उस लड़की को बाइ कहा और अपनी बाइक की तरफ बढ़ गया।
अनुम-कौन थी वो?
अमन-वो मेरी क्लासमेट है उसे कुछ नोटस चाहिए थे।
अनुम-ऊ हो क्या बात है? कोई और नहीं मिला नोटस माँगने के लिये?
अमन इतराते हुए-“अब क्या करें दीदी, मेरे पर्सनलटी ही कुछ ऐसी है कि लड़कियां खिंची चली आती हैं…”
अनुम गुस्से से-“चुप कर… बड़ा आया पर्सनलटी वाला। अगर वो लड़की दुबारा तेरे करीब भी नज़र आयी तो तो…”
अमन-तो क्या?
अनुम-तो मैं अम्मी को बोल दूंगी कि तू पढ़ने नहीं, लड़कियों से फ्लर्टिंग करने कॉलेज जाता है।
अमन उसकी आँखों में देखते हुए-“तुम तो बिल्कुल बीवी की तरह बजहेव कर रही हो ह्म्मम्म्म्म…”
अनुम सकपका जाती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती है-“चुप कर, घर नहीं चलना लेट हो रहे हैं…”
अमन कुछ सोचते हुए-“ओके दीदी बैठो…” और दोनों घर की तरफ चल देते हैं।
उधर घर पर रजिया अपने गीले बालों को सुखाने के लिये गार्डन में एक चेयर पर बैठकर अमन के बारे में सोच रही थी।
तभी उसकी देवरानी रेहाना आती है-क्या हो रहा है जी?
रजिया जैसे किसी ख्वाब से जागी हो-“क…क…कुछ नहीं… अरे आओ रेहाना बैठो, फ़िज़ा नहीं आई?”
रेहाना-फ़िज़ा पढ़ाई कर रही है बच्चे कहाँ हैं? 7

रजिया बोलने ही वाली थी कि अमन और अनुम घर में दाखिल होते हैं-“सलाम चाची जान…” ‘जान’ शब्द को कुछ ज्यादा ही लम्बा करके कहा अमन ने।
जिससे रेहाना के चेहरे पे एक अजीब सी मुश्कान आ गई।
अनुम अपने रूम में चेंज करने चली गई। जबकी अमन वहीं उन दोनों के साथ बैठ गया।
रजिया-तुम लोग बैठो, मैं कुछ खाने के लिये लाती हूँ। अमन तू फ्रेश क्यों नहीं हो जाता?
अमन-ओके अम्मी। चाचीज़ान, मैं अभी आया।
रजिया उससे घूरकर देखती है। दोनों ओरतें आपस में बातें कर रही थीं। तभी अमन हाथों में डम्बल लेकर आता है और वहीं गार्डन में कसरत करने लगता है। वो सिर्फ़ शॉर्ट्स में था। सीने पे हल्के भूरे बाल सूरज की रोशने में चमक रहे थे।
रेहाना दिल में सोचने लगी-“क्या गबरू जवान है मेरा भतीजा…” और उसकी चूत में अकड़न होने लगी। वो बातें तो रजिया से कर रही थी पर उसकी नज़रें अमन से हट नहीं रही थीं।
अमन कसरत करके वहीं घास में लेट जाता है। पसीने से उसकी शॉर्ट्स उसकी कमर से चिपक जाती हैं जिससे उसका 8” इंच लंबा लौड़ा थोड़ा-थोड़ा नज़र आने लगता है।
रेहाना जब ये नज़ारा देखती है तो उसे उसके शौहर जमाल मलिक की याद आ जाती है वो पिछले 6 महीने से सऊदी थे। रेहाना को चुदे 6 महीने हो चुके थे, जिससे उसके अंदर की आग भड़की हुई थी। यही हाल रजिया का भी था
अनुम रजिया को आवाज़ लगाती है-अम्मी, मुझे भूख लगी है।
रजिया-आई बेटे।
“अच्छा मैं चलती हूँ बाजी…” रेहाना ने रजिया से खुदा हाफिज़ कहा और अपने घर की तरफ जाने लगी। तभी कुछ सोचते हुए कहा-“अरे अमन बेटा, मुझे कुछ सामान मंगवाना था बाजार से, तुम ला दोगे?”
अमन-क्यों नहीं चाची जान्न।
फिर रेहाना अपने घर में मुश्कुराते हुए चली जाती है।
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अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ-3

Post by rajaarkey »

रजिया अनुम को खाना देकर अमन के पास आती है-“चल मुझे तुझसे कुछ बात करनी है…” और अमन का हाथ पकड़कर उसे अपने कमरे में ले जाती है और दरवाजा बंद कर देती है।
रजिया-“क्या बात है, आज बड़ा जान-जान कह रहा था रेहाना को चक्कर क्या है? हाँ…”

अमन मुश्कुराते हुए-“आप भी ना अम्मी, कुछ भी बोल देती हैं। जैसे आप मेरी अम्मी जान जैसे वो मेरी चाचीज़ान…” और ये कहकर अमन रजिया की गले में बाहें डाल देता है और उसे अपने से सटा लेता है।
रजिया-“छोड़ मुझे, जब देखो बदमाशी…”
पर अमन रजिया की आँखों में देखते हुए-“अम्मी, आज मेरा दिल किसी काम में नहीं लग रहा था। बस मुझे सुबह वाली बात याद आ रही थी। अम्मी, क्या मैं आपको किस कर सकता हूँ? रजिया कुछ कहने ही वाली थी कि अमन उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है और नीचे का होंठ चूसने लगता है।
रजिया इस हमले के लिये तैयार नहीं थी। पर शायद वो भी यही चाहती थी, और वो अपना मुँह खोल देती है। जिसे अमन ग्रीन सिग्नल समझकर अपनी जीभ रजिया की मुँह में डाल देता है और उसकी लार पीने लगता है। रजिया अब अपने होश में नहीं थी। वो भी अमन से चिपक जाती है। उसकी सुडौल चुचियाँ अमन की नंगी छाती में धँस जाती हैं और वो पागलों की तरह अमन की जीभ चूसने लगती है। तभी रजिया को अपनी जांघों के बीच कुछ महसूस होता है। ये अमन का लौड़ा था वो अपनी औकात में आ गया था।
रजिया अमन को अपने से पीछे करते हुए-“बस अमन, आज के लिये इतनी प्रेक्टिस काफी है…”
अमन को अहसास होता है कि उसने थोड़ी जल्दबाज़ी कर दी। रजिया रूम का दरवाजा खोलकर बाहर आ जाती है और अमन अपने रूम में जाकर बेड पे लेट जाता है।
अमन-अम्मी, मैं चाची जान्न की तरफ जा रहा हूँ, उन्हें कुछ सामान मंगवाना है बाजार से।
रजिया-ठीक है बेटा, पर जल्दी आना।
अमन-“ओके अम्मी…” और अमन रेहाना की तरफ चल देता है।
रेहाना किचिन में कुछ काम कर रही थे और फ़िज़ा अपने रूम में पढ़ाई।
अमन सीधा किचिन में चला जाता है-“चाची जान्न, बोलिये क्या काम था?”
रेहाना पीछे देखते हुए-“आ गये तुम? ज़रा बैठो तो सही, आजकल तो इधर आते ही नहीं…”
अमन-आप दिल से नहीं बुलाते हैं ना… चाची जान्न।
रेहाना के चेहरे पे हल्की सी मुश्कान आ जाती है और वो अमन को घूरने लगती है-“अमन, बड़े शरारती होते जा रहे हो तुम…”
अमन रेहाना के बगल में जाकर खड़ा हो जाता है और रेहाना का हाथ पकड़ लेता है-“अरे वाह… कितनी खूबसूरत सोने की चूड़ियाँ हैं, कब बनाया चाचीज़ान?”

रेहाना-तुम्हें अच्छी लगी? तुम्हारे चाचू ने भिजवाई हैं पिछले हफ्ते।
अमन रेहाना की उंगलियों में अपनी उंगलियाँ फँसा लेता है-“आपका हाथ बहुत नाज़ुक है चाचीज़ान…”
रेहाना का चेहरा लाल पड़ जाता है, वो अमन की इस हरकत से थोड़ा उत्तेजित हो जाती है, और वो भी अपनी उंगलियाँ कस लेती है।
अमन रेहाना के आँखों में देखते हुए रेहाना के हाथ को चूम लेता है।
रेहाना घबराते हुए-“किक… ये क्या हरकत है अमन?”
अमन रेहाना से एकदम सटकर खड़ा हो जाता है। पीछे शेल्फ होने की वजह से रेहाना रुक जाती है। अमन रेहाना के इतने करीब खड़ा था कि उसे रेहाना की सांसों की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी। अमन के हाथों में अभी भी रेहाना का हाथ था, वो रेहाना की आँखों में झाँकते हुए रेहाना के इतने करीब हो जाता है कि रेहाना की चूची अमन की छाती से टकरा जाती है। अमन थोड़ा और चिपक के खड़ा हो जाता है।
रेहाना-“इस्स्स्स्स्स्स… उंह्म्मह… अमन, तू ये क्या कर रहा है बेटा? उंह्म्मह… ससस्स…”
अमन रेहाना की कमर में हाथ डालकर उसे अपने बाँहो में समेट लेता है, रेहाना के कानों में अपने जीभ डालकर हल्के से कहता है-“चाचीज़ान आप मुझे बहुत अच्छी लगती है…” और अपने हाथ पीछे लेजाकर रेहाना की कमर अपने दोनों हाथों से मसलने लगता है।
रेहाना का इस सबसे बुरा हाल था वो सोचने समझने की ताकत खो चुकी थी। शायद इसकी वजह ये थी की पिछले 6 महीने से उसकी चूत प्यासी थी और कहीं ना कहीं वो भी दिल में अमन को पसंद करती थी रेहाना अपने बदन को ढीला छोड़ देती है-“स्स्सस्स… अमन उंह्म्मह… प्लीज़… मुझे छोड़ दो, फ़िज़ा घर पे है…"
अमन पर तो जैसे जुनून सवार था। पिछले 6 महीने से रेहाना उसे चिड़ा रही थी। उसे ऐसे अंदाज में घूरती थी जैसे खा जाएगी। आज अमन को मौका मिला था तो अमन ने अपने दोनों हाथों में रेहाना का चेहरा पकड़ा और उसके होंठ पे अपने होंठ रख दिए।
रेहाना-“उंह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन की पकड़ काफी मजबूत थी, उसने रेहाना को बहुत मजबूती से पकड़ा हुआ था। कुछ सेकेंड में ही रेहाना का जिस्म ढीला पड़ गया और उसने अपना मुँह थोड़ा सा खोल दिया। जिसका फायेदा उठाकर अमन ने अपनी जीभ रेहाना के मुँह में डाल दी। रेहाना कई महीने की प्यासी शेरनी की तरह अमन के होंठों को चूस रही थी। अमन भी रेहाना की चूची को मसलते हुए किस कर रहा था। रेहाना का बस चलता तो वो अभी अमन को अपने रूम पे लेजाकर पूरी नंगी होकर खूब चुदवाती। पर फ़िज़ा घर पे थी। तभी रेहाना ने अमन को पीछे धकेला, क्योंकी उसे किसी के कदमों के आहट सुनाई दी थी।

फ़िज़ा-अम्मी, कहाँ हैं आप?
अमन भी थोड़ा संभल जाता है और चेयर पे बैठकर अपने लण्ड को अड्जस्ट कर लेता है।
फ़िज़ा किचिन में दाखिल होते हुए-अरे अमन, तुम कब आए?
अमन-बस दीदी, अभी आया। वो चाचीज़ान को कुछ सामान मंगवाना था बाजार से।
फ़िज़ा-ओह्म्मह… अरे मेरी भी कुछ चीज़ें ला दोगे?
अमन-जी बिल्कुल।
फ़िज़ा अमन को आवाज़ देतेी है और अमन रेहाना को घूरता हुआ फ़िज़ा के रूम की तरफ बढ़ जाता है।
फ़िज़ा अमन के हाथ में एक लिस्ट थमाते हुए-“ये कुछ चीज़ें हैं, प्लीज़… अच्छे से पैक करके लाना।
अमन लिस्ट पढ़ने लगता है, तो उसमें विस्पर-पैड लिखा देखकर उसे हँसी आ जाती है।
फ़िज़ा-क्यों, क्या हुआ?
अमन-दीदी ये विस्पर-पैड क्या होता है?
फ़िज़ा का चेहरा लाल होने लगता है-“तुझे क्या, जो जो लिखा है वो लेती आना…”
अमन-“पर दीदी, इसमें विस्पर-पैड की साइज़ नहीं लिखी…”
फ़िज़ा-“उफफ्र्फ हो अमन, तू मार खाएगा मेरे हाथों…” और अपनी हँसी रोकते हुए उसे घूरती है।
अमन-ओके, मैं चाचीज़ान से पूछ लेता हूँ।
फ़िज़ा घबराकर-“रुक… इधर आ बेवकूफ़ ये एम॰सी॰ पैड है जिसे लड़कियां एम॰सी॰ के टाइम पहनती हैं…”
अमन-एम॰सी॰ वो क्या होता है दीदी?
फ़िज़ा को गुस्सा भी आ रहा था और हँसी भी-“अमन तू मेरा प्यारा भाई है ना… अभी तू जा मैं फिर कभी तुझे बताऊँगी…”
अमन दिल में सोचते हुए-“मेरी जान, तू मुझे क्या बताएगी? एक बार तेरी माँ को चोद लूँ फिर तुझे तो मैं बिना कंडोम के ही चोदूंगा…”
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अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ-4

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फ़िज़ा अमन को हिलाते हुए-क्या हुआ, कहाँ खो गये?
अमन-“कककक कुछ नहीं पक्का बताओगी ना?”
फ़िज़ा-हाँ बाबा, पक्का अब तू जा भी।
अमन रेहाना की तरफ चला जाता है और उसके कान के पास आकर-“रेहाना तेरी दे…”
रेहाना-क…क्या कहा तूने?
अमन-लिस्ट दो, मुझे लेट हो रहा है।
रेहाना उसका मतलब समझ गई थी। अमन को लिस्ट देते हुए-कब दोगे?
अमन-क्या?
रेहाना-“सामान कब लाकर दोगे?” और रेहाना के चेहरे में एक अजीब से मुश्कान आ जाती है।
अमन रेहाना के करीब आकर-बहुत जल्द।
रेहाना और अमन दोनों मतलब समझ गये थे।
अमन रेहाना से पैसे लेता हुआ बाजार की तरफ चल देता है।
उधर अनुम अपने रूम को बंद करके पेट के बल लेटे हुए सोच रही थी-कितना गंदा हो गया है अमन कैसी-कैसी फिल्म देखने लगा है? क्या मैं अम्मी को इस बारे में बता दूं? नहीं नहीं, और वो कमीनी लड़की कैसे अमन से हँस-हँस के बातें कर रही थी। अगर दुबारा वो अमन के पास दिखाई भी दी तो… तो क्या करोगी तुम?
उसके दिल के किसी कोने में से आवाज़ आइ-“अमन अब बड़ा हो गया है और जवान भी। वो तुम्हारा भाई है शौहर नहीं। उसे अपनी लाइफ जीने का पूरा हक है…”
“पर मैं भी तो अमन का भला चाहती हूँ, वो गलत रास्ते पे ना जाए बस यही चाहती हूँ। कहीं मुझे अमन से प्यार तो नहीं? नहीं नहीं, अमन मेरा भाई है। बिल्कुल नहीं…” अनुम खुद से बातें कर रही थी और खुद को दिलासा दे रही थी।
सच तो ये है कि जबसे अनुम ने होश संभाला उसे अपने करीब सिर्फ़ एक इंसान नज़र आया और वो था अमन। अमन भले ही उसे उस नज़र से नहीं देखता होगा, पर अनुम उसे बचपन से सच्ची मोहब्बत करती थी, और कहीं ना कहीं वो चाहती थी कि अमन सिर्फ़ उससे बातें करे, उसके पास रहे, किसी और लड़की की तरफ देखे भी नहीं। ये कोई भाई-बहन की मोहब्बत नहीं थी। ये कुछ और थी, जिसे अनुम पिछले कई सालों में खुद को मानते हुए कि ऐसा कुछ नहीं है, वो मेरा भाई है, सिर्फ़ भाई।

रजिया-पिछले 10 मिनट से अनुम के पास खड़ी उसे देख रही थी अचानक अनुम को एहसास हुआ कि कोई उसे देख रहा है-“अम्मी… अम्मी आप कब आईं?”
रजिया-बस अभी। अनुम, किचिन में मेरी थोड़े हेल्प कर दो।
अनुम खुद को ठीक करते हुए-चलिये अम्मी।
रजिया की नज़र अनुम की भरी-भरी चूची पे पड़ी वो उसकी खूबसूरती को और हसीन बना रहे थे।
अनुम ने जब रजिया को ऐसे घूरते देखा तो पूछ बैठी-क्या देख रही हो अम्मी?
रजिया-“अनुम तुम टाइट ब्रा पहना करो बेटा, फिगर खराब हो जाता है…”
अनुम ने उस वक्त शायद ब्रा नहीं पहना था। अनुम आँखें नीचे झुकाते हुए-“जी अम्मी, अभी आती हूँ…”
रजिया उसके सर पे प्यार से हाथ रखकर उसे अपने सीने से लगा लेती है-“तुम जानती हो अनुम, जब मैं तुम्हारी उमर की थी तो बिल्कुल तुम्हारी जैसी लगती थी…”
अनुम रजिया को अपनी बाहों में समेटते हुए रजिया से चिपक जाती है, दोनों की चूची आपस में रगड़ खाने लगती है। रजिया भी अनुम को अपने से जोर से चिपका लेती है। कुछ देर खामोशी के बाद रजिया अनुम को छोड़ देती है, और किचिन की तरफ चल देती है।
10:00 बजे अमन रेहाना के घर सामान पहुँचाकर अपने घर में आ जाता है। वैसे तो उसका इरादा रेहाना को चोदने का था, पर फ़िज़ा जाग रही थी इसलिये वो घर लौट आया। घर में दाखिल होने पे उसने देखा कि अनुम सो चुकी है और रजिया अपने रूम में बेड से पीठ टिकाए लेटी हुई है, उसकी आँखें बंद थीं। अमन रजिया की जिस्म को घूरने लगता है। रजिया ने नाइटी पहनी हुई थी, अंदर ब्रा नहीं थी जिससे रजिया की चुचियाँ रजिया की सांस लेने से ऊपर-नीचे हो रही थी।
अमन रजिया की पास आकर बैठ जाता है और उसका हाथ अपने हाथ में ले लेता है। रजिया शायद सोई नहीं थी। वो आँखें खोलते हुए-“आ गये बेटा, बहुत देर लगा दी। तुम फ्रेश हो जाओ, मैं खाना लगा देती हूँ…”
अमन-अम्मी मुझे भूख नहीं है।
रजिया-बेटा भूखा नहीं सोते, दूध पीकर सो जा।
अमन रजिया की चुचियों को घूरने लगता है-“पिलाओ ना…”
रजिया उसका मतलब समझ जाती है और शरमा जाती है।

अमन-“अम्मी, आप बहुत खूबसूरत हो, और आपको पता है सबसे अच्छे आपके ये होंठ है…” और अमन रजिया की होंठों पे उंगली फेरने लगता है।
रजिया-“उंह्म्मह… अमन ये तुझे क्या हो गया है? इसस्स्स्स्स…”
अमन रजिया का चेहरा अपने हाथ में ले लेता है और उसकी आँखों में देखते हुए-“अम्मी, मुझे आपके होंठों का रस पीना है…” और ये कहकर रजिया की निचले होंठ अपने मुँह में ले लेता है।
रजिया-“उंन्ह… उंन्ह… आह्म्मह… सस्स्स्स्स…” रजिया सिहर जाती है, उसका बदन काँपने लगता है।
अमन उसका अपना बेटा था। वो जानती थी कि ये गलत कर रहा है मगर ना जाने क्यों वो उसे रोक नहीं पा रही थी। रजिया अपनी बाहें अमन के गले में डाल देती है और अमन का साथ देने लगती है। दोनों एक दूसरे को चाट रहे थे, चूस रहे थे, एक दूसरे की लार पी रहे थे। अमन अपने हाथ रजिया की चुचियाँ पे रख देता है तो उसे एहसास होता है कि रजिया ने ब्रा नहीं पहना है।
अमन रजिया की चुचियों को मसलने लगता है।
रजिया-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अमन्न नहीं…”
अमन रजिया की गोद में चढ़कर बैठ जाता है और रजिया की जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है। रजिया की चुचियाँ तन जाती हैं। अमन अपना हाथ नीचे लेजाकर रजिया की नाइटी में डाल देता है। अब अमन सीधे रजिया की चुचियाँ मसलने लगता है् रजिया अपना होश खो चुकी थी, उसकी चूत गीली हो गई थी, निपल तन गये थे। अमन की लार रजिया के चेहरे पे थी। अमन अपना एक हाथ नीचे लेजाकर रजिया की पैंटी में डाल देता है।
रजिया चौंक जाती है और अपनी आँखें खोल देती है-“नहीं अमन, यहाँ नहीं…” और अमन का हाथ जहाँ से निकाल देती है।
अमन बुरी तरह भड़क जाता है, उसे गुस्सा आ जाता है और वो उठकर अपने रूम में चला जाता है।
रजिया-“अमन… अमन सुन तो… बेटा अमन…” रजिया उसे पुकारती रह जाती है।
अमन अपने रूम में आकर दरवाजा बंद कर लेता है। बाथरूम में जाकर शॉर्ट्स नीचे करके लण्ड बाहर निकाल लेता है और उसे हिलाने लगता है। साली की चूत पे हाथ क्या रख दिया कि लेक्चर देने लगी। कमीनी तुझे तो ऐसा चोदूंगा कि याद रखेगी। और अमन अपने लण्ड का पानी निकालने की कोशिश करता है पर न जाने क्यों उसके लण्ड से पानी नहीं निकलता।
आख़िरकार काफी देर लण्ड हिलाने के बाद उसके लण्ड से पानी निकलने लगता है और अमन शांत पड़ जाता है। फिर बेड पे जाकर लेट जाता है तो थकान से उसकी आँख लग जाती है।
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