अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ complete

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rajaarkey
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ

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सानिया की नज़र जैसे ही अमन के लण्ड पे पड़ती है, वो घबरा जाती है-“ये क्या है? मेरा मतलब है?” और अमन के लण्ड को पकड़कर इधर-उधर देखने लगती है। फिर पूछा-ये कैसे हुआ अमन?

अमन-“मुझे क्या पता? आप डाक्टर हो, आपको पता होना चाहिए…”

सानिया के होंठ सूखने लगे थे। वो काँपते हाथों से अमन के लण्ड के ऊपर के चमड़े को देखती है-“ये किसी चीज़ से घिसने से होता है…”

अमन दिल में-“अब तुझे क्या बताऊँ कि कहाँ-कहाँ घिसता है ये?”

सानिया के हाथ में दस्ताने थे। पर अमन के लण्ड को पकड़ने से अमन के लण्ड में जान आने लगे थी और वो अपना आकार ले रहा था। सानिया अमन के लण्ड को दबाती है।

अमन-“अह्म्मह… दर्द होता है डाक्टर…”

सानिया दराज में से एक जेल्ली निकालती है, और अमन के लण्ड पे लगाती है। ये दरअसल एक ठंडा मलहम था वो त्वचा को ठंडक पहुँचाने के लिये और इन्फेक्सन के लिये इश्तेमाल होता था। जब सानिया अमन के पूरे लण्ड को वो जेल्ली लगा रही थी, तब अमन का लण्ड ठंडी जेल्ली से पूरी तरह तन गया था और सानिया को हाथों में संभालना मुश्किल हो रहा था।

सानिया अपने दोनों हाथों से अमन के लण्ड को सहलाने लगती है। दरअसल सानिया ने पहली बार इतना मोटा और लंबा लण्ड देखा था। उसके शौहर का तो 4” इंच का ही था। वो डाक्टर थी, उसे लण्ड का साइज़ पता था। पर उसे अपनी हाथों से नापना ये पहली बार था। वो अमन के लण्ड को जोर-जोर से सहलाने लगती है, जैसे मूठ मार रही हो।

अमन-“अह्म्मह…” वो हँसने लगता है।

सानिया होश में आते हुए-“क्या हुआ, हँस क्यों रहे हो?”

अमन-“मुझे एक जोक याद आ गया इसलिये…”

सानिया-जोक… मुझे भी सुनाओ।

अमन-नहीं नहीं, आपको बुरा लग जाएगा।

सानिया लण्ड सहलाते हुए-नहीं लगेगा बोलो भी।

अमन-ओके सुनो-

एक पेशेंट एक लेडी डाक्टर के पास जाता है।

पेशेंट-मेडम, मेडम मेरा लौड़ा खड़ा होता ही नहीं और अगर होता है तो जल्दी से ढीला हो जाता है।

लेडी डाक्टर उस पेशेंट के लण्ड को सहलाते हुए टाइट करती है। पर वो जल्दी से ढीला पड़ जाता है। फिर डाक्टर उसके लण्ड को एक पानी के जग में डालती है।
पेशेंट-डाक्टर साहिबा, आप ये क्या कर रही हो?

लेडी डाक्टर-“देख रही हूँ कि तुम्हारा लण्ड कहीं पंचर तो नहीं हो गया है?”


***** *****

सानिया अमन के लण्ड को जोर से मरोड़ते हुए खिलखिलाकर हँसने लगती है-बेशरम कहीं के।

अमन-“अह्म्मह…” और जोर से हँसने लगता है-“मेडम, कहीं आप भी मेरे…”

सानिया अमन के होंठों पे उंगली रखते हुए-“तुम जैसे दिखते हो जैसे हो नहीं… गंदे हो, बहुत गंदे। चलो उठो और ये पहन लो। मैं एक मलहम लिखकर दे देती हूँ। दो बार लगाना और दो दिन बाद मुझसे मिलने… मेरा मतलब है कि यहाँ आना। मैं चेक करूंगी…”

अमन मुस्कुराते हुए-ओके मेडम जी।

सानिया अमन से उसका फोन नंबर ले लेती है।

अमन उसे नंबर देने के बाद क्लीनिक से बाहर आता है, और सोचता है कि इसने मेरा नंबर क्यों लिया होगा? और अपना सर झटक के फैक्टरी चला जाता है।

उधर महक जब अपने घर में नहा रही थी तो उसे अमन के लण्ड का एहसास अपनी गाण्ड में होने लगता है। कैसे वो अमन की गोद में बैठकर ड्राइविंग सीख रही थी। उसका हाथ अपनी चूत पे चला जाता है, और वो अपनी चूत की क्लिट को मसलने लगती है-“अह्म्मह… ओह्म्मह… उंन्ह… अमन…” नज़ाने उसे क्या हो रहा था कि उसे अमन की बहुत याद आ रही थी।

वो चाहती थी कि अमन से वो जल्द से जल्द मिले, उससे बातें करे, उसकी गोद में बैठकर ड्राइविंग करे और वो सारी बातें वो एक औरत नहाते हुए सोचती है। उसकी चूत गीली हो गई थी, चोट का पानी जाँघ से बहने लगता है। वो दुबारा नहाकर बाथरूम से बाहर आती है। और शीशे के सामने खड़े होकर अपने आपको देखने लगती है।

उसका जिस्म सुडौल था, हर एक चीज़ जैसे तराशी हुई थी, गुलाबी निपल उसकी जवानी में चार चाँद लगा रहे थे। वो घूमकर अपनी कमर को देखती है-चिकनी मखमली कमर और दोनों कमर के बीच की वो दरार वो नीचे तक जाती थी। अह्म्मह… वो फिर से गरम होने लगती है।

पर उसे अमन से मिलना था। वो कुछ सोचते हुए अपने कपड़े अलमारी से निकालती है। अपने हाथ में पैंटी लेती हुए मुस्कुरा देती है। फिर पता नहीं क्यों अपनी पैंटी वापस रख देती है, और बिना पैंटी के शलवार पहन लेती है। थोड़ा सा मेकप करके फैक्टरी के लिये निकल जाती है।

जब अमन फैक्टरी पहुँचा वो बहुत खुश था। वजह शायद डाक्टर सानिया थी। उसे लगने लगा था कि शायद एक और नई चूत नशीब हो जाये।

महक आज बेसबरी से अमन का इंतजार कर रही थी। जैसे ही अमन उसके केबिन में दाखिल होता है, महक अपनी चेयर से खड़े हो जाती है। कहती है-“कितने लेट आए हो आज तुम। अमन, तुम्हें ज़रा भी मेरा खयाल नहीं, कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ मैं…”

और वो बोलते-बोलते चुप हो जाती है। ज़ज्बात की आँधी जब चलती है तो वो सब कुछ उड़ा ले जाती है। वो ये नहीं देखती सामने कौन है? उमस तरह महक के दिल का हाल भी यही था… ज़ज्बात ने उसके दिल का हाल अपनी जीभ पे ला दिया था। वो अपनी कही हुए बात पे नर्वस हो जाती है।
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अमन उसकी हालत समझ चुका था वो मामला संभालते हुए-“उफफ्र्फ… ये ट्रैफिक भी ना कितना हो गया है, हमारे शहर में। चलो जल्दी से कोफी बनाओ…” अमन ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं या उसे कुछ समझ में ही नहीं आया।

महक के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है, और वो दोनों के लिये कोफी बनाने लगती है।

अमन-“आज मौसम बहुत अच्छा है। चारों तरफ बादल हैं…”

महक-“हाँ सच बहुत अच्छा मौसम है…” और अमन की तरफ कोफी बढ़ाते हुए-“चलो अमन, आज मेरा बिल्कुल भी मूड नहीं है यहाँ बैठने का। इस मौसम में तो पिकनिक करनी चाहिए…”

अमन-वाउ… पिकनिक… सच वो बचपन की यादें आज भी मेरे दिमाग़ में ताजा है। जब हम सभी परिवार मेंबर पिकनिक पे जाया करते थे। यहाँ से 20 किलोमीटर पे एक बहुत ही खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। अगर आप चलना पसंद करो तो हम चल सकते हैं…”

महक-क्यों नहीं चलो? और दोनों चल देते हैं।

अमन किसी बच्चे की तरह खुश था, उसे अपना बचपन याद आ रहा था। हर इंसान के अंदर उसका बचपन छुपा होता है। और जब वो बड़ा होने के बाद उन्हीं रास्तों पे दुबारा चलता है, वहाँ वो बचपन में खूब खेला करता था, घुमा करता था तो उसे वो हर एक बात याद आ जाती है।

महक मार्केट से कुछ फल, साफ्ट ड्रिंक्स और कुछ स्नेक्स ले लेती है। जब वो दोनों अमन के बताए हुए जगह पहुँचे तो महक बहुत हैरान हुई।

महक-“अमन मुझे पता ही नहीं था कि हमारे इतने करीब इतनी खूबसूरत जगह भी है…”

अमन-“तुम्हें फैक्टरी और काम से फ़ुर्सत मिले तो पता चले ना…” और दोनों मुस्कुराते हुए इधर-उधर घूमने लगते हैं।

वहाँ चारों तरफ फूल हरी घास थी, बड़े-बड़े पेड़ और दूर एक पहाड़ था। वो दोनों काफी खुश थे। महक चलते-चलते अपने हाथ में अमन का हाथ ले लेती है। अमन उसके हाथ के तरफ देखता है, और अपनी उंगलियाँ उसकी उंगलियों में कस लेता है। दोनों कुछ नहीं कहते और घूमते-घूमते एक खुले मैदान में पहुँच जाते हैं। वहाँ सिर्फ़ घास थी और छोटी-छोटी तितलियाँ उड़ रही थीं। अमन धड़ाम से वहाँ सो जाता है, और साथ महक को भी बैठा देता है।

महक उसके पास बैठी थी और अपने हाथों से घास के पवत्तयां खींचने लगती है। फिर महक ने कहा-एक बात पूछूं अमन?

अमन-हाँ पूछो।

महक-तुम्हारी कोई गल़फ्रेंड है?

अमन-“नहीं… तुम पहले नहीं मिली ना…”

महक शरमाते हुए-“शटअप… मैं अगर तुम्हें पहले मिलती तो क्या तुम?”

अमन-हाँ बिल्कुल… अगर तुम मुझे पहले मिलती तो मैं तुम्हें कब का अपनी गल़फ्रेंड बना लेता।

महक-“अह्म्महऊ… ऐसा क्या है मुझमें वो तुम मुझे अपनी गल़फ्रेंड बना लेते?”

अमन-तुम्हारे आँखें।

महक चौंकते हुए अमन की तरफ देखते हुए-क्या हुआ मेरी आँखों को?

अमन-“अरे बाबा, कुछ हुआ नहीं है। तुम्हारी आँखें बहुत नशीली है,। बहुत कुछ छुपा है इन आँखों में…”

महक के चेहरे की मुश्कान गायब हो चुकी थी। उसे अमन के साथ ऐसी बातें करने में बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। आज पहली बार उसके मम्मी-पापा के अलाजा किसी और मर्द ने उसके जिस्म के किसी हिस्से की तारीफ की था और वो भी इतने फार्मल तरीके से।

औरत कोई भी हो उसे अपनी तारीफ सुनना बहुत अच्छा लगता है, और खास तौर पे उस इंसान से जिससे वो प्यार करता हो। महक के दिल की भी यही हालत थी, वो दिल में सोचती है कि मुझे अमन की बात का बुरा क्यों नहीं लग रहा है? ऐसा क्यों हो रहा है? क्या मुझे अमन से? अनहीं नहीं… मैं शादीशुदा हूँ ये गलत है।

महक-“चलो अमन, फैक्टरी चलते हैं…”

अमन चौंकते हुए-क्यों क्या हुआ?

महक-“कुछ नहीं हुआ, चलो मुझे जरूरी काम है…”

अमन को ऐसे लगा जैसे उसकी कही हुई बात महक को बुरी लगी। वो दोनों कार के पास पहुँच जाते है।

महक-मैं ड्राइविंग करूं?

अमन-आर यू श्योर, तुम चला लोगी?

महक कुछ सोचते हुए-“तुम बैठो, मैं तुम्हारे गोद में बैठकर ड्राइविंग करती हूँ…”

अमन का दिल खुश-“अरे वाह… नेकी और पूछ पूछ… ओके…” और अमन ड्राइविंग सीट पे बैठ जाता है।

महक जल्दी से आकर गोद में बैठ जाती है। अमन ने पायज़ामा पहना हुआ था, वो भी बिना अंडरवेअर का और महक ने शलवार… वो भी बिना पैंटी के। जैसे ही वो अमन की गोद में बैठती है, उसे अपनी गाण्ड में अमन का लण्ड महसूस होता है।

महक-“उंह्म्मह…” अपने आपको अड्जस्ट करती है।

अमन-क्या हुआ चलें?

महक-“हाँ…” और महक कार स्टार्ट कर देती है। कार अपनी धीरे स्पीड में थी महक अच्छा चला रही थी। वो अमन की छाती से अपनी पीठ टिका देती है, और धीरे-धीरे कार चलाने लगती है-“मैं ठीक चला रही हूँ ना अमन?”

अमन अपने हाथ महक के पेट पे रखते हुए-“बहुत अच्छा चला रही हो…” और धीरे-धीरे महक के पेट को सहलाने लगता है।

महक अमन की इस हरकत से बहकने लगती है-“अह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन? मुझे गुदगुदी होती है…"

अमन महक के कान के पास अपने होंठ रख देता है-“कुछ भी तो नहीं महक…” अमन के हाथ अब ऊपर सरकने लगे थे।

महक कसमसाते हुए ब्रेक मार देती है-“अह्म्मह… अमन प्लीज़्ज़ज्ज्ज…”

अमन का लण्ड खड़ा हो चुका था। अंडरवेअर ना पहनने की वजह से वो डाइरेक्ट महक की चूत के पास टच हो रहा था।

महक अपनी आँखें बंद कर लेती है-“अह्म्मह… प्लीज़्ज़ज्ज्ज अमन… ऐसा ना करो ना…”

अमन धीरे से महक के कान में-“आई लव यू महक…”

महक पूरी तरह गरम हो चुकी थे और अमन के प्रपोज करने से तो उसकी हालत बिल्कुल खराब हो चुकी थी। शायद वो भी यही चाहती थी कि पहले अमन उसे प्रपोज करे। महक अमन की आँखों में देखते हुए-“सच अमन…”

अमन-“हाँ महक, मैं सच में तुझसे प्यार करने लगा हूँ…” और अमन महक की नरम मुलायम चुचियाँ मसलने लगता है।

महक-“अह्म्मह… स्शस्स्स्स्स…” वो अपने होंठ अमन के होंठों पे रख देती है।

दोनों एक दूसरे को चूसने लगते हैं। अमन अपना एक हाथ नीचे महक की चूत पे रख देता है, और बिना पैंटी वाली उसकी गीले चूत को मसलने लगता है।

महक-“उंह्म्मह… उंन्ह… अमन… आई लव यू टू अह्म्मह… ओह्म्मह…” महक से बर्दाश्त करना मुश्किल था वो सिसकारियाँ भरने लगती है-“आअह्म्मह… ओह्म्मह… उंन्ह…”
अमन अपना हाथ महक की शलवार में डाल देता है। महक की चूत गीली थी। जैसे ही उसपे अमन का हाथ लगता है, वो उछलने लगती है। पर अमन की पकड़ मजबूत थी, वो अपनी एक उंगली महक की चूत में डाल देता है।

महक-“अह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन? नहीं… उंन्ह…”

अमन एक हाथ से महक की चुचियाँ मसलते हुए, दूसरे हाथ की उंगली महक की चूत में अंदर-बाहर करने लगता है।

महक चिल्लाते हुए-“उंन्ह… अह्म्मह… अह्म्मह… अमन मैं गई उंन्ह…” और महक पानी छोड़ देती है। उसकी चूत से निकला हुआ पानी अमन का हाथ भिगा देता है। 5 मिनट तक महक आँखें नहीं खोलती। पर जब वो आँखें खोलती है, तो उसका चेहरा टेन्स था, वो परेशान दिखाई दे रही थी। महक अमन की गोद से उतर जाती है, और साइड में बैठ जाती है।

अमन-क्या हुआ स्वीट हार्ट?

महक-मुझे फैक्टरी छोड़ दो अभी।

अमन-“चली जायेगी?” और अमन महक की तरफ बढ़ता है।

पर महक अपना चेहरा दूसरे तरफ कर लेती है-“प्लीज़… अमन चलो…”

अमन गुस्से से दिल में-“साली रंडी, अपना पानी निकल गया तो मुझे पहचानने से भी इनकार… खड़े लण्ड पे धोखा…” और अमन फुल स्पीड में कार फैक्टरी की तरफ बढ़ा देता है।
फैक्टरी पहुँचकर महक अपने केबिन में चली जाती है।

अमन उसके पीछे जाने लगता है। तभी उसका फोन बजता है। फोन ख़ान साहब का था।
अमन-हेलो अब्बू, क्या बात है?

ख़ान साहब गम्भीर आवाज़ में-“अमन, तुम अभी के अभी यहाँ नाना अब्बू के यहाँ आ जाओ। तुम्हारे नाना जान तुमसे बात करना चाहते हैं…”

अमन-“जी अब्बू, अभी आया…” और अमन अपनी बाइक पे नाना जान के यहाँ निकल जाता है।
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Re: अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ

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