मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है complete

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rajsharma
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मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है complete

Post by rajsharma »

मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ . दोस्तो मैने सोचा था कि कोई लंबी सी कहानी ही शुरू करूँगा लेकिन तब तक कुछ छोटी छोटी कहानियाँ भी पोस्ट कर देता हूँ जिनसे आपका भी मनोरंजन होता रहेगा और गैप भी नही आएगा . तो दोस्तो लीजिए एक तडकती फड़कती कहानी पेशेखिदमत है मज़ा लीजिए .


दोस्तो यह जो स्टोरी मैं आप की खिदमत मैं पेश कर रहा हूँ. यह उस टाइम की स्टोरी है जब के पाकिस्तान मैं जनरल ज़ीया-उल-हक़ की हकूमत थी.

उन दिनो पाकिस्तान मैं बिजली की सूरते हाल आज कल की तरह नही थी.बल्कि उस टाइम हकूमत की कॉसिश थी कि मुल्क के दौर उफ़तदा गावों और कस्बो मैं भी बिजली फरहाम की जाय.इस लिए उन दिनो टीवी पर ऐक आड़ रोज चला करती थी के,

“मेरे गाओं मे बिजली आई है
मेरे गाओं मे बिजली आई है”

मगर मैं जिस गाओं की इस स्टोरी मैं जिकर कर रहा हूँ. वो गाओं डिस्ट्रेक्ट झुंज का वाकीया है. और हकूमती कोशिशो के बावजूद इस इलाक़े के लोग अभी तक बिजली की नहमत से फ़ैज़्याब नही हुवे थे.

इस गाओं के लोग बोहत ही ग़रीब,अनपढ़ और पसमांदा थे और उन का ज़रिया मात्र खेती बाड़ी था.

बिजली ना होने की वजह से यह लोग रात को लालटेन, मोम बत्ती या मिट्टी के दिए जला कर अपना गुज़ारा करते थे.

इस गाओं मैं दो भाई फ़ैज़ अहमद और अकमल ख़ान अपने बच्चों के साथ ऐक ही हवेली मैं इकट्ठे रहते थे.

बड़े भाई फ़ैज़ अहमद के 5 बच्चे थे .जिन में से बड़े तीन तो शादी शुदा थे और वो अपनी फॅमिली के साथ उसी गाओं में लेकिन अलग अलग घरों मे रहते थे.

फ़ैज़ अहमद का साब का छोटा बेटा गुल नवाज़ अहमद और उस की बेटी नुज़्हत बीबी अभी कंवारे थे.

फ़ैज़ अहमद के छोटे अकमल ख़ान के चार बच्चे थे. जिन मैं से दो बारे बेटे शादी शुदा थे और वो गाओं से बाहर दूसरे शेरू में अपनी अपनी फॅमिली के साथ रहते थे.

अकमल ख़ान के भी दो छोटे बच्चे अभी तक कंवारे थे. उस के बेटे का नाम सुल्तान अहमद और बेटी का नाम रुखसाना बीबी है.

चूँकि यह स्टोरी रुखसाना बीबी की आप बीती है.इस लिए मैं अब यह स्टोरी रुखसाना बीबी की ज़ुबानी ही बयान करता हूँ...............................................




मेरा भाई सुल्तान और मेरा ताया ज़ाद गुल नवाज़ दोनो अब जवान थे और वो सारा दिन खेतों में अपने वालिद और चाचा के साथ काम कर के उन का हाथ बँटाते थे.

जब के में और नुसरत घर में अपनी अम्मियों के काम काज में उन की मदद करती थीं.

एक तो चाचा और ताया ज़ाद भाई होने और फिर उपर से हम उमर होने के नाते गुलफाम और सुल्तान दोनो में बहुत अच्छी दोस्ती थी.

इसी तरह नुसरत और मुझ में भी बहनो की तरह प्यार था. और हम दोनो भी एक दूसरे की बहुत अच्छी सहेलियाँ थीं.

हमारे गाँव में उन दिनो देसी शराब की लानत चल पड़ी थी. गाँव के बड़े बुजुर्गों ने पहले पहल इस बुराई को रोकने की कोशिश की

मगर शराब का धंधा करने वाला माफ़िया बहुत ताकतवर था.जिस ने अपने पैसे और असरो रसूख से सब के मुँह बंद करवा दिए.और फिर रफ़्ता रफ़्ता गाँव के जवान तो जवान बूढ़े लोग भी देसी शराब के सरूर से फेज़ाइब होने लगे.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है-2

Post by rajsharma »

शादी से पहले गुल नवाज़ और सुल्तान दोनो रात के वक़्त अक्सर गाँव के दूसरे लड़कों के साथ मिल कर देसी शराब पीते और कभी कभार साथ वाले शहेर जा कर किसी रंडी को भी चोद लेते थे.

उन की इन हरकतों का हम सब घर वालों को भी पता था. मगर हमारे माँ बाप उन को “ मुंडे खुंदे” समझ कर कभी भी इन हरकतों से मना नही करते थे.

घर के लड़कों की अपेक्षा मैं और नुसरत शरीफ और घरेलू लड़कियाँ थीं जो शादी से पहले बिल्कुल कुँवारी थीं.

बचपन ही में मेरी मँगनी गुल नवाज़ के साथ और नुसरत की मँगनी मेरे भाई सुल्तान के साथ तय हो चुकी थी.

इस लिए जब गुल नवाज़ और मेरा भाई सुल्तान दोनो काम काज में अपने वालिद का हाथ बंटाने लगे तो फिर एक दिन गुल नवाज़ की शादी मुझ से और मेरे बड़े भाई सुल्तान की शादी गुल नवाज़ की बेहन नुसरत से कर दी गई.

ये “वाटे साटे” की शादी थी. जिस की बिना पर में नुसरत की और वो मेरी भाभी बन गईं.

जिस वक़्त हमारी शादी हुई उस वक़्त हम सब की उम्र कुछ यूँ थीं.

गुल नवाज़ अहमद (उमर 24 साल)

नुसरत बीबी (गुल नवाज़’स बेहन उमर 23 साल)

सुल्तान अहमद (मेरा भाई उमर 25 साल)

में: रुखसाना बीबी (उमर 23 साल)

एक ही हवेली में साथ साथ रहने की वजह से हम दोनो नये शादी शुदा जोड़ों को जो कमरे दिए गये वो एक दूसरे के साथ जुड़े हुए थे.

सुहाग रात को में और नुसरत दोनो दुल्हन बन कर अपने अपने कमरे में सुहाग की सेज पर बैठी हुई अपने शोहरों का इंतिज़ार कर रही थीं.

तकरीबन आधी रात से कुछ टाइम पहले गुल नवाज़ और सुल्तान दोनो देसी शराब पी कर अपने अपने कमरे में दाखिल हुए.

कमरे में आते ही मेरे शोहर गुल नवाज़ ने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.

गुल नवाज़ आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ मेरे पास पलंग पर आ कर बैठ गया.

पलंग पर बैठने के साथ ही बिना मुझ से को बात किए गुल नवाज़ ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खेंच लिया.

कमरे में एक लालटेन बिल्कुल मध्यम लो में जल रही थी.जिस की वजह से कमरे में हल्की हल्की रोशनी थी.

गुल नज़वान के इस तरह मुझे अपनी तरफ खींचने पर मुझे बहुत शरम आ रही थी.

गुल नवाज़ ने अपने मुँह को मेरे मुँह के नज़दीक किया तो उस के मुँह से आती हुई शराब की बदबू ने मुझे परेशान कर दिया.

मैने अपना मुँह गुल नवाज़ के मुँह से हटाने की कॉसिश की. मगर में इस कोशिश में कामयाब ना हो सकी.और देखते ही देखते गुल नवाज़ के होंठ मेरे होंठो पर आ कर जम गये.

गुल नवाज़ ने मेरे होंठो को अपने होंठो में कसते हुए चूमा.जिस की वजह से मेरा मुँह बेइख्तियार खुलता चला गया और मेरी ज़ुबान भी थोड़ी बाहर निकल आई.

मेरे शोहर ने मेरी ज़ुबान को अपने मुँह में लिया और फिर मेरे होंठो के साथ साथ मेरी ज़ुबान को भी चूसने लगा.

में जो एक लम्हे पहले तक गुल नवाज़ के मुँह से आती शराब की बदबू से परेशान हो कर उस के नज़दीक आने से कतरा रही थी.

अब दूसरे ही लम्हे में मेरी ये हालत हो गई कि में अपने शोहर के लबों के लामास के मज़े से एक दम पागल सी होने लगी थी.

अपने होंठो को पहली बार किसी मर्द के होंठो के साथ टकराने का ये तजुर्बा मेरे लिए बिल्कुल नया था . और इस मज़े को महसूस करते ही मुझे ऐसा लगा जैसे में हवाओं में उड़ रही हूँ.

मुझे नहीं मालूम था कि होंठो की चूमा चाटी करने में भी इतना मज़ा आएगा.

में सोचने लगी कि अगर होंठो की चूमा चाटी करने में इतना मज़ा आ रहा है तो चुदवाने मे कितना मज़ा आता होगा.
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by pongapandit »

Raj bhai mast shuruwat hai
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Kamini
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by Kamini »

mast update
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