मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है complete

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Smoothdad
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by Smoothdad »

superb ................
dil1857
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by dil1857 »

up da t
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rajsharma
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by rajsharma »

pongapandit wrote: 23 Nov 2017 19:11 bhai mast update hai
pongapandit wrote: 23 Nov 2017 19:11 bhai mast update hai
jay wrote: 23 Nov 2017 20:37 अगले अपडेट का इंतज़ार रहेगा
xyz wrote: 23 Nov 2017 21:36nice update bhai
Smoothdad wrote: 24 Nov 2017 14:22 superb ................
धन्यवाद दोस्तो अपडेट कल आएगा
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by rajsharma »

रात की खामोशी और अंधेरे में हम दोनो बेहन भाई की तेज तेज चलती साँसों की आवाज़ कमरे में गूँज कर कमरे में जिंदगी और दो जवान जिस्मों की मजूदगी का अहसास दिला रही थी.

“दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके”

कुछ देर के बाद सुल्तान भाई आहिस्ता से मेरी टाँगों के दरमियाँ से उठा और बिस्तर से उतर गया.

में अंधेरे में ठीक से देख नही पा रही थी. इस लिए मैने ये अंदाज़ा लगाया कि शायद वो बाहर बाथरूम में जाने लगा है.

मगर फिर कुछ की लम्हों बाद जब वो दुबारा आकर बिस्तर पर मेरे नज़दीक लेट गया.

भाई ने अंधेरे में मुझे अपनी तरफ खींचा तो में किसी “कटी पतंग” की तरह अपने भाई की बाहों में सिमटती चली गई.

भाई की छाती से लगते ही मुझ अंदाज़ा हो गया कि मेरा भाई अपने पूरे कपड़े उतार कर बिल्कुल नगा हो चुका है.

और भाई के नंगे जिस्म से छूते ही मेरे जिस्म में एक करेंट सा दौड़ गया.

सुल्तान भाई ने मुझ अपने नज़दीक करते हुए अंधेरे में ही मेरे चेहरे को अपने हाथों में थाम कर उपेर उठाया. और अपने खुरदरे होंठों को मेरे गर्म गर्म और नाज़ुक होंठों पर रख दिया. फिर अपनी ज़ुबान निकाल कर मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया.

उफफफ्फ़, क्या मज़ा था, आज पहली बार मेरा भाई मुझ अपनी बीवी समझ कर मेरे रस भरे होंठों का मज़ा ले रहा था.

साथ ही साथ सुल्तान भाई ने मेरे हाथों को मेरे सर से उपर कर के मुझे मेरी कमीज़ और ब्रा के बोझ से भी आज़ाद कर दिया.

भाई ने अब मुझ अपनी बाँहों में ज़ोर से दबा कर मुझे अपने उपर लिटा लिया ऑर अपने हाथों से मेरे 38डी साइज़ के मोटे मम्मो को मसल्ने लगा तो में मज़े से मदहोश होने लगी.

उस ने अपना एक हाथ मेरी ऑलरेडी गीली ऑर चिकनी फुद्दी पर रख दिया ओर उसे मसलने लगा. उस की इस हेरकत से मेरी सिसकारी निकल गई.

साथ ही भाई ने अपने हाथ से मेरी कमर को पकड़ कर मेरे जिस्म को अपनी तरफ झुकाया.

इस स्टाइल में मेरे मम्मे मेरे भाई के मुँह के बिकलूल सामने चले आए.

भाई अपना मुँह खोल कर मेरे लाइट ब्राउन कलर के निपल्स को मूँह में ले कर किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा.

कभी वो निपल्स पर ज़बान फेरता कभी निपल्स को अपने लिप्स से चूस्ता और कभी अपने दाँतों से आहिस्ता से उन पर “धंडी वेदता” (बाइट्स) करता.

भाई का इस तरफ मेरा मम्मो को सक करने से मेरा तो बुरा हाल हो गया था.साथ ही साथ उस के हाथ भी मेरी क़मर पर घूमते हुए हल्का हल्की मसाज कर रहे थे.

नीचे से भाई का गर्म और पत्थर की तरह सख़्त अकडा हुआ लंड मेरी टाँगों के बीच आ कर मेरी पानी से शराबोर चूत के दरवाज़े पर ज़ोर ज़ोर से दस्तक दे कर मेरी फुद्दी के अंदर आने की इजाज़त तलब कर रहा था.

लगता था कि बेहन की चूत की गर्मी की पुकार को भाई के लंड ने भी सुन लिया था.

और एक अचाहे भाई की तरह भाई का लंड भी अपनी बेहन की चूत की गर्मी को ठंडा कर एक अच्छे फर्ज़ शनस बेहन चोद लंड होने का सबूत देने के लिए मचल रहा था.

जैसे “लंड ना हुआ,वॉटर कूलर हो गया”

जब कि उपर हम दोनो एक दूसरे के मुँह में मुँह डाल कर एक दूसरे की ज़बान को चूस रहे थे.

कुछ देर इसी तरह लेटे लेटे सुल्तान भाई ने मेरी गान्ड पर अपने हाथ रख दिये और मेरी गान्ड को अपने हाथों में दबाते हुए मेरी टाँगे खोलने लुगा.

में समझ गई कि वो अब मेरी फुद्दी के अंदर अपना लंड डालना चाहता है. में थोड़ी सी उपर हुई और भाई का गर्म सख़्त और तना हुआ लंड पकड़ कर अपनी फुद्दि के होंठों पर रगड़ा.

और फिर अपने आप को आहिस्ता आहिस्ता नीचे ले जाते हुए भाई के लंड को अपनी पानी छोड़ती गरम फुद्दी में दाखिल होने की इजाज़त दे दी.

मेरे भाई और मेरे शोहर गुल नवाज़ के लंड लंबाई और मोटाई मे तो तकरीबन एक ही जैसे थे. लेकिन मेरे भाई के लंड की टोपी गुल नवाज़ से थोड़ी मोटी थी.

इस लिए ज्यूँ ही सुल्तान भाई का लंड मेरी चूत के लबों से स्लिप हो कर मेरी टाँग फुद्दी के अंदर आया तो मुझ शादी शुदा होने का बावजूद थोड़े “मीठे दरद” का अहसास हुआ और बे इकतियार मेरे लबों से एक हल्की सी चीख निकल पड़ी.

“उफफफ्फ़ लगता है आज तो तुम ने अपनी चूत पर “फिटकरी” लगा कर इसे “तंग” किया हुआ है नुसरत”सुल्तान भाई ने नीचे से अपने लंड को एक ज़ोरदार झटके से मेरी चूत में डालते हुए कहा.

भाई के ज़ोरदार झटके से मेरे मम्मे उछाल कर भाई की छाती से टकराए और साथ ही हम दोनों के मुँह से सिसकारी निकल गई.

उफफफफफ्फ़ क्या मज़ा था. में अपने भाई के लंड के उपर बैठ कर तेज़ी से उपेर नीचे हो रही थी.जब कि भाई ने मेरे मम्मो को अपने मुँह में ले कर सक करना शुरू कर दिया था.

मेरे मम्मे भाई के मुँह में थे और मेरी गर्दन पर उस के हाथ फिर रहे थे. और वो मेरी भारी गान्ड को अपने हाथों में थाम कर धक्के लगा रहा था.

नीचे से सुल्तान भाई अपना पूरा लंड मेरी चूत के अंदर डालते और फिर उसी तेज़ी से उसे बाहर निकाल रहे थे.

अब मैं अपने मम्मे को भाई के मुँह से निकाल कर थोड़ी पीछे की तरफ हो कर अपने भाई की ज़ोरदार चुदाई का पूरा मज़ा लेने लगी.

भाई के लंड की मेरी चूत मे हर धक्के के साथ मेरे बड़े बड़े पोस्टन (मम्मे) मेरी छाती पर उच्छल रहे थे.

अचानक ही भाई की चुदाई की रफ़्तार तूफ़ानी हो गई और में अपने भाई के लंड के उपर किसी खिलोने की तरह हवा मे उछल रही थी.

ऐसी जबर्जस्त चुदाई का मज़ा मैने आज तक नही लिया था.

में तो अभी इस मज़े से ही बे हाल हो रही थी कि भाई ने यका युक मुझे खींच कर अपने लंड से उतरा और मेरा मुँह अपनी टाँगो की तरफ कर दिया.

इस स्टाइल में अपने भाई के उपर लेटने से अब मेरी चूत मेरे भाई के मुँह के उपर चली आई जब कि मेरा मुँह मेरे भाई की टाँगो की तरफ चला गया.

भाई ने मेरे नीचे लेट कर मेरी चूत को अपने मुँह में लिया और मेरी फुद्दी के अंदर अपनी गर्म और नर्म ज़बान डाल दी.

अहह ईईईईई ऊऊऊवाआआ करते हुए में अपने भाई की टाँगों की तरफ झुकती चली गई.जिस की वजह से उस का लंड मेरे मुँह के बिल्कुल करीब आ गया.

ज्यूँ ही मेरा मुँह भाई के लंड के करीब हुआ मुझे एक अजीब और तीखी सी गंदी किसम की बू भाई के लंड से आती हुई महसूस हुई. जो कि मुझ बहुत नागवार गुज़री और मैने अपना मुँह भाई के लंड से अलग करने की कॉसिश की.

“मेरे लौडे को अपने मुँह में डाल इसी तरह चूसो जिस तरह में तुम्हारी फुद्दी को चूस रहा हूँ नुसरत” भाई ने अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ कर उसे नीचे अपने लंड की तरफ झुकाते हुए कहा..

मैने तो आज तक अपने शोहर गुल नवाज़ का लंड कभी नही चूसा था. और आज मेरा अपना भाई मुझे अपनी बीवी समझ कर मुझे चुदाई के इस नये मज़े से “रोशनास” करवाने पर तुला हुआ था.
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