मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है complete

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rajsharma
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by rajsharma »

आअहह म्म्म्म मह क्या फीलिंग हो रही थी... में ब्यान नही कर सकती कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था...

में भाई के लंड को अपनी बच्चेदानी के मुँह पर महसूस कर रही थी.

फिर वक़्त आ ही गया जिस का मुझे और मेरी फुद्दी को बहुत शिदत से इंतिज़ार था.और जिस की खातिर मुझ मजबूरन आज ये गुनाह भरा कदम उठाना पड़ रहा था.

उधर भाई के लंड से उस के वीर्य का बाँध टूटा. इधर मेरी चूत ने अपनी पानी छोड़ते हुए मेरी बच्चे दानी का मुँह खोल दिया.

और फिर मेरी “ट्यूब्स” में से गुज़र कर हम दोनो बहन भाई के बच्चा पैदा करने वाले “जर्रास्मुन” (स्पर्म्ज़) का मिलाप मेरी बच्चे दानी की गहराइयों में हो ही गया.

सुल्तान भाई ने अपने लंड के थिक जूस के “सेलाब” से मेरी चूत को भर दिया.

मेरा शोहर एक हफ्ते में कभी इतना वीर्य मेरी चूत में नही डालता था.जितना भाई ने एक ही रात में मेरी चूत में उंड़ेल दिया.

भाई थक कर मेरे जिस्म के उपर की गिर गया. लेकिन भाई का लंड अभी तक मेरी चूत में पूरा अंदर तक धुंस कर झटके पर झटके मार रहा था.

हम दोनो बहन भाई बिस्तर पर एक दूसरे के उपर नीचे बेसूध पड़े थे और हमारे जिस्म पसीने की वजह से चिप चिपा रहे थे.

कुछ लम्हे बाद सुल्तान भाई का लंड सुकड कर मेरी चूत से बाहर निकला.तो साथ ही भाई के लंड का पानी भी मेरी चूत से बह बह कर चूत से बाहर निकलने लगा.

भाई मेरे जिस्म से अलहदा हो कर मेरे बराबर ही बिस्तर पर गिर गया.

मेरे साथ लेटने के थोड़ी देर बाद ही भाई ने खर्राटे लेना शुरू कर दिए. जिन को सुनते ही में समझ गई कि भाई फारिग हो कर अब पूर सकून नींद के मज़े लेने लगा है.

मैने इस मोके को गनीमत जाना और अपनी सांसो को संभालती जल्दी से बिस्तर से उठी और अंधेरे में अपने कपड़े तलाश कर के पहन लिए.

कपड़े पहन कर कमरे की खिड़की से परदा हटा कर बाहर झाँका तो अंदाज़ा हुआ कि सुबह होने के करीब है.

में और नुसरत ने एक दूसरे के कमरों से निकल कर वापिस अपने अपने कमरे में जाने के लिए सुबह की अज़ान के टाइम का सेट किया हुआ था.

इस लिए में बे सबरी से अज़ान होने का इंतिज़ार करने लगी. कुछ देर बाद ज्यूँ ही अज़ान की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी तो मेरी जान में जान आई.

में दबे पावं चलती हुई कमरे से बाहर निकली तो नुसरत को कमरे के बाहर ही खड़ा पाया.

हमारी आँखे एक दूसरे से मिलीं तो हम दोनो के चेहरों पर एक मुस्करहट सी दौड़ गई. मगर बिना कुछ बात किए हम दोनो ने जल्दी से अपने अपने कमरे में कदम रखे और फिर दरवाज़ा बंद कर दिया.

अपने कमरे में आते ही मैने फॉरन अपने पावं से भाई की दी हुई झांझर (पायल) को उतार कर हाथ में थाम लिया. मेरा इरादा था कि में दिन को किसी टाइम इस झांझर को नुसरत के हवाले कर दूँगी.

अपने कमरे में छाई खामोशी देख कर मैने अंदाज़ा लगा लिया कि मेरा शोहर गुल नवाज़ भी मेरे भाई सुल्तान की तरह चुदाई के बाद सकून से सो रहा है.

मेरे कमरे में भी अंधेरा ही था.इस लिए में अहतियात से चलती हुई अपने बिस्तर पर आ कर अपने शोहर के बराबर लेट गई. और झांझर को अपने तकिये के नीचे रख दिया.

अपने बिस्तर पर लेटते ही मैने एक सकून भरा सांस लिया. आख़िर कार मैने रात के अंधेरे में वो काम सर अंजाम दे ही दिया था. जिस को पहली दफ़ा सोचते हुए भी में शरम से कांप गई थी.

में भाई के साथ अपनी जबर्जस्त चुदाई से बहुत थक चुकी थी. इस लिए जल्द ही मुझे नींद ने घैर लिया और में सो गई.

दूसरे दिन जब में सो कर उठी तो अपने बिस्तर को खाली पाया..मैने अपना तोलिया उठाया और बाहर बाथरूम में नहाने के लिए घुस गई.

बाथरूम में कपड़े उतार कर जब मैने शीशे में अपना जिस्म देखा तो में हेरान रह गई.

मेरे बदन पर मेरे भाई की मस्त चुदाई के असरत और नामो निशान अभी तक बाकी थे.

मेरे मम्मो पर भाई के दाँतों के काटने के निशान बाकी थे. मेरे निपल्स भी मेरे भाई की भरपूर सकिंग से सूज गये थे.

जब के नीचे मेरी रानो पर जगह जगह दाँतों से काटनेके निशान अलग होने के अलावा भाई की जबर्जस्त चुदाई ने मेरी फुद्दी को भी थोड़ा सूजा दिया था.

और भाई के लंड का जूस जोकि मेरी चूत से बाहर निकल आया था. वो भी मेरी चूत और रानो पर जमा हुआ नज़र आ रहा था.

हाईईईईईईईईईईईई भाई की मेरे साथ उलफत का ये सबूत देख कर मेरी चूत फिर मचल ने लगी.
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by chusu »

sahi.............. ab ye jhanjhar phir chudwayegi
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jay
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by jay »

chusu wrote: 28 Nov 2017 16:30 sahi.............. ab ye jhanjhar phir chudwayegi
sahi kaha bro ........... jab bhai ho pas to kyon na bujhe pyaas
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Kamini
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Re: मुहब्बत और जंग में सब जायज़ है

Post by Kamini »

mast update
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