चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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Rohit Kapoor
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

Post by Rohit Kapoor »

( उसकी बात सुनते ही मनोज अंदर ही अंदर गुस्सा करने लगा उसे मालूम था कि यह मानने वाला नहीं है,,,, और उससे इस तरह से मना भी नहीं कर सकता था क्योंकि उसकी बहन के साथ उसका चक्कर चल रहा था और के साथ चक्कर चलाने में गुल्लू ने ही उसकी मदद किया था,,, यह बात बड़ी अजीब थी कि एक भाई ने खुद अपनी बहन के साथ दूसरे का चक्कर चलवाया था लेकिन इसके पीछे भी गुल्लू का ही फायदा था। मनोज ने उसे यह लालच देकर उसकी बहन के साथ उसका चक्कर चलाने के लिए बोला था,,,,और ऊसे ईस बात का लालच दिया था कि अगर वह अपनी बहन के साथ उसका चक्कर चलवा देगा तो वह उसे रंडी चोदने ले चलेगा,,
और इस लालच में आकर गुल्लू ने अपनी बहन का चक्कर मनोज के साथ शुरू करवा दिया,, मनोज ने भी अपना वादा निभाते हुए गुल्लू को मस्ती कराने लगा। मनोज कि नहीं उसकी बहन को कई बार चोद भी चुका है और अभी भी चोदता रहता है यह बात कुल्लू को अच्छी तरह से मालूम भी है लेकिन वह बिल्कुल भी एतराज नहीं करता बल्कि कभी कभार तो वह मनोज को पैसे भी दे कर उसकी मदद करता रहता है इसलिए मनोज उसी तरह से इनकार भी नहीं कर सकता था। तभी उसके मन में ख्याल आया कि उसे पैसे की जरूरत भी है अगर वह अपने साथी से झाड़ियों में ले जाकर कि थोड़ा-बहुत नजारा दिखा देगा तो वह जरूर उसे मांगने पर पैसे भीे देगा,,,,, इसलिए वह उससे बोला,,,,

नजारा देखेगा,,,,,

हां यार मैं तो कब से तड़प रहा हूं नजारा देखने के लिए,,,,,


तुझे जैसा मैं कहूं वैसा ही करना मैं तुझे नजारा दिखाऊंगा लेकिन तू वहां पर जरा भी आवाज मत करना बस शांति से देखते रहना नजारा देखकर तु एक दम मस्त हो जाएगा,,,

ठीक है जैसा तू कहता है वैसा ही मैं करूंगा,, बस तु मुझे नजारा दिखा बहुत दिन हो गए नजारा देखें,,,,,
( गुल्लू उत्साहित होकर अपने हाथों को मलता हुआ बोला।)

लेकिन मैं तुझे एक ही शर्त पर तुझे अपने साथ ले जाऊंगा और नजारा दिखाऊंगा मुझे पैसे की सख्त जरुरत है।


यार तू फिक्र मत कर मैं हूं ना बोल तुझको कितना चाहिए।
( गुल्लू खुश होता हुआ बोला।)

ज्यादा नहीं बस ₹500 चाहिए।


तुझे जब भी पैसे की जरुरत पड़े तो मुझे बोल दिया कर
( इतना कहने के साथ ही अपनी जेब में से 500 का नोट निकालकर उसे थमा दिया,,,, कुल्लू के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी उसके पिताजी बाहर शहर में काम करते थे और उनका काम अच्छा चलता था इसलिए तो मनोज भी उसे अपना दोस्त बनाया था कि जरूरत पड़ने पर उससे से पैसे ले सके और बदले में थोड़ी सी मस्ती करा दे,,,, 500 के नोट को मनोज अपनी जेब में रखकर उसे झाड़ियों की तरफ ले जाने लगा और एक अच्छी जगह एकदम घनी झाड़ियों देखकर उसके पीछे छिप गया ताकि उसे कोई देख. ना सके,,,,, जीस जगह पर मनोज गुल्लू को ले कर छुपा था वह ऐसी जगह थी कि कोई भी उस जगह पर कोई छिपा है इसका आभास तक नहीं कर सकता था।

दूसरी तरफ बेला पूनम के साथ जानबूझकर इधर उधर घूमती रही दोनों इधर उधर की बातें करते रहे लेकिन तभी बेला पूनम से बोली।

पूनम चलना मेरे साथ झाड़ियों में मुझे जोरो की पिशाब लगी है।

अरे पेशाब करने के लिए झाड़ियों में क्यों जहां जाते हैं वहीं चलते हैं ना।

पूनम झाड़ियों में चलेंगे तो फ़ायदा रहेगा वहां पर बैर बड़े-बड़े और पक चुके हैं उसे भी तोड़ते हैं आएंगे,,,,( बेला को मालूम था कि पूनम को बेर बहुत पसंद है इसलिए वह इंकार नहीं कर पाएंगी और ऐसा हुआ भी,,,, बेला की बात सुनकर उसके चेहरे पर खुशी साफ झलकने लगी और वह तैयार हो गई।
बेला एक बहाने से उसे झाड़ियों में ले जा रही थी। उसे तो इस बात की खुशी थी कि पूनम बड़े आसानी से उसकी बात मान गई थी वह अपना काम कर दे रही थी बाकी मनोज को जो करना है वो वह करेगा यह सोच कर,,, वह पुनम के साथ झाड़ियों में जाने लगी,,, इस जगह पर कोई नहीं आता था इसलिए जगह बिल्कुल सुरक्षित थी,,,, कभी कबार पूनम ही अपनी सहेलियों के साथ उस जगह पर पेड़ तोड़ने आ जाया करती थी और साथ में झाड़ियों के बीच पेशाब भी कर लेती थी इसलिए उसे बेला की बात में कुछ भी अटपटा नहीं लगा।
धीरे-धीरे दोनों झाड़ियों के बीच पहुंच गई पहले तो वह लोग वहां पर पके बैऱ को तोड़ने लगी,,,, दोनों मिलकर बेर के पेड़ से नीचे लटक रहे देर को जहां तक तुम दोनों का हाथ पहुंच पाता था कांटो से बचते हुए पके हुए बैऱ को तोड़ कर इकट्ठा करने लगी। साथ ही बेला इधर-उधर नजरें घुमा कर मनोज की हाजिरी का अंदाजा भी लगा ले रही थी लेकिन झाड़ियां इतनी घनी थी कि कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था एक पल तो उसे लगा की कहीं मनोज इधर आया ही नहीं है। लेकिन मनोज अपने दोस्त गुल्लू के साथ झाड़ी के पीछे छुप कर यह सब देख रहा था। उन दोनों को वहां देख कर मनोज बेहद खुश हुआ गुल्लू तो उन दोनों को देखकर एकदम खुश हो गया खास करके पूनम को देख कर उसे देखते ही वह बोला।

मनोज भाई यह तो पुनम हें जिसके पीछे तुम दिन रात लगे हुए हो। ( कुल्लू को इस तरह से बोलता देख ना छत पर उसके मुंह पर हाथ रखकर उसे चुप रहने का इशारा किया,,,, गुल्लू मनोज के ईशारे को समझ गया, वहं समझ गया कि जरा सी भी आवाज नहीं करना है इसलिए वह शांत हो गया,,,,,

मनोज को तो ईसी पल का इंतजार था वह झाड़ियों के पीछे छुप कर पूनम की हर हरकत को देख रहा था खास करके उसके अंगों को जो कि बेर तोड़ने में इधर उधर होता हुआ अजीब सा कामुक नजर आ रहा था। गुल्लू तो दोनों लड़कियों को देखकर एकदम मस्त होने लगा उसे लगा था कि शायद मनोज ने इन दोनों लड़कियों को चोदने के जुगाड़ से इधर बुलाया है,,,,, लेकिन जब उसने गुल्लू के कान में धीरे से उसे चुप रहने को बोला तो वह शांत होकर सिर्फ उन दोनों लड़कियों पर नजर रखने लगा। वैसे भी मनोज के मन में पूनम के साथ कुछ जबरदस्ती या ऐसा वैसा करने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह पूनम को प्यार से हासिल करना चाहता था पर तो सिर्फ पूनम के मदमस्त बदन का दर्शन करना चाहता था। कपड़ों के ऊपर से उसकी खूबसूरती का रसपान करके उसका मन नहीं भरा था वह अंदर की खूबसूरती को निहार कर मस्त होना चाहता था। मनोज बड़े ही आतुरता और उत्सुकता से पूनम की तरफ निहार रहा था उसका एक एक पल महीनों की तरह गुजर रहा था वह इतना शांत था कि अपनी धड़कनों तक की आवाज कहीं पूनम न सुन ले इतना शांत हो चुका था। इस समय उसकी हालत ऐसी हो रही थी जैसे कि सावन के इंतजार में मोर व्याकुल रहता है और चांद को देखने के लिए चकोर तड़पता रहता है उसी तरह से मनोज अपनी पूनम की खूबसूरती का मनोरम्य नजारा देखने के लिए तड़प रहा था। झाड़ियों के बीच जगह बनाकर अपने आप को छुपाए हुए था पूनम और बेला की नजर उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रही थी लेकिन वह दोनों पूनम और देना दोनों को साफ-साफ देख पा रहे थे दोनों बड़ी ही मासूमियत के साथ बैर तोड़ रहे थे। पूनम धीरे धीरे बेर तोड़ते हुए आगे बढ़ने को हुई तो बेला उसे रोक दी क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि मनोज आगे की तरफ कहीं छुपा होगा वरना झाड़ियों में आते समय पहले छुपा होता तो वह नजर आ जाता है। बेला उसे रोकते हुए बोली,,,,,

यार अब बस कर बहुत ज्यादा बैर इकट्ठे हो गए हैं अब बाद में कभी तोड़ेंगे वैसे भी टाइम हो जाएगा।,,, चल अब जल्दी से पेशाब कर लेते हैं। ( इतना कहने के साथ ही वह घनी झाड़ियों की तरफ पीठ करके अपनी सलवार की डोरी खोलने को हुई,,, वह जानबूझकर अपनी पीठ घनी झाड़ियों की तरफ कर दी,,, क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह से देखेंगे तो वह जहां भी पीछे चुका होगा तो पूनम की भरपूर मदमस्त जवानी को और भी ज्यादा उत्तेजक बनाने वाली उसकी मादक भरी हुई गांड को जी भरके देख पाएगा।

और अगर झाड़ियों की तरफ मुंह करके पेशाब करने बैठेगी तो उसे उसकी बुर भी ठीक से नजर नहीं आएगी क्योंकि छोटी छोटी घास की वजह से उसकी बुर ढंक जाती,,,, तो मनोज का सारा मजा किरकिरा हो जाता इसलिए वह पहले से ही झाड़ियों की तरफ पीठ करके अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी,,,,, बेला पूनम को पेशाब करने के लिए बोलकर सलवार की डोरी खोलने लगी लेकिन पूनम अपने में ही मस्त बेर तोड़ने में व्यस्त थी। और वह बेऱ तोड़ते हुए बोली।

तू कर ले मुझे नहीं लगी है,,,,,
( मनोज उन दोनों की बात को साफ साफ सुनता रहा था पूनम की यह बात सुनकर उसके अरमान टूटता हुआ नजर आने लगे,,,, इतना सारा जुगाड़ लगा कर जो यह नजारा खड़ा करने का प्रयत्न किया था वह उसे मिट्टी में मिलता नजर आने लगा और यह बात बेला भी अच्छी तरह से समझती थी इसलिए उसे समझाते हुए बोली,,,)

अरे यार नहीं लगी है तो क्या हुआ बेठैगी तब अपने आप आने लगेगी।
( बेला की है बात सुनकर पूनम जोर-जोर से हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)

तू बिल्कुल पागल है बेला कहीं बैठने से पेशाब आती है।

हां यार आती है ना तो एक बार बैठ कर तो देख ना आए तो मुझे तेरे मन में जो आए वह बोल ना।
( दोनों लड़कियों की बात सुनकर मनोज कीे हालत खराब हो रही थी और साथ ही गुल्लू की भी,,, मनोज तो अपनी आंखे बिछाए बैठा था कि कब उसकी प्रेमिका पूनम की मदमस्त बदन का दीदार हो,,,, लेकिन जिस तरह से पूनम बात कर रही थी उस तरह से लग नहीं रहा था कि वह आज अपने बदन का हल्का सा भी दीदार मनोज को करा पाएगी। मनोज को बेला से ही उम्मीद थी वह मन में यही दुआ कर रहा था कि बेला किसी तरह से उसे पेशाब करने के लिए मना ले। और जैसे उसके मन की बात बेला साफ-साफ सुन रही हो उसी समय वहं बोली,,,,

यार पूनम क्यों जिद कर रही है जल्दी कर क्लास लगने वाली है।

जिद तो तू कर रही है बेला तू अकेले कर ले मैं यहां खड़ी तो हुं।

यार अकेले में मजा नहीं आता इसलिए तो तुम से लेकर के आई थी वरना मैं यहां क्यों आती,,,,,,
( बेला की बात सुनकर वो फिर से हंसने लगी लेकिन इस बार बार तैयार हो गई और उसकी तरफ आते हुए बोली।)

अच्छा ला अपना दुपट्टा दे,,,,

दुपट्टा किस लिए,,,,

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Rohit Kapoor
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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अरे पहले लातो (इतना कहने के साथ ही वह खुद ही उसके कंधे पर से दुपट्टा खींच ली और उसे एक अच्छी साफ जगह बिछा कर उसमे सारे बेर डाल दी,,, और उसके बगल में आकर खड़ी हो गई अभी तक देना अपनी सलवार की डोरी खोल ही नहीं थी बस उसी तरह से खड़ी थी वह इंतजार कर रही थी कि पूनम भी उसके पास आकर के पेशाब करें,,,, बेला को अभी तक मनोज के वहां होने का एहसास तक नहीं हुआ था लेकिन इतना जरूर जानती थी कि वह घनी झाड़ियों के पीछे जरुर छिपा होगा,,,, ऐसा मौका छोड़ दे,,,, वह इतना बेवकूफ नहीं था। बल्कि वह तो खुद ऐसे मौकों की तलाश में रहता है।
धीरे-धीरे झाड़ियों के बीच का नजारा गरमाने लगा था मनोज और गुल्लू दोनों झाड़ियों के पीछे छिपकर दोनों लड़कियों की हरकत पर नजर रखे हुए थे और पूनम जो कि इन सब बातों से बिल्कुल अंजान थी इसलिए एकदम बेझिझक बर्ताव कर रही थी और बेला थी कि उसकी सलवार उतरने का इंतजार कर रही थी,,,,, बेला और पूनम दोनों झाड़ियों की तरफ पीठ करके खड़ी थी,,,,, मनोज एक दम शांत हो करके उन दोनों की तरफ देख रहा था गजब का नजारा बना हुआ था वह मन में यही सोच रहा था कि एक साथ दो दो लड़कियों की मदमस्त गांड का नजारा उसे देखने को मिलेगा,,,, खास करके पूनम की गांड का,,, जिसे देखने के लिए वह ना जाने कितने दिनों से तड़प रहा था। जिस तरह से वह दोनों खड़ी थी उसे देखकर मनोज की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और साथ ही उसके बदन में उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी जिसका असर सीधे उसके पैंट के अंदर तनाव में आ रहे उसके लंड पर पड़ रहा था। बेला और पूनम की हरकत से मनोज को लगने लगा था कि अब वह नजारा उसकी आंखों के सामने आने वाला है जिसके लिए उसने यह पूरा जुगाड़ लगाया था। अगले नजारे के इंतजार की उत्सुकता में उसके दिल की धडकन थम गई थी उसकी आंखें सामने पूनम पर ही टिकी हुई थी,,, तभी बेला नें अपनी सलवार की डोरी खोल कर सलवार को नीचे की तरफ सरकाने ,,, यह देख कर तो मनोज को कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा,,, लेकिन इसका असर गुल्लू पर कुछ ज्यादा ही पड़ने लगा उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,, अभी तो वह पूरी तरह से सलवार को नीचे सरका भी नहीं पाई थी कि
गुल्लू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,,, अगले ही पल पूनम भी अपनी सलवार की डोरी खोलकर धीरे धीरे उसे नीचे सरकाने लगी,,,, यह नजारा देख कर तो मनोज के साथ ही अटक गई उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगे तो आप बड़े ही बेताब नजरों से झाड़ियों के पीछे से इस नजारे का रसपान कर रहा था। पूनम तो निश्चित थी,,,, इसलिए बड़े ही सहज ढंग से अपनी सलवार की डोरी खोल चुकी थी।
अगले चलचित्र पर से पर्दा उठने वाला था जिसका इंतजार धड़कते दिल से मनोज कर रहा था। पूनम अपनी सलवार को नीचे पूरी तरह से सरकाती इससे पहले ही बेला अपनी पेंटिं को नीचे खींचकर सरकाने लगी। और अगले ही पल उसकी गोल गोल गांड पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई जिसे देखकर एक पल के लिए मनोज की भी हालत खराब होने लगी साथ ही गुल्लू का लंड पूरी तरह से पजामे में तन गया। भले ही मनोज पूरी तरह से पूनम के प्रति आकर्षित था लेकिन एक जवान लड़की की मदमस्त गांड देखकर एक पल के लिए उसकी भी सांस अटक गई थी। बेला यह अच्छी तरह से जानती थी कि मनोज झाड़ियों के पीछे छिपा हुआ है लेकिन कहां छुपा हुआ है यह उसे नहीं मालूम था। लेकिन फिर भी अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही उभार कर मनोज की तरफ दिखाने लगी,,,, बेला की इस अदा पर गुल्लू के साथ साथ मनोज भी पूरी तरह से फिदा हो गया,,,,, मनोज इस बात से पूरी तरह के आसपास कथा की बेला तो उसके हाथ में पूरी तरह से ही है लेकिन उसे पूनम को पता ना था इसलिए बेला की तरफ से उसे कोई भी चिंता नहीं थी वह तो बेला को जब चाहे तब उसकी मद मस्त गांड और बुर का मजा ले सकता था।
देना तू अपनी गांड को निर्वस्त्र करके नीचे पेशाब करने बैठ गई थी और पूनम को बैठने का इंतजार कर रही थी जो कि उसकी उंगलियां आज उसकी मखमली लाल रंग की पैंटी पर थी जोकि पूनम के गोरे गोरे बदन पर बेहद खूबसूरत लग रही थी। यह नजारा बेहद सांसो को रोक देने वाला था ऐसा लग रहा था कि जैसे बर्फीले शहर में तूफान चल रहा हो,,,, और ऐसे ठंडे पवन में भी ऐसा नजारा देखकर गर्मी छूट रही हो,,,, मनोज के माथे पर तो पसीने की बूंदे ऊपस आई थी।तभी मनोज के बदन में पूरी तरह से हलचल होने लगी क्योंकि पुनम,, धीरे-धीरे अपनी पैंटी को नीचे सरकाने लगी थी। जैसे-जैसे पेंटिं नितंबों पर से अनावृत हो रही थी वैसे वैसे पूनम की गोरी गोरी गांड पीली धूप में किसी सोने की तरह चमक रही थी। मनोज का लंड पूरी तरह से तनाव में आ चुका था। मनोज का अंतर्मन बेहद पसंद नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था कि बरसो की तपस्या फल रही हो। धीरे-धीरे करके पूनम ने अपनी पैंटी को नीचे जाघो तक सरका दी,,, उसकी नंगी गांड बेहद खूबसूरत लग रही थी मनोज तो उसकी गांड को देखकर एकदम मदमस्त हो गया और उसके मुंह से एक गर्म आह निकल गई,,,,, मनोज में अभी तक न जाने कितनी लड़कियों की और औरतो की नंगी गांड को देख चुका था। लेकिन जिस तरह की गांड पूनम की थी उस तरह की मदहोश कर देने वाली बड़ी फुर्सत से तराशी हुई गांड वह जिंदगी में पहली बार देख रहा था। पूनम की गोलाकार और उभरी हुई मदमस्त कर देने वाली भरपूर भराव दार,, गांड को देखकर वह मन ही मन सोचने लगा कि अगर सबसे खूबसूरत गांड की कोई प्रतिस्पर्धा हो तो ऐसी प्रतिस्पर्धा में पूनम बाजी मार ले जाए। मनोज यह सब सोचकर मन ही मन बहुत खुश होने लगा गुल्लू की तो हालत खराब हुए जा रही थी वह एकदम उत्साहित हो गया था और उत्साहित होता हुआ बोला।

बे भैया ईसकी गांड को देख कर तो मेरी हालत खराब हो रही है। ( गुल्लू आगे कुछ बोल पाता इससे पहले ही मनोज ने उसका मुंह कस कर दबा दिया,,, उसके कान में गुस्साते हुए बोला।)
अबे हरामखोर तुझे बोलने को किसने कहा मुंह को ताला लगा और शांति से बस देख,,,,,,

( कुल्लू समझ गया था कि सिर्फ देखने तक का ही प्लान बना हुआ है इसलिए वह भी मुंह को ताला लगा कर सामने के नजारे का मजा लूटने लगा,,,,, मनोज की आंखें पलकें झपकाना भूल गई थी उसकी जिस्म में सांस आना भूल गई थी,,, वह बूत बना पूनम को देखे जा रहा था। पूनम की पैंटी भी उसकी जांघों तक आ चुकी थी,,,, उसके उन्नत उभार लिए नितंबों के बीच की गहरी दरार किसी नहर से कम नहीं लग रही थी। उस बीच की नहर में किसी को भी डूबने की इच्छा हो जाए और वही इच्छा मनोज को भी हो रहा था। पूनम के नितंबों में गजब का कसाव था गजब की गोलाई थी और गांड के उभार जहां पर खत्म होते हैं उधर की मस्त लकीर भी साफ साफ नजर आ रहे थे। मनोज तो बस देखता ही रह गया बेला पेशाब करते हुए पूनम की तरफ नजरें ऊठा कर उसके भी नीचे बैठ कर पेशाब करने का इंतजार कर रही थी और पूनम सिंह की उसी तरह से खड़े होकर चारों तरफ नजरें घुमा कर पूरी तरह से आश्वस्त हो जाना चाहती थी कि वहां किसी दूसरे की हाजिरी ना हो,,,,, बेला उसे इस तरह से इधर उधर देखते हुए पाकर बोली,,,,,

अरे यहां कोई दूसरा नहीं है तू बैठ जा,,,,,

( और बेला की बात सुनकर पूनम भी नीचे बैठ कर पेशाब करने लगी,,,,,ऊफ्फ्फ्फ,,,, क्या गजब का कामोत्तेजक और कलात्मक तरीके का नजारा था ऐसा लग रहा था खुद कामदेव ने इस नजारे की प्रकृति को तैयार किया है। मनोज ने अब तक सब कुछ देखा था लेकिन इस तरह का काम उत्तेजना से भरपूर उत्तेजनात्मक नजारा कभी नहीं देखा था।
जहां उन्मादक नजारा देखकर वहां अपने आपको धन्य समझने लगा था।
हरि हरि झाड़ियों के बीच इस तरह का नजारा बड़ी किस्मत वाले को ही देखने को मिलता है। पूरा वातावरण बिल्कुल पूरी तरह से शाथ था बस पंछियों की कलरव की आवाज के साथ साथ अब बेला और पूनम के पेशाब की धार जहां से निकल रही थी।

उसी जगह से बेहद सुरीली सीटी की आवाज भी उस मनोहर वातावरण को और भी ज्यादा उन्मादक बना रहा था। मनोज की तो पल पल हालत खराब होते जा रही थी। पूनम की भरपूर गांड हरी हरी घास होने के बावजूद भी एक दम साफ नजर आ रही थी। मनोज की सांसे तीव्र गति से चल रही थी।
ईतना कामुक और उत्तेजक नजारा उसने आज तक नहीं देखा था और ना ही अपने अंदर इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव किया था।
गुंल्लु भी यह नजारा देख कर आश्चर्य के साथ अपना मुंह खुला का खुला छोड़ दिया था। दोनों के लंड का हाल इतना ज्यादा खराब हो चुका था कि उन्हें इस बात का डर था कि कहीं गरम होकर उनका लंड पिघल ना जाए। मनोज तो ना जाने कैसी अपने आप को संभाले हुए था वरना ऐसा नजारा देखकर अब तक वह अपनी मनमानी कर चुका होता वह तो पूनम की वजह से शायद अपने संयम को रोक रखा था। अपनी मनमानी कर के वह पूनम की नजरों से गिरना नहीं चाहता था इसलिए अपने आप को रोके हुए था।
बेला और पूनम दोनों पेशाब कर चुकी थी। बेला और पूनम दोनों खड़ी हो गयी,,, बेला को पता था कि इतने में तो मनोज मस्त हो गया होगा,,,, बेला अपनी सलवार ऊपर चढ़ा कर डोरी बांधने लगी,,,,, बेहद कामोत्तेजक दृश्य पर अब पर्दा पड़ने वाला था क्योंकि पूनम भी अपनी पैंटी को पहन चुकी थी और सलवार को उपर की तरफ ले ही जा रही थी कि,,,, बेहद ऊत्तेजना का अनुभव कर रहे गुल्लू का पैऱ अचानक फिसल गया,,,, वह गिरते गिरते बची तो गया क्योंकि उसका हाथ मनोज ने थाम लिया लेकिन इस अफरा-तफरी अपने पीछे हो रही ईस तरह की हलचल से पूनम एक दम सकते मे आ गई और एक पल भी गंवाएं बिना वह झट से अपनी सलवार को ऊपर करके डोरी बांधते हुए पीछे की तरफ घूम कर देखी थी कि तब तक मनोज गुल्लू को अपनी तरफ खींच कर झाड़ियों में छुपा लिया था। पूनम जहां पर यह हलचल हुई थी वहां की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए बोली,,,

लगता है कि यहां कोई है,,,,,
( बेला तो जानती थी कि वहां कौन है इसलिए वहां पूनम ना जा सके इसलिए बहाना बनाते हुए बोली।)

अरे यार कोई भी नहीं है देख नही रहीै चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है।

अरे नहीं मुझे ऐसा लगा कि पीछे कोई है। ( इतना कहते हुए अपने कदम आगे बढ़ाती रही,,,, बेला को समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे किस तरह से रोके क्योंकि वह जानती थी अगर आगे जाएगी तो जरूर उधर मनोज उसे नजर आ जाएगा,,,, और यही डर मनोज के मन में भी था अगर आज वह उसे झाड़ियों में छिपा देख लेगी तो जो थोड़ी बहुत बात बनती नजर आ रही थी वह भी बिगड़ जाएगी। जिस तरह से पूनम आ गए धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही थी वह समझ गई थी कि यहां तक जरूर पहुंचाएं की इसलिए वह गुल्लू के कान में धीरे से बोला।)

देख गुल्लू अगर आगे भी ईसी तरह का और लड़की चोदने का मजा लूटना चाहता है तुझे क्या मैं बोलता हूं वैसा ही करना पूनम को जरा सी भी भनक नहीं आनी चाहिए कि मैं इधर छुपा हुआ हूं।
( मनोज गुल्लू को कुछ और समझा पाता इससे पहले ही पूनम बोली।)

कौन है उधर जो कोई भी है बाहर आ जाए वरना मैं आज प्रिंसिपल से बोल कर उसकी शिकायत करुंगी,,,,,,

( मनोज को अब पक्का यकीन हो गया कि पूनम देख लेगी पूनम आगे की तरफ बढ़ती चली आ रही थी बेला उसे रोक भी नहीं पा रही थी मनोज समझ गया कि अब गड़बड़ हो सकती है इसलिए उसने गुल्लू को धक्का देकर आगे कर दिया,,,, गुल्लू भी पूनम के सामने आ गया गुल्लू कुछ समझ पाता इससे पहले ही,,,,, बेला ऊसका हाथ पकड़ कर खींच ली और झूठ मूठ का उसे मारना शुरू कर दी,,, बेला जानती थी कि गुल्लू मनोज का दोस्त है और मनोज भी उसके साथ इसी झाड़ियों में छिपा हुआ है अगर वह उसे अपनी तरफ नहीं खींचती तो हो सकता है पूनम उसे देख ले इसलिए वह जल्दी से उसे अपनी तरफ खींचने ताकि पूनम आगे ना बढ़ सके,,,,, गुल्लू को वहां देखते ही पूनम सब समझ गई की,,,, गुल्लू लड़कियों को देखने के बहाने ही झाड़ियों में छिपा हुआ था इसलिए उसे मारने लगी एक दो तमाचे उसके गाल पर भी जड़ दीए,,,, और उसे मारते हुए बोली,,,

हरामजादे हरामखोर बदतमीज तुझे शर्म नहीं आती लड़कियों को इस तरह से छुपकर देखते हुए तेरे घर में मां बहन नहीं है क्या,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह उसके गाल पर दो चार थप्पड़ और रसीद कर दी,,, बेला पूनम को पकड़ते हुए बोली )
बस कर पुनम इतना बहुत हो गया कितना मारेगी उसे,,,,

अरे मेरा बस चले तो इसको मार ही डालो देख नहीं रही थी कितनी बेशर्मी के साथ यह हम दोनों को देख रहा था छी,,,,
इतना बदतमीज और गंदा लड़का मैंने आज तक नहीं देखी उसके घर में मां बहन नहीं है क्या जो दूसरी लड़कियों को झांकता रहता है।
( गुल्लू को तो कुछ समझ में नहीं आया बेवजह बलि का बकरा जो बन गया था उसे मौका मिलते ही झट़ से वहां से भाग खड़ा हुआ,,,,, पूनम गुस्सा करते हुए झाड़ियों से बाहर आ गई,,,,,, मनोज अभी भी अंदर झाड़ियों में छिपा हुआ था पूनम का गुस्सा देख कर उसे उस पर और भी ज्यादा प्यार आने लगा।)

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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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mast update
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Rohit Kapoor
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Re: चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

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Thanks for nice comments friends .
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