चुदाई का वीज़ा complete

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rajsharma
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Re: चुदाई का वीज़ा

Post by rajsharma »

xyz wrote: 20 Nov 2017 17:45 bahut hi bura ho raha tha
Ankit wrote: 20 Nov 2017 17:27Superb update
Dolly sharma wrote: 21 Nov 2017 10:27 nice update
सहयोग के लिए धन्यवाद दोस्तो
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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Re: चुदाई का वीज़ा

Post by rajsharma »

"तू मुझे छोड़ने का कह रही है, जब कि तेरी ये मस्त और तंग चूत को चोदने के बाद में तो सारी ज़िंदगी तुजाहे अपनी रंडी बना कर रहने का सोच रहा हूँ" कहते हुए खालिद भाई ने मेरी एक चूंची को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया.

मेरे मम्मो को चूसने के साथ साथ नीचे से खालिद का लंड अपनी पूरी रफ़्तार के साथ मेरी चूत की चुदाई में मसरूफ़ था.

फिर मेरी चुदाई करते करते खालिद एक दम रुका और उस ने अपने लंड को मेरी फुद्दी से पूरा बाहर निकाला और मेरे मुँह के सामने ले कर आया.

खालिद के लंड पर मेरी चूत के सफेद पानी के कतरे लगे सॉफ नज़र आ रहे थे.

खालिद ने अपने लंड को मेरे होंठो पर फेरते हुए कहा. " नबीला खोल अपना मुँह और मेरे लंड को चाट कर सॉफ कर."

मेने नफ़रत से आँखें बंद कर ली.

मगर वो मानने वाला नही था.

जब खालिद ने देखा कि में अपना मुँह नही खोल रही. तो उस ने मेरे मुँह पर एक ज़ोर दार थप्पड़ रसीद किया.

दर्द से “हाईईईईईईईईईईईईई” चिल्लाते हुए ज्यूँ ही मैने बे इकतियार अपना मुँह थोड़ा सा खोला.तो खालिद ने अपने लंड को मेरे मुँह मे डाल दिया.और मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड
को अंदर तक तक पेल दिया.

मुझे उस के लंड से बहुत ही तीखी और गंदी सी स्मेल आई. जिस से मुझे घिंन सी आने लगी.

खालिद का यूँ मुझ से वहशियाना सलूक देख कर मुझे सॉफ नज़र आ रहा था. कि आज मेरी हालत बहुत ही बुरी होने वाली है.

अगर खालिद इसी तरह मुझे जबर्जस्ती चोदता और मारता रहा तो पता नही सुबह तक मेरी क्या हालत हो जाएगी.

खालिद अब मेरे मुँह मे धका धक अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. और ना चाहते हुए भी मुझे उस के लंड पर लगे अपनी चूत के पानी को अपनी ज़ुबान से चाट कर सॉफ करना पड़ा.

कुच्छ देर इस तरह मेरे मुँह को चोदने का बाद उस ने अपना लंड बाहर निकाला.

अब उस ने मुझे उलटा हो कर घोड़ी बनने को कहा.

“ खालिद क्यों मुझे जॅलील करने पर तुले हो,खुदा के लिए मेरी जान छोड़ो अब” मैने एक दफ़ा फिर उस की मिन्नत की.

“जान तो में अब तुम्हारी उस वक़्त तक नही चोदुन्गा जब तक तुम्हे दिल भर का चोद ना लूँ, अब नखरे मत करो और जल्दी से उल्टी हो कर लेट जाओ” खालिद ने गुस्से में फुन्कार्ते हुए कहा.

“मरती क्या ना करती” में मजबूरन उल्टी हो कर अपने बिस्तर पर लेट गई.

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Re: चुदाई का वीज़ा

Post by rajsharma »

मेरे उल्टी हो कर लेटते ही खालिद मेरे पीछे आन खड़ा हुआ.

उस ने “थू” कर के अपने मुँह से ढेर सारा “थूक” निकाला और कुछ थूक अपने लंड पर ऑर कुछ मेरी चूत पर लगा कर उस ने अपना लौडा मेरी फुद्दि के सुराख पर रख कर धक्का दिया ऑर उस का लंड अंदर चला गया.

अब खालिद मुझे फिर किसी कुतिया की तरह चोदने लगा.

उस के तेज तेज झटकों की बदौलत जब उस का लंड मेरी चूत के अंदर जाता. तो मेरी फुद्दी के साथ उस के टटटे टकराने के साथ साथ उस की टाँगें भी पीछे से मेरे मोटे हिप्पस से जा टकराती.

इस तरह ना सिर्फ़ कमरे में “थॅप थॅप” की आवाज़ गूँजती बल्कि उस कर हर झटके की वजह से मेरे मोटे मम्मे भी हिलने शुरू हो जाते.

खालिद कमरे की दीवार से लगे शीशे में मेरे हिलते हुए मम्मों को देख कर ऑर ज़ोर से मुझे चोदने लगा.

और इसके साथ साथ वो अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरी मम्मों को मसलने लगा.

उस के झटकों की रफ़्तार अब पहले से बहुत ही तेज हो गई थी.

में "आआआआआआईयईईई ईईईईईईईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊऊँ म्म्म्म मममममममाआअ एयाया मुझे छोड़ दूऊऊऊओ" जैसे अल्फ़ाज़ से खालिद अभी तक इस काम से रोकने की कोशिस करने में लगी हुई थी.

मगर उसी दौरान खालिद ने एक ज़ोर दार झटके के साथ ही अपना सारा वीर्य मेरी फुद्दी में उडेल दिया.

खालिद ने अपनी दरिंदगी पूरी की और चला गया. जब कि उस के लंड का पानी काफ़ी देर तक चूत से बाहर निकल कर मेरी टाँगों से होता हुआ बिस्तर पर गिरता रहा.

में खालिद की वहशियाना चुदाइ से थक गई थी. इस लिए उस के जाने के कुछ देर बाद मुझे भी नींद ने अपनी आगोश में ले लिया और में नंगी ही सो गई.

में सुबह काफ़ी देर तक सोती रही. फिर जब सुबह मेरी आँख खुली तो बिस्तर पर से उठते वक़्त मेरी नज़र सामने लगे शीशे पर पड़ी.

मेने ने देखा कि मेरा मेरे दोनो मम्मो पर खालिद के दाँतों के निशान अभी तक बाकी थे. और मेरे निपल्स भी सूजे हुए थे.

जब कि नीचे मेरी चूत भी सूज कर और मोटी हो गई थी. जब कि मेरे जिस्म का अंग अंग अभी तक दर्द कर रहा था.

में सोचने पर मजबूर हो गई कि यहाँ तो में मर जाउन्गी . ना मेरा अमेरिका का बुलावा आएगा और ना में इस जहन्नुम से निकल पाउन्गी .

आख़िर में कब तक दामाद और ससुर की रखेल बन कर रहूंगी .

में ज़हनी तौर पर इतनी परेशान थी और खुद अपनी ही नज़रों में गिर गई थी.

दिल चाहता था कि खुद कुशी करलूँ. या सारी ससुराल वालों को जमा करूँ और चीख चीख कर कहूँ कि "कोई और है तो आ जाय" मुझ से चुदाई करने.

उसी दिन अम्मी का दुबई से फोन आया कि वो और बिलाल भाई आज शाम की फ्लाइट से पाकिस्तान वापिस लौट रहे हैं.

मुझे तो इसी खबर का इंतिज़ार था. क्यों कि मैने इस्लामाबाद से वापसी पर ही ये तय कर लिया था. कि अपने ससुर के हाथों बे आबरू हो कर में अब मज़ीद अपने ससुराल मे नही रह सकती थी.

फिर आज खालिद भाई के साथ रात वाले वाकये के बाद मेरे लिए अब एक लम्हा इधर रुकना मुहाल था.

इस लिए उसी रात में अपनी सास से इजाज़त ले कर अपनी अम्मी के घर चली आई.
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