चुदाई का वीज़ा complete

Post Reply
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15829
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: चुदाई का वीज़ा

Post by rajsharma »

Ankit wrote: 28 Nov 2017 14:13 Superb update Raj bhai
jay wrote: 28 Nov 2017 19:21 jab bhai ho pas to kyo ho udas.................... he he he
Kamini wrote: 29 Nov 2017 10:07mast update
rangila wrote: 29 Nov 2017 21:01 super hot stori hai bhai keep writing.............
धन्यवाद दोस्तो अपडेट

थोड़ी ही देर में ...............
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15829
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: चुदाई का वीज़ा

Post by rajsharma »

भाई ने मेरी बात को अन सुनी करते हुए अपनी गोद में रखे हुए मेरे हाथ को अलग किया और एक दम अपना तोलिया खोल कर मेरे सामने पूरी तरह नंगा हो गया.

तोलिया की भाई के जिस्म से अलहदा होने की देर थी. कि भाई का लंड जोश में आ कर एक दम अकड कर खड़ा हो गया था.

अपने भाई का सेहतमंद, लंबा और मोटा लंड पहली बार यूँ अपनी नज़रों के सामने देख कर शरम और हेरत से मेरी आँखे खुली की खुली रह गईं.

अभी में हेरत के इस सुमंदर से बाहर नही निकली थी. कि भाई ने मेरे हाथों को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया ऑर खुद अपने हाथ मेरे हाथों पर रख कर आगे पीछे करवाने लगे.

उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ भाई के लंड में इतनी गर्मी थी कि मुझे अपने हाथ की स्किन जलती हुई महसूस होने लगी.

शरम के मारे मेरे चेहरे और हाथों से पसीना छूटने लगा.

मैने अपने हाथ को फॉरन अपने भाई के तने हुए लंड से अलहदा करने की कॉसिश की. मगर मेरे हाथ के उपर सख्ती से जमे अपने भाई के हाथ ने मेरी कॉसिश नाकाम बना दी.

दूसरे ही लम्हे भाई ने अपने दूसरे हाथ को बढ़ा कर मेरे मम्मे पर रखा और मेरे मम्मे को प्रेस करने लगा.

मैं अपने भाई के इस बे बाक रवैये से हेरान परेशान होते हुए सोचनी लगी कि “ वाह नबीला तेरी किस्मत”

में तो अपने ससुर और उन के दामाद से तंग आ कर अपने अम्मी और भाई के पास इस नीयत से आई थी. कि मेरा भाई मेरा मुहाफ़िज़ बन कर मेरी इज़्ज़त की रखवाली करेगा.


मगर इधर तो मामला ही उलट हो गया था. मेरी इज़्ज़त की हिफ़ाज़त करने वाला मेरा भाई मेरे ससुर और खालिद की तरह मुझ बे आबरू करने पर तुल आया था.

आज से पहले जब भी मेरे ससुर और खालिद ने मुझ इस तरह जबर्जस्ती अपनी हवस का निशाना बनाया .तो मुझ उन की ये हरकत कभी अच्छी नही लगी और ना मैने उन दोनो से चुदवाते वक़्त कभी एंजाय किया था.

मगर पहले की तरह आज मुझ अपने भाई का यूँ अपने साथ जबर्जस्ती करना बुरा नही लगा.

बल्कि सच बात ये थी. कि में भी भाई के लगे हुए गरम सॉंग्स को देख देख कर अंदर से गरम हो चुकी थी.

इस लिए जब बिलाल भाई ने मुझ से छेड़ छाड़ शुरू की. तो मेरे लिए अपने प्यासे बंदन में सुलगती आग को काबू करना मुश्किल होने लगा.

मैने एक लम्हे के लिए सोचा कि मेरा भाई ये जो सब कुछ मेरे साथ कर रहा है. क्या में ये सब कुछ होने दूं या फिर उसे मज़ीद आगे बढ़ने से रोक लूँ.

इधर में अपनी सोच में मगन थी. उधर भाई के हाथ मेरे मम्मो पर अपना जादू चलाने में मसरूफ़ थे.

कुछ भी हो एक बहन से पहले में आख़िर में हूँ तो एक औरत.

और एक आम औरत की तरह मेरे भी जज़्बात और जिस्म की ज़रूरते हैं.

में तो इस से पहले भी कई बार अपनी अस्मत अपनो के हाथों लूटा चुकी थी.इस लिए शायद अब अपने भाई के होंठों और हाथों का लमास मुझे बुरा नही लग रहा था.

फिर अपने भाई के हाथों की बढ़ती हुई मस्तियों की वजह से मुझे यूँ लगा कि मेरा दिमाग़ सुन्न हो चुका है.

में इतनी गरम हो गई कि मेरे सोचने समझने की सारी सलाहियतें गायब हो गईं.

मेरा जिस्म ढीला पड़ने लगा. और मैने भी अपने आप को हालात और अपने भाई के हाथों के हवाले कर दिया.

भाई ने जब ये देखा कि में अब उन के सामने किसी भी किसम की मुज़मत नही कर रही थी.

तो उन का होसला बढ़ता गया और उन्हो ने मेरे होंठों,गालों और गर्दन पर अपने प्यार की बारिश कर दी.

अपने ही भाई का ये प्यार पा कर मेरी साँसें तेज होती जा रही थी.

मेरा भाई भी मेरे मम्मे दबा कर और मेरी किस्सिंग कर के खुद भी बहुत गरम हो चुका था.

बिलाल भाई का मुझे यूँ चूमना चाटना बहुत अच्छा लग रहा था और मुझे बहुत मज़ा भी आ रहा था,

फिर भाई के हाथ मेरी पीछे आए ऑर उस ने मेरी क़मीज़ मे पीछे की तरफ लगी ज़िप खोल दी. जिस से मेरी क़मीज़ एक दम लूस हो गयी.

उस के बाद भाई ने आहिस्ता आहिस्ता मेरी क़मीज़ मेरी शोल्डर से नीचे कर दी.

जिस की वजह से ब्रा में कसे मेरे टाइट और गोल मम्मे ऊपर से सॉफ नज़र आने लगे.

मेरे मम्मो को नंगा करते ही बिलाल भाई थोड़ा झुके और मेरे नंगे मम्मो को अपने होंठों से चूमा और साथ ही उन्हो ने मेरी कमीज़ और ब्रा मेरे जिस्म से अलग कर दी.

में अब अपने सिर से ले कर कमर तक बिल्कुल नंगी हो चुकी थी. और मेरा सगा भाई मेरे बड़े बड़े तने हुए गोल गोल मम्मों को पहली बार यूँ पूरा नंगा देख रहा था.

बिलाल भाई मेरे जवान गरम तने हुए टाइट मम्मो को देख कर पागल हो गया और वो मेरी जवान छातियों पर अपने गरम होंठ रख कर उन्हे प्यार करने लगा.
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
rajsharma
Super member
Posts: 15829
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: चुदाई का वीज़ा

Post by rajsharma »

में बता नही सकती कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था ऑर उस वक़्त में अपने और भाई के रिश्ते के मुतलक सब कुछ भूलती जा रही थी.

मुझे अगर कुछ याद रहा तो वो ये कि भाई एक मर्द है और में एक प्यासी गरम औरत.

कुछ देर मेरे मम्मो को प्यार करने के बाद भाई ने मेरी इलास्टिक वाली शलवार को भी मेरे बदन से अलग कर मुझे पूरा नंगा कर दिया.


बिलाल भाई ने बैठे बैठे अपने हाथों से मेरी गुदाज रानों को आहिस्ता आहिस्ता टच करना शुरू किया.

भाई मेरी गोश्त भरी गुदाज रानों को दबाने और मसलने लगे.

बिलाल भाई का हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी रानों के उपर बढ़ते हुए आया और फिर वो अपने हाथ को मेरी फुद्दी के उपर फैरने लगे,उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ में बता नहीं सकती उन के हाथ की सरसारहात जो में अपनी पुसी लिप्स पर फील कर रही थी,

में तो सिर्फ़ आँखे बंद किये लज़्ज़त भरी साँसे ले रही थी,

में ने एक दिन पहले ही रिमूविंग क्रीम से अपनी चूत से बाल सॉफ किये थे.जिस की वजह से मेरी फुद्दी के लिप्स निहायत चिकने और मुलायम हो गये थे.

भाई के हाथ मेरी चिकनी चूत पर फिर रहे थे और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

थोड़ी देर तक वो मेरी चूत के लिप्स को अपनी उंगलियों से रगड़ते रहे ओर उन की इस हरकत से मेरी साँसें तेज होती गईं.

में अपने भाई के हाथों की बदौलत लज़्ज़त की उस मंज़ल पर पहुँच चुकी थी.जिस के बारे में अल्फ़ाज़ में इज़हार करना मेरे लिए मुश्किल ही नही बल्कि ना मुमकिन था.

में उस वक़्त सिर्फ़ एंजाय कर रही थी. इस लिए मेरे ज़हन ने अब ये सोचना ही बंद कर दिया था कि क्या ग़लत हे ऑर क्या सही.

इसी लिए मे चाहने के बावजूद ना अपने भाई को रोक पा रही थी और ना अपने जिस्म को. जो मेरे भाई के हाथों में पिघला जा रहा था.

जिस्म की आग में शायद शिदत ही इतनी ज़्यादा होती है कि इस आग में झुलस कर इंसान सब भुला देता हे, ऑर मेरे साथ भी यही कुछ हो रहा था.

भाई की उंगलियाँ मेरी चूत की सारी नर्मी,गर्मी को जाँच रही थी. जब कि भाई के होंठ मेरे नादां होंठों का रस चूसने में मसरूफ़ थे.
Read my all running stories

(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
User avatar
Smoothdad
Novice User
Posts: 914
Joined: 14 Mar 2016 08:45

Re: चुदाई का वीज़ा

Post by Smoothdad »

शानदार अपडेट।
जारी रखे, आगे की प्रतीक्षा में
Post Reply