हरामी मौलवी complete
- rajsharma
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Re: हरामी मौलवी
धन्यवाद कामिनी नई कहानी के लिए
Read my all running stories
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
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- Kamini
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- Joined: 12 Jan 2017 13:15
Re: हरामी मौलवी
आपके सपोर्ट के लिए बहुत बहुत थॅंक्स
- Kamini
- Novice User
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- Joined: 12 Jan 2017 13:15
Re: हरामी मौलवी
निदा ये सब सुन रही थी। फिर एकदम रुखसाना की आवाजें ज्यादा आनी शुरू हो गईं और कुछ देर में आवाजें बंद हो गईं। इसका मतलब यही था कि मौलवी डिस्चार्ज हो गया होगा।
निदा जब रूम में गई तो मिशा ने कहा-“इतनी देर लगा दी पानी पीने के लिए?”
तो निदा ने कहा-“पानी पीने के बाद पता नहीं दिल घबरा रहा था। इसलिए बाहर बैठ गई थी…”
फिर तीनों बहनें अपने-अपने बिस्तर पर सो गई। सुबह-सुबह मौलवी साहब उस आदमी की तरफ निकल गये जो अड्रेस दिया गया था। मौलवी साहब जब उस जगह पर पहुँचे तो वहाँ उसने रेफरेंस दिया तो एक आदमी ने कहा-“बाबाजी अभी आते हैं आप बैठें…”
कुछ देर के बाद बाबा आ गया उसने मौलवी के आने की वजह पूछी तो मौलवी ने कहा-“मेरे साथ ये मसला है…”
तो बाबा ने कुछ पढ़ा और हिसाब के बाद बताया कि तुम्हारे घर पर काला जादू है, पता नहीं तुम लोग कैसे अपनी जिंदगी गुज़ार रहे हो।
मौलवी को इन बातों पर यकीन नहीं था लेकिन जब बाबा ने कुछ ऐसी बातें बताई जिनको सुनकर मौलवी भी हैरान हो गया और उसको यकीन आ गया कि वाकई हमारे घर पे जादू है।
बाबा ने उससे कहा कि या तो तुम अपनी बेटी को यहाँ ले आओ या मैं आ जाऊं गा तुम्हारे घर।
मौलवी ने कुछ सोचकर कहा-“बाबाजी आप आ जाना क्योंकी मेरी बेटियाँ सब शरीफ हैं और नकाब करती हैं, यहाँ आने के लिये सफ़र करना पड़ेगा। अगर आप नाराज न हों तो आप हमारे घर आ जाना…”
तो बाबा ने दो दिन के बाद आने का वादा कर लिया और जो-जो समझाया वो मौलवी को कहा कि जाओ घर जाकर ऐसा करो, बाकी मैं आउन्गा, तो सब ठीक हो जाएगा।
वहाँ से उठकर मौलवी घर के लिए निकल पड़ा, मौलवी दोपहर के 3:00 बजे घर आ गया। उसने आने के बाद अपनी बीवी को सब बातें बता दिया और ये भी कहा कि बाबा ने कहा कि तमाम बेटियाँ शलवार में नाड़ा पहना करें।
सब सुनकर रुखसाना ने कहा-“निदा, मिशा और इशरत तो नाड़ा पहनती हैं पर बाकी तीन इलास्टिक पहनती हैं…”
उसके बाद मौलवी साहब ने कहा-“बाकी तीन को भी कहो कि वो नाड़ा डालना शुरू कर दें नहीं तो इलाज होना ना-मुमकिन है…”
रात को खाने के बाद मौलवी ने अपने बेटे को सब बातें बता दिया कि बाबाजी हमारे घर आएँगे उन्होंने कहा है कि हम पर काला जादू है। इसलिए तुम भी परसों घर पे रहना। मैं चाहता हूँ कि तुम भी उनसे मिल लो…”
फिर फ़रदीन ने कहा-“जी, मैं जरूर मिल लूँगा। बस जो भी हो जल्दी से सब ठीक हो जाए हमें और कुछ नहीं चाहिए…”
इसी तरह दो दिन गुजर गये और बाबाजी ने मौलवी साहब को कहा-“मैं आ गया…”
मौलवी ने बाबाजी को पिक किया और घर में ले आया। घर में आने के बाद सबसे पहले बाबाजी को खाना खिलाया, उसके बाद बाबा ने अपना ईलम शुरू कर दिया। उसने बारी-बारी सब बेटियों को बुलाया, उनका हिसाब लगाया। हिसाब लगाने के बाद बाबाजी ने कहा-“निदा का सबसे पहले अमल करना है इसलिए निदा को अंदर बुलाकर बाबाजी ने बातें बता दिया कि उसपर जिस्मानी जादू है। सिर्फ़ उसपर ही नहीं बल्की बाकी सब पर है। इसलिए निदा को कोई ऐसा आदमी ढूँढना होगा जो कि उसके साथ, उसके जिस्म के साथ एक दिन छू सके और उसको महसूस कर सके…”
ये सब सुनकर निदा परेशान हो जाती है और कह देती है-“बाबाजी, ऐसा मैं कुछ नहीं कर सकती, सारी जिंदगी अपनी इज़्ज़त की हिफ़ाज़त की और अब एक अमल खतम करने के लिए मैं अपनी इज़्ज़त को खतम कर दूं ये नहीं हो सकता…”
बाबा-“बेटी फिलहाल जो कहा है वो करो और आज मैं आपके घर पर ही हूँ, मजीद देखता हूँ कि मुझे क्या करना है?”
निदा-“ठीक है बाबाजी, अब मैं जाऊं बाहर?”
बाबा-“हाँ जाओ और अपने बाप को भेज दो…”
मौलवी अंदर आ जाता है। बाबा मौलवी को सब बातें बता देता है कि इस तरह किया गया है और ऐसे करना पड़ेगा। और बाबा ने ये भी कह दिया कि मौलवी से बुरा कोई ऐसा आदमी नहीं हो सकता जो कि इस अमल का हिस्सा ना बने।
मौलवी ये सुनकर एकदम गुस्से में आ जाता है और कहता है-“मैं ऐसा नहीं कर सकता…”
जिस पर बाबा ने कह दिया-“ऐसा नहीं होगा तो सब तबाह हो जाएगा…”
फिर मौलवी ने जब ये सुना कि निदा की फुद्दी मारनी पड़ेगी, फिर ही सब खतम हो जाएगा। ये सुनकर मौलवी पहले गुस्से में था, बाद उसकी शलवार में उसका लण्ड खड़ा हो गया। पर वो ऐसा सोच भी नहीं सकता था। आज अपनी बेटी की चुदाई करने के लिए उसका लण्ड खड़ा भी हो गया है, ऐसा क्यों हुआ? उसके बाद मौलवी परेशानी की हालत में बाहर बैठ जाता है और वो सारी बातें रुखसाना को बता देता है। ये बात घर में सबको पता थी पर फ़रदीन को नहीं बताई, क्योंकी मौलवी चाहता था कि एक बार वो डॉक्टर बन जाए और उसके दिमाग़ में कोई ऐसी बात ना बैठ जाए जिससे वो अपनी पढ़ाई रोक दे।
सारी रात बाबाजी ने अमल किया।
सुबह फ़रदीन ने वापिस जाना था। मौलवी ने उसको रुखसत किया।
और बाबाजी ने भी कहा-“इस अमल का असल टाइम ये है कि निदा और बाकी बेटियों के बहुत रिश्ता आएँगे लेकिन कोई ओके नहीं होगा यहाँ तक कि ये भी बता दिया कि इस नामों के रिश्ते आएँगे। अगर ना हुआ तो बता देना, जहाँ अमल रोका होगा वहीं से शुरू कर दूँगा…”
मौलवी ने बाबाजी को रुखसत किया और वो बाबा अपने घर वापिस चला गया। वक़्त गुजरता गया।
वक़्त का पता ना चल सका। मौलवी साहब की बेटियों के रिश्ते आते रहे पर हर बार की तरह रिश्ते से इनकार होता रहा। लेकिन एक रिश्ता ऐसा आया जिसकी उमर 50 साल की थी, उसने भी गरीबी की वजह से इनकार कर दिया। अब धीरे-धीरे मौलवी साहब को सब कन्फर्म होता गया। वाकई जो नाम बाबाजी ने बताए थे वहीं रिश्ते आए हैं और हर बार की तरह हर रिश्ता इनकार होता रहा है। इन सब बातों को देखते हुये इन्होंने डिसाइड किया कि बाबाजी से फिर बात करें, क्योंकी अब निदा और मिशा की उम्र भी बढ़ती जा रही है।
निदा जब रूम में गई तो मिशा ने कहा-“इतनी देर लगा दी पानी पीने के लिए?”
तो निदा ने कहा-“पानी पीने के बाद पता नहीं दिल घबरा रहा था। इसलिए बाहर बैठ गई थी…”
फिर तीनों बहनें अपने-अपने बिस्तर पर सो गई। सुबह-सुबह मौलवी साहब उस आदमी की तरफ निकल गये जो अड्रेस दिया गया था। मौलवी साहब जब उस जगह पर पहुँचे तो वहाँ उसने रेफरेंस दिया तो एक आदमी ने कहा-“बाबाजी अभी आते हैं आप बैठें…”
कुछ देर के बाद बाबा आ गया उसने मौलवी के आने की वजह पूछी तो मौलवी ने कहा-“मेरे साथ ये मसला है…”
तो बाबा ने कुछ पढ़ा और हिसाब के बाद बताया कि तुम्हारे घर पर काला जादू है, पता नहीं तुम लोग कैसे अपनी जिंदगी गुज़ार रहे हो।
मौलवी को इन बातों पर यकीन नहीं था लेकिन जब बाबा ने कुछ ऐसी बातें बताई जिनको सुनकर मौलवी भी हैरान हो गया और उसको यकीन आ गया कि वाकई हमारे घर पे जादू है।
बाबा ने उससे कहा कि या तो तुम अपनी बेटी को यहाँ ले आओ या मैं आ जाऊं गा तुम्हारे घर।
मौलवी ने कुछ सोचकर कहा-“बाबाजी आप आ जाना क्योंकी मेरी बेटियाँ सब शरीफ हैं और नकाब करती हैं, यहाँ आने के लिये सफ़र करना पड़ेगा। अगर आप नाराज न हों तो आप हमारे घर आ जाना…”
तो बाबा ने दो दिन के बाद आने का वादा कर लिया और जो-जो समझाया वो मौलवी को कहा कि जाओ घर जाकर ऐसा करो, बाकी मैं आउन्गा, तो सब ठीक हो जाएगा।
वहाँ से उठकर मौलवी घर के लिए निकल पड़ा, मौलवी दोपहर के 3:00 बजे घर आ गया। उसने आने के बाद अपनी बीवी को सब बातें बता दिया और ये भी कहा कि बाबा ने कहा कि तमाम बेटियाँ शलवार में नाड़ा पहना करें।
सब सुनकर रुखसाना ने कहा-“निदा, मिशा और इशरत तो नाड़ा पहनती हैं पर बाकी तीन इलास्टिक पहनती हैं…”
उसके बाद मौलवी साहब ने कहा-“बाकी तीन को भी कहो कि वो नाड़ा डालना शुरू कर दें नहीं तो इलाज होना ना-मुमकिन है…”
रात को खाने के बाद मौलवी ने अपने बेटे को सब बातें बता दिया कि बाबाजी हमारे घर आएँगे उन्होंने कहा है कि हम पर काला जादू है। इसलिए तुम भी परसों घर पे रहना। मैं चाहता हूँ कि तुम भी उनसे मिल लो…”
फिर फ़रदीन ने कहा-“जी, मैं जरूर मिल लूँगा। बस जो भी हो जल्दी से सब ठीक हो जाए हमें और कुछ नहीं चाहिए…”
इसी तरह दो दिन गुजर गये और बाबाजी ने मौलवी साहब को कहा-“मैं आ गया…”
मौलवी ने बाबाजी को पिक किया और घर में ले आया। घर में आने के बाद सबसे पहले बाबाजी को खाना खिलाया, उसके बाद बाबा ने अपना ईलम शुरू कर दिया। उसने बारी-बारी सब बेटियों को बुलाया, उनका हिसाब लगाया। हिसाब लगाने के बाद बाबाजी ने कहा-“निदा का सबसे पहले अमल करना है इसलिए निदा को अंदर बुलाकर बाबाजी ने बातें बता दिया कि उसपर जिस्मानी जादू है। सिर्फ़ उसपर ही नहीं बल्की बाकी सब पर है। इसलिए निदा को कोई ऐसा आदमी ढूँढना होगा जो कि उसके साथ, उसके जिस्म के साथ एक दिन छू सके और उसको महसूस कर सके…”
ये सब सुनकर निदा परेशान हो जाती है और कह देती है-“बाबाजी, ऐसा मैं कुछ नहीं कर सकती, सारी जिंदगी अपनी इज़्ज़त की हिफ़ाज़त की और अब एक अमल खतम करने के लिए मैं अपनी इज़्ज़त को खतम कर दूं ये नहीं हो सकता…”
बाबा-“बेटी फिलहाल जो कहा है वो करो और आज मैं आपके घर पर ही हूँ, मजीद देखता हूँ कि मुझे क्या करना है?”
निदा-“ठीक है बाबाजी, अब मैं जाऊं बाहर?”
बाबा-“हाँ जाओ और अपने बाप को भेज दो…”
मौलवी अंदर आ जाता है। बाबा मौलवी को सब बातें बता देता है कि इस तरह किया गया है और ऐसे करना पड़ेगा। और बाबा ने ये भी कह दिया कि मौलवी से बुरा कोई ऐसा आदमी नहीं हो सकता जो कि इस अमल का हिस्सा ना बने।
मौलवी ये सुनकर एकदम गुस्से में आ जाता है और कहता है-“मैं ऐसा नहीं कर सकता…”
जिस पर बाबा ने कह दिया-“ऐसा नहीं होगा तो सब तबाह हो जाएगा…”
फिर मौलवी ने जब ये सुना कि निदा की फुद्दी मारनी पड़ेगी, फिर ही सब खतम हो जाएगा। ये सुनकर मौलवी पहले गुस्से में था, बाद उसकी शलवार में उसका लण्ड खड़ा हो गया। पर वो ऐसा सोच भी नहीं सकता था। आज अपनी बेटी की चुदाई करने के लिए उसका लण्ड खड़ा भी हो गया है, ऐसा क्यों हुआ? उसके बाद मौलवी परेशानी की हालत में बाहर बैठ जाता है और वो सारी बातें रुखसाना को बता देता है। ये बात घर में सबको पता थी पर फ़रदीन को नहीं बताई, क्योंकी मौलवी चाहता था कि एक बार वो डॉक्टर बन जाए और उसके दिमाग़ में कोई ऐसी बात ना बैठ जाए जिससे वो अपनी पढ़ाई रोक दे।
सारी रात बाबाजी ने अमल किया।
सुबह फ़रदीन ने वापिस जाना था। मौलवी ने उसको रुखसत किया।
और बाबाजी ने भी कहा-“इस अमल का असल टाइम ये है कि निदा और बाकी बेटियों के बहुत रिश्ता आएँगे लेकिन कोई ओके नहीं होगा यहाँ तक कि ये भी बता दिया कि इस नामों के रिश्ते आएँगे। अगर ना हुआ तो बता देना, जहाँ अमल रोका होगा वहीं से शुरू कर दूँगा…”
मौलवी ने बाबाजी को रुखसत किया और वो बाबा अपने घर वापिस चला गया। वक़्त गुजरता गया।
वक़्त का पता ना चल सका। मौलवी साहब की बेटियों के रिश्ते आते रहे पर हर बार की तरह रिश्ते से इनकार होता रहा। लेकिन एक रिश्ता ऐसा आया जिसकी उमर 50 साल की थी, उसने भी गरीबी की वजह से इनकार कर दिया। अब धीरे-धीरे मौलवी साहब को सब कन्फर्म होता गया। वाकई जो नाम बाबाजी ने बताए थे वहीं रिश्ते आए हैं और हर बार की तरह हर रिश्ता इनकार होता रहा है। इन सब बातों को देखते हुये इन्होंने डिसाइड किया कि बाबाजी से फिर बात करें, क्योंकी अब निदा और मिशा की उम्र भी बढ़ती जा रही है।
- Kamini
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Re: हरामी मौलवी
मौलवी की बीवी सोचती रहती है कि मैं कैसी माँ हूँ, रोजाना अपने शौहर के साथ मस्ती करती हूँ और मेरी बेटियाँ इतनी जवान हैं, उनका भी तो दिल है उनका भी दिल करता होगा कि वो अपनी प्यास को अपने शौहर के लण्ड से बुझाएँ।
मौलवी साहब को फ़रदीन का फ़ोन आ जाता है कि उसका 4 साल कम्प्लीट हो गया हैं और वो हार्ट सर्जरी में जा रहा है और एक साल के बाद एम॰बी॰बी॰एस॰ पूरा हो जाएगा। जिस पर सब घर वाले बहुत खुश हो जाते हैं और कुछ दिनों के बाद फ़रदीन भी घर आता है। बेचारा जब घर आता है तो बहनों के रिश्ते ना होने की वजह से परेशान हो जाता है और कुछ दिन रहकर वापिस चला जाता है।
मौलवी साहब बाबाजी के घर जब गये तो पता चला कि वो तो किसी दूसरे शहर गये हुये हैं और अगले महीने आएँगे। जिसकी वजह से मौलवी साहब ने एक चिट्ठी लिखकर बाबाजी के आदमी को दे दी कि जब बाबाजी आएँ तो उन्हें ये दे देना, कि मौलवी इकबाल सरगोधा से आए थे, ये देकर गये हैं। वहाँ से वापिस मायूस होकर मौलवी साहब घर वापिस आ जाते हैं।
***** *****
टाइम गुजरता गया और मौलवी और उसका परिवार मुश्किल में घिरा रहा। लेकिन फ़रदीन अपनी पढ़ाई पे ध्यान देता रहा। एक महीने गुजरने के बाद मौलवी इकबाल को बाबाजी की काल आती है-“कि तुम आए थे, मैं काम से दूसरे शहर गया हुआ था। तो बताओ जो-जो मैंने कहा था वैसा हुआ है या नहीं? जब मैंने कहा था, मेरी बात मान लेते। लेकिन तुम मेरी बात नहीं माने। अब बताओ जो रिश्ते आए, जो मैंने कहा वहीं नाम के रिश्ते थे, जो तुम्हारी बेटियों के लिए आए लेकिन फ़ाईनल न हो सके…”
मौलवी साहब ने कहा-“बाबाजी मुझे बताएीं कि फिर मैं वो गलत काम कैसे कर सकता हूँ?”
बाबाजी की काल के बाद मौलवी और उसकी बीवी बहुत परेशान हो गये कि अब क्या किया जाए? जैसे-जैसे टाइम गुजर रहा था मौलवी की टेंशन में इज़ाफा हो रहा था।
फिर आखिर एक दिन वो आ गया जब फ़रदीन अपनी एम॰बी॰बी॰एस॰ की डिग्री लेकर घर आ गया। फ़रदीन ने अपने बाप से कहा-“मैं अब अपनी पढ़ाई पूरी कर चुका हूँ लेकिन अभी तक आप एक रिश्ता न ढूँढ सके। अब मैं देखता हूँ कि मुझे क्या करना है?”
घर में सब खुश थे कि उनका बेटा और भाई डॉक्टर बन गया है। फ़रदीन ने अपने बाप को कहा-मेरी नजर में एक आदमी है काफ़ी पहुँचा हुआ है, मैं उससे पूछता हूँ कि क्या हिसाब किताब है…”
लेकिन मौलवी को ये नहीं पता था कि उसका बेटा शहर से डॉक्टर बनकर तो आ गया, लेकिन वो शहर में गलत सोसायटी में चला गया है, जिसकी वजह से जब उसको ये पता चला कि उस बाबाजी ने कहा है कि जिस्मानी जादू है तो अब फ़रदीन उसी बात का फ़ायदा उठाने लगा। फ़रदीन ने जानबूझ के अपने माँ-बाप के सामने फ़ोन कान से लगाकर बात की-“इस तरह के हालात हैं आप मुझे हिसाब किताब करके बताएीं…” फ़रदीन ने फ़ोन किसी को नहीं किया था सिर्फ़ कान से फ़ोन लगाकर शो किया कि किसी बाबाजी से बात कर रहा है।
मौलवी साहब को फ़रदीन का फ़ोन आ जाता है कि उसका 4 साल कम्प्लीट हो गया हैं और वो हार्ट सर्जरी में जा रहा है और एक साल के बाद एम॰बी॰बी॰एस॰ पूरा हो जाएगा। जिस पर सब घर वाले बहुत खुश हो जाते हैं और कुछ दिनों के बाद फ़रदीन भी घर आता है। बेचारा जब घर आता है तो बहनों के रिश्ते ना होने की वजह से परेशान हो जाता है और कुछ दिन रहकर वापिस चला जाता है।
मौलवी साहब बाबाजी के घर जब गये तो पता चला कि वो तो किसी दूसरे शहर गये हुये हैं और अगले महीने आएँगे। जिसकी वजह से मौलवी साहब ने एक चिट्ठी लिखकर बाबाजी के आदमी को दे दी कि जब बाबाजी आएँ तो उन्हें ये दे देना, कि मौलवी इकबाल सरगोधा से आए थे, ये देकर गये हैं। वहाँ से वापिस मायूस होकर मौलवी साहब घर वापिस आ जाते हैं।
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टाइम गुजरता गया और मौलवी और उसका परिवार मुश्किल में घिरा रहा। लेकिन फ़रदीन अपनी पढ़ाई पे ध्यान देता रहा। एक महीने गुजरने के बाद मौलवी इकबाल को बाबाजी की काल आती है-“कि तुम आए थे, मैं काम से दूसरे शहर गया हुआ था। तो बताओ जो-जो मैंने कहा था वैसा हुआ है या नहीं? जब मैंने कहा था, मेरी बात मान लेते। लेकिन तुम मेरी बात नहीं माने। अब बताओ जो रिश्ते आए, जो मैंने कहा वहीं नाम के रिश्ते थे, जो तुम्हारी बेटियों के लिए आए लेकिन फ़ाईनल न हो सके…”
मौलवी साहब ने कहा-“बाबाजी मुझे बताएीं कि फिर मैं वो गलत काम कैसे कर सकता हूँ?”
बाबाजी की काल के बाद मौलवी और उसकी बीवी बहुत परेशान हो गये कि अब क्या किया जाए? जैसे-जैसे टाइम गुजर रहा था मौलवी की टेंशन में इज़ाफा हो रहा था।
फिर आखिर एक दिन वो आ गया जब फ़रदीन अपनी एम॰बी॰बी॰एस॰ की डिग्री लेकर घर आ गया। फ़रदीन ने अपने बाप से कहा-“मैं अब अपनी पढ़ाई पूरी कर चुका हूँ लेकिन अभी तक आप एक रिश्ता न ढूँढ सके। अब मैं देखता हूँ कि मुझे क्या करना है?”
घर में सब खुश थे कि उनका बेटा और भाई डॉक्टर बन गया है। फ़रदीन ने अपने बाप को कहा-मेरी नजर में एक आदमी है काफ़ी पहुँचा हुआ है, मैं उससे पूछता हूँ कि क्या हिसाब किताब है…”
लेकिन मौलवी को ये नहीं पता था कि उसका बेटा शहर से डॉक्टर बनकर तो आ गया, लेकिन वो शहर में गलत सोसायटी में चला गया है, जिसकी वजह से जब उसको ये पता चला कि उस बाबाजी ने कहा है कि जिस्मानी जादू है तो अब फ़रदीन उसी बात का फ़ायदा उठाने लगा। फ़रदीन ने जानबूझ के अपने माँ-बाप के सामने फ़ोन कान से लगाकर बात की-“इस तरह के हालात हैं आप मुझे हिसाब किताब करके बताएीं…” फ़रदीन ने फ़ोन किसी को नहीं किया था सिर्फ़ कान से फ़ोन लगाकर शो किया कि किसी बाबाजी से बात कर रहा है।
- Rohit Kapoor
- Pro Member
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- Joined: 16 Mar 2015 19:16
Re: हरामी मौलवी
Keep writing dear, Excited for NEXT Update . . . .
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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