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हरामी मौलवी complete
- Kamini
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Re: हरामी मौलवी
फारिग होने के बाद जाकर अपना लण्ड धोया। जब लण्ड धोकर वापिस आया तो इशरत बेडशीट पे देख रही थी जिस पे दो बूँद खून लगा हुआ था।
मौलवी-“बेटी, ये निशानी है तुम्हारी कुाँवारेपन की मुझे तुमने अपने आप दिया उसके लिए शुकिया…”
इशरत-“अब्बू, जब आपका हुकुम होगा ये फुद्दी आपके सामने थाली में पेश कर दूंगी…”
मौलवी-शाबाश… मुझे यही उम्मीद थी।
इशरत-वैसे अम्मी की फुद्दी भी लेते हैं या नहीं?
मौलवी-तुम्हारी अम्मी की फुद्दी का अपना मजा है रोजाना लेता हूँ।
इशरत-वैसे अब्बू, आपका लण्ड है भी बहुत अच्छा।
मौलवी-चलो अभी घर चलते हैं। मैं रास्ते में एक टेबलेट ले देता हूँ वो खा लेना, ताकी कल को कोई मसला न हो…”
उसके बाद दोनों बाप-बेटी उस जगह से निकल जाते हैं और मौलवी ने मेडिकल स्टोर से निकलकर इशरत को टेबलेट लाकर दी और इशरत को घर से थोड़ा पीछे उतार दिया। मौलवी नहीं चाहता था कि दोनों बाप-बेटी घर एक साथ जायें। मौलवी घर आ गया। उसका थोड़ी देर के बाद इशरत भी घर आ गई। उसने चाय पी और चुदाई की वजह से थक चुकी थी तो मजे से नींद की आगोश में चली गई।
***** *****
रात के खाने पे इशरत को उसकी बड़ी बहन ने आकर जगाया कि उठ जाओ खाना खा लो। इशरत उठती है लेकिन उसको महसूस हो जाता है कि आज वाकई ही उसकी सील टूट गई है। उसकी फुद्दी में दर्द थोड़ा थोड़ा हो रहा था लेकिन स्वेलिंग हो चुकी थी। जब इशरत खाने के लिए आई तो एक बार उसने अपने बाप को देखा और मौलवी के साथ उसकी नजर मिली। उसके बाद सबने खाना खाया। खाना खाते हुये मौलवी साहब ने कहा कि रुखसाना बेगम, कुछ याद है कल क्या तारीख है? और कल के दिन किया हुआ था?
रुखसाना सोच में पड़ जाती है। पता नहीं मौलवी साहब क्या कह रहे हैं? आखिर कल क्या हुआ? वो एकदम निदा की तरफ देखती है तो रुखसाना को याद आ जाता है कि कल के दिन उसका बड़ा बेटा पैदा हुआ था और साथ ही रोना शुरू हो गई। निदा उठकर अपनी माँ के पास जाकर रुखसाना को चुप करवाती रही-अम्मी चुप हो जायें, ये हमारी किस्मत ऐसी थी। ये सब किस्मत में लिखा था। काश कि नाना जी भाई को अपने साथ मेले में ना लेकर जाते।
रुखसाना के दो बेटे थे एक बेटा फ़रदीन जो के 6 बहनों के बाद पैदा हुआ और बड़ा बेटा निदा से भी बड़ा था जिसका नाम काशिफ रखा था। जब वो 3-4 साल का था कि काशिफ के नाना और रुखसाना के अब्बू उसको मेले में ले गये मेला दिखाने। वो बच्चा नासमझ था, मेले में वो कहीं आगे पीछे हो गया। काशिफ को बहुत ढूँढा पर आज तक वो न मिल सका।
काशिफ के गुम हो जाने के बाद मौलवी टूट सा गया था फिर रुखसाना ने कहा-“आज काशिफ मेरे पास होता तो वो 34 साल का होता। पता नहीं मेरा बेटा कहाँ हो गया, जिंदा भी है या की?”
सबने खाना खाया। उसके बाद मौलवी के लिए उसके रूम में निदा चाय लेकर आई। चाय पीने के बाद मौलवी ने रुखसाना को बाहों में प्यार करते हुये कहा-“अब दुखी मत हो, जो हो चुका है सो हो चुका। भूल जाओ काशिफ को, अगर हमारी किस्मत में होगा तो जरूर मिलेगा। मेरा दिल कहता है कि वो हमें जरूर मिलेगा…” उसके बाद मौलवी ने इशरत का बताना शुरू कर दिया।
और धीरे-धीरे रुखसाना की आाँखें खुलती गई और आखिर में रुखसाना बोल ही पड़ी-“मौलवी साहब, अपनी ही बेटी के साथ आपने ऐसा क्यों किया?
मौलवी-बस इसका हल यही था। अब मैं जो करूँगा उसे सबको मानना पड़ेगा, क्योंकी मुझे मेरे एक जान पहचान वाले आदमी ने कहा है कि ऐसे रिश्ते आसानी से हो जायेंगे…” लेकिन मौलवी ने शफ़ीक़ का नहीं बताया कि उसे इशरत के साथ देखा था। काफ़ी देर तक मौलवी उससे बात करता रहा।
रुखसाना-अच्छा, अब मिशा की शादी में 4 दिन रह गये हैं। मैं सोच रही हूँ कल गाँव जाकर शादी के पैगाम दे आउ।
मौलवी-रहने दो, फ़ोन पे कह देते हैं जिसने आना होगा आ जाएगा।
रुखसाना-नहीं पहली शादी है घर में इसलिए खुद जाना बेहतर है।
मौलवी-ठीक है, कल शाम को जो 5 बजे गाँव को बस जाती है उस में बिठा दूँगा रात गुजार कर दूसरे दिन आ जाना।
रुखसाना-अच्छा ठीक है, बेहतर है।
उसके बाद मौलवी सो जाता है। लेकिन रुखसाना सोचती है कि मौलवी साहब कितने शरीफ होते थे। ये बाबाजी ने इन्हें क्या बना दिया है। फिर रुखसाना सोचती है-जब मौलवी साहब ऐसा कुछ कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकती। यही सोचते हुये रुखसाना भी सो जाती है।
दूसरे दिन मौलवी इशरत को कहता है-“बेटी, तुम शफ़ीक़ से कहो कि मैं उससे मिलना चाहता हूँ और उसी होटल का टाइम रख दो…”
इशरत ने शफ़ीक़ को फ़ोन करके बता दिया कि मेरे अब्बू आपसे मिलना चाहते हैं।
तो शफ़ीक़ ने कहा-“वो उस होटल में आ जाएगा…”
फिर मौलवी तैयार होकर उस होटल की तरफ निकल गया जहाँ शफ़ीक़ पहले से बैठा था। मौलवी के साथ इशरत भी आई थी। मौलवी ने बात शुरू की।
मौलवी-“बेटी, ये निशानी है तुम्हारी कुाँवारेपन की मुझे तुमने अपने आप दिया उसके लिए शुकिया…”
इशरत-“अब्बू, जब आपका हुकुम होगा ये फुद्दी आपके सामने थाली में पेश कर दूंगी…”
मौलवी-शाबाश… मुझे यही उम्मीद थी।
इशरत-वैसे अम्मी की फुद्दी भी लेते हैं या नहीं?
मौलवी-तुम्हारी अम्मी की फुद्दी का अपना मजा है रोजाना लेता हूँ।
इशरत-वैसे अब्बू, आपका लण्ड है भी बहुत अच्छा।
मौलवी-चलो अभी घर चलते हैं। मैं रास्ते में एक टेबलेट ले देता हूँ वो खा लेना, ताकी कल को कोई मसला न हो…”
उसके बाद दोनों बाप-बेटी उस जगह से निकल जाते हैं और मौलवी ने मेडिकल स्टोर से निकलकर इशरत को टेबलेट लाकर दी और इशरत को घर से थोड़ा पीछे उतार दिया। मौलवी नहीं चाहता था कि दोनों बाप-बेटी घर एक साथ जायें। मौलवी घर आ गया। उसका थोड़ी देर के बाद इशरत भी घर आ गई। उसने चाय पी और चुदाई की वजह से थक चुकी थी तो मजे से नींद की आगोश में चली गई।
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रात के खाने पे इशरत को उसकी बड़ी बहन ने आकर जगाया कि उठ जाओ खाना खा लो। इशरत उठती है लेकिन उसको महसूस हो जाता है कि आज वाकई ही उसकी सील टूट गई है। उसकी फुद्दी में दर्द थोड़ा थोड़ा हो रहा था लेकिन स्वेलिंग हो चुकी थी। जब इशरत खाने के लिए आई तो एक बार उसने अपने बाप को देखा और मौलवी के साथ उसकी नजर मिली। उसके बाद सबने खाना खाया। खाना खाते हुये मौलवी साहब ने कहा कि रुखसाना बेगम, कुछ याद है कल क्या तारीख है? और कल के दिन किया हुआ था?
रुखसाना सोच में पड़ जाती है। पता नहीं मौलवी साहब क्या कह रहे हैं? आखिर कल क्या हुआ? वो एकदम निदा की तरफ देखती है तो रुखसाना को याद आ जाता है कि कल के दिन उसका बड़ा बेटा पैदा हुआ था और साथ ही रोना शुरू हो गई। निदा उठकर अपनी माँ के पास जाकर रुखसाना को चुप करवाती रही-अम्मी चुप हो जायें, ये हमारी किस्मत ऐसी थी। ये सब किस्मत में लिखा था। काश कि नाना जी भाई को अपने साथ मेले में ना लेकर जाते।
रुखसाना के दो बेटे थे एक बेटा फ़रदीन जो के 6 बहनों के बाद पैदा हुआ और बड़ा बेटा निदा से भी बड़ा था जिसका नाम काशिफ रखा था। जब वो 3-4 साल का था कि काशिफ के नाना और रुखसाना के अब्बू उसको मेले में ले गये मेला दिखाने। वो बच्चा नासमझ था, मेले में वो कहीं आगे पीछे हो गया। काशिफ को बहुत ढूँढा पर आज तक वो न मिल सका।
काशिफ के गुम हो जाने के बाद मौलवी टूट सा गया था फिर रुखसाना ने कहा-“आज काशिफ मेरे पास होता तो वो 34 साल का होता। पता नहीं मेरा बेटा कहाँ हो गया, जिंदा भी है या की?”
सबने खाना खाया। उसके बाद मौलवी के लिए उसके रूम में निदा चाय लेकर आई। चाय पीने के बाद मौलवी ने रुखसाना को बाहों में प्यार करते हुये कहा-“अब दुखी मत हो, जो हो चुका है सो हो चुका। भूल जाओ काशिफ को, अगर हमारी किस्मत में होगा तो जरूर मिलेगा। मेरा दिल कहता है कि वो हमें जरूर मिलेगा…” उसके बाद मौलवी ने इशरत का बताना शुरू कर दिया।
और धीरे-धीरे रुखसाना की आाँखें खुलती गई और आखिर में रुखसाना बोल ही पड़ी-“मौलवी साहब, अपनी ही बेटी के साथ आपने ऐसा क्यों किया?
मौलवी-बस इसका हल यही था। अब मैं जो करूँगा उसे सबको मानना पड़ेगा, क्योंकी मुझे मेरे एक जान पहचान वाले आदमी ने कहा है कि ऐसे रिश्ते आसानी से हो जायेंगे…” लेकिन मौलवी ने शफ़ीक़ का नहीं बताया कि उसे इशरत के साथ देखा था। काफ़ी देर तक मौलवी उससे बात करता रहा।
रुखसाना-अच्छा, अब मिशा की शादी में 4 दिन रह गये हैं। मैं सोच रही हूँ कल गाँव जाकर शादी के पैगाम दे आउ।
मौलवी-रहने दो, फ़ोन पे कह देते हैं जिसने आना होगा आ जाएगा।
रुखसाना-नहीं पहली शादी है घर में इसलिए खुद जाना बेहतर है।
मौलवी-ठीक है, कल शाम को जो 5 बजे गाँव को बस जाती है उस में बिठा दूँगा रात गुजार कर दूसरे दिन आ जाना।
रुखसाना-अच्छा ठीक है, बेहतर है।
उसके बाद मौलवी सो जाता है। लेकिन रुखसाना सोचती है कि मौलवी साहब कितने शरीफ होते थे। ये बाबाजी ने इन्हें क्या बना दिया है। फिर रुखसाना सोचती है-जब मौलवी साहब ऐसा कुछ कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकती। यही सोचते हुये रुखसाना भी सो जाती है।
दूसरे दिन मौलवी इशरत को कहता है-“बेटी, तुम शफ़ीक़ से कहो कि मैं उससे मिलना चाहता हूँ और उसी होटल का टाइम रख दो…”
इशरत ने शफ़ीक़ को फ़ोन करके बता दिया कि मेरे अब्बू आपसे मिलना चाहते हैं।
तो शफ़ीक़ ने कहा-“वो उस होटल में आ जाएगा…”
फिर मौलवी तैयार होकर उस होटल की तरफ निकल गया जहाँ शफ़ीक़ पहले से बैठा था। मौलवी के साथ इशरत भी आई थी। मौलवी ने बात शुरू की।
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Re: हरामी मौलवी
तो शफ़ीक़ ने कहा-“मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ और शादी करना चाहता हूँ। लेकिन मैंने एक झूठ बोला था कि मेरी बीवी मर चुकी है पर मेरी बीवी जिंदा है। मेरी दो बेटियाँ हैं। मैं चाहता हूँ कि शादी करूँ ताकी दूसरी बीवी से मेरा बेटा हो सके…”
मौलवी-“दूसरी शादी करना हर इंसान का हक है, आपका भी हक है क्या पहली बीवी राजी है?”
शफ़ीक़-“जी हाँ… राजी है आप मेरी बीवी से मिल भी लें…”
मौलवी-ठीक है मिल लूँगा। मेरी बेटी के नाम कोई घर कर दें, मैं ये रिश्ता मंजूर कर देता हूँ।
शफ़ीक़-ठीक है, जी मुझे मंजूर है। मैं एक घर इशरत के नाम पे कर देता हूँ।
इशरत-लेकिन शफ़ीक़, आपने मुझसे झूठ क्यों कहा कि आपकी बीवी मर चुकी है?
शफ़ीक़-अगर सच कह देता तो तुमने मुझे छोड़ देना था।
मौलवी-मुझे आपकी पहली शादी से कोई ऐतराज नहीं है। दूसरी शादी की वजह कानूनी है कि बेटे के लिए दूसरी शादी करनी है।
शफ़ीक़-ठीक है आप मेरी बीवी से मिल लें, कहें तो अभी चलते हैं…”
उसके बाद मौलवी और इशरत चले गये शफ़ीक़ की बीवी से मिलने। मौलवी संतुष्ट हो गया कि शफ़ीक़ और उसकी बीवी ठीक हैं। मौलवी ने रिश्ता ओके कर दिया। घर आने के बाद मौलवी ने एलान कर दिया कि इशरत का रिश्ता तय हो गया है।
सब ने पूछा कैसा? किस से?
तो मौलवी ने सारी डीटेल बताई जिस पर सब खुश हो गये।
शाम के 5:00 बजे मौलवी अपनी बीवी रुखसाना को बस में बिठाकर घर वापिस आने लगा। शाम हो चुकी थी कि रुखसाना की बस खराब हो गई। ड्राइवर ने चेक किया तो उसने कहा अभी बस ठीक नहीं हो सकती, क्योंकी बस के इंजन ने काम करना छोड़ दिया है, इसलिए आप लोग उतर जायें और अपना-अपना इंतज़ाम कर लें। रुखसाना परेशान हो जाती है। इस टाइम अंधेरे में कहाँ कोई बस मिलेगी। ये बस उसके गाँव जाने के लिए आखिरी टाइम था बस का। इसलिए वो पस़ से अपना मोबाइल निकालने लगी। जब पस़ में देखा के वो अपना मोबाइल जल्दी में घर छोड़ आई है, तब तो रुखसाना परेशान हो गई कि किसको बताए। रुखसना अभी स्टॉप पे खड़ी हो गई।
लोग आ रहे थे और रुखसाना को गंदी नजरों से देख रहे थे, जिसको रुखसाना भाँप गई। फिर रुखसाना ने सोचा कि पैदल चला जाए शायद आगे जाकर कोई तांगा मिल जाए। अभी कुछ आगे चली ही थी कि एक बड़ी गाड़ी आती नजर आई। वो गाड़ी रुखसाना के पास से गुजर गई, कुछ आगे जाकर उस गाड़ी ने ब्रेक लगाई और उस आदमी ने गाड़ी को रिवर्स किया। जब गाड़ी रुखसाना के पास आई और गाड़ी का शीशा जब नीचे हुआ तो एक खूबसूरत जवान लड़के ने कहा-“आंटी, आपने कहाँ जाना है?
तो रुखसाना ने कोई जवाब नहीं दिया। उस टाइम उसका ब्लड-प्रेशर इतना कम था कि बोल नहीं सकी। उस लड़के ने दोबारा पूछा-“आपने कहाँ जाना है?
तो रुखसाना बोल पड़ी-“मुझे आगे गाँव में जाना है…”
तो वो लड़का बोला-“बैठ जायें, मैं आपको वहीं उतार देता हूँ…”
लेकिन रुखसाना डर रही थी। बहुत इसरार के बाद रुखसाना बैठ गई। कुछ आगे जाकर रुखसाना ने कहा-“बेटा, तुम कहाँ के रहने वाले हो?”
उसने बताया कि मैं एक स्पेशलिस्ट सर्जन हूँ और मैं एक अमीर आदमी हूँ, लेकिन डॉक्टर होना मेरा पेशा है।
रुखसाना ने भी अपना बताया फिर रुखसाना ने उसका नाम पूछा तो उस लड़के ने बताया के मेरा नाम काशिफ है डॉक्टर काशिफ।
काशिफ केा नाम सुनकर रुखहाना गुमसुम हो गई और दिल में सोचा कि मेरे बेटे का नाम भी काशिफ है। काशिफ ने बताया कि वो उसी गाँव में जा रहा है, एक काम से। वहाँ उसने दो घंटे रुकना है फिर दोबारा सरगोधा वापिस जाना है।
रुखसाना ने दिल में सोचा ये लड़का शरीफ है, क्यों न इससे कहूँ कि मैंने शादी के कार्ड्स देने हैं और कार्ड्स देकर मुझे भी वापिस लेते जाओ। रुखसाना ने उसे बता दिया कि मैंने वापिस भी जाना है। तो काशिफ ने कहा आंटी आप 11:00 बजे गाँव के स्टॉप पर आ जाना, मैं आपको सरगोधा वापिस शहर में छोड़ दूँगा। उसके बाद रुखसाना गाँव में चली गई और काशिफ जिस काम से आया था, उस काम में लग गया। वो काम शराब पीना था, वो शराब पीता रहा और शराब पीने के बाद 11:00 बजे उसी स्टॉप पर आ गया। पर वहाँ रुखसाना नहीं आई थी तो काशिफ ने सोचा कि वो इंतजार कर लेता है कुछ देर। 20 मिनट के बाद रुखसाना आ गई और गाड़ी में बैठ गई।
मौलवी-“दूसरी शादी करना हर इंसान का हक है, आपका भी हक है क्या पहली बीवी राजी है?”
शफ़ीक़-“जी हाँ… राजी है आप मेरी बीवी से मिल भी लें…”
मौलवी-ठीक है मिल लूँगा। मेरी बेटी के नाम कोई घर कर दें, मैं ये रिश्ता मंजूर कर देता हूँ।
शफ़ीक़-ठीक है, जी मुझे मंजूर है। मैं एक घर इशरत के नाम पे कर देता हूँ।
इशरत-लेकिन शफ़ीक़, आपने मुझसे झूठ क्यों कहा कि आपकी बीवी मर चुकी है?
शफ़ीक़-अगर सच कह देता तो तुमने मुझे छोड़ देना था।
मौलवी-मुझे आपकी पहली शादी से कोई ऐतराज नहीं है। दूसरी शादी की वजह कानूनी है कि बेटे के लिए दूसरी शादी करनी है।
शफ़ीक़-ठीक है आप मेरी बीवी से मिल लें, कहें तो अभी चलते हैं…”
उसके बाद मौलवी और इशरत चले गये शफ़ीक़ की बीवी से मिलने। मौलवी संतुष्ट हो गया कि शफ़ीक़ और उसकी बीवी ठीक हैं। मौलवी ने रिश्ता ओके कर दिया। घर आने के बाद मौलवी ने एलान कर दिया कि इशरत का रिश्ता तय हो गया है।
सब ने पूछा कैसा? किस से?
तो मौलवी ने सारी डीटेल बताई जिस पर सब खुश हो गये।
शाम के 5:00 बजे मौलवी अपनी बीवी रुखसाना को बस में बिठाकर घर वापिस आने लगा। शाम हो चुकी थी कि रुखसाना की बस खराब हो गई। ड्राइवर ने चेक किया तो उसने कहा अभी बस ठीक नहीं हो सकती, क्योंकी बस के इंजन ने काम करना छोड़ दिया है, इसलिए आप लोग उतर जायें और अपना-अपना इंतज़ाम कर लें। रुखसाना परेशान हो जाती है। इस टाइम अंधेरे में कहाँ कोई बस मिलेगी। ये बस उसके गाँव जाने के लिए आखिरी टाइम था बस का। इसलिए वो पस़ से अपना मोबाइल निकालने लगी। जब पस़ में देखा के वो अपना मोबाइल जल्दी में घर छोड़ आई है, तब तो रुखसाना परेशान हो गई कि किसको बताए। रुखसना अभी स्टॉप पे खड़ी हो गई।
लोग आ रहे थे और रुखसाना को गंदी नजरों से देख रहे थे, जिसको रुखसाना भाँप गई। फिर रुखसाना ने सोचा कि पैदल चला जाए शायद आगे जाकर कोई तांगा मिल जाए। अभी कुछ आगे चली ही थी कि एक बड़ी गाड़ी आती नजर आई। वो गाड़ी रुखसाना के पास से गुजर गई, कुछ आगे जाकर उस गाड़ी ने ब्रेक लगाई और उस आदमी ने गाड़ी को रिवर्स किया। जब गाड़ी रुखसाना के पास आई और गाड़ी का शीशा जब नीचे हुआ तो एक खूबसूरत जवान लड़के ने कहा-“आंटी, आपने कहाँ जाना है?
तो रुखसाना ने कोई जवाब नहीं दिया। उस टाइम उसका ब्लड-प्रेशर इतना कम था कि बोल नहीं सकी। उस लड़के ने दोबारा पूछा-“आपने कहाँ जाना है?
तो रुखसाना बोल पड़ी-“मुझे आगे गाँव में जाना है…”
तो वो लड़का बोला-“बैठ जायें, मैं आपको वहीं उतार देता हूँ…”
लेकिन रुखसाना डर रही थी। बहुत इसरार के बाद रुखसाना बैठ गई। कुछ आगे जाकर रुखसाना ने कहा-“बेटा, तुम कहाँ के रहने वाले हो?”
उसने बताया कि मैं एक स्पेशलिस्ट सर्जन हूँ और मैं एक अमीर आदमी हूँ, लेकिन डॉक्टर होना मेरा पेशा है।
रुखसाना ने भी अपना बताया फिर रुखसाना ने उसका नाम पूछा तो उस लड़के ने बताया के मेरा नाम काशिफ है डॉक्टर काशिफ।
काशिफ केा नाम सुनकर रुखहाना गुमसुम हो गई और दिल में सोचा कि मेरे बेटे का नाम भी काशिफ है। काशिफ ने बताया कि वो उसी गाँव में जा रहा है, एक काम से। वहाँ उसने दो घंटे रुकना है फिर दोबारा सरगोधा वापिस जाना है।
रुखसाना ने दिल में सोचा ये लड़का शरीफ है, क्यों न इससे कहूँ कि मैंने शादी के कार्ड्स देने हैं और कार्ड्स देकर मुझे भी वापिस लेते जाओ। रुखसाना ने उसे बता दिया कि मैंने वापिस भी जाना है। तो काशिफ ने कहा आंटी आप 11:00 बजे गाँव के स्टॉप पर आ जाना, मैं आपको सरगोधा वापिस शहर में छोड़ दूँगा। उसके बाद रुखसाना गाँव में चली गई और काशिफ जिस काम से आया था, उस काम में लग गया। वो काम शराब पीना था, वो शराब पीता रहा और शराब पीने के बाद 11:00 बजे उसी स्टॉप पर आ गया। पर वहाँ रुखसाना नहीं आई थी तो काशिफ ने सोचा कि वो इंतजार कर लेता है कुछ देर। 20 मिनट के बाद रुखसाना आ गई और गाड़ी में बैठ गई।
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Re: हरामी मौलवी
बहुत ही बढ़िया अपडेट
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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