भाभी का बदला
- rajsharma
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Re: भाभी का बदला
धन्यवाद दोस्तो
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: भाभी का बदला
अब माँ बेड पर पेट के बल लेटी हुई थी, उनकी गाण्ड और चूत अब मुझे दिख रही थी। तभी विजय अंकल ने उनके चूत ड़ों पर हल्के से चपत लगाई और माँ सिसकी-“हाँ आराम्म से विजय…”
अंकल ने माँ के दोनों चूत ड़ों को पकड़ा और चौड़ा कर दिया।
मम्मी-विजय क्या कर रहे हो प्लीज़ रूको ना कुछ देर?
विजय माँ की चूत में उंगली घुसाने लगे और उनका पानी बाहर निकालने लगे। जब उन्होंने अपनी उंगली माँ की चूत से निकाली तो उंगली पूरी तरह से गीली थी। उन्होंने माँ की गाण्ड के छेद पर उंगली रखी और रगड़ने लगे। और फिर माँ के दोनों छेदों को चौड़ा दिया, और उनकी गाण्ड के छेद को थोड़ा सा खोलकर उसने थूक दिया।
मम्मी बोली-विजय रूको ना कुछ देर।
पर अंकल तो कुछ सुन ही नहीं रहे थे।
बाहर मैं और भाभी एक-एक बार अपनी चूत को बहा चुके थे और टाइम भी बहुत हो चुका था। मैं भाभी से बोली-“चलो ना भाभी यहां से रूम में…”
भाभी बोली-क्या हुआ?
मैं-“भाभी चूत में खुजली हो रही है।
भाभी बोली-“चुप रंडी साली, यहां खड़ी होकर अपनी माँ की चुदाई देख…”
मैं बोली-“पर चूत का क्या करूं? रंडी जो हूँ मैं इसकी…”
भाभी बोली-“रुक त यहीं और मैं आती हूँ …” कहकर भाभी अपने रूम में चली गई।
मैं अंदर का नजारा देखने लगी। अंदर विजय अंकल ने एक तकिया लिया और माँ की चूत के नीचे लगा दिया, जिससे माँ की मोटी गाण्ड चौड़ी हो गई और उनकी गाण्ड का छेद दिखाई दे रहा था, जो काला था और बहुत बड़ा भी। मैं तो सब देखकर चकित हो गई कि मेरी माँ इतनी बड़ी चुदक्कड़ है। अंकल ने अपने लण्ड को माँ की गाण्ड के ऊपर टिका दिया।
तभी भाभी आ गई थी उनके हाथ में प्लास्टिक का लण्ड था। मुझे देते हुए बोली-“ले रंडी, इसे चूत में घुसा ले…”
मैं बस अंदर देखने में लगी हुई थी। भाभी ने ढेर सा थूक उस लण्ड पे लगाया। मेरी चूत गीली होने के कारण उसको आसानी से अंदर डाल दिया, और मेरे पीछे खड़ी होकर उसे अंदर बाहर कर रही थी। फिर अपने एक हाथ से मेरी चुची को मसलना शुरू कर दिया।
अंदर विजय अंकल ने मेरी मम्मी की गाण्ड पर अपना लण्ड टिका या और और धीरे-धीरे अंदर घुसाना शुरू कर दिया।
मम्मी का कसमसाना शुरू हो गया और बोली-“आराम से विजय, तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा और बड़ा है, दर्द होता है गाण्ड में…”
विजय अंकल हँस दिए और बोले-“रागिनी बहुत बार अपनी गाण्ड में ले चुकी हो, लेकिन तेरी गाण्ड आज भी मेरे लण्ड को खड़ा कर देती है…” कहकर माँ की चुची का पकड़ा और जोर से झटका दिया तो विजय अंकल का लण्ड पूरा माँ की गाण्ड में घुस गया।
माँ बस बेड पर उल्टी पड़ी चीखी-“ओह्ह… विजय दर्द होता है, आराम्म से घुसा…”
विजय अंकल ने चुचियों को दबाना शुरू कर दिया और उनकी कमर पर किस करना शुरू कर दिया। अब वहां मेरी माँ की गाण्ड की चुदाई हो रही थी और बाहर मेरी चूत की चुदाई। हम दोनों माँ बेटी लण्डों से खेल रही थीं। बस माँ असली लण्ड से और मैं नकली लण्ड से चुद रही थी।
उसके बाद विजय अंकल ने धक्के देना शुरू कर दिया और मुझे बस विजय अंकल की गाण्ड दिखाई दे रही थी और ठप-ठप की आवाज आ रही थी।
फिर माँ की सिसकारियां शुरू हो गई और माँ -“ओह्ह… विजय चोद… भर दे अपना रस्स… हाँ चोद मुझे, तुमने तो मेरी गाण्ड फाड़ दी अह्ह… ओह्ह… माँ ऽ क्या लण्ड है… विजय चोदकर फाड़ दे मेरी गाण्ड को आअह्ह… मेरे रज्जा मजा आ रहा है… चोद लगा दम्म्म… जोर से चोदो…”
विजय अंकल भी-“ऊह्ह रागिनी क्या मस्त है तू ऽ ले खा मेरा लण्ड ओह्ह…”
और फिर उनकी चुदाई ऐसे ही 10 मिनट तक चलती रही। माँ बेड पर पड़ी-पड़ी लण्ड गाण्ड में लेती रही। तभी विजय अंकल बोले-“रागिनीऽ मेरा आने वाला है…” और अपनी पूरा स्पीड में धक्के देने लगे।
माँ बोली-“मेरे, विजय मेरी चूत में भर दे अपना रस… हाँ विजय भर दे ना अपना रस…”
विजय अंकल ने फट से लण्ड निकाला और माँ को सीधा लेटाकर लण्ड मम्मी की चूत में पेल दिया और बोले-“ले खा मेरा रस ऊऊह्ह रागिनीऽ मेरी रानी…” और अंकल भी झड़ गये और माँ के ऊपर ही पड़ गये। माँ ने उनको कसकर पकड़ लिया और दोनों बहुत तेज-तेज हाँफ रहे थे और एक दूसरे से को कसकर पकड़े हुए थे।
बाहर मैं फिर से झड़ने के करीब आ चुकी थी। पर भाभी ने मुझे चोदना बंद कर दिया और लण्ड बाहर नीकाल कर बोली-“बाकी काम अपने रूम के कर लेना रंडी…”
मैं बस कुछ नहीं बोली। मुझे भाभी के ऊपर बहुत तेज गुस्सा आ रहा था की साली नखरे दिखा रही है, और चुपचाप अंदर देखने लगी
***** *****
अंकल ने माँ के दोनों चूत ड़ों को पकड़ा और चौड़ा कर दिया।
मम्मी-विजय क्या कर रहे हो प्लीज़ रूको ना कुछ देर?
विजय माँ की चूत में उंगली घुसाने लगे और उनका पानी बाहर निकालने लगे। जब उन्होंने अपनी उंगली माँ की चूत से निकाली तो उंगली पूरी तरह से गीली थी। उन्होंने माँ की गाण्ड के छेद पर उंगली रखी और रगड़ने लगे। और फिर माँ के दोनों छेदों को चौड़ा दिया, और उनकी गाण्ड के छेद को थोड़ा सा खोलकर उसने थूक दिया।
मम्मी बोली-विजय रूको ना कुछ देर।
पर अंकल तो कुछ सुन ही नहीं रहे थे।
बाहर मैं और भाभी एक-एक बार अपनी चूत को बहा चुके थे और टाइम भी बहुत हो चुका था। मैं भाभी से बोली-“चलो ना भाभी यहां से रूम में…”
भाभी बोली-क्या हुआ?
मैं-“भाभी चूत में खुजली हो रही है।
भाभी बोली-“चुप रंडी साली, यहां खड़ी होकर अपनी माँ की चुदाई देख…”
मैं बोली-“पर चूत का क्या करूं? रंडी जो हूँ मैं इसकी…”
भाभी बोली-“रुक त यहीं और मैं आती हूँ …” कहकर भाभी अपने रूम में चली गई।
मैं अंदर का नजारा देखने लगी। अंदर विजय अंकल ने एक तकिया लिया और माँ की चूत के नीचे लगा दिया, जिससे माँ की मोटी गाण्ड चौड़ी हो गई और उनकी गाण्ड का छेद दिखाई दे रहा था, जो काला था और बहुत बड़ा भी। मैं तो सब देखकर चकित हो गई कि मेरी माँ इतनी बड़ी चुदक्कड़ है। अंकल ने अपने लण्ड को माँ की गाण्ड के ऊपर टिका दिया।
तभी भाभी आ गई थी उनके हाथ में प्लास्टिक का लण्ड था। मुझे देते हुए बोली-“ले रंडी, इसे चूत में घुसा ले…”
मैं बस अंदर देखने में लगी हुई थी। भाभी ने ढेर सा थूक उस लण्ड पे लगाया। मेरी चूत गीली होने के कारण उसको आसानी से अंदर डाल दिया, और मेरे पीछे खड़ी होकर उसे अंदर बाहर कर रही थी। फिर अपने एक हाथ से मेरी चुची को मसलना शुरू कर दिया।
अंदर विजय अंकल ने मेरी मम्मी की गाण्ड पर अपना लण्ड टिका या और और धीरे-धीरे अंदर घुसाना शुरू कर दिया।
मम्मी का कसमसाना शुरू हो गया और बोली-“आराम से विजय, तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा और बड़ा है, दर्द होता है गाण्ड में…”
विजय अंकल हँस दिए और बोले-“रागिनी बहुत बार अपनी गाण्ड में ले चुकी हो, लेकिन तेरी गाण्ड आज भी मेरे लण्ड को खड़ा कर देती है…” कहकर माँ की चुची का पकड़ा और जोर से झटका दिया तो विजय अंकल का लण्ड पूरा माँ की गाण्ड में घुस गया।
माँ बस बेड पर उल्टी पड़ी चीखी-“ओह्ह… विजय दर्द होता है, आराम्म से घुसा…”
विजय अंकल ने चुचियों को दबाना शुरू कर दिया और उनकी कमर पर किस करना शुरू कर दिया। अब वहां मेरी माँ की गाण्ड की चुदाई हो रही थी और बाहर मेरी चूत की चुदाई। हम दोनों माँ बेटी लण्डों से खेल रही थीं। बस माँ असली लण्ड से और मैं नकली लण्ड से चुद रही थी।
उसके बाद विजय अंकल ने धक्के देना शुरू कर दिया और मुझे बस विजय अंकल की गाण्ड दिखाई दे रही थी और ठप-ठप की आवाज आ रही थी।
फिर माँ की सिसकारियां शुरू हो गई और माँ -“ओह्ह… विजय चोद… भर दे अपना रस्स… हाँ चोद मुझे, तुमने तो मेरी गाण्ड फाड़ दी अह्ह… ओह्ह… माँ ऽ क्या लण्ड है… विजय चोदकर फाड़ दे मेरी गाण्ड को आअह्ह… मेरे रज्जा मजा आ रहा है… चोद लगा दम्म्म… जोर से चोदो…”
विजय अंकल भी-“ऊह्ह रागिनी क्या मस्त है तू ऽ ले खा मेरा लण्ड ओह्ह…”
और फिर उनकी चुदाई ऐसे ही 10 मिनट तक चलती रही। माँ बेड पर पड़ी-पड़ी लण्ड गाण्ड में लेती रही। तभी विजय अंकल बोले-“रागिनीऽ मेरा आने वाला है…” और अपनी पूरा स्पीड में धक्के देने लगे।
माँ बोली-“मेरे, विजय मेरी चूत में भर दे अपना रस… हाँ विजय भर दे ना अपना रस…”
विजय अंकल ने फट से लण्ड निकाला और माँ को सीधा लेटाकर लण्ड मम्मी की चूत में पेल दिया और बोले-“ले खा मेरा रस ऊऊह्ह रागिनीऽ मेरी रानी…” और अंकल भी झड़ गये और माँ के ऊपर ही पड़ गये। माँ ने उनको कसकर पकड़ लिया और दोनों बहुत तेज-तेज हाँफ रहे थे और एक दूसरे से को कसकर पकड़े हुए थे।
बाहर मैं फिर से झड़ने के करीब आ चुकी थी। पर भाभी ने मुझे चोदना बंद कर दिया और लण्ड बाहर नीकाल कर बोली-“बाकी काम अपने रूम के कर लेना रंडी…”
मैं बस कुछ नहीं बोली। मुझे भाभी के ऊपर बहुत तेज गुस्सा आ रहा था की साली नखरे दिखा रही है, और चुपचाप अंदर देखने लगी
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: भाभी का बदला
अंदर मम्मी और विजय अंकल एक दूसरे से चिपके हुए थे। कुछ देर दोनों ऐसे ही पड़े रहे और उनका लण्ड मम्मी की चूत से बाहर आ गया, वो माँ के ऊपर से हटकर साइड में लेट गय। मम्मी की चूत से विजय अंकल का पानी बाहर आ रहा था, जिसे माँ ने अपनी उंगली से निकाला और मजे लेकर चाटने लगी, और बोली-“मेरे विजय, मजा आ गया तुमसे चुदकर, पर मेरे मुँह की प्यास नहीं बुझाई मेरे राजा…”
विजय अंकल ने उनकी चूत में अपनी दो उंगली घुसा दी और बाहर निकाली तो बहुत सारा पानी लगा हुआ था, और माँ के मुँह में दे दी।
माँ मजे ले-लेकर चाटने लगी और बोली-“विजय बहुत टेस्टी है तुम्हारा रस…” और फिर माँ खड़ी हुई और अंकल का लण्ड मुँह से चाटकर सॉफ किया और खुद की चूत को अपनी पैंटी से सॉफ किया, और अंकल को बोली-“विजय ड्रिंक बनाऊूँ क्या?”
अंकल ने हाँ में सिर हिलाया। फिर माँ ने उनको ड्रिंक दी और खुद उनके बगल में लेट गई। अंकल ने ड्रिंक लेकर माँ को बाहों में ले लिया और बोले-क्यों मेरी रानी, मजा आया?
मम्मी बोली-“विजय ये भी कोई पूछने की बात है? तुमसे चुदने में बहुत मस्त मजा आता है, मैं जन्नत में पहुँच जाती हूँ , जब तुम अपने इस लण्ड से मुझे चोदते हो। तुम बहुत मजे से चोदते हो, मुझे बहुत मजा आता है…”
फिर अंकल ने उनके होंठों को चूस ना शुरू कर दिया। उसके बाद दोनों एक दूसरे को ऐसे ही बाहों में लेकर लेटे रहे। मैं और भाभी बाहर ही खड़े रहे।
फिर भाभी बोली-“चल अब सो जाते हैं। इनकी चुदाई तो पूरी रात ऐसे ही चलेगी। हमारा काम तो हो गया। फिर मैं और भाभी अपने-अपने रूम में जाकर लेट गये।
मुझे आगे नहीं पता की क्या हुआ? मेरी माँ के पास से विजय अंकल कब घर गये और कितनी बार चोदा मेरी रंडी मम्मी को, पता नहीं।
पर मैं रूम में जाकर बेड पर बैठ गई और भाभी के बारे में सोचने लगी, साली रंडी ने मुझे अधूरा छोड़ दिया। मैंने फिर से पीसी को ओन किया और भाभी की चुदाई वाला वीडियो देखना शुरू कर दिया। मैं 5 मिनट में फिर से गरम हो गई और खुद की चूत को सहलाने लगी। मैं भाभी की चुदाई का वीडियो देखती रही और खुद की चूत को रगड़ती रही। मैंने खुद की चूत को दो बार ठंडा किया और अपना रस खुद अपनी उंगलियों से चाटा। मैं इतनी थक चुकी थी कि बेड पर नंगी ही सो गई और पीसी ओन छोड़ दिया। मुझे पता नहीं कब नींद आई।
सुबह आँखे तब खुली, जब मम्मी ने रूम के दरवाजे पर खटखट किया। उस समय 8:00 बज रहे थे। मैं जल्दी से खड़ी हुई, खुद की हालत को सही किया, पीसी को ऑफ किया और कपड़े पहनकर बाहर आई।
मम्मी बोली-आज कालेज़ नहीं जाना है क्या?
मैं बोली-नहीं, आज मन नहीं है और आज कुछ पढ़ाई भी नहीं होगी।
मेरी मोम उस समय तक नहा धो चुकी थी और एक लाइट येल्लो साड़ी में थी, बहुत मस्त लग रही थी, उनके चेहरे पर एक मुश्कान थी, और फिगर जो बूढ़ों के लण्ड को भी खड़ा कर दे।
मैं बाथरूम गई, फ्रेश हुई, नहा धोकर बाहर आई तो 9:00 बज रहे थे। मम्मी अपने आफिस जाने की तैयारी कर रही थी और भाभी मम्मी के लिए खाना बना रही थी।
मैं नाश्ता करने लगी और बाद में अपने रूम में आ गई। तभी मेरी भाभी आई और बोली-“साली यहां मत बैठ, जाकर वो स्काई-पेन ला रंडी, मम्मी के कमरे से। नहीं तो मोम लाक करके चली जाएगी…”
मैं बोली-“तुम क्या कर रही थी जो अभी तक नहीं लिया तुमने?”
वो बोली-“मैं भी आज लेट उठी हूँ , मुझे कोई मोका नहीं मिला काम के कारण। अब तू जा और लेकर आ, मैं मम्मी को काम में बिजी करती हूँ …”
मैं बाहर आई और हाल में बैठ गई।
भाभी ने मम्मी को बोला-“मम्मी, जरा यहां आना…”
मम्मी बोली-क्या हुआ रजनी बेटा।
भाभी बोली-“मम्मीजी वो आपका लंच बाक्स का एक बाक्स नहीं दिख रहा है…”
मम्मी बोली-यहीं होगा, देख लो।
मैं बोली-“मोम शायद आपके रूम में हो…”
मोम बोली-जाओ जाकर देख लो और जल्दी करो। आज तुम दोनों लेट उठी हो और मुझे लेट मत करो।
मैं जल्दी से मोम के रूम में घुसी वो स्काई-पेन उठाया और अपनी लोवर की जेब में रखकर बाहर आ गई। तभी भाभी बोली-“पायल, यहां आओ जरा…”
मैं किचेन में गई और बोली-क्या हुआ भाभी?
भाभी बोली-लो कर दिया पैक दूसरे लंच-बाक्स में खाना, मम्मी को दे दो…”
मैंने मम्मी को लंच-बाक्स दिया और मोम खड़ी होकर अपने रूम में गई। 5 मिनट बाद बाहर आई और अपने रूम को लाक करके आफिस चली गई। मैं गेटे बंद करके अंदर आ गई।
भाभी बोली-देख ले गई है या नहीं रंडी? कहीं बाहर ही खड़ी हो वो?
मैं फिर से बाहर गई और देखने लगी। मुझे मेरी मम्मी गली के किनारे जाती हुई दिखी। मैं अंदर आई और बोली-“गई मम्मी आफिस…”
भाभी बोली-“चल दरवाजा लाक कर दे…” और मैंने कर दिया। फिर मुझसे पूछा -“रंडी वो स्काईपेन लिया या नहीं रूम से?”
मैं-ले लिया भाभी।
भाभी खुश हो गई और बोली-“साली कुतिया मजा आया रात को तेरी मम्मी की चुदाई देखकर? मेरा तो मन कर रहा है की राज को बुला लूँ और जोरदार चुदाई करवाऊूँ अपनी चूत की और गाण्ड की आज…”
मैं बोली-भाभी मैं कहा जाऊँ?
फिर भाभी बोली-मेरी रंडी रानी तुझे भी चुदवा दूं तू कहे तो?
मैं बोली-“नहीं, मुझे नहीं चुदना उससे…” और हम फिर अपने-अपने रूम में चले गये।
भाभी ने मुझसे वो स्काईपेन ले लिया था और मैं अपने रूम में अपनी स्टडी करने लगी। उसके बाद दिन में करीब 12:00 बजे भाभी मेरे रूम में आई। मैं उस समय स्टडी कर रही थी तो भाभी को देखते ही बोली-“भाभी क्या हुआ?”
भाभी बोली-क्या कर रही हो रंडी ननद?
मैं बोली-बस स्टडी कर रही हूँ ।
भाभी बोली-चल ना साली बंद कर स्टडी को, तेरी माँ की चूत चुदाई का प्रोग्राम फिर से देखते हैं…”
मैं बोली-क्या भाभी। तुम भी जब देखो बस चुदाई के लिए तैयार रहती हो।
भाभी बोली-साली रंडी, रात को बहुत लण्ड माँग रही थी, अब क्या हुआ?
मैं बोली-रात की बात कुछ और थी और अभी की कुछ और।
भाभी बोली-“साली नखरे ना कर ज्यादा, मुझे ये वीडियो देखना है तेरी रंडी माँ का साली। नहीं तो मैं अपने यार राज के पास जाकर देख लूँगी , और सोच ले तेरे साथ देखूँगी तो तू देखेगी और राज के साथ देखूँगी तो राज भी देखेगा इसको…”
मैं बोली-“ठीक है भाभी…” और किताब को बंद करके रख दिया।
विजय अंकल ने उनकी चूत में अपनी दो उंगली घुसा दी और बाहर निकाली तो बहुत सारा पानी लगा हुआ था, और माँ के मुँह में दे दी।
माँ मजे ले-लेकर चाटने लगी और बोली-“विजय बहुत टेस्टी है तुम्हारा रस…” और फिर माँ खड़ी हुई और अंकल का लण्ड मुँह से चाटकर सॉफ किया और खुद की चूत को अपनी पैंटी से सॉफ किया, और अंकल को बोली-“विजय ड्रिंक बनाऊूँ क्या?”
अंकल ने हाँ में सिर हिलाया। फिर माँ ने उनको ड्रिंक दी और खुद उनके बगल में लेट गई। अंकल ने ड्रिंक लेकर माँ को बाहों में ले लिया और बोले-क्यों मेरी रानी, मजा आया?
मम्मी बोली-“विजय ये भी कोई पूछने की बात है? तुमसे चुदने में बहुत मस्त मजा आता है, मैं जन्नत में पहुँच जाती हूँ , जब तुम अपने इस लण्ड से मुझे चोदते हो। तुम बहुत मजे से चोदते हो, मुझे बहुत मजा आता है…”
फिर अंकल ने उनके होंठों को चूस ना शुरू कर दिया। उसके बाद दोनों एक दूसरे को ऐसे ही बाहों में लेकर लेटे रहे। मैं और भाभी बाहर ही खड़े रहे।
फिर भाभी बोली-“चल अब सो जाते हैं। इनकी चुदाई तो पूरी रात ऐसे ही चलेगी। हमारा काम तो हो गया। फिर मैं और भाभी अपने-अपने रूम में जाकर लेट गये।
मुझे आगे नहीं पता की क्या हुआ? मेरी माँ के पास से विजय अंकल कब घर गये और कितनी बार चोदा मेरी रंडी मम्मी को, पता नहीं।
पर मैं रूम में जाकर बेड पर बैठ गई और भाभी के बारे में सोचने लगी, साली रंडी ने मुझे अधूरा छोड़ दिया। मैंने फिर से पीसी को ओन किया और भाभी की चुदाई वाला वीडियो देखना शुरू कर दिया। मैं 5 मिनट में फिर से गरम हो गई और खुद की चूत को सहलाने लगी। मैं भाभी की चुदाई का वीडियो देखती रही और खुद की चूत को रगड़ती रही। मैंने खुद की चूत को दो बार ठंडा किया और अपना रस खुद अपनी उंगलियों से चाटा। मैं इतनी थक चुकी थी कि बेड पर नंगी ही सो गई और पीसी ओन छोड़ दिया। मुझे पता नहीं कब नींद आई।
सुबह आँखे तब खुली, जब मम्मी ने रूम के दरवाजे पर खटखट किया। उस समय 8:00 बज रहे थे। मैं जल्दी से खड़ी हुई, खुद की हालत को सही किया, पीसी को ऑफ किया और कपड़े पहनकर बाहर आई।
मम्मी बोली-आज कालेज़ नहीं जाना है क्या?
मैं बोली-नहीं, आज मन नहीं है और आज कुछ पढ़ाई भी नहीं होगी।
मेरी मोम उस समय तक नहा धो चुकी थी और एक लाइट येल्लो साड़ी में थी, बहुत मस्त लग रही थी, उनके चेहरे पर एक मुश्कान थी, और फिगर जो बूढ़ों के लण्ड को भी खड़ा कर दे।
मैं बाथरूम गई, फ्रेश हुई, नहा धोकर बाहर आई तो 9:00 बज रहे थे। मम्मी अपने आफिस जाने की तैयारी कर रही थी और भाभी मम्मी के लिए खाना बना रही थी।
मैं नाश्ता करने लगी और बाद में अपने रूम में आ गई। तभी मेरी भाभी आई और बोली-“साली यहां मत बैठ, जाकर वो स्काई-पेन ला रंडी, मम्मी के कमरे से। नहीं तो मोम लाक करके चली जाएगी…”
मैं बोली-“तुम क्या कर रही थी जो अभी तक नहीं लिया तुमने?”
वो बोली-“मैं भी आज लेट उठी हूँ , मुझे कोई मोका नहीं मिला काम के कारण। अब तू जा और लेकर आ, मैं मम्मी को काम में बिजी करती हूँ …”
मैं बाहर आई और हाल में बैठ गई।
भाभी ने मम्मी को बोला-“मम्मी, जरा यहां आना…”
मम्मी बोली-क्या हुआ रजनी बेटा।
भाभी बोली-“मम्मीजी वो आपका लंच बाक्स का एक बाक्स नहीं दिख रहा है…”
मम्मी बोली-यहीं होगा, देख लो।
मैं बोली-“मोम शायद आपके रूम में हो…”
मोम बोली-जाओ जाकर देख लो और जल्दी करो। आज तुम दोनों लेट उठी हो और मुझे लेट मत करो।
मैं जल्दी से मोम के रूम में घुसी वो स्काई-पेन उठाया और अपनी लोवर की जेब में रखकर बाहर आ गई। तभी भाभी बोली-“पायल, यहां आओ जरा…”
मैं किचेन में गई और बोली-क्या हुआ भाभी?
भाभी बोली-लो कर दिया पैक दूसरे लंच-बाक्स में खाना, मम्मी को दे दो…”
मैंने मम्मी को लंच-बाक्स दिया और मोम खड़ी होकर अपने रूम में गई। 5 मिनट बाद बाहर आई और अपने रूम को लाक करके आफिस चली गई। मैं गेटे बंद करके अंदर आ गई।
भाभी बोली-देख ले गई है या नहीं रंडी? कहीं बाहर ही खड़ी हो वो?
मैं फिर से बाहर गई और देखने लगी। मुझे मेरी मम्मी गली के किनारे जाती हुई दिखी। मैं अंदर आई और बोली-“गई मम्मी आफिस…”
भाभी बोली-“चल दरवाजा लाक कर दे…” और मैंने कर दिया। फिर मुझसे पूछा -“रंडी वो स्काईपेन लिया या नहीं रूम से?”
मैं-ले लिया भाभी।
भाभी खुश हो गई और बोली-“साली कुतिया मजा आया रात को तेरी मम्मी की चुदाई देखकर? मेरा तो मन कर रहा है की राज को बुला लूँ और जोरदार चुदाई करवाऊूँ अपनी चूत की और गाण्ड की आज…”
मैं बोली-भाभी मैं कहा जाऊँ?
फिर भाभी बोली-मेरी रंडी रानी तुझे भी चुदवा दूं तू कहे तो?
मैं बोली-“नहीं, मुझे नहीं चुदना उससे…” और हम फिर अपने-अपने रूम में चले गये।
भाभी ने मुझसे वो स्काईपेन ले लिया था और मैं अपने रूम में अपनी स्टडी करने लगी। उसके बाद दिन में करीब 12:00 बजे भाभी मेरे रूम में आई। मैं उस समय स्टडी कर रही थी तो भाभी को देखते ही बोली-“भाभी क्या हुआ?”
भाभी बोली-क्या कर रही हो रंडी ननद?
मैं बोली-बस स्टडी कर रही हूँ ।
भाभी बोली-चल ना साली बंद कर स्टडी को, तेरी माँ की चूत चुदाई का प्रोग्राम फिर से देखते हैं…”
मैं बोली-क्या भाभी। तुम भी जब देखो बस चुदाई के लिए तैयार रहती हो।
भाभी बोली-साली रंडी, रात को बहुत लण्ड माँग रही थी, अब क्या हुआ?
मैं बोली-रात की बात कुछ और थी और अभी की कुछ और।
भाभी बोली-“साली नखरे ना कर ज्यादा, मुझे ये वीडियो देखना है तेरी रंडी माँ का साली। नहीं तो मैं अपने यार राज के पास जाकर देख लूँगी , और सोच ले तेरे साथ देखूँगी तो तू देखेगी और राज के साथ देखूँगी तो राज भी देखेगा इसको…”
मैं बोली-“ठीक है भाभी…” और किताब को बंद करके रख दिया।
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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- Ankit
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Re: भाभी का बदला
Superb update bhai