भाभी का बदला

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Kamini
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Re: भाभी का बदला

Post by Kamini »

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rajsharma
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Re: भाभी का बदला

Post by rajsharma »

Jemsbond wrote: 09 Dec 2017 12:58 Superb........
Kamini wrote: 09 Dec 2017 20:41Mast update
धन्यवाद दोस्तो
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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Re: भाभी का बदला

Post by rajsharma »

भाभी की चूत से बहुत सारा पानी निक ला। फिर मुझे खड़ा किया और भाभी ने लण्ड को चूत से निकालने को बोला। मैंने निकाला तो वो पूरा गीला था। भाभी ने मुझे खोलने को बोला। तो मैंने उसे खोल कर भाभी को दे दिया। भाभी की चूत बहुत गीली थी, जैसे कोई नदी बह रही हो। उनकी चूत से दूध की मलाई जैसा पानी आ रहा था, और लण्ड पर बहुत सारा लगा था। भाभी ने मुझे अपनी चूत चाटने का हुकुम दिया। मैं चाटने लगी और भाभी उस लण्ड को चूस ने लगी। मैं उनकी चूत को चाटकर उनका सारा रस पी गई और भाभी ने लण्ड सॉफ कर दिया।

उसके बाद भाभी खड़ी हुई और मुझे नीचे बैठने को बोला। मैं घुटनों के बल बैठ गई। भाभी ने अपनी चूत को दो उंगली से खोला और जीभ घुसाने को बोला। मैंने जीभ अंदर डाली और भाभी ने मेरे बाल पकड़े और चूत में घुसाने लगी। फिर भाभी ओह्ह करके मूतने लगी। उनका मूत आते ही मैं हटने लगी।

तो भाभी बोली-“रंडी एक बूँद भी बाहर नहीं गिरना चाहिए…” और मेरे मुँह में अपना मूत भरने लगी।

मैं उनका मूत भी पी गई, जितना पिया गया। भाभी ने मूतने के बाद मुझे छोड़ दिया और मुझे बड़ा मजा अपनी मालकिन की चूत का रस और मूत पीकर। मैं बस मुश्कुरा दी।
भाभी बोली-“साली चुदक्कड़ रंडी, अब से रोज तू मेरी चूत का रस और मूत पियेगी…”

मैं बोली-जी मालकिन।

फिर भाभी ने मुझे खड़ी करके मूतने को बोला, और खुद मुँह खोलकर बैठ गई। मैं उनके मुँह में मूतने लगी। मुझे बहुत गंदा लगा पर शरीर के एक कोने में कहीं मुझे ये अच्छा भी लगा। मैंने भाभी के मुँह पर मूत ना शुरू किया, भाभी पीने लगी और पी गई जितना पी सकी। उसके बाद मैं और भाभी वहीं नीचे ही एक-एक दूसरे को किस करने लगे, बैठकर नीचे। फर्श पर उनका और मेरा मूत पड़ा था, हमारे मुँह भी मूत से सने हुए थे, पर अजीब सा नशा था जिसके कारण हम किस कर रहे थे। फिर भाभी और मैं वही लेट गये और एक दूसरे से चिपके हुए थे। उसके बाद मैं सो गई।

फिर भाभी ने मुझे 5:30 बजे उठाया और बोली-“रंडी खड़ी हो, सॉफ-सफाई कौन तेरी माँ करेगी आकर?”

मैंने टाइम देखा तो 5:30 बज रहे थे। मैं जल्दी से खड़ी हुई और देखा की मेरी चूत सूजी हुई है, शरीर पर दांतों के निशान हैं। मैं जल्दी से बाथरूम गई और खुद को सॉफ किया, कपड़े पहने। जब मैं बाहर आई तो भाभी भी खुद को सॉफ करके मैक्सी पहन चुकी थी। मैंने एक टी-शर्ट और लोवर पहन लिया और भाभी के रूम को सॉफ किया। बेड की चादर बदल दी और भाभी से बोली-क्या मैं अब अपने रूम में जाऊँ?

भाभी बोली-“हाँ रंडी जा, पर बता तो दे की मजा आया ना अपनी मालकिन से चुदवा के?”

मैं बस भाभी के पास गई, उनकी चुची को जोर से भींचा और होंठों को किस किया और बोली-“हाँ भाभी मालकिन, रोज ऐसे ही अपनी इस कुतिया को चोदना…”

बदले में भाभी ने मेरी गाण्ड को दबा दिया और मैं लगड़ाते हुए अपने रूम में आ गई और बेड पर लेट गई। मैं लेटे हुए सोच रही थी की क्या ये सही है, जो मैंने किया? और सोचते हुए पता नहीं कब सो गई फिर से।

***** *****
उसके बाद रात को 8:30 बजे मोम मेरे रूम में आई और बोली-“पायल, क्या हुआ? उठो और खाना खा लो…”

मैं खड़ी हुई और उठने लगी तो मुझे चूत में कुछ दर्द महसूस हुआ, तो मैं बोली-“मोम आप चलो, मैं आती हूँ मुँह हाथ धोकर…”

मोम चली गई। मैं खड़ी हुई, लगड़ाते हुए बाथरूम गई। नीचे से चूत को देखा तो सूजी हुई थी, और लाल थी। मैं जैसे-तैसे करके बाहर हाल में आई और देखा मेरी भाभी किचेन में है, माँ हाल में बैठी टीवी देख रही है। मैं जाकर मोम के पास बैठ गई।

मोम-“आज तो बहुत देर तक सोई तू ?”

मैं-“मोम कुछ तबीयत खराब सी थी तो सो गई कालेज़ से आकर…”

मोम-अभी तो ठीक है ना?

भाभी ने मुझे देखा और एक मुश्कान दी, और मुझे गंदा इशारा किया। मैं मोम के साथ टीवी देखने लगी। बाद में हम तीनों ने मिलकर खाना खाया और मैं अपने रूम में चली गई।
मैं बेध पर बैठी हुई थी की भाभी मेरे रूम में दूध लेकर आई और बोली-“ले रन्डी दूध पी ले, कुछ ताकत आएगी और कल के लिए तैयार रहना साली…”
मैं बस मुश्कुरा दी और भाभी चली गई। मैं सोच रही थी की क्या कर रही हूँ मैं? मुझे खुद होश नहीं था, ना सही का पता था, ना गलत का, क्योंकी कल की एक सीधी-सादी लड़की आज एक रंडी बन चुकी थी। मैं ऐसे ही सोचते-सोचते सो गई।

सुबह उठी, फ्रेश हुई। अब ना चूत में दर्द था ना शरीर में। मैं नहाकर खाना खाकर, कालेज़ जाने की तैयारी करने लगी।

9:00 बजे मेरी मोम आफिस चली गई और 10:00 बजे मैं अपने कालेज़। पूरे दिन कालेज़ में भी यही सोचती रही की भाभी ने सही किया या गलत? बार-बार मेरी चूत मुझे उत्तेजित कर रही थी और गीली हो रही थी। जैसे-तैसे दिन कटा, शाम को घर आई तो घर पर भाभी ही थी।

मेरे आने के बाद भाभी बोली-“पायल मेरे रूम में आओ, मुझे कुछ बात करनी है…”

मैं घबरा गई और अपने रूम से नहीं गई।

तो कुछ देर बाद भाभी ही मेरे रूम में आ गई और बोली-“क्या हुआ ननद रानी, तुम आई क्यों नहीं?”

मैं-“कुछ नहीं भाभी, बस कल से मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है…” मैंने झूठ बोल दिया ताकि आज ये कुछ ना करे।

भाभी ने मेरे ऊपर हाथ रखा और सहलाते हुए बोली-“अच्छा… मेरी ननद रंडी, कल तो बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही थी, चोदो मुझे चोदो… अब दर्द हो रहा है…”

मैं बोली-“भाभी प्लीज़… आज कुछ नहीं करो…”

भाभी बोली-“मैं कुछ नहीं करूंगी तेरे साथ, पर तू तो कर दे मुझे ठंडा। आज तो राज भी नहीं आया, वो भी शहर से बाहर गया है। अब तू ही है जो मुझे ठंडा कर सकती है। देख मेरी चूत कैसे गीली हो रही है चल चाटकर पानी निकाल दे…”

मैं बोली-“नहीं, मेरा मन नहीं है…”

भाभी बोली-“साली नखरे मत कर, नहीं तो तेरा वीडियो तेरी माँ को दिखा दूँगी और नेट पर डाल दूँगी …”

मैं डर गई और चुपचाप भाभी को बोली-क्या करना है बोलो?

भाभी बोली-“बस चूत को चाट दे और पानी निकाल दे…”
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Re: भाभी का बदला

Post by rajsharma »

अब जब तक राज मेरी भाभी को चोदने नहीं आया, मेरी रंडी भाभी मुझसे रोज अपनी चूत चटवाती और अपना रस मुझे पिलाती, यानी उसने मुझे अपना नोकर बनाकर रख दिया था और रोज ही अपनी चूत का रस मेरे मुँह में भर देती, या ऐसे कहूँ की अब ये मेरी भाभी का और मेरा रोज का काम था। कभी-कभी वो मुझे चाटकर ठंडा कर देती, और कभी-कभी हम दोनों उस प्लास्टिक के लण्ड से एक दूसरे को चोद देते थे। दो महीने तक ऐसे ही चलता रहा। भाभी राज से चुदवाती रही और इधर मुझसे चुदवाती रही और मुझे चोदती रही।

पर एक दिन मैं कालेज़ नहीं गई तो मैं घर ही थी, और मोम के जाने के बाद अपने रूम में बैठी थी और पीसी पर गाने सुन रही थी। तभी भाभी मेरे रूम में आई तो मैंने देखा कि वो पूरी नंगी थी बस हाई हील थे उनके पैरों में। वैसे अक्सर मोम के जाने के बाद भाभी घर में नंगी रहती और मुझे भी नंगी ही रखती थी।

भाभी मुझसे बोली-क्या कर रही है मेरी कुतिया रंडी?

मैं बोली-आपकी कुतिया गाने सुन रही है।

भाभी बोली-“पायल मेरी ननद, आज कुछ नया करते हैं…”

मैं बोली-क्या करोगी भाभी?

भाभी बोली-“साली मालकिन बोल मुझे, नहीं तो तेरी माँ चोद दूँगी मैं…”

मैं-“जी मालकिन, बोलो क्या करोगी नया?” क्योंकी मुझे खुद को इतना मजा आता था की मैं बता नहीं सकती।

भाभी ने मुझे जल्दी से नंगी होने का हुकुम दिया। मैंने जीन्स टाप पहना था, उतार दिया और ब्रा और पैंटी भी निकालकर रख दी।

भाभी मेरे पास आई और मुझे किस करने लगी। मुझे मेरे बेड पर लेकर लेट गई। भाभी ने मुझे चूम ना शुरू कर दिया, और मैंने भाभी को। कभी वो मुझे चूम ती तो कभी काटती और मैं कभी उसको चूम ती और काटती। फिर हम 69 में आकर दोनों एक दूसरे की चूत को चाटने लगे।

मुझे बहुत मजा आता था चूत चाटने और चटवाने में। हम एक दूसरे की चूत को हराने में लगे थे, कुछ देर बाद हम दोनों की चूत ने लावा छोड़ दिया। हम दोनों ने एक दूसरे की चूत को सॉफ किया और दोनों एक दूसरे को बांहों में भरकर लेट गये। कुछ देर ऐसे ही लेट रहे।

भाभी ने मुझे हुकुम दिया-“मेरी ननद कुतिया, एक ड्रिंक हो जाए?”

मैं बोली-“जी मालकिन” क्योंकी भाभी ने मुझे वाइन पीना सिखा दिया था, तो मैं और भाभी वाइन का शिप लेने लगे। एक-एक पेग लगाकर एक दूसरे के चिपके हुए बेड पर लेटे थे।

तभी भाभी बोली-“अरे पायल, मेरी कुतिया बनकर तूने मुझे खुश कर दिया। अब मुझे एक नई कुतिया की तलाश है। त मेरी मदद करे तो मुझे नई कुतिया मिल जाएगी…”
मैं बोली-क्या मदद करूं मालकिन?

भाभी बोली-“साली देख, तेरी माँ यानी मेरी सास माँ विजय अंकल से चुदवाती है, क्यों ना हम इसे रंगे हाथ पकड़ें और उसे भी अपने ग्रुप में शामिल करें?”
पर मैं बोली-“छीछी मालकिन, ये बहुत गंदा है। कोई माँ अपनी बेटी के साथ ऐसा कैसे करेगी?”

भाभी बोली-“रंडी है साली, वो सब करेगी। तू बस साथ दे मेरा और सुन, तुझे भी लण्ड की जरूरत है…”

भाभी ने मेरे मन की बात बोल दी थी क्योंकी लेस्बो में वो मजा कहां है जो कोई लण्ड दे सकता है। मैंने बोला-“पर कैसे?”

तो उन्होंने मुझे अपना एक प्लान बता दिया और मैं उनके साथ राजी हो गई। प्लान के मुताबिक पहले माँ को हम दोनों को अपने ग्रुप में चोदना है। फिर विजय अंकल से माँ की चुदाई अपने सामने करवानी है और बाद में हम दोनों भी विजय अंकल के लण्ड का मजा लेंगे।

मैं बोली-“फिर राज का क्या होगा?” क्योंकी राज का लण्ड विजय अंकल से एक इंच लंबा और मोटा था। मैं चाहती थी की मेरी चुदाई विजय अंकल से ना होकर, राज से हो या कोई और मस्त मोटे लण्ड से मैं अपनी चूत का उर्द्घाटन करवाऊूँ।

उसके बाद भाभी बोली-“राज से तो तू कभी भी चुद लेना दिन में…”

पर मैं अकेले नहीं चुदना चाहती थी, क्योंकी राज का हलब्बी लण्ड मैं देख चुकी थी और मुझे पता था की यदि राज ने अकेले में चोदा मुझे तो मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा देगा और मेरी चूत को फाड़ देगा, क्योंकी वो बहुत बड़ा चोद था। मुझ पर कोई रहम नहीं करेगा और चूत , मुँह और गाण्ड तीनों को फाड़ देगा।

इसलिए मैंने भाभी को बोला-“मालकिन, मैं पहले राज के लण्ड चुदुन्गी तो आप वहीं रहेगी, नहीं तो राज मेरी और गाण्ड को फाड़कर रख देगा…” क्योंकी मैं अब तक भाभी से बहुत कुछ सीख चुकी थी, या ये कहो मैं पूरी एक रंडी बन चुकी थी। जब तक रात को चूत का रस ना निकाल दूं , तो मुझे नींद नहीं आती थी।

तो भाभी ने मुझे बोला-“ठीक है, तुमको राज के लण्ड से चुदवा दूँगी । पर अपनी इस मालकिन की बात तुम्हें माननी होगी…”

मैं बोली-“मुझे मंजूर है मालकिन…”

फिर उन्होंने मुझे बोल दिया-“पहले मम्मी को अपने ग्रुप में शामिल करते हैं और उसकी चुदाई करते हैं। फिर तुम राज से चुदना और मैं विजय अंकल से। बाद में हम सभी एक साथ चुदेंगे…”

अब हमारा प्लान तय हो चुका था। प्लान के मुताबिक पहले माँ को फाँसना था। तो हमने ये तय किया की आज के बाद माँ और विजय अंकल पर पूरी नजर रखी जाए और मैं और भाभी दोनों ही तैयार हो गये।

उसके कुछ दिनों बाद मैं घर में अकेली थी और भाभी मार्केट गई हुई थी की तभी विजय अंकल आ गये और मुझसे बोले-“कैसी हो बेटा?”
मैं-ठीक हूँ अंकल।

विजय-बेटा, तुम्हारी मम्मी आए तो उनको बोलना की शाम को आज मुझसे मिले।

मैं समझ गई की इसके लण्ड में उफान आ रहा है। मैंने कहा-जी ठीक है।
और विजय चले गये। उसके बाद भाभी आ गई और मैंने भाभी को बता दिया की अंकल आए थे।

भाभी बोली-“बस हो गया काम, यानी आज अंकल मम्मी की चुदाई करेंगे।…” मेरी और भाभी की चूत गीली होने लगी और हम एक दूसरे को मजा देने लगे और कुछ ही देर में हम ठंडे हो गये और बात करने लगे।

भाभी बोली-आज मम्मी फिर से विजय की रंडी बनेगी और हमको आज उसे हर हाल में रंगे हाथों पकड़ना है…”

मैं-“ठीक है मालकिन, जैसा आप कहो…” और हमने उसकी चुदाई देखने के लिए उसके कमरे की खिड़की को थोड़ा सा खोल दिया। अब हम शाम होने का इंतेजार करने लगे।
शाम हुई मम्मी आई, तब मैं बोली-“वो अंकल आए थे…”

मम्मी-कौन से अंकल?

मैं बोली-विजय अंकल।

ये सुनकर तो मम्मी एकदम खुश हो गई और बोली-क्या कहा?

मैं-आपको बुला रहे थे, मिलने को बोला है आपको।

मम्मी बोली-“ठीक है मैं, मिल लूँगी …” और मम्मी चाय पीने लगी।
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