भाभी का बदला

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rajsharma
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Re: भाभी का बदला

Post by rajsharma »

माँ उनका किसी रंडी के जैसे साथ देती रही, उसके बाद विजय अंकल की टी-शर्ट और लोवर माँ ने निकाल दिया और अंकल को नीचे लेटाकर माँ उनको चूमने लगी। माँ और विजय अंकल इसी तरह एक दोनों को किस करते रहे। करीब 20 मिनट तक ये प्रोग्राम चलता रहा।

और बाहर मेरा भाभी का, और हम ये देखते रहे कि अंदर विजय अंकल के कच्छे में तंबू बन गया था और फिर उन्होंने माँ की 36” साइज की चुचियों को आजाद कर दिया, यानी उनकी ब्रा को खोल दिया। माँ की चुची हाए राम इतनी बड़ी? मेरी तो देखते ही आँखे फट गई।

माँ की चुची के निपल एकदम काले और बड़े-बड़े थे, 1-1 इंचे के निपल थे। अंकल ने माँ के निप्पलो को मुँह में लेकर चूस ना शुरू कर दिया, कभी एक को तो कभी दूसरे को मुँह में लेकर चूस ते। माँ भी अब धीरे-धीरे गरम होने लगी थी, माँ भी उनका पूरा साथ दे रही थी।

और बाहर से मैं और भाभी अंदर का नजारा ले रहे थे, हम भी अपनी चूतों को गीला कर चुके थे। मैं भाभी के आगे खड़ी थी और भाभी मेरे पीछे थी। मुझे अपनी चूत पर कुछ महसूस हुआ तो देखा की भाभी का हाथ था। मैं पीछे देखने लगी तो भाभी का चेहरा एकदम लाल था और भाभी ने मेरी चूत में दो उंगली घुसा दी। मैं कुछ ना बोली बस मेरे मुँह से हल्की सी आऽऽ निक ली।

अंदर माँ की सिसकारियां निकलनी शुरू हो गई-“ओह्ह… विजय चूसो आआह्ह…” विजय अब माँ की चूत को पैंटी के ऊपर से घिसने लगे।

और बाहर मेरी चूत की भाभी चुदाई कर रही थी, और अंदर माँ की अंकल। विजय अंकल ने माँ की पैंटी को निकाल दिया और उनकी बड़ी चूत और गोरी मोटी जांघों को चूम ना शुरू कर दिया, और चूम ते-चूम ते उन्होंने माँ की चूत को चाटना शुरू कर दिया। और माँ बस “अह्ह… मुउह्ह… ओह्ह… मरी… विजय चाटो और चाटो बहुत मजा आ रहा है ऊऊह्ह…”

अंकल माँ की चूत को चाट रहे थे, और माँ उनका सिर अपनी चूत पर दबा रही थी।

अंकल जोर-जोर से उनकी चूत को चाट रहे थे। उसके बाद विजय अंकल ने माँ को छोड़ दिया और बोले-“रागिनी रानी, क्या सारा मजा अकेले ही लेगी?”

माँ बस मुश्कुरा दी और विजय अंकल को अपने पास लेटा लिया और उनका अंडरवेर निकाल दिया। जैसे ही माँ ने उनका अंडरवेर निकाला तो उनका काला मोटा लण्ड जो 7” इंच लम्बा था, बाहर आ गया।

मैं बस देखती रही की माँ इतने बड़े लण्ड चुदवाती है और मन था की अंदर जाकर इसको मैं अपनी चूत में ले लूँ और भाभी को भी चुदवा दूं , और मैं भी आज पूरी रंडी बन जाऊँ। अपनी माँ के सामने सबसे चुदवाऊूँ। पर मैं बस देखती रही, और भाभी धीरे-धीरे मेरी चूत से खेल रही थी।

अंदर माँ अंकल के लण्ड को चाटने लगी और माँ ने धीरे से अंकल के लण्ड की चमड़ी को पीछे किया तो उनका लण्ड का सुपाड़ा एकदम लाल बाहर आ गया।

मुझे मजा आया की वाह क्या लण्ड है? काश, मैं भी इसे चूस पाती।

तभी भाभी ने उंगली बाहर निकाल ली, मुझे खिड़की से हटा दिया, और धीरे से मेरे कान में बोली-“रंडी सारा का सारा तू देखेगी क्या अपनी माँ की चुदाई? और मुझे पीछे कर दिया। फिर बोली-“साली मेरी चूत में बहुत तेज खुजली हो रही है…” खुद दीवार के सहारे बैठ गई और मुझे आगे आने को बोला।

मैंने अपनी टांगे चौड़ी की और आगे आ गई। भाभी नीचे बैठी थी और मेरी चूत को उंगली से चोदना और चाटना शुरू कर दिया।

मैं भाभी के सिर को पकड़कर अपनी चूत में घुसाने लगी। अंदर माँ विजय अंकल का लण्ड चूस और चाट रही थी। माँ के थूक के कारण विजय अंकल का लण्ड मस्त चमक रहा था। अब अंदर माँ की और बाहर मेरी चूत की चुदाई हो रही थी। मैं खुद की चीखों पर पूरा कंट्रोल कर रही थी, ताकि मेरी माँ को पता ना चले की उनकी चुदाई का नजारा हम देख रहे हैं।
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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Re: भाभी का बदला

Post by rajsharma »

उसके बाद विजय अंकल ने माँ को बोला-“मेरी लव, तेरी चूत का रस भी मुझे पिला दे…” और अंकल ने माँ को बेड के किनारे कर लिया और उनकी मोटी-मोटी जांघों को चौड़ा करके उनकी चूत को चाटने लगे। माँ को भी अपनी चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था।

बाहर मुझे अपनी छोटी सी प्यासी चूत को चटवाने में मजा आ रहा था।

माँ खुलकर विजय के साथ मजा ले रही थी, यानी पूरी रंडी की तरह कर रही थी-“बस्स ओह्ह… विजय और तेज चाटो उह्ह… चाटो अह्ह… ह्म् म्म्म… मेरे राजा चाटो अह्ह… खा जाओ मेरी चूत को… विजय अब चोद भी दो मुझे…”

विजय अंकल 5 मिनट तक चूत का रस पीते रहे और फिर माँ को छोड़ दिया और अंकल अपने लण्ड को हाथ में लेकर सहलाने लगे।

तो माँ को इशारा किया की इसे गीला करो और माँ बेड के किनारे बैठ गई, और अंकल का लण्ड गप्प से मुँह में लेकर चूस ने लगी। और जितना हो सकता था लण्ड मुँह में ले रही थी, अंकल के लण्ड को पूरा थूक से गीला कर दिया। फिर खुद बेड पर लेट गई और टांगे चौड़ी कर दी। माँ की नंगी टांगे बेड पर हवा में झूल रही थी बस उनके पैरों में उनकी पायल थी थी। मेरी माँ एक पूरी रंडी लग रही थी।

बाहर मेरी चूत को भाभी चाट और उंगली से चोद रही थी।

तभी विजय अंकल ने अपना लण्ड माँ की चूत पर टिका दिया और जैसे ही लण्ड माँ की चूत पर टिका तो माँ के मुँह से “आह्ह’ निकल गई ऊह्ह विजय। और अंकल माँ की चूत पर लण्ड को रगड़ने लगे। उनकी चूत बहुत बड़ी थी, शायद मेरा पूरा हाथ उनकी चूत में चला जाए। अंकल लण्ड को चूत पर घिस रहे थे और फिर अंकल ने माँ की चुची को पकड़ा और जोर से झटका दिया, तो अंकल का लण्ड पूरा चूत में घुस गया।

और माँ तो बस सिसकार पड़ी-“ओह्ह… विजय आराम से अह्ह…”

अंकल माँ के ऊपर लेट गये। माँ विजय अंकल के नीचे थी। मुझे बस अब विजय अंकल की बड़ी सी गाण्ड दिखाई दे रही थी। माँ ने अपनी दोनों टांगों को विजय अंकल के चूतड़ों पर टिका दिया और कस लिया। विजय अंकल माँ के होंठों को चूस ने लगे और हाथों से चुचियों को दबाने लगे। मेरी मम्मी की चूत में विजय अंकल का लण्ड पूरा घुसा हुआ था।

और बाहर मेरी भाभी ने मेरी चूत को अपनी जीभ और उंगली से चाट-चाटकर मुझे पागल कर दिया था। मैं बस वहां खड़ी दोनों तरफ से मजा ले रही थी, एक हाथ से मेरी चुची के निपल को सहला रही थी। तभी अचानक मेरा शरीर अकड़ गया और मैंने भाभी को कसकर अपने पैरों में भींच लिया और मेरी चूत से मेरा रस निकल गया।

मैं चीखना चाहती थी पर खुद के मुँह को अपने हाथ से बंद कर लिया और भाभी को हटाकर वहीं बैठ गई और भाभी ने मुझे छोड़ दिया और उनकी उंगली और मुँह पर मेरी चूत का गाढ़ा-गाढ़ा सा पानी लगा हुआ था। भाभी ने मुझे आराम से लेटा दिया और अपनी उंगली मेरे मुँह में दे दी। मैंने उनकी उंगली चाट ली और मैं खुद की चूत का रस पी रही थी, जो मुझे बड़ा स्वादिष्ट लगा। बाद में मैंने उनके चेहरे से अपना पानी चाटा और होंठों को किस करने के बाद मैं वहीं लेटी रही।

भाभी फिर से खड़ी होकर अंदर का नजारा देखने लगी। मेरे शरीर में जान नहीं थी कि मैं देख सकूँ । बस वहीं लेटी हुई अपनी हाँफती सांसों पर कंट्रोल कर रही थी। भाभी अंदर देख रही थी। मुझे पीछे से भाभी की मस्त गाण्ड दिखाई दे रही थी।

अब अंदर मेरी मम्मी की चुदाई शुरू हो चुकी थी। मेरे कानों में बस अंदर से आ रही आवाज आ रही थी। मैं लेटी हुई सुन रही थी। अंदर से मम्मी की सिसकारी गूँज रही थी और भाभी अंदर का नजारा ले रही थी।

अंदर से मम्मी-“ओह्ह… विजय अह्ह… चोदो मुझे… मुझे चोदो, बहुत तेज… और जोर से चोदो… बहुत दिन हो गये मेरे को चुदे हुए अह्ह… विजय पेलो मुझे जोर से… चोदो फाड़ दो मेरी चूत अह्ह… ऊओह्ह…”

विजय अंकल भी उनका साथ दे रहे थे-“हाँ मेरी रागिनी, ले खा मेरा लण्ड तेरी चूत में… आज मजा आ गया… रागिनी मेरी रानी ले और ले खा मेरा लण्ड आआऽऽ ह्म् म्म्म…” और दोनों एक दूसरे को हराने में लगे थे।

करीब 5 मिनट बाद मैं खड़ी हुई तो अंदर देखने लगी।

भाभी धीरे से बोली-“देख रंडी कैसे चुद रही है?”

मैं-“हाँ भाभी…”

भाभी बोली-“साली चुदक्कड़ है तेरी माँ और त भी… मजा आएगा अब तो मुझे। अब मैं जो चाहे वो करूंगी तुम दोनों माँ बेटी के साथ…”

मैं बोली-“भाभी जो करना हो करो पर मेरी चूत को लण्ड से चुदवा दो, अब रुका नहीं जाता…” उसके बाद मैं अंदर देख रही थी।

भाभी ने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपनी चूत पर ले गई और बोली-“अपनी उंगली से मुझे ठंडा कर…”

मैं भाभी की चूत में 3 उंगली घुसाकर धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगी और अंदर देख रही थी। अंदर बेड पर मेरी रंडी माँ और विजय अंकल की चुदाई चल रही थी और माँ सिसक रही थी-“विजय अह्ह… विजय चोद मुझे जोर से… फाड़ मेरी चूत को, बहुत खुजली हो रही है…” और माँ गाण्ड उठा-उठाकर साथ दे रही थी।

फिर विजय अंकल ने अपना लण्ड बाहर निकाला। उनका लण्ड देखते ही मेरी भाभी का शरीर अकड़ गया, मेरे हाथ को अपनी चूत में भींच लिया और उनकी चूत से उनका कामरस निकल गया। मैं जल्दी से नीचे बैठी और चूत का पानी पीने लगी, चाटने लगी, और उनकी चूत को चाटकर उनके पानी का मजा ले रही थी। चूत को चाटने के बाद खड़ी हुई।

रूम के अंदर देखा तो मेरी माँ बेड के किनारे कुतिया बनी हुई है, उनकी मोटी गाण्ड मुझे सॉफ दिख रही थी, और अंकल पीछे से लण्ड पेल रहे थे और उन्हों ने अपने हाथों से उनके बाल पकड़े हुए थे और मेरी माँ को चोद रहे थे और कमरे से टप्प-टप्प की आवाज आ रही थी।

तभी माँ की सिसकारियां बढ़ने लगी और जोर से-“ओह्ह… विजय चोद मुझे… मेरे राज्जा जोर से चोद मुझे… घुसा पूरा लण्ड… और तेज्ज़ ओह्ह… फाड़ मेरी चूत को, आज निक ल्ल्ल मेरी चूत की गमी, भर दे अपना रस्स अह्ह… हुउऊउ… अम्म्म्म… चोद मेरी भोसड़ी को ओह्ह…”

और विजय अंकल-“ले मेरा लण्ड… रागिनी मेरी रानी क्या चोदती है ओह्ह… रागिनी ओउउह्ह… रागिनी…”

और तभी मेरी रन्डी माँ बोली-“ओह्ह… विजय मैं आ रही हूँ , जोर से चोद अह्ह… ओह्ह… घुसा पूरा ओह्ह… माँ …” और माँ की एक तेज चीख निक ली ‘ऊह्ह’ और वोबेड पर लेट गई् लण्ड फच की आवाज से बाहर आ गया। लण्ड पर मम्मी की चूत का कामरस लगा हुआ था।
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jay
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Re: भाभी का बदला

Post by jay »

Very nice....keep writing
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