ससुराली प्यार complete

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rajsharma
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Re: ससुराली प्यार

Post by rajsharma »


सरवर: सब लोग दिन भर के खेल कूद की वजह से थके हुए हैं,इसलिए सब लोग पक्की नींद सोएंगे. इसलिए डरो मत कुछ नही हो गा.

अपने भाई की बात सुन कर नाज़ खामोश हो गई.

में वहीं दरख़्त की ओट में छिप कर बैठ गई और उन्दोनो को पहले वापिस जाने दिया.

उन के जाने के कुछ देर बाद में भी अपनी जगा से उठी और वापिस कमरे में चली आई.

उस रात लोग ज़्यादा और बेड रूम कम होने की वजह से फॅमिली के सब लोगों को बेड रूम ना मिल सके.

जिस की वजह से मुझे,अफ़सर,सरवर और नाज़ को बाहर हाल में फर्श पर बिस्तर लगा कर सोना पड़ा.

सब अपने अपने कमरों में जा कर सो गये.तो में अपने शोहर के करीब लेट गई.

जब कि हाल के दूसरे कोने में सरवर और उस की बहन अलग अलग बिस्तर बिछा कर लेट गये.

अफ़सर तो लेटते ही थोड़ी देर में सोगये. जब कि मेरी नज़र और कान हॉल के दूसरे कोने की तरफ ही थे.

लेकिन हाल में मुकम्मल अंधेरा होने की वजह से सिर्फ़ इतना नज़र आ रहा था कि वो दोनों एक दूसरे के पहलू में लेटे हुए हैं.

वो दोनो कुछ “कार्यवाही” कर रहे थे. इस बारे में यकीन से कुछ नही सकती थी.

नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी. मेरी आँखों में बार बार दोनो बहन भाई की पास में मस्ती करने का सारा मंज़र गूँज रहा था.

जिस को सोच सोच कर में हैरान होने के साथ जज़्बाती भी हो गई थी .और एक दो बार अफ़सर से चिमटी भी लेकिन वो दुनियाँ जहाँ से बे खबर सोने में मस्त थे.

में तमाम रात सो नही सकी और पूरी रात ऐसे ही जागते हुए गुज़ार दी.

इस दिन से पहले मेरी ख्वाहिस थी. कि में नाज़ की शादी अपने भाई से कर्वाऊं. लेकिन अब मेने अपना फ़ैसला बदल लिया कि ऐसा नहीं होगा.

दूसरे दिन हम सब वापिस अपने घर लौट आए.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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Smoothdad
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Re: ससुराली प्यार

Post by Smoothdad »

शानदार अपडेट।
जारी रखे, आगे की प्रतीक्षा में
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rajsharma
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Re: ससुराली प्यार

Post by rajsharma »

Smoothdad wrote: 30 Nov 2017 14:42 शानदार अपडेट।
जारी रखे, आगे की प्रतीक्षा में
धन्यवाद दोस्तो
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rajsharma
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Re: ससुराली प्यार

Post by rajsharma »

घर वापिस आ कर सरवर और नाज़ आपस में नॉर्मल बिहेव कर रहे थे.

वैसे आहिस्ता आहिस्ता में भी नॉर्मल होगई थी. लेकिन फिर भी सरवर् को नाज़ के साथ देखने का जुनून मुझ पर छाया रहा.

जब से मेने उन दोनो का मंज़र अपनी आँखों से देखा था. में बस इसी सोच में थी. कि अगर एक शख्स ये सब कुछ अपनी सग़ी बहन कर सकता है तो सग़ी भाभी से क्यों नहीं?.

में हर वक़्त उन्दोनो के पीछे रहती कि उन्हे साफ साफ देख लूँ. क्योंकि अपनी आँखों के सामने सब कुछ देखने के बावजूद मुझ बेवकूफ़ को अब भी ये शक था. कि हो सकता है कि दोनों में सिर्फ़ छेड़ छाड़ ही हो और वो आखरी हद तक शायद ना गये हों.

अपने इसी शक को दूर करने के लिए मैने बहुत कोशिश की कि किसी तरह उन को दुबारा रंगे हाथों पकडू लेकिन मुझे मोक़ा नहीं मिल रहा था.

फिर एक दिन मेरा काम बन ही गया.

उस दिन अफ़सर किसी काम से अम्मीं और अब्बू के साथ शहर से बाहर गये हुए थे. उन का इरादा एक दिन बाद वापिस आने का प्रोग्राम था.

उस रात में,नाज़ और सरवर ड्रॉयिंग रूम में बैठे एक इंडियन मूवी देख रहे थे.

ये इमरान हाशमी की मूवी थी. जिस में बहुत ही जज़्बाती और सेक्सी सीन थे.

मैने मूवी देखते देखते सरवर की तरह देखा तो सामने सरवर का लंड शॉर्ट के अंदर तना हुआ दिखाई दिया.

में मूवी देखने के साथ साथ कनखियों से नाज़ और सरवर को भी देख रही थी.

मैने नोट किया कि वो दोनो खास सेक्सी सीन पर एक दूसरे को देखते और जैसे कोई ख़ुफ़िया इशारा कर रहे थे.

में समझ गई कि आज उन का आपस में कुछ शुग़ल करने का इरादा है.

में मूवी अधूरी छोड़ कर अंगड़ाई लेते हुए अपनी जगह से उठी और कहा कि मुझे नींद आ रही है में सोने जा रही हूँ और में वहाँ से अपने कमरे में आ गई.

में बिस्तर पर लेटी करवट बदल रही थी कि आज ज़रूर उन दोनो को देख पाऊँगी.

मूवी की हल्की हल्की आवाज़ आ रही थी और आख़िर आवाज़ बंद होगई तो में दबे क़दमों ड्रॉयिंग रूम की तरफ गई.

ड्रॉयिंग रूम की लाइट तो जल रही थी मगर वो दोनो उधर से गायब हैं.

में आहिस्ता आहिस्ता नाज़ के कमरे की तरफ गई. तो देखा कि उस के कमरे का दरवाज़ा बंद है और कमरे में काफ़ी खामोशी है.

जिस से मुझे अंदाज़ा हो गया कि वो लोग उधर भी नही है.

में उसी तरह दबे पावं चलती हुई जब सरवर के कमरे के पास पहुँची तो बाहर ही से उस के कमरे की लाइट जलती देख कर मुझे यकीन हो गया कि वो दोनो अंदर मौजूद हैं.

मैने कमरे के बंद दरवाज़े को हाथ से हल्का सा टच किया तो खुश किस्मती से मुझे दरवाज़ा खुला मिल गया. लगता था कि शायद जल्दी में वो दरवाज़ा बंद करना भूल गये होंगे.

सरवर के कमरे के दरवाज़े के सामने एक परदा लगा हुआ था. मैने आहिस्तगी से परदा हटाया तो देखा कि नाज़ बिल्कुल नंगी बिस्तर पर पड़ी हुई है और सरवर उस पर लेटा हुआ अपना लंड उस की चूत में डाले हुए अंदर बाहर कर रहा था.

नाज़ ने अपनी टाँगें अपने भाई की कमर के गिर्द लिपटाई हुवी थीं. दोनो ही एक दूसरे को चूम रहे थे और नाज़ नीचे से सरवर के साथ ही उछल रही थी.

कमरे की पूरी रोशनी में नाज़ का जिस्म साफ नज़र आ रहा था. नाज़ मेरे मुक़ाबले में बहुत ही ज़्यादा पुर कशिश थी.

जब कि बहन की चूत में समाया हुआ सरवर का लंड दूर से ही बहुत ही बड़ा और खूब मोटा नज़र आ रहा था.

उन दोनो की चुदाई का मंज़र देख कर मेरी चूत भीग गई थी. मेने आज पहली बार एक जवान लड़की और लड़के की चुदाई का लाइव मंज़र देखा था. जो कि सगे बहन भाई थे.

में जज़्बाती हो रही थी और दिल चाह रहा था कि में भी उन दोनो से चिमट जाऊं.
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