अनौखा इंतकाम complete
- shubhs
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Re: अनौखा इंतकाम
Nice
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- Dolly sharma
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Re: अनौखा इंतकाम
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खूनी रिश्तों में प्यार बेशुमारRunning.....परिवार मे प्यार बेशुमारRunning..... वो लाल बॅग वाली Running.....दहशत complete..... मेरा परिवार और मेरी वासना Running..... मोहिनी Running....सुल्तान और रफीक की अय्याशी .....Horror अगिया बेतालcomplete....डार्क नाइटcomplete .... अनदेखे जीवन का सफ़र complete.....भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete.....काला साया complete.....प्यासी आँखों की लोलुपता complete.....मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग complete......मासूम ननद complete
- rajsharma
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Re: अनौखा इंतकाम
धन्यवाद दोस्तो
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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- rajsharma
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Re: अनौखा इंतकाम
रूबीना के शोहर और ससुराल वाले गाँव में रहने के बावजूद खुले ज़हन के लोग हैं और वो आम लोगो की तरह अपने घर की औरतों पर किसी किस्म की सख्ती नही करते.
इसलिए रूबीना खुद ही अपनी कार ड्राइव कर के रोज़ाना अपने गाँव से शहर अपनी जॉब पर आती जाती थी.
जिस पर उस के शोहर और ससुराल वालो को किसी किसम का कोई ऐतराज नही था.
रूबीना की ड्यूटी ज़्यादा तर सुबह के टाइम ही होती. और वो अक्सर शाम का अंधेरा होने से पहले पहले अपने गाँव वापिस चली आती.
ये सिलसला कुछ दिन तो ठीक चलता रहा. मगर फिर कुछ टाइम बाद रूबीना के हॉस्पिटल के दो डॉक्टर्स का एक ही साथ दूसरे शहरो में तबादला हो गया.
जिस की वजह से हॉस्पिटल में काम का बोझ बढ़ गया और अब रूबीना को जॉब से फारिग होते होते रात को काफ़ी देर होने लगी.
चूँकि रूबीना के गाँव का रास्ता रात के वक़्त महफूज नही था. जिस की वजह से रूबीना के शोहर मक़सूद रूबीना का रात के वक़्त अकेले घर वापिस आना पसंद नही करते थे.
इसलिए जब कभी भी रूबीना लेट होती तो वो अपने शोहर को फोन कर के बता देती.
तो फिर या तो रूबीना के शोहर खुद रूबीना को लेने हॉस्पिटल पहुँच जाते. या फिर गाँव से अपने ड्राइवर को रूबीना को लेने के लिए भेज देते.
इसी दौरान रूबीना के छोटे भाई रमीज़ ने भी अपनी एमबीबीएस की स्टडी मुकम्मल कर ली तो उस की हाउस जॉब भी भावलरपुर में रूबीना के ही हॉस्पिटल में स्टार्ट हो गई.
रूबीना ने अपने भाई रमीज़ को अपने घर में आ कर रहने की दावत दी. मगर रमीज़ ना माना और उस ने हॉस्पिटल के पास ही एक छोटा सा फ्लॅट किराए पे लिए लिया.
उस फ्लॅट में एक बेड रूम वित अटेच्ड बाथरूम था.जिस के साथ एक छोटा सा किचन और लिविंग रूम था. जो कि रमीज़ की ज़रूरत के हिसाब से काफ़ी था.
अब रमीज़ के अपनी बहन रूबीना के हॉस्पिटल में जॉब करने की वजह से रूबीना को एक सहूलियत ये हो गई.
कि जब कभी एमर्जेन्सी की वजह से रूबीना को रात के वक़्त देर हो जाती.या रूबीना का शोहर या ड्राइवर रात को किसी वजह से उसे लेने ना आ पाते तो रूबीना गाँव अकेले जाने की बजाय वो रात अपने छोटे भाई रमीज़ के पास उस के फ्लॅट में ही रुक जाती.
स्टार्ट में रमीज़ की ड्यूटी रात में होती और रूबीना दिन में ड्यूटी करती थी. इसलिए जब कभी भी रूबीना रमीज़ के फ्लॅट पर रुकती तो एक वक़्त में उन दोनो बहन भाई में से कोई एक ही फ्लॅट पर होता था.
फिर कुछ टाइम गुज़रने के बाद रमीज़ की ड्यूटी भी चेंज हो कर सुबह की ही हो गई.
रमीज़ की ड्यूटी का टाइम चेंज होने से अब मसला ये हो गया कि जब रूबीना एक आध दफ़ा लेट ऑफ होने की वजह से रमीज़ के पास रुकी तो फ्लॅट में एक ही बेड होने की वजह से रमीज़ को कमरे के फर्श पर बिस्तर लगा कर सोना पड़ा.
एक बहन होने के नाते रूबीना ये बात बखूबी जानती थी कि रमीज़ को बचपन ही से फर्श पर बिस्तर लगा कर सोने से नींद नही आती थी.
रमीज़ ने एक आध दफ़ा तो जैसे तैसे कर के फर्श पर बिस्तर लगा कर रात गुज़ार ही ली.
फिर कुछ दिनो बाद रमीज़ ने रूबीना को बताए बगैर एक और बेड खरीदा और उस को ला कर अपने बेड रूम में रख दिया.
चूं कि रूबीना तो कभी कभार ही रमीज़ के फ्लॅट पर रुकती थी. इसलिए जब रमीज़ ने अपनी बहन से दूसरा बेड खरीदने का ज़िक्र किया तो रूबीना को उस का दूसरा बेड खरीदने वाली हरकत ना जाने क्यों एक फज़ूल खर्ची लगी. जिस पर रूबीना रमीज़ से थोड़ा नाराज़ भी हुई.
फिर दूसरे दिन रूबीना ने अपने भाई के फ्लॅट में जा कर बेड रूम में रखे हुए बेड का मुआयना किया तो पता चला कि चूँकि बेड रूम का साइज़ पहले ही थोड़ा छोटा था.
इसलिए जब कमरे में दूसरा बेड रख गया तो रूम में जगह कम पड़ गई. जिस की वजह से कमरे में रखे हुए दोनो बेड एक दूसरे के साथ मिल से गये थे.
रूबीना “रमीज़ ये क्या तुम ने तो बेड्स को आपस में बिल्कुल ही जोड़ दिया है बीच में थोड़ा फासला तो रखते”
रमाीज़: “में क्या करता कमरे में जगह ही बहुत कम है बाजी”
“चलो गुज़ारा हो जाए गा, मैने कौन सा इधर रोज सोना होता है” कहती हुई रूबीना कमरे से बाहर चली आई.
वैसे तो हर रोज रूबीना की पूरी कोशिस यही होती कि वो रात को हर हाल में अपने घर ज़रूर पहुँच जाय .मगर कभी कबार ऐसा मुमकिन नही होता था.
इस के बाद फिर जब कभी रूबीना अपने भाई के पास रात को रुकती. तो वो दोनो बहन भाई रात देर तक बैठ कर अपने घर वालो और अपने रिश्तेदारों के बारे में बातें करते रहते. इस तरह रूबीना का अपने भाई के साथ टाइम बहुत अच्छा गुज़र जाता था.
इसलिए रूबीना खुद ही अपनी कार ड्राइव कर के रोज़ाना अपने गाँव से शहर अपनी जॉब पर आती जाती थी.
जिस पर उस के शोहर और ससुराल वालो को किसी किसम का कोई ऐतराज नही था.
रूबीना की ड्यूटी ज़्यादा तर सुबह के टाइम ही होती. और वो अक्सर शाम का अंधेरा होने से पहले पहले अपने गाँव वापिस चली आती.
ये सिलसला कुछ दिन तो ठीक चलता रहा. मगर फिर कुछ टाइम बाद रूबीना के हॉस्पिटल के दो डॉक्टर्स का एक ही साथ दूसरे शहरो में तबादला हो गया.
जिस की वजह से हॉस्पिटल में काम का बोझ बढ़ गया और अब रूबीना को जॉब से फारिग होते होते रात को काफ़ी देर होने लगी.
चूँकि रूबीना के गाँव का रास्ता रात के वक़्त महफूज नही था. जिस की वजह से रूबीना के शोहर मक़सूद रूबीना का रात के वक़्त अकेले घर वापिस आना पसंद नही करते थे.
इसलिए जब कभी भी रूबीना लेट होती तो वो अपने शोहर को फोन कर के बता देती.
तो फिर या तो रूबीना के शोहर खुद रूबीना को लेने हॉस्पिटल पहुँच जाते. या फिर गाँव से अपने ड्राइवर को रूबीना को लेने के लिए भेज देते.
इसी दौरान रूबीना के छोटे भाई रमीज़ ने भी अपनी एमबीबीएस की स्टडी मुकम्मल कर ली तो उस की हाउस जॉब भी भावलरपुर में रूबीना के ही हॉस्पिटल में स्टार्ट हो गई.
रूबीना ने अपने भाई रमीज़ को अपने घर में आ कर रहने की दावत दी. मगर रमीज़ ना माना और उस ने हॉस्पिटल के पास ही एक छोटा सा फ्लॅट किराए पे लिए लिया.
उस फ्लॅट में एक बेड रूम वित अटेच्ड बाथरूम था.जिस के साथ एक छोटा सा किचन और लिविंग रूम था. जो कि रमीज़ की ज़रूरत के हिसाब से काफ़ी था.
अब रमीज़ के अपनी बहन रूबीना के हॉस्पिटल में जॉब करने की वजह से रूबीना को एक सहूलियत ये हो गई.
कि जब कभी एमर्जेन्सी की वजह से रूबीना को रात के वक़्त देर हो जाती.या रूबीना का शोहर या ड्राइवर रात को किसी वजह से उसे लेने ना आ पाते तो रूबीना गाँव अकेले जाने की बजाय वो रात अपने छोटे भाई रमीज़ के पास उस के फ्लॅट में ही रुक जाती.
स्टार्ट में रमीज़ की ड्यूटी रात में होती और रूबीना दिन में ड्यूटी करती थी. इसलिए जब कभी भी रूबीना रमीज़ के फ्लॅट पर रुकती तो एक वक़्त में उन दोनो बहन भाई में से कोई एक ही फ्लॅट पर होता था.
फिर कुछ टाइम गुज़रने के बाद रमीज़ की ड्यूटी भी चेंज हो कर सुबह की ही हो गई.
रमीज़ की ड्यूटी का टाइम चेंज होने से अब मसला ये हो गया कि जब रूबीना एक आध दफ़ा लेट ऑफ होने की वजह से रमीज़ के पास रुकी तो फ्लॅट में एक ही बेड होने की वजह से रमीज़ को कमरे के फर्श पर बिस्तर लगा कर सोना पड़ा.
एक बहन होने के नाते रूबीना ये बात बखूबी जानती थी कि रमीज़ को बचपन ही से फर्श पर बिस्तर लगा कर सोने से नींद नही आती थी.
रमीज़ ने एक आध दफ़ा तो जैसे तैसे कर के फर्श पर बिस्तर लगा कर रात गुज़ार ही ली.
फिर कुछ दिनो बाद रमीज़ ने रूबीना को बताए बगैर एक और बेड खरीदा और उस को ला कर अपने बेड रूम में रख दिया.
चूं कि रूबीना तो कभी कभार ही रमीज़ के फ्लॅट पर रुकती थी. इसलिए जब रमीज़ ने अपनी बहन से दूसरा बेड खरीदने का ज़िक्र किया तो रूबीना को उस का दूसरा बेड खरीदने वाली हरकत ना जाने क्यों एक फज़ूल खर्ची लगी. जिस पर रूबीना रमीज़ से थोड़ा नाराज़ भी हुई.
फिर दूसरे दिन रूबीना ने अपने भाई के फ्लॅट में जा कर बेड रूम में रखे हुए बेड का मुआयना किया तो पता चला कि चूँकि बेड रूम का साइज़ पहले ही थोड़ा छोटा था.
इसलिए जब कमरे में दूसरा बेड रख गया तो रूम में जगह कम पड़ गई. जिस की वजह से कमरे में रखे हुए दोनो बेड एक दूसरे के साथ मिल से गये थे.
रूबीना “रमीज़ ये क्या तुम ने तो बेड्स को आपस में बिल्कुल ही जोड़ दिया है बीच में थोड़ा फासला तो रखते”
रमाीज़: “में क्या करता कमरे में जगह ही बहुत कम है बाजी”
“चलो गुज़ारा हो जाए गा, मैने कौन सा इधर रोज सोना होता है” कहती हुई रूबीना कमरे से बाहर चली आई.
वैसे तो हर रोज रूबीना की पूरी कोशिस यही होती कि वो रात को हर हाल में अपने घर ज़रूर पहुँच जाय .मगर कभी कबार ऐसा मुमकिन नही होता था.
इस के बाद फिर जब कभी रूबीना अपने भाई के पास रात को रुकती. तो वो दोनो बहन भाई रात देर तक बैठ कर अपने घर वालो और अपने रिश्तेदारों के बारे में बातें करते रहते. इस तरह रूबीना का अपने भाई के साथ टाइम बहुत अच्छा गुज़र जाता था.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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- jay
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Re: अनौखा इंतकाम
nice update bhai
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