अनौखा इंतकाम complete

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jay
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Re: अनौखा इंतकाम

Post by jay »

Very nice....keep writing
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Kamini
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Re: अनौखा इंतकाम

Post by Kamini »

mast update
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rajsharma
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Re: अनौखा इंतकाम

Post by rajsharma »

धन्यवाद दोस्तो
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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rajsharma
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Re: अनौखा इंतकाम

Post by rajsharma »

कमरे में गूँजती रमीज़ की हल्की हल्की साँसों की आवाज़ से लग रहा था कि वो सो गया है. लेकिन रूबीना की आँखों में तो नींद का नामोनिशान तक ना था.

आख़िर कर रूबीना उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ गयी. ये सोचते हुए कि शायद नहा कर बदन को कुछ राहत मिले. या नहाने से शायद उस गुनाह की गंदगी उस के बदन से थोड़ी बहुत उतर जाए. जिस से रूबीना का जिस्म अब भरा पड़ा था.

रूबीना इन ही ख़यालों में डूबी हुई बाथरूम में गयी और दरवाज़ा बंद कर के बाथरूम का बल्ब ऑन किर दिया.

रूबीना ने जब बाथरूम के आयने में अपनी शकल देखी तो उसे खुद खुद पर ही रहम आने लगा.

रूबीना के पूरे बाल बिखरे हुए थे, होंठ थोड़े सूज गये थे, आँखे एकदम सुर्ख हो गयी थीं और उनमे उदासी सी झलक रही थी.

रूबीना ने अपनी एसी हालत पहली बार देखी थी. वो बिना कपड़े पहने ही बाथरूम में चली आई थी.

वैसे भी कमरे में अंधेरा होने की वजह से कपड़े ढूँढने के लिए रूबीना को लाइट जलानी पड़ती. जो वो रमीज़ के जाग जाने के डर से नही करना चाहती थी.

रूबीना की निगाहें आईने में अपने चेहरे से नीचे होते हुए अपने मम्मों पर टिक गयी.

उस के निपल अभी भी अकडे और खड़े हुए थे और वो एक दम सूज गये थे.रमीज़ के मसल्ने की वजह से रूबीना के मम्मे एकदम सुर्ख हो गये थे.

रूबीना ने एक गहरी साँस ली और आयने के सामने से हटते हुए शवर की नीचे चली गयी.

शवर का मुँह खोलते ही रूबीना के बदन पर ठंडा पानी पड़ा तो उस ने फ़ौरन एक राहत की साँस ली.

पानी के नीचे खड़े होते ही रूबीना के हाथ उस के जिस्म पर घूमने लगे.

जिस्म पर घूमते हुए जैसे ही रूबीना का हाथ उस की फुद्दी पर गया तो उस का पूरा हाथ उस की फुद्दि के अंदर से बह कर बाहर आने वाले उस के अपनी चूत और उस के सगे भाई के लंड के रस से भीग गया.

रूबीना जल्दी जल्दी हाथ चलाते हुए अपनी फुद्दी सॉफ करने लगी. जैसे वो अपने किए हुए गुनाह का सबूत मिटा देना चाहती हो.

मगर उस गुनाह की छाप तो रूबीना के तन बदन पर पड़ चुकी थी. अब वो अपने आप को जितना भी सॉफ करती मगर रस था कि निकलता ही जा रहा था.

हार कर रूबीना ने शवर का पाइप निकाला और उसे एक हाथ से पकड़ कर अपनी फुद्दि के मुँह पर रखा और दूसरे हाथ से अपनी फुद्दि के होंठों को फैलाया जिस से वो अंदर तक सॉफ हो जाए.

थोड़ी देर बाद रूबीना ने शवर के पानी से बाथरूम में बने हुए टब को भरा और फिर वो टब में लेट गयी.

रूबीना का दिल अब हर गुज़रते पल के साथ अब कुछ पुरसकून होता जा रहा था. अंदर चल रहा तूफान अब ठंडा पड़ रहा था.

रूबीना टब में लेटी लेटी ये सोचने लगी कि कल जब दिन के उजाले में अपने भाई का सामना करूँ गी तो खुद को कैसे संभालूंगी.

एक सवाल जो अब भी रूबीना के दिल में गूँज रहा था. जिससे वो पीछा नही छुड़ा पा रही थी वो ये था कि क्या रमीज़ भी उस की तरह ही अपने किए पर पछता रहा था.

अगर उसके मन दिल में पछतावा नही हुआ और कहीं उसने दुबारा कोशिस की तो.......

नही ये दुबारा नही हो सकता. में उसे कभी दुबारा खुद को छूने नही दूँगी.

“हालाकी पिछली बार ग़लती मेरी अपनी थी. इस काम का स्टार्ट जाने अंजाने में खुद मैने किया था. लेकिन वो सब एक ग़लती थी मगर फिर भी अगर रमीज़ ने सोचा कि मेने खुद जान बुझ कर उससे अपने नाजायज़ ताल्लुक़ात बनाए हैं और में फिर से उससे चुदवाना चाहती हूँ तो? यही सवाल था यो रूबीना को बार बार परेशान किए जा रहा था.
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rajsharma
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Re: अनौखा इंतकाम

Post by rajsharma »

काफ़ी टाइम बाद रूबीना टब से बाहर निकली. अब वो काफ़ी हद तक सम्भल चुकी थी.वो अब पुरसकून थी या फिर ये आने वाले तूफान के पहले की खामोशी थी.

रूबीना ने अपना बदन पोंच्छा .अब उस के पहनने के लिए कुछ भी नही था सिवाय बाथरूम में लटके हुए एक टॉवल के.मगर वो छोटा सा तोलिया भी रूबीना के बदन को ढकने के लिए नाकाफ़ी था.

रूबीना फिर से आयने के सामने खड़ी हो गयी और अपने बदन को आयने में दुबारा देखने लगी.

रूबीना का दूध सा मखमली बदन बल्ब की रोशनी में दमक रहा था. रूबीना ने अपने बालों में उंगलियाँ फेरते हुए जब उन्हे झटका तो रूबीना के मोटे मोटे माममे उच्छल पड़े .

रूबीना को अपने मम्मों पर अभिमान था. बिल्कुल गोल मटोल उपर हल्के गुलाबी रंग का घेरा और उन पर गहरे गुलाबी रंग के निपल.

रूबीना ने अपने दोनो हाथ अपने मम्मों पर रखे और उन्हे आहिस्ता आहिस्ता सहलाया. उफफफ्फ़ कैसे तने हुए जवान मम्मे थे उस के.

“कुछ भी हो एक बात तो है रमीज़ याद ज़रूर रखेगा इस रात को”चाहे उसकी बहन हूँ लेकिन मेरी जैसी उसे पूरी जिंदगी में दोबारा चोदने को कभी नही मिलेगी......उफ्फ ये में क्या सोच रही हूँ इतना कुछ हो जाने के बाद भी?”रूबीना खुद को दुतकारा.

मगर बात थी तो सच. दूध जैसा गोरा रंग, गोल मटोल मोटे मम्मे, पतली सी कमर और बाहर को निकली गोल गान्ड जिसे देख कर किसी की आँखों में हवस का नशा चढ़ सकता था.

“रमीज़ की तो एक तरह से लॉटरी ही लग गयी थी वरना उसे तो सपने में भी मेरे जैसी चोदने को ना मिले”सोचते हुए रूबीना मुस्करा पड़ी.

इन ही ख़यालो में गुम रूबीना ने जब आहिस्ता आहिस्ता से अपने निप्प्लो को मसला तो उस के मुँह से कराह फुट पड़ी. *कैसे मेरा सगा भाई इन्हे ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था... और जब उसने इन्हे मुँह में लिया था....उफ्फ मेरी तो जान ही निकल गयी थी.......लगता था बहुत दिनो से भूखा था और फिर जब इतने दिनो के भूखे को चावलों से भरी थाली मिल जाए तो वो तो टूट ही पड़ेगा .....

बेचारा आख़िर करता भी तो करता क्या....बहन जब हो ही इतनी खूबसूरत.........और उपर से चुदाई की प्यासी भी हो तो .......हाए कैसे सांड़ की तरह चोद रहा था ....जैसे उसकी बहन नही कोई रंडी है...उफ़फ्फ़

रूबीना संभाल खुद को तू फिर से वही सब कुछ ...... रूबीना को अपने अंदर से एक आवाज़ सुनाई दी…….

हाए मेरी माँ में क्या करूँ!... उफ्फ कैसे मसल रहा था मेरे मम्मों को और जब वो मेरे मम्मे चूस रहा था (रूबीना अपने निपल मसलने लगी)....हाए एसा लग रहा कि जैसे मेरी जान निकल जाएगी........

और जब वो हमच हमच कर अपनी कमर उछाल उछाल कर अपना लंड मेरी फुद्दि में डाल रहा था और में खुद भी कैसे कमर उछाल उछाल कर.... और में कैसे लफ्ज़ बोल बोल कर उसे उकसा रही थे ताकि वो मुझे,अपनी बहन को और ज़ोर लगा कर चोदे... हाए रब्बा... कितना मज़ा आया था रमीज़ से अपनी फुद्दि मरवा कर....कितना माल छूटा था उसके लंड से ...पूरी फुद्दिईई भर दी थी......एक बार तो रमीज़ ने जन्नत की सैर करवा दी..उफफफफफफफ्फ़*

रूबीना की आँखों के सामने वो सीन आ गया जब रमीज़ पागलों की तरह उसे चोद रहा था और रूबीना का हाथ खुद ब खुद नीचे उस की अपनी चूत पर चला गया.

रूबीना को एक ज़ोरदार झटका लगा जब रूबीना ने महसूस किया कि उस का हाथ पूरा गीला हो गया है अपनी चूत से निकले रस की वजह से. रूबीना अपने भाई रमीज़ के साथ हुई अपनी चुदाई को याद कर फिर से बहुत ज़यादा गरम होने लगी.

रूबीना एकदम से आयने के सामने से हट गयी. वो खुद से ही डर गयी थी. रूबीना ने हड़बड़ाहट में बाथरूम का दरवाजा खोल दिया.

रूबीना समझी थी कि कमरे में अंधेरा होगा इसलिए अगर रमीज़ जाग भी रहा होगा तो वो उसे देख नही पाएगा...

मगर रूबीना का अंदाज़ा ग़लत निकला. बाथरूम की लाइट कमरे मे भी जा रही थी और रूबीना देख रही थी. कि रमीज़ ना सिरफ़ जाग रहा है बल्कि उसका हाथ उपर नीचे हो रहा था.

रूबीना की नज़र घूमती हुई उसके हाथ पर टिक गयी जो उसके लंड के गिर्द कसा हुया था.

दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुन कर रमीज़ ने बाथरूम की तरफ देखा और जब उसने वहाँ अपनी बहन रूबीना को एकदम नंगी खड़ी देखा तो......

रूबीना को भी बाथरूम में खड़े खड़े ख़याल आया कि वो एकदम नंगी है तो उस ने पास लटका हुआ तोलिया उठा कर उसे अपने आगे कर लिया और अपने मम्मे और फुद्दि को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.

रमीज़ की नज़रें अपनी बहन पर टिकी हुई थीं, वो नज़रें फाडे उसे देख रहा था.

रूबीना शरम से पानी पानी हो गयी.कुछ सूझ नही रहा था. चाहती तो बाथरूम का दरवाज़ा या फिर लाइट बंद कर लेती मगर वो चाहते हुए भी अपनी जगह से हिल भी ना सकी.

रूबीना ने अपनी नज़रें ऊपर उठाई तो देखा कि रमीज़ पूरी बेशरमी से आँखें फाडे रूबीना के बदन का मुयायना कर रहा था.

उस की आँखे जिन्सी हवस में डूबी होने की वजह से सुर्ख हो रही थीं. और उसका हाथ और भी तेज़ी से उसके लंड पर फिसल रहा था.

दोनो बहन भाई की आँखें आपस में टकराई.पिछली पूरी चुदाई चूँकि अंधेरे में हुई थी. इसलिए दोनो उस वक़्त एक दूसरे को नही देख पाए था.

रूबीना ने अपनी नज़रें घुमाई और अपने भाई के लंड को रोशनी में पहली बार गौर से देखा और सिहर गयी.

रमीज़ ने जब देखा कि उस की बहन उसके लंड को देख रही है तो उसने अपने लंड से हाथ हटा लिया “उफ़फ्फ़ इतना मोटा....ये मेरी फुद्दि के अंदर था?....उफ़फ्फ़ ...टोपी कितनी मोटी है.... ये मेरी फुद्दि के अंदर घुसा कैसे होगा” रूबीना को यकीन नहीं हो पा रहा था कि इतना मोटा लंड उस की फुद्दी के अंदर घुसा हुआ था.रूबीना ने फिर से लंड की तरफ देखा. लंड ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहा था जैसे बहुत गुस्से में हो.

रूबीना ने अपने भाई के लंड से अपनी तवज्जो हटा कर रमीज़ की आँखों में आँखे डालीं तो उसने अपने भाई की आँखों में अपने लिए हवस का एक तूफान देखा.

लेकिन हवस के साथ साथ रूबीना ने अपनी नशीली जवानी अपने मादक बदन की तारीफ भी अपने भाई की आँखों में देखी.

मगर जिस चीज़ ने रूबीना का ध्यान अपनी तरफ खींचा हुआ था रमीज़ की आँखों में एक इल्तिजा, एक ख्वाहिश, एक चाहत, एक भूख जिस की वजह से रमीज़ तड़प रहा था.

रूबीना ने एक गहरी साँस ली और अपने हाथों से तौलिया छोड़ दिया.

तौलिया छोड़ते ही रूबीना फिर से अपने भाई रमीज़ के सामने पूरी नंगी हो गयी.

अपनी बहन को इस तरह अपने सामने नगा होते देख कर रमीज़ का चेहरा हज़ार वॉट के बल्व की तरह चमक उठा.

उस का लंड झटके मारते हुए रमीज़ के पेट पर चोट मार रहा था लगता था जैसे और मोटा और लंबा होता जा रहा था.

रमीज़ के उस मोटे लंड ने रूबीना को मदहोश कर दिया था.

हालाँकि रूबीना जानती थी कि उन दोनो बहन भाई ने बहुत बड़ा गुनाह किया था लेकिन गुनाह का अहसास अब रूबीना के दिल में पहले की निसबत कम हो गया था.

रूबीना ये भी जानती थी कि उन्हो ने ग़लती की है लेकिन वो अब अपने भाई रमीज़ को बिल्कुल कसूरवार नही समझ रही थी.ना ही किसी हद तक खुद को भी.

शायद रूबीना के दिल में इस बात से तस्सली थी कि रूबीना ने आख़िर कार आज अपने बेवफा शोहर से इंतिक़ाम ले लिया है.

एक एसा शोहर जो खुद चाहे कितनी ही औरतों से सेक्स करे लेकिन उसे औरत बिल्कुल सती सावित्री चाहिए होती है.

रूबीना अपने शोहर के सामने बोल तो नही सकती थी. लेकिन आज उस ने अपने ही भाई से चुदवा कर अपने शोहर से बराबरी कर ली थी.

शायद यही वजह थी कि वो इतनी जल्दी अपने गुनाह की तकलीफ़ को भूल चुकी थी.

और फिर रूबीना अपने भाई के लंड पर नज़रें जमाए हुए अपने कदम बेड की तरफ बढ़ाने लगी.

तो ये कहानी यहीं ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ दोस्तो कैसी लगी ये कहानी आपको ज़रूर बताना .आपका दोस्त राज शर्मा
दा एंड…….

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