फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complete)

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rocky123
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Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

Post by rocky123 »

स्मृति की निगाहे कुशल की जीन्स की तरफ जाती है और उसे भी अहसास हो जाता है कि कुशल की जीन्स की ज़िप हिस्सा फूल रहा है. वो अपनी नज़रे हटाती है और बोलती है

" ठीक है गाड़ी साइड मे लगा और मुझे बॅक सीट पर जाने दे....." ये सुनते ही कुशल साइड मे कार लो रोक देता है

स्मृति कार का गेट खोल कर उतरती है और पीछे वाले गेट से अंदर हो जाती है. " चल अब मैं कपड़े बदल रही हू, रोड तो लगभग खाली है तो कार चलाता रह और बॅक मिरर मे देखने की ज़रूरत नही है......"

कुशल फिर से गियर डालता है और आगे बढ़ जाता है. स्मृति सबसे पहले अपना टॉप उतारती है....... और उतार कर आगे वाली सीट पे फेंक देती है यानी कुशल की साइड वाली सीट पे.....

अब वो बस बिकिनी मे थी...... कुशल की हिम्मत नही हो रही थी कि वो पीछे देखे लेकिन साइड मे पड़े हुए टॉप को देख कर वो आइडिया लगा लेता है कि स्मृति अब किन हालत मे है.

स्मृति अपने बॅग से ब्रा निकालती है और और अपनी बिकिनी ब्रा को अपने से अलग कर देती है. अब उसके बूब्स बिल्कुल नंगे थे.... वो अपनी बिकिनी ब्रा को उतार कर फिर से आगे की तरफ फेंक देती है. कुशल उसे देखता है और फिर से एक और झटका. अब कुशल को पता था कि स्मृति पीछे बिना ब्रा के है लेकिन अभी भी गाड़ी चलाने मे बिज़ी था.

स्मृति अपनी दूसरी ब्रा पहन ना चाह रही थी लेकिन पता नही क्यू उसका हुक नही लगा पा रही थी. कुशल अपने सब्र के इम्तिहान मे फैल होता है और मिरर मे झाँक कर देख ही लेता है. उफफफफ्फ़.....क्या सीन था. स्मृति अपनी पीठ पर हाथ ले जाकर अपनी ब्रा के हुक को बंद करना चाह रही थी लेकिन शायद कोई परेशानी थी. उसके आधे से ज़्यादा बूब्स बाहर की तरफ झाँक रहे थे.....

" हेल्प चाहिए मोम......." कुशल मिरर मे देखते हुए बोलता है.

स्मृति अपनी निगाहे उठती है -" नो थॅंक्स....... तू बस आगे ध्यान दे......" और फिर वो और भी ज़्यादा ताक़त के साथ हुक लगाती है. फाइनली सक्सेस मिल ही जाती है उसे

अब स्मृति टॉप पहनती है और एक चैन की साँस लेती है. " तुझे मना किया था ना कि मिरर मे नही देखना है.... एक बार मे बात समझ नही आती है तुझे....." स्मृति अपने बालो को कोंब करते हुए बोलती है

" मोम... मैं तो पीछे ट्रॅफिक देख रहा था कि आप दिख गयी ....." कुशल भी मासूमियत के साथ बोलता है

"मैं इस कार को दो थप्पड़ लगाउन्गि कहीं तुझे ना लग जाए....." स्मृति हंसते हुए बोलती है. वो दोनो अब घर पहुँच गये थे.

आराधना की पॅकिंग प्रीति करा चुकी थी. काफ़ी काफ़ी मॉडर्न क्लोदिंग रखी थी उसने.

" दीदी आपने तो कुच्छ ज़्यादा ही एक्सपोसिंग क्लॉत रखे है....." प्रीति आराधना से बोलती है

आराधना -" आज कल फॅशन का मतलब ही एक्सपोज़ है. और ये तू बोल रही है जो खुद कम कपड़े पहनती है."

प्रीति -" हा हा हा हा. ग्रेट पॉइंट, लेकिन आप पहन कर क्या जाओगी?...." आराधना अपने बेड पर रखा हुआ सूट दिखाती है, ये एक येल्लो कलर का टाइट फिट स्लीव्ले सूट था.

" वाउ दीदी ये तो बड़ा प्यारा है." प्रीति उस सूट की तरफ देखते हुए बोलती है

" हाँ वो तो है और वैसे भी मैने एक भी बार नही पहना है...." आराधना भी हॅपी होते हुए बोलती है

" लेकिन दीदी आप सेक्सी क्लोद्स लेकर जा रही हो और पहन कर ये सूट जा रही हो ऐसा क्यू......" प्रीति उससे क्वेस्चन पूछती है.

" पागल, सेक्सी कपड़े तो मुझे फॅशन लाइन की वजह से पहन ने पड़ेंगे लेकिन मेरी पसंद तो ये नॉर्मल सूट सलवार ही है....." आराधना ने ये बात इसलिए बोली ताकि प्रीति को कोई शक ना हो.

" क्यूँ दीदी..... कहीं ये ट्रिप किसी बॉय फ्रेंड के साथ तो नही है.........?" प्रीति बड़े ही नॉटी अंदाज मे आराधना से पूछती है.

" चल नालयक. कुच्छ भी बोलती है, मेरा कोई बॉय फ्रेंड नही है. और ना मुझे शोक है.............." आराधना भी बहुत मासूम बनते हुए बोलती है.

इतने मे कुशल स्मृति को नीचे ड्रॉप कर के उपर आ जाता है. वो अपने रूम की तरफ जाते हुए देखता है कि प्रीति और आराधना पॅकिंग कर रहे है. वो आराधना के रूम मे जाता है.

" दीदी...... कहाँ की तैयारी चल रही है...." कुशल साइड मे रखे आपल मे से एक आपल उठाते हुए बोलता है.

" कुच्छ नही कुशल.... कॉलेज की तरफ से देल्ही जा रही हू 10 दिन के लिए....."

" दीदी ये तो ग्रेट न्यूज़ है....." कुशल एग्ज़ाइटेड होते हुए बोलता है.

" ये वाकई मे ग्रेट न्यूज़ है......" प्रीति भी कुशल की तरफ देखते हुए बोलती है लेकिन कुशल कोई रिप्लाइ नही करता.

" क्या तुम दोनो के झगड़े कभी ख़तम नही होते. चलो अब मेरी पॅकिंग ख़तम हो चुकी है और मुझे तैयार होने दो".... आराधना दोनो से रिक्वेस्ट करती है.

" तो हो जाइए तैयार.... हम क्या मना कर रहे है आपको......" कुशल समझ नही पाया था कि आख़िर आराधना क्यू बोल रही है.

कुशल की बात सुन कर प्रीति को हँसी आ जाती है.
" कुशल.... मैं एक लड़की हू. और लड़की का तैयार होना थोड़ा अलग होता है तो तू अपने रूम मे जा." आराधना फिर से समझाती है उसे

" थॅंक यू दीदी..... मुझे ये बताने के लिए कि आप लड़की हो. मैं तो बचपन से आपको लड़का ही समझता था...... हा हा हा हा हा हा....." स्मृति की तरफ से मिले थोड़े से पॉज़िटिव रेस्पॉन्स की वजह से आज कुशल थोड़ा हॅपी था.

कुशल की बात सुन कर प्रीति को फिर से हँसी आ जाती है.

" तुझे लड़का कहाँ से दिखाई देने लगी मैं......" आराधना बनावटी गुस्से मे पूछती है

कुशल अपनी निगाहे उपर से नीचे तक ले जाता है और आराधना के बूब्स पर रोक देता है.

" नही दीदी... अब तो आप लड़की ही लगती हो...." कुशल फिर से आराधना की बूब्स की तरफ देखते हुए बोलता है.

आराधना कुशल की तरफ भागती है उसे मारने के लिए लेकिन कुशल अपने रूम से भाग जाता है. लेकिन आराधना ने इस मज़ाक को ज़्यादा सीरीयस नही लिया.

अब फिर से रूम मे बस आराधना और प्रीति थे.

" ये तो वाकई मे बड़ा बदतमीज़ हो गया है...." आराधना ने हंसते हुए कहा. और अपने सूट को उठाते हुए वॉशरूम मे जाने लगती है

" दीदी वैसे कह तो सच ही रहा था. पहले तो आपने अपने आपको एक लड़की की तरह दिखाया ही नही. अभी बस कुच्छ दिनो से ही आपने अपने अंदर की लड़की को बाहर निकाला है ...." प्रीति आराधना से बोलती है

" अब तू भी शुरू हो गयी... चल भाग यहाँ से और मुझे नहाने दे...". आराधना भी अच्छे मूड मे थी क्यूंकी वो आज देल्ही जा रही थी.

प्रीति रूम से बाहर आ जाती है. और आराधना अपने बाथरूम मे घुस जाती है. प्रीति बाहर आकर देखती है कि कुशल अभी भी गॅलरी मे ही खड़ा हुआ है. वो उसके पास जाकर खड़ी हो जाती है. वो गाने गुन गुना रही थी, ऐसा लग रहा था कि बहुत हॅपी है.

" बड़ी चहक रही है क्या बात है..." कुशल प्रीति की तरफ देखते हुए बोलता है.

प्रीति ने भी आज एक डीप नेक टीशर्ट पहनी हुई थी. बड़े ही अंदाज़ मे हिलते हिलते अपने आपको थोड़ा सा नीचे झुकते हुए वो बोलती है

" नही वो आराधना दीदी जा रहीं है ना....." वो क्यूट और सेक्सी दोनो का पर्फेक्ट मिक्स्चर लग रही थी.

" तो तू इतना खुश क्यू हो रही है...." कुशल दूसरी तरफ मूँह रखते हुए ऐसे ही बोलता है.

प्रीति अब और भी ज़्यादा हिल डुल रही थी " नही अब तो बस तू और मैं ही रह जाएँगे ना यहाँ पर....." प्रीति बहुत ही रोमॅंटिक अंदाज़ मे बोलती है.

" क्यू मोम नही हैं यहाँ पर, जो ये बोल रही है कि बस तू और मैं रह जाएँगे यहाँ पर......" कुशल फिर से गुस्से मे देखते हुए बोलता है

" डफर मेरा मीनिंग है फर्स्ट फ्लोर पे.........." प्रीति सीरीयस होते हुए बोलती है.

कुशल प्रीति की तरफ बढ़ता है और वो भी बहुत ही सीरीयस स्टाइल मे. प्रीति अपनी जगह खड़ी हुई है, वो कन्फ्यूज़ है कि कुशल का अगला स्टेप क्या होगा....... वो प्रीति की पतली सी कमर पर हाथ रखता है...... आआअहह...... प्रीति की आँखे बंद हो जाती है............

" क्या कर रहे हो ब्रदर सिस्टर......." इस आवाज़ से दोनो चोंक जाते है. कुशल अपने हाथ हटा लेता है और घबरा कर सामने देखता है. वहाँ पर सिमरन आ चुकी थी, मस्त जीन्स और टी शर्ट मे. प्रीति आवाज़ से समझ चुकी थी कि ये सिमरन है. सिमरन पीछे से चलती आ रही थी और प्रीति की पीठ थी उसकी तरफ.

प्रीति का तो जैसे मूड ही खराब हो गया था. काफ़ी टाइम के बाद उसे कुशल ने टच किया था......." फक्किंग बस्टर्ड..." प्रीति मन ही मन बड़बड़ाती है...........

इतने मे सिमरन उन दोनो के पास आ जाती है.

" क्या बात है भाई, क्या नाप तोल चल रही है......" सिमरन अपने बालो मे हाथ फिराते हुए बोलती है

" कुच्छ नही सिमरन दीदी...... प्रीति बोल रही थी कि उसकी कमर दिन पे दिन बढ़ती जा रही है तो देख रहा था कि कितनी बढ़ गयी........." कुशल बात को टालते हुए बोलता है.

" हे हे हे हे हे हे......." सिमरन हँसने लगती है.

" आप हंस क्यूँ रही है....." प्रीति सीरीयस होते हुए पूछती है.

" क्यूंकी तू कुशल का पागल बना रही है..... तेरी कमर नही कुच्छ और चीज़ बड़ी हो रही है, वो चेक करवा कुशल से......." सिमरन प्रीति के बूब्स की तरफ देखते हुए बोलती है और एक शरारती मुस्कान अभी भी उसके चेहरे पे थी. आक्च्युयली सिमरन एक ओपन माइंडेड लड़की थी तो वो कुच्छ भी बोलने मे घबराती नही थी.

इससे पहले की कोई कुच्छ बोलता -" छोड़ो ये बाते और ये बताओ कि आराधना कहाँ है..?" सिमरन पूछती है

" दीदी वो नहा रही है.... देल्ही जा रही है ना......." कुशल रिप्लाइ करता है

" ये तो मुझे मालूम है कि वो देल्ही जा रही है. और मैं ही उसे स्टॅंड छोड़ने जा रही हू..... वैसे अब तक नहा लेना चाहिए था उसे....." सिमरन आराधना के रूम की तरफ देखते हुए बोलती है

" हाँ काफ़ी देर से नहा रही है वो... अगर जाना ही है तो जल्दी निकल जाना चाहिए नही तो लेट ईव्निंग ट्रॅवेल करना सही नही है......" प्रीति भी सिमरन की हाँ मे हाँ मिलाती है.

" ओये होये बड़ी जल्दी है अपनी बहन को भेजने की..... कूडीए क्या बात है. कोई बॉय फ्रेंड साय फ्रेंड तो नही आ रहा है......." सिमरन प्रीति के गालो को खींचते हुए बोलती है.

" अभी तो मैं बच्ची हू.........." प्रीति बनावटी शरम के साथ कहती है.

सिमरन आश्चर्य से प्रीति को उपर से नीचे तक देखती है और कहती है -" नही बॉय फ्रेंड बनाने लायक तो तू हो गयी है........" सिमरन का कहने का अंदाज़ ऐसा था जैसे वो कह रही हो कि नही चुदने के लायक तो तू हो गयी है.

सभी हंस पड़ते है सिमरन की इस बात पर.

" कुशल तू इतना चुप क्यू खड़ा है......" सिमरन कुशल की तरफ देखते हुए बोलती है.

" नही दीदी वो दो लड़कियो की आपसी बात मे मैं क्या बोलू इसीलिए चुप हू....." कुशल भी ड्रामा करते हुए बोलता है.

" तो थोड़े टाइम के लिए तू भी लड़की बन जा..........." सिमरन फिर से हंसते हुए बोलती है.

" दीदी आप भी क्या मज़ाक करती हो..... लड़की बन ने के लिए तो बहुत कुच्छ चाहिए." कुशल सिमरन के मस्त बूब्स की तरफ देखते हे बोलता है. सिमरन के बूब्स उसकी टीशर्ट मे बेहद टाइट फँसे हुए थे.

सिमरन कुशल की इस आक्टिविटी से चोंक जाती है. वो आश्चर्य से मूँह पे हाथ रख लेती है -" तो हमारा कुशल अब इतना बड़ा हो गया है........" सिमरन फिर कुशल के गाल खींचने को आगे बढ़ती है लेकिन तभी सिमरन का पाँव प्रीति के पाँव से टकराता है और सीधा धप्प्प..... वो कुशल के सीने से जाकर टकराती है. सिमरन को संभालने के लिए कुशल अपने हाथ सीधे उसकी कमर पर ले जाता है. कुशल ने एक्सपेक्ट भी नही किया था कि सिमरन के बूब्स इतने मस्त होंगे......

" ओह्ह्ह्ह...... सोररय्ययी....." और सिमरन ये बोल कर सीधा खड़ा होने लगती है.

" इट ईज़ ओके दीदी..... नो प्राब्लम...." कुशल रिप्लाइ करता है.

कुशल का मर्दाना लंड सिमरन के टच से जागने लगता है और धीरे धीरे कुशल की ज़िप बाहर की तरफ फूलने लगती है. प्रीति को ये देख कर गुस्सा आ जाता है और वो गुस्से मे अपने रूम मे भाग जाती है. सिमरन और कुशल ये सब देखते ही रह जाते है.

" इसे क्या हुआ.........." सिमरन आश्चर्य से कुशल से पूछती है.

" आप लड़की हो आपको बेहतर पता होगा कि क्या हुआ...." कुशल भी रोमॅंटिक अंदाज़ मे सिमरन की तरफ देखते हुए बोलता है.

" तेरा मतलब पीरियड्स की तरफ है क्या....." सिमरन ने भी हंसते हुए उसे तपाक से जवाब देती है. कुशल को ये आइडिया नही था कि सिमरन इतनी बिंदास लड़की है.

" मुझे तो पता ही नही कि पीरियड्स क्या होता है....." कुशल भी मासूमियत मे बोलता ह

" हाँ लग रहा है कि तुझे नही पता....." सिमरन कुशल की ज़िप की ओर देखते हुए बोलती है जो कि अभी तक फूली हुई थी.

" और सूनाओ दीदी..... क्या चल रहा है....." कुशल बात को फिनिश करते हुए बोलता है.

" सब मस्त चल रहा है.... तू सुना. काफ़ी बड़ा हो गया है तू तो, कोई गर्ल फ्रेंड मिली या नही......" सिमरन उसे उपर से नीचे तक देखते हुए बोलती है.

" हमारे नसीब मे कहाँ गर्ल फ्रेंड दीदी...." कुशल फिर से मासूम बनते हुए बोलता है

" तो हाथ से ही गुज़ारा चला रहा है......" सिमरन साइड मे फेस करके बहुत स्लो वाय्स मे बोलती है.

" क्या कहा आपने........"? कुशल ठीक से सुन नही पाया था

" मैने.... मैने कहा कि जल्दी ही मिल जाएगी........." सिमरन अपनी सेक्सी आइज़ उसकी आइज़ मे डालते हुए बोलती है

" क्या......??????" कुशल फिर से सवाल करता है

" नॉटी बॉय.... गर्ल फ्रेंड और तूने क्या सोचा...." सिमरन फिर से स्माइल करते हुए बोलती है.

" दीदी मुझे एक दम सेक्सी गर्ल फ्रेंड चाहिए........" कुशल भी और फ्रॅंक होते हुए बोलता है

" बिल्कुल प्रीति जैसी मिलेगी तुझे... तू टेन्षन ना ले...." सिमरन फिर से मज़ाक करते हुए बोलती है

कुशल -" प्रीति जैसी झल्ली....... मुझे नही चाहिए. मुझे तो एक दम पटाखा और मस्त.... चाहिए..." कुशल अपनी आइज़ बंद करते हुए बोलता है

सिमरन -" प्रीति जैसी झल्ली....? ओये अभी तुझे पता ही नही है कि सेक्सी लड़की क्या होती है. लुक अट हर फेस, लिप्स, और गाल देख उसके. उपर से नीचे तक कयामत है कयामत......." सिमरन भी प्रीति का वर्णन करती है.

इससे पहले कि कुशल कुच्छ बोलता प्रीति फिर से आ जाती है वहाँ पे....

" क्या बात है प्रीति, ऐसे क्यू चली गयी थी......?" सिमरन पूछती है

" टाय्लेट जाना था इसीलिए गयी थी......" प्रीति थोड़े आटिट्यूड मे बोलती है

" हा हा हा हा हा.... गयी तो ये गुस्से मे थी लेकिन किसी ने भाव नही दिए तो फिर आ गयी......" कुशल प्रीति का मज़ाक उड़ाते हुए फिर से बोलता है.

" देखा दीदी... मेरे साथ कैसे पेश आता है ये....." प्रीति सिमरन से कंप्लेंट करते हुए कहती है.

" अरे बाबा अब ये लड़ाई बंद करो और प्यार से रहा करो...." सिमरन दोनो को समझाती है

" दीदी इसे पता भी है प्यार क्या होता है....." प्रीति कुशल की तरफ इशारा करती है

सिमरन भी कोई बच्ची नही थी. वो समझ गयी थी कि कोई तो केमिस्ट्री चल रही है. फाइनल कन्फर्म करने के लिए वो एक प्लान बनाती है ---

" आआहह..... मेरा पाँव दूख रहा है. शायद मेरी हील मे कोई प्राब्लम है". ये बोलते हुए सिमरन झुकती है. इसका डबल एफेक्ट होता है- एक तो उसके बड़े बड़े बूब्स कुशल के सामने बाहर झाँकने को तैयार हो जाते है और दूसरा उसकी लो वेस्ट जीन्स होने के कारण उपर से उसकी पैंटी दिख जाती है.

ये एक ऐसा सीन था जिससे कोई भी जवान भड़क सकता था. उसकी ब्लॅक लेस ब्रा और ट्रॅन्स्परेंट पैंटी विज़िबल थी कुशल को और ये सीन प्रीति भी बड़े गौर से देख रही थी.

कुशल तो जैसे पागल ही हो गया था. सिमरन एक एक्सपर्ट गर्ल थी जिसे पता था कि ह्यूमन एमोशन्स को कैसे भड़काना है. कुशल का लंड फिर से जीन्स की ज़िप के टॉप लेवेल पे पहुँच चुका था. शरम के मारे कुशल अपनी पॉकेट मे हाथ डालता है और उसे वहीं से कंट्रोल करने की कोशिश करता है.

अब सिमरन फिर से खड़ी होती है और चुपके से प्रीति के चेहरे को देखती है. जिससे आग बरस रही थी और गुस्से मे अपना चेहरा लाल कर चुकी थी. वो एक टक कुशल की तरफ देखे जा रही थी जैसे कुशल ने कोई बहुत बड़ी ग़लती कर दी हो...

सिमरन समझ गयी थी कि दाल मे कुच्छ तो काला है. लेकिन इससे पहले कि कुच्छ होता कि तभी बाथरूम का गेट खुलने की आवाज़ आती है. आक्च्युयली आराधना नहा कर बाहर आ चुकी थी.

" ये लो मेडम आ गयी ......" सिमरन ये बोल कर आराधना के रूम की तरफ बढ़ती है.

उसके पीछे कुशल इशारे मे प्रीति से पुछ्ता है कि क्या हुआ.... ऐसे आँखे क्यूँ दिखा रही है.

प्रीति कुशल के पास जाती है और धीरे से बोलती है -" बड़ी आँखे फाड़ फाड़ के देख रहा था इस गुंडी के बूब्स को....."

जब प्रीति बोल रही थी तो सिमरन पीछे मूड कर देखती और एक स्माइल के साथ बोलती है -" अरे अब क्या पर्सनल बाते होने लगी दोनो की, आ जाओ और अपनी बहन की हेल्प कर दो...."

प्रीति का चेहरा बता रहा था कि वो परेशान है लेकिन फिर भी वो दोनो आराधना के रूम की तरफ बढ़ जाते है.

आराधना के बाल अभी भी गीले थे और टवल उसके बूब्स से बस थोड़ा उपर बँधा हुआ था. उसके बूब्स के बीच की लाइन क्लियर दिख रही थी.

" दीदी मुझे भी देल्ही ले चलो ना......." कुशल रिक्वेस्ट करता है आराधना से जोक स्टाइल मे.....

" वहाँ मे कोई घूमने नही जा रही हू...." आराधना अपने बालो को कोंब करते हुए कहती है.

" तुम्हे पता नही है लेकिन ये टूर उसकी लाइफ का बहुत इंपॉर्टेंट टूर है..." सिमरन बीच मे ही बोलती है.

आराधना और सिमरन हँसने लगती है जब उन्हे उस सेंटेन्स का रियल मीनिंग समझ आता है.

" और वैसे भी तेरी ज़रूरत है यहाँ कुशल..... तू यहीं पर रह...." सिमरन प्रीति की तरफ देखते हुए बोलती है. वो डबल मीनिंग बाते कर रही थी.

" नही अरू दीदी... आप ले जाओ कुशल को. वो यहाँ रहे या नही कुच्छ फ़ायदा तो है नही....." प्रीति भी एक झटके मे सारी बातो का रिप्लाइ दे देती है और बोलने के बाद इमीडीयेट्ली सिमरन की तरफ देखती है.

" तू देख रही है, कितने बड़े हो गये है फिर भी लड़ाई बंद नही है...." आराधना सिमरन से कंप्लेंट करते हुए बोलती है.

" अब ये बड़े हो गये है यही तो लड़ाई है..." सिमरन फिर से हंसते हुए बोलती है.

" क्या मतलब...." आराधना रुक कर बोलती है

सिमरन -" अब स्वीटी जल्दी तेयार हो जा. मतलब वत्लब छोड़... ओके. " सिमरन उसे डाँट लगाते हुए बोलती है.

" बस अब फाइनल टच बाकी है आंड देन आइ आम रेडी....." आराधना अपने सूट को उठाती है और फिर से बाथरूम मे भाग जाती है.


करीब 5 मिनिट के बाद वो बाहर निकल कर आती है. स्ट्रेट हेर, लाइट लिपस्टिक, लाइट लीप ग्लॉस, शार्प आइ लाइनर. काफ़ी सुंदर लग रही थी आराधना....

हाइ हील सॅंडल्ज़ पहन ने के बाद उसकी पर्सनॅलिटी मे एक सेक्सी टच भी आ गया था. कुशल आराधना का बॅग उठाता है और नीचे लाने लगता है.

स्मृति नीचे वेट कर रही थी. आराधना के नीचे आते ही वो खड़ी होती है और बताना शुरू करती है

" बेटा तेरे पापा से बात हो गयी. देल्ही आइएसबीटी पहुँचने से पहले उनको फोन कर दियो और वो तुझे पिक करने आ जाएँगे.... "

"थॅंक यू मोम...." और आराधना स्मृति को हग करती है.
कुशल सिमरन की गाड़ी मे बॅग रखने के लिए आगे चल देता है. और पीछे पीछे बाकी सब लोग चल देते है.

" ठीक है मोम आप अपना ख्याल रखना..... और इन दोनो का भी..." आराधना का इशारा कुशल और प्रीति की तरफ था.

" तू टेन्षन ना ले और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे......" स्मृति आराधना के गालो पर किस करते हुए बोलती है.

अब सब बाहर आ चुके होते है और आराधना कार मे बैठ चुकी थी.

वो सब को बाइ बोलती है और कार आगे की तरफ बढ़ जाती है. आराधना अपना सनग्लॅस लगाती है और म्यूज़िक ऑन करती है.

" मेरी रानी कहीं तेरे डॅड स्टेशन पर ही शुरू ना हो जाए तेरे साथ, इतनी प्यारी लग रही है तू......." सिमरन मज़ाक मे बोलती है

" चल तू भी ना हमेशा मज़ाक के मूड मे ही रहती है. अब कार थोड़ा तेज चला और जल्दी से पहुँचा दे मुझे...." आराधना भी मस्ती मे बोलती है

" काश मैं लड़का होती तो तुझे देल्ही भेजने की ज़रूरत ही ना होती. यहीं कार मे पीछे लिटा कर तेरा काम कर देती....." सिमरन फिर से एक तीर चलाती है

" तुझे क्या लगता है कि और मैं तुझसे करवा लेती..... लड़के तो हज़ार है लेकिन .........." आराधना रिप्लाइ करती है

" लेकिन तुझे तो बस अपने डॅड का ही लेना है. है ना....?"

" फालतू की बाते ना बना और ध्यान दे ड्राइविंग पे......" आराधना हंसते हुए बोलती है

सिमरन -" मेरी जान लेकिन जल्दी ही गुड न्यूज़ दे दियो...."

आराधना -" ये तो प्रॉमिस है कि सबसे पहले तुझे ही बताउन्गि........"

सिमरन -" और बाद मे.....?"

आराधना -" ये तो मैने सोचा ही नही..... तू ही तो है बस मेरी राज दार......."

सिमरन " तू टेन्षन ना ले. तेरे सारे राज मेरे साथ ही रहेंगे. बस एक बात का ख्याल रखना कि लड़कियो को थोड़ी शरम भी करनी ज़रूरी है. तो खुद ही अपनी चूत खोल के मत बैठ जइयो अपने डॅड के सामने....."

आराधना " तू कितनी गंदी बाते करती है. इतनी गंदी बाते तो लड़के भी नही करते. मैं ऐसा क्यू करने लगी....... ये तो उनकी चाय्स है कि अगर वो मुझे पसंद करेंगे तो......" आराधना शर्मा के चुप हो जाती है

सिमरन -" तो क्या......?"

आराधना -" तो कर लेंगे जो करना है....." आराधना हंसते हुए बोलती है.

सिमरन -" चल उपर वाला तेरी जल्दी सुने...." सिमरन साइड मे कार पार्क करते हुए बोलती है क्यूंकी बस स्टॅंड आ चुका था.

आराधना अपना बॅग निकालती है कार से और इतने मे सिमरन अपनी कार से बाहर निकलती है. दोनो एक दूसरे को हग करती है

" चल अपना ख्याल रख आंड रियली थॅंक यू सो मच......" आराधना उससे अलग होते हुए बोलती है

" मारूँगी एक अगर थॅंक यू बोला तो....... पागल तू मेरी बेस्ट फ्रेंड है. चल अब एमोशनल मत हो, जल्दी जा और अच्छी तरीके से चुद कर आ....." सिमरन अभी भी मज़ाक के मूड मे ही थी.

" सुधर जा......" आराधना अपना बॅग उठती है और अंदर जाने लगती है. सिमरन उसे बाइ बोलती है और अंदर जाने तक उसे देखती रहती है.

दूसरी तरफ

आराधना को छोड़ने के बाद सभी लोग अंदर जा चुके थे. कुशल अंदर हॉल मे आकर बैठ जाता है और स्मृति किचन मे जाकर चाइ बनाने लगती है.

प्रीति अभी भी कुशल के आस पास ही घूमे जा रही थी औट फाइनली सोफे पे उसके सामने आकर बैठ जाती है. लेकिन कुशल तो अपने ही ख्यालो मे खोया हुआ था, वो सोफे पे बैठा कम और लेटा ज़्यादा था. उसका चेहरा सीलिंग की तरफ था और वो कुच्छ सोचने मे लगा हुआ था.

" क्या सोच रहा है......." प्रीति एक प्यारी सी स्माइल के साथ उससे पूछती है. कुशल अपनी निगाहे प्रीति की तरफ घूमता है. वो प्यारी सी स्माइल के साथ कुशल की तरफ देखे जा रही थी.

कुशल प्रीति की तरफ देखता रहता है लकिन कुच्छ बोलता नही है. प्रीति एक बार किचन की तरफ देखती है और बड़ी ही अदा मे ठीक ऐसे नीचे झुकती है जिससे उसके मस्त बूब्स कुशल को दिखने लगते है. वो अपने पाँव की उंगली को ऐसे टच करती है जैसे कोई दर्द हो रहा हो वहाँ. और इसी पोज़िशन मे वो फिर से कुशल की तरफ देखती है

" क्या देख रहा है........?" बहुत ही अंदाज़ मे वो पूछती है.

" प्रीति.......... देख जब मैं तेरे पास आता हू तो तेरी फट जाती है.......... तो ये ड्रामे बंद कर......" कुशल गुस्से मे उसे रिप्लाइ करता है.

प्रीति सोफे से खड़ी होती है और सेक्सी चाल के साथ कुशल के पास आती है. वो कुशल पे ऐसे झुकती है कि जैसे अपने बूब्स उसके मूँह मे ही दे रही हो. अपने चेहरे को वो कुशल के चेहरे के बहुत करीब ले जाती है और - " पहले फटने से डर लगता था लेकिन अब नही............." उसकी आँखो मे झाँकते हुए प्रीति भी मस्त अंदाज़ मे बोलती है. उसकी साँसे धीरे धीरे तेज होती जा रही थी.

कुशल को तो जैसे साँप सूंघ गया था इस सिचूएशन से. वो कुच्छ बोलने ही वाला था कि तभी उसे साइड आइज़ से ये दिख गया कि स्मृति चाइ लेकर किचन से बाहर आ रही है. कुशल मा चाहते हुए भी वहाँ से अलग हो गया और साइड मे हो गया.

" ये लो बच्चो चाइ पी लो......" स्मृति चाइ सोफे के पास रखी टेबल पे रखती हुई बोलती है.

प्रीति के तो जैसे सारे अरमानो पे अटॅक हो रहे थे लेकिन फिर भी वो कड़वे घूँट पीकर सोफे पर सीधी होकर बैठ जाती है. चाइ रखने के बाद स्मृति सामने वाले सोफे पे बैठ जाती है. अब प्रीति और कुशल एक सोफे पर थे और स्मृति उसके सामने वाले सोफे पे थी.

प्रीति चाइ उठाती है और कुशल को देती है. स्मृति भी अपनी चाइ उठाती है

" आराधना के जाने के बाद तो जैसे घर बिल्कुल खाली हो गया है...." स्मृति चाइ का सीप लेते हुए बोलती है.

" मोम.... क्यू ना मैं आपके रूम मे ही सो जाउ.... आराधना दीदी के जाने से तो मुझे भी डर लगेगा....." कुशल भी चाइ की सीप लेते हुए बोलता है

" तू तो बस उपर ही रह.... नही तो प्रीति अकेली हो जाएगी....... हाँ अगर प्रीति और तुम दोनो मेरे रूम मे सोना चाहते हो तो आ जाओ....." स्मृति ने भी अपना माइंड गेम खेलते हुए बोला

" मोम.... प्रीति का तो मन नीचे लगता ही नही है. और वैसे भी वो तो बहुत बहादुर है..... क्यूँ प्रीति...?" कुशल फिर से प्रीति की तरफ देखते हुए बोलता है.

" मुझे नीचे सोना अच्छा नही लगता और मोम अगर कुशल भी नीचे आ गया तो मुझे उपर डर लगेगा. तो आप कुशल को उपर ही रहने दीजिए...." प्रीति भी हर मान ने वालो मे से नही थी.

KONG
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rocky123
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Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

Post by rocky123 »

" कुशल प्रीति सही कह रही है..... अब दोनो उपर ही सोना...... वैसे भी मैं तुम्हे बताना ही भूल गयी कि मेरी बहन के बच्चे आ रहे है- नीतीश और रीमा. तो रीमा मेरे साथ रह लेगी और नीतीश कुशल के साथ सो जाया करेगा......." स्मृति सर्प्राइज़ देती है कुशल और प्रीति. ये बात सुनकर तो जैसे प्रीति और कुशल दोनो के पाँव तले से ज़मीन खिसक जाती है.

कुशल एक झटके से खड़ा हो जाता है " मोम आपने पहले तो कभी नही बताया...."

स्मृति ( स्माइल करते हुए)-" तो अब बता दिया ना..... उन्हे आज ईव्निंग आना है."

कुशल की तो आँखो मे जैसे ज्वाला आ जाती है. " साले की मा चोद कर ना भगाया तो नाम नही" कुशल अपने मन मे सोचता है.

कुच्छ सेकेंड्स के लिए तो वहाँ शांति हो गयी थी कि तभी स्मृति के फोन की बेल बजती है ट्रिंग ट्रिंग.... स्मृति फोन पिक करती है -

" हेलो सिस्टर......" ये फोन उसकी बहन का था

अदरसाइड - कैसी है?

स्मृति - मैं बिल्कुल बढ़िया... तू बता कैसी है.

अदरसाइड- मैं अच्छी हू... थॅंक यू.

स्मृति - और बता बच्चे कब तक आ रहे है?

अदरसाइड - यार यही बताने के लिए फोन किया है. रीमा के पीरियड्स हो गये है और वो ट्रॅवेल करने के मूड मे नही है. नीतीश तो तेरे यहाँ आने के लिए एग्ज़ाइटेड है लेकिन रीमा की वजह से वो भी अभी नही आ रहा है..."

स्मृति -" ओह्ह्ह शिट......." स्मृति का मूड ऑफ हो गया था क्यूंकी उसका ये प्लान तो फैल हो गया था.

अदरसाइड - टेन्षन ना ले, जैसे ही साइकल ख़तम होंगे वो वैसे ही आ जाएगी....

स्मृति - चल ठीक है. जब उन्हे बेहतर लगे तब आ जाएँ वो. चल फिर अपना ख्याल रख....

अदर साइड - चल ठीक है... तू भी अपना ख्याल रख बाइ....

फोन डिसकनेक्ट हो जाता है. और स्मृति के चेहरे पर परेशानी के भाव साफ दिखाई दे रहे थे.

" मोम क्या हुआ...?" कुशल जानते हुए भी सब कुच्छ पुछ्ता है.

" कुच्छ नही वो बच्चे अब नही आ रहे..." स्मृति अपने माथे पे हाथ रखते हुए बोलती है.

" ओह नो मोम.... ये तो एक बॅड न्यूज़ है. मैं तो एग्ज़ाइटेड था कि फ्रेंड्स आ रहे है...." कुशल भी नो 1 ड्रामा मेकर था. लेकिन वो मन ही मन ऐसे खुश था जैसे उपर वाले ने उसकी सुन ली हो.

प्रीति भी हॅपी थी क्यूंकी वो नही चाहती थी कि नीतीश कुशल के रूम मे आकर रहे.

स्मृति को समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे. उसको पता था कि कुशल अब हर रात कुच्छ ना कुच्छ खुराफात करता रहेगा. वो जवानी को अच्छे तरीके से समझ सकती थी तो ये भी जानती थी कि कुशल को अगर चूत का रस मिल चुका है तो उसे लिए बिना वो नही मानेगा और अगर स्मृति ने स्मार्ट्ली माइंड यूज़ नही किया तो कुशल कुच्छ ग़लत कदम भी उठा सकता है.

खैर सभी लोग चाइ ख़तम करते है. और स्मृति फिर से किचन मे चली जाती है. कुशल को तो ऐसे लग रहा था कि जैसे आज एक और गोलडेन नाइट है. आज वो अच्छे से तैयारी करना चाहता था, वो अपने रूम की तरफ चलने लगता है. प्रीति तो कुशल के पीछे एक मॅगनेट की तरह घूम रही थी.

कुशल अभी कुच्छ सीढ़ियाँ ही चढ़ पाया था कि प्रीति भी धीरे उपर की तरफ चल देती है. स्मृति किचन से आराम से बाहर की तरफ देखती है और थोड़ा रिलॅक्स हो जाती है कि कुशल उपर जा रहा है.

कुशल अपने रूम मे पहुँच जाता है और आयिल की बॉटल लेकर बाथरूम मे पहुच जाता है. अपने दोनो हाथो पे वो आयिल गिरता है और अपने लंड की मालिश शुरू कर देता है. उसको तो अहसास था कि लंड के रियल पर्फॉर्मेन्स का टाइम अब आ चुका है. इस ख्याल से उसका लंड और भी विकराल होता जा रहा था. आयिल की मालिश से उसके लंड की नसे और भी क्लियर दिखाई दे रही थी. ऐसा लंड जिसे देख कर शायद कोई ही लड़की अपने आप को रोक पाए. कुशल अपने हाथ तेज़ी से चला रहा था कि तभी -

" कुशल...... कुशल......" इस आवाज़ से कुशल चोंक पड़ता है क्यूंकी उसने एक्सपेक्ट नही किया था प्रीति फिर से रूम मे आ जाएगी.

" क्या है, क्या काम है तुझे....." कुशल चिल्ला कर बोलता है. लेकिन फिर भी अपने लंड की मालिश चालू रखता है. प्रीति आवाज़ को क्लियर सुन सकती थी वो समझ गयी कि बाथरूम के अंदर कुच्छ तो चल रहा है-

" क्या सिमरन को याद करके कुच्छ कर रहा है क्या......" प्रीति बाथरूम के बाहर से ही बोलती है

" हाँ सपने मे उसकी चूत मार रहा हू..... तुझसे मतलब......" कुशल अंदर से ही रिप्लाइ करता है.

" हाए मर जाउ तेरे मर्दाना स्टाइल पे.... लेकिन टेस्ट अच्छा नही है तेरा.... सिमरन जैसी रंडी ही पसंद आई तुझे....." प्रीति उसके बेड पे बैठते हुए बोलती है

" साली प्रॉस्टिट्यूट तो होगी.... देखी नही क्या मस्त बॉडी है उसकी......." कुशल फिर से तीखा जवाब देता है.
" कुशल अगर मैं प्रॉस्टिट्यूट होती तो इस टाइम तेरे रूम मे ना होती. पता नही तुझमे कैसा प्राउड है ये. तुझे क्या हो गया है आख़िर...." प्रीति अन सीरीयस थी.

" तुझे क्या हो गया था तब तेरे से तेरी चूत की रिक्वेस्ट की थी मैने.... तब क्यू नखरे दिखा दिए तूने....." कुशल उसे जवाब देता है

" एक लड़की की लाइफ ऐसी ही होती है...... बहुत सोच समझ के डिसीजन लेना होता है........" प्रीति बोलते बोलते बाथरूम के गेट के करीब जाती है.

" गेट खोल ना प्लीज़......" प्रीति फिर से रिक्वेस्ट करती है.

झटककक.... एक झटके से गेट खुलता है और सामने कुशल अपने लंड को एक हाथ मे लेकर खड़ा होता है. क्या विशाल लंड था उसका......

" उफफफफफ्फ़............" प्रीति अपना चेहरा फिरा लेती है.

" मैने ऐसे तो गेट खोलने के लिए नही कहा था......" प्रीति अपने चेहरे को दूसरी साइड करे हुए बोलती है

कुशल बाथरूम के गेट से आगे बढ़ता है और प्रीति को एक झटके मे पकड़ कर अपने से चिपका लेता है... अब प्रीति का सीना कुशल की पीठ से चिपका हुआ था... और कुशल का खड़ा लंड प्रीति की गान्ड से टकरा रहा था.......

प्रीति के पाँव तो जैसे ज़मीन पर ही नही थे, पता नही अपने डॅड के जाने के बाद और आराधना के जाने के बाद उसके प्लान क्या थे लेकिन उसने एक्सपेक्ट नही किया था कि वो इतनी जल्दी कुशल की बाँहो मे होगी.

लेकिन वो शुवर नही थी कि आख़िर क्यूँ कुशल ने उसे अपनी बाँहो मे जाकड़ लिया है.

" कुशल छोड़ ना...... ये क्या कर रहा है....... अपना.... अपना अंडरवेर तो उपर कर ले........." प्रीति ने ऐसे ही कुशल की बाँहो मे रहते हुए ये ड्रामा किया.

" क्यूँ...... तुझे मेरा लंड पसंद नही.......?" कुशल ने फिर से प्रीति के नेक पे किस करते हुए कहा

" मुझे..... मुझे नही पता..... प्लीज़ छोड़ दे...... कोई आ जाएगा...... गेट भी खुला हुआ है......." प्रीति ने उसे हिंट दिया कि गेट को बंद कर लिया जाए

कुशल अपना एक हाथ आगे की तरफ ले जाता है जहाँ प्रीति के बूब्स थे. वो अपनी हथेली को प्रीति के राइट बूब्स पर रख देता है और उसे कस कर दबा देता है.

" आआईयईईईईईई......... कुशल तमीज़ से पेश नही आ सकता........" प्रीति ने भी एक्सपेक्ट नही किया था कि कुशल उसके साथ ऐसे पेश आ सकता है.

" प्रीति...... यू आर सो हॉट...." कुशल भी धीरे धीरे ऐसे पेश आ रहा था जैसे वो होश मे ही नही है.

" रियली.......?" प्रीति अपनी गान्ड को फिर से कुशल के लंड पे रगड़ते हुए बोलती है.

" प्रीति.......... आज कुच्छ..... ड्रामा नही होना चाहिए प्लीज़........ आज तो अपने इस दीवाने को खुश कर दे........ आआअहह....." कुशल की आँखे बंद हो चुकी थी.

" दीवाना........ और तू.......? कमाल है........." प्रीति को लग रहा था कि आज अचानक कुशल का बिहेवियर कैसे चेंज हो गया.

लेकिन कुशल ने उसकी सुने बिना प्रीति का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और आवने तपते होंठ उसके होंठो पर रख दिए......... कुशल ने कुछ सेकेंड ही उसके लिप्स को किस किया होगा कि प्रीति भी उसे सपोर्ट करने लगती है. अभी भी प्रीति का जिस्म सामने की तरफ है लेकिन उसका चेहरा पीछे की तरफ घुमा हुआ है. बाथरूम मे ऐसी आवाज़े आ रही थी जैसे कोई किसी वॉटर रिवर मे पानी पी रहा हो. होंठो का जबरदस्त मंथन चल रहा था.

प्रीति ने किस करते करते ही अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया था.

प्रीति होंठ ऐसे थे जैसे वाकई मे रस टपक रहा हो उनमे से. बहुत ही सॉफ्ट, क्रिस्पी आंड पिंक...... लाइट लिपस्टिक शेड से और ज़्यादा टेस्टी भी बन गये थे वो.

प्रीति ने अपने हाथ से कुशल के लंड की खाल को आगे पीछे करना शुरू कर दिया था. प्रीति फिर से बॅकग्राउंड मे जा रही थी जहाँ पहले भी उनके बीच ये सब हो चुका था. उसे याद आया कि पहले सब कुच्छ अधूरा रह गया था क्यूंकी वो मेंटली प्रिपेर नही थी.

पता नही क्या सोच कर प्रीति ने एक झटके से अपने हाथ उसके लंड से हटा लिया और धीरे धीरे अपने लिप्स को भी उससे हटाने की कोशिश करती रही.

कुशल अपने लिप्स को उससे अलग करता है. आँखो ही आँखो मे कुशल उससे पुछ्ता है कि क्या बात है.

प्रीति के बूब्स उपर नीचे हो रहे है और उसकी साँसे भी तेज चल रही है.

प्रीति बिना कुच्छ रिप्लाइ किए स्माइल करती है और अपना हाथ उसके लंड पर रखती है. उसको पकड़ कर वो बाथरूम से बाहर आने लगती है, कुशल भी उसके पीछे खिंचा चला आता है.

" बाथरूम.... इस सब के लिए सही जगह नही है......" प्रीति बड़ी ही सेक्सी अदा मे बोलती है. कुशल को आइडिया मिल गया था कि प्रीति का प्लान कुच्छ और है

प्रीति उसे बाहर लाकर बेड पे बैठ जाती है. स्टाइल मे अपनी टाँग पे दूसरी टाँग रखने के बाद वो कुशल के लंड की तरफ देखती है और एक सेक्सी सी स्माइल देती है

" अब क्या...... " कुशल उससे क्वेस्चन मार्क स्टाइल मे पुछ्ता है.

" कुच्छ नही.... अच्छा लगता है तेरे पास रहना......" प्रीति फिर से मुस्कुराते हुए बोलती है

" देख फालतू की बाते ना बना और आज कोई चीटिंग नही चलेगी......" कुशल जैसे थोड़ा सा प्रीति की बातो से चिड रहा था

प्रीति खड़ी होती है.... फिर से कुशल के बहुत करीब आती है. अपना सीना लगभग कुशल के सीने से लगाती हुई उससे बोलती है -

" तुझसे कुच्छ बात करनी है......" प्रीति बहुत ही मादक अंदाज़ मे पूछती है

अगर प्रीति उसके इतनी करीब ना होती तो शायद वो पॉज़िटिव रिप्लाइ ना करता. लेकिन प्रीति की गोरे गोरे बूब्स जब अपने सीने से टच देखे तो कुशल के मूँह से ऑटोमॅटिक ही निकल गया -

" क्या बात करनी है......?" कुशल पूछता है.

प्रीति अब वहाँ से आगे की तरफ चलती है और पहले गेट को लॉक करती है. गेट को बंद करने के बाद वो फिर से पीछे मुड़ती है और धीमी चाल मे आकर फिर से कुशल का लंड पकड़ कर बेड पर फिर से बैठ जाती है. कुशल अभी भी खड़ा हुआ था और उसका लंड प्रीति के हाथ मे था.

दोनो की नज़रे मिलती है -" पुच्छ ना क्या बात है......?" कुशल थोड़ा गुस्से मे पुछ्ता है

" तेरा आराधना दीदी के साथ कोई अफेर है.......?" प्रीति बहुत ही प्यार से उसके लंड पे हाथ फिरती हुई पूछती है.

" क्या........ क्या कहाँ तूने अभी.......?" कुशल को यकीन नही होता कि उसने अभी क्या सुना

" क्या तेरा आराधना दीदी के साथ कोई अफेर है.......?" प्रीति उसकी आँखो मे देखती हुई फिर से अपनी बात को रिपीट करती है.

" पागल है क्या तू...... कोई अपनी बहन से भी कोई अफेर चलाता है क्या......." कुशल थोड़ा सा वाय्स को उँचा करता है

" अफेर ना सही, क्या फिज़िकल रीलेशन बन चुके है....." प्रीति फिर से अपनी बातो पे ज़ोर डालती है.

" देख प्रीति मेरा दिमाग़ खराब मत कर.... ओके. ये झुटे इल्ज़ाम मुझ पर मत लगा....... आराधना दीदी के बारे मे तो ऐसा कभी सोचा भी नही. लेकिन तू ऐसे बाते क्यू कर रही है........." कुशल फिर से पूछता है

प्रीति फिर से खड़ी होती है और बड़े प्यार से कुशल के लिप्स पे एक किस करती है. " तो तूने इतने टाइम से मुझे इग्नोर क्यू किया........ क्या मैं जवान नही या तुझे मेरी वर्जिनिटी पे शक है....... " प्रीति लिप्स को अलग करने के बाद पूछती है.

" ना ही तो मुझे तेरी जवानी पे शक है और ना ही तेरी वर्जिनिटी पे .... लेकिन तूने मुझे चीट किया था उस दिन तो मुझे भी उस बात का अहसास है...." कुशल अपने आप को एक्सप्लेन करता है

प्रीति फिर से कुशल के करीब जाती है और अपने मूँह को उसके कानो के पास ले जाते हुए बोलती है -" तो आज मेहरबानी का क्या रीज़न है..... और आज ही आराधना दीदी गयी है...... ?"

कुशल प्रीति को अपने इतने करीब पाकर फिर से अपने होश खो रहा था. उसकी जवाबी की खुसबु फिर से उसके दिमाग़ मे चढ़ रही थी.

" ये .... ये सिर्फ़ एक को इन्सिडेन्स है....." कुशल अपना हाथ प्रीति की गान्ड पर रख देता है.

" कुशल...... मैं कोई बच्ची नही हू. स्कूल मे कोई जवान लड़की किसी की तरफ हँसती है तो उसका रेप हो जाता है. और मैने तो..... मैने तो... तुझे अपनी पुसी तक भी दिखाई लेकिन फिर भी तूने मुझे छोड़ दिया..... कोई तो है जो तेरी ज़रूरते पूरी कर रहा है......" प्रीति थोड़ा सीरीयस होते हुए बोलती है

" तू आराधना दीदी पे ग़लत शक कर रही है. उन्हे तो इस बारे मे कोई जानकाती भी नही है....." कुशल प्रीति को समझाता है.

कुशल की इस बात का प्रीति पर नेगेटिव एफेक्ट होता है और वो कुशल से अलग होते हुए बोलती है -

" वाह वाह..... उन्हे तो इस बारे मे पता ही नही है. उसे.... घोड़ी बन चुकी है वो. मैने खुद देखा है कि कैसे चेंज आ रहे है उसमे. लेकर गयी है छोटे छोटे कपड़े, और उसे इस बारे मे कुच्छ नही पता है." प्रीति गुस्से मे बोलती है.

कुशल प्रीति के शोल्डर्स को पकड़ता है और फिर से अपने सीने से लगा लेता है -" तू क्यू टेन्षन लेती है....." वो प्रीति को शांत करा रहा था लेकिन कुशल के माइंड मे भी अब प्रीति की बाते घूम रही थी कि कैसे आराधना दीदी बदल रही है.

" चल ना दोनो साथ नहाते है..... मूड फ्रेश हो जाएगा......?" कुशल मुस्कुरा कर प्रीति से बोलता है

कुशल की मुस्कुराहट देख कर प्रीति भी हॅपी होती है और दोनो फिर से बाथरूम मे जाने लगते है. बाथरूम मे पहुँच कर कुशल दोनो हाथो से प्रीति की टीशर्ट उतारता है. अब प्रीति बस ब्रा मे थी और उसकी निगाहे नीची थी. कुशल अपने हाथ उसकी ब्रा की तरफ ले जाता है लेकिन प्रीति पहले उसे अपनी शर्ट उतारने को बोलती है.

कुशल अपनी शर्ट उतारता है और उसने नीचे कुच्छ नही पहना था. उसका चौड़ा सीना अब प्रीति के सामने था, प्रीति स्माइल के साथ दूसरी तरफ घूम जाती है और अब उसकी ब्रा का हुक कुशल के सामने था. कुशल ना टाइम लगाते हुए उसके हुक को एक झटके मे खोल देता है. प्रीति के दोनो मस्त बूब आज़ाद हो चुके थे.

कुशल अपने दोनो हाथो से अपनी जीन्स और अंडरवेर भी उतार देता है. अब कुशल बिल्कुल नंगा था लेकिन प्रीति ने नीचे अभी भी जीन्स पहनी हुई थी.

कुशल जैसे ही शवर ऑन करता है.... प्रीति के गरम बदन पे वो बूंदे ऐसे गिरती है जैसे किसी ने तेज़ाब गिरा दिया हो. वो ईमीडेटली कुशल के सीने से चिपक जाती है, उफफफफफ्फ़ दोनो नंगे सीने आपस मे मिल चुके थे........

कुशल ने अपने चौड़े और मजबूत सीने मे प्रीति के बूब्स को बहुत मजबूती से दबा दिया....

" आआहह........ कुशल.... तू...... अपनी चेस्ट पे इतने बाल क्यू रखता है.......????" प्रीति बेहद ही सेक्सी अंदाज़ मे कुशल की आँखो मे देखती हुई बोलती है. उसका राइट हॅंड कुशल की हेरी चेस्ट मे घूम रहा था

" क्यूँ तुझे पसंद नही है क्या......" कुशल अपने दोनो हाथ फिर से प्रीति की गान्ड पे ले जाता है और उसे आराम से दबाते हुए पुछ्ता है.

" नही..... ऐसा तो नही है..... बस.... आज कल लड़के इतने बाल रखते नही है ना......." प्रीति शरमाते हुए बोलती है.

कुशल प्रीति की आँखो मे देखता है और उसकी गर्दन पे किस करने के लिए अपने चेहरे को आगे बढ़ता है.

पानी की बोछारो ने दोनो बदन को बिल्कुल भीगा दिया था. पानी की बूंदे प्रीति के लिप्स पर भी विज़िबल थी, प्रीति के बूब्स कुशल की चेस्ट मे जैसे और अंदर घुसने को तैयार थे.

कुशल प्रीति की गर्दन पे किस करते करते उसके लिप्स के करीब आता है. प्रीति की आँखे बंद हो चुकी थी, कुशल धीरे धीरे अपने लिप्स उसके लिप्स से जो देता है. ये बात हमेशा प्रॅक्टिकल है कि किसी भी लड़की के लिप्स भीगने के बाद और भी जुवैसी हो जाते है तो ठीक वैसे ही कुशल ने भी पूरी जान से उसके लिप्स को चूसना शुरू कर दिया.

ये हालत सिर्फ़ कुशल की नही थी बल्कि प्रीति भी पूरी जान से अपने दोनो हाथ कुशल के चेहरे के दोनो तरफ लपेट कर उसे किस करने मे लगी हुई थी.

कुशल के दोनो हाथ अब प्रीति की पतली सी कमर पे थे. बेहद ही ज़्यादा रोमॅंटिक नज़ारा था ये.

पानी के गिरने की आवाज़ और दोनो के होंठो के मंथन की आवाज़ से बाथरूम और भी ज़्यादा गर्मी पैदा कर रहा था.

कुशल अब एक हाथ उसकी कमर से हटा कर उसकी जीन्स के बटन पर ले जाता है. जैसे ही वो खोलने की कोशिश करता है प्रीति अपने एक हाथ को उसके चेहरे से हटा कर नीचे ले जाती है और अपनी ही जीन्स के बटन को खोलने मे उसकी हेल्प करती करती है. पता नही कितनी टाइट जीन्स थी उसकी, पूरी ताक़त लगाने के बाद वो बटन खुला, और बटन खुलने के बाद ज़िप खोलने मे कुशल को ज़्यादा टाइम नही लगा.

नीचे ही नीचे आक्टिविटीस हो रही थी और वहीं उपर वो दोनो अभी भी होंठो को चूसने मे बिज़ी थे. कुशल अपने एक हाथ से उसकी जीन्स को नीचे करना चाहता है लेकिन स्लिम फिट टाइट फिट होने के कारण उससे ज़्यादा नीचे नही हो पाई.

प्रीति अपने होंठो को कुशल से अलग करती है और बिना टाइम वेस्ट करे अपनी जीन्स को उतारने लगती है. जैसे जैसे जीन्स नीचे जा रही थी, शवर का पानी उसकी पैंटी को और भी गीला करता जा रहा था.

कुच्छ ही सेकेंड मे प्रीति की जीन्स प्रीति के बदन से अलग थी. अब उसकी बॉडी पे बस एक थिन फ्लॉरल पैंटी थी, वो आगे बढ़ कर फिर से कुशल के सीने से चिपक जाती है.

कुशल अपना राइट हॅंड उसकी पैंटी पे ले जाता है और उसकी एलास्टिक को खींचते हुए बोलता है " इसे क्यू बचा दिया रानी..........."

प्रीति अपनी निगाहे नीचे करी रखती है लेकिन थोड़ी देर के बाद वो फिर से अपनी नज़रो को उठाती है और बोलती है " हर चीज़ क्या मैं खुद ही उतारुँगी......." और इसके बाद उसके फेस पे एक बेहद ही सेक्सी स्माइल थी.

कुशल टाइम वेस्ट ना करते हुए प्रीति को बाथरूम के गेट की तरफ घुमाता है यानी अब प्रीति की पीठ कुशल की तरफ थी. कुशल नीचे होते हुए उसकी पैंटी उतार देता है. प्रीति की स्लिम गदराई हुई गान्ड अब कुशल की आँखो के सामने थी. कुशल ने प्रीति को कमर से पकड़ा और उसे थोड़ा सा आगे को झुका देता है वो. प्रीति अपने दोनो हाथ बाथरूम के गेट पर टिका देती है और अब वो थोड़ा सा डॉगी स्टाइल मे आगे की तरफ झुक जाती है.

कुशल अपने घुटनो के बल फ्लोर पे बैठ जाता है. अब कुशल की आँखो के सामने प्रीति की कुँवारी चूत थी जो कि उसकी टाँगो के बीच क्लियर दिखाई दे रही थी. कुशल की उम्मीदो से भी ज़्यादा सुंदर थी उसकी चूत.

कुशल ने टाइम वेस्ट ना करते हुए अपने लिप्स उसकी टाँगो के बीच मे से होते हुए उसकी चूत पर पहुँचा दिए. प्रीति ने अपनी टांगे और भी फैला दी जिससे कि कुशल को आसानी हो.

" आआहह....... म्*म्म्ममममममममममम...........ओह..................." प्रीति की मोनिंग स्टार्ट हो चुकी थी.

कुशल अपनी जीभ को ठीक निशाने पर ले जाकर घूमने लगता है. प्रीति का तो जैसे बुरा ही हाल था, और उसकी चूत दबादब पानी छोड़ रही थी लेकिन कुशल को आक्चुयल पता भी नही चल रहा था कि प्रीति की चूत कितनी गीली हो चुकी है क्यूंकी उपर से खुद पानी बरस रहा था.

"म्*म्म्मममममह......... कुशालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल.......... आइ........ लव.......... यू..........." प्रीति अपनी गान्ड को और कुशल के करीब ला रही जिससे कि कुशल और आसानी से उसकी चूत को चाट सके.

कुशल ने भी जैसे उसे जीभ से ही चोदना शुरू कर दिया था. अपनी जीभ को वो गोल घूमाकर बार बार उसकी उसकी चूत के थोड़ा सा अंदर ले जाकर बाहर ला रहा था.

" ईई आआईयईईई...... म्*म्म्मममममममम...... लव........... मी प्लीज़............. प्लीज़ भाई और......... प्लीज़..... प्रीति ने भी पूरी ताक़त से कुशल को इन्वाइट करना शुरू कर दिया था.

कुशल मे अपनी फिंगर को भी प्रीति की चूत मे घुसा दिया- " आआहह...... आराम से कर प्लीज़........." कुशल की उंगली और भी ज़्यादा कमाल कर रही थी.

अंदर बाहर और अंदर बाहर..... प्रीति की चूत का तो जैसे तार तार हिला दिया था कुशल ने -" ओह...... आआहह....... म्*म्म्मममममममममममममममममम...... आईसीई हीईीईईईईईईईईईईईईईईईईई.......... ईश्ह्ह्ह्ह्ह......"

काफ़ी देर तक ऐसे ही रहा लेकिन कुशल जानता था कि जो ग़लती पहले हुई वो आज नही होनी चाहिए यानी कि प्रीति की चूत से फाइनल पानी नही निकालना चाहिए. यही सोच कर वो अपने लिप्स को उसकी चूत से हटा कर सीधा खड़ा होता है और उसकी गान्ड पे एक चपत लगता है. प्रीति धीरे धीरे फिर से होश मे आती है और पंकज की तरफ घूमती है. घूमते ही उसका सर चकरा जाता है कुशल के मोटे लगडे लंड को देख कर लेकिन आज वो कुच्छ नही बोलती और चुप चाप घुटनो के बल बैठ कर अपने होठ कुशल के लंड पर रखती है. ठीक पहले की ही तरह उसे इस बार भी अच्छी ख़ासी मेहनत करनी पड़ी उसे अपने मूँह मे लेने के लिए लेकिन किसी भी तरीके से उसने उसके लंड को अपने मूँह मे लिया और उसे चूसना शुरू करती है और उसे आगे पीछे करना शुरू करती है.

जैसे ही कुशल की नज़रे नीचे की तरफ जाती है तो उसे तीन चीज़े बहुत सॉफ दिखाई देती है - प्रीति के लिप्स, लिप्स मे अपना विशाल लंड और उसके बूब्स. कुशल भी अच्छी तरीके से एग्ज़ाइटेड था लेकिन वो प्रीति को शो नही कर रहा था क्यूंकी आज वो बिना चूत मारे नही रह सकता था.

प्रीति अपनी सेक्सी आइज़ को उपर करके भी देखती है लेकिन कुशल उसे ऐसे शो नही करता कि वो ज़्यादा एग्ज़ाइटेड है.

" प्रीति.......????" कुशल के मूँह से आवाज़ निकलती है जिसकी वजह से प्रीति उपर की तरफ देखती है. अभी भी कुशल का लंड उसके मूँह मे ही था, इसी सिचुयेशन मे वो कुशल से पूछती है कि क्या बात है. ये बात भी वो इशारे मे पूछती है.

" आअज...... प्लीज़....... अपनी चूत दे दे.............." कुशल अपनी आँखे बंद करते हुए कहता है.

प्रीति चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है. अब वो अपने लिप्स को उसके लंड से हटाती है.

बिना शरमाये वो बाथरूम की स्लॅप की तरफ चलती है और उस पर चढ़ कर बैठ जाती है. कुशल उसकी ये सब अदाए बड़ी बारीकी से देख रहा था. प्रीति अपनी एक टाँग को थोड़ा सा उठाती है और स्लॅप की दूसरी तरफ रखती है --- उफफफफफफ्फ़ अब प्रीति की चूत ठीक कुशल के सामने थी.

प्रीति एक स्माइल के साथ अपने एक हाथ को आगे लाकर उस पर थूक लगाती है और उसी हाथ को अपनी चूत पर ले जाकर मसलने लगती है जैसे कि कुशल को इन्वाइट कर रही हो कि आ और मार ले मेरी चूत.

कुशल आगे बढ़कर प्रीति को किस करता है प्रीति भी अपनी बाँहे कुशल के गले मे डाल देती है. कुशल उसका एक हाथ पकड़ कर नीचे ले जाकर अपने लंड पर रखता है लेकिन प्रीति उसे पकड़ने की बजाय उसे हटा लेती है.

" क्या हुआ........?" कुशल अपने सवाल को पुछ्ता है.

" अगर मैं....... इसे अब टच करूँगी तो शायद अंदर नही ले पाउन्गि. मेरी पुसी छोटी सी है और ये तो....... प्लीज़ अब देर मत कर......" प्रीति भी कुशल को इन्वाइट करती है

कुशल भी अपने हाथ पे थोड़ा सा थूक लगा कर अपने लंड पर मसलता है और उसे भिगा कर प्रीति की चूत पर लगाता है.

प्रीति अपनी आँखे बंद कर चुकी थी और अगले स्टेप के इंतेज़ार मे थी. कुशल अब अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ रहा था.......... खचह........ एक झटका लगाता है..... थोड़ा सा सुपाडा अंदर चला जाता है.

"आआआआआआआहह............." बाथरूम मे ऐसे साउंड हो जाता है जैसे कि कहीं आग लगी हो. ये साउंड पूरे घर को गूंजा देता है. ये साउंड किसी और का नही बल्कि प्रीति की चीख थी, प्रीति की आँखे तो जैसे उसकी बॉडी से बाहर आने को तैयार थी.

कुशल की खुद हालत खराब हो गयी थी इतनी टाइट चूत मे लंड जाने से. एक तरफ तो पेन और उपर से प्रीति का इतना तेज चिल्लाना........ कुशल खुद थोड़ा नर्वस हो चुका था लेकिन लंड बाहर नही निकाला था उसने...

सिमरन -" सुन, अब जब तू बस स्टॅंड पे अपने डॅड से मिलेगी तो वहीं पे उन्हे हिंट देना है कि तू शुवर नही है कि कॉलेज ने जो तेरे रहने की जगह अरेंज की है वो कैसी है. तो वो खुद ही तेरी जगह अपने होटेल मे करा देंगे......."

आराधना -" लेकिन यार अगर उन्होने कहा कि कॉलेज मे फोन मिलाओ और पता करो कि जगह कैसी है तो मैं क्या कहूँगी.......?" आराधना ने टेन्षन मे अपने माथे पे हाथ रखते हुए बोला

सिमरन -" तो इसका मतलब होगा क़ी उन्हे तुझमे इंटेरेस्ट ही नही है. फिर कुच्छ नही हो सकता मेरी रानी....."

आराधना -" यार ऐसा मत बोल प्लीज़...... मुझे टेन्षन हो रही है....."

सिमरन -" चल जो होगा देखा जाएगा.......... अभी तू कुच्छ सोच मत और देख कि बस स्टॉप पर क्या होता है.... सब सही ही होगा..... ठीक है"

आराधना -" चल ठीक है. वैसे भी बस अगले 5 या 10 मिनिट मे दिल्ली पहुँच जाएगी.... मैं फिर तुझे अपडेट करूँगी कि क्या हुआ...... ओके"

सिमरन -" ओके चल बाइ........" आंड कॉल डिसकनेक्ट हो जाता है.

आराधना का चेहरा विंडो की साइड था. वो बस सोचे जा रही थी कि क्या होगा, उसके हाथ थोड़ा काँप रहे थे और चेहरा भी थोड़ा लाल हो चुका था.

खैर अगले 10 मिनिट मे बस कश्मीरी गेट पहुँच जाती है और पॅसेंजर्स नीचे उतरने लगते है. आराधना बस से उतर कर अपनी नज़रे चारो तरफ दौड़ती है लेकिन उसे पंकज कहीं दिखाई नही देता. वो काफ़ी देर से बस मे बैठी थी तो उसे टाय्लेट भी काफ़ी तेज आ रहा था. उसने टाय्लेट जाने का फ़ैसला किया और कुच्छ ही देर मे उसे लॅडीस टाय्लेट का आइडिया मिल गया.

वो टाय्लेट मे जाती है, गेट बंद करती है. टाइट पयज़ामी को नीचे करके पेशाब करने लगती है, पता नही कब्से रोक के रखा था कि इतने प्रेशर से बाहर आ रहा था. खैर अब वो खड़े होकर अपनी पयज़ामी को बंद करती है. जैसे ही वो गेट खोलने वाली थी उसके दिमाग़ मे एक आइडिया आता है.

वो अपने सूट के राइट शोल्डर को थोड़ा सा नीचे की तरफ करती है जिससे कि उसकी ब्रा का स्ट्रीप सॉफ दिखाई देने लगता है. अपनी चालाकी पर मुस्कुराते हुए वो बाहर आ जाती है. मिरर मे देख कर फिर से अपने लिप्स पर लाइट शेड लिपस्टिक लगाती है. और बाहर जाने लगती है.

बाहर आने पर वो फिर से बस की तरफ जाने लगती है क्यूंकी वो ही बस स्टॉप था और उसे पता था कि पंकज ज़रूर उसका वेट वहीं कर रहा होगा.

उसके जगह पर पहुँचने से पहले ही उसे पंकज दिखाई दे जाता है और वो शायद आराधना को ढूंड रहा था. इस टाइम पंकज की पीठ आराधना की तरफ थी.

आराधना की दिल की धड़कने बढ़ जाती है लेकिन प्लान के अकॉरडिंग वो रिक्ट करती है.

" डॅडीयीई............" आराधना पंकज को पुकारती है.

पंकज पलट कर देखा है और आराधना उसे हाथ हिला रही थी. प्लान के अकॉरडिंग आराधना पंकज की तरफ चलती है. दूसरी तरफ पंकज भी आराधना की तरफ चलता है.

थकककककक...... आराधना की हील्स आपस मे टकरा जाती है जिससे वो बस गिरने को होती है. ओह माइ गॉड........ क्या सीन था. उसका दुपट्टा नीचे गिरता है और उसके गोरे गोरे और मोटे मोटे बूब्स बस बाहर आने को तैयार हो जाते है. अपने हाथो से वो अपने दुपट्टे को उठाती है और उठाते उठाते एक नज़र पंकज पे डालती है जो बस मूँह खोल कर इस सीन को देख रहा था.

आराधना ने पहला शॉट मार दिया था. वो जानती थी कि पंकज को स्मृति की भी याद सताती होगी तो ऐसे कामुक सीन उसे किस सिचुयेशन मे ला सकते है.

खैर आराधना अपने आप को संभालती है और फिर से भाग कर पंकज को हग कर लेती है. पंकज भी अपनी बाँहे उसकी पीठ पे ले आता है.

आराधना ने तो जैसे पूरी ताक़त से अपने बूब्स पंकज के सीने मे गढ़ा दिए थे. पंकज की बॉडी लॅंग्वेज फिर भी नॉर्मल थी.

" कहाँ चली गयी थी...." पंकज ने आराधना से अलग होते हुए बोला. आराधना अपना बॅग उठाते हुए हँस कर उसे टाय्लेट वाली फिंगर दिखा देती है. फिर आराधना से बॅग लेकर पंकज पार्किंग की तरफ चल देता है.

बॅग को बॅक सीट पर रख कर पंकज ड्राइविंग सीट पे आता है और उसके अदर साइड मे डोर खोल कर आराधना आ जाती है. कार स्टार्ट होती है और पंकज उसे बस स्टॅंड से बाहर निकालने लगता है.

" डॅडी कैसी लग रही हू मैं........" आराधना अपनी आँखे दिखती हुई पंकज से पूछती है. आज वो बहुत हॅपी थी.

" अच्छी लग रही है लेकिन अचानक देल्ही आने का प्लान कैसे बन गया......." पंकज आराधना से पुछ्ता है

" वो.... वो.... डॅडी....... कॉलेज..... लेकिन आप क्यू पुच्छ रहे है. आपको मेरा आना अच्छा नही लगा........" आराधना पंकज की तरफ देखते हुए बोलती है. पंकज का चेहरा सामने की तरफ था क्यूंकी वो ड्राइविंग कर रहा था.

" नही..... नही ऐसी कोई बात नही है. मैं तो हॅपी हूँ कि तुम आ गयी. वैसे रहने का क्या प्लान है......?" पंकज आख़िर वही पुछ लेता है जिसका आराधना को डर था


" डॅडी.... कॉलेज ने तो एक होटेल बुक कर रहा है लेकिन मैं शुवर नही हू वो कैसी जगह है........ फिर भी मैं चली जाउन्गि...." आराधना सीरीयस होते हुए बोलती है.

" नही अगर होटेल के बारे मे शुवर नही हो तो फिर जाने की कोई ज़रूरत नही है.... वैसे भी ये देल्ही है. मैं एक काम करता हू कि अपने होटेल मे ही बुकिंग करा देता हू और एक कॅब फेसिलिटी अरेंज करा देता हू जो तुम्हे डेली पिक आंड ड्रॉप कर लेगी ...... " पंकज की बात से तो जैसे आराधना का मन खुश हो जाता है. और वैसे भी वो तो यही चाहती थी.

" ओके डॅड. जैसी आपकी मर्ज़ी........." आराधना ने ऐसा रिक्ट किया जैसे वो ज़्यादा हॅपी नही है.

करीबन 15 मिनिट की ड्राइव के बाद वो उस होटेल पहुँच जाते है जहाँ पंकज रूका हुआ था. आराधना अपने बालो को अच्छे से कोंब करके कार से उतरती है. पंकज फिर से बॅग लेता है और होटेल के अंदर चल देता है.

" कॅन आइ हॅव आ रूम फॉर माइ डॉटर........" पंकज रिसेप्षन पर जाकर पुछ्ता है.

" सॉरी सर... ऑल रूम्स आर फुल्ली बुक्ड. रूम्स बस दो दिन के बाद ही अवेलबल है........" रिसेप्षन गाइ का रिप्लाइ नेगेटिव था.

पंकज आराधना को लेकर होटेल रिसेप्षन से थोड़ा दूर आता है. " आरू बेटा चल किसी और होटेल मे ट्राइ कर लेते है वैसे भी यहाँ होटेल आस पास ही है..." पंकज आराधना को समझाता है.

" डॅड बस दो दिन की ही तो बात है.... क्यूँ ना मैं आपके साथ ही रह लू......" आराधना ने तो बस जैसे उस होटेल से जाना ही नही चाहती थी.

" लेकिन..... वो..... बेटा....... लेकिन......" पंकज सोच मे पड़ जाता है.

" पापा आप मुझे बता सकते है..... मैं आपकी बेटी हू और समझदार भी हू..... बताइए कि परेशानी क्या है" आराधना भी कुशल के दिल का डर निकालना चाहती थी.

" वो बेटी...... मेरा रूम तो बस सिंगल बेड रूम है........." पंकज ने आख़िर रीज़न बता ही दिया.

" डॅड....... क्या आपको मैं मोटी नज़र आती हू........" आराधना ने सीधा खड़े होते हुए कहा. वो बहुत इनोसेंट बनते हुए सब कुच्छ कह देना चाहती थी और कह भी चुकी थी.

" नही वो ऐसी बात नही है......" इससे पहले कि पंकज कुच्छ कहता आराधना उसका हाथ पकड़ती है और लिफ्ट की तरफ चल देती है.

" वैसे भी फालतू पैसे खर्च होंगे डॅड....... कुच्छ दिन की ही तो बात है...." आराधना ज़बरदस्ती पंकज को उसके रूम की तरफ ले जाती है.

" ओके..... जैसी तेरी मर्ज़ी......." पंकज भी आगे की तरफ चल देता है. अब वो अग्री था आराधना वाले प्रपोज़ल पे कि वो एक ही रूम मे रह लेंगे......

पंकज का रूम सेकेंड फ्लोर पे था. वो लिफ्ट लेकर उपर चले जाते है. आराधना के हाइ हील्स के साउंड से पूरा फ्लोर गूँज रहा था, पंकज भी हैरान था कि कैसे आराधना अपनी गान्ड मटका मटका के चल रही थी.

रूम के बाहर पहुँच कर पंकज गेट खोलता है और गेट खुलते ही आराधना सामने जाकर बेड पे लेट जाती है.

" ओह्ह डॅड...... आइ आम सो टाइयर्ड आंड हंग्री.........." आराधना सीलिंग की तरफ देखते हहुए बोलती है.

" ठीक है तो तुम फ्रेश हो जाओ फिर नीचे लॉबी मे चलते है खाना खाने...."

" डॅड मुझे खाने की भूख नही बल्कि जिस्म की भूख है...." आराधना अपने मन मे ही बड़बड़ाती है.

थोड़ी देर बाद उठ कर वो बाथरूम मे चली जाती है फ्रेश होने के लिए. अंदर घुसते ही उसे अपने डॅड की फ्रेंची दिखाई देती है. आराधना गेट बंद करने के बाद उस फ्रेंची को उठाती है और उसे देख कर काफ़ी रोमॅंटिक हो जाती है. उसे ख्याल आ रहे थे कि यही है वो कपड़े का एक छोटा सा टुकड़ा जिसमे डॅड का एक मस्त हथियार छुपा होता है.

वो अपने डॅड की फ्रेंची पे किस करती है और फिर अपने कपड़े उतारने लगती है. सबसे पहले अपना दुपट्टा हटा कर वॉश बेसिन के करीब रखती है और मिरर मे अपने क्लीवेज को देख कर मस्त हो जाती है और हो भी क्यू ना.

अपना सूट, पाजामी, ब्रा, पैंटी सब कुच्छ उतार कर वो अपने बाथटब की तरफ बढ़ती है. उसने अभी कुच्छ नही पहना था, कितना मस्त बदन था उसका ये अहसास खुद आराधना को भी नही था. उसे वॉश बेसिन मे सिगरेट के छोटे छोटे टुकड़े दिखाई देते है और वो समझ जाती है कि ये डॅड ने ही स्मोकिंग की है.

वो बहुत हॅपी थी कि पहली बार उसे अपने डॅड का बातरूम शेर करने का मौका मिला है. शवर को ऑन करके वो नहाना शुरू करती है. उसके गरम बदन पे गिरता हुआ ठंडा पानी उसकी बाथरूम की तपिश को और बढ़ा रहा था. उसने अच्छे से शॅमपू किया और अच्छे से नहाई.

ओल्ड फिल्मी स्टाइल मे उसने अपने अगले प्लान को यूज़ किया-

" डॅड..... डॅड........" बाथरूम के अंदर से ही आराधना पंकज को आवाज़ देती है.

" हाँ बेटा....." पंकज उसकी आवाज़ सुनकर बोलता है.

" डॅड..... वो मैं कपड़े लिए बिना ही बाथरूम मे आ गयी... प्लीज़ आप मेरा बॅग खोल कर एक स्ट्रिंग वेस्ट टाइप ड्रेस होगी क्या आप वो दे देंगे. टवल मैने आप ही का यूज़ कर लिया है........"

पंकज आगे बढ़ कर आराधना का बॅग खोलता है. सबसे पहला आइटम ही उसमे आराधना की पुश अप ब्रा थी. पंकज उसे हाथ मे लेकर देखता है और फिर साइड मे रख देता है, उसके दिल मे डाउट था कि आराधना कुच्छ बाथरूम के अंदर तो लेकर नही गयी तो क्या उसे ब्रा नही चाहिए होगी. वो क्या काम करता है कि ब्लू स्ट्रिंग टॉप के साथ उसकी ब्रा भी अंदर दे देता है.

वो बाथरूम का गेट नॉक करता है. आराधना थोड़ा सा गेट खोलती है, उसकी सेक्सी आइज़ पंकज से मिलती है. वो अपने एक नंगा शोल्डर भी पंकज को दिखा देती है, उसके गीले बाल, भीगे होंठ, सेक्सी आइज़, और फेस पे जो ग्लो था उसका असर पंकज पे भी था. खैर आराधना गेट खोल कर कपड़े लेती है और गेट बंद कर लेती है.

आराधना को आइडिया भी नही था कि पंकज ने उसे उसकी ब्रा भी दे दी है. लेकिन जब उसने खोल कर देखा तो उसे पता चला को पंकज ने उसे उसकी ब्रा भी दे दी है. आराधना को इस बात पे हँसी आ जाती है और वो गेट खोल कर ब्रा को साइड मे थ्रो कर देती है.

" डॅड इस स्ट्रिंग टॉप के साथ ब्रा नही पहनी जाती है.........." आराधना ने बिंदास होकर ये बात बता दी.

पंकज भी उसकी इस बात पे हैरान था. आराधना अपने हेर को ड्राइ करके और उस ब्लू टॉप को पहन कर बाहर आती है.

ओ माई गॉड..... ये पंकज पर एक और अटॅक था. जो टॉप आराधना ने पहना हुआ था वो एक दम डीप नेक था और उसके नीचे ब्रा ना होने से तो जैसे उसके आधे से ज़्यादा बूब्स विज़िबल थे. आराधना बेहद सेक्सी लग रही थी, पंकज जैसे तैसे अपना ध्यान हटाता है. लकिन ये बेहद मुश्किल भी था क्यूंकी आराधना अभी एक कछि और कसी हुई काली थी.

बाहर आते ही आराधना रूम मे रखे ड्रेसिंग टेबल के सामने आकर फिर से थोड़ा सा लिप ग्लॉस लगाती है.

" चले........???" आराधना स्टाइल मे पंकज से पूछती है. लेकिन पंकज तो पता नही कौन सी दुनिया मे खोया हुआ था.

" डॅड....." आराधना थोड़ी तेज आवाज़ मे बोलती है.

" यस.... यस बेटा.... लेट'स गो......" और पंकज उठ जाता है. पंकज के लिए बड़ा मुश्किल हो रहा था आराधना की तरफ देखा क्यूंकी वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
दोनो ग्राउंड फ्लोर लॉबी मे आ जाते है. पंकज दो प्लेट मे डिफरेंट नॉर्थ इंडियन फुड लेकर आ जाता है. आराधना जिस तरीके से हंसते हंसते पेश आ रही थी, उस जगह पे सबसे सेक्सी लग रही थी.

आज आराधना जैसे अपनी लाइफ जी रही थी. खुल कर हँसना, आज़ाद कपड़े पहन ना एट्सेटरा. उसके चेहरे की हँसी बता रही थी कि आज वो कितनी हॅपी है.

बीच बीच मे वो टेबल पर और झुक झुक कर खा रही थी. ये एक ऐसी सिचुयेशन थी जिसे कोई भी अवाय्ड नही कर सकता था, कहाँ आराधना अपना गला भी नही दिखने देती थी और आज उसके मस्त मस्त बूब्स बार बार बाहर आने को तड़प रहे थे.

पंकज की निगाहे भूले भटके वहाँ चली ही जाती थी और आराधना को अपनी बॉडी पे जैसे प्राउड हो रहा था कि उसने पंकज जैसे हाइ सेल्फ़ डिग्निटी वाले बंदे को भी अपनी तरफ अट्रॅक्ट कर रखा था. खास बात और अच्छी बात ये थी कि पंकज का बिहेव नॉर्मल था.

आराधना ठीक ऐसे रिक्ट कर रही थी जैसे कि वो अंजान है कि उसके बूब्स कैसे उच्छल रहे है.

थोड़ी देर बाद दोनो वहाँ से फ्री होते है और स्टेर्स की तरफ चल देते है. आज तो आराधना की चाल भी ऐसी थी वो किसी मॉडेलिंग रॅंप पर चल रही हो. उसके खुले हुए बाल पूरी गॅलरी मे खुसबु फेला रहे थे. जैसे ही वो स्टेर्स के करीब पहुँचते है तो वहाँ 'वेट फ्लोर' का साइन लगा हुआ था.

आराधना पंकज की तरफ देखती है जैसे उससे पुछ्ना चाह रही हो कि अब क्या करे.

" अब तो लिफ्ट यूज़ करनी पड़ेगी....." पंकज उसे रिप्लाइ करता है.

वो दोनो लिफ्ट की तरफ चल देते है. पंकज बटन प्रेस करता है, उन दोनो के सिवाय वहाँ कोई और नही था. क्यूंकी होटेल काफ़ी फ्लोर का था तो लिफ्ट को नीचे आने मे थोड़ा टाइम लग गया.

लिफ्ट नीचे आती है और पहले पंकज अंदर जाता है. उसके पीछे आराधना भी अंदर घुस जाती है. अंदर घुसने के बाद पंकज अपना मूँह लिफ्ट के गेट की तरफ घुमाता है और ठीक इसी तरीके से आराधना भी. अब आराधना पंकज के सामने खड़ी थी, और उसके पीछे पंकज खड़ा था.

आराधना अपने हेर से एक क्लिप हटाती है और अपने बालो को हिलाती है. हिलते हुए बाल पंकज के चेहरे पर भी लग रहे थे लेकिन आराधना ऐसे रिक्ट कर रही थी जैसे उसे पता ना हो.

पंकज को उसके बालो की खुसबु मदमस्त कर रही थी लेकिन वो चुप था. अब आराधना वो कर देती है जिसका आइडिया पंकज को भी नही था.

वो अपने हेर क्लिप को लिफ्ट के फ्लोर पे गिरा देती है और उसे उठाने के लिए नीचे झुकती है. उफफफफफफफ्फ़....... पंकज क्या लिफ्ट की दीवारे भी पिघलने को तैयार हो रही थी. वो जैसे ही झुकती है तो उसका शॉर्ट टॉप उपर हो जाता है और उसकी थिन फ्लॉरल पैंटी दिखने लगती है. और साथ ही जब वो झुकती है तो तो उसकी गान्ड पंकज के लंड के वो बहुत करीब थी.

आराधना ने जैसे जान भुज कर उस छोटी सी क्लिप को उठाने मे भी टाइम लगा दिया. एनीवे लिफ्ट उपर आती और वो दोनो उपर आ जाते है.

" डॅड....., देल्ही ईज़ नोट दट बॅड..." और ये बोल कर वो पीछे मूड कर देखती है और अपने डॅड की जीन्स की ज़िप मे उसे टेंट दिखाई से जाता है.

अच्छी बात ये थी कि फ्लोर पे कोई और नही था. आराधना को जैसे अपनी सक्सेस नज़र आ रही थी क्यूंकी उसने पंकज के लंड को खड़ा करने मे तो सक्सेस पा ली थी.

" दिल्ली तो दिलवालो की है बेटी........." पंकज आराधना की बात का जवाब देता है. और दोनो फिर से रूम मे एंटर हो जाते है.

पंकज रूम मे सीधा जाता है और सामने रखी एक चेर पे बैठ जाता है. फिर वो अपनी पॉकेट से सिगरेट बॉक्स निकालता है और उसमे से एक सिगरेट निकाल कर अपने मूँह मे लगाता है. उसकी नज़रे इधर उधर जाती है लाइटर के लिए. तभी आराधना उसकी ओर चल कर आती है और झुक कर लाइटर जलाती है. जैसे कि उसने ब्रा नही पहनी थी तो उसके झुकने से फिर से उसके बूब्स पंकज की आँखो के सामने आ गये. सेक्सी आइज़, रॉयल चीक्स, जुवैसी लिप्स, मस्त बूब्स और मस्त क्लीवेज, पंकज की तो हालत हर तरह से खराब करने पर तुली थी आराधना.

" थॅंक यू..... " पंकज आराधना से बोलता है क्यूंकी उसने उसकी सिगरेट जलाने मे हेल्प करी.

" युवर वेलकम....." आराधना फिर से स्माइल करके और अपने आप को झुका कर उसका अभिवादन स्वीकार करती है.

पंकज बड़े गौर से आराधना को देख रहा था.

" बेटा एक बात पुछु........?" पंकज बड़ा सीरीयस होते हुए आराधना से पुछ्ता है.

" हाँ हाँ शुवर डॅड......." आराधना बेड पर बैठते हुए बोलती है.

" क्या तुम भी स्मोकिंग करती हो.......?" पंकज क्वेस्चन करता है.

" व्हाट.... ये कैसा सवाल है. क्या आपको मेरे लिप्स ऐसे लगे......." आराधना फिर से फन्नी मूड मे बोलती है.

" नही ऐसे ही पुच्छ रहा था. वैसे भी आज कल तो ये चलता है.... सिमरन भी तो करती है......." पंकज फिर से स्मोक को हवा मे उड़ाता हुआ बोलता है.

" फिर से सिमरन.... पता नही उस बिच ने ऐसा क्या कर रखा है जो हमेशा उसकी ही बाते चलती है." आराधना बेड पे बैठते हुए ही गुस्से मे बोलती है.

पंकज स्मोकिंग करते करते खड़ा होता है और धीरे धीरे आराधना के पास आता है.

पास आने के बाद वो एक हाथ आराधना के बालो मे फिराते हुए बोलता है -

" बेटे सिमरन की बात तो इसलिए आ गयी थी क्यूंकी वो स्मोकिंग करती है और मैं अभी स्मोकिंग ही कर रहा था...........नही तो ऐसी तो कोई बात नही....." पंकज आराधना के सिल्की बालो मे हाथ फिराते हुए बोलता है.

आराधना अभी बेड ले बैठी हुई थी और पंकज खड़ा हुआ था. जिस वजह से आराधना का डीप नेक टॉप और भी डीप हो गया था. ये आदमी का नेचर है कि जब किसी लड़की के बूब्स दिखाई देते है तो वो अपनी आँखो पे कंट्रोल नही रख पाता और यहाँ तो आराधना फुल मूड मे थी.
अपनी छाती को थोड़ा सा और बाहर लाते हुए आराधना बोलती है-

" अगर गौर से देखोगे तो सिमरन और मेरे बीच बहुत फ़र्क है......" आराधना के चेहरे पर एक सेक्सी स्माइल थी. उसका इशारा शायद अपनी बॉडी की तरफ था.

पंकज अभी भी उसके बालो मे हाथ फिरा रहा था -" बेटे ज़्यादा गौर से नही देख सकता........ " और ये बोलते ही पंकज वापिस मूड जाता है और रूम के विंडो की तरफ देखने लगता है. वो काफ़ी सीरीयस था.

आराधना बेड से उठती है और धीरे धीरे पंकज की तरफ चलती है. पंकज के ठीक पीछे आकर खड़ी हो जाती है - " आख़िर ऐसी क्या चीज़ है जो आपको रोकती है डॅडी...." आराधना और पंकज के बीच मे बस उतना ही गॅप था जितना की आराधना के बूब्स का साइज़.

" मैं नही जानता........" पंकज एक सीधा रिप्लाइ करता है और जैसे ही मुड़ता है सीधा आराधना के बूब्स उसके सीने से टकराते है

" आहह........." आराधना के मूँह से एक सिसकारी निकल जाती है और उसकी आँखे बंद हो जाती है.

लेकिन पंकज अपने आप को संभालता है और धीरे से पीछे हो जाता है.

आराधना को उसका ऐसे पीछे होना अच्छा नही लगा और वो खुद थोड़ा आगे बढ़ती है.

" आख़िर आप मुझसे इतना डरते क्यू है ........" आराधना पंकज के कंधे पे हाथ रखते हुए बोलती है.

पंकज को पता नही क्या होता है और वो सीध मूड कर तेज कदमो के साथ दरवाजे के पास पहुँच जाता है.

" तुम आराम करो..... मैं थोड़ा ईव्निंग ड्रिंक लेने जा रहा हू और थोड़ा टाइम लगेगा......." पंकज की आँखे लाल थी. शायद उस पर भी असर हो रहा था. ये बोल कर वो दूरी बना कर के बाहर चला जाता है.

आराधना को उसका ये बिहेव बहुत अजीब लगा लेकिन वो समझ सकती थी कि मर्द और औरत के अलावा उनके बीच कोई और भी रिश्ता था. लेकिन आराधना इस नेगेटिविटी को भी पॉज़िटिव वे मे ले रही थी. और उसने नाइट प्लान बनाने शुरू कर दिए थे.

दूसरी तरफ -

हालाँकि सिचुयेशन तो घर पर काफ़ी बदल चुकी थी लेकिन फिर वहीं से शुरू करना ज़रूरी है ताकि स्टोरी मे क्लॅरिटी रहे.

प्रीति कुशल के लंड पे लगे ब्लड को देख कर हैरान हो चुकी थी. कुशल अभी भी ठीक उसके सामने खड़ा था लेकिन फिर भी प्रीति ने हिल कर थोड़ा सा उठना चाहा. उसकी चूत अभी भी दर्द से बहाल थी लेकिन प्रीति ने हिम्मत करके स्लॅप से नीचे देखा -

" ओ माई गॉड......... कुशल..... ये कितना...कितना ब्लड निकल गया........ " स्लॅप से नीचे देख कर प्रीति हैरान हो जाती है क्यूंकी कुशल की टाँगो से होता हुआ ब्लड फ्लोर पर आ रहा था.

प्रीति को परेशान देख कर कुशल उसके फोर्हेड को पकड़ कर प्यार से उस पर किस करता है और फिर उसकी आइज़ पर भी किस करता है.

" प्रीति, ब्लड तो निकलना ही होता है. इसमे हैरानी की क्या बात है. लेकिन अब तो तू सही फील कर रही है ना?" कुशल प्रीति मे माथे पे हाथ लगाता हुआ बोलता है.

" ब्लड...... और वो भी इतना........" प्रीति अब भी हैरान थी.

" तू ब्लड को मत देख, वैसे भी तुझे पता है कि फ्लोर पे ज़्यादा दिखाई देता है. वैसे तू कैसा फील कर रही है....." कुशल फिर से पुछ्ता है.

" बहुत दुख रही है............." प्रीति थोड़ा सा और सीधा होते हुए और अपनी चूत पे हाथ रखते हुए बोलती है. वो अब वॉश बेसिन वाली स्लॅप से नीचे उतरने की कोशिश कर रही थी.

लेकिन कुशल अपनी बाँहे बढ़ा कर उसे अपनी बाँहो मे ले लेता है. प्रीति भी अपनी बाँहे उसकी गर्दन मे डाल देती है. काफ़ी रोमॅंटिक सीन था ये क्यूंकी दोनो ने अभी तक कुच्छ नही पहना था. कुशल प्रीति को अपनी बाँहो मे लेकर बाथटब के पास लाकर खड़ी कर देता है.

प्रीति को अपनी टाँगो पर खड़े होने मे भी परेशानी हो रही थी. पता नही कि वो चल भी पाती या नही. कुशल तभी शवर ऑन करता है और धीरे धीरे प्रीति को उसके नीचे ले जाता है. अपनी बॉडी पे पानी के गिरने से जैसे प्रीति को थोड़ी राहत मिलती है. कुशल उसके शोल्डर्स पे हाथ लगा कर उसकी थोड़ी मसाज स्टार्ट करता है. प्रीति की आँखे बंद हो चुकी थी, कुशल बॉडी रेफ़्रेशनेर उठाता है सबसे पहले उसे प्रीति की पीठ पर गिराता है.

अब कुशल प्रीति को जैसे नहला ही रहा था. उसकी पीठ को अच्छी तरीके से धोता है और बॉडी रेफ़्रेशनेर के झाग को आगे ले जाकर उसके बूब्स पे हाथ रख कर उन्हे भी मसलने लगता है. कुशल और प्रीति के बीचे अभी भी थोड़ा गॅप था तो कुशल थोड़ा सा आगे बढ़ता और प्रीति की पीठ से अपना सीना लगा देता है.

प्रीति तो जैसे एक डॉल की तरह थी और कुच्छ बोल नही रही थी. शायद उसकी चूत का पेन अभी भी कम नही था. कुशल अपने दोनो हाथ सामने ले जाकर उसके बूब्स पे रख देता है और उसके कानो के पास जाकर बोलता है -

" प्रीति क्या पेन ज़्यादा है.......?" कुशल की वाय्स थोड़ी ज़्यादा सीरीयस थी.

प्रीति अपनी बॉडी हिलाए बिना बोलती है -" मुझे ऐसे लग रहा है जैसे..... जैसे...... जैसे वहाँ कोई जखम हो गया है........" प्रीति का इशारा अपनी चूत की तरफ था

कुशल जैसे जल्दी जल्दी उसकी बॉडी को धोता है और शवर पाइप को उसकी उसकी चूत के करीब लाकर उसकी चूत पे शवर के थोड़े प्रेशर से पानी डालने लगता है. प्रीति की आँखे अभी भी बंद थी.

कुशल अब अपने एक हाथ मे शवर पाइप को पकड़ता है और दूसरे हाथ को प्रीति की चूत के पास ले जाता है.

" आहह.... कुशल प्लीज़...... बहुत पेन है........." प्रीति के मूँह से ऑटोमॅटिकली ही निकल जाता है. कोई भी उसकी आवाज़ सुन कर आइडिया लगा सकता था कि उसको पेन वाकई मे बहुत ज़्यादा था. लेकिन फिर भी कुशल प्यार से उसकी चूत के होंठो को खोलता है और शवर पाइप से पानी को बोछारे कर देता है.

" आअहह...... आआआअहहिईिइ......." प्रीति को पानी की ठंडी ठंडी बूंदे अपनी चूत के अंदर फील हो रही थी. लेकिन उसे आराम भी मिल रहा था, धीरे धीरे प्रीति अपनी टांगे खोलती है क्यूंकी अभी वो टांगे जोड़ कर खड़ी थी जिससे कुशल को ईज़ी आक्सेस नही था.

कुशल उसकी टांगे फेलाने के बाद पास मे रखी साबुन को उतता है और अपने दोनो हाथो पे लगाता है. उसके दोनो हाथ अब साबुन के झाग से भर चुके थे, वो अपने हाथो को फिर से प्रीति की चूत पे ले जाता है और उसे मसाज करने लगता है.

प्रीति को शायद थोड़ा आराम मिल रहा था. तभी तो वो आँखे बंद करके ऐसी ही खड़ी थी, कुशल अपने घुटनो के बल बैठ कर प्रीति की केर कर रहा था. ढेर सारा साबुन लगाने के बाद कुशल फिर से शवर पाइप उठता है और श्ह्ह्ह्ह्ह्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र....... के साउंड के साथ साबुन और झाग धीरे धीरे नीचे जाने लगता है.

जैसे जैसे वो पानी नीचे जा रहा था, मानो पत्थर खोद कर हीरा बाहर आ रहा हो, ठीक ऐसे ही प्रीति की चूत सामने आती जा रही थी. उसके होठ बिल्कुल खुल चुके थे. कोई भी देख कर आइडिया लगा सकता था कि वो चूत किसी मोटे लंड से चुदि है.

खैर प्रीति अब थोड़ी रिलॅक्स लग रही थी. प्रीति को अच्छे तरीके से सॉफ करने के बाद कुशल अपना टवल उठाता है और प्रीति को पोछ्ने लगता है. पता नही प्रीति को क्या होता है कि वो कुशल से टवल छीन कर बाथरूम के दूसरे कॉर्नर मे भाग जाती है. प्रीति पहली बार मुस्कुराइ कुशल को देख कर, उसने अपने अगले हिस्से को टवल से ढक रखा था. कितनी क्यूट लग रही थी वो.

प्रीति की एक तरफ चूत दूख रही थी तो दूसरी तरफ वो कुशल की केर देख कर इंप्रेस थी.

कुशल अब प्रीति की तरफ बढ़ता है और उसे अपनी गोद मे उठाता है. दोनो की नज़रे मिलती है, फन्नी मूड मे कुशल प्रीति को आँख मार देता है और प्रीति भी शरमाने की बजाय उसे रिप्लाइ मे प्यार से एक आँख दबा देती है और आगे बढ़ कर उसके लिप्स पर एक मस्त स्मूच करती है.

" लगता है लड़का तो ठीक ठाक है तू.................." प्रीति स्टाइल मे बोलती है, आज वो कुशल से काफ़ी इंप्रेस थी.

कुशल अपने रूम से बाहर ले जाकर उसे गोद मे लिए उसके रूम मे ले जाता है. और उसे उसके बेड मे ले जाकर आराम से लिटा देता है. अभी भी दोनो ने कोई कपड़ा नही पहना था.
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rocky123
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Re: फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (RESTARTED)

Post by rocky123 »

प्रीति को लिटाने के बाद कुशल उसकी वॉर्डरोब खोलता है और उसमे से एक ब्रा और पैंटी का मॅचिंग सेट निकालता है.

" तू क्यू टेन्षन ले रहा है. मैं.... मैं ये पहन सकती हूँ......" प्रीति ने उठते हुए बोला

" मुझे लगता है कि मुझे तेरी हेल्प करनी चाहिए...." कुशल सीरीयस होते हुए बोलता है.

प्रीति अब बेड से उतर कर खड़ी हो चुकी थी. उसकी चाल मे एक लड़खड़ाहट थी.

" चल अब चुप खड़ी रह और मैं पहनाता हू...." कुशल प्रीति के करीब आता है.

प्रीति एक झटके से अपनी ब्रा पैंटी उससे छीनती है " तू बस दूर खड़ा होकर देख....." प्रीति उससे बोलती है.

कुशल वहीं खड़ा होकर देखता है. थोड़ी हो देर मे वो दोनो चीज़े पहन चुकी थी. क्या कयामत लग रही थी वो, ऐसे लग रहा था कि वाकई मे किसी कली से कोई फूल निकला हो.

कुशल उसकी खूबसूरती से पागल हो चुका था और वो आगे बढ़ता है.

" दूर रह प्लीज़..... और काफ़ी देर से हम साथ हैं प्लीज़ तू नीचे का माहौल देख कर आजा....." प्रीति कुशल को समझाती है.

" उसके बाद.....?" कुशल सवालो भरी निगाहो से पुछ्ता है.

" यार मेरा तो बॅंड बज चुका है..... लेकिन बाते बाद मे पहले नीचे देख कर आ कि क्या सिचुयेशन है........"

कुशल नीचे चला जाता है.

दूसरी तरफ

हालाँकि आराधना शॉक्ड थी आख़िर कैसा क्या हो गया कि डॅड बाहर चले गये लेकिन फिर भी दिल पर बोझ ना रखते हुए वो आकर बेड पर लेट जाती है.

रूम के सीलिंग की तरफ देखते हुए वो मुस्कुरा रही थी.

" थॅंक यू........" अपने बूब्स की गहराइयो मे झाँकते हुए वो उन्हे खुद ही थॅंक यू बोलती है क्यूंकी उन्होने पंकज को अट्रॅक्ट करने मे पूरी भूमिका निभाई.

बेड पर सीधा लेटने के बाद उसके बूब्स का क्लीवेज उसे ही खुद ही एग्ज़ाइटेड कर रहा था. लेकिन जैसे वो अभी देल्ही मे नयी थी और उसे ये भी नही पता था पंकज को आने मे कितना टाइम लगेगा तो वो सोचने लगी कि वो क्या करे. फिर उसे याद आया कि क्यू ना सिमरन को फोन किया जाए और वैसे भी आराधना ने उसे बोला था कि वो पहुँचने के बाद फोन करेगी. वो उठ कर अपना फोन उठाती है और मिलाती है

सिमरन - "हाँ बेटा...."

आराधना - "हाँ मम्मा. मैं देल्ही पहुँच चुकी हू........" आराधना उसके बेटे वाले शब्द का रिप्लाइ करते हुए बोलती है.

सिमरन -" और सुना अभी कहाँ है......?"

आराधना -" अभी तो मैं....... अपने डॅड के बेड पर लेटी हू........" आराधना बड़े ही सेक्सी अंदाज मे बोलती है.

सिमरन -" इतनी जल्दी बेड पर भी पहुँच गयी...... बहुत फास्ट है यार तू तो..... डॅड कहाँ पर हैं?"

आराधना -" यहाँ नही हैं..... बोल कर गये हैं कि अपनी ईव्निंग ड्रिंक लेने जा रहा हू....मैं उन्ही के रूम मे रुकी हू पर पता नही आज रात क्या होगा..." आराधना सीरीयस होते हुए बोल रही थी.

सिमरन -" ओह्ह यस.... अब तेरा काम हो जाएगा..... पक्का. अकेला रूम, तुझ जैसा हॉट माल रूम मे और उपर से ड्रिंक...... तुझसे देख कर तो नमार्द का भी खड़ा हो जाए और तेरे डॅड तो एक ताकतवर इंसान है..... मेरी रानी तेरी तो फट जाएगी आज रात गारंटी से......" सिमरन उसे और भी एरॉटिक स्टाइल मे समझाती है.

आराधना-" बहुत मेहरबान है मुझपे तू.... क्या बात है क्या कर रही है अभी....."

सिमरन -" मेरी जान...... अपने वॉशरूम मे हू....... एक हाथ मे बियर है और दूसरे हाथ मे मेरा प्यारा डिल्डो है..... मुआाहह...." सिमरन अपने टॉय डिल्डो को किस करती है

आराधना -" तो.... तो क्या तू.... तू मास्टरबेट कर रही है........?" आराधना झिझकते हूर पूछती है.
सिमरन -" येस्स्स्स्स्स....." उसकी आवाज़ ऐसी थी जैसे डिल्डो उसने अपनी चूत मे घुसा लिया हो.......

आराधना -" मस्त गर्ल है यार तू.... लाइफ को एंजाय करती है. क्या साइज़ है तेरे डिल्डो का......" आराधना भी इंट्रेस्टेड होने लगी थी.

सिमरन -" ज़्यादा नही 7 इंच है......" सिमरन तो जैसे हवा मे ही थी.

आराधना -" लेकिन.... तेरा तो बॉय फ्रेंड है ना.... फिर तू डिल्डो क्यू यूज़ करती है......."

सिमरन -" मेरी जान..... वो मेरी चूत मारने के बाद भी मास्टरबेट कर लेता है तो क्या मैं नही कर सकती......?"

आराधना -" तुझे कैसे पता कि वो मास्टरबेट करता है......."

सिमरन -" कम ऑन यार बोर मत कर...... हम अक्सर नाइट मे फोन सेक्स भी करते है..........."

आराधना -" फोन सेक्स??? कैसे करते हो........."

सिमरन - " थोड़ी डर्टी और रोमॅंटिक टॉक...... मैं इधर अपने डिल्डो से मास्टरबेट करती हू और वो उधर अपने कॉक को हिला कर मास्टरबेट करता है...... ऐसे करते है फोन सेक्स....."

आराधना-" ओह माइ गॉड...... यू आर रियली डर्टी गर्ल....."

सिमरन -" मेरी जान जितनी डर्टी थिंकिंग तुम अपने पार्ट्नर के लिए रखोगी वो तुम्हे उतना ही सेक्सी कहेगा. नही तो घूँघट करके बैठने से तो इज़्ज़त मिलेगी नही....."सिमरन की बाते आराधना के सर को घुमा रही थी. वैसे ही वो जिस सिचुयेशन मे थी वो इतनी कामुक थी और दूसरी तरफ सिमरन की ये बाते उसे और पागल कर रही थी.

आराधना -" सेक्सी गर्ल.... मुझे भी तो आगे हिंट दे कि क्या करू.... मुझे बड़ी बेचैनी हो रही है....." आराधना अपने हाथ से ही अपने बूब्स को मसलते हुए बोलती है.

सिमरन -" काश मैं लड़का होती तो तेरी बचैनि मिटा देती...... आराधना सच मे ऐसी बॉडी है तेरी की अच्छे अच्छे का पानी निकल जाए....."

आराधना -" बाते ना बना और जल्दी बता...... अब नेक्स्ट स्टेप क्या है....."

सिमरन -" मेरी जान अब नेक्स्ट स्टेप तो तेरे डॅड को लेना है. तू बस अपने हुष्ण का दीदार करती रह उनको......"

आराधना-" चल ठीक है फिर मैं तैयारी मे लग जाती हू...... तू लगी रह अपने डिल्डो के साथ....."

सिमरन -"कभिईीईईईईई...... तू भी ट्राइ कर ना मेरे साथ......... आअहह....... तू मैं और ये........... तुझ जैसे पार्ट्नर के साथ तो पुच्छ मत...... ओह आरू...... यू आर वेरी हॉट....... आहह......."

आराधना -" ओये लगता है तुझे बियर चढ़ गयी है....... तू मस्त रह.... ठीक है..... आज रात मेरे लिए बहुत स्पेशल है तो टाइम वेस्ट मत कर......."

सिमरन - " अरुउुुउउ......" आराधना को फुच्च फुच्च की आवाज़े भी आ रही थी, वो समझ गयी थी कि वो डिल्डो उसकी चूत मे स्पीड से अंदर बाहर हो रहा है.

आराधना -" चल बाइ......." और वो फोन डिसकनेक्ट कर देती है लेकिन आज वो एक अलग ही रूप देख लेती है सिमरन का.

लेकिन आज वो इन सब बातो को सोचने के मूड मे नही थी क्यूंकी उसका प्लान खुद के लिए था.

ईव्निंग हो चुकी थी, बस रात और ईव्निंग के बीच का टाइम चल रहा था. आराधना बेड से उठती है और फिर से बाथरूम मे जाती है, सिमरन की बातो से पता नही उसकी चूत भी गीली हो गयी थी. वहाँ बाथरूम मे पेशाब करके वो अपने आप को रिलॅक्स करती है.

अब अपने आप को तैयार करने की सोचती है. बाथरूम से बाहर आकर वो अपने बॅग को खोलती है और एक के बाद एक अपने सारे कपड़ो को देखती है. उसके पास एक से एक एरॉटिक क्लॉत्स थे, वो सभी पर एक नज़र डालती है लेकिन तभी उसकी नज़र सामने चेर पर रखी एक वाइट शर्ट पर पड़ती है.

ये शर्ट पंकज की थी. जो कि वाइट और थोड़ी ट्रॅन्स्परेंट थी, आराधना के माइंड मे आज एक डिफरेंट प्लान आता है.

वो आगे बढ़ती है और उस शर्ट को उठाती है, फिर आगे बढ़कर अपने बॅग मे फिर से कुच्छ ढूँढने लगती है. और बाद मे से ढूँढ कर एक वाइट पैंटी निकालती है. उस पैंटी को अपने हाथ मे लेने के बाद उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी.

वो शर्ट और पैंटी को लेकर खड़ी होती है और रूम के लास्ट कॉर्नर मे जाकर खड़ी हो जाती है.

सबसे पहले वो अपने उस ब्लू स्ट्रिंग टॉप को उतारती है. नीचे ब्रा नही पहनी थी तो उसके बूब्स आज़ाद थे अभी, खुद आराधना भी अपने बूब्स के साइज़ को देखकर हैरान थी. कितने मस्त लग रहे थे वो दो अनमोल रतन.

अपनी पैंटी को उतारने के बाद वो उस वाइट पैंटी को पहनती है. अभी फिलहाल उसकी पीठ डोर के रूम की तरफ थी. अभी उसकी बॉडी पर बस एक पैंटी थी, उसका प्लान ब्रा पहन ने का भी था लेकिन क्या सोच कर उसने कॅन्सल कर दिया और डाइरेक्ट शर्ट पहन ली. शर्ट की हाइट बस पैंटी से थोड़े नीचे थी.

खुले हुए सिल्की और स्टाइलिश बाल, चिकनी बॉडी, नाइल पैंट लगे सेक्सी हॅंड्ज़, मस्त सुडोल गान्ड...... अपने आप पर प्राउड कर रही थी आराधना.

वो अभी भी अपनी पीठ करके ही खड़ी और मस्ती मे अपने कमर को हिला रही थी. शर्ट को खींच कर उसने थोड़ा सा आगे कर लिया था, शर्ट उसकी पतली सी कमर के अंदर घुस चुकी थी. तभी पीछे से गेट खुलता है

धड़क्क्क...... और पंकज की निगाहे आराधना पर थी.

" ओह्ह सॉरी......." पंकज ऐसी सिचुयेशन मे आराधना को देख कर बाहर जाने लगता है.

आराधना पीछे मूड कर आश्चर्य से देखती है.

" आइ.... आम सॉरी. मुझे गेट बंद करके चेंज करना चाहिए था. लेकिन अब बाहर क्यू जा रहे है....." ये बोल कर वो सामने की तरफ घूम जाती है. जो शर्ट उसने फोल्ड करके कमर से बाँधी हुई थी वो भी अब खुल चुकी थी. अब आराधना का फ्रंट पोर्षन पंकज की तरफ था,

पंकज गेट के बाहर जाते जाते रुक जाता है और गेट को अंदर रहते हुए ही बंद करता है. अभी भी उसकी नज़रे आराधना के जिस्म पर ही थी.

" तो क्या ले आए आप...." अपने दुपट्टे को अपनी कमर से लपेट कर बाँधते हुए वो पंकज से पूछती है.

आराधना की पैंटी एक ट्रॅन्स्परेंट दुपट्टे के नीचे थी. कहने को तो आराधना ने इसे ढक लिया था लेकिन दिख अभी भी सब कुच्छ पहले जैसा ही रहा था.

" कुच्छ नही...... बस एक बॉटल ले आया हू अपने लिए... और कुच्छ स्नेक्स हैं......." पंकज अंदर आते हुए बेड पर सारा सामान रखते हुए बोलता है.

" कैसी लग रही हू मैं आपकी शर्ट मैं....." आराधना खुशी से अपने आप को घूमाते हुए बोलती है.

" ग्रेट..... ऐसे एक्सपेरिमेंट्स होते रहने चाहिए...." पंकज भी जैसे उसे हिम्मत दे रहा था.

सामान रखने के बाद पंकज वॉशरूम मे जाता है शायद अपने हॅंड वाश करने के लिए. जिस दौरान आराधना ने अपनी पैंटी ढुंडी थी उस दौरान उसने अपने बॅग को बुरे तरीके से फैला दिया था, सो नीचे झुक कर उसे फिर से अड्जस्ट करने लगती है.

वॉशरूम के अंदर पंकज जैसे ही एंटर होता है, उसे डिफरेन्स फील होता है. ये आराधना की खुसबु थी जो बाथरूम से आ रही थी, हाथ धोने के दौरान पंकज की निगाह आराधना की ब्रा पर पड़ती है जो कि उसने सूट उतारने के दौरान वहीं छोड़ दी थी.

ये पंकज के लिए एक अलग एक्सपीरियेन्स था. आज तक उसका बाथरूम शेअर् बस उसकी वाइफ के साथ हुआ था, अगर कभी बाथरूम मे अंडरगार्मेंट्स देखे भी होंगे तो सिर्फ़ स्मृति के ही देखे थे वॉशरूम मे.

पंकज का माइंड हुआ कि वो उस ब्रा को टच करे लेकिन शायद उसकी मेचुरिटी ने उसे रोक दिया. वो अपने फेस को वॉश करता है और टवल से क्लीन करते हुए बाहर आ जाता है.

आराधना जैसे झुक कर अपने बॅग के सामान को लगा रही थी तो शर्ट के खुले हुए बटन्स ने उसके बूब्स को फिर से एक बार पंकज के सामने परोस दिया था. टवल से क्लीन करते करते पंकज रुक जाता है क्यूंकी उसे बेदाग, सुडोल, गोल और ठोस चुचियाँ नज़र आ गयी थी. आराधना भी अपनी निगाहे उठा कर पंकज को देखती है, पंकज अपना मूँह खोल कर सिर्फ़ आराधना के बूब्स को देख रहा था.
आराधना ने परवाह ना करते हुए बॅग मे सामान को लगाना जारी रखा. पंकज जैसे तैसे अपना ध्यान वहाँ से हटाता है और फिर से टवल को बाथरूम मे टाँग कर बाहर आ जाता है.

" आराधना तुम माइंड तो नही करोगी अगर मैं ड्रिंक करू...... आक्च्युयली सालो से हॅब्बिट बन गयी है कि थोड़ी सी ड्रिंक करके ही बेहतर नींद आती है.. " पंकज बेड पर बैठते हुए बोलता है. आराधना फ्लोर पर झुक कर बैठी हुई थी जो कि पंकज से मुश्किल से एक कदम की दूरी पर थी.

" कम ऑन डॅड.... इसमे पुच्छने वाली क्या बात है. मैं इतनी भी नॅरो माइंडेड नही हू....... " आराधना उसी झुकी हुई पोज़िशन मे रहते हुए बोलती है.

" थॅंक यू बेटा......" और पंकज अपनी शर्ट उतारने लगता है. शर्ट उतारने के बाद अब पंकज अपने बनियान मे था. वॉर्डरोब से वो एक हाफ स्लीव पोलो टीशर्ट निकालता है और उसे पहन लेता है.

दूसरी तरफ आराधना का बॅग भी फिट हो चुका था. और वो उसे उठा कर वॉर्डरोब मे रखने लगती है, पंकज को लगा कि उसे आराधना की हेल्प करनी चाहिए. वो आगे बढ़ता है और आराधना के हाथ से बॅग लेने लगता है. जैसे ही वो बॅग को टच करता है तो दो चीज़े एक साथ हो जाती है - एक तो उसका हाथ आराधना के सॉफ्ट हाथो से टच हो जाता है और दूसरा उसकी एल्बो आराधना के लेफ्ट बूब से टच हो जाती है.
आराधना ने भी हिम्मत से काम लेते हुए अपने आप उसी जगह खड़े रखा. दोनो की नज़रे मिलती है- आराधना की सेक्सी आइज़ पंकज को थोड़ा हिंट देती है लेकिन पंकज चेहरे को दूसरी साइड करते हुए बॅग उठा कर वॉर्डरोब मे रख देता है.

इसके बाद पंकज बिना आराधना की तरफ देखे बेड पे आकर बैठ जाता है. बैठने से पहले एक छोटी सी टेबल को वो बेड के करीब रखता है.

आराधना उस रूम मे रखी चेर पर बैठ जाती है जोकि पंकज के बेड के ठीक सामने थी. पंकज टेबल पर अपनी बॉटल को रखता है और एक ग्लास भी.

" बेटे ज़रा फ्रीज़ से आइस देना....." पंकज आराधना से बोलता है. आराधना खड़े होकर फ्रीज़ खोलती है और आइस निकाल कर पंकज को दे देती है.

आराधना अब आकर फिर से चेर पर बैठ जाती है. जब वो चेर पर बैठ रही थी तो उसकी वाइट पैंटी विज़िबल थी जोकि आराधना के ट्रॅन्स्परेंट दुपट्टे से धकि हुई थी.

पंकज ग्लास मे एक पेग बनाता और उसमे दो आइस क्यूब डाल कर अपने ग्लास मे पीने लगता है. आराधना इधर उधर घूम रही थी चेर पर बैठे बैठे.

" और सुनाओ आरू बेटा.... कैसा चल रहा है तुम्हारा फॅशन डिज़ाइनिंग का कोर्स........" पंकज ग्लास का एक और सीप लेते हुए पुछ्ता है.

" एक दम सही चल रहा है डॅड.... आपको तो पता ही है कि फॅशन का तो आज कल बोलबाला है..... " आराधना ऐसे ही घूमते घूमते रिप्लाइ करती है.

" कह तो सही रही हो तुम लेकिन आज कल का टाइम फॅशन के नाम पर एक्सपोषर है......." पंकज की निगाहे अब आराधना से मिलती है.

आराधना बड़े स्टाइल मे चेर पर आगे की तरफ होती है और ज़्यादा झूक कर बोलती है -" लेकिन डॅड..... एक्सपोषर ही तो सब पसंद करते है...?" वो चेर पे ऐसे झुकी हुई ही थी कि पंकज शर्ट के अंदर उसके बूब्स को बिल्कुल सॉफ देख सकता है.

पंकज हड़बड़ा सा जाता है. आराधना के बूब्स ऐसे दिख रहे थे जैसे कोई 3डी मूवी चल रही हो.

" आप को भी तो वो सिमरन छोटे कपड़ो मे ही अच्छी लगती है......." आराधना फ्रिज से ऐसे झुके हुए ही पंकज से फिर से बोलती है.

पंकज अपने पूरे पेग को एक ही बार मे पी जाता है. लेकिन उसने आराधना की बात का जवाब नही दिया. वो अपने ग्लास मे एक और पेग बनाता है, और स्नॅक्स का एक पॅकेट उठा कर आराधना की तरफ फेंकता है.

" क्या आज...... आज तूने..... ब्रा नही पहनी है..........." पंकज थोड़ा सा झिझकते हुए आराधना से पुछ्ता है. शायद शराब का असर पंकज पर हो रहा था.

आराधना अपने आप को सीधा करते हुए चेर पर पीछे हो जाती है.

" नॉटी हो गये है डॅडी आप....." आराधना स्माइल करते हुए बोलती है, उसका इशारा शायद इसी तरफ था कि पंकज उसकी शर्ट के अंदर झाँक रहा था.

" नही..... नही... कुच्छ ग़लत मत समझ. मैं तो बस बाथरूम मे गया तो वहाँ तुम्हारी ब्रा देखी तो इसीलये पुच्छ रहा था..." पंकज फिर से अपने पेग का एक और सीप लेते हुए बोलता है.

" तो आपको कैसे पता कि मैने अभी कोई ब्रा नही पहनी...... हाआँ.... हो सकता है कि मैने वो उतार कर दूसरी पहन ली हो........" आराधान फिर से स्माइल करते हुए पूछती है.

" मुझे पता है कि तुमने ब्रा नही पहनी है..... इतना एक्सपीरियेन्स तो है मुझे...." पंकज भी अब एक स्माइल के साथ आराधना के बूब्स की तरफ देखते हुए बोलता है.

" यू आर रियली नॉटी........." और ये बोलकर वो हंसते हंसते चेर से खड़ी हो जाती है. अब उसकी नंगी टांगे भी पंकज के सामने थी. वो पंकज की तरफ देखते देखते वॉर्डरोब की तरफ फिर से बढ़ती है और वॉर्डरोब से अपने बॅग से मेक अप किट निकालती है. वॉर्डरोब मे खड़े होने के टाइम आराधना की गान्ड पंकज की तरफ थी. वो इसी सिचुयेशन मे पीछे मूड कर देखती है और पंकज को अपनी गान्ड को घूरते हुए देख कर स्माइल करती है.
अब वो ड्रेसिंग टेबल के करीब जाकर एक लिपस्टिक लगाने लगती है. इस लिपस्टिक का कलर थोड़ा लाइट चॉक्लेट टाइप था.

" रात मे कहाँ जाने की तैयारी हो रही है........." पंकज आराधना से पुछ्ता है.

" कल कॉलेज मे एक स्माल मेक अप सेशन है तो उसकी ही प्रॅक्टीस कर रही हू........" आराधना पंकज को ऐसे ही चलाते हुए बोलती है.

" वैसे इस शेड मे कैसी लग रही हू मैं..... " आराधना अपने चॉकलॅटी लिप्स को पंकज की तरफ दिखाते हुए बोलती है.

" सच बताऊ......" पंकज स्माइल करते हुए बोलता है.

" प्लीज़ सच ही बताएए...." आराधना रिक्वेस्ट करती है.

" एक दम सेक्सी......" पंकज भी अब अपनी बाउंडेशन खोलता जा रहा था.

सेक्सी शब्द सुनकर आराधना शरमा जाती है. और फिर से ड्रेसिंग टेबल की तरफ फेस कर लेती है.

पंकज अपना एक और पेग ख़तम कर चुका था.

आराधना अपनी आइज़ पर मास्कारा लगा रही थी. पंकज की निगाहे बस आराधना की गान्ड पर थी और आराधना सॉफ सॉफ ये मिरर मे देख सकती है.

" आऐईयईई......" आराधना अपने आँख लार हाथ रखते हुए चिल्लती है.

" क्या हुआ बेटा...." पंकज सीरीयस होते हुए बोलता है.

आराधना अपनी एक आँख पर हाथ रखते हुए पंकज की तरफ आकर बेड पर चढ़ जाती है.

" डॅड.... देखना शायद आँख मे कुच्छ गिर गया है......." आराधना बहुत जल्दी ही अपनी आँख को पंकज की आँखो के करीब ले जाती है. आराधना अभी पंकज के बहुत करीब थी.

चॉकलॅटी लिप्स और बूब्स तो जैसे बिल्कुल बाहर ही थे क्यूंकी शर्ट के उपर के बटन खुले हुए थे और शर्ट भी ट्रॅन्स्परेंट थी.

पंकज अपने हाथ को आगे बढ़ा कर आराधना की आँख खोलता है. लेकिन उसे उसने कुच्छ नही दिखाई देता. आराधना अभी पंकज के दोनो साइड अपने हाथ टिका कर डॉगी स्टाइल मे थी.

जब पंकज उसकी आँख चेक कर रहा था कि तभी आराधना का हाथ बेड पर फिसल जाता है

" आअहह........" और वो पंकज के सीने के उपर गिर पड़ती है.

पंकज का सीना और आराधना का सीना टकरा गया था. पंकज भी आराधना के गिरने से थोडा सा नीचे हो गया था.

अब आराधना उठने के लिए पंकज की बॉडी का सहारा लेती है. वो अपना हाथ जहाँ रखती है उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़, उसका हाथ पंकज के लंड पर जाता है.

पंकज एक बार को हड़बड़ा जाता है लेकिन फिर भी अपनी बॉडी को मूव नही करता. आराधना का हाथ पीछे की साइड था तो वो समझ नही पाई थी कि आक्च्युयली उसका हाथ है कहाँ पर. तो वो उस जगह को समझने के लिए हाथ दबाती है और सेकेंड मे ही उसे समझ आ जाता है कि वो लंड है. आप जान कर वो उस पर अच्छे से हाथ फिराते हुए खड़ी हो जाती है.

" सॉरी डॅड......." आराधना उसकी आँखो मे देखती हुई बोलती है

दोनो की आँखे टकराती है. आराधना तेज तेज साँसे ले रही थी और उसकी छाती उपर नीचे हो रही थी.

" कैसा लगा तुम्हे...........?" पंकज सीरीयस होते हुए आराधना से पुछ्ता है.

आराधना तो जैसे शॉक्ड हो गयी. उसको आइडिया नही था कि पंकज ऐसी बात पुच्छ लेगा.

" ठि..... ठि...ठीक है. बस साइज़ कुच्छ ज़्यादा है.........." आराधना भी थोड़ा सा झिझकते हुए बताती है

" हा हा हा हा..... मैं तो शर्ट पुच्छ रहा हू कि पहन कर कैसा लगा तुम्हे........" पंकज ये बात बोलकर हँसने लगता है.

" आप बहुत खराब हो....... जाओ मैं बात नही करती....." और आराधना बेड से उतरने लगती है.

तभी पंकज उसका हाथ पकड़ लेता है.

" छोड़िए ना........" आराधना का चेहरा लाल हो जाता है और वो बिना किसी बॉडी आक्टिविटी के वो बोलती है.

पंकज बेड से उतर कर आराधना के ठीक पीछे आकर खड़ा हो जाता है. बिना कुच्छ बोले वो अपने लिप्स आराधना की नेक पर रख देता है.

" आअहह............. ऊहह..." आराधना की आँखे बंद हो जाती है. पंकज ने उसे प्यार करना शुरू कर दिया था.

अब पंकज अपना एक हाथ आग ले जाकर शर्ट के बटन खोलने लगता है. बटन खोलते टाइम भी पंकज के हाथ आराधना के बूब्स को टच कर रहे थे जिससे आराधना की साँसे और तेज चल रही थी.

शर्ट अब आगे से पूरी खुल चुकी थी. अब एक झटके के साथ आराधना को अपनी तरफ घुमाता है. आराधना के नंगे बूब्स अब पंकज के सामने विज़िबल थे और आराधना की आँखे बंद थी.

पंकज एक झटके के साथ अपने होंठ आराधना के चॉकलॅटी लिप्स से जोड़ देता है और उन्हे पूरी ताक़त से चूसना शुरू कर देता है.

आराधान भी पूरी ताक़त के साथ पंकज के होठ चूस रही थी. आराधना के नंगे बूब्स अब पंकज की छाती मे घुसे जा रहे थे लेकिन पंकज ने अभी टीशर्ट पहनी हुई थी.

आराधना किस्सिंग को कंटिन्यू रखते हुए अपने दोनो हाथो से अपनी शर्ट को उतारने लगती है. वो बहुत तेज़ी के साथ ये काम करती है.

अपनी शर्ट उतारने के बाद वो पंकज की टीशर्ट को नीचे से पकड़ती है और उपर उठा लेती है. एक पल के लिए दोनो के लिप्स अलग होते है और टीशर्ट बाहर और फिर से दोनो के लिप्स चिपक जाते है.

पंकज ऐसे लिप्स को चूस रहा था जैसे की आराधना के लिप्स से कोई रस निकल रहा हो. आराधना फिर से अपना हाथ नीचे ले जाती है और उसके बनियान को पकड़ कर ठीक उसी तरीके से उतार देती है जैसे की उसने टीशर्ट उतारी थी.

अब दोनो छातिया नंगी थी. जब आराधना के बूब्स पंकज की छाती से टकरा रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि रूम मे चिंगारियाँ उठ रही हो. दोनो के सीने एक दूसरे मे समा जाने को तैयार थे.

आराधना की कपड़े उतारने की पहल से पंकज भी काफ़ी एग्ज़ाइटेड हो चुका था. किस्सिंग के दौरान ही आराधना अपना हाथ नीचे ले जाती है और उसके लंड को पॅंट के उपर से पकड़ कर दबाने लगती है. वो पत्थर बन चुका था.

आराधना अपने हाथ को लंड से हटाकर नीचे अपनी पैंटी पर ले जाती है और एक सेकेंड को किस्सिंग से हटकर उस वाइट पैंटी को उतार कर अपने पीछे फेंक देती है. आराधना ऐसे पेश आ रही थी जैसे कि कपड़ो से तो कोई दुश्मनी हो.
अब वो धीरे धीरे पंकज की आँखो मे देखते हुए उसे पीछे ले जाती है और वॉर्डरोब से टिका देती है. वो पंकज की बेल्ट खोलती है और उसकी जीन्स को नीचे कर देती है. नीचे करते ही उसके लंड का भयानक रूप उसके अंडरवेर मे था.

अब अंडर वेर को भी नीचे करके आराधना घुटनो के बल पंकज के सामने बैठ जाती है. अंडरवेर अलग होने के बाद दोनो बिल्कुल नंगे थे.

आराधना घुटनो के बल पंकज के सामने बैठी हुई थी और पंकज खड़ा हुआ था. पंकज का खड़ा और तना हुआ लंड आराधना के मूँह के बहुत करीब था. पंकज की आँखो मे देखते देखते ही अपने लिप्स को आराधना पंकज के लंड पर लगा देती है और उसे चूसने लगती है. आज आराधना का कॉन्फिडेन्स गजब का था. पंकज का तो बुरा हाल हो गया जैसे ही उसके लंड पर आराधना के लिप्स पड़ते है

" ओह माइ गॉड........ यू आर......... सो सेक्सी आरू....................." पंकज की आँखे बंद हो चुकी थी. आराधना बड़े ही मस्त अंदाज मे उसका लंड चूस रही थी

" ओह......... लाइकीयीईयीई........ दट ओन्ली............. सूपर गर्ल....................."

आराधना अपने होठ तेज़ी से आगे पीछे कर रही थी. पंकज का एग्ज़ाइट्मेंट सातवे आसमान पर था. बला की खूबसूरत लग रही थी आज आराधना भी, उसके सिल्की बाल बार बार उसके चेहरे पर आ रहे थे जोकि वो अपने हाथ से पीछे कर रही थी.

" अरुउउउ..... यू र्र्र्र्ररर ग्रेट........ ओह........... आअहह....... म्*म्म्ममममह" पंकज की आवाज़ से पूरा रूम गूँज रहा था.

पंकज अपना दोनो हाथ से आराधना का सर पकड़ कर खुद भी हिलने लगता है.

" आहह.......... यू......... सेक्शययययययययी"

पंकज इशारे मे आराधना को रुकने को बोलता है. शायद वो कुच्छ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो चुका था.

आराधना अपने मूँह से पंकज के लंड को बाहर निकालती है. वो अभी भी घुटनो के बल बैठी हुई थी जबकि पंकज आगे बढ़ कर उसी चेर पे जाकर बैठ जाता है जिस पर पहले आराधना बैठी थी.

वो चेर पे जैसे ही बैठता है तो उसका लंड ऐसे आसमान छुने की तैयारी कर रहा था. वो अपने दोनो हाथ पर थूक लगाता है और उसे लंड पर मसलता है.

आराधना उसका इशारा समझ चुकी थी. आराधना भी खड़ी होती है और पंकज की तरफ चल देती है. वो समझ चुकी थी कि पंकज उसे अपने उपर चाहता है, आराधना शुवर नही थी कि फर्स्ट टाइम सेक्स के लिए क्या वो पोज़िशन सही है लेकिन चूत की आग मे वो जले जा रही थी और ज़्यादा इंतेज़ार नही कर सकती थी.

वो भी उस चेर पर जाकर उसके दोनो साइड टाँग करके खड़ी हो जाती है. अब पंकज के ठीक सामने आराधना थी और आराधना की चूत के ठीक नीचे पंकज का लंड था. आराधना एक हाथ से चेर पकड़ती है और दूसरे हाथ पे थूक लगा कर वो भी अपनी चूत पर ले जाकर मसलने लगती है. उसकी चूत वैसे ही बहुत गीली हो चुकी थी.

पंकज के इशारे के बाद आराधना खुद लंड पकड़ कर अपनी चूत पे लगाती है.

अब वो मिज़ाइल जैसा लंड आराधना की चूत पर था. पंकज आगे बढ़ कर आराधना के बूब्स को अपने मूँह मे भर लेता है और आराधना के कंधे पकड़ कर उसे दबा देता है.

ककककरररर्र्र्र्र्ररर.......... साउंड के साथ लंड का सुपाडा अंदर जाता है और आराधना की चूत का मूँह खुल जाता है.

"आआआआआआआआआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईई.........." अगर कोई इस साउंड को सुनता तो यही कहता कि रेप हो रहा है. लेकिन नही दर असल आराधना थोड़ा सा ओवर कॉन्फिडेंट हो गयी थी और भूल गयी थी कि लंड का साइज़ क्या होता है.
आराधना की पूरी बॉडी जाम हो गयी थी. और शायद उसके माइंड ने भी काम करना बंद कर दिया था, ऐसी थी पंकज के लंड की मार.

उसके लंड का सुपाडा ही अंदर गया था कि आराधना की चूत तो जैसे फॅट चुकी थी. शुपाडे के अंदर जाने की आवाज़ ही ऐसी थी जैसे कोई बेलून ब्लास्ट हो गया हो. आराधना की गर्दन अभी पंकज के चेहरे के पास थी, पंकज एक एक्सपीरियेन्स्ड मॅन था लेकिन आराधना एक कच्ची कली थी.

एक बार चिल्लाने के बाद अभी तक आराधना की कोई आवाज़ नही निकली थी और ना ही उसकी बॉडी का कोई मूव्मेंट था. कुच्छ ही सेकेंड्स बीते होंगे कि पंकज को अपनी थाइस पर लिक्विड फील होने लगा, उसको समझते देर नही लगी कि आराधना की चूत फट चुकी है.

" आरू..........?" पंकज ऐसे ही चेर बैठे बैठे आवाज़ देता है लेकिन आराधना का कोई रेस्पॉन्स नही था.

पंकज चेर पर थोड़ा सा चेहरा पीछे ले जाकर आराधना को देखने की कोशिश करता है लेकिन आराधना का चेहरा उसे दिखाई नही दिया.

पंकज फिर से आराधना को आवाज़ देता है -" आरू...... क्या हुआ........". जब अब की बार आवाज़ नही आती तो पंकज समझ चुका था कि कुच्छ इश्यू है.

वो एक झटके मे आराधना को थोड़ा सा उपर करके अपना लंड उसकी चूत से निकालता है. आराधना का सपोर्ट ना होने की वजह से पंकज को बहुत मेहनत करनी पड़ गयी थी. लंड भी उसकी चूत से ऐसे बाहर आया जैसे पता नही कितनी टाइट चूत हो उसकी.

लंड बाहर निकालने के बाद पंकज चेर से खड़ा होता है और उसी जगह पर पंकज आराधना को अपने कंधो पर उठाता है और थोड़ी ही देर मे उसे वहाँ बेड पर लिटा देता है. पंकज की हार्टबीट जैसे कभी भी रुक सकती है क्यूंकी वो इस केस मे किसी डॉक्टर की हेल्प भी नही ले सकता है नही तो लेने के देने पड़ सकते थे.

आराधना को लिटाने के बाद वो उसके चेहरे को हिलाता है " आरू...... बेटा आरू....." लेकिन वो नही बोलती है और शायद वो बेहोश हो चुकी थी.

पंकज नीचे होकर उसकी टांगे फैला कर देखता है तो चूत पर ब्लड के धब्बे थे लेकिन वैसे चूत नॉर्मल दिख रही थी. उसको अहसास हो चुका था कि शायद पोज़िशन ग़लत थी और झटका ज़्यादा तेज लग गया.

पंकज को एसी रूम मे पसीने आने लगे थे. समझ नही आ रहा था कि क्या करे.....

वो भाग कर बाथरूम मे जाता है और मग मे पानी लेकर आता है...

पानी की कुच्छ बूंदे वो आराधना के चेहरे पर गिरता है और फिर से उसका चेहरा हिला कर देखता है.

" थॅंक गॉड....." पंकज एग्ज़ाइट्मेंट मे बोलता है क्यूंकी उसे आराधना की आँखे खुलती हुई दिख जाती है.

आराधना अपनी आँखे खोलने के बाद अपने डॅड की तरफ देखती है और ब्लंकेट की तरफ इशारा करती है क्यूंकी अभी भी वो बिना कपड़े के ही थी. पंकज उसे ब्लंकेट पकड़ा देता है और वो उसे ओढ़ लेती है.

" तू ठीक तो है ना.......?" पंकज फिर से आराधना से पुछ्ता है

" हाँ..... बस वहाँ बहुत दर्द हो रहा है.........." आराधना का इशारा अपनी चूत की तरफ था.

" वो मैने..... अभी देखा वहाँ पर....... वहाँ... वहाँ सब सही है बस शायद मैने......." पंकज सेंटेन्स पूरा नही कर पाता

" मैने क्या डॅडी....?" आराधना थोड़ी हिम्मत जुटा कर अपने डॅड से पूछती है.

" वो आरू.... आरू... फर्स्ट टाइम के लिए वो स्ट्रोक ग़लत था...... मुझे ऐसा नही करना चाहिए था." पंकज अपनी निगाहे नीचे करते हुए कहता है.

आराधना अभी लेटी हुई थी और वो धीरे बेड पर बैठ जाती है और अपने डॅड को हग करती है. " डॅड आपकी कोई ग़लती नही है..... शायद मैं ही कमजोर रह गयी नही तो लड़की के साथ तो ये होना ही होता है.... " आराधना भी पंकज को करेज देते हुए बोलती है.

आराधना अभी भी बिना कपड़ो के थी और फिर से उसकी छाती, पंकज की न्यूड छाती से टकरा रही थी. पंकज के हाथ फिर से आराधना की पीठ पर पहुँच जाते है.

तभी आराधना की निगाहे पंकज के लंड पर पड़ती है....

" हा हा हा हा........ इसे क्या हुआ..... ये तो ऐसे हो गया जैसे गुब्बारे से हवा निकल गयी......." आराधना पंकज के लंड को पकड़ते हुए बोलती है. वो हैरान थी कि कहाँ लोहे जैसा लंड और अब वो ठंडा होकर कैसा लग रहा था. ते देख कर उसकी हँसी छूट गयी थी.

" वो.... वो टेन्षन मे ये ऐसा ही हो जाता है...." पंकज उसे एक्सप्लेन करता है लेकिन आराधना को हंसता हुआ देखकर वो हॅपी भी था.

"टेन्षन...???? कैसी टेन्षन डॅड........" आराधना पंकज की आँखो मे देखते हुए बोलती है.

" नही.... वो... वो... तू बेहोश हो गयी थी ना...." पंकज सीरीयस होते बोलता है.

" हा हा हा हा हा....... वेरी क्यूट....... मैं बेहोश हो गयी तो ये ऐसा गया.... अच्छा है. अगर ये ऐसा ही रहे तो अच्छा है. जब ये ऐसाआआआ बड़ा हो जाता है ना तो समझो......" आराधना इशारे मे अपने दोनो हाथो को फेला कर बोलती है.

" नही बेटा..... ये टेन्षन मे कभी काम नही करता.... इसके लिए टेन्षन फ्री रहना ज़रूरी है....." पंकज फिर से एक्सप्लेन करता है और वो हॅपी भी था कि चलो आराधना हॅपी है.

" ओह्ह्ह.... तो ये टेन्षन मे है..... नॉटी नॉटी...." और प्यार से अपना हाथ वो पंकज के लंड पर फिराने लगती है. लेकिन वो काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी लंड के मुरझाए हुए रूप को देख कर और उसे बहुत प्यार आ रहा था उस पर.

लेकिन अगले ही पल वो फिर से आकर लेने लगता है....

"ओह.... डॅड..... क्या टेन्षन ख़तम हो रही है क्या जो ये........." आराधना का इशारा था कि लंड खड़ा होता जा रहा था.

" तू छोड़ इसे और ये बता कि तू सही फील कर रही है अब....." पंकज खड़ा हो जाता है और आराधना के हाथ से उसका लंड भी अलग हो जाता है.

" मैं पहले भी सही थी और अभी सही हू...... आप टेन्षन ना ले.... वैसे लग तो रहा है कि टेन्षन कम हो रही है........ हे हे हे हे" आराधना फिर से पंकज की लंड की तरफ देखते हुए बोलती है.

" तो अब.... अब वहाँ सही फील हो रहा है....?" पंकज थोड़ा झिझक तो रहा था लेकिन फिर भी पुच्छ ही लेता है.....

" मैं तो फिट हू एक दम..... लेकिन अगर ...... अगर....... अगर आप देखना चाहे तो देख सकते हैं कि वहाँ सब सही है या नही......" आराधना अभी बहुत खिल खिला रही थी लेकिन इस बात के लिए वो थोड़ा हिचकिचाई.

पंकज एक केरिंग पर्सन था तो उसने ब्लंकेट को थोड़ा सा उपर किया. अब आराधना की न्यूड थाइस उसके सामने थी जो कि एक दूसरे से मिली हुई थी.

पंकज एक टाँग को पकड़ कर थोड़ा सा अलग करता है लेकिन फिर भी इतना स्पेस नही बनता कि वो क्लियर देख पाए कि चूत कैसी है अभी.

" वो....ज़रा.....थोड़ा सा......" पंकज इशारा करता है आराधना को कि प्लीज़ थोड़ा सा टाँगो को फैलाओ ताकि वो देख पाए कि क्या सिचुयेशन है.

उफफफफफफफफ्फ़.... आराधना ने अपनी दोनो टांगे ऐसे फैलाई कि कोई भी पागल हो जाए. उसकी चूत बिल्कुल क्लीन थी, और अपनी केपॅसिटी के हिसाब से वो पूरी टांगे फैला चुकी थी. चूत के अंदर तक का हिस्सा अब पंकज देख सकता था. आराधना की निगाहे बस पंकज पे ही थी कि उसका क्या रेस्पॉन्स होगा.

लेकिन रेस्पॉन्स पंकज से नही बल्कि उसके लंड से पता चल रहा था जोकि फिर से तन कर खड़ा हो रहा था.

आराधना ये देख कर मूँह छिपा कर हँसने लगती है.....

" क्या हुआ आरू.....?" पंकज आराधना से पुछ्ता है.

" नही..... ये आपका वो........." फिर से आराधना अपने दोनो हाथ को खोल कर बताती है कि कैसे उसका साइज़ बढ़ रहा है.

" आरू... वो.... दर असल यहाँ देखने के बाद ये थोड़ा......." पंकज का इशारा आराधना की चूत की तरफ था.

" तो सब ठीक तो है ना...... यहाँ पर......." बड़े ही सेक्सी अंदाज़ मे अपना एक हाथ वो अपनी चूत पे ले जाती है और एक फिंगर को अंदर डाल कर पंकज से पुछ्ने लगती है.

" सब सही ही लग रहा है....... देखने मे तो......" पंकज उसकी चूत की तरफ देखते हुए बोलता है

" क्या आपको बस देखने से ही पता चल गया........." आराधना का इशारा कुच्छ और ही था.
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पंकज अपना एक हाथ आगे बढ़ाता है और उसकी चूत पे रख देता है. वो एक दम चिकनी थी, वैसे भी आराधना सफाई का पूरा ख्याल रखती थी.

" आअहह......" आराधना के मूँह से सिसकारी निकल जाती है और साथ ही उसकी चूत से रस भी आने लगता है.

आराधना को देख कर नही लग रहा था कि वो डरी हुई या घबरा रही थी बल्कि वो तो अपनी दोनो टाँगो को अच्छे से खोल कर बैठी थी.

श्र्र्ररर........... पंकज अपनी एक उंगली आराधना की चूत मे घुसा देता है.

" उफफफफफ्फ़..........म्*म्म्मममह......." आराधना की आँखे फिर से बंद हो गयी थी.

" कुच्छ दुखन तो नही है..........." पंकज अपनी एक उंगली अंदर बाहर करते हुए पुछ्ता है.

" दुखन..... तो अब कम हो रही है......... ऊऊऊऊऊऊहझह...........". आराधना तो लगभग मस्त हो चुकी थी.

इधर पंकज की उंगलियो पर धीरे धीरे आराधना की चूत का रस बढ़ता जा रहा था.

" ओह...... म्*म्म्ममममह......लव मी............." आराधना अपनी चूत को हिलाने लगी थी अब.

पंकज भी अब झुक चुका था अब..... उस को जो चीज़ अभी तक रोक रही थी वो सिर्फ़ रीलेशन था लेकिन अब चूत का इतना ओपन व्यू मिलने से पंकज भी भटक रहा था.

आराधना की कामुक सिसकियाँ उसे पागल कर रही थी.

पंकज ने टाइम ना लगाते हुए अब अपने होंठ उसकी चूत पे रख दिए.............

"आअहह......म्*म्म्ममह........" आराधना तेज़ी से अपनी चूत को हिला रही थी.

पंकज अपने एक्सपीरियेन्स का फ़ायदा उठाते हुए अपनी जीभ को अच्छी तरह से उसकी चूत मे घुमा रहा था. लंड के सुपाडे ने चूत को थोड़ा खोल भी दिया था.

" आहह..........दद्द्द्द्द्द्द्दद्ड.......लव मी.........लव मी.........." आराधना बहुत ही ज़्यादा मचल रही थी अब. इतनी तो वो कभी नही मचलि थी.

चूत के भंगूर को वो चाटने मे लगा हुआ था और नीचे उंगली का भी काम कर रही थी. डबल इंपॅक्ट हो रहा था चूत पे.

" खा जाओ ईसीईईई........ आाआऐययईईई......म्*म्मह" अपने दोनो हाथो से आराधना ने पंकज के बाल पकड़ लिए थे जोकि उन्हे नोचने को तैयार हो रही थी.

" फकक्क्क्क्क्क्क्क्क मी....................."

आराधना अब बहुत तेज चिल्ला रही थी. सच मे अपने वाइल्ड रूप मे आ चुकी थी वो. ल्यूब्रिकेशन के लिए पंकज उसकी चूत को बहुत गीला कर चुका था.

पंकज अब उसकी चूत से हट ता है लेकिन आराधना अभी भी छटपटा रही थी.

पंकज आराधना के कॉन्फिडेन्स को चेक करना चाहता था लेकिन वो कुच्छ सुन मे के मूड मे नही थी.

" प्लीज़ डॅड......... मत तडपाओ...........आअहह............फकक्क्क्क्क्क्क्क मी प्लीज़............."

पंकज अब इस सिचुयेशन को अवाय्ड नही करना चाहता था.

पंकज ने एक बार फिर से अपने लंड पे ढेर सारा थूक लगाया और अपने घुटने मोड़ कर आराधना की चूत के सामने आ गया. चूत लंड का एक झटका पहले ही खा चुकी थी और उसके होठ खुले हुए थे.

अपनी लंड के मिज़ाइल जैसे सुपाडे को वो फिर से आराधना की चूत पे लगाता है और आराम से पुश करता है....

फुचह....... कुच्छ ऐसा ही साउंड आता है और लंड सरक कर थोड़ा सा अंदर चला जाता है.

" आहह........" आराधना की बॉडी का मूव्मेंट थोड़ा सा कम हुआ क्यूंकी लंड का असर फिर से उसकी चूत पर हुआ.

पंकज थोड़ा सा झुकता है और आराधना के मोटे मोटे बूब्स को किस करने लगता है.

" सक देम......... ऐसे दद्द्द्दद्ड...... यू आर माइ मन्न्न्न्न..............."

सकिंग के दौरान ही आराम से थोड़ा सा और पुश करता है और लंड लगभग आधा अंदर चला जाता है.

" आईईईईई......इसस्शह..." रूम मे ऐसा साउंड आ रहा था जैसे कोई लो वाय्स मे विज़ल बजा रहा हो.

लंड बिल्कुल उसकी चूत मे फँस चुका था. आराधना पंकज को अपने बूब्स से खींचती है और अपने होठ उससे जोड़ देती है.
म्*म्मह....." पंकज भी उसके रसीले होंठो का रस्पान करने लगता है. आराधना उसके होंठो पे कुच्छ ज़्यादा ही प्रेशर बना कर चूस रही थी.

खचह.......... इस साउंड के आते ही आराधना के होठ पंकज से अलग हो जाते है क्यूंकी अब लंड अब अंदर तक जगह बना चुका था. पंकज सीध खड़ा होता है तो उसे दिखाई देता है कि बेड शीट खून मे सन चुकी थी लेकिन सेम ओल्ड स्टाइल की वो आराधना को नर्वस नही करना चाहता था.

पंकज अपना लंड बाहर खींचता है और फिर धीरे से अंदर पुश करता है. उसकी चूत के रस की वजह से अब ज़्यादा परेशानी नही हो रही थी. कुच्छ ही देर मे पंकज थोड़ी सी स्पीड पकड़ चुका था.

" आअहह..... आहह....... आहहह... फुक्ककककक मईए......... आइ लाइक यू........... लव मी.........." आराधना मस्त हो रही थी और बीच बीच मे पंकज के होंठो को भी चूस लेती थी.

पंकज भी दना दन लगा हुआ था. फुच्च फुच्च फुच साउंड तेज़ी से आ रहा था. चूत का पानी, ब्लड मिलकर एक अलग ही ल्यूब्रिकेशन पैदा कर रहे थे.

" आऐईयईईई...... आअहह...... आहहह.....म्*म्म्मममह........आऐईयईईईईईईई.....ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ज........" पंकज धक्के पे धक्के लगाए जा रहा था और आराधना अपनी आँखो से उसे इन्वाइट कर रही थी कि और चोद मुझे.

"फास्ट प्लीज़...... आहह....... एसस्स्स्स्स्सस्स.... प्लीज़ फक्क्क्क मी........" आराधना अपनी मस्ती के आलम मे चूर हो चुकी थी लेकिन पंकज अभी भी ख्याल कर रहा था कि आराधना कुँवारी है.

पंकज अपनी स्पीड को बढ़ाता है और तेज़ी से धक्के लगाने लगता है. आराधना की सेक्सी आइज़ अब और भी शाइनी हो चुकी थी.

" आहह...... डॅड................म्*म्म्ममममममममममह..................आहह.........आअहह........" आराधना अपने हाथ आगे बढ़ाती और पंकज की गर्दन मे डाल कर उसे नीचे को झुकाती है.

"आहह................. डेडड्डड्डड्डड्ड.........." आराधना के हाथ कस गये थे और उसके नेल्स पंकज की गर्दन के आस पास लगने लगे थे.

" .....अहह....अहह" आराधना की चूत झटके लेती है और पंकज को अहसास हो जाता है कि वोंझड़ गयी है.

लेकिन पंकज अभी भी स्पीड के साथ लगा हुआ था. फुचह फुच फुचह फुचह......... चूत और लंड के मिलन के साउंड अभी भी आ रहे थे.

" ओह........ आरू......." ये पंकज के मूँह से पहला साउंड था.

" आहह......आहह" पंकज तेज़ी से लगा हुआ था. आराधना की टाइट चूत असर कर रही थी.

" आरुउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ............" इस साउंड के साथ पंकज अपना लंड बाहर निकालता है और सारा वीर्य बेड शीट पर उडेल देता है.

पंकज की पूरी बॉडी टाइट हो चुकी थी.

आराधना हैरान थी उस पिचकारी से क्यूंकी वो बहुत ही स्पीड से वीर्य को बाहर निकल रहा था.

वो एक प्यारी सी स्माइल के साथ पंकज की तरफ देखती है.

वीर्य निकलते ही पंकज सीधा खड़ा होता है और सीधा वॉशरूम मे घुस जाता है. आराधना उसके बिहेवियर से फिर से एक बार शोकेड हो जाती है.

कुच्छ मिनिट होते है लेकिन पंकज अभी अंदर ही था. आराधना वहीं पे लेटे हुए आवाज़ देती है.

" डॅड..... डॅड....?"

पंकज -" आरू.... तुम आराम करो मे एक बाथ लेकर आ रहा हू..........
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पंकज बाथरूम में घुस जाता है और आराधना इधर अपने कुंवारेपन को खोने वाली बात सोच कर मुस्कुरा रही थी.ये काफी पेनफुल एक्सपीरियंस था लकिन आज उसे ख़ुशी थी की पंकज ने उसे अस अ फकिंग पार्टनर एक्सेप्ट कर लिया है. वो धीरे धीरे अपना एक हाथ नीचे ले जाती है और अपनी चुत पे लगाती है. चूत से ऊपर का सारा एरिया पंकज के वीर्य से भरा हुआ था. वो एक ऊँगली को उस वीर्य पे लगाती है और फिर चिपचिपाहट का आईडिया लगाती है, फेविकोल से भी मजबूत.... आराधना उसकी क्वालिटी को देख कर मन ही मन बड़बड़ाती है. उसके चेहरे पर अलग ही मुस्कान थी. वो अभी भी अपनी टाँगे फैला कर लेटी हुई थी उसको ऐसा लग रहा था की जैसे अंदर तक हवा पहुँच रही हो लकिन रियलिटी ये थी की पंकज के मुसल जैसे लंड ने उसकी चूत को अच्छे से खोल दिया था. चूत के दोनों होठ आपस में अलग हो चुके थे.वो फिर अपनी फिंगर से अपनी चूत का इंस्पेक्शन करती है. पहले एक फिंगर डालती है और फिर दूसरी. आज सटासट ऊँगली अंदर जा रही थी वो हैरान थी की कहाँ मस्टरबैशन में दोनों उँगलियाँ मुश्किल से अंदर जाती थी और आज वो ही उँगलियाँ सटक से अंदर जा रही है.पंकज के मरदाना लंड से आराधना अब और भी ज्यादा इम्प्रेस हो चुकी थी
पंकज वाशरूम में एक शावर लेकर बहार आता है. उसने टॉवल बांधा हुआ था, आराधना को थोड़ी हैरानी हुई की कहाँ वो एक दम नंगी पड़ी थी और वो भी अपनी टाँगे फैला कर और कहाँ पंकज अपने लंड पर टॉवल लपेट कर आया था, क्या..... क्या.... मैं भी कपडे पहन लू........., आराधना बहुत ही शरमाते हुए ये बात कहती है, हाँ पहन सकती हो....,पंकज वार्डरॉब से अपने कपडे निकलते हुए बोलता है. आराधना खड़ा होने की कोशिश करती है लकिन अगले ही पल उसे शर्म आने लगती है की क्या वो नंगी ही खड़ी होकर फिर से डैड के सामने जाएगी. वो बेड पर बैठ जाती है और अपने आप को ब्लैंकेट से ढक लेती है,
डैड...... क्या आप मुझे मेरे कपडे दे देंगे...... वो बैग में है..,आराधना फिर से शरमाते हुए बोलती है. उसने बूब्स तक के हिस्से को ब्लैंकेट में कवर किया हुआ था,
हाँ.... हाँ मैं देता हु...... कौन से कपडे लोगी....,पंकज आराधना के बैग में कपडे देखते हुए बोलता है,
जो.... जो भी आपको सही लगे....,आराधना फिर से थोड़ा झिझकते हुए उसे बोल देती है.
पंकज बैग को चेक करने के बाद उसमे से एक ब्लैक एंड रेड ब्रा एंड मैचिंग पैंटी निकालता है. .वो उन दोनों आइटम्स को आराधना को दे देता है. जैसे ही आराधना उन आइटम्स को देखती है तो उसे रीयलाईज़ हो जाता है की पंकज उसे किस रूप में देखना चाहता है. वो चाहती तो बैड पर लेटे लेटे वो कपडे पहन सकती थी लकिन वो बड़ी हिम्मत के साथ बेड से खड़ी होती है और साइड में आकर ब्रा को पहन में लगती है. पंकज ने जो ब्रा और पैंटी आराधना को दी थी वो कुछ डिफरेंट ही थी. ये वो कलेक्शन था जिसे स्पेशली आराधना ने इस दिल्ली ट्रिप के लिए लिया था
ये एक ऐसा सिन था जिससे रूम में टेम्परेचर बहुत बढ़ जाए. आराधना बिना कुछ पहने पंकज के सामने खड़ी थी. पंकज के सामने वो चुत थी जो उसने कुछ ही पल पहले चोदी थी.पंकज भी एक शर्ट एंड स्लीवलेस टीशर्ट पहन चूका था और फिर से एक और पेग पीने की तयारी कर रहा था
गिलास को हाथ में लेने के बाद वो आराधना की तरफ देखता है और तब तक आराधना अपनी ब्रा पहन चुकी थी. उसकी गोरी स्किन पंकज को आकर्षित कर रही थी. ब्रा पहनने के बाद आराधना नीचे झुकती है अपनी पैंटी को पहनने के लिए जब वो झुकती है तो पंकज की आँखों के सामने फिर से उसके बूब्स आ जाते है.
आराधना टांगो में अपनी पैंटी चढाने के बाद पंकज की तरफ देखती है
पंकज की निगाहें फिर से आग उगलने लगी थी और वैसे सीन भी कुछ ज्यादा ही कामुक था
“क्या अभी भी मन नहीं भरा जो ऐसे देख रहे है.???” आराधना अपनी पैंटी को पूरा ऊपर चढाने के बाद और पंकज की तरफ देखते हुए बोलती है.
दूसरी तरफ
सिचुएशन तो काफी बदल चुकी थी लकिन वहीँ से शुरू करते है जहाँ पर ख़तम किया था. प्रीती के बार बार बोलने पर कुशल नीचे का माहौल देखने चला जाता है. उसको ये आईडिया था की स्मृति बहार हॉल में बैठी होगी मगर वो वहां नहीं थी. कुशल धीरे धीरे सीढ़ियों से उतरता है और आगे बढ़ता है. जब उसे स्मृति दिखाई नहीं देती तो वो आगे की तरफ बढ़ता है. हॉल से आगे बढ़ता है और आगे किचन में भी उसे कुछ दिखाई नहीं देता. हालाँकि कोई लेट नाईट का टाइम नहीं था फिर भी पता नहीं क्यों कुशल को ऐसा लगने लगा जैसे की स्मृति सोने चली गयी है. वो धीरे धीरे उसके बेड रूम की तरफ बढ़ता है, रूम से पहले ही उसे कुछ खटपट सुनाई दे जाती है और उसे अहसास हो जाता है की रूम में स्मृति जाग रही है. वो आगे बढ़ता है और सबसे पहला सिन ही उसके लंड को फिर से खड़ा होने पर मजबूर कर देता है. कुशल को आईडिया नहीं था की स्मृति क्या तयारी कर रही थी. उसकी पूरी बॉडी पे कुछ भी नहीं था सिवाय एक जीन्स के. स्मृति को जीन्स में देख कर खुद कुशल हैरान था और जीन्स भी अल्ट्रा लौ वैस्ट थी. सबसे कमाल की बात थी की स्मृति ने ऊपर कुछ भी नहीं पहना है. वो अपने आप को मिरर में देख रही थी लिप्स पे जूसी लिपस्टिक लगी हुई थी.अगर कुशल उसका चेहरा न देख पता तो शायद उसे ये ही लगता की ये कोई और सेक्स बम है लकिन वो उसका चेहरा देख सकता था.वो अपने दोनों हाथो से अपने बालो को पकड़ कर अलग अलग पोज़ में मिरर में देख रही थी. दोनों हाथ ऊपर आ जाने से उसके बूब्स कुछ और ही ज्यादा बहार आ गए थे कुशल अभी ही प्रीती की कुंवारी चुत को फाड़ कर आया था लकिन स्मृति के इस एक्शन ने फिर से कुशल के लंड को 1000 वाट पावर दे दी. इस टाइम स्मृति इस पोजीशन में थी कुशल के सामने

वो धीरे से मिरर के पास जाती है और अपने लिप्स को गौर से देखती है. कुशल का हाथ अब तक अपने लंड पर पहुँच चूका था.स्मृति ने अभी तक कुशल को नहीं देखा था और वो अपने एक हाथ को अपने बूब्स पर ले जाकर उसे प्रेस करके देखती है. कुशल को उसके ये रिएक्शंस और पागल कर रहे थे. मिरर में अच्छे तरीके से अपने आप को देखने के बाद वो अपने रूम के लास्ट कार्नर की तरफ बढ़ती है. अब उसकी पीठ कुशल की तरफ थी. थोड़ा आगे पहुँचने के बाद वो अपनी जीन्स के बटन को दोनों हाथो से खोलने की कोशिश करती है. क्यूंकि वो थोड़ा अंदर की साइड चली गयी थी तो कुशल थोड़ा आगे होकर उसकी मस्त गांड को देखने लगता है.वो अब जीन्स का बटन खोल चुकी थी और धीरे से अपनी जीन्स को नीचे करने लगती है. उफ्फफ्फ्फ़ क्या नजारा है. स्मृति ने अपनी जीन्स के नीचे एक बारीक़ सी पैंटी पहनी हुई थी जैसे ही उसकी थोड़ी जीन्स नीचे होती है तो कुशल को उसकी मस्तानी गांड क्लियर दिखाई दे जाती है.
”Wow.......... ग्रेट......”कुशल अपने लंड पर हाथ फिरता हुआ रूम में एंटर होता है.

स्मृति उसकी प्रजेंस से शॉकेड हो जाती है और अचानक से पीछे मुड कर देखती है और अपनी जीन्स ऊपर करती हुई उसकी तरफ घूमती है
“तू......? यहाँ.... क्या कर रहा है......?” स्मृति घबराती हुई बोलती है
”माँ... आपका बेटा हूँ तो आपका अकेला कैसे सोने दे सकता हु मैं.... पापा यहाँ नहीं है तो क्या हुआ आप टेंशन न ले मैं तो हु न....” कुशल धीरे धीरे आगे बढ़ता है.
“मुझे तेरी कोई जरुरत नहीं है.....” स्मृति अपनी टीशर्ट को उठा कर अपने बूब्स को ढकते हुए बोलती है. और साइड में जाकर अपनी टीशर्ट को पहन ने लगती है
“माँ आईडिया नहीं था की आप जीन्स भी पहन लेती है. वैसे क्या कमल की फिटिंग आती है आपको खास कर आपकी बैक तो ऐसी हो गयी है जैसे जीन्स इसी के लिए बानी है......” ये बात बोलते बोलते कुशल स्मृति के बहुत करीब पहुँच चूका था.स्मृति धीरे धीरे पीछे होती हैं और कुशल धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ता है. कुशल बढ़ता ही जा रहा था और स्मृति पीछे होते होते दिवार से लग जाती है. कुशल पर फिर से भुत सवार हो चूका था. कुशल जैसे ही उसके करीब पहुँचता है स्मृति वहां से अचानक साइड हो जाती है और हँसते हँसते आगे की तरफ भाग जाती है. कुशल को उसके हंसने से आईडिया मिल जाता है की स्मृति भी ट्रैक पर है

“हे हे हे हे .......” स्मृति कुशल की इस हालत पर हंसती है, कुशल को अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी , अच्छा इसलिए लग रहा था कि उसको आईडिया मिल गया था की आज स्मृति ज्यादा नखरे नहीं करेगी और बुरा इसलिए लग रहा था की एक परिपक्व लेडी होने के बावजूद वो ऐसे भाग रही थी. कुशल उसको मुड कर जब भागते हुए देखता है तो स्मृति की जीन्स में फसी हुई गांड देख कर वो और पागल हो जाता है.
” प्लीज मुझे मत तड़पाओ.........” कुशल फिर से उसकी तरफ मुड़ता है
स्मृति अपने गेट के पास खड़ी थी और स्माइल कर रही थी.
कुशल अब फिर से धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ता है, जैसे जैसे वो बढ़ता है स्मृति भी अपने पाँव बाहर की तरफ बढाती है.
” प्रीती......” कुशल चिल्ला कर बोलता है और स्मृति डर कर पीछे देखती है
पीछे देखते ही स्मृति को समझ आ जाता है कि वो कुशल की इस चाल में वो फंस चुकी है.
इससे पहले की वो पीछे मुड कर देख पाति कुशल धप्प्प से उसे पकड़ लेता है
स्मृति इस सिचुएशन के लिए तैयार नहीं थी कुशल स्मृति को पकड़ कर फिर से दीवार से लगा देता है
.” आह्ह्ह्हह्ह..... छोड़ मुझे........” स्मृति चिल्लाती है लकिन अब तक कुशल उसके दोनों हाथो को पकड़ कर ऊपर की तरफ कस कर पकड़ लेता है
स्मृति के बूब्स अब उसके सीने में चुभ रहे थे.
” छोड़ मुझे..... मुझे नींद आ रही है.......” स्मृति उससे रिक्वेस्ट करती है.
” ऐसी सिचुएशन में तो किसी को भी नींद नहीं आती तो आपको क्या आएगी......” कुशल ये बोलते बोलते अपने होंठ स्मृति के होंठो की तरफ बढ़ा देता है
स्मृति कभी अपनी गर्दन इस तरफ तो कभी दूसरी तरफ

पुच्च्च्चच .......... जब होंठो से लिंक नहीं हो पता तो कुशल उसके गालो पर ही स्ट्रांग किश कर देता है. इस किश के होते ही स्मृति थोड़ा अपनी मूवमेंट को कम करती है और मुड कर कुशल की तरफ देखती है.
अभी उसकी नजरे ठीक से कुशल से मिल भी नहीं पायी थी की कुशल ने अपने होंठ उसके होंठो से भिड़ा दिए.........
” उन्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उन्ह्ह्हह्ह्ह्ह .........." स्मृति थोड़ा छटपटाती है फिर से
लेकिन कुशल उसके होठो को चूसे जा रहा था. स्मृति की सारी लिपस्टिक कुशल के होठो पर लग चुकी थी. लेकिन कुशल अभी भी उसके होंठो को चूसने में लगा हुआ था.स्मृति ने भी कुछ सेकंड के लिए विरोध किया लकिन अब उसकी बॉडी मूवमेंट से नहीं लग रहा था की वो कुशल के इस एक्शन से नाराज है.
कुशल के होठो के बीच में उसे एक जीभ आती हुई महसूस होती है और वो सीधी जाकर कुशल के होठो से मिल जाती है. ये कुशल के लिए एक नया एक्सपीरियंस था, ये जीभ स्मृति की ही थी जो अब अपने एक्सपीरियंस का फायदा उठा रही थी. कुछ सेकण्ड्स के लिए अब दोनों के होंठो का द्वन्द युद्ध चलता है जहाँ स्मृति भी अच्छे से कुशल के होठो को चुस्ती है.
कुशल की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था .धीरे धीरे कुशल अपने लिप्स अलग करता है. लिप्स अलग करने के बाद वो स्मृति की आँखों में झांकता है और स्मृति शर्मा कर अपना चेहरा दूसरी साइड कर लेती है.
” इतनी रात में ये इतनी सेक्सी लिपस्टिक किस लिए लगायी है आपने....?” कुशल स्मृति से पूछता है.
स्मृति अपना चेहरा कुशल की तरफ करती है
“तुझसे मतलब.... लगायी है किसी के लिए....” स्मृति थोड़े ऐटिटूड में बोलती है
.कुशल का तना हुआ लड फिर से स्मृति के करीब था. कुशल उसको लंड को और चुभते हुए बोलता है.” बता दो जरा कौन है वो खुश नसीब..... जिसके लिए मेरी माँ ने इतना सेक्सी मेक उप किया है...” कुशल फिर से पूछता है.
” है कोई मेरा ओल्ड फ्रेंड......... लकिन तुझे क्यों बताऊ........” स्मृति फिर से ऐटिटूड में बोलती है.
” ओल्ड फ्रेंड?????? मैंने तो कभी कोई नहीं सुना.......” कुशल अपने दिमाग पर जोर डालते हुए बोलता है.
” है कोई ओल्ड नेट फ्रेंड.....” स्मृति हँसते हुए बोलती है.
” LION............" कुशल चिल्ला पड़ता है स्मृति के मुँह से नेट फ्रेंड वाली बात सुन कर

स्मृति को एक कस कर स्मूच करता है वो. स्मृति भी उसको पॉजिटिव रिप्लाई देती है कुशल अब कन्विंस्ड था की स्मृति की चुत उसके लंड के लिए बेक़रार है.
कुशल भी पागल हो चूका था वो पीछे होता है और अपने टीशर्ट उतरने लगता है.
” कुशल..... कुशल कहाँ है भाई......” आवाज उन दोनों के कानो में आकर टकराती है जो की प्रीती की थी.
” ओह्ह्ह्ह फ़क......” कुशल के मुँह से ऑटोमेटिकली निकल जाता है.
वो फर्स्ट फ्लोर से ही चिल्लाती रही थी.
” क्या बात है आज तेरी दुश्मन तुझे बड़े प्यार से बुला रही है....?” स्मृति स्माइल करते हुए फिर से बोलती है.
” पागल को कोई काम होगा... इससे पहले की वो नीचे आये मैं ऊपर देख कर आता हु”. और कुशल बहार की तरफ भागने लगता है.
“ पता नहीं कितना टाइम लगेगा लायन को आने में????” स्मृति की ये आवाज कुशल के कानो में पड़ती है और जोकि खुला इनविटेशन था.
” जल्दी ही आएगा वो........” कुशल भी रूक कर स्माइल के साथ जवाब देता है. और फिर से वो ऊपर की तरफ चल देता है.वो भाग कर ऊपर जाता है लकिन उसे प्रीती रेलिंग पर दिखाई नहीं देती. वो धीरे धीरे प्रीती की रूम की तरफ बढ़ता है लकिन उसका गेट खुला हुआ था. वो अंदर जाता है तो प्रीती उसे वहां दिखाई नहीं देती.
” शायद टॉयलेट में गयी होगी...” कुशल अपने मन में सोचता है.और वो टॉयलेट की तरफ बढ़ जाता है.टॉयलेट पहुँचने से पहले ही उसे अपने रूम में अहसास होता है की कोई है और वो अपनी निगाहें फिरा कर देखता है
.” ओह्ह्ह्ह माय गॉड.....” कुशल को आज झटके ही झटके लग रहे थे. प्रीती उसी के रूम में दिवार के सहारे बैठी थी.
पंकज को स्मृति वैसे ही भड़का चुकी थी और जैसे अब प्रीती जिन हालात में बैठी थी तो वो किसी का भी पानी निकलवा सकती थी.
प्रीती ने भी जैसे पिंक लाइफ का सहारा ले लिया था. कुशल के जाते ही उसने कपडे चेंज कर लिए थे और सारे ही ट्रांसपेरेंट थे.
” इतना टाइम..... क्या कर रहा था नीचे.....” प्रीती बेहद ही सेक्सी वौइस् में बोलती है.
कुशल का लंड आज लोहे से भी ज्यादा टाइट हो चूका था. कामुक से भी ज्यादा कामुक लग रही थी प्रीती. उसकी जवानी कहीं पर भी आग लगा सकती थी
KONG
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