नौसेना के अधिकारी रुस्तम केएस गांधी की कहानी

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shubhs
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नौसेना के अधिकारी रुस्तम केएस गांधी की कहानी

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आईएनएस बेतवा के कमांडर थे
1961 के ऑपरेशन विजय यानी गोवा को भारत के अधीन लाने के लिए चलाया गया अभियान, 451 सालों से पुर्तगालियों के शासन की समाप्ति के लिए चलाया गया अभियान. इस समय रुस्तम गांधी नौसेना के जहाज आईएनएस बेतवा के कमांडर थे. इस ऑपरेशन में आईएनएस ब्यास भी लगाया गया था. गोवा के मार्मुगाओ हार्बर पर पुर्तगाली जंगी जहाज खड़ा था. इस जहाज के कप्तान एनटोनियो अरागावो थे और जहाज पर पूरा युद्ध का सामान और अच्छी खासी नौसेना मौजूद थी. पूरी चेतावनी के बाद भी जब पुर्तगाली नौसेना ने हमले बंद नहीं किए तब आईएनएस बेतवा के कमांडर की ओर से हमला किया गया जिसमें पुर्तगाली जंगी जहाज का हथियारों का प्रबंधन अधिकारी घायल हो गया और रेडियो अधिकारी मारा गया. कप्तान अरागावो भी घायल हो गए.

कप्तान के घायल होने के बाद जहाज को आग लगा दी गई और नौसैनिक बंदरगाह पर भाग गए. घायल कप्तान को कार से पणजी के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 19 दिसंबर 1961 को पुर्तगाली नौसैनिकों ने आधिकारिक रूप से आत्मसमर्पण किया, और गोवा आजाद हुआ. इसके बाद आईएनएस बेतवा के कमांडर रुस्तम गांधी और आईएनएस ब्यास के कमांडर ने जाकर कप्तान अरागावो से अस्पताल में जाकर मुलाकात की. क्रिसमस के करीब होने की वजह से उन्हें फूल और चॉकलेट आदि भी भेंट की गई थी.


बता दें कि रुस्तम गांधी को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में कामयाब नौसैनिक ऑपरेशन के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. उस समय रुस्तम वेस्टर्न कमांड के जंगी जहाज आईएनएस मैसूर के कमांडर थे. 1965 में भी पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में रुस्तम ने आईएनएस खुकरी के जरिए अपना लोहा मनवाया था.
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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