बजाज का सफरनामा

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s_bajaj4u
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Re: बजाज का सफरनामा

Post by s_bajaj4u »

कहानी कैसे लगी बताना जरूर
Sanjay Bajaj
s_bajaj4u
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Re: बजाज का सफरनामा

Post by s_bajaj4u »

राधा रानी

दोस्तों में संजय आपके लिए एक और कहानी लेके आया हु इस को मेरे किसी फेसबुक दोस्त ने पोस्ट की ह यह सिर्फ कहानी ह कसी व्यक्ति विशेष या जगह पर अदारिथ नहीं है। इस की नायिका राधा रानी की कहानी उसी की जुबानी
जब कोई मुझे मस्त राधा रानी कहता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। वैसे अगर देखा जाए तो मैं हूँ भी बहुत मस्त! दिन दुनिया से बेखबर मैं हमेशा हिरणी की तरह इधर उधर फुदकती रहती हूँ। अभी नई-नई जवानी जो चढ़ी है मुझ पर। मेरी उम्र अभी 18 साल है और मैं +2 स्टेंडर्ड में पढ़ती हूँ।

मेरे जीवन में अभी कुछ महीने पहले एक खूबसूरत हादसा हुआ। जो मैं अपने दोस्तों के साथ बांटना चाहती थी। पर इतने दिलचस्प हादसे को शब्दों में बयान करना मेरे बस का नहीं था तो मैंने सोचा कि क्यूँ ना किसी ऐसे दोस्त की मदद ले ली जाए जो इस किस्से को सही ढंग से आप लोगों के बीच में ले आये। मुझे हिंदी में लिखना नहीं आता इसलिए मेरी यह कहानी मेरे एक मित्र राज शर्मा ने संपादित और संशोधित की है :

दिसम्बर महीने की वो रात आज भी मुझे याद आती है तो मेरी फुदकन गिलहरी मस्ती में उछल पड़ती है।

मेरे मामा के लड़के की शादी थी और मैं गांव में गई हुई थी शादी के मज़े लेने के लिए। आप यह मत कहना कि मैं अपने मुँह मिया मिटठू बन रही हू पर यह शत प्रतिशत सच है कि शादी में आई सभी लड़कियों में मैं सबसे ज्यादा खूबसूरत और देखने में सेक्सी थी। मेरे उरोज हिमालय की पहाड़ियों का एहसास देते हैं, कूल्हे (गाण्ड) तो इतनी मस्त है कि जैसे दो मुलायम गद्दे जोड़ दिए हों। लोग मेरे चेहरे की तुलना दिव्या भारती नाम की एक पुरानी फिल्म हिरोइन से करते हैं।

शादी की मस्ती जारी थी, नाच गाना हँसी-मज़ाक चल रहा था। मैं तीन दिन पहले ही आ गई थी इसलिए सबसे घुलमिल गई थी। मामा का लड़का मोहित जिसकी शादी थी वो तो हर बात में मेरी सलाह ले रहा था। इसका एक कारण तो यह था कि मैं शहर से आई तो और कुछ हद तक मॉडर्न थी। मेरी पसंद भी बेहद अच्छी है।

पर शादी में एक शख्स ऐसा भी था जिसकी तरफ मेरा ध्यान नहीं था पर वो मुझे हर वक्त ताकता रहता था। अपनी आँखों से मेरी चढ़ती जवानी को निहार-निहार कर आपनी आँखों की प्यास बुझाता रहता था, या यूँ कहें कि प्यास बढ़ा रहा था।

आखिर शादी हो गई और अब बारी थी सुहागरात की। शादी में मेरी दोस्ती शादी में आई एक लड़की रेशमा से हो गई थी। मैंने रेशमा से पूछा- यह सुहागरात में क्या होता है?

तो उसने आपने आँखें नचाते हुए कहा,”मेरी जान राधा रानी ! सुहागरात मतलब सारी रात ढेर सारी मस्ती !”

“मस्ती?” मैंने उत्सुकतावश पूछा।

“हाँ मस्ती ! सुहागरात पर दूल्हा दुल्हन की सील तोड़ता है फिर दोनों के जिस्म एक दूसरे से मिल जाते हैं और फिर शुरू होती है मस्ती !”

रेशमा ने अपने शब्दों में मेरे सवाल का जवाब दिया। पर इस जवाब ने मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी बढ़ा दी कि आखिर दूल्हा शील कैसे तोड़ता है ? मेरा दिल बेचैन हो गया। जैसे-जैसे रात नजदीक आ रही थी, मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। फूल वाला आया और मोहित का कमरा फूलों से सजा कर चला गया। तभी मेरी आँखों में फिल्मो का सुहागरात वाला सीन घूम गया। मेरा दिल अब करने लगा कि देखना चाहिए आखिर यह सुहागरात होती कैसी है? कैसे इसे मनाते हैं?

मामा के घर के हर कोने से अब तक मैं वाकिफ हो चुकी थी। जो कमरा मोहित को दिया गया था उसकी एक खिड़की बाहर खुलती थी पर उस खिड़की से सुहागरात देखना खतरे से खाली नहीं था, कोई भी आ सकता था। मैं बेचैन सी कोई सुराख दूंढ रही थी जिसमें से सुहागरात देखी जा सके पर कोई रास्ता नहीं मिला।

रात को करीब दस बजे दुल्हन को मोहित के कमरे में छोड़ने मोहित की भाभियाँ गई तो दिल की बेचैनी और बढ़ गई क्योंकि अभी तक कोई सुराख नहीं मिला था। एक बार तो दिल किया कि जाकर मोहित के कमरे में छुप जाती हूँ पर यह भी मुमकिन नहीं था।

आखिर दुल्हन को कमरे में भेज कर भाभियाँ हँसती हुई वापिस आ गई। आते ही बड़ी भाभी बोली,”मोहित का बहुत मोटा है, आज तो दुल्हन की चूत का बाजा बज जायेगा।”
Sanjay Bajaj
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Re: बजाज का सफरनामा

Post by s_bajaj4u »

तो छोटी बोली,”तुमने कब देखा?”

बड़ी ने जवाब दिया,”अरी कितनी बार तो देख चुकी हूँ उसे पेशाब करते और एक बार तो वो करते भी देखा है !”

छोटी ने उत्सुकता से पूछा,”किसके साथ?”

बड़ी हंस पड़ी और बोली,”वो है ना अपने नौकर शम्भू की बेटी माया ! उसी को चोद रहा था एक दिन पिछले जानवरों वाले कमरे में !”
Sanjay Bajaj
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Re: बजाज का सफरनामा

Post by s_bajaj4u »

सब बातों में लगे हुए थे। मैंने मौका देखा कर सुराख ढूँढने का एक और प्रयास करने का सोचा और बाहर आकर कर खिड़की की तरफ चल पड़ी। बाहर कोई नहीं था। मैं खिड़की के पास पहुँची और मैंने खिड़की को खोलने की हल्की सी कोशिश की तो मेरे भाग्य ने मेरा साथ दिया और खिड़की खुल गई। शायद मोहित उसे बंद करना भूल गया था।

अंदर का नज़ारा देखते ही मेरा दिमाग सन्न रह गया।

मोहित अपने कपड़े उतार रहा था और दुल्हन जिसका नाम नीलम था बिलकुल नंगी बेड पर अपनी आँखें बंद किये पड़ी थी। जब मोहित ने आपने सारे कपड़े उतार दिए और बेड की तरफ बढ़ा तो मेरी नज़र उसके हथियार यानि लण्ड देवता पर पड़ी। इतना बड़ा और मोटा लंड मैं अपनी जिन्दगी में पहले बार देख रही थी। मोहित का कम से कम 8 इंच लंबा तो जरुर होगा और मोटा भी बहुत था। वो काला नाग बिलकुल तन कर खड़ा था।

सुहागरात शुरू हो चुकी थी। मोहित अब नीलम के बराबर में लेटा हुआ था और नीलम के उरोजों को सहला रहा था। नीलम की चूचियाँ भी बड़ी-बड़ी थी और देखने में बहुत सुन्दर लग रही थी। नीलम का एक हाथ अब मोहित के मोटे लण्ड को सहला रहा था। चूमा-चाटी के बाद मोहित ने नीलम की टाँगें ऊपर की तो मुझे नीलम की चूत नज़र आई। नीलम की चूत पर एक भी बाल नहीं था। मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पर चला गया क्योंकि मेरी चूत पर तो बाल थे। मोहित ने नीलम की टाँगे अपने कंधों पर रखी और अपना मोटा लण्ड नीलम की चूत पर सटा दिया।

मैं यह सब देखने में मस्त थी कि तभी मुझे मेरे कंधो पर किसी का हाथ महसूस हुआ जो मेरे कंधे सहला रहा था।
सुहागरात शुरू हो चुकी थी। मोहित अब नीलम के बराबर में लेटा हुआ था और नीलम के उरोजों को सहला रहा था। नीलम की चूचियाँ भी बड़ी-बड़ी थी और देखने में बहुत सुन्दर लग रही थी। नीलम का एक हाथ अब मोहित के मोटे लण्ड को सहला रहा था। चूमा-चाटी के बाद मोहित ने नीलम की टाँगें ऊपर की तो मुझे नीलम की चूत नज़र आई। नीलम की चूत पर एक भी बाल नहीं था। मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पर चला गया क्योंकि मेरी चूत पर तो बाल थे। मोहित ने नीलम की टाँगे अपने कंधों पर रखी और अपना मोटा लण्ड नीलम की चूत पर सटा दिया।

मैं यह सब देखने में मस्त थी कि तभी मुझे मेरे कंधों पर किसी का हाथ महसूस हुआ जो मेरे कंधे सहला रहा था।

मैं चौंक गई। मैंने मुड़ कर देखा तो अँधेरे में वो पहचान में नहीं आया। पर वो था कोई बलिष्ट शरीर का मालिक। उसके हाथ के स्पर्श में मर्दानगी स्पष्ट नज़र आ रही थी। मैंने उसका हाथ हटा कर वहाँ से भागने की कोशिश की तो उसने मुझे कमर से पकड़ लिया और मेरी एक चूची को पकड़ कर मसल दिया। मैं दर्द के मारे कसमसाई पर डर के मारे मेरी आवाज नहीं निकल रही थी क्योंकि आवाज निकलने का मतलब था कि मेरी चोरी पकड़ी जाती। मैं पुरजोर उससे छूटने का प्रयास करती रही। पर जितना मैं छूटने का प्रयास करती उतना ही उसके हाथ मेरे शरीर के अंदरूनी अंगों की तरफ बढ़ते जा रहे थे।

अब तो उसके हाथ का स्पर्श मेरे शरीर में एक आग सी लगाता महसूस हो रहा था। ना जाने क्यों अब मुझे भी उसके हाथ का स्पर्श अच्छा लगने लगा था। मेरा प्रतिरोध पहले से बहुत कम हो गया था। अब उसके हाथ बहुत सहूलियत के साथ मेरे शरीर के अंगों को सहला रहे थे।

अचानक उसने मुझे अपनी ओर घुमाया और अपने होंठ मेरे कोमल गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठो पर रख दिए। उसकी बड़ी बड़ी मूछें थी। पर वो बहुत अछे तरीके से मेरे होंठों की चुसाई कर रहा था।

अब वो मुझे खींच कर खिड़की की तरफ ले गया और मेरा मुँह खिड़की की तरफ करके पीछे से मेरी चूचियाँ मसलने लगा साथ साथ उसका एक हाथ मेरी जाँघों को भी सहला रहा था। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। पहली बार मेरा दिल कुछ ऐसा कर रहा था कि मैं कोई चीज़ अपनी प्यारी चूत में घुसेड़ लूँ। मेरी आँखे बंद हो गई थी कि तभी कमरे में उठी सीत्कार ने मेरी आँखे खोली तो देखा कि मोहित का वो मोटा लण्ड अब नीलम की नाजुक और छोटी सी दिखने वाली चूत में जड़ तक घुसा हुआ था और अब मोहित उसे आराम आराम से अंदर-बाहर कर रहा था और नीलम तकिये को मजबूती से अपने हाथों में पकड़े और अपने होंठ दबाये उसके लण्ड का अपनी चूत में स्वागत कर रही थी।
Sanjay Bajaj
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