मेरे स्वीट राज अंकल Hindi sexi story

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rangila
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मेरे स्वीट राज अंकल Hindi sexi story

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मेरे स्वीट राज अंकल Hindi sexi story

मेरा घरेलू नाम डॉली है.. कहानी में मैंने अपने इसी नाम का इस्तेमाल किया है। अगर आगे दूसरी कहानी लिखी.. तो उसमें मैं अपने शहर का नाम भी बता दूँगी।
अब मैं अपने बारे में बता दूँ.. मैं 20 वर्ष की एक लड़की हूँ। मेरे मम्मे इतने गोल और कसे हुए हैं कि जब मैं टी-शर्ट पहनती हूँ.. तब लगता है कि मेरे सीने पर अलग से पानी भरे गोल-गोल दो गुब्बारे रखे हुए हैं।
ज़रा सा भी चलने-फिरने से ये खूब उछलने लगते हैं, ब्रा भी इनकी उछल-कूद को रोकने में नाकाम रहती है।
मेरा पेट बिल्कुल चिकना और सपाट है, मेरी जांघें लंबी और गोल हैं। मैं जब जीन्स पहनती हूँ.. तब तो मेरी जांघें और मेरे चूतड़ इस क़दर नुमाया हो जाते हैं कि इनके सारे कटाव और गोलाइयाँ उभर कर सामने आ जाती हैं।
मेरे जिस्म की जिल्द इतनी नर्म पतली और गोरी है कि मेरे मम्मों की गोलाइयों पर जिस्म के अन्दर की नसें सब्ज़ रंग में झलकने लगती हैं।
पूरा बदन इतना चिकना है कि हाथ रखते ही फिसलने लगता है।
मेरी चूत एकदम साफ है.. एक भी बाल नहीं है, कुदरती तौर पर चिकनी और एकदम गोरी.. है।
चूत के दोनों लब एकदम गुलाबी सुर्ख.. हालांकि यह बहुत बारीक और छोटे हैं और अधिकतर अन्दर की ओर ही घुसे रहते हैं। जब कभी मस्ती के वक़्त मैं इन्हें अपनी उंगलियों से सहलाती हूँ.. तब यह खड़े होकर बाहर झाँकने लगते हैं।
मेरी कसी हुई चूत से थोड़ा नीचे.. पीछे की छेद के इर्द-गिर्द बहुत बारीक से सुनहरे रोएँ हैं।
मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूँ। मेरे पापा की उम्र 45 वर्ष है और मम्मी की लगभग 40 वर्ष है। दोनों बहुत अच्छी पर्सनाल्टी के मालिक हैं। इस उम्र में भी पापा एकदम स्मार्ट और हैण्डसम दिखते हैं.. उनका रंग भी बिल्कुल गोरा है। केवल कनपटियों के पास कुछ बाल सफेद हैं।
मम्मी तो एकदम से मेरी बड़ी बहन लगती हैं, उनका रंग भी एकदम दूधिया और चमकदार है।
उनके मम्मे मुझसे थोड़े बड़े.. मगर बिल्कुल कसे हुए हैं। उनका पेट बिल्कुल मेरी तरह पतला और चिकना है। हिप और जांघें इतनी सुडौल कि साड़ी बाँधने पर पीछे की गोलाइयाँ और ठोस जाँघें छलकने लगती हैं।
दोनों की जोड़ी बहुत मस्त है, उनकी लाइफ बहुत ख़ुशगवार है।
मम्मी और पापा मुझसे बहुत प्यार करते हैं.. हमारे घर का माहौल काफी खुला है। मम्मी.. पापा मेरे सामने ही एक-दूसरे को किस कर लेते हैं। डिनर के वक़्त ड्रिंक भी सामने कर लेते हैं। कभी-कभार रेड वाइन का एक आध पैग मैं भी ले लेती हूँ। बचपन से मम्मी और पापा को ऐसे ही खुले प्यार करते देखती रही हूँ।
हमारे काफ़ी बड़े मकान में हमें तमाम सुख-सुविधा प्राप्त है।
अभी-अभी मेरा ग्रेजुएशन पूरा हुआ है। घर में सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक पापा को अपनी कंपनी के ज़रूरी काम से अमरीका जाने की ज़रूरत पड़ गई। उन्हें वहाँ चार महीने रुकना था.. वह मम्मी को भी साथ ले जाना चाहते थे। मैं इसलिए नहीं जा सकती थी कि मुझे आगे की पढ़ाई के लिए मास्टर डिग्री में एडमिशन लेना था।
इतने बड़े घर में इतने दिनों तक मैं अकेली नहीं रह सकती थी.. इसलिए पापा ने अपने एक साथी से बात की। वह एक-दो बार मेरे घर आए थे.. मैं उन्हें अच्छी तरह जानती थी। वह लगभग 34 वर्ष के थे.. बेहद स्मार्ट खूब गोरे-चिट्टे.. उनका मकान हमारे घर से पंद्रह मिनट के फ़ासले पर था। दो-तीन बार मैं मम्मी और पापा के साथ उनके घर भी जा चुकी थी।
उन्होंने शादी नहीं की थी। उनका मकान काफ़ी बड़ा और बिल्कुल मॉडर्न था। एकदम फिल्मी सैट की तरह बड़ा सा ड्राइंग रूम.. क़ीमती सोफे.. उम्दा क़ालीन और हर चीज़ बेहद क़ीमती।
उनके यहाँ दो महिलाएँ और एक पुरुष कर्मचारी थे। वह बहुत बड़े बिजनेसमैन थे। मेरे पापा ने उनसे अपनी समस्या बताई.. तो वह फ़ौरन इस बात के लिए तैयार हो गए कि जब तक वह अमरीका में रहेंगे.. उनकी बेटी यानि कि मैं.. उनके घर में रह सकती हूँ।
पापा ने घर आकर मुझे और मम्मी को बताया कि अगर तुम लोगों को कोई एतराज़ न हो.. तो उनका दोस्त राज अपने घर में हमारी बेटी को रखने को तैयार है।
मुझे यह सुन कर खुशी हुई.. लेकिन मम्मी ने पापा को कहा- राज अकेले रहते हैं.. क्या हमारी बेटी का उनके घर में रहना मुनासिब होगा?
पापा ने उन्हें समझाया कि राज उनका पुराना दोस्त है और वह हमारी बेटी को अपनी बेटी की तरह रखेगा.. तो मम्मी मान गईं।
पापा.. मम्मी अमेरिका जाने की तैयारी में लग गए और तय तारीख को जब उन्हें फ्लाइट पकड़नी थी.. तो राज हमारे घर आए। अपने मकान को अच्छी तरह लॉक करके हम लोग उन्हीं की शानदार गाड़ी में हवाई अड्डे के लिए निकले। रास्ते में पापा ने मुझसे कहा- आज से तुम राज के घर में रहोगी.. लेकिन राज अंकल को किसी बात के लिए ज़्यादा परेशान मत करना।
इस पर राज राज अंकल हँसने लगे और बोले- वो तुम्हारा अपना घर है.. किसी भी चीज़ के लिए झिझकना मत.. पूरे घर में जिस तरह चाहो रह सकती हो.. जिस चीज़ की ज़रूरत हो.. मुझसे पूछे बिना इस्तेमाल कर सकती हो। जो कुछ खाने-पीने का मन करे.. मेरे खास रेस्टोरेंट से फ़ोन करके घर मंगवा सकती हो। घर पर जो स्टाफ हैं.. उन्हें तुम अपने स्टाफ की तरह इस्तेमाल कर सकती हो।
यह सुन कर मम्मी भी बहुत खुश हुईं।
पापा और मम्मी की फ्लाइट उड़ जाने के बाद राज राज अंकल अपने साथ मुझे अपने घर ले कर आ गए। हम लोगों के घर पहुँचने के बाद पुरुष कर्मचारी ने अपने घर जाने की इजाज़त राज अंकल से माँगी। राज अंकल ने उसे छुट्टी दे दी। उसकी ड्यूटी शाम छ: बजे तक ही थी। अभी साढ़े छ: बज रहे थे।
राज अंकल ने कहा- पहले फ्रेश हो लेते हैं..
उन्होंने मुझे भी फ्रेश होने को कहा और ड्राइंगरूम के साथ वाले कमरे को खोल कर उन्होंने कहा- यह रहा तुम्हारा कमरा..
उसके ठीक बगल वाला कमरा राज अंकल का आफ़िस था। उस कमरे के पीछे एक और कमरा था। जिसका दरवाज़ा केवल उनके आफ़िस में खुलता था। वह उनका बेडरूम था। उनके बेडरूम से बाथरूम अटैच था। मुझे जो कमरा राज अंकल ने दिया था.. उसमें भी बाथरूम अटैच था। मैं अपने कमरे में जाकर फ्रेश होने लगी।
बाहर आई तो राज अंकल सोफे पर बैठे कोई फाइल देख रहे थे। मुझे देखते ही उन्होंने फाइल किनारे रखी और मुझसे उन्होंने पूछा- डिनर कहाँ करेंगे.. कहीं बाहर चल कर.. या यहीं मंगा लें?
मैंने कहा- आप जैसा पसंद करें।
उन्होंने कहा- नहीं तुम बताओ..
तब मैंने कहा- आज घर पर मँगा लें.. जब तक मैं पूरा घर भी देख लूँगी।
राज अंकल ने खाने का आर्डर फ़ोन पर दिया और मुझे अपना पूरा मकान दिखाने लगे। नीचे हिस्से में दस कमरे थे.. सब एक से बढ़ कर एक शानदार। मकान बहुत बड़ी चारदीवारी और सब तरफ फैले हुए बाग बगीचे के बीचों-बीच बना हुआ था।
मेनगेट पर चौकीदार रहता था। यह सब देखने के बाद हम ऊपर आ गए। फिर राज अंकल अपने आफ़िस में लेकर आ गए और वहीं बैठ कर खाना आने का इंतज़ार करने लगे।
तब मैंने कहा- राज अंकल आपने अपना बेडरूम तो दिखाया ही नहीं..
उन्होंने कहा- उस रूम में और उससे लगे बाथरूम में आज तक मैंने किसी बाहर के आदमी को नहीं जाने दिया है। केवल सफाई के लिए हमारी एक घरेलू महिला नौकर ही वहाँ जाती है। वह भी तब.. जब मैं घर पर मौजूद होता हूँ। बाक़ी समय मेरा बेडरूम लॉक रहता है और जब मैं सोने जाता हूँ.. तब ही वो खुलता है। मेरे अन्दर जाने के बाद मेरे बाहर आने तक वह बंद ही रहता है।
मैंने पूछा- ऐसा क्यों?
तब राज अंकल बात बदलने की कोशिश करने लगे.. इतने में खाना आ गया।
मैंने पैकिट खोल कर ख़ाना डाइनिंग-टेबल पर सज़ा दिया।
राज अंकल ने अपने आफ़िस के फ्रिज से रेड वाईन की बोतल निकाली और आइस-क्यूब बाक्स लेकर डाइनिंग-टेबल पर आ गए।
उन्होंने ने दो गिलास में ड्रिंक डाली.. तो मैंने झिझकते हुए उन्हें कहा- मैं अक्सर नहीं पीती हूँ.. कभी-कभार मम्मी-पापा के साथ एक आध पैग ले लेती हूँ..
तब राज अंकल ने कहा- मैंने तो समझा था कि तुम अपने मम्मी-पापा की तरह रोज़ ही लेती होगी.. अगर तुम्हारी इच्छा नहीं है.. तो कोई बात नहीं।
तब मैंने कहा- नहीं राज अंकल ऐसा नहीं है.. लेकिन आज आपके साथ पहली बार खा रही हूँ.. तो पी लूँगी।
फिर हम खाना खाने लगे.. तो मैंने पूछा- राज अंकल आपने बताया नहीं कि अपने बेडरूम में आज तक किसी और को क्यों नहीं जाने दिया.. वहाँ ऐसा क्या है?
राज अंकल ने कहा- कुछ भी नहीं.. बस यूँ ही..
तब मैंने कहा- लेकिन मैं तो आपके बेडरूम में जाऊंगी.. उसे देखने के लिए..
तभी राज अंकल ने कहा- पहले अपना खाना और ड्रिंक ख़त्म करो..
खाना ख़त्म होने के बाद राज अंकल मुझे ले कर नीचे बाग में टहलने के लिए आ गए।
आधा घंटा टहलने के बाद हम लोग ऊपर गए.. तो राज अंकल ने कहा- तुम अपने कमरे में जाकर सो जाओ।
मैंने कहा- लेकिन पहले मैं आपका बेडरूम देखना चाहती हूँ।


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तब राज अंकल ने मुझे अजीब नज़रों से देखा और अचानक पूछ बैठे.. तुम्हारा कोई ब्वॉय-फ़्रेंड है?
मैंने हँसते हुए कहा- नहीं राज अंकल.. मैंने आज तक कोई ब्वॉय-फ़्रेंड नहीं बनाया। लेकिन राज अंकल आप बुरा ना मानें.. तो मैं एक सवाल पूछूँ?
उन्होंने कहा- पूछो.. मैं भला तुम्हारी बात का बुरा क्यों मानूँगा?
‘राज अंकल आपने अब तक शादी क्यों नहीं की?’
यह सुन कर राज अंकल का चेहरा कुछ उदास हो गया।
उन्होंने कहा- पहली बार किसी ने यह सवाल मुझसे पूछा है.. शायद मुझे तुम्हारे सवाल का जवाब देना चाहिए.. असल में जब मैं यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी कर रहा था.. तभी एक कार एक्सीडेंट में मेरे मम्मी-पापा की मौत हो गई।
मैं अपनी एक क्लास-मेट से बहुत मोहब्बत करता था। पढ़ाई पूरी करने के बाद हम दोनों ने शादी का प्रोग्राम बना रखा था। मेरे मम्मी-पापा भी इस शादी के लिए राज़ी थे.. मगर उनकी मौत के कुछ ही दिनों बाद मेरी माशूक़ा की भी एक कार हादसे में जान चली गई..
मैं अपने मम्मी-डैड का इकलौता बेटा था। उनकी मौत के बाद मुझे ही उनका इतना बड़ा बिजनेस संभालना पड़ा। लेकिन अपनी माशूक़ा की मौत के सबब से मेरी ज़िंदगी एकदम सूनी हो गई। किसी चीज़ में मेरा दिल नहीं लगता था। किसी दूसरी लड़की से शादी के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता था.. मगर बिजनेस तो मुझे संभाले रखना था.. इसलिए मैंने शादी ना करने का फ़ैसला कर लिया।
यह सुन कर मुझे बहुत दुख हुआ और मैं एकटक उनका चेहरा देखती रही। इतना खूबसूरत जवान मर्द.. इतनी दौलत.. मगर ज़िंदगी इतनी सुनसान..
पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैं अचानक ही राज अंकल के सीने से लग गई। राज अंकल मेरे सर और पीठ पर हाथ फेरने लगे। अपने दोनों हाथ मैंने उनकी गर्दन पर कस लिए.. जिससे मेरे मम्मे उनकी सख़्त चौड़ी छाती में गड़ने लगे। मुझे अजीब तरह का एहसास हुआ।
हालाँकि मैं अक्सर ही अपने पापा के आफ़िस जाते समय मैं उनके गले से लग जाती थी.. और वो मेरा माथा चूम कर मुझे विश करते हुए आफ़िस चले जाते थे। मगर ऐसा एहसास कभी नहीं हुआ था। मेरे बदन में लहू गर्म होने लगा.. मुझे लगा कि मैं पूरी ताक़त से उनसे चिपट जाऊ।
राज अंकल मेरी यह हालत अच्छी तरह महसूस कर रहे थे.. वो मुझे इसी तरह अपने सीने से लगाए खड़े थे। तब मुझे अपनी हालत का एहसास हुआ और मैं आहिस्ता से उनके सीने से अलग हो गई.. मगर एकदम चुप।
तब राज अंकल ने मेरा बाज़ू पकड़ा और मुझे लेकर अपने आफ़िस में दाखिल हुए..। वहाँ टेबल के दराज से उन्होंने चाबी निकाली और अपना बेडरूम खोला। मुझे लिए हुए वो अपने बेडरूम में दाखिल हो गए। बेडरूम का डोर अपने आप लॉक हो गया।
यहाँ का नज़ारा देख तो मेरी नज़रें झुक गईं.. मेरी साँसें तेज़ चलने लगीं। दीवारों पर हर तरफ़ बेहद कामुक बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हुई थीं। औरत और मर्द सेक्स की हालत में एक-दूसरे में समाए हुए.. एक-दूसरे के कामुक अंगों को चाटते चूसते हुए दिख रहे थे। इतना आकर्षक कामुक दृश्य.. मैंने पहले कभी नहीं देखा था। ब्लू फिल्में मैंने पहले देखी हैं.. लेकिन ऐसा दिल में तूफान मचा देने वाला मंज़र मैंने पहले कभी नहीं देखा था। ना चाहते हुए भी मैं इन तस्वीरों को देखने पर मजबूर हो गई। राज अंकल बस एकटक मुझे देखे जा रहे थे और मैं इन कामुक तस्वीरों में खोई थी। फिर जब मुझे राज अंकल के साथ होने का एहसास हुआ.. तो मैंने अपना सर नीचे झुका लिया।
इस पर राज अंकल ने मेरा चेहरा अपने हाथों से ऊपर उठाते हुए कहा- इसमें शरमाने वाली क्या बात है। तुम बालिग हो और मैं समझता हूँ कि तुम्हें औरत और मर्द के रिश्तों के बारे में सब कुछ पता होगा।
चूँकि मैं ज़्यादा संकोची या दकियानूसी ख़यालों वाली लड़की नहीं थी.. इसलिए मुझे लगा कि राज अंकल से अब फ्रेंकली बातचीत करने में मुझे ज़्यादा शरमाने की ज़रूरत नहीं है।
इसलिए मैंने कहा- राज अंकल दरअसल ऐसी तस्वीरें मैंने पहले कभी नहीं देखी.. इसलिए और फिर आपके सामने.. मुझे थोड़ी झिझक लग रही है।
तब राज अंकल एकदम से हँस पड़े.. बोले- तुमने खुद ज़िद की थी कि मेरा बेडरूम देखोगी.. मुझे लग रहा था कि तुम्हारे जैसी मॉडर्न लड़की भी मेरा बेडरूम देख कर शर्मा जाएगी। लेकिन चलो कोई बात नहीं.. अब तुमने देख ही लिया है तो यह बताओ कि यह तस्वीरें कैसी हैं? मैंने इन्हें पेरिस से मंगवाया है।
मैंने कहा- यह तो बहुत खूबसूरत और हॉट हैं। मैंने पहले कभी इतनी हॉट तस्वीरें नहीं देखी हैं।
उन्होंने कहा- अकेली जिन्दगी में यही मेरी साथी हैं।
मुझे उन पर बहुत तरस आया.. मैंने कहा- राज अंकल आपको शादी कर लेनी चाहिए.. एक से एक सुंदर लड़की आपको मिल जाएगी.. अभी ना तो आपकी बहुत उम्र हुई है.. और न ही आप कोई मामूली आदमी हैं.. पढ़े-लिखे.. इतना बड़ा बिजनेस.. दौलत.. सब कुछ तो आपके पास है..।
लेकिन मेरी बात पूरी होने से पहले ही राज अंकल ने कहा- नहीं.. मैं शादी तो किसी क़ीमत पर नहीं करूँगा।
तब मैंने पूछा- क्या सारी जिन्दगी अकेले ही रहेंगे?
वह टालने वाले अंदाज़ में बोले- छोड़ो.. कोई और बात करो.. तुम्हें यहाँ बहुत दिन रहना है.. इसलिए मैं चाहता हूँ कि इस घर के बारे में तुम्हें सब कुछ जानना चाहिए और मुझसे भी तुम्हें कोई झिझक न रहे।
मैंने कहा- हाँ.. यह बात तो सही है..
ये सब बातें करते हुए काफ़ी देर हो गई थी इसलिए राज अंकल ने कहा- अब तुम जाकर सो जाओ।
राज अंकल के बेडरूम से जाने का मेरा मन नहीं कर रहा था.. इसलिए कि वहाँ का मंज़र देखने के बाद मेरा मन भटकने लगा था।
राज अंकल मुझे बहुत प्यारे लगने लगे थे। दिल कर रहा था कि उनकी मज़बूत छाती से लग कर उन्हें खूब प्यार करूँ। उनके लाल गुलाबी ताज़गी भरे लबों को अपने मुँह में डाल कर जम कर चूसूं और वह मुझे अपनी बाहों में पूरी ताक़त से चिमटा लें।
मैंने कभी सेक्स नहीं किया है.. लेकिन आज मेरा जिस्म सेक्स की ज़बरदस्त डिमांड कर रहा था। शायद मेरे चेहरे और मेरी आँखों से मेरी यह ख्वाहिश झलक रही थी। मैं इतनी भरपूर जवान थी कि ऐसा होना प्राकृतिक था।
तभी राज अंकल ने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने चेहरे के पास कर लिया और मेरी हथेली पर अपने होंठ रख दिए।
उनके होंठ एकदम जल रहे थे, मेरी हथेली में गुदगुदी होने लगी, राज अंकल के होंठ की गर्मी मेरे पूरे जिस्म के नस-नस में भरने लगी।
मेरी बेचैनी बढ़ने लगी.. तो अचानक मैंने अपना हाथ राज अंकल के हाथ से छुड़ा लिया और उठ कर अपने कमरे में आ गई..
राज अंकल पीछे-पीछे मेरे कमरे में आ गए और मुझसे बोले- क्या तुम्हें बुरा लगा?
मैंने अपने आपको संभाला. और बोला- नहीं राज अंकल.. अब मैं सोना चाहती हूँ.. रात बहुत हो गई है..
राज अंकल बोले- आराम से सो जाओ.. कल सुबह मिलेंगे।
वह कमरे से बाहर निकल गए।
मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और एक खूबसूरत सा नाइट गाउन पहन लिया। मेरा यह नाइट गाउन एकदम पारदर्शी था.. इसकी लंबाई केवल मेरे चूतड़ों तक आती थी। ऊपर सामने से गला इतना खुला था कि मेरे आधे से अधिक मम्मे नंगे ही रहते थे.. पेट के सामने एक पतली सी डोर थी.. इसे मैंने हल्के से बाँध लिया और बेड पर लेट गई।
ऐसी नाइटी मेरे घर में मेरी मम्मी भी इस्तेमाल करती थीं.. कई बार ऐसी नाइटी में मैं पापा के सामने भी आ जाती थी। मेरे मम्मी.. पापा इसे ग़लत नहीं समझते थे। घर के खुले माहौल में हम सबके लिए यह आम बात थी।
बिस्तर पर लेटते ही मेरे जिस्म में और भी तरंगें उठने लगीं। मेरा एक हाथ आहिस्ता-आहिस्ता नीचे चूत से जा लगा और दूसरा हाथ एक चूचे के निप्पल पर चला गया।
मेरी नंगी टाँगों और मम्मों पर बेहद नर्म कम्बल का एहसास मुझे और भी उत्तेजित करने लगा। एक इंच तक उंगली अपनी बुर में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी.. बारी-बारी से दोनों निपल्स को भी सहलाती रही..
आँखों के सामने राज अंकल के बेडरूम में लगी तस्वीरें घूम रही थीं, मेरे जिस्म के अन्दर लावा उबलने लगा.. राज अंकल की हैण्डसम पर्सनैल्टी मेरे होशो-हवास पर बुरी तरह छाई हुई थी। उनके भरे-भरे सीने.. कसी हुई ठोस बाज़ू.. एकदम रस से भरे हुए सुर्ख होंठ.. ठोस मज़बूत जांघें.. मुझे लग रहा था कि मैं राज अंकल को खुद में समा लूं।
इधर मेरे हाथ मेरी बुर और मम्मों के अंगूरों पर तेज़ी से थिरक रही थी..
फिर मैं बाथरूम में गई तो आह.. यह मेरे लिए जादुई अहसास था.. इस विशाल बाथरूम में आकर तो मैं एकदम चकित रह गई। यह तो आम सोने के कमरे से भी बड़ा कमरा है. और चारों तरफ दीवारों की जगह आईने लगे हैं.. नीचे फर्श पर भी हल्के से ढलान के साथ वॉल टू वॉल आईना ही लगा था। बाथरूम में दाखिल होते ही मेरी छवि हर ओर नज़र आने लगी।
दरवाज़े के बगल में एक खूबसूरत शेल्फ पर रंग बिरंगी शीशियों और डिब्बों को यहाँ बड़े सलीके से सजाकर रखा गया था और एक शेल्फ पर कुछ बड़े डिब्बे नज़र आ रहे थे.. जिस पर डिल्डो और नक़ली वेजाइना की तस्वीर छपी हुई थी। मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि इसमें मर्द और औरत दोनों की प्यास को शांत करने वाले खिलौने हैं।
मैंने उत्सुकतावश इन्हें खोल कर देखा.. तो इसमें बेहद खूबसूरत नौ इंच के बिल्कुल असली लंड से दिखने वाले डिल्डो मौजूद थे। इसी प्रकार मर्दों के हस्तमैथुन के लिए विभिन्न प्रकार के ‘फेक-वेजाइना’ भी डिब्बों में भरे पड़ी थीं। किसी वेजाइना का मुँह लड़कियों के होंठों के आकार का था.. किसी का मुँह बिल्कुल असली लड़की की बुर की तरह थी। इनके रंग बिल्कुल सुर्ख लाल और गुलाबी थे।
बाथरूम के इस माहौल ने मुझ पर नशा तारी करना शुरू कर दिया, मेरे मम्मों में कसाव आने लगा.. मेरे मम्मों की घुंडियाँ कड़ी होकर बाहर की ओर उभरने लगीं और मेरी बुर में गीलेपन का एहसास होने लगा।
अपने आप ही मेरा एक हाथ मेरे सीने पर चला गया और दूसरा हाथ नीचे बुर को छूने लगा.. मस्ती पूरे बदन में भरने लगी।
मैं एक सुंदर सा डिल्डो निकाल कर बाथटॅब में घुस गई और ठंडे पानी का नल खोल कर अपने जिस्म की गर्मी को शांत करने का प्रयास करने लगी।
अनायास ही मैं डिल्डो को मुँह में लेकर चूसने लगी.. जब डिल्डो मेरे मुँह के लार से पूरा भीग गया.. तब उसे मैंने अपनी बुर के मुँह पर सहलाना शुरू कर दिया.. जिससे मेरे जिस्म की आग और भी भड़क उठी।
एक हाथ से अपनी चूचियों को.. उसके निपल्स को मसलने.. दबाने लगी। उस समय मेरे बदन पर केवल ब्रा और पैंटी थी।
डिल्डो से मेरी बुर छूते ही मेरे जिस्म में तरंगें उठने लगीं, मैंने झट से अपनी पैंटी को खींच कर पाँव से बाहर निकाल दिया।
मेरी ब्रा अल्ट्रा डिजायनर थी.. केवल घुंडियों के सामने से एक डेढ़ सेंटी मीटर चौड़ी और बस ऊपर और साइड से केवल रेशम की मैचिंग के रंग की डोरी बँधी थी।
ब्रा की पट्टियों को हटाकर मैं अपनी घुंडियों को सहला रही थी।
बुर के दोनों होंठ से जब लार में भीगा डिल्डो हल्के-हल्के मसाज करता.. तो मेरी मस्ती का रंग और भी गहरा हो जाता।
मैं मस्ती में तड़पने लगी.. आज तक मैंने अपनी बुर के अन्दर कुछ भी नहीं डाला था।
मैं डरती थी कि इससे मेरा कुँवारापन नष्ट हो जाएगा.. मेरी योनि की झिल्ली फट जाएगी। इसलिए मैं मस्ती चढ़ने पर अपनी बुर को ऊपर से ही सहला कर अपना पानी बहा लेती थी.. लेकिन आज मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
ऐसा लग रहा था कि पूरा डिल्डो एक झटके में अन्दर डाल लूँ और अचानक ही मेरे हाथ के डिल्डो का सुपारा मेरी बुर के मुँह में एक इंच से अधिक अन्दर चला गया।
मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. ऐसा लग रहा था कि पूरा डिल्डो एक झटके में अन्दर डाल लूँ।
और अचानक ही मेरे हाथ के डिल्डो का सुपारा मेरी बुर के मुँह में एक इंच से अधिक अन्दर चला गया। मैं मस्ती से छटपटा उठी.. मेरा दूसरा हाथ तेज़ी से मेरे मम्मों की घुंडियों पर नाचने लगा। मैं हल्के-हल्के से डिल्डो को अन्दर-बाहर करने लगी।
लेकिन बहुत चाहत के बावजूद.. मैंने डिल्डो को ज्यादा अन्दर नहीं किया। मेरी मस्ती बढ़ने लगी और फिर अचानक मेरा जिस्म ऐंठने लगा। मेरी साँसें बहुत तेज़ हो गईं.. अपने मम्मों की घुंडियों को खींच कर अपनी ज़ुबान से चाटने लगी.. तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और आहिस्ता-आहिस्ता मैं शांत हो गई। और पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।

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सुबह मेरी नींद तब खुली.. जब राज अंकल ने मेरे बेडरूम का दरवाज़ा खटखटाया.. मैंने हड़बड़ा कर दरवाज़ा खोला।
राज अंकल ने मुझे मेरे जिस्म को छुपाने में नाकाम नाइट गाउन में देखा.. तो देखते ही रह गए.. मुझे ऐसा कोई खास फील नहीं हो रहा था.. क्योंकि मैं ऐसे ड्रेस में अपने घर में अपने पापा के सामने भी चली जाती थी मगर राज अंकल की निगाहें मेरे जिस्म से हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं।
मेरी निगाह राज अंकल के पाजामे पर पड़ी। उनका लंड खड़ा होने लगा था.. वह काफ़ी बड़ा आकार लेने लगा था।
यह देख कर मेरे बदन में झुरझुरी सी आने लगी।
मैंने राज अंकल से कहा- मैं अभी तैयार होकर आती हूँ..
और दरवाज़े को खुला ही छोड़ कर मैं बाथरूम में घुस गई। वहाँ से फारिग होकर मैंने अपनी जींस और टॉप पहना और बाहर आ गई।
राज अंकल भी तब तक तैयार हो कर नाश्ते की टेबल पर आ चुके थे, हम दोनों ने साथ ही नाश्ता किया।
इसके बाद राज अंकल ने कहा- आज संडे है.. लेकिन मुझे एक ज़रूरी काम से दो-तीन घंटों के लिए बाहर जाना है। जब तक सफाई वाली आए.. तो तुम मेरी टेबल से चाबी निकाल कर उसे दे देना। वह मेरे बेडरूम और बाथरूम की सफाई कर देगी।
इतना कह कर वह अपनी कार लेकर चले गए। उनके जाने के दो मिनट बाद ही सफाई वाली आ गई.. मैं तो उसे बस देखते ही रह गई। कहीं से भी वह सफाई वाली नहीं लगती थी। वो एक 28-30 की उम्र और एकदम छरहरी काया… लंबे काले बाल.. एकदम गोरा रंग.. बड़े-बड़े मम्मे.. बिल्कुल कसे हुए.. बेहद खूबसूरत और मस्त औरत थी।
उसने आते ही मुझसे पूछा- साहब नहीं हैं?
‘नहीं.. वो काम से चले गए हैं..’
उसने बताया कि वह यहाँ केवल साहब के बेडरूम और बाथरूम की सफाई का काम करती है। उसने यह भी बताया कि यहाँ जो एक और महिला और एक पुरुष कर्मचारी हैं वह यहाँ के दूसरे काम संभालते हैं और पूरे घर की सफाई करते हैं..
उसने मेरे बारे में कुछ नहीं पूछा, इससे मुझे लगा कि राज राज अंकल ने मेरे बारे में पहले ही सब कुछ उसे बता दिया था।
उसने यह भी बताया- मैं ऐसे ही बड़े साहब लोगों के दस दूसरे घरों में भी केवल उनके बेडरूम और बाथरूम की सफाई का काम करती हूँ। इससे मुझे अच्छेक पैसे भी मिल जाते हैं और काम भी ज्यादा नहीं करना पड़ता। केवल राज़दारी शर्त है.. इन बेडरूम में मैं जो कुछ देखती हूँ.. उसके बारे में किसी से बोलने.. बताने की मनाही है।
मैंने कुछ पूछे.. बोले बिना राज अंकल की टेबल से बेडरूम की चाबी निकाल कर उसे दे दी। वह राज अंकल के रूम में चली गई।
मैं सोचने लगी कि बेडरूम और बाथरूम देखना होगा, इनमें आख़िर ऐसा क्या है..जिसे राज अंकल और उन जैसे कुछ दूसरे लोग.. दूसरों की नज़रों से छिपाना चाहते हैं? लेकिन इस औरत के सामने वहाँ जाना मुझे अच्छा नहीं लगा.. आख़िर वह अपना काम करके चली गई।
दूसरे दोनों नौकरों के आने में अभी काफ़ी देर थी। मैं उत्सुकतावश जल्दी से चाबी लेकर राज अंकल के बेडरूम में घुसी। एक बार उन नग्न चित्रों पर नज़र डाली और फिर बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर जैसे ही अन्दर दाखिल हुई.. एकदम से चकित रह गई। यह मेरे लिए जादुई एहसास था। इतना बड़ा बाथरूम.. चारों ओर दीवारों की जगह पर आईने.. बेहद शानदार बाथटब.. शानदार शेल्फ पर ढेर सारे रंग-बिरंगे डिब्बे.. क्रीम.. जैलियों.. आयिल की बोतलें.. और दीगर मॉडर्न सामान.. कॉस्मेटिक से भरे हुए..
मस्त होकर डिल्डो का इस्तेमाल करके शांत होने के बाद मैं बाहर निकली और जल्दी से बाथरूम और राज अंकल का बेडरूम लॉक किया। चाबी उनकी दराज में डाली और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई।
मेरे मन में वह मंज़र हलचल मचाए हुए था, सेक्स की मेरी ख्वाहिश मुझे बेचैन करने लगी थी।
मैं राज राज अंकल के बारे में सोचने लगी, इतना हैण्डसॅम मर्द.. एकदम कड़ियल जवान.. वह शादी नहीं करना चाहते.. किसी और औरत से भी उनके संबंध नहीं हैं.. फिर उनके कमरे में डिल्डो का क्या काम.. फेक वेजीना तो समझ में आता है कि राज अंकल मुठ मारने के लिए उसका प्रयोग करते होंगे..
यह सोचते-सोचते मैं फिर से गर्म होने लगी मेरी चूत रस से भरने लगी.. मेरे मम्मों में कसाव आने लगा। मैं अपनी उंगलियों से अपने निपल्स को सहलाने लगी.. तब अन्दर की मस्ती और बढ़ने लगी।

मैं ख़यालों में राज अंकल के सीने लग गई.. उनकी भरी-भरी गुदाज़ छाती के खूब सुर्ख लाल निपल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी.. तो राज अंकल मुझे ज़ोर से अपने से भींचने लगे।
ख़यालों में मुझे महसूस हुआ कि राज अंकल मेरे मम्मों के निपल्स को अपनी उंगलियों से मसल रहे हैं।
मैं एकदम से गनगना उठी। मेरा एक हाथ नीचे बुर की लबों से जा लगा.. उल्ट कर तकिया को अपने मम्मों के नीचे दबाया और जींस नीचे करके अपनी उंगलियों को अपनी बुर में एक इंच तक अन्दर-बाहर करने लगी।
मैं एकदम से नशे में चूर होकर ख्यालों में ही राज अंकल के सख़्त हो चुके बड़े से मोटे लंड को.. अपनी नाज़ुक उंगलियों से छेड़ने लगी। तभी मुझे लगा कि मेरी बुर से रस निकलने लगा है। अपनी बुर पर मेरी पूरी हथेली चलने लगी और थोड़ी ही देर में मेरी पूरी हथेली मेरी चूत के रस से लबालब हो गई।
राज अंकल के साथ चुदाई का सोच कर मुझे मज़ा तो बहुत आया और मैं जल्दी झड़ भी गई.. लेकिन अन्दर से मुझे लगा कि अगर सच में ऐसा हुआ तो क्या यह ठीक होगा..?
अभी मैं यही सोच रही थी कि नीचे गाड़ी की आवाज़ आई.. मैं समझ गई कि राज अंकल आ गए।
मैं भाग कर नीचे आई.. तो राज अंकल गाड़ी लगा कर ऊपर ही आ रहे थे.. सीढ़ियों पर ही हमारा आमना-सामना हो गया। राज अंकल काफ़ी खुश नज़र आ रहे थे।
उनके हाथ में एक खूबसूरत सा पैकेट था, उन्होंने वह पैकेट मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा- यह तुम्हारे लिए है।
मैंने पैकेट लेते हुए पूछा- इसमें क्या है?
राज अंकल बोले- ऊपर चल कर आराम से खुद ही देख लो..
हम लोग ऊपर आ गए और राज अंकल ने कहा- चलो बेडरूम में बैठते हैं।
मैं अपने बेडरूम की तरफ बढ़ी.. तो राज अंकल ने कहा- आओ मेरे बेडरूम में बैठो।
अपने आफ़िस के टेबल से चाबी निकाल कर अपना बेडरूम खोलने लगे.. मैं उनके पीछे ही थी।
बेडरूम खुलते ही उन्होंने अन्दर क़दम बढ़ाया.. लेकिन मैं थोड़ा झिझक रही थी। राज अंकल ने मुस्करा कर मेरी तरफ देखा और मेरा हाथ पकड़ते हुए बोले- आ जाओ.. तुम्हारे जैसी मॉडर्न लड़कियाँ भी शरमाती हैं कहीं? और देखो तो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ..
राज अंकल के ऐसा कहने से मैं भी मुस्कुराते हुए राज अंकल के पीछे उनके बेडरूम में दाखिल हो गई। थोड़ी ही देर पहले ख़यालों में मैं जिस प्रकार राज अंकल को अपने साथ महसूस कर रही थी.. उसे सोच कर मैं मस्ती में आने लगी।
मैंने राज अंकल को गहरी नज़र से देखा तो मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वो एकटक मेरे गोल-गोल कसे हुए मम्मों को देख रहे थे।
मुझे अपनी तरफ देखते हुए राज अंकल ने देख लिया.. तो जल्दी से अपनी आँखें उन्होंने मेरे मम्मों से हटा लीं और मेरी तारीफ़ करते हुए कहने लगे- तुम सचमुच बहुत क्यूट हो.. इतनी सी उम्र में इतनी भरपूर जवानी और ऐसा निखरा हुआ हुस्न तो मैंने कहीं देखा ही नहीं.. तुम बहुत प्यारी हो.. एकदम से हसीन गुड़िया की तरह..
अपनी इतनी तारीफ सुन कर मैं और भी खुश हो गई, फिर भी बोली- राज अंकल आप मुझे बेवक़ूफ़ तो नहीं बना रहे हैं.. क्या मैं सचमुच आपको बहुत अच्छी लगती हूँ?
राज अंकल बोले- मैं ही क्या.. तुम्हें जो भी देखेगा.. वही तुम्हारी जवानी.. खूबसूरती और हुस्न के नशे में बहकने लगेगा।
मैं एकदम से खिलखिला कर हँसते हुए राज अंकल की छाती से जा लगी। मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था.. लग रहा था राज अंकल से पूरी ताक़त से लिपट जाऊँ।
राज अंकल ने मेरी गर्दन और मेरी पीठ सहलाना शुरू कर दिया, मुझ पर नशे सी मस्ती छाने लगी।
फिर अचानक ही पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने राज अंकल के होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
राज अंकल ने तो एकदम जोश में आकर मेरे निचले होंठ को अपने मुँह में भर लिया और कस-कस कर चूसने लगे।
फिर मैंने मस्ती में अपनी ज़ुबान राज अंकल के मुँह में डाल दी, राज अंकल मेरी जीभ को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे।
मैं मस्ती में बदहवास हो ती जा रही थी, हम एक-दूसरे के होंठ और ज़ुबान को खूब चाट.. चूस रहे थे।
तभी राज अंकल का एक हाथ मेरे बाएँ चूचे पर आ गया.. आहिस्ता से उन्होंने अपनी उंगली को मेरे निप्पल पर फेरा.. तो मैं एकदम से मस्ती में छटपटा उठी। राज अंकल बेहद आहिस्ता-आहिस्ता मेरी निप्पल पर अपनी उंगली फेर रहे थे।
इससे मेरे बदन का एक-एक रोआं खड़ा हो गया, मुझे लगा कि राज अंकल मेरे दूसरे मम्मे की निप्पल पर भी ऐसे ही उंगली फिराएं।
मैं कसमसा कर अपना दूसरा चूचा राज अंकल की छाती पर रगड़ने लगी।
कमरे में चारों ओर दीवारों पर लगी कामुक.. औरत-मर्द की बेहद गर्म.. एक-दूसरे को चूमती-चाटती तस्वीरें.. एक-दूसरे के लौड़ों और बुर को पकड़ते.. सहलाते.. सहवास करते मंज़र ने हम दोनों को ही बेहद उत्तेजित कर दिया था।
राज अंकल भी अब बहुत बेक़ाबू होते जा रहे थे, वे मुझे लेकर वहीं सोफे पर बैठ गए..
इस तरह बैठने से मैं बिल्कुल राज अंकल की गोद में आ गई।
नीचे मुझे अपनी चूतड़ों के बीच कुछ गोल भारी सा महसूस होने लगा, मेरी मदहोशी और भी बढ़ने लगी, मुझे नीचे हाथ करके राज अंकल का लंड पकड़ने की इच्छा होने लगी।
मेरी बुर में पानी उतर आया था, मैं अपनी बुर को राज अंकल के लंड पर रगड़ने की कोशिश करने लगी।
राज अंकल अब दोनों हाथों की उंगलियाँ मेरे दोनों मम्मों के निप्पल पर चला रहे थे।
फिर वे मेरे दोनों मम्मों को अपनी हाथों से मसलन लगे।
मस्ती से मेरा जिस्म लहराने लगा और मैं तेज़ी से राज अंकल की गोद में अपनी कमर रगड़ने लगी।
तभी मेरी बुर ने पानी छोड़ दिया.. मैं एकदम से हड़बड़ा गई.. मेरी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं, मैं एकदम से राज अंकल की गोद में ढह गई।
राज अंकल ने अपने आप पर क़ाबू पाते हुए मुझे अपने से अलग किया। शायद वे सब समझ रहे थे कि मेरा पानी निकल गया है।
मुझे अब काफ़ी शरम आ रही थी।
लेकिन राज अंकल ने फ़ौरन ही कहा- डॉली अपना पैकेट तो देख लो।
मैंने भी माहौल को अपने अनुकूल बनाने के लिए डब्बा खोलना शुरू कर दिया।
डब्बा खुलते ही मैं राज अंकल का मुँह देखने लगी और मुस्कुरा कर बोली- राज अंकल अब लगता है आप शादी करने की तैयारी कर रहे हैं.. ब्रा और पैंटी तो कोई मर्द अपनी पत्नी के लिए ही खरीदता है, ये मैं कैसे ले सकती हूँ।
राज अंकल ने कहा- पहले तुम इन्हें निकाल कर तो देखो और बताओ कि यह कैसी है?
मैंने राज अंकल का दिल रखने के लिए डिब्बों को खोला तो उसमें एकदम मेरी बाडी कलर का लैटेक्स का ब्रा और इसी तरह की पैंटी.. मुझे यह बहुत पसंद आया।
फिर भी राज अंकल से कहा- ये आप मेरे लिए लाए हैं..?
राज अंकल ने कहा- हाँ.. यह तुम्हारे लिए है.. तुम्हें पसंद आया?
मुझे थोड़ी झिझक हो रही थी.. फिर भी मैंने कह दिया- राज अंकल यह यह बहुत अच्छा है.. बहुत खूबसूरत..
यह सुन कर राज अंकल खुश हो गए और उन्होंने कहा- तुम इसे पहन कर दिखाओ.. मैं भी तो देखूं कि तुम्हारे जिस्म पर यह कैसा लगता है?
मैंने थोड़ा शरमाते हुए कहा- राज अंकल आपके सामने?
राज अंकल बोले- मुझसे क्या शरमाना?
तब मैंने भी अपनी झिझक को दरकिनार करते हुए राज अंकल को खुश करने का फ़ैसला कर लिया.. मैंने उनके सामने ही अपना टॉप उतारा और फिर अपनी पहनी हुई स्ट्रेपलैस ब्रा भी उतार दी। राज अंकल एकटक मेरे नंगे मम्मों को देखे जा रहे थे। उनके ऐसे देखने से मेरे जिस्म में फिर से सनसनी उतरने लगी।
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Re: मेरे स्वीट राज अंकल Hindi sexi story

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मैंने मुस्कुराते हुए राज अंकल की लाई हुई ब्रा उठा कर अपनी चूचियों पर रखा और दोनों हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के फीते के सिरे पर लगे हुक को एक-दूसरे से जोड़ दिया।
राज अंकल ने उठ कर मेरी गोलाइयों पर ब्रा को एडजस्ट कर दिया..
मुझे फिर से शर्म आने लगी.. लेकिन अब जब कि राज अंकल मेरे नंगे मम्मों को देख चुके थे.. उससे पहले अपनी उंगलियों से उसके चूचुकों को भी सहला चुके थे.. अपनी मुठ्ठियों में भर कर उसके मज़े ले चुके थे.. तो अब क्या शरमाना..!
मैंने राज अंकल को अपने मम्मों पर अपना ब्रा एडजस्ट करने दिया।
बिस्तर के सिरहाने लगे बड़े से आईने में मैंने अपने आपको देखा.. तो ऐसा लगा जैसे मेरे मम्मे बिल्कुल नंगे हैं। पता ही नहीं चलता था कि मैंने कोई ब्रा पहन रखी है, केवल मेरे निप्पल निकले हुए नज़र नहीं आ रहे थे.. लेकिन ब्रा के अन्दर से उनकी झलक साफ नज़र आ रही थी।
मुझे फिर से झिझक होने लगी.. मगर राज अंकल मुझे इस हाल में देख कर मस्त हुए जा रहे थे।
उन्होंने पैंटी पहनने को भी कहा.. मैंने राज अंकल के चेहरे की खुशी देख कर आहिस्ता से अपनी पैंट को खोलना शुरू किया.. तो राज अंकल ने अपना हाथ लगा कर मेरी पैंट को सटाक से नीचे खींच दिया।
मेरी पैंटी बिल्कुल गीली हो रही थी.. राज अंकल ने भी इसे देख लिया.. तो बोले- जल्दी उतारो.. इसे तो तुम्हें पहले ही उतार देना चाहिए था।
मुझे बहुत शर्म आने लगी.. लेकिन इस सिचुएशन में मैंने खुद को एक मॉडर्न लड़की के रूप में रखते हुए वह सब कुछ करने का फ़ैसला कर लिया.. जो राज अंकल को अच्छा लगे।
क्योंकि मैं राज अंकल को हँसते.. मुस्कुराते देखना चाहती थी।
पता नहीं क्यों.. राज अंकल मुझे बहुत प्यारे लगने लगे थे और एकदम अपने से..
उन्हें खुश देख कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं आहिस्ता-आहिस्ता अपनी अंडरवियर को नीचे करने लगी।
राज अंकल मेरे बिल्कुल क़रीब आ गए.. मेरा अंडरवियर जैसे ही मेरी जांघों तक आया। राज अंकल ने अपना हाथ लगा कर उसे नीचे सरका दिया। वह मेरी चिकनी बुर देख कर मचल उठे।
बोले- वाऊ.. तुम्हारा यह पोरशन तो लाजवाब है.. किस चीज़ से शेव करती हो?
और वो मेरी बुर के ऊपरी हिस्से को सहलाने लगे।

मैं तो एकदम से पागल होने लगी.. इतनी मस्ती आने लगी कि मेरी आँखें बंद होने लगीं।
राज अंकल ने आहिस्ता से अपने होंठ मेरी चूत के ऊपरी भाग पर रख दिए। मैं मस्ती में काँपने लगी.. पहली बार कोई मर्द इस प्रकार मेरे जिस्म के प्राइवेट भागों को छू रहा था।
मैं बेक़ाबू होकर राज अंकल से लिपटने को बेक़रार होने लगी, मेरे हाथ राज अंकल के सर के बालों को खींचने लगे।
राज अंकल को मेरी तड़प का एहसास हुआ.. तो उन्होंने खड़े होकर मुझे पूरी तरह अपनी आगोश में भींच लिया।
मैं भी उनसे बुरी तरह लिपट गई और हमारे लब आपस में जुड़ गए, पूरे जोश में हम दोनों एक-दूसरे के होंठ और जीभ को चाट चूस रहे थे।
कुछ देर बाद राज अंकल ने मुझको खुद से अलग किया और अपनी लाई हुई पैंटी मुझे पहनाने लगे। मेरी जांघों में ऊपर चढ़ा कर पैंटी को उन्होंने मेरी बुर और कमर पर फिट कर दिया और मुझे लिए हुए आईने के सामने आ गए।
बोले- देखो तुम्हारे जवान जिस्म पर यह कितना शानदार लग रहा है..
आईने में मैंने अपने को देखा तो एक बार फिर से लजा गई, लग ही नहीं रहा था कि मैंने पैंटी पहनी हुई है। मैं इसमें बिल्कुल नंगी लग रही थी। मेरी बुर के चीरे का निशान भी साफ झलक रहा था।
राज अंकल ने मेरी जांघों में ऊपर चढ़ा कर पैंटी को मेरी चूत और कमर पर फिट कर दिया और मुझे लेकर शीशे के सामने आकर कहा- देखो तुम्हारे खूबसूरत बदन पर ये कितनी शानदार लग रही हैं!
शीशे में मैंने देखा तो मैं लजा गई, लग ही नहीं रहा था कि मैंने पैंटी पहनी है। इसमें मैं एकदम नंगी दिख रही थी, मेरी योनि की लकीर भी साफ झलक रही थी।
अब आगे..
लेटेक्स का होने के सबब यह ब्रा और पैंटी मेरे जिस्म पर एकदम चिपक गई थी.. इनका रंग बिल्कुल मेरे बदन जैसा था और ऊपर से बिल्कुल पारदर्शी.. सिर्फ़ मेरे जिस्म को यह महसूस हो रहा था कि मेरे जिस्म पर कुछ पहना हुआ है। देखने वालों को लगता था कि मैं बिल्कुल नंगी हूँ।
राज अंकल मुझे लगातार निहार रहे थे।
मैं मुँह से कुछ नहीं बोल रही थी.. लेकिन राज अंकल के हर एक्ट का जवाब बाडी लैंगवेज से बराबर दे रही थी।
फिर अचानक ही मैं बोल पड़ी- राज अंकल यह आप मेरे लिए क्यों लाए?
उन्होंने कहा- बस अच्छा लगा तो ले लिया.. और सचमुच यह तुम पर कितना जॅंच रहा है।
मैंने कहा- लेकिन इसे पहन कर तो लगता ही नहीं कि मैंने कुछ पहना हुआ है..
राज अंकल बोले- तो क्या हुआ.. वैसे भी ये तो अंडरगारमेंट्स हैं.. ये तो बस खास लम्हों में देखने की चीज़ें हैं..
अब हम दोनों के बीच कोई खास झिझक नहीं रह गई थी। राज अंकल और मैं कुछ बोले बिना ही एक-दूसरे के इतना समीप आ गए थे कि हमारे जिस्मानी रिश्ते की राह बेहद आसान हो गई थी।
मुझे लग रहा था कि राज अंकल के सीने से लग कर उन्हें खूब प्यार करूँ।
मैं राज अंकल से बिल्कुल लगी हुई खड़ी थी, राज अंकल ने कहा- आओ.. तुम्हें अपना बाथरूम भी दिखा दूँ।
यह सुन कर मेरा दिल धड़कने लगा, मैं तो पहले ही राज अंकल का बाथरूम देख चुकी थी और वहाँ अपना पानी भी निकाल चुकी थी।
मुझे लगा कि बाथरूम में जो चीज़ें रखी हैं.. राज अंकल शायद उनके बारे में मुझे बताएँगे। मैं भी जानना चाहती थी कि वहाँ कई प्रकार के डिल्डो आख़िर क्यों रखे हैं।
राज अंकल मुझे लेकर बाथरूम में आ गए। अन्दर आते ही उन्होंने मेरे लबों को चूमना शुरू कर दिया। फिर मेरे मम्मों को सहलाने लगे।
मैं भी पूरी तरह मस्त थी.. इसलिए राज अंकल की इन हरकतों का बराबरी से जवाब देने लगी।
राज अंकल अब पूरे जोश में आते जा रहे थे.. उन्होंने लैटेक्स की ब्रा को बड़ी आसानी से हुक खोल कर नीचे गिरा दिया। फिर वह मेरी जांघों के बीच में हाथ डाल कर ठीक बुर के सुराख को उंगली से सहलाने लगे। मैं एक बार फिर से मस्ती में झूमने लगी.. मेरी आँखें बंद हो गईं।
राज अंकल ने अब अंडरवियर भी खींच कर मेरे पाँव से बाहर निकाल दिया। मैं सेक्स के नशे में भीग कर राज अंकल के जिस्म पर अपनी उंगलियाँ के नाख़ून और दाँत गाड़ने लगी थी।
तभी राज अंकल ने जल्दी-जल्दी अपने सारे कपड़े उतार फेंके और मुझे लेकर बाथटब में आ गए।
बाथटब होश उड़ा देने वाली खुशबू वाले पानी से भरा था। उसमें गुलाब की पंखुड़ियाँ तैर रही थीं। राज अंकल ने मुझे अपने ऊपर किया और मेरे मम्मों के निप्पल पर अपनी ज़ुबान फेरने लगे। मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी।
अब मुझे लग रहा था कि राज अंकल के लंड को पकड़ कर अपनी योनि में डाल लूं और अपने आप ही मेरा हाथ राज अंकल के लण्ड पर चला गया।
इसके हाथ में आते ही मुझे ऐसा लगा कि कोई आग में तप रहे लोहे की रॉड को मैंने छू लिया है। लेकिन यह इतना चिकना.. मज़ेदार और ठोस लगा कि मैं इसे दबाने की कोशिश करने लगी। ऊपर के लण्ड मुण्ड पर जब मेरी हथेली लगी.. तो मेरे जिस्म की मस्ती और भी बढ़ गई।
राज अंकल भी बेहाल हो गए.. उन्होंने मुझे उठा कर अपने मुँह पर बैठा लिया और मेरी अनछुई बुर को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे।
उनके ऐसा करने से मेरा बदन अकड़ने लगा.. मेरा पूरा जिस्म एक नए जोश से भर गया।
राज अंकल अपनी ज़ुबान मेरी बुर में एक-डेढ़ इंच तक अन्दर डाल कर उसे ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगे।
तभी मैं होश ओ हवास से बेगाना हो गई.. मेरी साँसों में तूफान उठने लगा और मेरी बुर ने झरझराकर ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
मुझे लगा कि मेरी बुर के रास्ते मेरी जान निकली जा रही है।
मैं पिघल कर राज अंकल की गोद में समा गई और पूरी ताक़त से उनसे चिपट गई।
राज अंकल ने भी मुझे खूब ज़ोर से अपने से भींच लिया और मेरी कमर और मेरे चूतड़ों पर अपने भारी हाथ फेरने लगे।
मैं पहली बार किसी मर्द के इतना क़रीब उस के बाजुओं में सिमटी हुई झड़ी थी।
मुझे बहुत मज़ा आया.. मेरा जिस्म एकदम हल्का-फुल्का होकर हवाओं में जैसे उड़ रहा था।
मैं काफ़ी देर तक आँखें बंद किए राज अंकल के आगोश में पड़ी रही।
राज अंकल लगातार मेरे जिस्म से खेल रहे थे.. कभी मेरे होंठों को चूसते.. कभी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देते.. कभी मेरे मम्मों को सहलाने लगते.. कभी उन के निप्पलों को चूसते.. कभी उन पर हौले-हौले अपने दाँत गाड़ते.. कभी अपने एक हाथ की उंगली मेरी बुर के चीरे पर ऊपर से नीचे और कभी नीचे से ऊपर फिराते.. आह्ह.. मैं मदमस्त होने लगी थी।
अब उनके लिए अपने लंड को क़ाबू में रखना बहुत मुश्किल हो गया था, उन्होंने अपने ऊपर से मुझे उठाया और मेरा बाज़ू पकड़ते हुए बाथटब से बाहर आ गए, नीचे फर्श पर लगे शीशे पर लेट गए और मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
मैं चिकनी मछली की तरह फिसलती हुई उनके जिस्म पर आ पड़ी।
वे मेरे पूरे जिस्म को चूमने-चाटने लगे और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने बेहद सख़्त हो चुके लंड पर रख दिया।
मैं उनके लण्ड को पकड़ कर बड़ी नज़ाकत से अपनी नर्म मुलायम हथेलियों के बीच ऊपर-नीचे करने लगी। बस राज अंकल तो बिल्कुल तड़प उठे.. वह कहने लगे- डॉली जल्दी-जल्दी करो.. अब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता.. और तेज़.. खूब तेज़..

मैं समझ गई कि राज अंकल का अब रस निकलने वाला है, उनका लंड अब पत्थर की तरह सख़्त हो गया था, मेरा मन इसे अपनी आँखों के सामने देखने का कर रहा था।
लेकिन राज अंकल मुझे पूरी ताक़त से अपने से लपेटे हुए थे।
मैं अपनी हथेलियों को गोलाई में करके राज अंकल के लंड के बिल्कुल नीचे जड़ पर ले जाकर खूब ज़ोर-ज़ोर से गोलाईयों में ही जल्दी-जल्दी खोल-बंद करने लगी।
तभी राज अंकल एकदम से पलट गए.. मैं उनके नीचे दब गई।
उन्होंने कहा- अपनी मुट्ठी में यूँ ही लण्ड को पकड़े रहना..
और बड़ी तेज़ी से अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगे.. उनके जिस्म के दबाव से मेरी मादकता भी बढ़ने लगी।
उनके लण्ड का ऊपरी भाग.. मेरी जांघों के बीचों-बीच सटासट उधम मचा रहा था.. मुझे लग रहा था.. अगर राज अंकल अपना लण्ड मेरी योनि में डाल देते.. तो मज़ा आ जाता।
तभी राज अंकल ‘आह्ह्ह्ह्ह.. मेरी जानंनन..’ करते हुए मेरे गालों को चूमते हुए मुझ पर ढह गए।
कुछ देर तक यूँ ही पड़े रहने के बाद राज अंकल मुस्कुराते हुए मुझ पर से उठे और मेरे लबों को चूम लिया।
हम दोनों पूरे तो नहीं.. मगर काफ़ी हद तक संतुष्ट थे।
मगर असली चुदाई की मेरी खावहिश बहुत बढ़ गई थी। राज अंकल ने उठ कर पहले मेरा हाथ और मेरी जांघों को पाइप लेकर पानी डाल कर साफ किया.. क्योंकि राज अंकल के वीर्य मेरे हाथ और जांघों पर भर गया था।
फिर राज अंकल ने कहा- हमें अब अपनी पूरी सफाई करनी चाहिए।
यह कह कर उन्होंने खूबसूरत शेल्फ पर पड़े एक डिब्बे को खोल कर उसमें से पाइप जैसी कोई चीज़ निकाली.. सुनहरे रंग की यह पाइप लगभग एक इंच मोटी और काफ़ी लंबी थी। इसके एक सिरे पर सख़्त रबड़ का गेंद सा लगा हुआ था.. जिसके आगे छोटा सा छेद था और दूसरे सिरे पर वॉटर टैब से जोड़ने के लिए मुँह बना हुआ था। मैं इसे ताज्जुब से देखने लगी कि यह आख़िर है क्या।
राज अंकल ने कहा- देखो यह किस काम आता है..
उन्होंने उसका एक सिरा वॉटर टैब से जोड़ा और दूसरी तरफ बने गेंद पर एक शीशी से खुशबूदार चिकनाई वाली जैली निकाल कर उस पर लगाया और फिर जाकर कमोड पर बैठ गए।
उन्होंने पाइप से लगे गेंद को अपनी पिछली सुराख में ज़ोर लगा कर अन्दर किया और पानी का नलका खोल दिया। एक हल्की सी सीटी की सी आवाज़ निकली.. साथी ही पानी की तेज़ धार उनकी सुराख से नीचे गिरने लगी।
धीरे-धीरे वह पाइप को अन्दर आगे बढ़ाने लगे.. कई इंच पाइप उनकी गाण्ड में अन्दर चला गया.. जिससे थोड़ा गंदा पानी उनकी गाण्ड से बाहर आकर कमोड में गिरने लगा
राज अंकल पाइप को लगातार अन्दर-बाहर करने लगे.. मानो जैसे ब्रश से अन्दर की सफाई कर रहे हों। काफ़ी देर तक ऐसा करने के बाद वह कमोड से उठ आए और उन्होंने मुझसे कहा- आम तौर पर लोग अपने पेट की पूरी सफाई नहीं करते.. इस तरह अच्छी सफाई हो जाती है.. तुम भी अपनी सफाई कर लो।
मुझे थोड़ा अजीब लगा.. लेकिन मैं राज अंकल को अपने गाण्ड की सफाई करते देख कर काफ़ी रोमांचित हो गई थी.. इसलिए मैं भी इसी प्रकार अपनी सफाई करने पर तैयार हो गई।
राज अंकल ने ऐसी ही एक दूसरी नई पाइप निकाली.. इसका रंग लाल था.. उस पर लगी गेंद का कलर भी बिल्कुल सुर्ख था। राज अंकल ने खुशबूदार चिकनाई वाली जैली की शीशी निकाल कर पाइप की गेंद पर ढेर सारी जैली लगा दी और मुझे पाइप थमा दिया।
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Re: मेरे स्वीट राज अंकल Hindi sexi story

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मैं जाकर कमोड पर बैठ गई और गेंद को अपनी गाण्ड में अन्दर करने की कोशिश करने लगी.. लेकिन वह अन्दर जाने की बजाए स्लिप कर रहा था। शायद मेरी गाण्ड का छेद कसा और छोटा होने से गेंद अन्दर नहीं जा रहा था।
राज अंकल बोले- पहले नीचे की तरफ थोड़ा ज़ोर लगाओ और फिर गेंद को अन्दर करो।
मैंने वैसा ही किया.. तब भी गेंद मेरी गाण्ड में नहीं घुस रही थी। तब राज अंकल मेरे क़रीब आए.. उन्होंने पाइप वाली गेंद मुझसे ले ली और मुझे बोले- तुम नीचे की तरफ ज़ोर लगाओ..
मैंने वैसा ही किया.. तो राज अंकल ने अचानक ही तेज़ी से गेंद मेरे सुराख पर रख कर कस कर अन्दर ठेल दिया.. खूब चिकना होने और राज अंकल के पूरा ज़ोर लगा कर अन्दर ठेलने की वजह से गेंद सड़ाक से अन्दर चली गई..
लेकिन मुझे तेज़ दर्द होने लगा.. मैंने कहा- उफ.. राज अंकल इसे निकाल दीजिए.. मुझे काफ़ी दर्द हो रहा है।
तब राज अंकल ने हँसते हुए कहा- दर्द अभी ख़त्म हो जाएगा.. तुम थोड़ा सा बर्दाश्त करो..
यह कह कर राज अंकल पाइप को अन्दर ठेलने लगे.. गेंद अन्दर आगे सरक गया तभी राज अंकल ने वॉटर टैब से पानी खोल दिया.. अचानक मेरे अन्दर गुदगुदी होने लगी।
राज अंकल धीरे-धीरे पाइप को अन्दर-बाहर करने लगे.. फिर उन्होंने पाइप को अन्दर ज्यादा अन्दर तक डाल दिया। क़रीब चार इंच पाइप मेरी गाण्ड में अन्दर चला गया.. मेरी गाण्ड से पानी की तेज़ धार लगातार नीचे गिर रही थी। एकदम साफ झलझला पानी.. कोई गंदगी नहीं..
यह देख कर राज अंकल बोले- अब अन्दर तक पूरी सफाई हो गई है..
अब मैंने उस पाइप को राज अंकल के हाथ से ले लिया और खुद ही इसे अन्दर-बाहर करने लगी। मुझे खूब मज़ा आ रहा था.. राज अंकल मुझे ऐसा करते हुए बड़े गौर से देख रहे थे और बहुत खुश लग रहे थे।
आख़िर मैंने पाइप को अपनी गाण्ड से बाहर निकाला और कमोड से उठ आई।
मैंने राज अंकल को कहा- यह तो सचमुच बहुत काम की चीज़ है.. पेट के अन्दर की सफाई ऐसे तो कोई नहीं करता होगा।
राज अंकल बोले- हाँ आमतौर पर लोग नहीं करते.. लेकिन जानकार और मस्त लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। इससे अन्दर तक अच्छी तरह सफाई भी हो जाती है और मज़ा भी आ जाता है।
बाथरूम की इस गरमागरम क्रिया और यहाँ के नशीले माहौल ने मन में चुदाई की आग भड़का दी थी.. लग रहा था कि राज अंकल का लंड पकड़ कर उसे अपनी चूत में डाल लूं। लेकिन पता नहीं राज अंकल क्या सोचेंगे.. यह सोच कर मैं वहाँ नंगी ही खड़ी रही।
तब राज अंकल ने कहा- मेरा एक काम कर दो।
उन्होंने झट से डिल्डो का एक डिब्बा खोला और एक बड़ा खूबसूरत सा डिल्डो निकाल कर मुझे थमा दिया और बोले- इस पर क्रीम लगालो और मेरे पिछले छेद में डालो।
इसके साथ ही राज अंकल बाथटब का किनारा पकड़ कर झुक गए। मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। मगर मैंने राज अंकल के कहे अनुसार डिल्डो पर ढेर सारी क्रीम लगाई और राज अंकल की गाण्ड में घुसाने लगी। उनकी गाण्ड कसी हुई थी.. इसलिए डिल्डो अन्दर नहीं जा रहा था।
राज अंकल ने कहा- थोड़ा ज़ोर लगा कर ठेलो।
मैंने वैसा ही किया.. तब भी मैं डिल्डो राज अंकल की गाण्ड में घुसाने में नाकाम रही.. तब राज अंकल ने डिल्डो मुझसे ले लिया और खुद से ज़ोर लगा कर अन्दर डाल लिया।
फिर उन्होंने मुझसे कहा- अब तुम डिल्डो को अन्दर-बाहर करो।
मैंने जब डिल्डो को राज अंकल की गाण्ड में अन्दर-बाहर करना शुरू किया.. तो उनका लण्ड बड़ा और कड़ा होने लगा।
मुझे इस काम में मज़ा आने लगा था, मैं खुद को रोक ना सकी, मैंने राज अंकल का लण्ड दूसरे हाथ से पकड़ लिया और उससे खेलने लगी।
राज अंकल पर मस्ती चढ़ती जा रही थी.. वह ज़ोर-ज़ोर से डिल्डो पर अपनी कमर आगे-पीछे करने लगे.. अपने लण्ड को उन्होंने खूब दबा कर पकड़ने को कहा। फिर वह सीधे हो कर आईने वाले फर्श पर लेट गए और उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया। मैं भी पूरे जोश में आती जा रही थी।
राज अंकल ने अपने हाथों में मेरे मम्मों को थाम लिए.. हम दोनों के लब एक-दूसरे से लिपट गए।
मेरे मम्मों के निपल्स को भी वह बीच- बीच में चूस लेते थे। मेरी बुर गीली होने लगी। मैं अपनी गोल चिकनी जांघें राज अंकल की ठोस.. चौड़ी और मज़बूत जांघों के ऊपर रगड़ने लगी। डिल्डो अब भी आधे से अधिक राज अंकल की गाण्ड में घुसा हुआ था… फिर मैंने राज अंकल की एक जाँघ को अपनी दोनों जांघों के बीच में कर लिया और थोड़ा ऊपर खिसक कर अपनी बुर को उनकी जाँघ पर रगड़ने लगी।
इससे मेरी हालत खराब होने लगी.. मस्ती बहुत बढ़ गई.. ऐसा लग रहा था कि राज अंकल का लण्ड पकड़ कर उसे अपनी बुर में डाल लूँ।
तभी राज अंकल ने मुझे अपने ऊपर से उतार कर नीचे लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गए।
मेरी जांघों को फैला कर मेरी चूत को अपनी उंगलियों से सहलाने लगे।
अब तो मैं और भी बेक़ाबू होने लगी.. राज अंकल की उंगलियाँ मेरी चूत रस से लथपथ हो गई थीं।
राज अंकल ने पास में पड़ी हुई क्रीम की शीशी से ढेर सारी क्रीम निकाल कर अपने टनटनाए हुए लंड पर लगाई और उसे मेरी बुर पर सहलाने लगे।
राज अंकल के लण्ड का एहसास जैसे ही मेरी बुर को हुआ.. वह एकदम मस्त होकर मचलने लगी।
चूत के दोनों होंठ खुल कर बाहर आ गए.. वो लण्ड लीलने को मचल उठी।
हम दोनों एक-दूसरे से कुछ भी नहीं बोल रहे थे.. मगर हमारे जिस्म एक-दूसरे की ज़रूरत को अच्छी तरह समझते हुए उसे पूरा करने के लिए ज़ोर लगा रहे थे।
और फिर राज अंकल ने अचानक ही अपने लण्ड का भारी.. गोल.. गुलाबी सुपाड़ा मेरी बुर के फैले हुए लबों के बीच रख कर दबा दिया.. जिससे मेरी बुर में दर्द होने लगा।
हालाँकि पहले एक-डेढ़ इंच अन्दर तक मैं अपनी उंगली और डिल्डो अपनी बुर में डाल चुकी थी.. मगर मेरी उंगली तो बिल्कुल पतली है.. डिल्डो का सुपाड़ा भी डेढ़-दो इंच से ज़्यादा मोटा नहीं था.. मगर राज अंकल का लण्ड मैं हाथ में ले चुकी थी.. उसका सुपाड़ा भी अपनी मुठ्ठियों में कसा था.. मेरा अंदाज़ा था कि राज अंकल के लण्ड की मोटाई तीन इंच से भी अधिक है.. सुपाड़ा तो और भी बड़ा था।
राज अंकल ने थोड़ा और दबाव मेरी बुर पर डाला.. तो मुझे और तेज़ दर्द होने लगा।
मेरी आँखें मस्ती में बंद थीं.. मेरे जिस्म में सेक्स की लहर दौड़ रही थी.. मगर लण्ड जाते वक़्त बुर में हो रहे दर्द ने मुझे आँख खोलने पर मजबूर कर दिया।
आँखें खोल कर मैंने राज अंकल को देखा.. वह मेरे मम्मों और निपल्स को बारी-बारी से चूस रहे थे।
मैंने अपने दोनों हाथों से राज अंकल का चेहरा पकड़ लिया.. तब राज अंकल ने अपना चेहरा उठा कर मेरे चेहरे की तरफ देखा। हम दोनों की आँखें मिलीं.. तो मैंने राज अंकल की आँखों में अपने लिए बेइंतेहा प्यार देखा। उनके प्यार में डूब कर मैंने अपना दर्द बर्दाश्त करने की पूरी कोशिश की।
तभी राज अंकल ने मेरी आँखों में देखते हुए पूरी ताक़त से ‘खचाक..’ से मेरी बुर में अपना लण्ड ठेल दिया.. जिससे मेरी चीख निकल गई।
उनका पूरा सुपाड़ा मेरी बुर में दाखिल हो गया था.. मेरी चीख सुन कर राज अंकल रुक गए और मेरे गालों.. लबों को चूमने लगे।
थोड़ी देर उसी हालत में रहते हुए उन्होंने कहा- डॉली.. बस थोड़ा सा दर्द होगा.. इसे बर्दाश्त कर लो.. मेरे लिए.. मैंने तुम्हारी आँखों में अपने लिए बहुत प्यार देखा है। मैं जानता हूँ तुम मुझे बहुत प्यार करती हो.. मैं पहली बार किसी लड़की के साथ इस हालत में हूँ.. तुम भी पहली बार किसी मर्द की आगोश में इस तरह आई हो.. यह दर्द तो हर लड़की को ज़िंदगी में एक बार झेलना ही पड़ता है।
इतनी देर में मेरा दर्द गायब हो चुका था.. राज अंकल की बातों से मुझे अच्छा लगने लगा।
राज अंकल मेरे मम्मों के निप्पलों को सहलाने लगे.. मेरे चेहरे पर प्यार करने लगे।
मैं भी उनकी छाती के निप्पलों को अपनी नाज़ुक उंगलियों से छेड़ने लगी.. उनका लण्ड अब तक मेरी बुर पर वैसे ही टाइट डंडे की तरह खड़ा था।
उसका मुण्ड मेरी योनि में पेवस्त था.. मेरे निप्पलों की चुसाई से.. फिर मेरी चुदाई की ख्वाहिश ज़ोर पकड़ने लगी।
मुझे नॉर्मल होते देख राज अंकल खुश हो गए और तेज़ी के साथ मेरे मम्मों को चाटते हुए एक हाथ से मेरी बुर पर लण्ड के किनारे किनारे सहलाने लगे.. जिससे मुझे वहाँ पर गुदगुदी होने लगी।
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