मेरे जिस्म की हरकत से राज अंकल समझ गए कि मुझे अब मज़ा आने लगा है.. तो उन्होंने कहा- लो अब तैयार हो जाओ..
और यह कहते ही राज अंकल ने अपने लण्ड का मुण्ड मेरी योनि से बाहर निकाला.. उसे आस-पास फैली चिकनाई में तर किया.. फिर मेरी बुर के मुँह पर ढेर सारी चिकनाई मल दी और अपने लण्ड को मेरी बुर के दोनों लबों के बीच मेरी सुराख पर लगा दिया और एक ज़ोर का झटका मारा.. तो मेरे होश ही उड़ गए।
मैं उनसे छूटने की कोशिश करती हुई.. चीख पड़ी।
मेरी बुर ने खून बहाना शुरू कर दिया, दर्द से मैं बेहाल हो गई..
लेकिन राज अंकल उसी तरह मुझे दबाए हुए अपने सारे जिस्म का बोझ मुझ पर डाले हुए.. पड़े रहे.. उनके बोझ से मैं हिल भी नहीं पा रही थी।
मुझे अपनी साँसें रुकती हुई लगने लगीं, बड़ी मुश्किल से मैं साँस खींच रही थी, मेरा चेहरा इस एसी बाथरूम में भी पसीने से तरबतर हो गया था।
थोड़ी देर में मुझे थोड़ा ठीक लगने लगा।
मैं राज अंकल के नीचे थोड़ा कसमसाई तो राज अंकल कोहनी के बल ऊपर उठ गए और मेरे चेहरे पर प्यार करने लगे।
मैं भी उनका साथ देने लगी।
तब राज अंकल ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में थाम कर मुझे अपने सीने से लगा लिया, कहने लगे- जान.. मैं तुम्हें किसी तकलीफ़ में नहीं देख सकता.. तुमसे पहले मैंने किसी और से प्यार ज़रूर किया था.. मगर उसके साथ जिस्मानी रिश्ता कभी नहीं बनाया था.. तुम अब मेरी जान बन गई हो.. मेरी रूह अब तुम्हीं हो.. जो सुख आज तुमने मुझे दिया है.. जो खुशी मुझे दी है.. उसने तुम्हें मेरे दिल की मलिका बना दिया है.. मैं तुम्हारे बगैर ज़िंदगी के बारे में सोच भी नहीं सकता।
राज अंकल की बातें सुन कर मेरा रोम-रोम खुशी से झूम उठा, मैं कुछ बोले बिना ही राज अंकल के सीने से बुरी तरह चिपक गई।
राज अंकल पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था.. मैं उनकी छाती की निप्पलों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
इससे राज अंकल मस्ती में छटपटाने लगे और फिर उन्होंने आहिस्ता-आहिस्ता अपनी कमर आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। मुझे भी मज़ा आने लगा.. नीचे से मैं भी अपनी कमर उचकाने लगी।
राज अंकल मेरी तरफ से प्रत्युत्तर पाकर और भी मस्ती में आ गए.. उन्होंने अब तेज़ी से मुझे चोदना शुरू कर दिया।
मैं भी पहली बार चुदाई की असली लज़्ज़त से आशना हो रही थी.. तो मेरी मस्ती भी सातवें आसमान तक पहुँचने लगी थी।
मैं बड़बड़ाने लगी- राज अंकल.. बहुत अच्छा लग रहा है.. और तेज़ कीजिए.. और ज़ोर से..
राज अंकल पर मेरी बात का पूरा असर हुआ और वह मुझे खूब कस कर अपनी बांहों में ले कर जम कर चोदने लगे।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि इस प्रकार शादी के बिना मैं किसी से अपनी मर्ज़ी से चुद जाऊंगी.. लेकिन राज अंकल के साथ चुदाई करके मुझे कोई गिला नहीं हो रहा था.. उल्टे ऐसा लग रहा था कि बस राज अंकल इसी तरह अपने सीने से लगाए मुझे ज़िंदगी भर चोदते रहें।
मेरी मस्ती बढ़ती जा रही थी.. राज अंकल के धक्कों की रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। मेरी साँसें बहुत तेज़ हो गईं.. मेरा जिस्म अकड़ने लगा।
लगा कि जिस्म का सारा लहू सिमट कर मेरी बुर के अन्दर आ रहा है.. और.. ‘आह.. राज अंकल मैं मर रही हूँ.. मेरी जान निकल रही है..’ कह कर मैं एकदम से राज अंकल से चिपक गई और मेरी बुर ‘फ़च.. फ़चा..’ कर पानी छोड़ने लगी।
तभी राज अंकल भी चीखने लगे- डॉली.. मेरी जान आहह.. मेरी जाआअन मुझे खुद में पूरा समा लो.. आह आह..
वे भी मुझ पर ढह गए.. उनके लण्ड से पिचकारी की तरह वीर्य की तेज़ धार मेरी बुर की गहराई में बरसने लगी।
मैं एकदम नशे में मस्त पड़ी थी। राज अंकल भी मेरे ऊपर बेसुध पड़े तेज़-तेज़ साँसें ले रहे थे।
कुछ देर बाद हम लोग उठे.. फिर नहा कर बाहर निकले और कपड़े पहन कर ख़ान खाने के बाद सो गए।
दोस्तों मेरी जिन्दगी की सबसे हसीं दास्ताँ का यह आगाज़ था.. जो मैंने आपसे रूबरू किया। उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसन्द आई होगी..
मेरे स्वीट राज अंकल Hindi sexi story
- rangila
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- Kamini
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Mast story