Hindi Kamuk story दोस्त की बिटिया की जिज्ञासा

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Jemsbond
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Hindi Kamuk story दोस्त की बिटिया की जिज्ञासा

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Hindi Kamuk story दोस्त की बिटिया की जिज्ञासा

मैं हूँ राज, उम्र ४३ साल, सेक्स का मजा लेने में खुब उस्ताद। मेरी इस कहानी में जो लड़की है उसका नाम है – काजल। वो मेरे एक दोस्त प्रोफ़ेसर प्रकाश सिंह की बेटी है। काजल के पिता और मैं दोनों कौलेज के दिनों से दोस्त हैं। उनकी शादी एम०ए० करते समय हीं हो गई। खैर मैं तो काजल के बारे में कहने वाला हूँ उसके माँ-बाप में तो शायद हीं आप-लोगों को रुचि हो। काजल १८ साल की बी०कौम० फ़र्स्ट ईयर की छात्रा है। बहुत सुन्दर चेहरे की मालकिन है। एक दम गोरी, ५’५” लम्बी, पतली छरहरी काया, लहराती-बलखाती जब वो सामने से चलती तो मेरे दिल में एक हूक सी उठती। मेरे जैसे चूतखोर मर्द के लिए उसका बदन एक पहेली था, कैसी लगेगी बिना कपड़ों के काजल? तब मैं भूल जाता कि वो मेरे गोद में खेली है, उसके बदन को जवान होते मैने देखा है। उसकी चुची नींबू से छोटे सेव, संतरा, अनार होते देखा है, महसूस किया है। सोच-सोच कर मैंने पचासों बार अपना लंड झाड़ा होगा। पर उसका मुझे चाचा कहना, मुझे रोक देता था कुछ भी करने से। उसके दिल की बात मुझे पता नहीं थी न। वैसे काजल का चक्कर दो-तीन लड़कों से चला था, घर पर उसे खुब डाँट भी पड़ी थी, पर उन लोगों ने हद पार की थी या नहीं मुझे पता न चल पाया, और जब भी मेरे दोस्त और भाभी जी ने इस बात की चर्चा की, तब उनके भाषा से मुझे कुछ समझ नहीं आया। और एक बार…भगवान की दया से कुछ ऐसा हुआ कि…
हुआ ये कि काजल के नाना की तबियत खराब होने की खबर आई, और काजल के मम्मी-पापा को उसके ननिहाल मेरठ जाना पड़ा, और काजल की क्लास चलते रहने की वजह से वो उसको नहीं ले जा सके। उनके घर में नीचे के हिस्से में जो किरायेदार थे वो भी अपने गाँव गए हुए थे, सो काजल को अकेला वहाँ न छोड़, उन लोगों ने उसको एक सप्ताह मेरे साथ रहने को कहा। असल में ये प्रस्ताव मैंने ही उन लोगों को परेशान देख कर दिया था। वो तुरंत मान गए। मेरे दोस्त ने तब कहा भी कि यार मैं भी यही सोच रहा था पर तुम अकेले रहते हो, लगा कहीं तुम्हें कोई परेशानी ना हो। बात-चीत करते हुए प्रकाश ने हल्की आवाज में बताया कि एक बार पहले भी वो काजल को अकेले तीन दिन के लिए छोड़े थे तो आने पर किरायेदार से पता चला कि दो दिन लगातार काजल के साथ कोई लड़का रहा था, जो उसके साथ स्कूल में पढ़ता था, अब कहीं इंजीनियरिंग पढ़ रहा है। वो अपनी परेशानी मुझे बता रहा था और मैं सोच रहा था कि जब काजल अपने घर पर एक लड़के को माँ-बाप के नहीं रहने पर रख सकती है, तो घर के बाहर तो वो जरूर ही चुदवायी होगी। खैर…, अगले दिन सुबह कोई ७ बजे वो लोग काजल को मेरे अपार्ट्मेंट पर छोड़े, चाय पिया और मेरठ चले गये। काजल तब अपने स्लीपिंग ड्रेस में ही थी – एक ढ़ीला सा कैप्री और काला गोल गले का टी-शर्ट। उसको को ९ बजे कौलेज जाना था, दो घंटे के लिए।
मेरी नौकरानी नास्ता बना रही थी, जब काजल किचेन में जा कर उससे पूछी कि कोई साबुन है या नहीं। असल में अकेले रहने के कारण मेरे रूम के बाथरूम में तो सब था पर दुसरे रूम, जिसमें काजल का सामान रखा गया था, वह बाथरूम कपड़े धोने के लिए ही इस्तेमाल होता था। मैं ही तब कहा-“काजल, तुम मेरे रूम का बाथरूम युज कर लो, मुझे अभी समय है”। और काजल अपना कपड़ा ले कर मुस्कुराते हुए चली गई। मैं बाहर वाले रूम में अखबार पढ़ रहा था, जब काजल तैयार हो, नास्ता करके आई और बोली-“चाचा, मैं करीब १२ बजे लौटूँगी, तब तो घर बंद रहेगा।” मैंने उसको भींगे बालों से घिरे सुन्दर से चेहरे को देखते हुए कहा- “कोई परेशान होने की बात नहीं है, तुम एक चाभी रख लो”, और मैने नौकरानी से चाभी ले कर उसको दे दी, (मैंने एक चाभी उसको इसलिए दी थी कि वो शाम को आ कर काम कर जाए और मेरा खाना पका जाए) साथ हीं नौकरानी को शाम की छुट्टी कर दी कि शाम को हम लोग होटल में खाना खा लेंगे। थोड़ी देर में नकरानी भी काम निपटा कर चली गई, और मैं तैयार होने बाथरूम में आया। और..
बाथरूम में काजल की कैप्री और टी-शर्ट खूँटी से टंगी थी, और नीचे गीली जमीन पर काजल की ब्रा-पैन्टी पड़ी थी। ऐसा लग रहा था कि उसने उन्हें धोया तो है, पर सुखने के लिए डालना भूल गई। मेरे लन्ड में सुरमाथुर जगने लगी थी। मैंने उसके अन्तर्वस्त्र उठा लिए और उनका मुआयना शुरु कर दिया। सफ़ेद ब्रा का टैग देखा-लवेबल ३२बी०। सोचिए, ५’५” की काजल कितनी दुबली-पतली है। मैंने अब उसकी पैन्टी को सीधा फ़ैला दिया। वो एक पुरानी पन्टी थी-रुपा सौफ़्ट्लाईन ३२ साईज। इतनी पुरानी थी कि उसके किनारे पर लगे लेस उघड़ने लगे थे और वो बीच से हल्का-हल्का घिस कर फ़टना शुरु कर चुकी थी। मैंने उसे सूँघा, पर उसमें से साबुन की हीं खुश्बू आई। फ़िर भी मैंने ऐसे तो कई बार उसके नाम की मुठ मारी थी, पर आज उसकी पैन्टी से लन्ड रगड़-रगड़ कर मूठ मरा और अपना माल उसके पैन्टी के घीसे हुए हिस्से पर निकला और फ़िर बिना धोये ही पैन्टी-ब्रा को सुखने के लिए डाल दिया। मेरे दिमाग में अब ख्याल आने लगा कि एक बार कोशिश कर के देख लूँ, शायद काजल पट जाए। पर मुझे अब देर हो रही थी सो मैं जल्दी-जल्दी तैयार हो कर निकल गया।
शाम को करीब ७ बजे मैं घर आया, काजल बैठ कर टीवी देख रही थी। उसने ही मुझे चाय बना कर दी। हम दोनों साथ चाय पी रहे थे, जब मैंने कहा-“तैयार हो जाओ, आज बाहर हीं खाना है।” खुशी उसके चेहरे पे झलक गई, और मैं उसके उस सलोने से चेहरे से नजर हटा न पाया। हम लोग इधर-उधर की बात कर रहे थे, तभी उसे ख्याल आया, बोली-“सौरी चाचा, आज आपके बाथरूम में गलती से मेरा कपड़ा रह गया। असल में मेरे जाने के बाद मम्मी जब सारे घर को ठीक करती है, तो वो ये सब भी कर देती है। कल से ऐसा नहीं होगा।” उसके चेहरे पे सारी दुनिया की मासुमियत थी। मैंने भी प्यार से कहा-“अरे, कोई बात नहीं बेटा, मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तुम तो धो कर गई ही थी, मैंने तो सिर्फ़ सुखने के लिए तार पर डाल दिया।” फ़िर थोड़ी शरारत मन में आई तो कह दिया-“वैसे भी तुम तो खुद १० किलो की हो, तो तुम्हारी ब्रा-पैन्टी तो १० ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए न। उसको सुखने डालने में कोई मेहनत तो करना नहीं पड़ा मुझे।” उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखो को गोल-गोल नचाया-“पुरे ४१ किलो हूँ मैं”। मैंने तड़ से जड़ दिया-“ठीक है फ़िर तो मैं सुधार कर देता हूँ, फ़िर ४१ ग्राम होगी ब्रा-पैन्टी।” वो मुस्कुरा कर बोली-“मेरा मजाक बना रहें हैं, मैं तैयार होने जा रहीं हूँ।” और वो अपने रूम में चली गई, मैं अपने रूम में।

कोई आधे घन्टे बाद हम घर से निकले। काजल ने एक गहरे हरे रंग की कैप्री और गुलाबी टौप पहनी थी। बालों को थोड़ा उपर उठा पोनीटेल बनाया था, पैर में बिना मोजा रीबौक के जूते। मैं उसकी खुबसुरती पर मुग्ध था। हम लोग पैदल हीं एक घंटा घुमे और फ़िर करीब ९ बजे एक चाईनीज रेस्ट्रां मेम खाना खा कर १० बजे तक घर आ गए। थोड़ी देर टीवी देखने के बाद अरीब ११ बजे काजल अपने रूम में और मैं अपने रूम में सोने चले गए। काजल के बारे में सोचते सोचते बड़ी देर बाद मुझे नींद आई। अगले दिन करीब ६ बजे काजल ने मुझे जगाया, वो सामने चाय ले कर खड़ी थी। मेरे दिमाग में पहला ख्याल आया कि आज का दिन अच्छा हो गया, उसकी सलोनी सूरत देख। हमने साथ चाय पी। वो तब मेरे बिस्तर पे बैठी थी। उसने एक नाईटी पहनी हुई थी जो उसके घुटने से थोड़ा नीचे तक थी। रेडीमेड होने के कारण थोड़ा लूज थी, और उसके ब्रा के स्टैप्स दिख रहे थे। आज उसे ८.३० बजे निकलना था, सो वो बोली-“आप बाथरूम से हो लीजिए तब मैं भी नहा लूँगी, आज थोड़ा पहले जाना है”। मैं जब बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि उसने मेरा बिस्तर ठीक कर दिया है, और अपने कपड़े के साथ मेरे बेड पे बैठी है। जब वो बाथरूम की तरफ़ जाने लगी तब मैंने छेड़ते हुए कहा, आज भी अपना ४१ ग्राम छोड़ देना। वो यह सुन जोर से बोली-छीः, और हल्के से हँसते हुए बाथरूम का दरवाजा लौख कर लिया। मैं बाहर बैठ पेपर पढ़ रहा था, जब वो बोली-“मैं जा रही हूँ चाचु, करीब १ बजे लौटूँगी, मेरा लंच बनवा दीजिएगा, नस्ता मै कैंटीन में कर लूँगी।” मैं उसको पीले टाईट सलवार कुर्ते में जाते देखता रहा, जब तक वो दिखती रही। उसकी सुन्दर सी गांड हल्के हल्के मट्क रही थी।
थोड़ी देर में मेरी नौकरानी अनिता आ गई, और अपना काम करने लगी, मैं भी तैयार होने बाथरूम में आ गाया। मुझे थोड़ा शक था कि आज शायद मुझे ब्रा-पैन्टी ना दिखे, पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा जब मैने देखा कि आज फ़िर उसने अपनी ब्रा-पैन्टी धो कर कल की तरह ही जमीन पर छोड़ दी है। कल शायद उससे गल्ती से छूट गया था, पर आज के लिए मैं पक्का था कि उसने जान-बूझ कर छोड़ा है। मुझे लगने लगा कि ये साली पट सकती है। मैंने आज फ़िर उसकी पैन्टी लंड पे लपेट मूठ मारी और माल उसके पैन्टी में डाल दिया। ये वाली पैन्टी कल वाली से भी पुरानी थी, और उसमें भी दो-एक छोटे छेद थे। पर मुझे मजा आया। मैंने अपने माल से लिपसे पैन्टी को ब्रा के साथ सुखने को डाल दिया। शाम को मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, अनिता हम दोनों का खाना बना कर जा चुकी थी। मैं जब आया तो काजल चाय बनाई और हम दोनों गपसप करते हुए चाय पीने लगे। काजल ने ही बात छेड़ दी-“आज फ़िर आपको मजा आया मेरी सेवा करके?” मैं समझ न सका तो उसने कहा, “वही ४१ ग्राम, सुबह” और मुस्कुराई। मैंने भी कहा- “हाँ, मजा तो खुब आया, पर काजल, इतने पुराने कपड़े पहनो, फ़टे कपड़े पहनना शुभ नहीं माना जाता”। वो समझ गई, बोली- “ठीक चाचु, आगे से ख्याल रखूँगी।” मैंने देखा कि बात सही दिशा में है तो आगे कहा-“अच्छा काजल, थोड़ा अपने पर्सनल लाईफ़ के बारे में बताओ। प्रकाश कह रहा था कि तुम्हारा किसी लड़के के साथ चक्कर था। अगर न बताना चाहो तो मना कर दो।” वो थोड़ी देर चुप रही फ़िर उसने दीपक के बारे में कहा, जो उसके साथ स्कूल में ५ साल पढ़ा था। दोनो अच्छे दोस्त थे। पर ऐसा कुछ नहीं किया कि उसको इतना डाँटा जाए, दीपक तो फ़िर उस डाँट के बाद कभी मिला भी नहीं। अब तो वो उसको अपना पहला क्रश मान ली थी। मैं तब साफ़ पूछ लिया-“क्यों, क्या सेक्स-वेक्स नहीं किया उसके साथ?” वो अपने गोल-गोल आँख घुमा कर बोली-“छीः, क्या मैं आपको इतनी गन्दी लड़की लगती हूँ, दीपक मेरा पहला प्यार था, अब कुछ नहीं है?” मैंने मूड को हलका करने के लिए कहा-“अरे नहीं बेटी तुम और गन्दी, कभी नहीं, हाँ थोड़ी शरारती जरूर हो, बदमाश जो अपनी ब्रा-पैन्टी अपने चाचु से साफ़ करवाती हो।” वो बोली-“गलत चाचु, साफ़ तो खुद करती हूँ, आप तो सिर्फ़ सुखने को डालते हो।” हम दोनों हँसने लगे। फ़िर खाना खा कर टहलने निकल गए। बातों बातों में वो अपने कौलेज के बारे में तरह तरह की बात बता रही थी, और मैं उसके साथ का मजा ले रहा था।
तीसरे दिन भी सुबह काजल के चेहरे पर नजर डाल कर ही शुरु हुई। उस दिन अनिता थोड़ा सवेरे आ गयी थी, काजल का नास्ता बना रही थी। मैं भी अपने औफ़िस के काम में थोड़ा बीजी था, कि काजल तैयार हो कर आई। मैंन घड़ी देखे -८.३०। काजल बोली- “चाचु आज भी रख दिया है मैंने आपके लिए ४१ ग्राम…. और आज धोई भी नहीं हूँ”, और वो चली गयी। मैंने भी अब जल्दी से फ़ाईल समेटी और तैयार होने चला गया। आज बाथरूम में थोड़ी सेक्सी किस्म की ब्रा-पन्टी थी और उससे बड़ी बात कि आज काजल ने उसपर पानी भी नहीं डाला था। दोनो एक सेट की थी, गुलाबी लेस की। इतनी मुलायम की दोनों मेरी एक मुठी में बन्द हो जाए। मैंने पैन्टी फ़ैलाई-स्ट्रिन्ग बिकनी स्टाईल की थी। उसके सामने का भाग थोड़ा कम चौड़ा था, करीब ४ इंच और नीचे की तरफ़ पतला होते होते चुत के उपर २ इंच का हो गया था, फ़िर पीछे की तरफ़ थोड़ा चौड़ा हुआ पर ५ इंच का होते होते कमर के इलास्टिक बैंड मे जा मिला। साईड की तरफ़ से पुरा खुला हुआ, बस आधा इंच से भी कम की इलस्टिक। मैंने प्यार से उस गन्दी पैन्टी का मुआयना किया। चुत के पास हल्का सा एक दाग था, जो बड़े गौर से देखने पर पता चलता, मैने उस धब्बे को सुंघा। हल्की सी खट्टेपने की बू मिली और मेरा लन्ड को सुरुर आने लगा। मैने प्यार से उसी धब्बे पर अपना लन्ड भिड़ा, पैन्टी को लन्ड पे लपेट मजे से मूठ मारने लगा, और सारा माल उसी धब्बे पर निकाला, फ़िर उस पैन्टी-और ब्रा को सिर्फ़ पानी से धो कर सुखने डाल दिया।
शाम ७.३० बजे घर आया, साथ चाय पीने बैठे तो मैंने बात छेड़ दी-“आज तो काजल बेटी, तुमने कमाल कर दिया।” वो कुछ नहीं बोली तो मैंने कह दिया-“बिना धोयी हुई ब्रा-पैन्टी से तुम्हारी खुश्बू आ रही थी।” वो शर्माने लगी, तो मैने कहा-“सच्ची बोल रहा हूँ, मैंने सुँघ कर देखा था। तुम्हारे बाप की उम्र का हूँ, पर आज वाली ४१ ग्राम की खुश्बू ने मेरे दिल में अरमान जगा दिये।” वो थोड़ा अनईजी दिखी, तो मैंने बात थोड़ा बदला, “पर मैंने भी दिल पे काबू कर लिया, तुम परेशान न हो।” वो मुस्कुराई, तब मैंने कहा-“पर आज वाली तो बहुत सेक्सी थी, अब कल क्या दिखाओगी मुझे?” वो मुस्कुराई-“कल ३० ग्राम मिलेगा”। मै-“क्यों?” वो बोली-“क्योंकि आज मैंने नीचे पहनी ही नहीं है। वो दोनो पुरानी वाली पहननी नहीं थी, और ये वाली तो आज धुली है, कल पहनुँगी।” मैंने कहा-“ऐसे बात है, चल आज ही खरीद कर लाते हैं। मैंने आज तक कभी लेडीज पैन्टी नहीं खरीदी, आज ये भी कर लेते हैं।” वो थोड़ा सकुचाई, तो मैंने उसको हाथ पकड़ कर उठा दिया, बोला जल्दी तैयार हो जाओ। मैं तब जींस और टीशर्ट में था, और वो अपने नाईटी में। वो दो मिनट में चेंज करके आ गई-नीले स्कर्ट और पीले टौप में वो जान-मारू दिख रही थी। उसने आते हुए कहा-“स्कर्ट में सुविधा होगी, एक तो वहीं पहन लूँगी, और एक और ले लूंगी।” बहुत मस्त लौन्डिया थी वो। मेरे जैसे मर्द को खुब टीज करना जानती थी। जब भी मैं ये सोचता कि साली नंगी चुत ले कर बाजार में है, मेरे दिल से एक हूक निकल जाती। हम एक लेडीज अंडरगार्मेंट्स स्टोर में गए। मेरे लिए ये पहला अनुभव था। दो-तीन और लेडीज ग्राहक थीं। हमारे पास एक करीब २८-३० साल की एक सेल्सगर्ल आई, तो मैने, उसे एक ब्र-पैन्टी सेट दिखाने को कहा। क्या साईज, और कोई खास स्टाईल, कहते हुए उसने एक कैटेलग हमें थमा दिया। एक से एक मस्त माल की फ़ोटो थी, तरह तरह की ब्रा-पन्टी में। मैं फ़ोटो देखने में बीजी था, कि काजल बोली-“सिर्फ़ पैन्टी लेते हैं ना”। मैंने नजर कैटेलग पे ही रखते हुए कहा-“एक इसमें से ले लो, फ़िर दो-तीन पैन्टी ले लेना।” सेल्सगर्ल ने पूछा-“दीदी के लिए लेना है या मैडम के लिए?”, मैंने काजल की तरफ़ इशारा किया। वो मुस्कुराते हुए बोली-“किस टाईप का दूँ, थोड़ी सेक्सी, हौट या सोबर?” मैंने जब उसे थोड़ा सेक्सी टाईप दिखाने को बोला तो वो मुस्कुराई। वो समझ रही थी कि मैं उस हूर के साथ लंपटगिरी कर रहा हूँ।
उसने कुछ बहुत ही मस्त सेट निकल दिए। एक तो बस सिर्फ़ पैन्टी के नाम पर २”x१” का सफ़ेद पारदर्शी जाली थी ब्रा भी ऐसा कि जितना छुपाती नहीं उतना दिखाती। मुझ वो ही खरीदने का मन हुआ, पर काजल ने एक दुसरा पसंद किया। जब मैने कहा कि एक वह सेक्सी टाईप ले कर देखे, तो वो बोली, नही पर अगर आपका मन है, तो सिर्फ़ पैन्टी में ऐसा कुछ देख लेंगे, पैसा भी कम लगेगा। काजल की पसंद की पैन्टी उसकी सेक्सी पैन्टी से थोड़ी और छोटी थी। चुतड़ तो लगभग ९०% बाहर ही रहता, पर चुत ठीक ठाक से कवर हो जाती। उसने उसका चटख लाल रंग पसंद किया। फ़िर उसने हेन्स की स्ट्रींग बिकनी पैन्टी माँगी, तो सेल्सगर्ल ने एक ३ का सेट दिया। अब मैंने उस सेक्सी पैन्टी के बारे में कहा और जोर दे कर एक सफ़ेद और एक काली पैन्टी खरीद ली। काजल ने हेन्स की एक पैन्टी पैक से निकाली और ट्रायल रूम में चली गई और पहन ली। सामान पैक करते समय सेल्सगर्ल ने काजल से उसकी पुरानी पैन्टी के बारे में पूछा तो काजल ने कहा-“इट्स ओके, आई हैडन्ट बीन वीयरिन्ग एनी (सब ठीक है, मैने नहीं पहना हुआ था)। सेल्सगर्ल ने भी चुटकी ली-“आजकल के बच्चे भी ना…, इस तरह बिना चड्ढ़ी बाजार में निकल लेते हैं।” दुकान पर मौजूद तीनों सेल्सगर्ल और मैंने भी हँस दिया,और काजल झेंप गई।
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Jemsbond
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अगले दिन सुबह चाय पीते हुए मैंने कहा-“काजल बेटा, अब आज का दिन मेरा कैसे अच्छा बीतेगा, आज तो ३० ग्राम ही मुझे मिलेगा।” वो मुस्कुराई और बोई-“सब ठीक हो जायेगा, फ़िक्र नैट।” जब वो जाने लगी तो मुझे बोली-“चाचु, जरा अपने रुम में चलिए, एक बात है।” मुझे लगा कि वोह शायद कुछ कहेगी। पर वो रुम में मुझे लाई और मुझे बेड पे बिठा दिया, फ़िर एक झटके में अपने जीन्स के बटन खोल कर उसे घुटने तक नीचे कर दिया, बोली-“देख कर आज दिन ठीक कर लीजिए।” उसके बदन पर वही सेक्सी वाली सफ़ेद पैन्टी थी। उसके त्रिभुजाकार सफ़ेद पट्टी से उसकी बूर एक्दम से ढ़्की हुई थी, पर सिर्फ़ बूर हीं। बाकी उस पैन्टी में कुछ था ही नहीं सिवाय डोरी के। उसकी जाँघ, चुतड़ सब बिल्कुल खुला हुआ था। एकदम साफ़ गोरा दमकता हुआ। झाँट की झलक तक नहीं थी। मेरा गला सुख रहा था। वो २०-२५ सेकेन्ड वैसे रही फ़िर अपना जीन्स उपर कर ली, और मुस्कुराते हुए बाय कह बाहर निकल गई। मैंने वहीं बिस्तर पर बैठे-बैठे मुठ मारी, यह भी भूल गया कि अनिता घर में है। उस दिन बाथरुम में मुझे पता चला कि आज मेरे हीं रेजर से काजल झाँट साफ़ की थी, और अपने झाँट को वाश बेसिन पे ही रख छोड़ा है। २-२” की उसकी झाँट के कई बाल मुझे मिल गये, जिन्हें मैंने कागज में समेट कर रख लिया। मैनें फ़िर मुठ मारी।
शाम की चाय पीते हुए मैने बात शुरु किया-“बेटा आज मेरे लिए पैन्टी नहीं था तो तुमने मेरे लिए रेजर साफ़ करने का काम छोड़ दिया।” मेरे चेहरे पर हल्की हँसी थी। वो शर्मा गई। तब मैंने कहा-“किस स्टाईल का शेव की हो?” उसके चेहरे के भाव बदले, बोली-“मतलब?” मैंने आगे कहा-“मतलब किस स्टाईल में अपने बाल साफ़ की हो?” उसे समझ नहीं आया तो बोली-“अब इसमें स्टाईल की क्या बात है, बस साफ़ कर दी।” मैंने अब आँख मारी-“पुरा साफ़ कर दी?” वो अब थोड़ा बोल्ड बन कर बोली-“और नहीं तो क्या, आधा करती? कैसा गन्दा लगता।” मैंने सब समझ गया, कहा-“अरे नहीं बाबा, तुम समझ नहीं रही हो, लड़कियाँ अपने इन बालों को कई तरीके से सजा कर साफ़ करती हैं।” उसके लिए यह एक नई बात थी,पुछी-“कैसे?”तब मैंने उसको बताया कि झाँटों को कैसे अलग अलग स्टाईल मे बनाया जाता है, जैसे लैंडिन्ग स्ट्रीप, ट्रायन्गल, हिटलर मुश्टैश, बाल्ड, थ्रेड, हार्ट… आदि। उसके लिए ये सब बात अजुबा था-“बोली, मुझे नहीं पता ये सब”। मैं तो हमेशा ऐसे ही पुरा साफ़ करती रही हूँ, जब भी की हूँ। अभी, दो महिने बाद की हूँ, तभी इतनी बड़ी-बड़ी हो गयी थी। मम्मी को पता चल जाए तो मुझे बहुत डाँटेंगी, वो तो जबर्दस्ती बचपन में मेरा १५-१७ दिन पर साफ़ कर देती थी। वो तो खुद सप्ताह में दो दिन साफ़ करती हैं अभी भी।” मैंने भी हाँ में हाँ मिलाई-“हाँ, सच बहुत बड़ी थी, २” तो मैं अपना नहीं होने देता, जबकि मैं मर्द हूँ।”
मैं महिने में दो-एक बार कौल-गर्ल घर लाता था। इसके लिए मैं एक दलाल राजेन्दर माथुर की मदद लेता। उसके साथ मेरा ५-६ साल पुराना रिश्ता था। वो हमेशा मुझे मेरे पसन्द की लड़की भेज देता। अब तो वो भी मेरी पसन्द जान गया था, और जब भी कोई नई लड़की मेरे टेस्ट की उसे मिलती, वो मुझे बता देता। ऐसे ही उस दिन शाम को हुआ। माथुर का फ़ोन आया करीब ८ बजे, तब मैं और काजल खाना खा रहे थे। माथुर बताया कि एक माल आई है नई उसके पास, १७-१८ साल की। ज्यादा नहीं गई है, घरेलू टाईप है। आज उसकी ब्लड टेस्ट रिपोर्ट सही आने के बाद वो सुबह मुझे बतायेगा, अगर मैं कहूँ तो वो कल उसकी पहली बूकिंग मेरे साथ कर देगा। काजल को हमारी बात ठीक से समझ में नहीं आई, और जब उसने पुछा तो मैंने सोचा कि अब इस लौन्डिया से सब कह देने से शायद मेरा रास्ता खुले, सो मैंने उसको सब कह दिया कि मैं कभी-कभी दलाल के मार्फ़त कौल-गर्ल लाता हूँ घर पर, आज उसी दलाल का फ़ोन आया था, एक नई लड़की के बारे में। उसका चेहरा लाल हो गया। वो चुप-चाप खाई, फ़िर हम टीवी देखने लगे, वो एक फ़िल्म लगा कर बैठ गई। मुझे लगा कि शायद कौल-गर्ल वाली बात उसे अच्छी नहीं लगी। पर मैंने उसे अब नहीं छेड़ा, सोचा देखें अब वो खुद कैसे मुझे मौका देती है।

अगली सुबह फ़िर माथुर का फ़ोन आया। मुझे लगा कि ये शायद ज्यादा हो रहा है, सो मैंने माथुर को मना कर दिया। काजल फ़ोन पर मेरी जो बात हो रही थी, वो सुन रही थी। मेरे फ़ोन काटने पर उसने सब कुछ ठीक से जानना चाहा। एक बार फ़िर उस्की इच्छा देख मुझे लगा कि बात फ़िर पटरी पर आने लगी है। मैं चाहता था कि कैसे भी अब आगे का रास्ता खुले जिससे मैं काजल मे मक्खन बदन का मजा लूँ। पाँच दिन बीत गया था, और दो-तीन दिन में उसके मम्मी-पापा आ जाने वाले थे। मैने गंभीर बनने की ऐक्टींग करते हुए कहा-“बुरा मत मानना काजल बेटा पर तुम्हें पता है कि मैं अकेला हूँ, इसलिए अपने जिस्म की जरूरत के लिए एक दलाल सेट किया हुआ है, वो हर महिने ५ और २५ तारिख को मुझे फ़ोन पर कौन्टैक्ट करता है। मेरा जैसा मूड हो मैं उसको बता देता हूँ, वो लड़की भेज देता है। अक्सर जैसी फ़र्माईश की जाती है, वो अरेन्ज कर देता है।” वो बोली-“प्लीज चाचु आज बुला लीजिए ना। मैंने कभी कौल्गर्ल नहीं देखी।” मैंने कहा-“पर मैं तो तुम्हारे बारे में सोच कर न कह रहा था, तुम क्या समझोगी मुझे अगर मै घर पे लड़की बुला लूँ तब, न ये ठीक नहीं होगा, तुम्हारे रहते”। पर अब जिद कर बैठी। शनिवार का दिन था, बोली आज वो कौलेज नहीं जायेगी, अगर मैंने हाँ नहीं कहा। करीब एक घन्टें बाद मैने कह दिया, “ठीक है, पर…”। वो तुरन्त मेरा फ़ोन लायी, कौल-बैक किया और स्पीकर औन कर के सामने बैठ गई।
मैं कह रहा था-“हाँ माथुर, भेज देना आज ८ बजे, कोई ठीक-ठाक, घरेलु टाईप भेजना, पर नई भेजना, रचना या पल्लवी नहीं”। माथुर बोला-“नई वाली सही है सर, रेट थोड़ा ज्यादा लेगी, पर मस्त माल है। आप उसकी लाइफ़ के पहले १० कस्टमर में होंगे। मेरे से पहली बार बुक हो रही है। इसी साल +२ किया है, और यहाँ पढ़ाई के लिए इस शहर में आई तो हौस्टल से उसको रोजी मेरे पास लाई। दिखने में तौप क्लास चीज है सर, एक दम मस्त सर, मैंने कभी गलत सप्लाई आपको किया आज तक। ३४-२३-३६ है सर, एक दम टाईट।” मैंने रेट पूछा, तो उसने ५५०० कहा, फ़िर ५००० पर बात पक्की हुई। अचानक मुझे थोड़ा मस्ती का मूड हुआ, मैने कहा-“माथुर, कहीं वो छुई-मुई तो नहीं, जरा उससे बात करवा सकोगे पहले?” वो बोला-“नहीं सर घरेलु है, पर मस्त है, खुब मस्ती करती है, एक बार मैने भी टेस्ट किया है उसको, तभी तो आपको कह रहा हूँ। उसको मैं आपका नम्बर दे देता हूँ।”
करीब १० मिनट बाद मेरा फ़ोन बजा, तो मैने स्पीकर औन कर के हैल्लो किया। उधर से वही लड़की बोली-“जी, मेरा नाम मोनिका है, माथुर साहब ने मुझे आपसे बात करने को कहा है।” मैंने गंभीर आवाज में कहा-“हाँ मोनिका, आज रात तुम्हारी मेरे साथ हीं बूकिंग है। असल में मै तुमसे एक बात जानना चाहता हूँ, तुम तो नई हो। माथुर जो पे करेगा तुम्को वो तो ठीक है, पर क्या तुम्हें ऐतराज होगा, अगर मेरे साथ कोई और भी हो तो। मैं एक्स्ट्रा पे करूँगा। थोड़ी चुप्पी के बाद बोली-“दो के साथ कभी किया नहीं सर”। मेरे मन में शैतान घुसा था, कि आज जब काजल साली खुद मुझे रन्डी बुलाने को कह रही है, तब आज उसको दिखाया जाए की रन्डी चोदी कैसे जाती है। मैं प्लान बना रहा था, कहा-“अरे नहीं, वैसा नहीं है, करना तुम्हें मेरे साथ हीं होगा। असल में एक लड़की मेरे साथ होगी, वो देखेगी सब जो तुम करोगी।” मैं ये सब बोलते हुए काजल की तरफ़ देख रहा था। उसके चेहरे पे शुकुन था, जैसे मैंने उसके मन की बात की हो। मोनिका अब थोड़ा रीलैक्स हो कर कहा-“कोई फ़ोटो-वोटो नहीं होगा ना?” मैंने कह-“बिल्कुल नहीं”। वो राजी हो गई, फ़िर पूछी-“सर आपको कोई खास ड्रेस पसंद हो तो?” मैंने कहा-“नहीं, जो तुम्हें सही लगे।”, और कुछ याद करके पूछा-“मोनिका, बुरा मत मानना, पर तुम्हारी चूत साफ़ है या बाल है?” वो बोली-“जी बाल है, करीब महीने भर पहले साफ़ किया था, फ़िर अभी तक काम चल रहा है। माथुर सर ने भी कहा कि जब तक कोई औबजेक्ट न करे मैं ऐसे हीं रहने दूँ। आप बोलेंगे तो साफ़ करके आउँगी।” मैंने खुश हो कर कहा-“नहीं-नहीं, तुम जैसी हो वैसी आना। जरुरत हुई तो यहाँ साफ़ कर लेंगे।” और फ़ोन बंद कर दिया।
इसके तुरंत बाद प्रकाश का फ़ोन आया कि उन्हें अभी वहाँ १० दिन और रुकना होगा, जब तक औपरेशन नहीं हो जाता, काजल के नाना का। मेरे लिए यह अच्छा शगुन था। मेरे लिए मोनिका लकी साबित हुई थी। मैं देख रहा था कि काजल भी यह सब सुन खुश हो रही है।
काजल सब चुप-चाप सुन रही थी। मैने उसके जाँघ पे अपना हाथ फ़ेरा और कहा-“अब तो खुश हो काजल बेटी, तुम्हारे मन की ही हो गई।” वो बिना बोले बस मुस्कुरा रही थी। मैने कहा, “आने दो मोनिका को, आज उसकी लैंडिग स्ट्रीप स्टाईल में बना के बताउँगा। वो भी नई है, थोड़ा सीखेगी मेरे एक्स्पीरियेंस से”। वो बोली-“अब खाना बना लेते हैं, दो घन्टें में तो वो आ जायेगी”। काजल किचेन में गई, मैं टीवी में बीजी हो गया। करीब ७.३० तक हमने डिनर कर लिया, और बैठ कर मोनिका का इंतजार करने लगे। ८.१० पे कौल-बेल बजी, तो काजल तुरंत कुद कर दरवाजे तक पहूँच उसे खोला। मैंने देखा कि एक छरहरे बदन की थोड़ी सांवली लगभग काजल की लम्बाई की ही लड़की सामने थी। काजल ने उसका नाम पूछा और भीतर ले आई। मैंने मोनिका को बैठने को कहा तो वो सामने सोफ़े पे बैठ गई। काजल अभी भी खड़े हो कर उसको घुर रही थी। मोनिका ने चटख पीले रंग का सूती सलवार सुट पहना हुआ था, जो उसके फ़िगर पे सही फ़िट था। लौन्डिया १७-१८ की थी, ३४-२६-३६। मेरी अनुभवी नजरों ने उसका माप ले लिया। मैं अपनी किस्मत पे खुद हैरान था। मेरे पास दो-दो जवान लौन्डिया थी, और दोनो २० बरस से भी कम। मोनिका तो काजल से भी उमर में छोटी थी, काजल ने दो साल पहले इंटर किया था जबकि मोनिका ने इसी साल किया। हाँ, उसका बदन थोड़ा काजल से ज्यादा भरा था। पर फ़र्क सिर्फ़ उन्नीस-बीस का ही था।
मैंने मोनिका से कहा-“ये काजल है, यही साथ में रहेगी रूम में और सब देखेगी।” मोनिका ने अब एक पुरे नजर से काजल को घूरा उपर से नीचे तक। मैंने पूछा-“डिनर करके आई हो या करोगी?” उसने कहा की नहीं वो जिस दिन बूकिंग कराती है, रात में नहीं खाती। मोनिका ने बताया कि वो सिर्फ़ शनिवार को ही माथुर से बूकिंग कराती है और यह सब वो थोड़ा मजा और थोड़ा पैसे के लिए करती है। इजी मनी, यू नो। मैंने उसको ५००० दे दिये और कहा कि ये जो माथुर से बात थी, अर फ़िर २००० उसको दिए और कहा कि ये उसका पर्सनल हैं मेरे रीक्वेस्ट को मानने के लिए। वो संतुष्ट थी, बोली, “एक बार सर मैं बाथरूम जाना चाहुँगी”। मैंने कहा-“ठीक है थोड़ा साफ़ कर लेना साबून से, आगे पीछे सब” और मैंने उसको आँख मारी, ताकि पहली बार की झिझक कम हो। मुझे उसके चेहरे से लग रहा था कि वो सही में नई थी। मैंने काजल को उसे पानी पिलाने को कहा, और वो चली गयी। पानी पी कर मोनिका ने अपना दुप्पटा सोफ़े पे डाला और काजल से पूछा-“बाथरूम”…।
करीब दस मिनट बाद वो आयी और कहा कि वो तैयार है, किस रूम में चलें? हम सब मेरे बेडरूम में आ गए, तब मोनिका ने पूछा-“मैं खुद कपड़े उतारूँ या आप दोनों में से कोई?” मैं काजल की तरफ़ देख रहा था, कि उसका क्या मिजाज है। उसे लगा कि मैं शायद उसको कह रहा हूँ कि वो कपड़े उतारे, इसलिए वो मोनिका की तरफ़ बढ़ गई। मोनिका ने उसकी तरफ़ अपनी पीठ कर दी। जब काजल उसके कुर्ते की जीप नीचे कर रही थी, मोनिका ने काजल से हल्के से पूछा-“ये आपके पापा है?” काजल सिटपिटा गई। उसे परेशानी से बचाने के लिए मैंने कहा-“नहीं काजल मेरे दोस्त की बेटी है, अभी मेरे साथ रहेगी। उसे हीं मन था कि वो एक बार ये सब देखे।” मोनिका के मुँह से एक हल्का सा सौरी निकला। काजल ने उसकी कुर्ते को खोलने के बाद उसकी समीज (स्लीप) भी निकल दी। मोनिका काले रंग की एक साटन ब्रा पहने थी। मोनिका की सपाट पेट देख मैं मस्त हो रहा था। चुचियाँ भी मस्त थी, एक दम ठ्स्स। १८ साल की लड़की की जैसी होनी चाहिए। मैं उसकी गदराई जवानी को घुर रहा था। काजल ने उसके सलवार की डोरी खींची, और उसको नीचे कर दिया। उसने काले रंग की जाली-दार लेस वाली पैन्टी पहनी हुई थी। पैन्टी में से भी उसकी चुत अपने फ़ुले होने का आभास दे रही थी। सुन्दर सी लम्बी टाँगे, एक दम हल्के हल्के रोएँ थे जाँघों पे। उसके जवान बदन को मस्त निगाह से देखते हुए मैंने कहा-“अब रहने दो काजल, तुम आराम से देखो बैठ कर, बाकि मैं कर लूँगा।”
फ़िर मैंने प्यार से मोनिका को बाँहों में उठाया और बेड पे लिटा उसके ओठ चुमने शुरु किये। दो मिनट भी नहीं लगा, और मोनिका के रेस्पौंस मुझे मिलने लगे। काजल अपने कैप्री-टी-शर्ट में पास ही चेयर पे बैठ गयी थी। मैंने मोनिका की ब्रा खोल दी, और उसके चुचियों से खेलने लगा। उसकी ठस्स चुचियाँ आजाद हो कर झुमने लगीं। एक बड़े से संतरे के आकार की थी उसकी चुची, जिस पर भूरे रंग का निप्पल मस्त लग रहा था। मैं उन्हें कभी चुमता, कभी चाटता, कभी निप्प्ल खींचता,कभी दबाता… मेरे दोनो हाथ भी कभी इधर तो कभी उधर मजा ले रहे थे। करीब दस मिनट चुम्मा-चाटी के बाद मैंने मोनिका की पैन्टी उसके कमर से खिसकाई, तो उसकी झाँटो भरी बुर के दर्शन हुए। मैंने मोनिका की झाँटों पे हाथ फ़ेरा। उसके झाँट करीब आधा-पौन इंच के थे। उसकी चुत पर मैने अपनी ऊँगली घुमाई और अंदाजा लगाया कि सही में उसकी अभी चुदाई ऐसी नहीं हुई है, जैसी आम रन्डी की हो जाती है। अभी भी वो घर का माल ही थी, माथुर ने सही कहा था। उसकी चुतड़ों का भी मैंने जायजा लिया, गोल-गोल, मुलायम गद्देदार। उन चुतड़ों को हल्के से मैंने दबाया फ़िर उनपर एक हल्की चपत लगाई। मैंने उसके चुत को सुँघा, सुभानल्लाह…, क्या जवानी की खुश्बू मिली मुझे मेरे लन्ड ने एक अँगराई ली। मेरे मुँह से निकला-“बहुत मस्त चीज हो मेरी जान”, उसे अब तक चुप देख मैंने कहा-“थोड़ा बात-चीत करते रहो स्वीटी, वर्ना मजा नहीं आयेगा।” उसने कहा-“ठीक है सर”। मेरे दिमाग ने मुझे उकसाया तो मैं बोला, “अब ऐसे सर-सर ना करो। मुझे तुम डार्लिंग कहो, राजा कहो, जानू कहो, ऐसा कुछ कहो”, तो मोनिका बोली-“अभी ऐसा सब बोलने की आदत नहीं हुई सर, सौरी डार्लिंग”, फ़िर बोली-“मैं डार्लिंग नहीं बोल पाउँगी, आप मेरे से बहुत सीनियर हैं।” मुझे मौका मिल गया, मैं तो अब मोनिका में काजल को देख रहा था, सो मैंने कहा-“ठीक है, तो तुम मुझे अंकल तो कह सकती हो?” मोनिका मुस्कुराई-“ठीक है अंकल”।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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Jemsbond
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Re: Hindi Kamuk story दोस्त की बिटिया की जिज्ञासा

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अब मैंने कहा-“मोनिका, आज मुझे अपनी झाँट बनाने दो, इसके तुम्हें मै, ५०० रु० और दुँगा। वो चुप रही तो मैंने काजल से कहा की वो शेविंग किट और पानी ले आए। काजल तुंरंत उठ कर चली गई। वो जब तक आई, मैंने मोनिका को बेड पे टौवेल बिछा उस पर बिठा दिया था। मैंने मोनिका को पहले पलट कर घोड़ी बनने को कहा, फ़िर पीछे से उसकी गाँड़ और चुत के आस-पास के बाल पहले कैंची से काट कर फ़िर रेजर से शेव कर दिया। बड़े प्यार से मैने उसकी झाँट बनाई थी,और सोच रहा था काश एक दिन ये साली काजल की झाँट बनाने क मौका मिले तो मजा आए। मैंने मोनिका को अब सीधा लिटा दिया और साईड से उसकी झाँटो को कैंची से काटने लगा। चुत की फ़ाँक के ठीक उपर और चुत की होठ पे निकले बाल रेजर से साफ़ कर दिए। अंत में मैंने उसके झाँटों को दोनो तरह से छिलना शुरु किया। सीधा-उल्टा दोनो तरफ़ से रेजर चला कर मैंने उसकी झाँट दोनो साईड से छील दी, और बीच में जो जैसे था छोड़ दिया। करीब दस मिनट बाद मोनिका की बुर एक दम साफ़ हो चमक उठी थी, उसके बुर के ठीक उपर से जहाँ से लड़कियों की झाँट शुरु होती है वहाँ तक करीब आध इंच चौड़ी एक पट्टी के तरह अब झाँट बची हुई थी। नाप के हिसाब से बोलूँ तो करीब तीन इंच लम्बी और आधा इंच चौड़ी और करीब पौना-एक इंच लम्बी झाँटों से अब मोनिका की बुर की सुन्दरता बढ़ गई थी। मैं अपने कलाकारी से संतुष्ट हो कर कहा-“देख लो काजल, यही है, लैंडिंग स्ट्रीप, दुनिया की सबसे ज्यादा मशहूर झाँट की स्टाईल”मोनिका की भी नजरें मेरे कला की दाद दे रहीं थी। मैंने कहा-“मोनिका, जाओ एक बार फ़िर से चुत धो कर आओ।” वो टौवेल में अपने कटे हुए झाँटों को ले कर बाथरूम में चली गयी। काजल भी शेविंग किट रखने चली गयी, तो मैंने अपने कपड़े उतार दिए, और पुरी तरह से नंगा हो कर अपना लन्ड सहलाने लगा। मैं सोच रहा था कि कैसे काजल मेरा लन्ड देखेगी।
काजल पहले लौटी। मुझे नंगा देख थोड़ा हिचकी, पर मैं बेशर्म की तरह उससे नजरे मिला कर लन्ड से खेलते हुए बोला-“बैठो आराम से डेढ़-दो घन्टे तो पेलुँगा ही उसको। अगर तुम्हें बुरा लगे तो तुम चली जाना सोने के लिए। मुझे तो अपना पैसा भी वसूल करना है।” काजल थोड़ा लजाते हुए कुर्सी पे बैठ गयी। मोनिका अब टौवेल से अपने चुत को पोछते हुए रूम में आई और टौवेल को एक साईड फ़ेंक दिया। मैंने उसको कहा-“आओ मोनिका, जरा लन्ड से खेलो एक बार पहले निकाल दो,फ़िर तुम्हारी चुत चुस कर तुमको भी मजा दुँगा। कोई झिझक मत रखो। अब थोड़ी देर भूल जाओ कि तुम कौल गर्ल हो और पैसे ले कर चुदाने आई हो। आराम से सेक्स करो, जैसे प्रेमी-प्रेमिका करते हैं। तुम्हे भी मजा आयेगा और मुझे ही।” वो मेरे सामने घुटनों पे बैठ गयी और प्यार से मेरे लन्ड को जो अभी तक लगभग ढीला ही था अपने कोमल हाथों में पकड़ लिया। मेरा लन्ड अभी कोई ५” का था ढ़ीला सा, काला। उसने दो चार बार अपने हाथ से पुरे लन्ड को हल्का-हल्का खींचा और फ़िर मेरे लन्ड की टोप से चमड़े को पीछे करने लगी। पर चमड़ा तो पीछे टिकता तब जब लन्ड कड़ा होता, सो वो बार-बार आगे आ जा रहा था। मेरे हाथ उसके कंधों तक फ़ैले बालों के साथ खेल रहे थे। मोनिका ने फ़िर मेरे लन्ड को मुँह मे ले लिया और चुसने लगी। धीरे-धीरे मेरे लन्ड में सुरुर आने लगा, वो अब थोड़ा खड़ा हो रहा था। करीब दो मिनट की चुसाई के बाद मेरा लन्ड ठीक से खड़ा हो गया। उसकी पुरी लम्बाई करीब ८” थी। मोनिका भी मस्ती से लन्ड चुस रही थी, और मेरे अंड्कोष तथा झाँटों से खेल रही थी। लड़की धंधे में नई जरुर थी, पर लन्ड चुसने में उस्ताद थी। मुझे खुब मजा दे रही थी। मैं मोनिका की तारीफ़ की, “वाह मोनिका मजा आ गया, तुम तो बहुत उस्ताद हो यार, वाओ, मजा आ रहा है”। मोनिका ने एक नजर मेरे से मिलायी और फ़िर मेरे लन्ड को दोगुने जोश से चुसने लगी। कोई ७-८ मिनट में मुझे लगा की मैं झड़ जाऊँगा। मैं अभी ५-७ मिनट और रुक कर झड़ना चाहता था इसलिए मोनिका को कहा-“आअह, अब रुको बेटा। मुझे जोर की सु-सु आई है।” मोनिका ने लन्ड मुँह से बाहर कर दिया। मैं तो थोड़ा समय चाहता था कि लन्ड एक बार थोड़ा रेलैक्स हो ले तो फ़िर चुसवाऊँ, सो मैं बाथरुम की ओर नंगे ही चल दिया।
बाथरुम में मैं सुन रहा था कि मोनिका और काजल बात कर रही हैं। मोनिका ने उससे पूछा कि वो कब ज्वाईन करेगी? तब काजल ने कहा कि वो सिर्फ़ देखेगी अभी सब। मोनिका ने कहा-“क्यों आ जाईए दीदी, आपको भी मजा आयेगा”। पर काजल ने छोटा सा जवाब दिया, “नहीं ऐसे ही ठीक है।” मैं समझ गया कि ये साली काजल आसानी से नहीं चुदेगी, “साली कुतिया”, मैं बड़बड़ाया। अब तक पेशाब करने के बाद मैं लन्ड को पानी से धोया और वो अब तक आधा ढ़ीला हो चुका था, जैसा मैं चाहता था। मैं रुम में आ गया, बेड पर लेट कर कहा-“यहाँ आ जाओ और चुसो, एक पानी निकाल दो मेरी। तुम भी तो नीचे बैठ कर थक गयी होगी।” मोनिका ने फ़िर से मेरे लन्ड को मुँह में डाला और शुरु हो गयी। मैं अब काजल साली को उसके हाल पर छोड़ मोनिका से मजे लेने की मुड में आने लगा था। मेरे मुँह से अनायास निकलने लगा, “वाह स्वीटी, बहुत खुब…., अच्छा चुसती हो लन्ड, मजा आ गया…”। मोनिका भी लन्ड मुँह से बाहर करके कहा-“थैक्यु, अंकल”, और फ़िर से चुसने लगी। मैं बोल रहा था-“बहुत खुब बेटा, चुसो और खेलो इसके साथ… आज तुम्हें बहुत मजा दुँगा, तुम बहुत अच्छी हो.. थोड़ा हाथ से भी करो रानी…मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि कैसे मर्द को खुश किया जाता है, वेरी गुड… ऐसे ही करो”मोनिका ने हाथ से लन्ड सहलाना शुरु किया और अंड्कोश को चाटने लगी, “अब ठीक है, अंकल?” मैंने जवाब दिया-“हाँ बेटी, बहुत अच्छा… सही कर रही हो..आआआह्ह्ह्ह मजा आ रहा है, चुसे अब और निकल कर सारा माल खा जाओ..”रगिनी जोर जोर से अब लन्ड चुस रही थी। मैं झड़ने की स्थिति आने पर बेड से उठा और फ़िर मोनिका को कहा, “मुँह खोलो बेटा, सब खा जाओ”, और उसके मुँह में झड़ गया। मोनिका भी सहयोग करते हुए सारा निगल गयी, चुस चाट कर लन्ड साफ़ कर दिया। लन्ड अब हल्के-हल्के ढीला होने लगा।
मेरा पुरा ध्यान अब मोनिका पर था, काजल को मैंने उसके हाल पे छोड़ दिया था। मैंने अब मोनिका को कहा कि अब वो आराम से लेटे, और मैं अपनी ऊँगलियाँ उसकी ताजा ताजा साफ़ हुई चुत पर घुमाई। उसकी चुत एक दम गीली हो गयी थी,ऐसा लग रहा था कि पसीज रही हो। मैंने एक नजर काजल पे डाली, वो एक टक बेड पे देख रही थी, उसकी नजर भी मोनिका की चुत पर थी। मैं झुका और एक प्यारा सा चुम्मा उसके चुत की फ़ाँक की उपर की साईड पर चिपका दिया, ’मजा आया मोनिका बेटा?” हल्के से काँपती आवाज में उसने कहा, “हाँ अंकल बहुत, आप बहुत अच्छे हैं”। मैं अब अपनी जीभ उसके चुत की फ़ाँक पर घुमा रहा था और नमकिन पानी चाट रहा था। फ़िर मैंने उसके पैरों को फ़ैला कर उसकी चुत खोल ली और उसके चुत तो चाटने चुसने लगा। मोनिका कभी आह भरती, कभी सिसकती, तो कभी एक हल्का सा उउउउउउम्म्म्म्म्म्म आअह्ह्ह…। उसे मजा आने लगा था। लड़की चोदते हुए मुझे करीब २५ साल हो गए थे, और मैं अपने अनुभव से किसी भी रन्डी को मस्ती करा सकता था। मोनिका तो अभी भी बछिया ही थी मेरे लिए, जब कि मैं एक साँढ़, जो शायद तब से चूत चोद रहा था जब से इनकी मम्मी चुदाना भी नहीं शुरु की थी। मैं अब मोनिका को सातों आसमान की सैर एक साथ करा रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने मोनिका की चुत से मुँह हटाया। वो बिल्कुल निढ़ाल दिख रही थी। मैंने उसको तकिये के सहारे बिठा दिया और अपने दाहिने हाथ की बीच वाली ऊँगली चुत में घुसा दी। फ़िर उपर की तरफ़ उँगली को चलाते हुए मोनिका के जी-स्पौट को खोजना शुरु किया, और तभी मोनिका का बदन हल्के से काँपा। मुझे अपने खोज में सफ़लता मिल गयी थी। मैने अपने उँगली से चुत के भीतर उस जगह कुरेदना शुरु किया तो मोनिका मचलने लगी-“आआआआआअह्ह्ह्ह्ह अंकल , उउईईईमाँ…. इइइस्सस….। अचानक वो छटपटाई, अर फ़िर एक दम से ढीली हो गयी। मैं समझ गया कि साली को पहला चरमसुख मिल गया। मैने ऊँगली बाहर निकाल ली। उसको पहली बार जी-स्पौट का मजा मिला।
मोनिका एक दम से शांत हो गयी थी। मैनें उसे पुकारा-“मोनिका बेटा, कैसा लगा… कुछ बताओ भी।” वो उठी और मेरे से लिपट गई, मुझे जवाब मिल गया। हम दोनों एक एक बार झड़ गए थे। मेरा लन्ड फ़िर से मस्त हो चुका था। मै बेड से उठा और साईड टेबल पर रखे जग से थोड़ा पानी पिया, और मोनिका की तरफ़ देखा तो उसने इशारे से पानी माँगा। एक ग्लास पानी पीने के बाद उसके मुँह से बोल निकले-“ओह अंकल, आज तक ऐसा नहीं लगा था। बहुत अच्छा लगा अंकल, थैंक्स। अभी तक तो मेरा एक्स्पीरियंस था कि मर्द लोग धक्के लगा लगा कर खुद मजा लेते, पर मेरे मजा आने के पहले ही, शांत हो जाते। आज पहली बार पता चला असल सेक्स क्या है।” मैंने काजल की तरफ़ देखा। वो शांति से सब देख रही थी, पर अब उसकी टाँगे थोड़ी आपस में जोर से सटी हुई लगी। उसकी भी चुत गीली हो गयी थी। मैंने उसी को देखते हुए कहा-“अभी कहाँ तुम्हें पता चला है कि सेक्स क्या होता है। वो तो अब पता चलेगा जब इस लन्ड को तुम्हारी बुर में पेल कर तुम्हारी चुदाई करुँगा। जल्दी से रेडी हो जाओ चुदवाने के लिए।” मैं अपने लन्ड को सहला सहला कर सांत्वना दे रहा था कि पप्पु जल्दी ना कर, अभी लालमुनिया मिलेगी चोदने के लिए। दो मिनट बाद मोनिका बोली-“आ जाइए अंकल, मैं तैयार हूँ।” वो तकिये पर सिर रख कर सीधा लेट गयी। मैंने उसके पैरों को घुटने से हल्का मोड़ कर उपर उठा दिया जिससे उसके गीली गीली बुर एक दम से खुल गई। भीतर का नन्हा सा गुलाबी फ़ूल सामने दिख रहा था। मैं उसकी खुली टाँगों के बीच आ गया और अपने ७२ किलो के बदन के उसके उपर ले आया। फ़िर अपने बाँए हाथ से थुक निकाला और अपने लन्ड की फ़ुली हुई सुपाड़ी पे लगा कर लन्ड मोनिका की बुर पे सेट कर लिया, पूछा-“पेल दूँ अब भीतर मोनिका?” उसका सिर हाँ में हिला। “ठीक है फ़िर चुदो बेटा”, कहते हुए मैंने लन्ड भीतर ठाँसने लगा। मोनिका हल्के से कुनमुनाई। मैंने एक जोर का ध्क्का लगाया और पुरा ८” लन्ड भीतर पेल दिया। मोनिका की आँख बन्द थी, “आआअह” मुँह से निकली, और उसने आँख खोल कर भरपुर नजरों से मुझे देखा। मैंने उसके कान में कहा-“जब मैं चोदुँगा तो मुझे खुब गाली देना, मजा आएगा।”
मैंने मोनिका से पूछा-“बोलो बच्ची,चोदूँ तुम्हें।” और काजल की देख उससे पूछा-“दिखा साफ़-साफ़, नहीं तो एक बार फ़िर बाहर निकाल कर पेलूँ भीतर”। ये कहते हुए मैंने लन्ड बाहर खींचा और दुबारा से मोनिका की बुर में पेल दी। मोनिका के मुँह से दुबारा आआआह निकली। काजल इस बार खड़ी हो गई ताकि सब साफ़ देख सके। मोनिका ने काजल को खड़ा देख बोला-“आईए न दीदी आप भी। अंकल बहुत अच्छे हैं।” आगे कुछ कहने से पहले हीं मैंने लन्ड को बुर के बाहर भीतर करके लौण्डिया की चुदाई शुरु कर दी। काजल का चेहरा चुदाई देख एक दम लाल हो गया था, पर वो सिर्फ़ खड़े-खड़े देख रही थी। मोनिका को पहली बार मेरे जैसे मर्द से वास्ता पड़ा था जो लड़की को खुब मजे ले कर चोदता है और लड़की को भी साथ में मजे देता है। मेरी आदत थी कि मैं रन्डी भी चोदता तो प्रेमिका बना कर। जब भी किसी को चोदा तो उसको अपने लिए भगवान का उपहार माना और उसके शरीर को पुरे मन से भोगा। मैंने मोनिका से कहा-“मजा आया मोनिका?”उसकी आँख बंद थी, होठ से कांपती आवाज आई-“हाँ अंकल बहुत। आप बहुत अच्छे हैं। आअह अंकल अब थोड़ा जोर से धक्का लगा कर चोदिए न, जैसा धक्का लन्ड पेलते समय दिए थे।” असल में अभी ख्ब प्यार से धीरे धीरे लन्ड अंदर-बाहर करके उसको चोद रहा था। पुरा पैसा वसूल हो इसके लिए जरुरी था कि उसकी बुर कम से कम आध घंटा मेरे लन्ड से चुदे। उसके जोर का धक्का लगाने की फ़र्माईश पर मैंने ८-१० सौलिड धक्के लगाए और धक्के पर मोनिका के मुँह से आह की आवाज आई।
मैंने मोनिका से कहा-“आँख खोल और देख न कौन चोद रहा है तुझे। मुझसे आँख मिला, कुछ बात कर ना। रन्डी हो तो थोड़ा रन्डीपना दिखा।” उसे मेरी बात से ठेस पहुँची शायद, पर वो आँख खोल कर बोली-“हाँ साले बेटीचोद, लुटो मजा मेरे चूत का साले। मेरे बाप की उमर के हो और साले मुझे चोद रहे हो।” मुझे उसकी गालियों से जोश आ गया-“चुप साली फाड़ दुँगा तेरी चूत आज। साली कुतिया। मुझे बेटी-चोद बोलती है। बाप से चुदा-चुदा के जवान हुई हो साली और मुझे बोल रही है बेटी चोद…ले साली चुद, और चुद, और चुद, रन्डी साली।’ और मैंने कई जोरदार धक्के लगा दिए। ८-१० मिनट चोदने के बाद मैं थोड़ा थक गया तो लन्ड बाहर निकाल लिया और बोला-“अब बेटा तुम मेरे उपर बैठ कर चोदो, मुझे थोड़ा आराम से लेटने दो, फ़िर मैं चोदुँगा”। उसने कहा-“ठीक हैं अंकल” और मेरे उपर चढ़ कर बैठ गई। काजल बार-बार अपने पैर सिकोड़ रही थी, उसकी चूत भी गीली थी, पर उसमें गजब का धैर्य था। खड़े-खड़े ही वो हुम दोनों की चुदाई देख रही थी चुप चाप। मोनिका के मुँह से हुम्म्म हुम्म्म की अवाज निकल रही थी पर वो मेरे लन्ड पर उछल उछल कर खुद ही अपनी बुर चुदा रही थी। मैं ऐसी मस्त लौन्डिया को पा कर धन्य हो गया। कुछ देर बाद मैंने कहा-“चल साली, अब घोड़ी बन। घुड़सवारी करने का मन है।” वो बोली-“जरुर अंकल, आपके लिए तो आप जो बोलो करुँगी। आपने मुझे सच्ची मजा दिया है और मुझे पहली बार रन्डीपन का मजा मिल रहा है।” और वो बड़े प्यार मेरे उपर से उठी और फिर बेड से उतर कर जमीन पर हाथ-घुटनों के सहारे झुक गई। वो अब काजल के बिल्कुल पास झुकी हुई थी। उसकी खुली हुई बुर अपने भीतर की गुलाबी कली के दर्शन करा रही थी।

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Jemsbond
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Re: Hindi Kamuk story दोस्त की बिटिया की जिज्ञासा

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मैं भी बेड से उतर कर पास आ गया और काजल से पूछा-“मस्ती तो आ रही होगी, कम से कम अपनी ऊँगली से ही कर लो मेरी बच्ची”, मैंने प्यार से उसके गाल सहला दिए। फिर मोनिका पर सवार हो गया। मेरा लन्ड अब मजे से उसकी गीली चूत के भीतर की दुनिया का मजा ले रहा था। करीब ४० मिनट हो गया था, हम दोनों को खेलते हुए। मोनिका को एक और और्गैज्म हो चुका था। मेरा भी अब झड़ने वाला था तो मंने उससे पूछा-“कहाँ निकालूँ मोनिका?” वो तपाक से बोली-“मेरे मुँह में, मेरे मुँह में अंकल। आपका एक बुँद भी बेकार नहीं करुँगी।” मैंने अपना लन्ड बाहर निकाल और उसके मुँह की तरफ़ आया। उसने अपना मुँह खोला और मैं उसके मुँह को अब चोदने लगा। १०-१२ धक्के के बाद मेरे लन्ड से पिचकारी निकलने लगी, जिसे मोनिका अपना होठ बन्द करके पुरा का पुरा माल मुँह में ली और फ़िर मैंने लन्ड बाहर खींच लिया तब उसने मुँह खोल कर मेरे माल को अपने मुँह में दिखाया और फिर मुँह बन्द करके निगल गई। मैंने उसको जमीन से उठाया और फ़िर अपने गले लगा लिया और कहा-“तुम बहुत अच्छी हो मोनिका, मैंने जो गालियाँ तुम्हें दी, उसके लिए माफ़ करना। चोदते समय ये सब तो होता ही हैं।” वो भावुक हो गई, उसकी आँखों में आँसू तैर गए। भरी आवाज में बोली-“नहीं सर, आप बहुत अच्छे हैं। मैं रन्डी हूँ, पर आपने इतना इज्ज्त दिया, वर्ना बाकी लोग तो मेरे बदन से सिर्फ़ पैसा वसूल करते हैं। थैंक्यू सर।” उसकी यह बात दिल से निकली थी, मैंने उसकी पीठ थपथपायी-“सर नहीं अंकल। अब मैं तुम्हारा अंकल हीं हूँ। जब भी परेशानी में रहो, मुझे बताना। मैं पुरी मदद करुँगा।” एक-एक बूँद आँसू उसकी गालों पर बह गए। उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढ़क लिया। ५-६ सेकेण्ड बाद मुस्कुराते हुए हाथ हटाए और बोली-“बेटीचोद” और मेरे गले से लिपट गयी। काजल की आँख भी गीली हो गई। उसकी नजरों में भी मेरे लिए अब प्यार दिख रहा था। वो बोली-“मैं आप दोनों के लिए पानी लाती हूँ” और वो बाहर चली गई।
जब वो पानी का ट्रे ले कर आई तब मैं कुर्सी पर बैठा था और मोनिका बिस्तर ठीक कर रही थी। हम दोनों अभी भी नंगे ही थी। मेरा लन्ड एक दम शांत और भोला बच्चा बन गया था। पानी आगे करते हुए काजल बोली-“चाचु अब आप दोनों सो जाएँ, ११.३० से ज्यादा हो रहा है। अब कल सुबह मैं चाय लाऊँगी आप दोनों के लिए।” फ़िर हँसते हुए रुम में से भाग गयी।

अगली सुबह काजल ही रुम में आ कर मुझे और मोनिका को जगाई। मैने देखा कि काजल के हाथ की ट्रे में दो गिलास पानी और पेपर है। मैं और मोनिका अभी भी नंगे थे जैसे कि हम रात को सो गए थे। मोनिका पानी पी कर बाथरुम की तरफ़ चल दी, और मैंने उसका तकिया उठा कर अपने गोद में रख लिया जिससे मेरे लन्ड को काजल नहीं देखे। काजल यह सब देख बड़े कातिलाना अंदाज में मुस्कुराई, फ़िर चाय लाने चली गई। मैं पेपर खोल लिया। जब काजल चाय ले कर आई,तब तक मोनिका भी बाहर आ गई थी और अपने कपड़े जमीन पर से समेट रही थी। काजल सिर्फ़ एक कप चाय लाई थी, जिसे उसने मोनिका की तरफ़ बढ़ा दिया। मोनिका ने चाय लिया बाकी चाय के बारे में पुछा। अब जो काजल ने कहा उसे सुन कर मेरी नसें गर्म हो गई। बड़ी सेक्सी आवाज में हल्के से फ़ुस्फ़ुसा कर काजल बोली-“तुम पीयो चाय, चाचू को आज मैं अपना दूध पिलाऊँगी”, और उसने अपने टौप को नीचे से पकड़ कर उठाते हुए एक ही लय में अपने सर के उपर से निकाल दिया। मेरे मुँह से निकल गया-“जीयो जान, क्या मस्त चुची निकली है तेरी।” सच उसकी संतरे जैसी गोल-गोल गोरी-गोरी चुची गजब का नजारा पेश कर रही थी, और उस पर गुलाबी-गुलाबी लगभग आधे आकार को घेरे हुए चुचक बेमिसाल लग रहे थे। काजल के बदन के गोरेपन का जवाब न था। वो इसके बाद मेरे बदन पर ही चढ़ आई।
अगली सुबह काजल ही रुम में आ कर मुझे और मोनिका को जगाई। मैने देखा कि काजल के हाथ की ट्रे में दो गिलास पानी और पेपर है। मैं और मोनिका अभी भी नंगे थे जैसे कि हम रात को सो गए थे। मोनिका पानी पी कर बाथरुम की तरफ़ चल दी, और मैंने उसका तकिया उठा कर अपने गोद में रख लिया जिससे मेरे लन्ड को काजल नहीं देखे। काजल यह सब देख बड़े कातिलाना अंदाज में मुस्कुराई, फ़िर चाय लाने चली गई। मैं पेपर खोल लिया। जब काजल चाय ले कर आई,तब तक मोनिका भी बाहर आ गई थी और अपने कपड़े जमीन पर से समेट रही थी। काजल सिर्फ़ एक कप चाय लाई थी, जिसे उसने मोनिका की तरफ़ बढ़ा दिया। मोनिका ने चाय लिया बाकी चाय के बारे में पुछा। अब जो काजल ने कहा उसे सुन कर मेरी नसें गर्म हो गई। बड़ी सेक्सी आवाज में हल्के से फ़ुस्फ़ुसा कर काजल बोली-“तुम पीयो चाय, चाचू को आज मैं अपना दूध पिलाऊँगी”, और उसने अपने टौप को नीचे से पकड़ कर उठाते हुए एक ही लय में अपने सर के उपर से निकाल दिया। मेरे मुँह से निकल गया-“जीयो जान, क्या मस्त चुची निकली है तेरी।” सच उसकी संतरे जैसी गोल-गोल गोरी-गोरी चुची गजब का नजारा पेश कर रही थी, और उस पर गुलाबी-गुलाबी लगभग आधे आकार को घेरे हुए चुचक बेमिसाल लग रहे थे। काजल के बदन के गोरेपन का जवाब न था। वो इसके बाद मेरे बदन पर ही चढ़ आई।
मैंने पहले उसके चेहरे को पकड़ा और फ़िर उसके गुलाबी होठों का रस पीने लगा। उसका बदन हल्का सा गर्म हो रहा था, जैसे बुखार सा चढ रहा हो। बन्द आँखों के साथ वो हसीना अब टौपलेस मेरे बाहों में थी। मैंने मोनिका की तरफ़ देखा। वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी, और चाय की चुस्की ले रही थी, जब मैंने काजल को अपने बदन से थोड़ा हटाया और फ़िर उसकी दाहिनी चुची की निप्पल मुँह में ले उसे चुभलाने लगा। काजल आँख बंद करके सिसकी भर रही थी, और मैं मस्त हो कर उसके चुचियों से खेल रहा था, चुस रहा था। वो भी मस्त हो रही थी। मैंने अपने हाथ थोड़ा आगे कर उसके कैप्री के बटन खोले और फ़िर उसको अपने सामने बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। भीतर काली पैन्टी की झलक मुझे मिल रही थी। प्यार से पहले मैंने कैप्री उत्तार दी। फ़िर मक्खन जैसी जाँघों को सहलाते हुए भीतर की तरफ़ जाँघ पर २-४ चुम्बन लिया। उसका बदन अब हल्के से काँप गया था। और जब मैं उसकी पैन्टी नीचे कर रहा था तब उसने शर्म से अपना चेहरा अपने हाथों से ढ़क लिया। इस तरह से उसका शर्माना गजब ढ़ा गया। चूत को उसने एक दिन पहले ही साफ़ किया था, सो उसकी गोरी चूत बग-बग चमक रही थी। मैंने उसके चूत को पुरा अपने मुट्ठी में पकड़ कर हल्के से दबा दिया, तो वो आआह्ह्ह्ह कर दी। मैंने अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया और वो चुसाई की, वो चुसाई की गोरी-गोरी चूत की कि वो एक दम लाल हो गई जैसे अब खून उतर जाएगा। वो अब चुदास से भर कर कसमसा रही थी, कराह रही थी। उसकी हालत देख मैंने मोनिका की तरफ़ आँख मारी और कहा-“काजल बेटा, अब जरा तुम भी मेरा चुसो, अच्छा लगेगा”। वो काँपते आवाज में बोली-“नहीं चाचु, अब कुछ नहीं अब बस आप घुसा दो मेरे भीतर अब बर्दास्त नहीं होगा, प्लीज…”
मैंने उसको छेड़ा-“क्या घुसा दूँ, जरा ठीक से बोलो ना।” मोनिका मेरे बदमाशी पर हँस दी, बोली-“अंकल, क्यों दीदी को तड़पा रहे हो, कर दो जल्दी।” काजल लगातार प्लीज घुसाओ प्लीज कर रही थी। मैंने फ़िर कहा-“बोलो भी अब क्या घुसा दूँ,कहाँ घुसा दूँ, मुझे समझाओ भी जरा।” काजल सच अब गिड़गिराने लगी, बोली-“चाचा, प्लीज…” वो अपने हाथ से अपना चूत सहला रही थी। मैंने भी कहा-“एक बार कह दो साफ़ साफ़ डार्लिंग, उसके बाद देखो, जन्न्त की सैर करा दुँगा, बस तुम्हारे मुँह से एक बार सुनना चाहता हूँ पहले।” अब काजल बोल दी-“मेरे अच्छे चाचु, प्लीज अपने लन्ड को मेरे चूत में दाल कर मुझे चोद दो एक बार, अब रहा नहीं जा रहा।” मेरा लन्ड जैसे फ़टने को तैयार हो गया था ये सब सुन कर। वषों से यही सोच सोच कर मैंने मुठ मारी थी सैकड़ों बार। मैं जोश में भर कह उठा-“ओके, मेरे से चुदाना चाहती हो, ठीक है खोलो जाँघ”। और मैं उसके जाँघों के बीच बैठ कर लन्ड को उसकी लाल भभुका चूत की छेद से भिरा दिया। मैंने कहा-“डालूँ अब भीतर?” काजल चिढ़ गई-“ओह, अब चोद साले बात मत कर आह”। इस तरह जब वो बोल पड़ी तो मैं समझ गया कि अब साली को रन्डी बन जाने में देर ना लगेगी। मैंने एक जोर के धक्के के साथ आधा लन्ड भीतर पेल दिया। उसके चेहरे पर दर्द की रेखा उभरी, पर उसने होंठ भींच लिए। अगला धक्का और जोर का मारा और पुरा ८” जड़ तक काजल की चूत में घुसेड़ दिया। वो चीख पड़ी-“हाय माँ, मर गई रे….।” उसका आँख बन्द था, और उस जोरदार धक्के के बाद मैं थोड़ा एक क्षण के लिए रुका कि मोनिका की आवाज सुनाई दी-“ओह माँ”। मैंने आँख खोली, देखा काजल के दोनों आँखों से एक-एक बूँद आँसू निकल कर गाल पर बह रहे थे, मोनिका साँस रोके अपने हाथों से मुँह ढ़के बिस्तर देख रही थी। और तब मुझे अहसास हुआ कि काजल कुँवारी कली थी, और मैंने उसका सील तोड़ा था अभी-अभी। बिस्तर पर उसकी कुँवारी चूत की गवाही के निशान बन गए थे, बल्कि अभी और बन रहे थे।
मैं समझ गया कि कितनी तकलीफ़ हुई है काजल को, सो अब मैंने उसको पुचकारा-“हो गया बेटा हो गया सब, अब कुछ दर्द ना होगा कभी”। मोनिका भी उसके बाल सहला रही थी-“सच दीदी, अब सब ठीक है, इतना तो सब लड़की को सहना होता है…”। काजल भी अब थोड़ा सम्भली और होंठ भींचे भींचे सर को हिलाया कि सब ठीक है। और तब मैंने अपना लन्ड बाहर-भीतर करना शुरु किया। ४-६ बार बाद लन्ड ने अपना रास्ता बना लिया और फ़िर हौले-हौले मैं भी अब सही स्पीड से काजल की चुदाई करने लगा। वो भी अब साथ दे रही थी। ८-१० मिनट बाद मैंने अपना सारा माल चुत के उपर पेट की तरफ़ निकाल दिया। वो निढ़ाल सी बेड पर पड़ी थी। मोनिका ने बेडशीट से ही उसकी चूत पोंछ दी, और फ़िर उसको सब दिखाया। काजल बोली-“अब तो पका हुआ ना कि मैंने दीपक के साथ कुछ नहीं किया था, पर ये सब मम्मी-पापा कैसे जान पाएँगें?” उसके आँखों में आँसू आ गए। मैंने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया-“छोड़ो ये सब बात, आज तो सिर्फ़ अपनी जवानी का जश्न मनाओ।” मुझे अब पेशाब लग रही थी, सो मैं बिस्तर से उठ गया। अब दोनों लड़कियाँ भी उठ कर कपड़े पहनने लगीं। आधे घन्टे बाद चाय-बिस्कुट के साथ काजल अपने पहले चुदाई के अनुभव बता रही थी। मोनिका ने उसे समझाया कि “अभी एक-दो बार और दर्द महसुस होगा पर ऐसा नहीं मीठा दर्द लगेगा, उसके बाद जब बूर का मुँह पुरा खुल जायेगा तब बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा, चाहे जैसा भी लन्ड भीतर डलवा लो। मुझे अब बिल्कुल भी दर्द नहीं होता”।
करीब ९ बजे मोनिका चली गई। काजल ने उससे वादा लिया कि वो फ़िर एक बार आयेगी, तब शुक्रवार को आने की बात कही, क्योंकि शनि और रविवार को रजिन्दर उसकी मेरे साथ बूकिंग के बाद एक घन्टे में अगले ५ सप्ताह की बूकिंग कर चुका था। मुझे भी मोनिका बहुत अच्छी लगी थी। जाते-जाते वो मुझे कह गई-“अंकल आपको जब मन हो फ़ोन कर दीजिएगा, माथुर सर वाले दिन छोड़ कर, चली आऊँगी, अब आपके साथ पैसे ले कर नहीं करुँगी, आपने सच मुझे बहुत इज्ज्त और प्यार दिया, थैंक्यु”। उसके जाने के बाद मैं और काजल ने अगले एक घन्टे में घर साफ़ किया और फ़िर कपड़े वाशिंग मशीन में डालने के बाद काजल मेरे पास आई और बोली-“चाचु, एक बार और कीजिएगा, अब दर्द बिल्कुल ठीक हो गया है”। सुबह साढ़े छः के करीब काजल पहली बार चुदी और अभी साढ़े दस बजे वो दुसरी बार चुदाने को तैयार थी। मेरे लिए तो काजल का जिस्म दुनिया का सबसे बड़ा नशा था सालों से, कैसे मना करता। तुरंत ही अपना कपड़ा खोल दिया और बोला-“आओ”।
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Re: Hindi Kamuk story दोस्त की बिटिया की जिज्ञासा

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काजल आई और घुटनो पर बैठ गई। मैं समझ गया कि अब वो होगा जो मैंने हमेशा सपने में होने की उम्मीद करता था। हाँ, काजल ने मेरे ढ़ीले लन्ड को पकड़ अपने मुँह में डाल लिया था और उस पर अपना जीभ चला रही थी। अचानक वो बोली-“चाचु, अब आपका बुढ़ा होने लगा हैं; देखिए आपका कई बाल सफ़ेद हो गया है।” वो मेरे झाँट के बारे में बात कर रही थी। उसे इस प्रकार बात करते देख अच्छा लगा कि अब ज्यादा मजा आयेगा पहली बार तो कुछ खास बात चीत हुई ना थी। मैंने उसे थोड़ा एनकरेज किया-“अभी बुढ़ा न कहो इसको। बारह घन्टे में दो जवान लौन्डिया चोदा है मेरा पट्ठा। एक की तो सील तोड़ी है। मर्द तो साठ साल में पट्ठा होता है – साठा तब पाठा – सुना नहीं क्या? अभी पाँच मिनट रुको, पता चलेगा जब तेरी बूर की बीन बजाएगा ये काला नाग।” उसने अपनी आँख गोल-गोल नचाई-“हूँ, ऐसा क्या?”। सच उसकी यह अदा लाजवाब है। वो चुस-चुस कर मेरे लन्ड को कड़ा कर रही थी और काफ़ी अच्छा चुस रही थी। मैंने कहा-“अभी थोड़ा और चुसो आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह, काजल तुम तो सब बहुत जल्दी सीख गई”। उसने नजर मिला कर कहा-“मेरा प्यारा चाचु सिखाए और मैं ना सीखू, ऐसा कैसे होगा?” मैं-“आय हाय, बड़ी मस्त लौन्डिया हो रे तुम चाचा की भतीजी”। उसने मुझसे हँसते हुए पूछा-“मैं लौन्डिया हूँ?” मैंने जवाब दिया-“हाँ तुम लौन्डिया हो लौन्डिया, मेरी लौन्डिया, मेरी लौन्डी हो।” वो बोली-“अच्छा और क्या हूँ मैं?” और मेरे लन्ड को हल्के हल्के चुसती जा रही थी। मै मस्ती की मूड में आ गया-“दिखने में तो तुम माल हो माल, वो भी टौप क्लास का। आआआअह्ह्ह्ह्ह, मक्खन हो साली तुम। खिलती हुई गुलाब की कली हो जान। वाह बहुत अच्छा चुस रही हो, इइइइस्स्स्स्स,मजा आ रहा है। और चुस मेरी लौन्डी। कैसा लग रहा है, जरा बता ना साली। थोड़ा खेल भी हाथ में ले कर।”
काजल ने लन्ड को अब हाथ से सहलाना शुरु किया, “बहुत बढ़ीया है आपका लवड़ा।” मैंने सुधारा-“लवड़ा नहीं लौंड़ा बोल इसे। चुदाते समय रन्डियों की तरह बोलना सीख”। वो मचल कर बोली-“तो सिखाओ ना कैसी रन्डी बोलती है, मुझे थोड़े न पता है। मैं तो सीधी-साधी लड़की हूँ, मम्मी-पापा ने इतने प्यार से पाला और अब आप मुझे ये सब कह रहे हो, कैसे होगा?” मैं बोला-“तुझे लड़की कौन बेवकुफ़ कहेगा। मैंने बताया न, तुम माल हो वो भी एक दम टंच माल। एक चुदाई के बाद जैसे लन्ड खा रही है, लगता है कि मम्मी-पापा के घर जाने तक तू पुरी रन्डी बन जाएगी।” काजल मेरी बात सुन कर बोली-“हाँ चाचु, मुझे सब सीखना है, जल्दी-जल्दी सीखाओ न अब, एक सप्ताह तो तुम बर्बाद कर दिए मेरा उदघाटन करने में। वो भी हुआ तब, जब मैं कौलगर्ल लाने को बोली, वर्ना तुम तो मुझे ऐसे ही अपने घर से विदा कर देते। मैं जब आई थी तब से यह सब सोच कर आयी थी। शुरु से तुमको लाईन दे रही थी और तुम साधु बने हुए थे। पहले दिन से ही मैंने तुम्हारे बाथरुम में अपना अन्डरगार्मेन्ट छोड़ना शुरु किया पर तुम थे कि आगे बढ़ ही नहीं रहे थे।” मैं सब सुना और कहा-“हाँ बेटा, तुम सही कह रही हो। असल में मुझ लग रहा था कि थोड़ी-बहुत छेड़-छाड़ तो ठीक है, पर शायद तुम सेक्स के लिए ना कह दोगी तो मुझे बहुत शर्म आयेगी फ़िर तुमसे। यही सब सोच मैं आगे नहीं बढ़ रहा था। पर मैंने भी धीरे-धीरे ही सही पर तुम्हारी तरफ़ आगे बढ़ रहा था ये तो मानोगी। और पता है, रोज मास्टरबेट करके तुम्हारी पैन्टी पर अपना लन्ड का रस डाल देता था, तुम्हें पता चला कुछ?” वो मुस्कुराई-“सब पता है, सुखने पर भी थोड़ा तो अलग लगता है। अब ऐसे अपना क्रीम मत फ़ेंकना, मैं हूँ ना, सब खा जाऊँगी। कहीं पढ़ा है कि, मर्द के उस रस में बहुत पौष्टिक मैटेरीयल होता है।” मेरा लन्ड अब जैसे माल निकालने की स्थिति में आ गया था। मैंने समय लेने के लिए कहा-“अब बात बन्द कर और चल बिस्तर पर लेट। तेरे चूत का स्वाद लेना है अब मुझे।”
वो झट उठी और बेड पे लेट गई। मैं भी साथ ही आ गया और तुरंत उसकी चूत पर मुँह भिरा दिया। पुरे दस मिनट तक उसकी चूत को खुब चुभला-चुभला कर चुसा, चबाया। उसकी गीली चूत का नमकीन स्वाद मस्त था। साली खुब मस्त हो कर अपना चूत चटा रही थी। एक बार वो पानी भी छोड़ी, पर थोड़ा सा। इसके बाद वो थोड़ा शान्त हो गई, तब मैंने पुछा-“क्या हाल है? कैसा लगा इस चुतिया चाचा के मुँह का मजा?” बेचारी कुछ बोल न सकी, बस हाँफ़ती रही, और मुझे समझ आ गया की बछिया अब हार चुकी है। मैं एक बार फ़िर साँढ़ बन कर बछिया पर चढ़ गया और सिर्फ़ उसके चेहरा पर नजर गड़ा कर साली की जोरदार चुदाई शुरु कर दी। अब वो जैसे छोटे पिल्ले केंकीयाते हैं, वैसा आवाज मुँह से निकाल रही थी। आप सब ने ऐसी आवाज की चाईनीज या जपानी लड़की की चुदाई वाली ब्लु-फ़िल्म में सुनी होगी। उसकी चूत से निकलने वाला “राग मस्त-चुदाई” मुझे एक विशेष मजा दे रहा था। थोड़ी देर में मैंने पुछा-“क्या रे अब रोना-चीखना छोड़ और बोल कहाँ निकालूँ अपना वीर्य, अब मेरा छुटेगा।” वो संभली और बोली-“मेरे मुँह में चाचु, मेरे मुँह में।” ये सुन मैंने अपना लन्ड बाहर खींचा और उसके चेहरे की ओर आ गया। उसने अब अपना मुँह मराने के लिए खोला और मैं उसके मुँह में लन्ड घुसा अब उसकी मुँह मारने लगा। मैं अपने किस्मत पर खुश था, मुझे काजल जैसी हूर चोदने को भगवान ने दे दी थी। १०-१२ बार के बाद मेरे लन्ड ने पहली पिचकारी छोड़ी और फ़िर अगले ५ बड़े झटके में मेरा कम-से-कम एक बड़ा चम्मच वीर्य उसकी मुँह में गिरा। वो बड़े चाव से वो सब माल निगल गई, हाँफ़ रही थी पर शौक से खाई। फ़िर मेरे लौंड़े को चाट-चुस कर साफ़ भी किया। जब वो मेरा लन्ड चाट रही थी, तब मैं भी उसकी ताजा चुदी चूत को चाटा, और उसके नमकीन गीलेपन और कसैले-खट्टेपन से भरी गंध का मजा लिया।
करीब १२ बजे हम दोनों साथ ही नहाए, और नंगे ही बाहर आए तो मैंने कहा कि जल्दी तैयार हो जाओ, आज बाहर हीं लंच लेंगे। वो जल्दी हीं आ गई। उसने एक सफ़ेद स्कर्ट और गोल गले का लाल टौप पहन रखा था, और पोनी टेल में बंधे बाल के साथ वो बहुत सुन्दर दिख रही थी। मैंने आँख मारी और कहा ऐसा जानमारूँ माल बन कर घर से निकलोगी, तो सड़क पर हंगामा हो जायेगा। वो हँस दी, और मैं उसकी मोहक मुस्कान पे फ़िदा हो उसके होठ पर एक हल्का सा चुम्बन जड़ दिया। हम अब एक अच्छे से रेस्ट्राँ में आए, और खाना खाया, फ़िर पास के ही एक मल्टीप्लेक्स में २ बजे के शो में एक अंग्रेजी रोमैंटिक फ़िल्म देखी। तीन शानदार बेडरुम सीन था। हौल में इधर-उधर कई सिस्की सुनाई दे जा रही थी। मैंने काजल का ध्यान एक जोड़े की तरफ़ किया। एक २१-२२ साल की लड़की नीचे झुक कर शायद अपने बायफ़्रेन्ड का लन्ड चुस रही थी। हम दोनों अब बीच-बीच में उस जोड़े की हरकतों का भी मजा ले रहे थे। काजल ने भी मेरे लन्ड को अपने हाथ से मसल मसल कर झाड़ा, और जब मेरा वीर्य उसके हाथों पे फ़ैल गया तब उसने उसके चाट कर अपना हाथ साफ़ किया। फ़िल्म के बाद हम मार्केट गए और वहाँ पर मैंने काजल के लिए एक सुन्दर सा लाल और हरा का एक कामदार सलवार-सुट खरीदा। तभी काजल की मम्मी का फ़ोन आ गया कि अभी वो लोग एक सप्ताह और रुकेंगे। सुन कर हम दोनों खुश हो गए। उन्होनें जब काजल से पूछा की कोई परेशानी तो नहीं, तब काजल ने मेरी तरफ़ देख कर हँसते हुए कहा कि कोई परेशानी नहीं है, चाचा मेरा बहुत ख्याल रखते हैं, मुझे बहुत प्यार करते हैं। फ़िर भाभी जी मेरे से बात कीं और मुझसे माफ़ी माँगी कि उनके बाहर रहने से काजल के कारण मुझे परेशानी उठानी पर रही है। मैंने भी कहा कि वो संकोच ना करें, मुझे काजल से कोई परेशानी नहीं है। बल्कि काजल की वजह से अब मैं ज्यादा घरेलु हो गया हूँ, शाम में घर आने पर अच्छा लगता है। काजल हीं मुझे चाय पिलाती है बना कर। भाभी जी संतुष्ट हो गयीं और फ़ोन काट दिया। काजल बोली-“मम्मी से तो ऐसे कह रहे थे जैसे मैं आपकी बीवी की तरह चाय पिला रही हूँ आपको?” मैंने तपाक जड़ दिया-“और नहीं तो क्या? न सिर्फ़ बीवी की तरह चाय पिलाती हो, अब तो रोज़ बीवी की तरह चुदाती भी हो। कहो तो यह भी कह दूँ तेरी मम्मी से?” काजल शर्मा गई-“छिः, ये बात कहीं मम्मी से कही जाती है?”
फ़िर हम करीब ८ बजे डिनर ले कर घर लौटने लगे, तब काजल ने कहा कि वो कभी ब्लु-फ़िल्म नहीं देखी है, इसलिए अगर संभव हो तो मैं उसको एक ब्लु-फ़िल्म दिखा दूँ, वर्ना अपने घर जाने के बाद तो वो ऐसी चीज कभी देख नहीं पाएगी। मेरे लिए यह कौन सी मुश्किल बात थी। मैंने रास्ते से ही ३ डीवीडी अपने एक परिचित दुकानदार से ले ली। काजल तो उसके कवर को देख कर ही खुश हो रही थी। घर आने पर वो तुरंत ही एक को प्लेयर में डाली और सोफ़े पे बैठ गयी। मैंने रात के कपड़े पहने और फ़िर कौफ़ी बनाने लगा। जब आया तब काजल तो फ़िल्म देखने में मग्न देखा। सामने टीवी पर एक काली लड़की को दो काले लड़के चोद रहे थे। एक का लन्ड लड़की के मुँह में था, और दुसरे का उसकी चूत में उसकी काली-काली चूत के चारों तरफ़ खुब झाँट थी। आह, ओह खुब हो रहा था। फ़िर दोनों बारी-बारी से लड़की की झाँट पर झड़े, तब उसकी काली झाँट पर सफ़ेद वीर्य खुब चमक रहा था। झड़ते समय ही मैं रुम में आया था। मैंने एक कौफ़ी मग काजल को पकड़ाया और फ़िर वहीं सामने सोफ़े पे बैठ गया। अगली फ़िल्म में एक लड़की का इन्टरव्यु हो रहा था। एक से एक गन्दे सवाल कोई पुछ रहा था, और वो भी बेशर्म की तरह बेबाक जवाब दे रही थी। वो लड़की ब्रा-पैन्टी में थी। वो नई थी और तीसरी बार अपनी चुदाई का विडियो बनवा रही थी, इसलिए ब्लु-फ़िल्म निर्माता उसका परिचय करा रहा था। मर्द के आवाज से शुरुआत हुई, लड़की के नाम और उमर पूछा, फ़िर उसने पूछा कि वो कब से सेक्स इन्डस्ट्री में है तब उसने हँस कर कहा करीब एक साल से, पर उसने पिछले महिने से ही विडियो करना शुरु किया, इसके पहले वो नाईट कल्ब में स्ट्रीप-डाँसर थी। जब उससे पूछा गया कि क्या उसके घरवालों को पता है कि वो क्या करती है, तब थोड़ा रुक कर उसने कहा-“दुर्भाग्य से हाँ, दो महीने पहले पता चल गया। जब उसके छोटे भाई ने उसको नाईट क्लब में डाँस करते देखा। मैं जब घर आई तब मम्मी ने बहुत डाँटा, और तब मैंने घर छोड़ दिया और एक दोस्त के पास आ गई। इसके एक महिने के बाद जब ठीक-ठाक पैसे का औफ़र मिला तो मैंने विडियो के लिए सीन करना मंजूर कर लिया। फ़िर अब जब आप अच्छा पे कर रहें हैं तब मैं आज आपके प्रोडक्शन के लिए काम कर रही हूँ।”
तब मर्द की आवाज आई, “हाँ, सो तो है, पर आज तुम्हें तीन मर्द एक साथ चोदेंगे। बहुत जबर्दस्त चुदाई होगी तुम्हारी आज। तीनों प्रोफ़ेशनल हैं, और लड़की को चोद-चोद कर बेदम कर देते हैं। हमारे दर्शकों के लिए तुम चुदवाने को तैयार हो?१९ साल की उमर में तुम शायद उन लोगों के लिए कुछ कम उमर की ही हो, और कम अनुभवी भी।” वो लड़की भी हँस कर बोली-“ठीक है तीन हैं तो कोई बात नहीं, जब पोर्न करना है तो ये सब क्या सोचना”। और अब जब उस मर्द की आवाज आई-“और अगर यह विडियो तुम्हारे घर के लोगों ने देख लिया तब?” वो फ़िर हँसकर बोली-“तब क्या कुछ नहीं, उन्हें भी मजा आए देख कर कोशीश तो यही करुँगी कि मेरी चुदाई देख कर उनको दुसरे किसी की फ़िल्म पंसद न आए और वो बार-बार मेरी विडियो को ही खोज कर देखें।” फ़िर अवाज आई-“ठीक है फ़िर अब तुम अपने कपड़े खोलो और अपने घर वालों को भी और हमारे दर्शकों को भी अपने नंगे बदन की नुमाईश कराओ, और देखो तुमको चोदने के लिए तीनों मुस्टंडे आ गये हैं। उसने खुब आराम से अपने कपड़े खोले और फ़िर पास आये तीनों मर्दों की तरफ़ बढ़ कर उनके पैन्ट खोल कर उनके लन्डों को बाहर खींच लिया। वो बारी-बारी से उन्हें चुस चुस कर खड़ा कर रही थी। इसके बाद खुब जम कर उन लन्डों द्वारा उस लड़की कि चुदाई हुई, बल्कि उसकी चुची, चूत, चुतड़ और गाल सब पर उसको कई थप्पड़ भी खाने पड़े, पर वो खुब मजे ले कर चुदवायी। थप्पड़ लगने पर चिखती फ़िर तुरंत ही उन मर्दॊं को उकसाने लगती और वो सब खुब जोर से उसको पेलते और फ़िर वो कराह उठती। बड़ी गर्म फ़िल्म थी। मुझ जैसे अनुभवी की नसें गर्म हो गईं तो काजल साली का क्या हाल हुआ होगा आप सब समझ सकते हैं।

इसके बाद रात को काजल ने फ़िर मेरे साथ चुदाई का खेल खेला। साली को नयी जवानी आयी थी सो सब्र हीं नहीं था, लगातार चुदा रही थी। दो बार चुदाने के बाद वो सोने की बात कि, फ़िर हम दोनों सो गये। अगली सुबह काजल नंगी हे उठी और चाय बनाने चली गयी। दोनों एक साथ बेड पर बैठ चाय पीने के बाद कपड़े पहने और फ़िर डेली रुटीन शुरु हुआ। आज मुझे ओफ़िस भी जाना था। शाम को घर आने पर काजल ने एक अनोखी बात कही।
शाम को घर आने पर काजल ने एक अनोखी बात कही। रोज की तरह डीनर के बाद हम दोनों तहलने निकल गए और तभी काजल ने अपने मन की बात की। उसने कहा कि वो एक बार जैसे मोनिका मेरे घर चुदाने आई थी वैसे ही किसी एकदम अनजान आदमी से चुदा कर देखना चाहती है। य्ह सुन मेरा लन्ड एक झटके में खड़ा हो गया। ये साली ढ़्ग से चार दिन नहीं चुदी थी और रन्डी बनने को तैयार थी। मुझे चुप देख वो घबड़ा गयी, बोली-“आप मम्मी-पापा से यह बात तो नहीं कहेंगे ना प्लीज।” उसके डरी देख मुझे मजा आया। मैं अब बोला-“अरे नहीं बेटी, तुम डरो मत। यहाँ मेरे घर रह कर जो तुम कर रही हो वो बात तुम्हरे घर पर कोइ नहीं जानेगा। मैं तुम्हें बेइज्जत नहीं होने दुँगा।” उसको तसल्ली हुई तो फ़िर बोई-“असल में चाचु, जब तक आपके घर हूँ, सब तरह का मजा कर लेना चाहती हूँ, अपने घर तो शरीफ क्लचर हैं इसलिए यह सब मजा लेने को नहीं मिलेगा। मैं एक दम अनजान के साथ एक बार सेक्स करना चाहती हूँ कि कैसा फ़ील होता है।” आप कोई उपाय कीजिए न प्लीज। मैंने देखा कि साली एक दम चुदास से बह्र कर बोल रही है तो कहा कि ठीक है देखता हूँ, क्या कर सकता हूँ, पर तुमको ऐसा करके दर नहीं लगेगा? वो बोली,”यही दर तो खतम करने के लिए ऐसे चुदना चाहती हूँ। आपके साथ करने में भी तो डर था, पर अपनी अन्डरवीयर दिखा कर पटा ली ना आपको, अब जब मन होगा आपके साथ तो कर हीं लुँगी। मम्मी-पापा को न आप बताएँगे ना मैं।” मैं समझ गया कि अब साली बिना रन्डी बने मानेगी नहीं, तो मैंने सोचा को अब एक बार दलाली मैं भी कर लूँ। काजल साली जैसी मस्त माल का दलाल बनना भी कम किस्मत की बात नहीं थी।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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