होंठों की लाली चुरा ली

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kunal
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होंठों की लाली चुरा ली

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होंठों की लाली चुरा ली

मैं सरगम मिर्जापुर की रहने वाली हूँ। मैं हर रात मस्त मस्त कहानियाँ पढ़ती हूँ। ये मेरी पहली कहानी है। मैं इसे शब्दों में पिरोकर पेश कर रही हूँ। कोई भूल चूक हो तो मुझे माफ़ करिएगा। आप सभी को अपनी सेक्सी कहानी सुना रही हूँ। मैं एक कॉल सेंटर में काम करती थी। जहाँ मेरी मुलाक़ात कुछ दिन पहले सार्थक से हुई थी। वो भी मिर्जापुर का रहने वाला था। इसलिए मैं तुरंत उसकी ओर आकर्षित हो गयी थी। मैं उसकी बे ( शिफ्ट ) में ही काम करती हूँ। सुबह 8 बजे हमारी शिफ्ट शुरु होती थी और 4 बजे ओवर होती थी। हमारा 1 बजे लंच होता था। सार्थक मेरी लाइफ का पहला बॉयफ्रेंड था। ये मेरा पहला एक्सपीरियंस था। मैं नहीं जानती थी की उसकी मुझसे पहले कोई गर्लफ्रेंड थी। लंच टाइम में वो सिगरेट पीने के लिए स्मोक रूम में जाता था तो मैं भी उसके साथ जाती थी। वो सिगरेट फूंकता था और मेरे ऊपर धुएँ के छल्ले फेंकता था। मुझे बहुत अच्छा लगता था।
सार्थक सलमान खान का बड़ा फैन था। वो हमेशा तेरे नाम वाला लुक रखता था। बालों को गले से नीचे तक उसने बाल बढ़ा रखे थे। बीच में से मांग निकलता था। वो काफी गुस्सैल भी था। पर वो जैसा भी था मुझे सार्थक पसंद था। कभी कभी तो मुझे लगता था कि मैं ही उसको जादा प्यार करती थी। वो मुझे उतना जादा प्यार नही करता था। हमारे काल सेंटर में हम लोग सब काम बोलकर करते थे इसलिए बालों की स्टाइल पर किसी तरह की कोई रोक टोक नही थी। एक दिन सार्थक ने मुझे स्मोकिंग रूम में ही पकड़ लिया। हम सिर्फ हम 2 लोग ही थे।
ऐ सरगम! चुम्मा दे ना! वो बोला।
मैं लजाने लगी। पर इधर उधर देखा और मैंने उसके गालों पर पप्पी दे दी। सार्थक ने मुझे पकड़ लिया। मेरे होंठों को वो चूमने लगा। जब तक मैं सम्हल पायी उसने मेरे होंठों की लाली चुरा ली।

शाम को जब मैं घर लौटी तो मेरी आँखों, दिल और दिमाग में बस सार्थक ही छाया हुआ था। ये कहना गलत ना होगा। मैं नही जानती थी की वो भी मुझे याद कर रहा होगा। मैं नही जानती थी की वो भी मुझसे प्यार करने लगा है कि नही। पर ये बात तो साफ थी की मैं उससे पक्का प्यार करने लगा थी। दिन पर दिन बीतते गयी और मेरे दिलो दिमाग पर सार्थक ही छाया रहा। कुछ दिन बाद वो नही आया। जब दूसरे दिन वो नही आया तो मुझे लगा की एक साल का समय बीत गया है। मैंने उसको तुरंत काल कर लिया। पता चला की उसको मामूली बुखार हो गया था मैंने अपने रूम में उसकी तस्वीरें लगा ली। हर दिन मैं उसकी 10 12 फोटो खींचती। मेरे फोन में बस उसकी की तस्वीरें भरी पड़ी थी। मैं उसके लिए बहुत जुनूनी हो गयी थी।
सुबह जब तक मैं उसको देख नही लेती थी, मैं अपना काम शुरू नही करती थी चाहे मेरा टीम लीडर कितना ही न कहे। ये कहना गलत नही होगा की मैं उसको अपना देवता, अपना भगवान मानने लगी थी। अब हम दोनों फोन पर रात रात भर सेक्स चैट करने लगे।
खोलो! उसने लिखा।
खोल दिया! मैंने जवाब दिया।
चूसो!
चूसा
अब अपनी बुर में हाथ डालो!
डाला
अब ऊँगली चलाओ!
चला रही हूँ!
दोगी??
हाँ दूँगी!
चिल्लाओ तो नही?? वो पूछता
नही मैं जवाब लिखती
जोर से पेलूंगा! सार्थक कहता
जितना जोर से पेल पाना! पेल।लेना। मैं नही चिल्लाऊँगी! मैंने इधर से जवाब लिखती।
तुम्हारी चूत फाड़ के रख दूँगा!
मैं तुमसे अपनी गहरी चूत फड़वा लूँगी! मैं इधर से कहती।
दोंस्तों, इस तरह हम दोनों मजे से रात रात भर सेक्स चैट करने लगे। कुछ दिन बाद हम दोनों अपने ऑफिस में काम कर रहे। तभी सार्थक ने मेसेज भेजा बाथरूम में मिलो। मैं जब बाथरूम में गई तो उसने मुझे कसके पकड़ लिया। मुझे एक टॉयलेट में खिंच लिया। सरगम! अभी मेरे कंप्यूटर पर एक लड़की की कॉल आयी थी। बड़ी ही रोमांटिक आवाज थी। बिलकुल तुम्हारी तरह। उसकी आवाज सुनकर मेरा तो लौड़ा खड़ा हो गया। आज तुमको चोदूंगा मना मत करना सार्थक बोला। मैंने कुछ नही कहा। क्योंकि मैं उसके बिना जी नही जी सकती थी। सार्थक मेरे मस्त मस्त रसीले होंठों को पीने लगा। मेरे बूब्स पर उसने अपने हाथ रख दिए। मुझे भी अच्छा लगा। मैंने लेडीज शर्ट और पैन्ट पहन रखी थी। सार्थक मेरे मम्मो को सहलाने और दबाने लगा। फिर धीरे धीरे उसने मुझे टॉयलेट में ही नन्गा कर दिया। मेरे कपड़े उसने उतार कर खूटी पर टांग दिए। उसने खुद के भी कपड़े निकाल दिए। इंग्लिश टॉयलेट सीट पर वो बैठ गया। उसका लौड़ा बार बार फुफकार रहा था। कबसे मुझे और मेरी बुर को चोदना चाहता था। जब मैंने उसका मोटा सांवला लौड़ा देखा तो विश्ववास ही नही हो रहा था की लड़कों का लौड़ा इतना बड़ा होता है। सार्थक टॉयलेट में खड़ा हो गया। अपने लौड़े को उसने बाहर निकाल लिया। मुजें घुटनो के बल उसने जमीन पर बिठा दिया। मेरे मुंह में उसने अपना बड़ा सा साँप जैसा गुस्सैल लौड़ा डाल दिया। मैं मजबूर थी। क्योंकि मैं सार्थक को अपना दिलबर अपना भगवान मानती थी। वो जैसा जैसा कहता गया, मैं करती गयी। इस वक़्त मैं उसका लौड़ा मुंह में भरके चूस रही थी। उसका लण्ड इतना मोटा था कि मुश्किल से मेरे छोटे से मुंह में जा पा रहा था। मैंने कभी आँखें बंद कर लेती, कभी आँखें खोल कर उसका लौड़ा चूसती। बड़ी देर तक ये चुसी चुसौवल का खेल चला। इस दौरान सार्थक मेरे मम्मो को हथेली में भरके दबा रहा था।

जब मैं उसका लौड़ा पूरी तरह से चूस चुकी, और जब उसका लौड़ा पूरी तरह से खड़ा हो गया तब उसने मेरे सर को कानों से अच्छी तरह से पकड़ लिया और खड़ा होकर मेरे मुँह को चोदने लगा। मेरे शहजादी से गुलाबी होंठों को चोदकर उसे अपार सुख मिल रहा था। इस वक़्त उसकी आँखों में सिर्फ और सिर्फ वासना छाई हुई थी। वो जिस तरह से मेरे होंठों और मुँह को चोद रहा था वह काबिलेतारीफ था। वो अपने मोटे लौड़े को मेरे छोटे से मुँह में गले तक ठेल रहा था। मेरी छातियों की चुचकों को वो हाथ से मसल रहा था। कुछ देर बाद उसने मेरी जीन्स भी खोल दी और उतार दी। मैंने तिकोनी बड़ी खूबसूरत स्विमिंग पूल वाली पैन्टी पहन रखी थी। मेरे आशिक सार्थक ने वो भी उतार दी। वो खुद टॉयलेट सीट पर बैठ गया। मुझे उसने अपने लौड़े पर बिठा लिया। धीरे धीरे उसका लौड़ा मेरी चूत में उतर गया। मैं उछल उछल के चुदवाने लगी। हमारे काल सेंटर का टॉयलेट बहुत ही साफ था। इसलिए लग रहा था कि हम कमरे में ही चुदाई का मजा ले रहे है।

कुछ देर बाद सार्थक का लौड़ा पूरा का पूरा मेरी चूत में धस गया। वो इंग्लिश टॉयलेट पर बैठा रहा। मैं उछल उछल के धक्के देती और चुदवाती। मैं खूब उछली और खूब मैंने चुदवाया। कुछ समय बाद सार्थक मेरे भोंसड़े में ही झड़ गया। सार्थक ने झट से टॉयलेट पेपर खींचा, मुझे जरा झुकाया और मेरी बुर से बहते हुए उसके माल को उसने टॉयलेट पेपर से साफ कर दिया। सच में आज चूदने में मुझे बहुत मजा आया। सार्थक ने अपनी घड़ी पर नजर डाली। अभी आधा घण्टा हमारे पास और था। उसने मुझे एक दीवाल से सटा दिया। मेरे होंठों को वो पीने लगा। मेरे हाथों की उँगलियों में उसने अपनी उंगलियाँ फसा दी थी। मैं अब उससे पूरी तरह चुद चुकी थी और फँस चुकी थी। मैं अपने काम करने की जगह अपने काल सेंटर में अपने आशिक के साथ टॉयलेट में अकेले थे और नँगी थी।

सार्थक मेरी साँसों की भीनी भीनी महक ले रहा था। मैंने भी उसकी उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फसा दी थी। वो मेरे होठ पी रहा था। फिर वो नीचे झुक गया और मेरे आमों को चूसने लगा। मुझे भी अपनी मस्त मस्त गोल गोल बड़ी बड़ी छातियाँ उसे पिलाने में बड़ा मजा आ रहा था। वो मेरी बूब्स को पूरा का पूरा मुँह में भरके पी रहा था। बड़ी देर तक वो मेरे बूब्स पिता रहा। फिर उसने मुझे पलट के टॉयलेट की दीवाल से सटा दिया। सार्थक मेरे पीछे खड़ा हो गया था। वो फर्श पर बैठ गया और मेरे मस्त मस्त चूतड़ों को वो चूमने लगा। मैंने अपने पेट के बल दीवाल से चिपकी थी। मेरा आशिक, मेरा बॉयफ्रेंड पीछे से मेरे गोल गोल गोरे गोरे चूतड़ों को चूम रहा था। हाथ से सहला रहा था। फिर वो जरा और नीचे झुक गया और पीछे से मेरी बुर पिने लगा। आगे से जादा मेरी बुर पीछे से कहीं अधिक अच्छी लग रही थी। सार्थक मेरी गुझिया को पी रहा था। मैं मस्त हो रही थी। चुदास और चुदाई का सुरूर मुझपे चढ़ रहा था। बड़ी देर तक वो फर्श पर बैठकर मेरी बुर पीता रहा। फिर वो खड़ा हो गया। उसने पीछे से ही मेरी चूत में लण्ड डाल दिया। और मुझे चोदने लगा। आह हहहहहह आआहा! वो सिस्कार रहा था।

सरगम! पीछे से बड़ा टाइट टाइट लग रहा है! सार्थक बोला और गपागप गपागप मुझको लेने लगा। वो जोश में आकर अपनी हथेली से मेरे मस्त मस्त गोल गोल लपलपाते चूतड़ों पर चट चट करके मार भी रहा था। गचागच मुझको चोद रहा था। इस तरह उसने खड़े खड़े ही मुझे बड़ी देर तक बिना रुके चोदा। फिर हमारा लांच खत्म हो गया। हम दोनों अपनी सीट पर आ गए। सच में ये यादगार चुदाई थी। धीरे धीरे वो मेरे कमरे पर आने लगा। जब वो आता तो मेरे पडोसी सार्थक को आँखें फाड़ फाड़कर देखते। जब वो पूछते की ये लड़का कौन है तब मैं कहती मेरा भाई है। भैया बनाके मैं उसे अपने घर में ले जाती और अपना सैंया बना लेती। जैसे हम अंदर आते, वो मुझे बाहों में कस लेता और खूब चुम्मा चाटी करता। फिर वो बिस्तर पर मुझे लिटाकर खूब पेलता। उसका लौड़ा मेरी चूत की एक एक कली को खोलकर रख देता। घण्टों घंटों सार्थक मुझे नन्गा किया रहता और चोदता रहता। कभी कभी वो मेरे भोंसड़े में बिअर की बोतल डाल देता और जल्दी जल्दी चलाने लगता। मैं आनंद सागर में डूब जाती थी। 2 बिन बाद सार्थक फिर से मेरे कमरे पर आ गया। वो साथ में ढेर सारी शराब लेकर आया था। वो नही माना और मुझे भी उसने शराब पिला दी।

सरगम!! मेरे तो आज तेरी गाण्ड चाहिए! वो शराब के नशे में धुत्त होकर बोला। मुझे भी चढ़ गई थी। मैं भी काफी शराब पी ली थी।
मेरी गांड़ ले लो! मैंने उसे कह दिया।

सार्थक ने मुझे पूरा का पूरा नन्गा कर दिया। फिर उसने मेरे चूतड़ों को खूब प्यार किया। फिर उसने मेरी गांड़ के छेद पर ढेर सारा तेल लगा दिया। बिअर की खाली बोतल उसने मेरी गाण्ड में डाल दी। मेरी गाण्ड कुँवारी थी। पहले तो सार्थक ने अपनी लम्बी जीभ से बड़ी देर तक मेरी गाण्ड चाटी। फिर बिअर की बोतल मेरी गाण्ड में डाल दी। दोंस्तों, मुझे बहुत दर्द हुआ था। मेरी खूबसूरत आँखों से ढेर सारे आंशू निकल रहे थे। मैं सिसक सिसक कर रो रही थी। पर सार्थक बिना रुके मेरी गाण्ड में किंगफ़िशर की बिअर की बोतल डाल कर चला रहा था। ऐसा लग रहा था किसी से मेरी गाण्ड में कोई काँटा डाल दिया हो।

बड़ी देर तक सार्थक मेरी गाण्ड में बोतल चलाता रहा। फिर उसने अपने लौड़े में ढेर सारा तेल चुपड़ लिया और मेरी फ़टी गाण्ड में उसने लौड़ा दे दिया। मैं अपने दोनों हाथ और दोनों घुटनों पर झुककर कुटिया बनी हुई थी। मेरा आशिक सार्थक मेरी गाण्ड चोद रहा था। सच में मुझे जहाँ एक और दर्द होता था, वहीँ दूसरी और मजा भी मिल रहा था। सार्थक का बड़ा मोटा और लम्बा लौड़ा पूरा का पूरा मेरी गाण्ड के छेद में धंस गया था। वो मेरी गाण्ड चोद रहा था। मैं आया हाहाहा माँ माँ आई आई!! करके चिल्ला रही थी। मैं चुद रही थी। कुछ देर बाद सार्थक को और मस्ती सूझी। उसने वो बिअर की बोतल मेरी बुर में नीचे से ख़ोस दी। मेरी गाण्ड चोदते चोदते वो मेरे भोंसड़े में बिअर की बोतल भी जल्दी जल्दी अंदर बाहर कर रहा था।

मैं सब समझ् रही थी। मेरा बॉयफ्रेंड सार्थक मुझे तड़पा तड़पा के चोद रहा था। मैं तो उससे सच्चा प्यार करती थी, पर नही जानती थी की वो भी मुझे उतना ही प्यार करता है। सार्थक ने उस दिन बड़ी देर तक मेरी गाण्ड चोदी और उसी में माल गिरा दिया। जब उसने अपना मोटा सा लौड़ा बाहर निकाला और मेरी गाण्ड के छेद का मुआयना किया तो मेरी गाण्ड पूरी तरह से फट चुकी थी। जो छेद पहले बहुत छोटा था, अब बहुत बड़ा हो गया था। 4 महीनो में ही सार्थक ने मुझे इतना चोदा था कि मेरी गाण्ड और बुर के छेद बड़े चौड़े हो गए थे। ऐसा लग रहा था कि मैं 10 साल से चुद रही हूँ।

कुछ दिन बाद सार्थक अपने दोस्त मित्तल के साथ मेरे फ्लैट पर आया।
सरगम! मित्तल को अपनी चूत दे दो! मेरा आशिक बोला।
मैं नाराज हो गयी। सार्थक! मैं किसी कोठे की तवायफ नही हूँ! मैं कोई रंडी नही हूँ की कोई भी कभी भी मुझे चोद खा ले! मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड हूँ, तुम्हारी प्रेमिका हुँ मैं! मैंने कहा

वो सब ठीक है बेबी! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। पर ये मित्तल भी अपना भाई है। मैं तो तुमसे अगले साल शादी कर ही लूंगा। पर मित्तल तो अपना भाई है। इसे चूत देने में क्या हर्ज?? सार्थक बोला। उसने इमरान हाशमी की तरह तरह तरह से मुझे समझाया। बड़ी बातें बनायी। अंत में मैं उसके दोस्त मित्तल से चूदने को तैयार हो गयी। मेरा बॉयफ्रेंड सार्थक तो।चाहता था कि मैं उसके।सामने ही चुदवाऊँ। पर मैंने साफ मना कर दिया। मैंने सार्थक को वहाँ से जाने को कह दिया। उसके दोस्त मित्तल ने धीरे धीरे मेरी शर्ट पेंट उतारना शुरू कर दी।

मैं बहुत संकोच कर रही थी। पर आखिर मित्तल ने मुझे नन्गा कर लिया। उसकी नजरें किसी कसाई की तरह मेरे चिकने जिस्म की बोटियों पर ही थी। मित्तल मेरे मम्मे पीने लगा। फिर वो मेरी दोनों जांघ फैला कर मुझे चोदने लगा। सायद मेरी जैसी मस्त हसीना उसने पहली बार देखी थी। मेरी चूत को उसने अपने लौड़े से खूब कूटा। फिर मेरी गाण्ड भी उसने मारी। 2 हफ़्तों बाद मैंने सार्थक को एक नही लड़की आलिया के साथ देखा। आलिया ने अभी जल्दी ही हमारा काल सेंटर ज्वाइन किया था। वो बिलकुल फ्रेश माल थी। देखने में मुझसे जादा खूबसूरत थी वो। धीरे धीरे सार्थक उसकी तरह आकर्षित होने लगा। एक दिन मैंने देखा को वो बाथरूम में आलिया को चोद रहा था जिस तरह उसने मुझे पेला था। ये देखकर मैं रोने लगी। मेरी आँखों में आँशु आ गए। मैं वही बाहर सार्थक का इंतजार करने लगी। वो जब बाहर आया तो उसकी पैन्ट की बेल्ट खुली हुई थी। अपनी बेल्ट बांधता हुआ वो बाहर निकला।

ये क्या सार्थक!! पहले तुमने मेरे साथ ये सब किया, अब आलिया के साथ?? क्या तुम मुझसे प्यार नही करते?? मैंने रोते रोते पूछा।

ओरी! पगली है क्या?? शक्ल देखी है अपनी?? वो प्यार व्यार नहीं था। तुम जवान थी, मैं जवान था। मैंने सिर्फ तुम्हारे साथ मजा किया। सिर्फ और सिर्फ मजा किया! सार्थक बोला।

मैं गुस्से से उबल गयी। मैं तुमको अपने प्यार का देवता समझती थी। पर तुम क्या से क्या निकले। मैं तुम्हारा खून कर दूँगी!! मैंने कहा। रोते रोते मैंने सार्थक का कॉलर पकड़ लिया और उसको 2 4 छप्पड़ लगा दिए। उसके बाद दोंस्तों, मेरा सार्थक से ब्रेक अप हो गया। आज भी वो हर 3 महीने में लड़की बदल देता है। रोज नयी नयी लड़की की चूत मारता है। मैं तो अब बस रोती ही रहती हूँ। आपको कहानी कैसी लगी जरूर बताइए।
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