बहन और पत्नी में फरक

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007
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बहन और पत्नी में फरक

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बहन और पत्नी में फरक


मेरी माँ संगीता और कजिन मौसी रेवती दोनों एक ही गली में रहती हैं। मेरे भाई का नाम राजवीर और मेरा नाम अंजलि है। मौसी की लड़की का नाम तन्वी और लड़के का नाम योगेन्द्र है। मेरा और योगेन्द्र का और तन्वी और राजवीर का विवाह हो चुका है।
योगेन्द्र स्टेट बैंक में काम करता है और राजवीर बैंक आफ बरोडा में आफिसर है, दोनों की उमर कोई 25 साल के करीब है और मैं और तन्वी देल्ही में एक पब्लिक स्कूल में टीचर्स हैं और हमारी उमर 23 और 22 साल है, शादी से पहले तो मैं योगेन्द्र को भैया कहती थी और तन्वी राजवीर को भैया कहती थी, लेकिन हमारी शादी के बाद सब कुछ बदल गया।

मैं तो योगेन्द्र के लण्ड की दीवानी हो चुकी हूँ। मुझे योगेन्द्र बहुत पसंद है बस वो जरा अधिक ही जेंटलमैन बनता है और मेरी हर इच्छा पूरी करने की कोशिश करता है। योगेन्द्र का लण्ड 6” इंच का है लेकिन बहुत ही कड़ा रहता है। योगेन्द्र का कद 6 फीट है और वो दिखने में बहुत ही खूबसूरत है और मैं एक साँवली औरत हूँ, मेरी चूची काफी बड़ी है और मेरा पति मेरे निपल्स को बहुत प्यार से चूमता है। मेरा कद 5’6” है और मेरे चूतड़ बहुत आकर्षक हैं, ये मुझे मेरा पति बताता है।
मेरा पति अक्सर मेरे चूतड़ों को किस करता है और ऐसा करने से वो काफी उत्तेजित हो जाता है, कई बार योगेन्द्र ने मेरी गाण्ड मारने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन मैंने उसको इजाजत नहीं दी है। मुझे अपने पति का लण्ड चूत में ही बहुत मजे देता है तो गाण्ड मरवाने का क्या फायदा?

मेरे भैया राजवीर भी तन्वी को बहुत प्यार करते हैं और उनकी आपस में बहुत पटती है। तन्वी भी बहुत सेक्सी है बस उसका शरीर मुझसे अधिक भरा हुआ है। उसका गदराया हुआ बदन देखकर कई बार मेरे पति की नजर भी अपनी बहन की चूची और गाण्ड पर चली जाती है।

जिसका दोष मैं अपने पति को नहीं देती। अगर तन्वी के जिश्म का मजा मेरे भैया की किश्मत में लिखा है तो कोई क्या कर सकता है।

एक दिन योगेन्द्र और तन्वी हमारे घर आए हुए थे और राजवीर और योगेन्द्र शराब पी रहे थे। तन्वी उनको खाने के लिए स्नैक्स देने गई तो योगेन्द्र का हाथ तन्वी के गुदाज चूतड़ों को छू गया तो मैंने देखा की उसका लण्ड एकदम से तन गया।
तन्वी को जब इसका एहसास हुआ तो वो शर्मा गई। उस रात जब मेरा पति मुझे चोद रहा था तो बार-बार मुझे गाण्ड मरवाने के लिए कह रहा था। मैंने जब मना कर दिया तो वो मेरे चूतड़ों को चूमने लगा और मेरी गाण्ड में जुबान घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। मुझे पता चल गया था की मेरे पति के मन से अभी अपनी बहन के चूतड़ों के स्पर्श का एहसास गया नहीं था।

योगेन्द्र मुझे पसंद करता था और कभी-कभी मेरी 36सी की चूचियों को मौका देखकर दबा देता था। एक दिन जब वो सनडे को मेरे घर आया तो राजवीर मौसी के घर के लिए रवाना हो चुका था। मैंने योगेन्द्र को बताया की भैया तो उनके घर उनसे मिलने गये हैं।

अपने भैया/संया का तगड़ा लंड
उसने मुझे बाहों में भर लिया और कहने लगा- “मैं तो तुमसे ही मिलने आया हूँ, राजवीर से नहीं, अब मैं तुझे दूर से देखकर और तड़पना नहीं चाहता, तुझसे प्यार करता हूँ और शादी करना चाहता हूँ, बोलो मंजूर है तुझे?”

मैं मुश्कुराकर बोली- “योगेन्द्र भैया, यह सब तो ठीक है लेकिन माँ को क्या बोलूँगी मैं, की मैं योगेन्द्र भैया से शादी करना चाहती हूँ…”

योगेन्द्र अपनी जिद दिखाते हुए बोला- “तुझे बार-बार मुझे भैया कहना क्यों अच्छा लगता है? मैं तेरा मौसेरा भाई हूँ कोई असली नहीं, और शादी की बात मैं खुद मौसी से कर लूँगा, तुम बस यही कह देना की तुझे ये शादी मंजूर है, ओके?”

उसी दिन शाम को माँ और मौसी ने जब यह सुना तो वो हमारी शादी के लिए मान गईं।

तभी राजवीर भैया और तन्वी बाहर से आए तो माँ ने पूछ लिया- “क्यों बेटे राजवीर, अगर तुम चाहो तो तेरी और तन्वी की भी शादी करा दी जाए? योगेन्द्र और अंजलि तो कर ही रहे हैं, तुम एक दूजे के साले भी बन जाओगे और जीज़्जा भी… घर की बात घर में रह जाएगी। हम किसी बाहर के आदमी पर इतना विश्वास भी नहीं कर सकते…”

तन्वी शर्मा गई और राजवीर मुश्कुरा पड़ा। मुझे तो पहले ही पता था की वो दोनों भी एक दूसरे को प्यार करते हैं। इस तरह हम लोगों की शादियां एक ही दिन हो गईं। मुझे अपनी खुशकिश्मती पर विश्वास नहीं हो पा रहा था। मैंने और योगेन्द्र ने सुहगरात बड़े मजे से मनाई और चुदाई का खूब आनंद लिया। तन्वी भी अगले दिन काफी खुश नजर आ रही थी।

जब मैंने तन्वी को रात के बारे में पूछा तो वो शरमाते हुए बोली- “तेरा भाई तो एकदम से जानवर है, ही इज आ बीस्ट, योउ नो… देखो मेरा क्या हाल कर दिया है? मैं तो ठीक से चल भी नहीं पा रही हूँ, राजवीर ने मेरी चूत की बुरी हालत बना दी है। उसका लण्ड क्या कोई आम लण्ड है, कम से कम 8 इंच का होगा और मैं बेचारी कमसिन लड़की, तेरे भैया को तो कोई मस्त रंडी औरत चाहिए जो उसकी वहशत को झेल सकती हो। मुझे तो उसने सारी रात सोने नहीं दिया। मेरी चूत सारी रात पानी बहाती रही और चुदती रही। यह देखो मेरी चूची का क्या हाल हुआ है?”
फिर तन्वी ने मुझे अपने गाउन के नीचे से अपनी चूचियां दिखाते हुए कहा- “देखो, तेरे भैया ने कैसे काट खाया है मुझे, साला दाँत ऐसे मारता है जैसे चोदना नहीं खाना चाहता हो मुझे, लण्ड तो इतनी जोर से पेलता है राजवीर की सारा शरीर हिल जाता है। मेरी चूत भी सूजी पड़ी है, मुझे कम से कम दो दिन का आराम चाहिए तेरे भैया की चुदाई से। तू सुना योगेन्द्र की चुदाई कैसी है?”

मैंने तन्वी को सब बता दिया की योगेन्द्र बहुत प्यार से चुदाई करता है और चूमता है। मुझे बहुत मजा आता है।

तन्वी हँस पड़ी और बोली- “चलो तुझे तो मेरा भाई खुश कर देता है। काश… मुझे भी कोई ऐसा ही मर्द मिलता जो आराम से प्यार से मेरी चुदाई करता? योगेन्द्र का लण्ड कितना बड़ा है? राजवीर का तो कम से कम 8 इंच का होगा, मेरा तो हाल बुरा कर दिया है…”

मैंने तन्वी को बताया की योगेन्द्र का तो केवल 6” का है।

तो वो बोली- “मुझे तुमसे जलन होने लगी है, काश… मेरे पति का लण्ड भी 6” का होता और मुझे तकलीफ ना होती चुदाने में…”

मैंने हँसते हुए मजाक किया- “तो फिर ठीक है, हम अपने पति बदल लेते हैं, तुम अपने भाई से चुदाई करवा लो और मैं अपने भाई से चुदवा लेती हूँ, क्यों क्या ख्याल है?”

और हम दोनों ही शरारत से हँस पड़ी, लेकिन इस विचार ने मेरे मन में जगह कर ली। क्या भैया का लण्ड बहुत बड़ा है? क्या वो बहुत जबरदस्त चुदाई करने में विश्वास रखते हैं? मेरे मन में जबरदस्त चुदाई की इच्छा पैदा होने लगी, औेर मैं राजवीर भैया से चुदवाने का प्लान बनाना शुरू कर दी। इस विचार से ही मेरी चूत से पानी गिरने लगा और मैं फिर से चुदासी होने लगी।
उस दिन शाम को हमने सिमला हनीमून पर जाने का प्रोग्राम बनाया था। हम दोनों जोड़ियां हवाई जहाज से चंडीगढ़ और फिर सिमला पहुँची

राजवीर भैया ने हमारी बुकिंग होटेल में, जो की शहर से बाहर था, पहले ही करवा ली थी। हमने एक बहुत बड़ा कमरा बुक करवा लिया था जिसको दो कमरों में बदला जा सकता था, क्योंकी उसके बीच में एक दरवाजा था। जब तक हम कमरे में पहुँचे तो हमारे पति बहुत मस्ती में आ चुके थे और जाते ही उन्होंने हम औरतों को दबोच लिया और हमको दरवाजा बंद करने का मौका भी नहीं दिया और हमारे कपड़े उतारने शुरू कर दिये।

राजवीर भैया के उतावलेपन को देखकर मुझे भी गर्मी आ गई और मैंने योगेन्द्र का लण्ड अपने हाथ में लेकर मूठ मारनी शुरू कर दी।

योगेन्द्र का लण्ड तन गया और मैंने उसके लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया, योगेन्द्र का सुपाड़ा मेरे मुँह में फूलने लगा और उसने मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया। मेरे पति ने मेरी जांघों को फैलाया और मेरी चूत को चूमने लगे। मेरी चूत में पानी भरने लगा और मेरा पति मेरी चूत का रस पीने लगा। मैंने भी उसका लण्ड मुँह में लेकर मजा लेना शुरू कर दिया। उसके सुपाड़े से रस की बूँद टपक रही थी और मेरी जुबान पर उसका नमकीन स्वाद बहुत ही अच्छा लग रहा था।

उधर तन्वी और राजवीर की चुदाई की आवाजें आने लगी, तन्वी फुसफुसा रही थी- “राजवीर मेरे यार, धीरे से, तेरा लण्ड इतना बड़ा और मोटा है की मुझे अपनी तंग चूत में लेने में बहुत मुश्किल हो रही है। प्लीज… आराम से पेल ना, तुझसे तो भैया का लण्ड अच्छा है जो की 6 इंच का है और तेरी बहन अंजलि को कोई परेशानी नहीं होती, भैया से चुदवाने में। अब जल्दी से पेल दो ना, मेरी चूत कसमसा रही है लण्ड के लिए। प्लीज… मुझे आराम से चोदो जैसे भैया तेरी बहन को चोदते हैं। काश… मुझे भी भैया जैसा 6 इंच का लण्ड आराम से चुदाई की जन्नत दिखा पाता?”

हम तन्वी की आवाज सुनकर चौंक पड़े।

कुछ ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और योगेन्द्र के लण्ड को मैंने चूस-चूसकर खलास कर दिया।

दूसरे कमरे से तन्वी की आवाज तेज हो रही थी- “राजवीर, बहनचोद धीरे से चोद… मुझे कोई रंडी समझ रखा है क्या? मैं तेरी बहन हूँ और अब पत्नी बनी हुई हूँ। प्यार से चोद मुझे, जैसे मेरा भाई तेरी बहन की चुदाई करता है। मेरी चूत की भोसड़ी बन गई है तेरे लण्ड से। राजवीर मैं झड़ने को हूँ, मेरी चूत तेरे मूसल लण्ड पर झड़ रही है, ओह्ह भैया मैं झड़ी…”

मैं और योगेन्द्र यह सब सुनकर दरवाजे पर जा पहुँचे और देखा की राजवीर भैया ने तन्वी को घोड़ी बनाया हुआ था और पीछे से उसकी चुदाई झुक कर कर रहे थे। भैया का लण्ड काफी मोटा था और तन्वी की चूत के रस से भीगा हुआ था और उसकी गाण्ड से होता हुआ तन्वी की चूत को कुत्ते की तरह चोद रहा था। राजवीर अपनी पत्नी के चूतड़ों पर जोर-जोर से हाथ मार रहे थे और उसके कंधों पर दाँत गड़ा रहे थे। तन्वी की पीठ और कंधों पर भैया के दातों के निशान पड़े हुए थे।

तन्वी कसमसा रही थी, तड़प रही थी, लेकिन भैया बेदर्दी से चुदाई कर रहे थे। राजवीर और तन्वी की मजे के कारण आँखें बंद थीं। भैया के चूतड़ आगे पीछे हो रहे थे जब राजवीर के लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। कुछ देर में दोनों थक कर लेट गये।

योगेन्द्र और मैं वहीं सोफे पर बैठकर आराम करने लगे, शाम को 6:00 बजे भैया और तन्वी उठ गये और हमको देखकर हैरान हो गये और अपने नंगे जिश्म को ढकने की कोशिश करने लगे।
योगेन्द्र और मैं वहीं सोफे पर बैठकर आराम करने लगे, शाम को 6:00 बजे भैया और तन्वी उठ गये और हमको देखकर हैरान हो गये और अपने नंगे जिश्म को ढकने की कोशिश करने लगे।

मैंने कहा- “तन्वी, हमसे क्या शरमाना? तुम मेरी भाभी बन चुकी हो और मैं तेरी भाभी बन चुकी हूँ। हम हनीमून पर इसलिए लाई गई हैं कि हमारे पति हमारी चूत की सारी ऐंठन निकाल दें, हमारी चूत को जितनी भी लण्ड की भूख है हमारे पति उसको एक बार अच्छी तरह से मिटा देंगे। आज हमारे हनीमून की शुरुआत है तो कोई खास तरीके से सेलीब्रेट करना चाहिए। योगेन्द्र, क्या तेरी बहन ने कभी शराब पी है? मैंने एक बार पी थी, क्यों ना हम सभी दो-दो घूँट पीकर अपने हनीमून को आगे बढ़ाएं, इससे हमारी शर्म और झिझक खतम हो जाएगी, क्यों भैया?”

राजवीर ने मेरी हाँ में हाँ मिला दी।

हम सभी ने कपड़े पहन लिए और योगेन्द्र और राजवीर शराब लेने चले गये। मैं और तन्वी नहाने चली गईं, और जब हम बाथरूम से बाहर निकलीं तो हमने पारदर्शी गाउन पहन लिए। तन्वी के जिश्म पर भैया के काटने के निशान मुझे उत्तेजित कर रहे थे। मुझे तमन्ना थी की कोई मुझे जानवरों की तरह जबरदस्त प्यार करे और बेरहमी से चोद डाले। लेकिन मेरा पति तो बहुत कोमल किस्म का इंसान था, असल में मुझे राजवीर भैया जैसा पति चाहिए था। मैंने एक बार तन्वी के जिश्म के उन भागों को चूमना शुरू कर दिया जहां-जहां पर भैया ने काटा था।

तन्वी भी उत्तेजना से कराहने लगी।
मैंने स्कीम बनानी शुरू कर दी की कैसे अपने भैया के लण्ड का स्वाद लिया जाए। मैंने तन्वी से कहा- “मेरी प्यारी तन्वी, मुझे तुम पर बहुत प्यार आ रहा है। काश… मैं कुछ कर सकती, जिससे तेरी चुदाई योगेन्द्र जैसे कोमल आदमी से हो सकती और राजवीर जैसा जानवर तुझे तंग ना कर पाता। काश… तेरी मुश्किल मैं आसान कर सकती? तेरा सारा दर्द मैं ले लेती और सारी खुशी तुझे दे सकती…”

तन्वी मेरे प्यार को देखकर मुश्कुरा पड़ी और मेरे होंठों पर किस करने लगी। हम दोनों किस कर रही थी जब हमारे पति वापिस आ गए।

राजवीर ने अपनी पत्नी को बाहों में लेना चाहा लेकिन मैंने भैया को रोक दिया- “भैया, पहले तो तुम दोनों नहाकर आओ, और फिर प्यार करना। दूसरा तन्वी का क्या हाल बना दिया है तुमने? कोई औरत को ऐसे प्यार किया जाता है? अगर प्यार करना है तो वैसे करो जैसे योगेन्द्र मेरे साथ करता है। बेचारी तन्वी की बुरी हालत कर दी है तुमने। अगर मेरी हालत योगेन्द्र ऐसी कर देता तो तुझे कैसा लगता?”

राजवीर भैया हँसते हुए बोले- “मेरी बहना, शादी के बाद प्यार इसी तरह किया जाता है जैसे मैंने किया है। अगर तन्वी को मजा नहीं आया तो इसमें मेरा कोई दोष नहीं है, क्यों योगेन्द्र? मैं तो इसी तरह प्यार करना जानता हूँ…”

तभी वो दोनों नहाने चले गये और बाहर आकर योगेन्द्र ने पेग बनाए और हम सभी पीने लगे। शराब ने हम पर असर करना शुरू कर दिया। एक बार योगेन्द्र ने तन्वी को गलती से अपने आगोश में गिरा लिया क्योंकी उसने समझा की वो औरत मैं हूँ। हम दोनों ने सफेद गाउन पहने हुए थे तो गलती होना स्वाभाविक था।

मैंने अपने पति को मजाक से झिड़क दिया- “बहन और पत्नी में फरक तो देख लिया करो…”

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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