आधी रात के बाद

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kunal
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आधी रात के बाद

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आधी रात के बाद

हैलो दोस्तो, मेरा नाम वही है जो भारत की कुमारी कन्याओं का होता है। सुविधा के लिए चुदासी सहेलियाँ मुझे सुधारस की ख़ान बुला सकती हैं !
मेरी दीदी रेखा की शादी बुरहानपुर में अभी तीन महीने पहले हुई थी। मेरी बहन मुझसे दो साल बड़ी हैं।
शादी के बाद पहली बार मेरे मदन जीजाजी दीदी को विदा कराने महीने भर पहले आए थे, उस समय वो केवल एक दिन ही रुके थे।
उस समय उनसे बहुत बातें तो नहीं हुईं लेकिन मेरी भोली-भाली दीदी अपने पति के बारे में वह सब बता गई, जो नई-नई ब्याहता नहीं बता पातीं।
उसने बताया कि वे बड़े सेक्सी हैं और कामकला में पारंगत हैं, उनका ‘वो’(लौड़ा) बड़ा मोटा है। पहली बार बहुत दर्द हुआ था।
उस समय दीदी की बातें सुनकर ना जाने क्यों जीजाजी के प्रति मेरी उत्सुकता बहुत बढ़ गई थी। मैं सोचती उनका लौड़ा न ज़ाने कितना बड़ा और लंबा होगा..!
बात-बात में मैंने बड़े अंतरंग क्षणों में जीजाजी की यह बात अपनी सहेली कामिनी को बता दिया।
उसको तो सेक्स के सिवा कुछ सूझता ही नहीं था। उस बुर-चोदी ने मेरे साथ लैस्बो चुदाई का खेल खेलते हुए मुझे जीजाजी से चुदवाने के सभी गुर सिखाना शुरू कर दिए।
वह खुद भी अपने जीजाजी से फँसी है और उनसे चुदवाने का कोई अवसर नहीं छोड़ती है, उसने अपने ट्यूशन के टीचर को भी पटा रखा है, जिससे वह अपनी खुजली मिटवाती रहती है।
उससे मेरे बहुत अच्छे सम्बन्ध हैं। वह बहुत ही मिलनसार और हँस-मुख लड़की है लेकिन सम्भोग उसकी कमजोरी है और उसको वह बुरा नहीं मानती है।
उसका मानना है कि ईश्वर ने स्त्री-पुरुष को इसीलिए अलग-अलग बनाया है कि वे आपस में चुदाई का खेल खेलें; सेक्स करने के लिए ही तो नर और मादा को अलग-अलग बनाया है।
उसका यह भी मानना है कि यह सब करते हुए कुंवारी कन्या को बहुत चालाक होना चाहिए, नहीं तो वह कभी भी फंस सकती है और बदनाम भी हो सकती है।
कल मेरी मम्मी ने बताया कि रेखा का फोन आया था कि मदन एक हफ्ते के लिए ऑफिस के काम से यहाँ शुक्रवार को आ रहे हैं। रेखा उनके साथ नहीं आ पाएगी, उसके यहाँ कुछ काम है।
उन्होंने हिदायत देते हुए कहा- तेरे पापा तो दौरे पर गए हुए हैं, अब तुझे ही उनका ख्याल रखना होगा। रेखा का ऊपर वाला कमरा ठीक कर देना, परसों से मैं भी जल्दी कथा सुन कर आ जाया करूँगी। वैसे वह दिन में तो ऑफिस में ही रहेगा, सुबह-शाम मैं देख लूंगी।
जीजाजी परसों आ रहे हैं यह जानकर मन अनजानी ख़ुशी से भर उठा, मेरा बदन बार-बार बेचैन हो रहा था और पहली बार उनसे कैसे चुदवाऊँगी इसका ख्वाब देखने लगी।
दीदी से तो मैं यह जान ही चुकी थी कि वे बड़े चुदक्कड़ हैं।
मैं आपको बता दूँ कि मेरे पापा जो इंजीनियर हैं, उन्होंने मेरा और दीदी का कमरा ऊपर बनवाया है। ग्राउंड-फ्लोर पर मम्मी-पापा का बड़ा बेडरूम, ड्राइंग-रूम, रसोई, स्टोर, गेस्ट-रूम, बरामदा, लॉन तथा पीछे छोटा सा बगीचा है।
ऊपर और कमरे हैं जो लगभग खाली ही रहते हैं क्योंकि मेरे बड़े भैया-भाभी अमेरिका में रहते हैं और बहुत कम ही दिनों के लिए ही यहाँ आ पाते हैं।
वे जब भी आते हैं, अपने साथ बहुत सी चीज़ें ले आते हैं। इसलिए कंप्यूटर, टीवी, डीवीडी प्लेयर, हैंडी-कैम इत्यादि सभी चीज़ें हैं।
मेरी भाभी भी बड़े खुले विचारों की हैं और अमेरिका जाते समय अपने अलमारी की चाभी देते हुए बता गईं थीं कि देखो, अलमारी में कुछ एडल्ट सीडी, डीवीडी और एल्बम रखे हैं, पर तुम उन्हें देखना नहीं.. और उन्होंने मुस्कराते हुए चाभी मुझे पकड़ा दी थी।
जीजाजी शुक्रवार को सुबह 8 बजे आ गए, जल्दी-जल्दी तैयार हुए नाश्ता किया और अपने ऑफिस चले गए।
दोपहर ढाई बजे वे ऑफिस से लौटे, खाना खाकर ऊपर दीदी के कमरे में जाकर सो गए।
उसके बाद मम्मी मुझसे बोलीं- बबुआ जी सो रहे हैं, मैं सोचती हूँ कि जाकर कथा सुन आऊँ… चमेली आती ही होगी, तुम उससे बर्तन धुलवा लेना।
बबुआ जी सो कर उठ जाएँ, तो चाय पिला देना और अल्मारी से नास्ता निकाल कर करवा देना।
मुझे ये सब निर्देश देकर वो कथा सुनने चली गईं।
मेरी बर्तन मांजने वाली चमेली मेरी हम-उम्र है और हमेशा हँसती-बोलती रहती है।
मम्मी के जाते ही मैं ऊपर गई, देखा जीजाजी अस्त-व्यस्त से सो रहे हैं, उनकी लुंगी से उनका लण्ड झाँक रहा था। शायद सपने में वे ज़रूर बुर का दीदार कर रहे होंगे, तभी तो उनका लौड़ा खड़ा था।
मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी सी फ़ैल गई। मैं कमरे से निकल कर बारजे में आ गई। सामने पार्क में एक कुत्ता-कुतिया की बुर चाट रहा था। फिर थोड़ी देर बाद वह कुतिया के ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसकी बुर में अन्दर-बाहर करने लगा।
ओह क्या चुदाई थी..!
उनकी चुदाई देख कर मेरी बुर पनिया गई और मैं अपनी बुर को सहलाने लगी।
थोड़ी देर बाद कुत्ता के लण्ड को कुतिया ने अपनी बुर में फँसा लिया। कुत्ता उससे छूटने का प्रयास करने लगा। इस प्रयास में वह उलट गया। वह छूटने का प्रयत्न कर रहा था, लेकिन कुतिया उसके लौड़े को छोड़ नहीं रही थी। यह सब देख कर मन बहुत खराब हो गया। फिर जीजाजी की तरफ ध्यान गया और मैं जीजाजी के कमरे में आ गई।
जीजाजी जाग चुके थे, मैंने पूछा- चाय ले आऊँ..!
“नहीं..! अभी नहीं… सर दर्द कर रहा है, थोड़ी देर बाद..लाना..!” फिर मुस्करा कर बोले- साली के रहते हुए चाय की क्या ज़रूरत?”
“हटिए भी..! लाइए आप का सर दबा दूँ.!” मैं उनका सर अपनी गोद में लेकर धीरे-धीरे दबाने लगी।
फिर उनके गाल को सहलाते हुए बोली- क्या साली चाय होती है कि उसको पी जाएँगे?
जीजाजी मेरी आँखों मे आँखें डाल कर बोले- गर्म हो तो पीने में क्या हर्ज है?
और उन्होंने मुझे थोड़ा झुका कर कपड़े के ऊपर से मेरे चूचियों को चूम लिया।
मैंने शरमा कर उनके सीने पर सिर छुपा लिया।
उस समय मैं शर्ट व स्कर्ट पहनी थी और अन्दर कुछ भी नहीं। उनके सीने पर सर रखते ही मेरे मम्मे उनके मुँह के पास आ गए और उन्होंने कोई चूक नहीं की, उन्होंने शर्ट के बटन खोल कर मेरी करारी चूचियों के चूचुकों को मुँह में ले लिया।
मेरी सहेलियों मैं आप को बता दूँ कि मेरी सहेली कामिनी ने कई बार मेरी चूचियों को मुँह में लेकर चूसा है, लेकिन जीजाजी से चुसवाने से मेरे शरीर में एक तूफान उठ खड़ा हुआ।
मैंने जीजा जी को चूची ठीक से चुसवाने के उद्देश्य से अपना बदन उठाया तो पाया कि जीजाजी का लण्ड लुंगी हटा कर खड़ा होकर हिल रहा था, जैसे वह मुझे बुला रहा हो ..कि आओ मुझे प्यार करो..!
ओह माँ..! कितना मोटा और कड़क लौड़ा था। मैंने उसे अपने हाथों में ले लिया।
मेरे हाथ लगाते ही वह मचल गया कि मुझे अपने होंठों में लेकर प्यार करो।
मैं क्या करती, उसकी तरफ बढ़ना पड़ा क्योंकि मेरी मुनिया भी जीजाजी का प्यार चाह रही थी। जैसे ही मैंने लौड़े तक पहुँचने के लिए गोद से जीजाजी का सर हटाया और ऊपर आई, जीजाजी ने स्कर्ट हटा कर मेरी बुर पर हाथ लगा दिया और चूम कर उसे जीभ से सहलाने लगे।
ओह.. जीजाजी का लौड़ा कितना प्यारा लग रहा था, उसके छोटे से होंठ पर चमक रही प्री-कम की बूँदें कितनी अच्छी लग रही थीं कि मैं बता नहीं सकती। लौड़ा इतना गर्म था कि जैसे वह लावा फेंकने ही वाला हो।
उसे ठण्डा करने के लिए मैंने उसे अपने मुँह में ले लिया। लौड़ा लंबा और मोटा था इसलिए हाथ में लेकर मैं पूरे सुपारे को चूसने लगी। जीजाजी बुर की चुसाई बड़े मन से कर रहे थे और मैं जीजाजी के लौड़े को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी, पर वह मेरे मुँह मे समा नहीं रहा था।
मैंने जीजाजी के लौड़े को मुँह से निकाल कर कहा- हाय जीजाजी..! यह तो बहुत ही लंबा और मोटा है..!
“तुम्हें उससे क्या करना है?” जीजाजी चूत से जीभ हटा कर बोले।
अब मैं अपने आपे में ना रह सकी, उठी और बोली- अभी बताती हूँ चोदू लाल, मुझे क्या करना है..!
मैं अब तक चुदवाने के लिए पागला चुकी थी। मैंने उनको पूरी तरह नंगा कर दिया और अपने सारे कपड़े उतार कर उनके ऊपर आ गई। बुर को उनके लौड़े के सीध में करके अपने यौवन-द्वार पर लगा कर नीचे धक्का लगा बैठी लेकिन चीख मेरे मुँह से निकली- ओह माँ..! मैं मरी…!”
जीजाजी ने झट मेरे चूतड़ दोनों हाथों से दबोच लिए, जिससे उनका आधा लण्ड मेरी बुर में फंसा रह गया और वे मेरी चूची को मुँह में डालकर चूसने लगे।
चूची चूसे जाने से मुझे कुछ राहत मिली और मेरी चूत चुदाई के लिए फिर से कुलबुलाने लगी एवं चूतड़ हरकत करने लगे।
तब तो चुदवाने के जोश में इतना सब कुछ कर गई लेकिन लेकिन अब आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन मुनिया चुदवाने के लिए लगातार मचल रही थी।
मैं जीजाजी के होंठ चूम कर बोली- जीजाजी ऊपर आ जाओ न..!
“क्या छोड़ोगी नहीं..?”
“नहीं छोडूँगी अपने चुदक्कड़ राजा को..!”
बिना बुर से लौड़ा निकाले वे बड़ी सफाई से पलटे और मैं नीचे और वे ऊपर और लण्ड मेरी बुर में…, जो अब थोड़ी नरम हो गई थी। उन्होंने मेरे होंठ अपने होंठ में ले लिए और बुर से लौड़ा निकाल कर एक जबरदस्त शॉट लगा दिया।
उनका पूरा लौड़ा सरसराते हुए मेरी बुर में घुस गया।
दर्द से मैं बेहाल हो गई..!
मेरी आवाज़ मेरे मुँह में ही घुट कर रह गई, क्योंकि मेरे होंठ तो जीजाजी के होंठ में फंसे थे।
होंठ चूसने के साथ वे मेरी चूचियों को प्यार से सहला रहे थे। फिर वे चूचियों को एक-एक करके चूसने लगे, जिससे मेरी बुर का दर्द कम होने लगा।
प्यार से उनके गाल को चूमते हुए मैं बोली- तुमने अपनी साली के बुर का कबाड़ा कर दिया ना..!
“क्या करता साली साहिबा अपनी बुर की झांट को साफ कर चुदवाने के लिए तैयार हुई जो बैठी थी..!”
“जीजाजी आप को ग़लतफहमी हो गई, मेरे बुर पर बाल है ही नहीं !”
“यह कैसे हो सकता है..! तुम्हारी दीदी के तो बहुत बाल है, मुझे ही उनको साफ करना पड़ता है..!”
“हाँ..! ऐसा ही है लेकिन वह सब बाद में पहले जो कर रहे हो उसे करो..!”
मेरे बुर का दर्द गायब हो चुका था और मैं चूतड़ हिला कर जीजाजी के मोटे लण्ड को एडजस्ट करने लगी थी, जो धीरे-धीरे अन्दर-बाहर हो रहा था।
जीजाजी ने रफ़्तार बढ़ाते हुए पूछा- क्या करूँ?”
मैं समझ गई जीजाजी कुछ गंदी बात सुनना चाह रहे हैं। मैं अपनी गांड को उछाल कर बोली- हाय रे साली-चोद..! इतना जालिम लौड़ा बुर की जड़ तक घुसा कर पूछ रहे हो कि क्या करूँ…! हाय रे कुंवारी बुर-चोद… अपने मोटे लौड़े से मथ कर मेरी मुनिया का सुधा-रस निकालना है, अब समझे… मेरे चुदक्कड़ राजा..!”
मैंने उनके होंठ चूम लिया। अब तो जीजाजी तूफान मेल की तरह चुदाई करने लगे। बुर से पूरा लण्ड निकालते और पूरी गहराई तक पेल देते थे।
मैं स्वर्ग की हवाओं में उड़ने लगी।
“हाय राज्ज्ज्जा…! और ज़ोर…सेईई … बड़ा मज्ज़ज़ज्ज्ज्ज्जा आ रहा है..और जोर्ररर सेई…… ओह माआ! हाईईईईई मेरी बुररर झड़ने वाली है……मेरी बुर्र्र्र्ररर के चिथड़े उड़ा दोऊऊऊऊ… हाईईईईई मैं गइईईई..!”
“रुक्कको मेरी चुदासी राआनी मैं भीईए आआआआअ रहा हूँ…!” जीजाजी ने दस-बारह धक्के लगा कर मेरी बुर को अपने गरम लावा से भर दिया। मेरी बुर उनके वीर्य के एक-एक कतरे को चूस कर तृप्त हो गई।
मेरे चूचियों के बीच सर रख कर मेरे ऊपर थोड़ी देर पड़े रह कर अपने सांसों को संयत करने के बाद मेरे बगल में आकर लेट गए और मेरी वीर्य से सनी बुर पर हाथ फेरते हुए बोले- हाँ..! अब बताओ अपने बिना बाल वाली बुर का राज..!
मैं इस राज को जल्दी बताने के मूड में नहीं थी, मैंने बात को टालते हुए कहा- अरे.. ! पहले सफाई तो करने दो, बुर चिपचिपा रही है इस साले लौड़े ने पूरा भीगा दिया है..!
मैं उठ कर बाथरूम में चली गई और बाथरूम में मेरे पीछे-पीछे जीजाजी भी आ गए। मैंने पहले जीजाजी के लौड़े को धोकर साफ किया, फिर अपनी बुर को साफ करने लगी।
जीजाजी गौर से देख रहे थे, शायद वे बुर पर बाल ना उगने का राज जानने के पहले यह यकीन कर लेना चाह रहे थे कि बाल उगे नहीं हैं कि इनको साफ किया गया है।
उन्होंने कहा- लाओ मैं ठीक से साफ कर दूँ..! वे बुर को धोते हुए अपनी तसल्ली करने के बाद उसे चूमते हुए बोले- वाकयी तुम्हारी बुर का कोई जवाब नहीं है।
और वे मेरी बुर को चूसने लगे। मैंने अपने पैरों को फैला दिया और उनका सर पकड़ कर बुर चुसवाने लगी, “ओह जीजाजी… क्य्आअ कार्रर्ररर रहीईई हैं… ओह …!”
तभी कॉल-बेल बजी।
मैं जीजा से अपने को छुड़ाते हुए बोली- बर्तन माँजने वाली चमेली होगी..!
और उल्टे-सीधे कपड़े पहन कर नीचे दरवाजा खोलने के लिए भागी, दरवाजा खोला तो देखा चमेली ही थी, मैंने राहत की सांस ली।
अन्दर आने के बाद चमेली मुझे ध्यान से देख कर बोली- क्या बात है दीदी..! कुछ घबराई कुछ शरमाई, या खुदा ये माजरा क्या है..! फिर बात बदल कर बोली- सुबह जीजाजी आए थे, कहाँ हैं..!
मैं बोली- ऊपर सो रहे हैं, मैं भी सो गई थी..!
“जीजाजी के साथ..!” हँसते हुए वो बोली
“तू भी ही सोएगी क्या..!” मैंने पलट वार किया। लेकिन वह भी मंजी हुई खिलाड़ी थी, बोली- हाय दीदी ! इतना बड़ा भाग्य मेरा कहाँ..!
उससे पार पाना मुश्किल था, बात बढ़ाने से कोई फ़ायदा भी नहीं था, क्योंकि वह मेरी हमराज़ थी, इसलिए मैं बोली- जा अपना काम कर, काम खत्म करके जीजाजी के लिए चाय बना देना, मैं देखती हूँ कि जीजाजी जागे कि नहीं।
नीचे का मैं दरवाजा बंद करके ऊपर आ गई। चमेली की तरफ से मैं निश्चिन्त थी वो बचपन से ही इस घर में आ रही है और सब कुछ जानती और समझती है।
उधर दीदी के कमरे में लुंगी पहन कर बैठे जीजाजी मेरा इंतजार कर रहे थे, जैसे ही मैं उनके पास गई मुझे दबोच लिया।
मैं उनसे छूटने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली- चमेली बर्तन धो रही है, अब उसके जाने तक इंतजार करना पड़ेगा।
जीजाजी बोले- अरे.! उसे समय लगेगा तब तक एक क्या.. दो बाजी भी हो सकती हैं। वे मेरे मम्मों को खोलकर एक कबूतर की चौंच को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे और उनका एक हाथ मेरी बुर तक पहुँच गया। बाथरूम में जीजाजी बुर चूस कर पहले ही गरमा चुके थे, अब मैं भी अपने को ना रोक सकी और लूँगी को हटा कर लौड़े को हाथ मे ले लिया।
मैं बोली- जीजाजी यह तो पहले से भी मोटा हो गया है…!
“हाँ जब यह अपनी प्यारी बुर को प्यार करेगा तो फूलकर कुप्पा न हो जाएगा..!”
“हाय..! मेरे चोदू सनम ! इस शैतान ने मेरी मुनिया को दीवाना बना दिया है… अब इसे उससे मिलवा दो…! मैंने उनके लौड़े को हाथ मारते हुए कहा।
जीजाजी ने मेरे वे कपड़े उतार दिए जिससे मैं अपनी नग्नता छुपाए हुए थी और मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे पैरों को फैला दिया। अब मेरी मदमस्त रसीली यौवन-गुहा उनके सामने थी। उन्होंने उसे फिर अपनी जीभ से छेड़ा।
कुछ देर तो उनकी दीवानगी का मज़ा लिया, लेकिन मैं परम-सुख के लिए बेचैन हो उठी और उन्हें अपने ऊपर खींच लिया और बोली- राजा अब उन दोनों को मिलने दो..!
जीजाजी मेरे चूचुकों को मुँह से निकाल कर बोले- किसको..!”
मैंने उनके लौड़े को बुर के मुँह पर लगाते हुए बोली- इनको… बुर और लण्ड को…! समझे मेरे चुदक्कड़ सनम…! मेरी बुर के चोदन-हार… अब चोदो भी…!”
इस पर उन्होंने एक जबरदस्त शॉट लगाया और मेरी बुर को चीरता हुआ पूरा लण्ड अन्दर समा गया।
“हाईईईईईईई मारररर डाला ओह मेरे चोदू सनम … मेरी मुनिया तो प्यार करना चाहती पर इस मोटू को दर्द पहुँचाने में ज़्यादा मज़ा आता है…! अब रुके क्यों हो? कुछ पाने के लिए कुछ तो सहना पड़ेगा…ओह..माआआ … अब कुछ ठीक लग रहा है…… हाँ अब ठीककक हाईईईईई…ईईईईई फाड़ डालो इस लालची बुर को…!” मैं चुदाई के उन्माद में नीचे से चूतड़ उठा-उठा कर उनके लण्ड को बुर में ले रही थी।
और जीजाजी ऊपर से कस-कस कर शॉट पर शॉट लगाते हुए बोल रहे थे, “हाय चुदासी रानीईईई तुम्हारी बिना झांट वाली बुर ने तो मेरे लण्ड को पागल बना दिया है…! वह इस साली मुनिया का दीवाना हो गया है…! इसे चोद-चोद कर जब तक यहाँ हूँ जन्नत की सैर करूँगा… रानी बहुत मज़ा आ रहा है…!”
मैं चुदाई के नशे में जीजाजी को कस-कस कर धक्के लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी, “हाँ राजा…! चोद लो अपनी साली के बुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर को.. और जोर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर सेए फर्रर्र्र्र्ररर दो इस सालीइीईईईई बुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर को ओह राज्ज्जज्ज्जाआअ मैं जन्नत क्ईईईई सैर कर रही हूऊओन…चोदो राजा चोद्द्द्दद्डूऊ और ज़ोर सीईईई…हाईईईईई कस कस कर मारो …ओह बस मैं आने वालिइीईईई हुन्न्ञणणन् उई माआअ मैं गइईईई……!”
मेरी बुर ने काम का सुधा-रस छोड़ दिया, पर जीजाजी धक्के पर धक्के लगाए जा रहे थे। वे झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
मैंने कहा- जीजाजी ज़रा जल्दी..! चमेली चाय ले कर आती होगी..!
“मैं तो कब से चाय लेकर खड़ी हूँ.. चाय ठंडी हो गई और मैं गरम..!” यह चमेली की आवाज़ थी।
मैं चुदाई के तूफान में इस कदर खो गई थी कि चमेली की तरफ ध्यान ही नहीं गया। मैं जीजाजी को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली- तू कब आई..!”
“जब आप अपने चोदू-सनम से चुदवा रही थीं और चुदक्कड़-रानी को जीजाजी चोद रहे थे..!”
“अच्छा..! ठीक है..! यह सब छोड़ जब तू यहाँ आकर मर ही गई तो बुर खुजलाना छोड़.. और इधर आ जीजाजी को सम्भाल..!”
मैं उठी और चमेली के सारे कपड़े उतार दिए और उसे जीजाजी के पास पलंग पर धकेल दिया। जीजाजी ने उसे दबोच लिया, उन्होंने अपना लण्ड उसके चूत में लगा कर धक्का दिया।
उसके मुँह से एक कराह सी निकली। मोटा लण्ड जाने से उसे मीठा दर्द हो रहा था। मैं धीरे-धीरे उसके उरोजों को मसलने लगी, जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जाए और दर्द कम हो। धीरे-धीरे जीजाजी ने अपना पूरा लण्ड चमेली की बुर में घुसा दिया। अब उसकी तरफ से पूरा सहयोग मिल रहा था।
जीजाजी अब अपने लण्ड को चमेली की चूत में अन्दर-बाहर करने लगे और चमेली भी अपने कमर को उठा कर जीजाजी के लण्ड को अपने चूत में आराम से ले रही थी।
दोनों एक-दूसरे से गुंथे हुए थे।
चमेली बड़बड़ा रही थी, “दीदी..! जीजाजी मस्त चुदाई करते हैं… उई.. जीजाजी चोद दो… और ज़ोर से … और ज़ोर से… मुझे भी आने देना आज बहुत दिनों की प्यसस्स्स्स्सस्स बुझीईईईई गीईईई अब आ जाओ दीदी के चोदू-सनम …ओह माआअ मैं गइईई…!”
जीजाजी के अन्दर उबाल पहले से ही उठ रहा था, जो बाहर आने को बेचैन था। थोड़ी देर मे दोनों साथ-साथ खलास हो गए।
थोड़ी देर चमेली के शरीर पर पड़े रहने के बाद जब जीजाजी उठे।
तो मैं चमेली से बोली- गर्मी शांत हो गई..! जा अब चुदक्कड़ जीजाजी के लिए फिर से स्पेशल चाय बना कर ला.. क्योंकि जीजाजी ने तेरी स्पेशल चुदाई की है न..! “दीदी आप भी न …!”
वह अपने कपड़े उठाने लगी, तो मैंने च्यूँटी ली और बोली- जा ऐसे ही जा..!
“नहीं दीदी कपड़े दे दो, चाय लेकर जीजाजी के सामने नंगी आने में शरम लगेगी।”
मैं बोली- जा भाग..कर चाय लेकर आ, नंगी होकर चुदवाने में शरम नहीं आई..! अच्छा चल जा.. हम लोग भी यहाँ नंगे ही रहेंगे..!
शैतान चमेली यह कहते हुए नंगी ही भाग गई, “ये कहो कि नंगे रह कर चुदाई करते रहेंगे..!”
चमेली नीचे चाय बनाने चली गई जीजाजी मुझे चिढ़ाते हुए बोले- मालकिन की तरह नौकरानी भी जबरदस्त है..!
मैं बोली- जीजाजी उसे ज़्यादा भाव ना दीजिएगा नहीं तो वह जौंक की तरह चिपक जाएगी.. पर जीजाजी वह है बड़ी भली, बस चुदाई के मामले में ही थोड़ी लंगोटी से कमजोर है।
“आने दो देखता हूँ.. कमजोर है या खिलाड़ी है..!”
चमेली के जाने के बाद साफ-सफाई के लिए हम दोनों बाथरूम में आ गए। मैंने फव्वारा खोल दिया। हम दोनों के नंगे जिस्म पर पानी की फुहार पड़ने लगी।
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बाथरूम में लगे बड़े शीशे में मैं देख रही थी, फव्वारे के नीचे मेरे उत्तेजक बदन पर पानी पड़ रहा था।
मेरे तने हुए मम्मों से टपकता पानी जो पैरों के बीच मेरी बुर से होता हुआ पैरों पर छोटी-छोटी धार बनाते हुए नीचे गिर रहा था।
मेरी सुपुष्ट चूचियों से गिरता हुआ पानी आज बहुत अच्छा लग रहा था।
जीजा के चौड़े सीने से बहता पानी उनके लौड़े से धार बनाकर बह रहा था, जैसे वे मूत रहे हों।
मैंने उनका लण्ड हाथ में ले लिया और सुपारे को खोलने और बंद करने लगी। उनका लण्ड भी मेरे हाथ में आते ही सजग हो गया और मेरी बुर को देख कर अकड़ने लगा।
मैंने मदन जीजाजी के नंगे सुपुष्ट शरीर को अपनी छाती से चिपका कर उनके होंठ अपने होंठों में ले लिया।
मेरी कसी हुई चूचियाँ जीजाजी के सीने में रगड़ खाने लगीं।
मैंने उनके शिश्न को पकड़ कर अपनी बुर से सटा लिया और थोड़ा पैर फैला कर उसे अपने यौवन-द्वार पर रगड़ने लगी।
जीजाजी मेरे मम्मों को दबाते और सहलाते हुए मेरे होंठों को चूस रहे थे और उनका लण्ड को मेरी मुनिया अपने होंठों से सहला रही थी। बैठकर नहाने के लिए रखे स्टूल पर मैंने अपना एक पैर उठा कर रख लिया और उनके लण्ड को बुर में आगे बढ़ने का मौका मिल गया। शीशे में दिख रहा उनका लण्ड अन्दर-बाहर होते हुए मेरी प्यारी बुर से खिलवाड़ कर रहा था।
मेरी मुनिया उसे पूरा अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी।
कुछ देर बाद मैं अपने को छुड़ा कर बाथटब को पकड़ कर झुक गई। मेरे चूतड़ उठे हुए थे और मेरा यौवन-द्वार दिखने लगा था। जीजाजी ने उस पर अपने तनतनाए हुए लण्ड को लगा कर धक्का दिया, पूरा लण्ड ‘गॅप’ से बुर में समा गया।
फिर क्या था लण्ड और चूत का खेल शुरू हुआ। सामने शीशे में जैसे ब्लू-फिल्म चल रही हो, जिसकी हेरोइन मैं थी और हीरो थे मेरे मदन जीजा।
जीजाजी का लण्ड मेरी बुर में अन्दर-बाहर हो रहा था, जिससे बुर बावली हो रही थी पर मुझे शीशे में लण्ड का घुसना और निकलना बहुत ही कामुक लग रहा था।
फव्वारे से पानी की फुहार हम दोनों पर पड़ रही थी। हम लोग उसकी परवाह ना कर तन की तपिश मिटाने में लगे थे।
जीजाजी पीछे जब मेरी चूचियाँ पकड़ कर बराबर धक्के लगाए जा रहे थे।
शीशे में अपनी चुदाई देख कर मैं काफ़ी गरम हो चुकी थी, इसलिए मैं अपने चूतड़ को आगे-पीछे कर गपा-गप लौड़े को बुर में ले रही थी और बोलती जा रही थी, “जीजाजी..! बहुत अच्छा लग रहा है…इस चुदाई में… चोद दो मेरे सनम.. जिंदगी का पूरा मज़ा ले लो …हाय.. ! मेरे चोदू-बलम… तुम्हारा लौड़ा बड़ा जानदार है… मारो राजा धक्का… और ज़ोर से… हाय राजा और ज़ोर से… और ज़ोर से…… हाय..! इस जालिम लौड़े से फाड़ दो मेरी बुर्र्र्र्र्र्र्ररर ब्ब्ब्बबबाहुत अच्छाआआ लगगगग रहा हाईईईईई…!”
पीछे से चुदाई में मेरे हाथ झुके-झुके दुखने लगे थे।
मैंने जीजाजी से कहा- राजा ज़रा रूको, इस तरह पूरी चुदाई नहीं हो पा रही है, लेट कर चुदने में पूरा लौड़ा घुसता है और झड़ने में बहुत मज़ा आता है..!”
मैंने फव्वारे को बंद किया और वहीं गीले फर्श पर लेट गई और बोली- अब ऊपर
आ कर चुदाई करो..!”
अब जीजाजी मेरे ऊपर थे और मेरी बुर में लण्ड डालकर भरपूर चुदाई करने लगे अब मेरी बुर में लौड़ा पूरा का पूरा अन्दर-बाहर हो रहा था और मैं नीचे से सहयोग करते हुए बड़बड़ा रही थी, “आह.. अब चुदाई का मज्जा मिल रहा है … मारो राजा…मारो धक्का… और ज़ोर से… हाँ..! राजा इसी तरह से… भर दो अपने मदन रस से बुर को… अहह इसस्स्स्स्स्स ओह..!
जीजाजी कस-कस कर धक्का मार कर मेरी बुर को चोद रहे थे। थोड़ी देर बाद उनके लण्ड से लावा निकला और मेरी बुर की गहराई में झड़ गए और मैं भी साथ-साथ खलास हो गई। मैं सेफ पीरियड में थी, इसलिए परवाह नहीं थी।
कुछ देर पड़े रहने के बाद मैं बुर को साफ कर जल्दी बाहर निकल आई, बाहर आकर बिस्तर को ठीक किया, कमरा व्यवस्थित किया और भाभी के कमरे से एक ब्लू-फिल्म की सीडी लाकर ड्रेसिंग टेबल के दराज में डाल दी।
तब तक जीजाजी तौलिया लपेटे कर बाथरूम से बाहर आ गए।
वे फ्रेश दिख रहे थे शायद वे साबुन लगा कर ठीक से नहा लिए थे।
उन्हें देख कर, “मैं भी फ्रेश हो कर आती हूँ।” कह कर बाथरूम में घुस गई।
इसी बीच चमेली चाय लेकर ऊपर आई और कमरे के बाहर से आवाज़ दी, “जीजाजी आँखे बंद करिए.. मैं चाय लेकर आई हूँ..!”
मैं बाथरूम से निकल कर बाहर आने वाली थी, तभी सोचा, देखें ये लोग क्या करते हैं।
मैं दरवाजे के शीशे के प्रतिबिम्ब से इन दोनों को देखने लगी।
जीजाजी बोले- आँख क्यों बंद करूँ..!”
चमेली बड़ी मासूमियत से बोली- मैं नंगी हूँ ना..!”
जीजाजी बोले- अब आ भी जाओ, सुधा बाथरूम में है.. मुझसे क्या शरमाना..!”
चमेली चाय लेकर नंगी ही अन्दर आ गई। इस बार चाय केतली में थी।
चाय मेज पर रख कर अपनी चूचियों और चूतड़ों को एक अदा से हिलाया मानो कह रही हो ‘मंगता है तो राजा ले ले… नहीं तो.. मैं ये चली..!’
फिर उसने जीजा जी की तौलिया को खींच लिया। जीजाजी ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
वह अपने को छुड़ाती हुए बोली- फिर चाय ठंडी करनी है क्या..!”
“सुधा को बाथरूम से आ जाने दे साथ-साथ चाय पिएँगे, तब तक तू दराज से सिगरेट निकाल कर ले आ..!”
चमेली ने दराज से सिगरेट और माचिस निकाली एक सिगरेट को अपने मुँह में लगा कर सुलगा दिया और एक लम्बा कश लगा कर सिगरेट को अपनी बुर के मुँह में खोंस कर बोली- जीजाजी अब मेरी बुर से सिगरेट निकाल कर पियो मस्ती आ जाएगी।
मदन जीजा ने सिगरेट बुर से निकाल कर उसकी चूत को चूम लिया और फिर आराम से सिगरेट पीने लगे।
चमेली बोली- तब तक मैं अपना सिगार पीती हूँ..!
और उसने मदन के लौड़े को अपने मुँह में ले लिया। मदन ने सिगरेट खत्म होने तक लौड़ा चुसवाने का मज़ा लिया, फिर उसे लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गए और अपना लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया।
पहले तो चमेली तिलमिलाई फिर हर धक्के का मज़ा लेने लगी- जीजाजी आप आदमी नहीं सांड हैं..! जहाँ चूत देखी पिल पड़े… अब जब मेरी बुर में घुसा ही दिया है तो देखूँगी कि तुम्हारे लौड़े में कितना दम है… चोदो राजा चोदो इस बार चुदाई का पूरा सुख उठाऊँगी… हय मेरे चुदक्कड़ जीजा फाड़ कर लाल कर दो इस कमीनी बुर को … और ज़ोर से कस-कस कर धक्का मारो … ओह अहह इसस्स्स्सस्स बहुत मज़ा आ रहा है..!”
चमेली जानती थी कि मैं बाथरूम में हूँ इसलिए मेरे निकलने के पहले झड़ लेना चाह रही थी।
जब कि मैं बाथरूम से निकल कर इन दोनों की चुदाई का खेल बहुत देर से देख रही थी। चमेली गंदे-गंदे शब्दों का प्रयोग करके जीजाजी को जल्दी झड़ने पर मजबूर कर रही थी और नीचे से चूतड़ उठा-उठा कर मदन के लण्ड को अपनी बुर में निगल रही थी। जबकि जीजाजी कई बार चोद कर झड़ चुकने के कारण झड़ ही नहीं रहे थे। एक बार चमेली झड़ चुकी थी, लेकिन जीजाजी उसकी बुर में लण्ड डालकर चोदे जा रहे थे।
मैं उन दोनों के पीछे खड़े हो कर उनकी घमासान चुदाई देख रही थी। मेरी बुर भी फिर से पनिया गई, पर मेरी हिम्मत इस समय और चुदवाने की नहीं हो रही थी इसलिए चमेली को नीचे से मिमियाते देख बड़ा मज़ा आ रहा था।
चमेली ने एक बार फिर साहस बटोरा और बोली- ओह माँ..! कितनी ही बार झड़ाओगे मुझे लेकिन मैं मैदान छोड़ कर हटूँगी नहीं… चोदो राजा और चोदो …बड़ा मज़ा आ रहा है… चोदू..ऊऊ ओह बलम.. हरजाई …और कस-कस कर चोदो और ज़ोर से मारो धक्के.. फाड़ दो बुर… ओह अहह इसस्स्स्सस्स हाँ..! सनम आ भी जजाऊऊऊ चूत का कबाड़ा कर के ही दम लोगे क्या..! अऊऊऊ अब आ भी जाओ..!”
जीजाजी ऊपर से बोले- रूको रानी अब मैं भी आ रहा हूँ..!”
और दोनों एक साथ झड़ कर एक-दूसरे में समा गए।
जीजाजी चमेली के ऊपर थे उनका लौड़ा चमेली के बुर में सिकुड़ रहा था, मदन की गाण्ड कुछ फैल गई थी। मैंने पीछे से जाकर जीजाजी की गाण्ड में अपनी चूची लगा दी।
जीजाजी समझ गए बोले- क्या करती हो..!”
मैंने चूची की नोक से से दो-तीन धक्के उनकी गाण्ड के छेद में लगाए और बोली- अपने चोदू लाल की गाण्ड मार रही हूँ। जहाँ बुर देखी पिल पड़ते हैं..!
चमेली जीजाजी के नीचे से निकलती हुई बोली- दीदी मैं भी मारूँगी.. मेरी तुमसे बड़ी है..!
सब हँसने लगे।
चमेली की चुदाई देख कर मैं गर्म हो गई थी लेकिन मम्मी के आने का समय हो रहा था, फिर चाय भी पीनी थी, इसलिए मन पर काबू करते हुए बोली- अब सब लोग अपने-अपने कपड़े पहन कर शरीफ बन जाइए, मम्मी के आने का समय हो रहा है।
फिर हम लोग अपने-अपने कपड़े ठीक से पहन कर चाय की मेज पर आ गए।
चमेली केतली से चाय डालते हुए बोली- दीदी देख लो, चाय ठंडी हो गई हो तो फिर से बना लाऊँ।
जीजाजी चाय पीते हुए बोले- ठीक है, चमेली इस बार केतली में चाय इसीलिए बना कर लाई थी कि दुबारा चाय गर्म करने के लिए नीचे ना जाना पड़े और दीदी अकेले-अकेले…!
जीजाजी चमेली की तरफ गहरी नज़र से देख कर मुस्काराए।
“जीजाजी आप बड़े वो हैं..!” चमेली बोली।
“वो क्या..!”
“बड़े चोदू हैं..!” सब हँस पड़े।
तभी नीचे कॉल-बेल बजी।
“मम्मी होंगी..!”
मैं और चमेली भाग कर नीचे गई दरवाजा खोला तो देखा तो कामिनी थी- अरे कामिनी तू? आ अन्दर आ जा..!
चमेली बोली- बस आप की ही कमी थी..!
“क्या मतलब?”
“अरे छोड़ो भी कामिनी.. उसकी बात को, वह हर समय कुछ ना कुछ बिना समझे बोलती रहती है.. चल ऊपर अपने जीजाजी से मिलवाऊँ..!”
कामिनी बोली- मेरी बन्नो बड़ी खुश है, लगता है जीजाजी से भरपूर मज़ा मिला है..!”
फिर चमेली से बोली- तू भी हिस्सा बंटा रही थी क्या..!
चमेली शरमा गई, “वो कहाँ, वो तो जीजाजी…!”
मैंने उसे रोका- अब चुप हो जा… हाँ..! बोल कामिनी, क्या बात है?”
कामिनी बोली- चाची नहीं है क्या? मम्मी ने जीजाजी को कल रात को खाने पर बुलाया है।”
चमेली से फिर रहा ना गया बोली- कामिनी दीदी, सिर्फ जीजाजी को… कल की …दावत देने आई हैं।”
कामिनी बोली- चल तू भी साथ आ जाना हाँ..! जीजाजी कहाँ है…चलो उनसे तो कह दूँ..!”
मैं बोली- मुझे तो नहीं लगता कि मम्मी इसके लिए राज़ी होंगी, हाँ..! तू कहेगी तो जीजाजी ज़रूर मान जाएँगे..!”
कामिनी ने कहा- पहले यह बता, तुम दोनों को तो कोई एतराज नहीं, बाकी मैं देख लूँगी..!
“मुझे क्या एतराज हो सकता है और चमेली की माँ से भी बात कर लेंगे, पर…!”
कामिनी बोली- बस तू देखती जा, कल की कॉकटेल पार्टी में मज़ा ही मज़ा होगा..!”
इसी बीच मम्मी भी आ गईं।
कामिनी चाचीजी-चाचीजी कह कर उनके पीछे लग गई।
उनकी तबीयत के बारे में पूछा, दीदी की बातें की, फिर अवसर पाकर कहा- चाचीजी, एक बहुत ज़रूरी बात है.. आप मम्मी से फोन पर बात कर लें।
उसने झट अपने घर फोन मिला कर मम्मी को पकड़ा दिया।
मेरी मम्मी कुछ देर उसकी मम्मी की आवाज़ सुनती रहीं फिर बोलीं- ऐसी बात है, तो चमेली को कल रात रुकने के लिए भेज दूँगी.. उसकी मम्मी मेरी बात नहीं टालेगी… बबुआ जी (मदन) को बाद में सुधा के साथ भेज दूँगी… अभी कैसे जाएगी… अरे भाभी..! ये बात नहीं है… जैसा मेरा घर वैसा आप का घर…, ठीक है कामिनी बात कर लेगी…! हमें क्या एतराज हो सकता है… इन लोगों की जैसी मर्जी… आप जो ठीक समझें.. ठीक है ठीक… सुधा प्रोग्राम बना कर आपको बता देगी… चमेली तो जाएगी ही … नमस्ते भाभी।” कह कर मम्मी ने फोन रख दिया।
मम्मी मुझसे बोलीं- कामिनी की मम्मी तुम सब को कल अपने घर पर बुला रही हैं। तुम सब को वहीं खाना खाना है, उन्हें कल रात अपने मायके जागरण में जाना है, भाई साहब कहीं बाहर गए हैं, कामिनी घर पर अकेली होगी, सो वे चाहती हैं कि तुम सब वहीं रात में रुक जाओ..। तुम्हारे जीजाजी रुकना चाहें तो ठीक, नहीं तो तुम उनको लिवा कर आ जाना, चमेली रुक जाएगी।”
मैं कामिनी की बुद्धि का लोहा मान गई और मम्मी से कहा- ठीक है मम्मी..! जीजाजी जैसा चाहेंगे, वैसा प्रोग्राम बना कर तुम्हें बता दूँगी।
हम तीनों को तो जैसे मन की मुराद मिल गई। जीजाजी हम लोगों को छोड़ कर यहाँ क्या करेंगे !
“चलो..! जीजाजी से बात कर लेते हैं..!” कह कर हम दोनों ऊपर जीजाजी से मिलने चल दिए।
सीढ़ी पर मैंने कामिनी से पूछा- यह सब क्या है? तूने तो कमाल कर दिया अब बता प्रोग्राम क्या है?”
मेरे कान में धीरे से बोली- सामूहिक चुदाई…! अब बता जीजाजी ने तेरी चूत कितनी बार मारी?
“चल हट.. यह भी कोई बताने की बात है..!”
“चलो तुम नहीं बताती तो जीजू से पूछ लूँगी..!”
हम दोनों ऊपर कमरे में आ गए। जीजाजी दराज से सीडी निकाल कर ब्लू-फिल्म देख रहे थे। स्क्रीन पर चुदाई का सीन चल रहा था। उनके चेहरे पर उत्तेजना साफ झलक रही थी।
कामिनी धीरे से कमरे में अन्दर जा कर बोली- नमस्ते जीजाजी..! क्या देख रहे हैं?
कामिनी को देख कर वे हड़बड़ा गए। कामिनी रिमोट उठा कर सीडी प्लेयर बंद करती हुई बोली- ये सब रात के लिए रहने दीजिए, कल शाम को मेरे घर आपको आना है, मम्मी ने डिनर पर बुलाया है, सुधा और चमेली भी वहाँ चल रही हैं..
जीजाजी सम्भलते हुए बोले- आप कामिनी जी है ना..! मेरी शादी में गाली (शादी के समय गाए जाने वाले लोकगीत) आप ही गा रही थीं..!”
“अरे वाह जीजाजी आप की याददाश्त तो बहुत तेज है।”
जीजाजी बोले- ऐसी साली को कैसे भुलाया जा सकता है, कल जश्न मनाने का इरादा है क्या..!
“हाँ.. जीजाजी..! रात वहीं रुकना है, रात रंगीन करने के लिए अपनी पसंद की चीज़ आपको लाना है…कुछ… हॉट …हॉट बाकी सब वहाँ होगा…!”
“रात रंगीन करने के लिए आप से ज़्यादा हॉट क्या हो सकता है?” जीजाजी उसे छेड़ते हुए बोले और उसका हाथ खींच कर अपने पास कर लिया। जीजा जी कुछ और हरकत करते मैं बीच में आकर बोली- जीजा जी, आज नहीं.. दावत कल है..!”
जीजाजी ललचाई नज़र से कामिनी को देख रहे थे, सचमुच कामिनी इस समय अपने रूप का जलवा बिखेर रही थी, उसमें सेक्स अपील बहुत है।
कामिनी ने हाथ बढ़ाते हुए कहा- जीजाजी ! कल आपको पक्के में आना है।”
जीजाजी ने हाथ मिलाते हुए उसे खींच लिया और उसके गाल पर एक चुम्बन जड़ दिया।
मैं जीजाजी को रोकते हुए बोली- जीजाजी, इतनी जल्दी ठीक नहीं है..!
तभी नीचे से चमेली नाश्ता लेकर आ गई और बोली- चलिए सब लोग नाश्ता कर लीजिए, मम्मी ने भेजा है।”
सब ने मिल कर नाश्ता किया।
कामिनी उठती हुई मुझसे बोली- सुधा..! अब चलने दे, चलें..! घर में बहुत काम है, फिर कल की तैयारी भी करनी है, कल जीजाजी को लेकर ज़रा जल्दी आ जाना।
और जीजा जी के सामने ही मुझे अपने बाँहों में भरकर मेरे होंठ चूम लिए, फिर जीजाजी को देख कर एक अदा से मुस्करा दी, जैसे कह रही हो यह चुम्बन आपके लिए ही है..!
कामिनी के साथ हम सब नीचे आ गए। कामिनी मम्मी से मिल कर चली गई।
चमेली भी यह बोलते हुए चली गई कि माँ को बता कर कल सुबह एक दिन रहने के लिए आ जाएगी।
जीजाजी मम्मी से बातें करने लगे और मैं किचन में चली गई। जल्दी-जल्दी खाना बना कर खाने की मेज पर लगा दिया और हम लोगों ने खाना खाया।
रात का ख़ाना खाने के बाद मम्मी मन-पसंद सीरियल देखने लगीं। जीजाजी थोड़ी देर तो टीवी देखते रहे, फिर यह कह कर ऊपर चले गए कि ऑफिस के काम से ज़्यादा बाहर रहने के कारण वे रेग्युलर सीरियल नहीं देख पाते, इसलिए उनका मन सीरियल देखने में नहीं लगता।
फिर मुझसे बोले- सुधा.. कोई नई पिक्चर की सीडी है क्या..!”
बीच में ही मम्मी बोल पड़ीं- अरे.. कल रेणुका (मेरी पड़ोसन) देवदास की सीडी दे गई थी, जा कर लगा दे, और हाँ..! अपने जीजाजी को सोने के पहले दूध ज़रूर पिला देना..!”
मैंने कहा- जीजाजी आप ऊपर चल कर कपड़े बदलिए, मैं आती हूँ।
और मैं अपना मनपसंद सीरियल देखने लगी।
सीरियल खत्म होने पर मम्मी अपने कमरे में जाते हुए बोलीं- तू ऊपर अपने कमरे में सो जाना और जवाँई जी का ख्याल रखना।
मैं सीडी और दूध लेकर पहले अपने कमरे में गई और सारे कपड़े उतार कर नाईटी पहन ली और देवदास को एक कोने में रख कर दूसरी सीडी अपने भाभी के कमरे से निकाल लाई, मैं जानती थी कि जीजाजी साली के साथ क्या देखना पसंद करेंगे।
जब ऊपर उनके कमरे में गई तो देखा जीजाजी सो गए हैं। दूध को साइड की मेज पर रख कर एक बार हिला कर जगाया।
जब वे नहीं जागे तो उनकी बगल में जाकर लेट गई और नाईटी का बटन खोल दिया।
मैं नीचे कुछ भी नहीं पहने थी अब मेरी चूचियाँ आज़ाद थीं, फिर थोड़ा उठ कर मैंने अपनी एक चूची की चूचुक से जीजाजी के होंठ सहलाने लगी और एक हाथ को चादर के अन्दर डाल कर उनके लण्ड को सहलाने लगी।
उनका लौड़ा सजग होने लगा शायद उसे उसकी प्यारी मुनिया की महक लग चुकी थी।
अब मेरी चूची की चौंच जीजाजी के मुँह में थी और वे उसे चूसने लगे थे।
जीजाजी जाग चुके थे, मैंने कहा- जीजाजी दूध पी लीजिए।
वे चूसते ही बोले- पी तो रहा हूँ..!
“अरे..! ये नहीं काली भैंस का दूध, वो रखा है गिलास में।”
“जब गोरी साली का दूध पीने को मिल रहा है, तो काली भैंस का दूध क्यों पियूं..!” जीजाजी चूची से मुँह अलग कर बोले और फिर उसे मुँह में ले लिया।
मैंने कहा- पर इसमें दूध कहाँ है..!
यह कहते हुए उनके मुँह मे से अपनी चूची छुड़ा कर उठी और दूध का गिलास उठा लाई और उनके मुँह में लगा दिया। जीजाजी ने आधा गिलास पिया और गिलास लेकर बाकी पीने के लिए मेरे मुँह में लगा दिया।
मैंने मुँह से गिलास हटाते हुए कहा- जीजाजी मैं दूध पी कर आई हूँ।
इस बीच दूध छलक कर मेरी चूचियों पर गिर गया। जीजाजी उसे अपनी जीभ से चाटने लगे, मैं उनसे गिलास लेकर अपनी चूचियों पर धीरे-धीरे दूध गिराती रही और जीजाजी मज़ा ले-ले कर उसे चाटते गए। चूची चाटने से मेरी बुर में सुरसुरी होने लगी।
इस बीच थोड़ा दूध बह कर मेरी चूत तक चला गया, जीजाजी की जीभ दूध चाटते-चाटते नीचे आ रही थी और मेरे बदन में सनसनी फैल रही थी। उनके होंठ मेरी बुर के होंठ तक आ गए और उन्होंने उसे चाटना शुरू कर दिया।
मैंने जीजाजी के सिर को पकड़ कर अपनी योनि आगे किया और अपने पैर फैला कर अपनी बुर चटवाने लगी।
जीजाजी ने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ लिया और मेरी बुर की टीट को जीभ से चाटने लगे और कभी चूत की गहराई में जीभ ठेल देते।
मैं मस्ती की पराकाष्ठा तक पहुँच रही थी और उत्तेजना में बोल रही थी, “ओह..! जीजू… ये क्या कर रहे हो… मैं मस्ती से पागल हो रही हूँ… ओह राज्ज्जज्जाआ चाटो … और… अन्दर जीभ डाल कर चाटो…बहुत अच्छा लग रहा है …आज अपनी जीभ से ही इस बुर को चोद दो… ओह…ओह अहह इसस्सस्स..!”
जीजाजी को मेरी चूत की मादक खुश्बू ने उन्हें मदमस्त बना दिया और वे बड़ी तल्लीनता से मेरी बुर के रस (सुधारस) का रस-पान कर रहे थे।
जीजाजी ने मेरी चूत पर से मुँह हटाए बिना मुझे खींच कर पलंग पर बैठा दिया और खुद ज़मीन पर बैठ गए। मेरी जाँघों को फैला कर अपने कंधों पर रख लिया और मेरे भगोष्ठों को अपनी जीभ से चाटने लगे।
मैं मस्ती से सिहर रही थी और चूतड़ आगे सरका कर अपनी चूत को जीजू के मुँह से सटा दिया। अब मेरे चूतड़ पलंग से बाहर हवा में झूल रहे थे और मेरी मखमली जांघों का दबाव जीजाजी के कंधों पर था।
जीजाजी ने अपनी जीभ मेरी बुर में घुसा दिया और बुर की अन्दरूनी दीवार को सहलाने लगे। मैं मस्ती के अनजाने पर अद्भुत आनन्द के सागर में गोते लगाने लगी और अपने चूतड़ उठा-उठा कर अपनी चूत जीजाजी के जीभ पर दबाने लगी।
“ओह राजा..! इसी तरह चूसते और चाटते रहो… बहुत …अच्छा लग रहा है… जीभ को अन्दर-बाहर करो ना…हय … तुम ही तो मेरे चुदक्कड़ सैंया हो… ओह राजा बहुत तड़फी हूँ.. तुमसे चुदवाने के लिए… अब सारी कसर निकाल लूँगी… ओह राज्ज्जजाआ चोदू मेरी चूत को अपनी जीभ से…!”
जीजाजी को भी पूरा जोश आ गया और मेरी चूत में जल्दी-जल्दी जीभ अन्दर- बाहर करते हुए उसे चोदने लगे।
मैं ज़ोर-ज़ोर से कमर उठा कर जीजाजी के जीभ को अपनी बुर में ले रही थी। जीजाजी को भी इस चुदाई का मज़ा आने लगा।
जीजाजी अपनी जीभ कड़ी कर के स्थिर कर ली और सिर को आगे-पीछे कर के मेरी चूत चोदने लगे, मेरा मज़ा दुगना हो गया।
मैं अपने चूतड़ों को उठाते हुए बोली- और ज़ोर से जीजाजी… और जूऊओर से हाय… मेरे प्यारे जीजाजी … आज से मैं तुम्हारी माशूका हो गई… इसी तरह जिंदगी भर चुदवाऊँगी.. ओह माआआआआ ओह उईईईईई माआअ..!
मैं अब झड़ने वाली थी, मैं ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी लेते हुए अपनी चूत जीजू के चेहरे पर रगड़ रही थी।
जीजू भी पूरी तेज़ी से जीभ लपलपा कर मेरी चूत पूरी तरह से चाट रहे थे।
वे अपनी जीभ मेरी चूत में पूरी तरह अन्दर डाल कर हिलाने लगे।
जब उनकी जीभ मेरी भगनासा से टकराई तो मेरा बाँध टूट गया और जीजाजी के चेहरे को अपनी जांघों में जकड़ कर मैंने अपनी चूत जीजू के मुँह से चिपका दी।
मेरा पानी बहने लगा और जीजाजी मेरे भगोष्ठों को अपने मुँह में दबा कर जवानी का अमृत ‘सुधा-रस’ पीने लगे।
इसके बाद मैं पलंग पर निढाल लेट गई। जीजाजी उठकर मेरे बगल में आ गए।
मैंने उन्हें चूमते हुए कहा- जीजाजी..! ऐसे ही आप दीदी की बुर भी चूसते हैं..!
“हाँ..! पर इतना नहीं.. सिर्फ 69 के समय चूसता हूँ, पर उसे चुदवाने में ज़्यादा मज़ा मिलता है।”
मैंने जीजाजी के लौड़े को अपने हाथ में ले लिया।
जीजाजी का लण्ड लोहे के डण्डे की तरह सख़्त और अपने पूरे आकार में खड़ा था। देखने में इतना सुंदर और अच्छा लग रहा था कि उसे प्यार करने का मन होने लगा।
सुपारे के छोटे से होंठ पर प्री-कम की बूँद चमक रही थी। मैंने उस पर एक-दो बार ऊपर-नीचे हाथ फेरा, उसने हिल-हिल कर मुझसे मेरी मुनिया के पास जाने का अनुरोध किया। मैं क्या करती, मुनिया भी उसे पाने के लिए बेकरार थी, मैंने उसे चूम कर मनाने की कोशिश की, लेकिन वह मुनिया से मिलने के लिए बेकरार था।
अंत में मैं सीधे लेट गई और उसे मुनिया से मिलने के लिए इजाज़त दे दी।
जीजाजी मेरे ऊपर आ गए और एक झटके में मेरी बुर में अपना पूरा लण्ड घुसा दिया।
मैं नीचे से कमर उठा कर उन दोनों को आपस में मिलने में सहयोग देने लगी। दोनों इस समय इस प्रकार मिल रहे थे मानो वे बरसों बाद मिले हों।
जीजाजी कस-कस कर धक्के लगा रहे थे और मेरी बुर नीचे से उनका जवाब दे रही थी।
घमासान चुदाई चल रही थी, लगभग 15- 20 मिनट की चुदाई के बाद मेरी बुर हारने लगी तो मैंने गंदे शब्दों को बोल कर जीजू को ललकारा, “जीजाजी आप बड़े चुदक्कड़ हैं… चोदो राजाआअ चोद … मेरी बुर भी कम नहीं है… कस-कस कर धक्के मार मेरे चुदक्कड़ राजाआा, फाड़ दो इस साली बुर कोकूऊऊओ, ..जो हर समय चुदवाने के लिए बेचैन रहती है…! बुर को फाड़ कर अपने मदन-रस से इसे सींच दोओ…ओह माआअ ओह मेरे राजा बहुत अच्छा लग रहा है …चोदो…चोदो…चोदो …और चोद, राजा साथ-साथ गिरना…ओह हाईईईईईई आ जाओ … मेरे चोदू सनम…हाय अब नहीं रुक पाऊँगी ई ओह मैं … मैं…गइईईईईई..!”
इधर जीजाजी कस-कस कर दो-चार धक्के लगा कर साथ-साथ झड़ गए। सचमुच इस चुदाई से मेरी मुनिया बहुत खुश थी, क्योंकि उसे लौड़ा चूसने और प्यार करने का भरपूर सुख मिला था।
कुछ देर बाद जीजाजी मेरे ऊपर से हट कर मेरे बगल में आ गए। उनके हाथ मेरी चूचियों, चूतड़ को सहलाते रहे। मैं उनके सीने से कुछ देर लग कर अपनी साँसों पर काबू प्राप्त कर लिया।
मैंने जीजाजी को छेड़ते हुए पूछा- देवदास लगा दूँ?
“अरे..! अच्छा याद दिलाया, जब कामिनी आई थी तो उस समय मैं उस पिक्चर को नहीं देख पाया था, अब लगा दो..!” जीजाजी मेरी चूची को दबाते हुए बोले।
“ना बाबा..! उस सीडी को लगाने की मेरी अब हिम्मत नहीं है, उसे देख कर यह मानेगा क्या?” मैं उनके लौड़े को पकड़ कर बोली।
“आप भी कमाल के आदमी हैं चुदाई से थकते ही नहीं.. आपको देखना है तो लगा देती हूँ, पर मैं अपने कमरे में सोने चली जाऊँगी..!”
“ओह मेरी प्यारी साली..! बस थोड़ी देर देख लेने दो, मैं वादा करता हूँ मैं कुछ नहीं करूँगा, क्योंकि मैं भी थक गया हूँ..!” जीजाजी मुझे रोकते हुए बोले।
मैंने सीडी लगा कर टीवी ऑन कर दिया, मैंने नाईटी पहन ली और उनके बगल में बैठ कर पिक्चर देखने लगी।
शुरुआत में लेस्बियन सीन थे, दो लड़कियाँ नंगी होकर एक-दूसरे को चाट-चूम रही थीं।
एक लड़की दूसरी लड़की की बुर को चूसने लगी, मैं ध्यान से फिल्म देख रही थी।
मेरे हाथ अनजाने में ही बुर तक पहुँच गए।
तभी जीजाजी ने मेरी कमर में हाथ डालकर खींचा, तो मैंने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और उनकी गोद में अधलेटी हो गई। जीजाजी मेरी नाईटी खोल कर मेरी चूचियों से खेलते हुए पिक्चर देखने लगे।
मैं भी अपनी नाईटी हटा कर अपनी बुर सहलाने लगी।
स्क्रीन पर अब दोनों लड़कियाँ 69 की पोजीशन में थीं और एक-दूसरे की बुर को चाट रही थीं, जिसे कैमरा एंगल बदल-बदल कर दिखा रहा था।
जीजाजी का लण्ड बेताब हो रहा था, जिसे मैंने पोजीशन बदल कर अपने चूतड़ में दबा लिया और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगी।
तभी स्क्रीन पर एक मर्द आया दोनों लड़कियों को इस हालत में देख कर झटपट नंगा हो गया और लण्ड चुसवाने के बाद एक लड़की की बुर में अपना लंबा लण्ड घुसा कर चोदने लगा।
उसका लण्ड भी जीजाजी की तरह लंबा था पर शायद मोटा कम था। दूसरी लड़की जो अभी भी पहली लड़की के नीचे थी, आदमी के अंडों को जीभ से चाट रही थी।
मैं धीरे-धीरे गर्म होने लगी, मैंने जीजाजी से कहा- आओ राजा..! अब अन्दर डाल कर पिक्चर देखी जाए..!”
“बाद में मुझसे कुछ ना कहना !” कहकर जीजाजी ने अपना लण्ड मेरी बुर के अन्दर कर दिया, इस तरह बुर में लण्ड लेकर धीरे-धीरे आगे-पीछे होते हुए हम दोनों पिक्चर का मज़ा लेने लगे।
स्क्रीन पर आदमी कभी ऊपर तो कभी नीचे आकर चुदाई कर रहा था और दूसरी लड़की कभी अपनी चूची चुसवाती तो कभी बुर..।
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने जीजाजी के पैरों को पलंग के नीचे किया और उनकी तरफ पीठ कर लौड़े को बुर में डाल कर उनकी गोद में बैठ गई और पिक्चर देखते हुए चुदाई करने लगी।
एक हाथ से जीजाजी मेरी चूची दबा रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी बुर की टीट सहला रहे थे। इस तरह हम लोग पिक्चर की चुदाई देख रहे थे और खुद भी चुदाई कर रहे थे।
स्क्रीन पर वह आदमी एक को चोद कर लेटा था और अब दूसरी की चुदाई की तैयारी कर रहा था। दूसरी औरत उठी और आदमी की तरफ़ मुँह कर उसके लौड़े को अपनी बर में डाल कर बैठ गई।
अब वे दोनों बात कर चुदाई कर रहे थे।
मुझे लगा इस तरह से चुदाई करने में लौड़ा बुर के अन्दर ठीक से जाएगा !
और मैं पलटी और जीजाजी के दोनों पैर ऊपर करके उनके लण्ड को अपने बुर में लेकर चुदाई करने लगी।
मुझे अब पिक्चर दिख नहीं रही थी पर अब उसे देखने की परवाह भी नहीं रह गई और हम लोग अपनी चुदाई में मशगूल हो गए। जीजाजी मेरी चूचियों को दबाते हुए नीचे से चूतड़ उछाल कर अपने लण्ड को मेरी बुर में गहराई तक पहुँचा रहे थे और वहीं मैं पिक्चर वाली लड़की की तरह उछल-उछल कर चुदाई में संलिप्त थी।
मूवी देख कर जीजाजी मुझे दूसरे आसन में चुदाई करने लगे।
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Re: आधी रात के बाद

Post by kunal »

अब मैं डॉगी स्टाइल में थी, जीजाजी कभी ऊपर आते कभी मुझे ऊपर कर मुझसे चोदने के लिए कहते।
इस तरह हम लोगों ने जब तक पिक्चर चलती रही, तरह-तरह से चोदते रहे और वे मेरी बुर में एक बार फिर से खलास हुए।
मैं जीजाजी के नीचे कुछ देर पड़ी रही। फिर जीजाजी मेरे बगल में आ गए।
जीजाजी ने फिर उठ कर मेरी बुर को साफ किया और बिना बालों वाली बुर को चूम कर बोले- ओह..! मेरी प्यारी साली, इस बुर पर झाँटें ना होने का राज अब तो बता दो..!”
मैं बोली- जीजा जी आज कई बार चुद कर बहुत थक गई हूँ, अब मैं अपने कमरे में सोने जा रही हूँ, बाकी बातें कल..!”

जीजाजी बोले- यहीं सो जाओ न ..!
मैंने कहा- यहाँ सोना खतरे से खाली नहीं है, मैं तुम्हारी घर वाली तो हूँ नहीं, कोई देख या जान लेगा तो क्या कहेगा..!”
“लेकिन आधी घरवाली तो हो..!”
“लेकिन आप ने तो पूरी घरवाली बना लिया, चोद-चोद कर बुर का भुरता बना दिया।”
“प्लीज़ थोड़ा और रूको ना.. वो राज बता कर चली जाना..!” जीजाजी मिन्नत करने वाले लहजे में बोले।
“कल बता दूँगी, मैं कोई भागी तो जा नहीं रही हूँ… अच्छा तो अब चलती हूँ।”
“फिर कब मिलोगी?”
“आधी रात के बाद… टा… टा… बाइ… बाइ…!”
सुबह जब चमेली ने मुझे जगाया तो 7 बज चुके थे।
चमेली मुस्कराते हुए बोली- तुम्हारी और जीजाजी की चाय लाई हूँ, लगता है जीजाजी से बहुत रात तक खाट-कबड्डी खेली हो।
“हाँ रे..! रात जीजाजी मुझे छोड़ ही नहीं रहे थे, बड़ी मुश्किल से अपने कमरे में सोने आ पाई..!”
“सच दीदी..! कितनी बार लिया जीजा जी का लण्ड?”
“यही करीब 6-7 बार..!”
“दीदी मज़ाक मत करिए सच-सच बताईए ना, मैं रात भर चुदाई के बारे में सोच-सोच कर ठीक से सो नहीं पाई..!”
मैंने उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को दबाते हुए कहा- अच्छा मेरी बन्नो..! चुद मैं रही थी और मज़ा तुम ले रही थीं, चल..! जीजाजी के कमरे में चाय पीते हैं..”
मैं उठी कपड़े और बाल ठीक किए और चमेली के साथ चाय लेकर जीजाजी के कमरे में आ गई, जीजाजी गहरी नींद में सो रहे थे।
चाय साइड की टेबल पर रखकर चमेली ने धीरे से चादर खींची, जीजाजी नंगे ही सो रहे थे, उनका लौड़ा भी सो रहा था।
चमेली धीरे से बोली- दीदी देखो ना कैसा सुस्त-सुस्त सा पड़ा है..!”
मैंने उनके गाल पर गीला चुम्बन लिया और वे जाग गए, उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में समेट लिया।
चमेली चहकी, “वाह जीजाजी..! रात भर दीदी की चुदाई करके नंगे ही सो गए..!”
“अरे रात भर कहाँ.. तुम्हारी दीदी तो एक ही बार में पस्त हो कर भाग गई थीं, आधी रात के बाद का वादा करके… पर आईं अब..!”
“अरे जीजाजी..! आधी रात के बाद वाली बात तो गाने की तुक भिड़ा कर कहा था।” मैंने अपने को छुडाते हुए चमेली से कहा- पूछ ली ना बुर-चोदी..! लगता है चुदवाने के लिए तेरी बुर रात भर कुलबुलाती रही, ऐसा था तो यहीं रात में रुक क्यों नहीं गई..!
फिर जीजाजी को चादर देती हुई बोली- चलिए गरम-गरम चाय पी जाए।
चादर लपेट कर जीजा जी उठे और बाथरूम में जाकर पायजामा एवम् शर्ट पहन कर बाहर आकर हम लोगों के साथ चाय पी।
फिर जीजाजी चमेली से बोले- ज़रा एक सिगरेट तो सुलगा कर देना।
चमेली ने एक सिगरेट अपने मुँह में लगा कर सुलगाई, फिर कपड़े के ऊपर से ही बुर के पास ले गई और जीजा जी के होंठों में लगा दी। हम सब हँस पड़े।
जीजाजी सिगरेट लेकर यह कहते हुए बाथरूम में घुस गए- मुझे 10 बजे ऑफिस पहुँचना है, 2 बजे तक लौट आऊँगा।”
मैं समझ गई कि जीजाजी के पास इस समय हम लोगों से बात करने के लिए समय नहीं है। तभी मम्मी का कॉल-बेल बज उठा, हम नीचे आ गए।
मेरी मम्मी बहुत कम ही सीढ़ी चढ़ कर ऊपर आती हैं। उन्हें एक अटॅक पड़ चुका है। उन्होंने नीचे से मेरे कमरे में एक कॉलिंग-बेल लगवा दिया है कि जब उन्हें ज़रूरत हो, मुझे ऊपर से बुला लें।
करीब 9 बजे जीजाजी तैयार होकर ऊपर से नीचे उतरे और नाश्ता करके ऑफिस चले गए।
दो बजे के करीब वे ऑफिस से लौटे और खाना खाकर आराम करने ऊपर चले गए। इस बीच चमेली आ गई साफ-सफाई करने के बाद वह यह कह कर चली गई कि वह एक घंटे के बाद आ जाएगी।
उसका जाना इसलिए भी ज़रूरी था क्योंकि उसे आज कामिनी के यहाँ रुकना था।
थोड़ी देर बाद माँ भी एक घंटे में आने के लिए कह कर बगल में चली गईं।
मैंने चाय बनाई और उसे लेकर ऊपर आ गई। जीजाजी दो घंटे आराम कर चुके थे। चाय साइड की टेबल पर रख कर उन्हें जगाने के लिए जैसे ही झुकी, उन्होंने मुझे अपने आगोश में ले लिया। शायद वे जाग चुके थे और मेरे आने का इंतजार कर रहे थे।
मैंने उन्हें चूमते हुए कहा- जीजाजी अब उठिए..! चाय पी कर तैयार होईए कामिनी का दो बार फोन आ चुका है।”
जीजा जी उठे, हम दोनों ने चाय पी, चाय पीने के बाद जीजा जी सिगरेट पीते हैं इसलिए आज मैंने उनके पैकेट से एक सिगरेट निकाली और अपने मुँह में लगा कर जला दिया और एक कश लगाकर धुआँ जीजाजी के चेहरे पर उड़ा दिया।
फिर सिगरेट जीजाजी को देते हुए बोली- आप कामिनी के यहाँ चलने के लिए तैयार होइए, मैं भी अपने कमरे में तैयार होने जा रही हूँ।
जीजाजी बोले- चलो मैं भी वहीं चलकर तैयार हो लूँगा।
मैंने सोचा कि चलो ठीक है जीजाजी के मन-पसंद कपड़े पहन लूँगी।
फिर बोली- अपने कपड़े ले कर आइए लेकिन कोई शैतानी नहीं..!
मैं बगल के अपने कमरे में आ गई, पीछे-पीछे जीजाजी आ गए और आकर पलंग पर लेट गए और बोले- तुम तैयार हो जाओ… मुझे क्या बस कमीज-पैन्ट ही तो पहनना है।”
मैं बाथरूम में मुँह धो आई और ऊपर के कपड़े उतार दिए। अब मैं पैन्टी और ब्रा में थी, ब्रा का हुक फँस गया था, जो खुल नहीं रहा था।
मैं जीजा जी के पास आई और बोली- ज़रा हुक खोल दीजिए ना..!
मैं पलंग पर बैठ गई, उन्होंने हुक खोल कर दोनों कबूतरों को पकड़ लिया, फिर मेरे होंठ को अपने होंठ में ले लिया।
उनके हाथ मेरी पैन्टी के अन्दर पहुँच गए।
अपने को छुड़ाने की नाकाम कोशिश की, लेकिन मन में कहीं मिलने की उत्सुकता भी थी, मैं बोली- जीजाजी आप ये क्या करने लगे, वहाँ चल कर यही सब तो होना है… प्लीज़ जीजाजी ऊँगली निकालिए……ओह… क्यों मन खराब करते हैं… ओह… बस भी कीजिए…!
जीजाजी कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने पैन्टी को उतार दिया और मेरी बिना झाँटों वाली बुर को चूमने-चाटने लगे और बोले- मैं इस बिना बाल वाली बुर का दीवाना हो गया हूँ। मन होता है कि इसे दिन-रात प्यार करूँ, हाँ..! अब जब तक अपना राज नहीं खोलोगी मैं कुत्ते की तरह अपना लण्ड तुम्हारे बुर में फँसा दूँगा जैसे तुमने कल देखा था।”
मैंने जीजाजी को घूरा, “जीजाजी आप बहुत गंदे हैं… तभी जब मैं अन्दर आई तो आप का लौड़ा खड़ा था…! एक बात जीजा जी मैं भी बताऊँ कि जब आप मुझे चोद रहे थे तो मेरे मन में भी यह बात आई थी कि काश मेरी बुर कुतिया की तरह आप के लण्ड को पकड़ पाती, तो कितना मज़ा आता…! आप छूटने के लिए बेचैन होते, आप सोचते ताव-ताव में साली को चोद तो दिया, पर अब लंड फँसा कर बदनामी भी उठानी पड़ेगी…!”
जीजा जी ने अब तक गर्म दिया था। मैंने उन्हें अपने ऊपर खींच लिया।
बोली- जीजा जी सुबह से बेचैन हूँ.. अब आ भी जाओ एक राउण्ड हो जाए।
“हाँ रानी..! मैं भी सोकर उठने के बाद तुम्हारे इस बदमाश को मनाता आ रहा हूँ, पर अब यह भी अपनी मुनिया को देखकर मिलने के लिए बेचैन हो रहा है।” जीजा जी अपने लौड़े की तरफ इशारा करके मेरी भाषा का प्रयोग करते हुए बोले और अपना समूचा लौड़ा मेरी बुर में पेल दिया, थोड़ा दर्द तो हुआ।
पर जब उनका लौड़ा मेरी बुर के अन्दर गर्भाशय के मुख तक पहुँच कर उसे चूमने लगा तो प्यासी बुर को बड़ी तसल्ली हुई।
जीजा जी धक्के पर धक्के लगाए जा रहे थे और मैं भी अपनी चूतड़ नीचे से उठा-उठा कर अपनी बुर में उनके लण्ड को ले रही थी।
पर अचानक जीजा जी रुक गए, मैंने पूछा- क्या हुआ ? रुक क्यों गए?
जीजा जी बोले- बुर के बाल गड़ रहे हैं..! और अब तो इसका राज जान कर ही आगे चुदाई होगी।
मैं जीजा जी के पीठ पर घूँसा बरसते हुए बोली- जीजा जी खड़े लण्ड पर धोखा देना इसे ही कहते हैं…! अच्छा तो अब ऊपर से हटिए, पहले राज ही जान लो..!
जीजाजी मेरे बगल में आ गए, फिर मैं धीरे-धीरे राज खोलने लगी:
मम्मी ने अपनी एक सहेली को मेरी बुर को दिखा कर इस राज को खोला था।
उन्होंने उसे बताया था कि जब मैं पैदा हुई तो एक नई और जवान नाइन नहलाने के लिए आई।
पुरानी नाइन बीमार थी और उसने ही उसे एक महीने के लिए लगा दिया था।
मम्मी को नहलाने के बाद उसने मुझे उठाया और मेरी बुआ से कहा- बीबीजी, ज़रा चार-पाँच काले बैंगन काटकर ले आइए, इसे बैंगन के पानी से भी नहलाना है।
मेरी मम्मी ने पूछा कि अरी..! नहलाने में बैंगन के पानी का क्या काम?
इस पर उसने हँसते हुए बताया कि बैंगन के पानी से लड़कियों को नहलाने पर उनके बाल नहीं निकलते, लेकिन नहलाते समय यह ध्यान रखना पड़ता है कि वह पानी सर पर ना लगे।
मम्मी ने कहा कि मैं इस बात को कैसे मानूँ? तो उसने अपनी बुर मम्मी को दिखाते हुए कहा- भाभी जी, मेरी देखिए इस पर एक भी बाल नहीं दिखेगा।
मम्मी और बुआ मान गईं और बोलीं- ठीक है नहला दो, पर ध्यान से नहलाना।
बुआ ने हल्के कुनकुने पानी में बैंगन काट कर डाल दिए और नाइन ने मुझे नहलाने के बाद बड़ी सफाई से बैंगन के पानी से मेरे निचले भाग को धो दिया, इसी तरह उसने दो-तीन दिन और बैंगन के पानी से मेरे निचले भाग को धोया।
बात आई-गई खत्म हो गई, मम्मी भी इस बात को भूल चुकी थीं।
मैं अठारह की हुई मेरी सहेलियों को काली-भूरी झाँटें निकल आईं पर मेरी बुर पर बाल ही नहीं निकले।
एक दिन कपड़ा बदलते समय मम्मी की नज़र मेरे बुर पर गई और उन्होंने मुझे टोकते हुए कहा- बेटी..! अभी से बाल साफ करना ठीक नहीं है, बाल काले और सख्त हो जाएँगे।
मैंने कहा- मम्मी, मेरे बाल ही कहाँ हैं कि मैं उसे साफ करूँगी..!
और अचानक मम्मी को उस नाइन का ख्याल आया और उन्होंने मुझे पास बुलाया और मेरी बुर को हाथ लगा कर देखा और बड़ी खुश हुईं। सचमुच मेरे बदन पर बाल निकले ही नहीं।
अब जब भी मम्मी की कोई खास सहेली मेरे घर आती हैं तो मुझे अपनी बुर उसे दिखानी पड़ती है, लेकिन मम्मी सब को इस रहस्य को बताती नहीं।
एक दिन मम्मी की एक सहेली बोली- तू तो बड़ी किस्मत वाली है, तेरा आदमी तुझे दिन-रात प्यार करेगा, बस यही है इस बिना बाल वाली बुर की कहानी..!”
इस बीच जीजाजी बुर को सहला-सहला कर उसे पनिया चुके थे।
अब वे मेरी टाँगों के बीच आ गए और अपना शिश्न मेरी यौवन-गुफा में दाखिल कर दिया।
मैं चुदाई का मज़ा लेने लगी। नीचे से चूतड़ उचका-उचका कर चुदाई में भरपूर सहयोग करने लगी।
“हाय मेरे चोदू-सनम तुम्हारा लौड़ा बड़ा जानदार है तीन-चार बार चुद चुकी हूँ, पर लगता है पहली बार चुद रही हूँ…! मारो राजा धक्का… और जोर से.. पूरा पेल दो अपना लौड़ा …! आज इसे कुतिया की तरह बुर से निकलने नहीं दूँगी… लोग आयेंगे और देखेंगे कि जीजा का लौड़ा साली की बुर में फँसा है… जीजा … अच्छा बताओ… अगर ऐसा होता तो क्या आप मुझे चोद पाते…!” मैं थोड़ा बहकने लगी।
जीजू मस्त हो रहे थे बोले- चुदाई करते समय आगे की बात कौन सोचता है.. फंस जाता तो फंस जाता। जो होना है होगा पर इस समय चुदाई में ध्यान लगाओ मेरी रानी…! आज चुदाई ना होने से मन बड़ा बेचैन था, उससे ज़्यादा तुम्हारा राज जानना चाहता था …! अब चोदने का मज़ा लेने दो.. ले लो अपनी बुर में लौड़े को और लो.. आज की चुदाई में मज़ा आ गया… हाँ रानी अपनी चूत को इस लौड़े के लिए हमेशा खोले रखना…लो मजा आाआआ आआआ लो..! रानीईईईईईई..!”
जीजा जी ऊपर से बोल रहे थे और मैं नीचे से उनका पूरा लौड़ा लेने के लिए ज़ोर लगाते हुए बड़बड़ा रही थी, “ऊऊओ मेरे चुदक्कड़ राजा चोद दो… अपनी बिना झाँटों वाली इस बुर्र्र्र्र्र को और चोदोऊऊऊ फाड़ दोओ.. इस साली बुर को… बड़ी चुदासी हो रही थी… सुबह से…जीजाजी साथ-साथ गिरना … हाँ अब… मैं आने वाली हूँ … कस-कस… कर दो-चार धक्के और मारो चुसा दो अपनी मुनिया को मदन-रस… मिलने दो सुधा-रस को मदन-रस से… ओह जीजू आप पक्के चुदक्कड़ हो… ना जाने कितनी बुरों को अपने मदन-रस से सींचा होगा…आज तो रात भर चुदाई का प्रोग्राम है… तीन बुरों से लोहा लेना है… लेकिन मेरी बुर का तो यहीं बाजा बजा दिया… मारो राजा और ज़ोर से… थक गए हो तो बताओ.. मैं ऊपर आ कर चोद दूँ…… इस भोसड़ी को… ओह अब मैं नहींईईई रुक्क सकती ओह अहह लो मैं गइईई ओह राजा तुम भी आजाऊऊऊ..!”
मैं नीचे से झड़ने के लिए बेकरार हो रही थी और जीजा जी ऊपर से दनादन धक्के पर धक्के मार रहे थे।
पूरे कमरे में चुदाई धुन बज रही थी। मम्मी भी नीचे नहीं थी इसलिए और निश्चिन्तता थी। खूब गंदे-गंदे शब्दों का आदान-प्रदान हो रहा था। आज का मज़ा ही और था… बस चुदाई ही चुदाई… केवल लौड़े और बुर की घिसाई ही घिसाई हो रही थी।
जीजाजी अब झड़ने के करीब आ रहे थे और ऊपर से कस-कस कर धक्के लगा कर बोलने लगे, “ओह मेरी बिना झाँटों वाली बुर की शहज़ादी तेरी बुर तो आफताब है…चोद-चोद कर इसे इतना मज़ा दूँगा कि मुझसे चुदे बिना रह ही नहीं पाओगी…चुदाई के लिए सब समय बेकरार रहोगी…ओह रानी…! एक बार फिर साथ-साथ झड़ेंगे… ओह अब तुम भी आआजाओ…!” कहते हुए जीजू मेरी बुर की गहराई में झड़ गए और मैं भी साथ-साथ खलास हो गई…!
जीजू मेरी छाती से चिपक गए, कुछ पल के लिए तो ऐसा लगा कि मुनिया ने उनके लौड़े को फँसा लिया है। थोड़ी देर इसी तरह चिपके रहे। फिर मैंने जीजा जी को उठाते हुए कहा- अब उठिए..! कामिनी के यहाँ नहीं चलना है क्या?
जीजू बोले- जब अपने पास साफ-सुथरा लैंडिंग प्लेटफॉर्म है, तो जंगल में एयरोप्लेन उतारने की क्या ज़रूरत है..!
उनकी बात सुनकर दिल बाग-बाग हो उठा और मैंने उन्हें चूमते हुए कहा- जीजाजी..! कामिनी के यहाँ तो चलना ही है, आपने जुबान दे दी है।
फिर हँसते हुए बोली- कहीं तीन की वजह से डर तो नहीं रहे हैं..! मैंने उनकी मर्दानगी को ललकारा।
“अब मेरी प्यारी साली कह रही है तो चलना ही पड़ेगा, कुछ नया अनुभव होगा..!”
जीजा जी उठे और हम दोनों ने बाथरूम में जा साफ-सफाई की और कपड़ा पहनने लगे। तभी नीचे मैं गेट खुलने की आवाज़ आई।
मैंने जीजाजी से कहा- अब आप दीदी के कमरे में चलिए, मम्मी आ गई हैं।
जीजाजी अपने कमरे में चले गए। मैं तैयार हो कर अपने कमरे से निकली तो देखा चमेली चाय लेकर ऊपर आ रही है।
हम दोनों साथ-साथ जीजा जी के कमरे में घुसे देखा जीजाजी तैयार होकर बैठे हैं, चमेली चहकी, “वाह..! जीजाजी तो तैयार बैठे हैं, कामिनी दीदी से मिलने की इतनी जल्दी है..?”
मैंने उससे कहा- चमेली तुझे बोलने की कुछ ज़्यादा ही आदत पड़ती जा रही है, चल चाय निकाल।”
चमेली ने दो कप में चाय निकाली और एक मुझे दी और एक जीजाजी को पकड़ा कर मुस्करा दी और बोली- जीजाजी लगता है दीदी ने ज़्यादा थका दिया है, सिगरेट निकालूं..!”
“हाँ रे पिला,.. लेकिन मेरे पैकेट में तो नहीं है..!”
“अरे दीदी ने मुझसे पैकेट मंगवाया था, यह लीजिए।”
और उसने अपने चोली से निकाल कर जीजाजी को सिगरेट पकड़ा दी।
जीजाजी चाय पीते हुए बोले- अरे एक सुलगा कर दे ना !
चमेली ने सिगरेट सुलगाई और एक कश लगा कर धुआँ जीजाजी के ऊपर उड़ाते हुए बोली- दीदी का मसाला लगा दूँ या सादा ही पिएगें..!”
हम लोग उसकी दो-अर्थी बातें सुनकर हँस पड़े।
मैंने उसे डांटते हुए कहा- चमेली तू हरदम हँसी-मज़ाक करने के मूड में क्यों रहती है..!”
“क्या करूँ दीदी दुनिया में इतने गम हैं कि उससे झुटकारा नहीं मिल सकता खुशी के इन्हीं लम्हों को याद करके इंसान अपना सारा जीवन बिता देता है।”
“अरे वाह मेरी छमिया फिलॉसफर भी है..!” जीजा जी बोले।
चमेली के चेहरे पर ना जाने कहाँ से गमों के बादल मंडराए, पर जल्दी ही उड़न-छू भी हो गए।
“जीजाजी ये छमिया कौन है..!”
फिर हम सब हँस पड़े।
मैंने चमेली से कहा- चलो नीचे गैरेज का ताला खोलो, कार कई दिनों से निकली नहीं है साफ कर देना और मम्मी जो दे उसे रख देना, मेरा एक बैग मेरे कमरे से ले लेना, पर उसे मम्मी ना देख पाएं।”
जीजाजी बोले- अरे उसमें ऐसी क्या चीज़ है..!”
मैं बोली जीजाजी आपके लिए भाभी के कमरे से चुराई है, वहीं चलकर दिखाऊँगी..!”
हम लोग मम्मी से कह कर घर से कार पर निकले।
एक जगह गाड़ी रोक कर जीजाजी अकेले ही कुछ खरीद कर एक झोले में ले आए और मुझसे कहा- सुधा अब तुम स्टेयरिंग सम्भालो।
मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा- जीजाजी को आज तीन गाड़ी चलानी हैं इसी लिए इस गाड़ी को नहीं चलाना चाहते।
और मैं ड्राइवर सीट पर बैठ गई, मेरे बगल में जीजू और चमेली को जीजाजी ने आगे ही बुला कर अपने बगल में बैठा लिया हम लोग कामिनी के घर के लिए चल पड़े, जो थोड़ी ही दूर था।
रास्ते में जीजाजी कभी मेरी चूची दबाते तो कभी चमेली की। मैं ड्राइव कर रही थी इस लिए उन्हें रोक भी नहीं पा रही थी।
मैंने कहा- जीजाजी क्यों बेताब हो रहे हैं? वहाँ चल कर यही सब तो करना है, मुझे गाड़ी चलाने दीजिए, नहीं तो कुछ हो जाएगा..!
जीजाजी अब चमेली की तरफ़ हो गए और उसकी चूची से खेलने लगे और चमेली जीजाजी की जिप खोलकर लण्ड सहलाने लगी।
फिर झुककर लण्ड मुँह में ले लिया यह देख कर मैं चमेली को डांटते हुए बोली- अरे बुर-चोदी छिनाल, यह सब क्या कर रही है..! कामिनी का घर आने वाला है।
चमेली जो अब तक जीजाजी के नशे में खो गई थी, जागी और ये देख कर कि कामिनी का घर आने वाला है। जीजाजी के खड़े लण्ड को किसी तरह ठेल कर पैन्ट के अन्दर किया और जिप लगा दी। जीजाजी ने भी उसकी बुर पर से अपना हाथ हटा लिया।
जब हम लोग कामिनी के घर पहुँचे तो चमेली ने उतर कर मेन-गेट खोला मैंने पोर्टिको में गाड़ी पार्क की, तब तक कामिनी और उसकी माँ दरवाजा खोल कर बाहर आ गईं।
जीजाजी कामिनी की माँ के पैर छूने के लिए झुके, कामिनी की माँ बोली- नहीं बेटा..! हम लोग दामाद से पैर नहीं छुवाते, आओ अन्दर आओ..!
हम लोग अन्दर ड्राइंगरूम में आ गए, कामिनी की माँ रेखा और घर वालों का हाल-चाल लेने के बाद आज के लिए अपनी मजबूरी बताते हुए कहा- बबुआ जी आज यहीं रुक जाना, कामिनी काफ़ी समझदार है, वो आपका ध्यान रखेगी, कल दोपहर दो बजे तक मैं आ जाऊँगी। फिर कल तो रविवार है, ऑफिस तो जाना नहीं है, मैं आ जाऊँगी, तभी आप जाईएगा..! मुझे ये सब अच्छा तो नहीं लग रहा है, पर मजबूरी है जाना तो पड़ेगा ही।”
जीजाजी बोले- मम्मी जी किसके साथ जाएँगी, कहिए तो मैं आपको मामाजी के यहाँ छोड़ दूँ..!
कामिनी की माँ बोलीं- नहीं बेटा, चंदर (मामा जी) लेने आते ही होंगे।
तभी मामा जी की कार का हॉर्न बाहर बजा, कामिनी बोली- लो मामा जी आ भी गए।
वह बाहर गई और आकर अपनी माँ से बोली- मामा जी बहुत जल्दी में है, अन्दर नहीं आ रहे हैं, कहते हैं मम्मी को लेकर जल्दी आ जाओ।
उसकी माँ बोलीं- बेटा तुम लोग बैठो मैं चलती हूँ कल मिलूँगी।
कामिनी मम्मी को मामा की गाड़ी पर बिठा कर और मैं गेट पर ताला और घर का मुख्य-दरवाजा बंद करके जब अन्दर आई तो मुझसे लिपट गई और बोली- हुर्रे..! आज की रात सुधा के नाम..!
फिर जीजाजी का हाथ पकड़ कर बोली- आपका ‘दरबार’ ऊपर हॉल में लगेगा और आपका आरामगाह भी ऊपर ही है जहांपनाह..! ऊपर हॉल में पूरी व्यवस्था है डिनर भी वहीं करेंगे, मम्मी कल दोपहर लंच के बाद आएँगी, इसलिए जल्दी उठने का झंझट नहीं है, हॉल में टीवी, सीडी प्लेयर लगा है और टॅन्स (प्लेयिंग-कार्ड) खेलने के लिए कालीन पर गद्दा बिछा है।”
जीजाजी बोले- टॅन्स…!
“मम्मी ने तो टॅन्स के लिए ही बिछवाया था, लेकिन आप जो ही खेलना चाहें खेलिएगा, वैसे आपका बेड भी बहुत बड़ा है…!” कामिनी मुझे आँख मारती हुई बोली।
चमेली से ना रहा गया बोली- जीजाजी को तो बस एक खेल ही पसंद है… ‘खाट-कबड्डी’..!
चमेली आगे कुछ कहती मैंने उसे रोका- चुप शैतान की बच्ची ! बस आगे और नहीं..!
जीजाजी बोले- अब ऊपर चला जाए..!
कामिनी सब को रोकती हुई बोली- नहीं अभी नहीं, नाश्ता करने के बाद, लेकिन दरबार में चलने का एक कायदा है शहज़ादे..!
“वो क्या? हुश्न की मल्लिका..!” जीजाजी उसी के सुर में बोले।
कामिनी बोली- दरबार में ज़्यादा से ज़्यादा एक कपड़ा पहना जा सकता है..!
“और कम से कम..! चलो हम सब कम से कम कपड़े ही पहन लेते हैं।” जीजाजी चुहल करते हुए बोले- चलो पहले कपड़े ही बदल लेते हैं।
सब लोग ड्रेसिंग रूम में आ गए।
कामिनी बोली- सब लोग अपने-अपने ड्रेस उतार कर ठीक से हैंगर करेंगे, फिर मैं शाही कपड़े पहनूँगी..!”
चमेली बोली- मुझे भी उतारने है क्या?
“क्यों ?.. क्या तू दरबार के कायदे से अलग है क्या?”
और हम दोनों ने सबसे पहले उसी के कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया, फिर उसने हम दोनों के कपड़े एक-एक कर उतरे और हैंगर कर दिए और जीजाजी की तरफ देख कर कहा- अब हम लोग कम से कम कपड़े में हैं।
जीजाजी की नज़र कामिनी पर थी।
कामिनी मुस्करा कर जीजाजी के पास आई और बोली- शहजादे अब आप भी मादरजात कपड़े में आ जाइए न..!
और उसने उनके कपड़े उतारने शुरू किए।
चमेली मेरे पास ही खड़ी थी, मुझसे धीरे से बोली- सुधा दीदी, कामिनी दीदी कैसी हैं आते ही मुँह से गाली निकालने लगीं मादरचोद कपड़े…!
मैंने उसे समझाया- अरे पगली..! मादरचोद नहीं मादरजात कपड़ा कहा, जिसका मतलब है कि जब माँ के पेट से निकले थे उस समय जो कपड़े पहने थे। उस कपड़े में आ जाइए !
“पेट का बच्चा और कपड़ा?”
“अरे बात वही है बच्चा नंगा पैदा होता है और उसी तरह आप भी नंगे हो जाओ, जैसे की तू खड़ी है मादरजात नंगी..!”
“ओह दीदी, पढ़े-लिखों की बातें…!” चमेली की बात पर सब लोग खूब हँसे।
चमेली अपनी बात पर सकुचा गई।
कामिनी ने जीजाजी को नंगा करके उनके कपड़े हैंगर करने के लिए चमेली को दे दिए और खुद घुटनों के बल बैठ कर जीजाजी के लण्ड को चूम लिया।
मैंने पूछा- अरी यह क्या कर रही है क्या यहीं…!
“अरे नहीं, यह नंगे दरबार के अभिवादन करने का तरीका है; चलो तुम दोनों भी अभिवादन करो..!”
चमेली फिर बोली- कामिनी बड़ा मस्त खेल खेल रही है..!
मैंने उसे फिर टोका- गुस्ताख..! तू फिर बोली, अब चल जीजू का लण्ड चूम..!
“दीदी आप चूमने को कहती हैं, कहिए तो मुँह में लेकर झड़ा दूँ?”
हम सब फिर हँस पड़े।
चमेली और मैंने दरबार के नियम के अनुसार कामिनी की तरह लण्ड को चूम कर अभिवादन किया, फिर जीजाजी ने कामिनी की चूचियों को चूमा।
मैंने कहा- फाउल..! शरीर के बीच के भाग को चूम कर अभिवादन करना है।
जीजाजी घुटनों के बल बैठ कर कामिनी की बुर को चूमा और उसकी टीट को जीभ से सहला दिया।
उसकी बुर पाव-रोटी की तरह उभारदार थी और उसने अपनी बुर को बड़ी सफाई से शेव किया था। बुर के ऊपरी भाग में बाल की एक हल्की खड़ी लाइन छोड़ दिया था, जिससे उसकी बुर बहुत ही आकर्षक और मादक लग रही थी।
फिर मेरी बारी आई, जीजाजी घुटनों के बल बैठ कर बड़े सलीके से बुर को चूम कर अभिवादन किया, पर नज़रें बुर पर जमी थीं।
अब चमेली की बारी थी। जीजाजी ने उसके हल्के रोएँ वाली बुर को ऊँगलियों से थोड़ा फैलाया, फिर टीट को होंठों से पकड़ कर थोड़ा चूसा और उसके चूतड़ को सहला कर बोले- झाड़ दूँ..!
चमेली शरमा गई और सब लोग ज़ोर से हँस पड़े।
इसके बाद कामिनी ने एक-एक पारदर्शक गाउन (नाईटी) हम लोगों को पहना दिया, जो आगे की तरफ से खुला था। इस कपड़े से नग्नता और उभर आई।
कामिनी बोली- अब हम सब नाश्ता करने के बाद ऊपर के लिए प्रस्थान करेंगे।
जीजाजी बादशाह की अंदाज में बोले- नाश्ता, दरबार लगाने के बाद ऊपर किया जाएगा।
“जो हुक्म बादशाह सलामत, कनीज ऊपर ले चलने के लिए हाजिर है।”
हम तीनों सीधी पर खड़ी हो गईं और जीजाजी वाजिदअली शाह की तरह चूचियाँ पकड़-पकड़ कर सीढ़ियाँ चढ़ने लगे।
ऊपर पहुँच कर जीजाजी का लण्ड तन कर हुश्न को सलामी देने लगा।
जीजाजी बोले- आज इस हुस्न के दरबार में शैम्पेन खोला जाए।
कामिनी बोली- शैम्पेन हाजिर किया जाए..!
चमेली को पता था कि जीजाजी के बैग में दारू की बोतलें हैं, वो नीचे गई और उनका पूरा बैग ही उठा लाई।
जीजाजी उसमें से शैम्पेन की बोतल निकली और हिला कर खोली तो हम तीनों शैम्पेन की बौछार से भीग गए। जीजाजी ने चार प्याली में शैम्पेन डाली और हम लोगों ने अपनी-अपनी प्याली उठा कर चियर्स कर शैम्पेन की चुस्की ली और फिर उसे टेबल पर रख दी। शैम्पेन से भीग गए एक मात्र कपड़े को भी उतार दिया, अब हम लोग पूरी तरह नंगे हो गए।
चमेली बोली- लो जीजाजी, हम लोग मादरचोद नंगे हो गए..!
अब की बार उसने यह बात हँसने के लिए ही कही थी और हम सब ठहाका मार कर हँसने लगे।
मैंने हँसी पर ब्रेक लगाते हुए कहा- अरे… गुस्ताख लड़की..! तू दरबार में गाली बकती है, जहांपनाह..! इसे सज़ा दी जाए।
जीजाजी सज़ा सुनते हुए बोले- आज इसकी चुदाई नहीं होगी; यह केवल चुदाई देखेगी।”
“जहाँपनाह..! मौत की सज़ा दे दीजिए पर इस सज़ा को ना दीजिए; मैं तो जीते ज़ी मर जाऊँगी..!” चमेली ने अपनी भूमिका में जान डालते हुए बड़े नाटकीय ढंग से इस बात को कहा।
कामिनी ने दरबार से फरियाद की, “रहम… रहम हो सरकार … कनीज अब यह ग़लती नहीं करेगी”
“ठीक है, इसकी सज़ा माफ़ की जाती है पर अब यह ग़लती बार-बार कर हमारा मनोरंजन करती रहेगी, मैं इसकी अदाओं से खुश हुआ..!”
इसके बाद जीजाजी थोड़ी शैम्पेन कामिनी के मम्मे पर छलका कर उसे चाटने लगे।
मैंने अपने शैम्पेन की प्याली में जीजाजी के लौड़े को पकड़ कर डुबो दिया, फिर उसे अपने मुँह में ले लिया। कामिनी की चूचियों को चाटने के बाद चमेली की चूचियों को जीजाजी ने उसी तरह चूसा।
फिर मुझे टेबल पर लिटा कर मेरी बुर पर बोतल से शैम्पेन डाल कर मेरी चूत को चाटने लगे।
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kunal
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Re: आधी रात के बाद

Post by kunal »

कामिनी मेरी चूचियों को गीला कर चाट रही थी और चमेली के मुँह में उसका मनपसंद लौड़ा था। हम सब इन क्रिया-कलापों से काफ़ी गरम हो गए।
अपनी-अपनी तरह से शैम्पेन पीकर हम चारों ने मिलकर उसे खत्म कर दिया, जिसका हल्का सुरूर आने लगा था।
जीजाजी बोले- चलो अब एक बाजी हो जाए…!
कामिनी जीजाजी के लण्ड को बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखते हुए बोली- शाहबेआलम, पहले किस कनीज की लेंगे..!
मैंने जीजाजी की दुविधा को समाप्त करते हुए कहा- पहले तो होस्ट का ही नंबर होता है, वैसे हम लोग तुझे हारने नहीं देंगे।
चमेली फिर बोली- हाँ..! दीदी जीजाजी हैं तो बहुत दमदार जल्दी झड़ने का नाम नहीं लेते, पर तू चिंता मत करो, सुधा दीदी ने इन्हें जल्दी खलास करने का उपाय मुझे बता दिया है, अपनी चूची से इनकी गाण्ड मार दो …बस शाहबेआलाम.. खलास..!
जीजाजी का मन कामिनी पर तो था ही उन्होंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और हॉल में बिछे गद्दे पर ले आकर लिटा दिया।
फिर उस पर झुक कर उसके चूचुकों को मुँह में लिया। कुछ देर उसके दोनों चूचुकों को चूसने के बाद उसकी टाँगों को फैला कर बुर पर मुँह लगा कर, टीट चाटने लगे। कामिनी तो पहले से ही चुदवाने के लिए बेचैन थी।
उसने जीजाजी को अपने ऊपर खींच लिया और लण्ड पकड़ कर बोली- अब नहीं सहा जा रहा है… अब इसे अन्दर कर दो… मेरी बुर इसे चूसना चाहती है।
उसने लण्ड को अपनी बुर के मुँह पर लगा दिया। जीजाजी ने एक जोरदार शॉट लगाया कामिनी चीख उठी, “ओह मार डाला … बड़ा तगड़ा है… ओह … ज़रा धीरे…!”
इधर मैंने और चमेली ने कामिनी की एक-एक चूचुक अपने मुँह में ले लिया। जीजाजी धक्के की रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ा रहे थे और कामिनी ‘उहह हाईईईईईईई ओह’ करती हुई नीचे से चूतड़ उठा-उठा कर अपनी बुर में लण्ड ले रही थी।
चमेली पीछे से जाकर कामिनी की बुर में अन्दर-बाहर होते हुए लण्ड को देखने लगी। फिर देखते-देखते जीजाजी के अंडकोष को हल्के-हल्के सहलाने लगी, जो कामिनी के चूतड़ पर ठाप दे रहे थे।
मैं चुदाई कर रहे जीजाजी के सामने खड़ी हो गई और उन्होंने मेरी बुर को अपने मुँह में ले लिया।
कामिनी नीचे से अब मज़े लेकर चुदवा रही थी और बड़बड़ा रही थी- हाय मेरे कामदेव… हय..! मेरे चोदू सनम… तुम्हारा लौड़ा बड़ा जानदार है…! लगता है पहली बार चुदवा रही हूँ… मारो राजा धक्का … और ज़ोर से…… हाईईईई! और ज़ोर से… और जूऊओर सीईए… आज तो रात भर चुदाई का प्रोग्राम है… तीन- तीन बुर से लोहा लेना है… तुमने तो चोद-चोद कर जान निकाल दी… हाई इस जालिम लौड़े से फाड़ दो मेरी बुर्र्र्र्र्र… बहुत अच्छा लग रहा हाईईईईई… हाईई और ज़ोर सीईई मेरे रज्जा और ज़ोर सीईए…… अरी सुधा अपनी बुर मुझे भी चुसा…बड़ा मज़ा आ रहा है…!
मैं घुटनों के बल बैठ कर अपनी बुर को कामिनी के मुँह में लगा दिया।
अब जीजाजी मेरी चूचियों पर मुँह मारते हुए धक्के पर धक्के लगाने लगे और कामिनी नीचे से अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी और पूरे कमरे में चुदाई की आवाज़ गूँज रही थी।
थोड़ी देर बाद जीजाजी ने कामिनी को ऊपर कर लिया और अब कामिनी ऊपर से धक्का मार-मार कर चुदाई करते हुए बड़बड़ा रही थी- हाय राजा..! क्या लण्ड है… ओह हाईई … चोदो राजा… बहुत अच्छा लग रहा है… ओह हह हाऐईयइ मेरा निकलने वाला है… ओह मैं गईईई..!
वो झड़ चुकी थी और उसने जीजाजी के होंठों को चूम लिया। जीजाजी अभी झड़े नहीं थे, उन्होंने अपना लौड़ा कामिनी के बुर से निकाल कर मेरी बुर में पेल दिया।
मैं भी अब तक काफ़ी गर्म हो चुकी थी, नीचे से गाण्ड उछाल-उछाल कर जीजाजी के बेताब लण्ड को अपने बुर में लेने लगी।
चमेली मेरी चूचियों के चूचुकों को एक-एक कर चुभलाने लगी।
मैं पहले ही बहुत गरम हो चुकी थी सो कुछ ही धक्कों में मैं भी झड़ने के करीब थी।
“ओह मेरे चोदू सनम… क्या जानदार लौड़ा है…मेरी बुर को चोद-चोद कर निहाल कर दो… मारो राजा मारो…कस-कस कर धक्के……चोद दो…चोद दोऊऊओ ईईई हाईईई मैं गईईई..!” और मैं भड़भड़ा कर झड़ गई।
अब चमेली की बारी थी। चमेली जीजाजी के ऊपर आ गई और बोली- बड़े चुदक्कड़ बनते हो, अब मैं तुम्हें झड़ाऊँगी..!”
उसने जीजाजी के लौड़े को बुर में लगाया और एक ही झटके में पूरा निगल लिया। फिर उसने अपनी चूची जीजाजी के मुँह में लगा कर चुदाई करने लगी।
कामिनी ने अपनी चूची चमेली के मुँह में लगा दी। मैं काफ़ी थक गई थी। जीजाजी ने चार बार चोद कर बेहाल कर दिया था।
मैं लेट कर इन तीनों को देखने लगी।
चमेली ऊपर से कस-कस कर धक्के लगा रही थी और बड़बड़ा रही थी, “हाय.. ! मेरी बुर के चोदन हार… चोद-चोद कर इस साले लण्ड को डाउन करना है … हाईईईईईईई रजाआ ले लो अपनी बुर को… हाय रज्जाअ अब आ जाओ नाआअ साथ-साथ…हाँ राजा हाँ हम दोनों साथ झड़ेंगी..ईई ओह माआअ मैं अपने को रोक नहीं पा रही हूँ … जल्दी करो … ओह मैं गईईईई..!”
और चमेली भी झड़ कर जीजाजी के सीने पर निढाल हो गई।
जीजाजी ने अपने ऊपर से चमेली को हटाया और कामिनी को पकड़ कर बोले- आओ रानी अब तुझे अमृत-पान कराऊँगा..!”
उन्होंने कामिनी को लिटा कर उसके पैरों को फैलाया और उसके चूतड़ के नीचे तकिया लगा कर बुर को ऊँचा किया।
फिर उसे चूम लिया और बोले- हाय रानी क्या उभरी हुई बुर है; इसे चोदने के पहले इसे चूसने का मन कर रहा है..!”
कामिनी बोली- ओह..! मेरी बुर के यार… जैसे चाहे सो करो ये तीनों बुर आज तुम्हारी हैं..!”
जीजाजी कामिनी की बुर की टीट चूसने लगे कामिनी मुझसे बोली- सुधा आ तू, मुझे अपनी बड़ी-बड़ी चूची पिला दे..!”
मैं बोली- ना बाबा..! मेरे में अब और ताक़त नहीं है, चार बार झड़ चुकी हूँ.. तू अब आपस में ही सलट ले..!”
इस पर चमेली उसके पास आ गई और अपनी चूची को उसके मुँह में लगा दिया। कुछ देर बुर चूसने के बाद जीजाजी उठे और कामिनी के बुर में अपना लौड़ा घुसा दिया और दनादन धक्के मारने लगे।
कामिनी नीचे से सहयोग करने के साथ गंदे-गंदे शब्दों को बोल कर जीजाजी को उत्साहित कर रही थी, “जीजाजी आप पक्के चुदक्कड़ हैं.. तीन-तीन बुर को पछाड़ कर मैदान में डटे हैं… चोद दो रज्जाआ चोदो… मेरी बुर भी कम नहीं है… कस-कस कर धक्के मारोओ मेरे चुदक्कड़ रज्जाआअ… मेरी बुर को फाड़ दो…अपने मदन-रस से सींच दो मेरी बुर को… ओह राजा बड़ा अच्छा लग रहा है… चोददो… चोददो… चोदो… और चोदो… राजा साथ-साथ गिरना… ओह हाईईइ आ भी जाओ मेरे चुदक्कड़ बलम..!”
जीजा जी हाँफ्ते हुए बोले- ओह… मेरी बुर की मलिका… थोड़ा और रुको.. बस आने वाला हूँ.. ओह मैं अब गयाअ …!
कामिनी भी बिल्कुल साथ-साथ झड़ी, उसकी बुर वीर्य की सिंचाई से मस्त हो गई।
कामिनी बोली- जीजाजी आज पूरी तरह चुदाई का मज़ा मिला..!
जीजाजी काफ़ी थक गए थे और कामिनी की चूचियों के बीच सर रख कर लेट गए। थोड़ी देर बाद कामिनी के ऊपर से उठे और मेरे बगल में लेट गए। उनका लौड़ा सुस्त पड़ा था।
मैंने उसे हिला कर कहा- आज इस बेचारे को बड़ी मेहनत करनी पड़ी, ओ..! कामिनी जीजाजी को तरोताजा करने के लिए कुछ टॉनिक चाहिए..!
कामिनी अपनी बुर साफ कर चुकी थी और जीजाजी के लण्ड को साफ करते हुए बोली- ताक़त और मस्ती के लिए सारा इंतज़ाम है आ जाओ टेबल पर, हम चारों नंगे टेबल पर आ गए, जहाँ विहस्की की बोतल और गिलास रखे थे।
कामिनी जीजू को विहस्की की बॉटल देती हुई बोली- जीजाजी..! आप सुधा की सील तो तोड़ चुके हैं, अब इसकी सील भी तोड़िए.!
जीजाजी ने बोतल ले ली और ढक्कन घुमा कर उसकी सील तोड़ दी और कामिनी को दे दी।
चमेली बोली- जीजाजी..! अब तक आप कितनी सील तोड़ चुके हैं..!
सब हँस पड़े कामिनी ने काँच के सुंदर गिलास में चार पैग तैयार किए फिर सब ने गिलास को उठा कर “चियर्स” कहा।
कामिनी बोली- आज का जाम जवानी के नाम..!
मैंने अपना गिलास जीजू के लण्ड से छुआ कर कहा- आज का जाम इस ‘चोदू’ के नाम..!”
चमेली जीजाजी के लण्ड को गिलास के विहस्की में डुबो कर बोली- दीदी की सील तोड़ने वाले के नाम..!”
जीजाजी ने हम तीनों की चूचियों से जाम छुआते हुए कहा- आज का जाम मदमस्त हसीनाओं के नाम..!”
फिर हम चारों ने अपने गिलास टकराए और शराब का एक घूँट लिया। थोड़ी छेड़-छाड़ करते हुए हम चारों ने अपने-अपने गिलास खाली किए। शराब का हल्का शुरूर आ चुका था।
जीजाजी बोले- सुधा..! कामिनी को ब्लू-फिल्म की सीडी दे दो वो लगा देगी..
जीजाजी जो सीडी आते समय ले आए थे उसे मैंने कामिनी को दे दिया।
कामिनी अपने चूतड़ हिलाती हुई टीवी तक गई और और सीडी लगा कर सीडी प्लेयर को ऑन कर दिया और पास पड़े सिगरेट के पैकेट ले वापस आ कर नंगे जीजाजी के गोद में दोनों तरफ पैर कर बैठ गई और थोड़ा एडजेस्ट कर लण्ड को अपनी बुर के अन्दर कर लिया।
इधर मैंने दूसरा पैग बना दिया।
कामिनी ने मुझसे एक सिगरेट सुलगाने के लिए कहा।
मैंने सिगरेट सुलगा कर एक कश लिया और कामिनी की चूचियों पर धुंआ उड़ा दिया, फिर कामिनी के मुँह में लगा दिया।
इधर चमेली ने भी एक सिगरेट जलाई और एक कश ले कर मेरी बुर में खोंस दी। जीजाजी ने उसे हाथ बढ़ा कर निकाल ली और धुंए के छल्ले बनाने लगे।
कामिनी ने मुझे अपनी सिगरेट पकड़ा कर गिलास उठा लिया और एक गिलास में ही जीजा-साली पीने लगे।
टीवी पर ब्लू-फिल्म के शुरूआती दृश्य में तीन लड़कियाँ और दो मर्द ड्रिंक के साथ चूमा-चाटी के बाद सभी नंगे हो चुके थे और एक लड़की को एक युवा ने टेबल पर खड़ा कर उसकी झांट रहित बुर को खड़े-खड़े चाटने लगा।
दूसरी लड़की ने उसके लण्ड को मुँह में ले लिया और उसे कभी चूसती, कभी चाटती और कभी हाथ में लेकर सहलाती तीसरी लड़की जो सिगरेट पी रही थी, नंगी टेबल पर टिक कर अधलेटी थी, ने अपने सिगरेट को बुर में खोंस दिया, जिसे दूसरे लड़के ने निकाल कर पी और फिर उसे लड़की को पकड़ा कर उसकी चूत चूसने लगा।
फिर दोनों टेबल पर लेट कर 69 करने लगे अर्थात एक-दूसरे की चूत और लण्ड चूसने और चाटने लगे।
इधर हम चारों भी गरमा-गरम दृश्य देख कर मस्त हो रहे थे।
जीजाजी अपने गिलास से थोड़ी सी शराब कामिनी की चूची पर गिरा कर उसे चाटने लगे।
थोड़ी देर विहस्की के साथ चूची पीने के बाद चूची से छलके जाम को पीने के लिए कामिनी को गोद से उतार कर टेबल पर बैठा दिया और बुर तक बह आई मदिरा के धार को चाटते-चाटते बुर की टीट को मुँह में ले लिया।
अब कामिनी धार बना कर शराब अपने ऊपर गिराने लगी, जिसे जीजाजी बुर के रस के साथ मिक्स कर पीने लगे।
देखा-देखी चमेली ने मुझे कामिनी के बगल में टेबल पर बैठा कर कामिनी की तरह शराब गिराने के लिए कहा।
मैंने जैसे ही थोड़ी सी मदिरा अपने बुर पर छलकाई; जीजाजी कामिनी की बुर छोड़ कर मेरी बुर की तरफ झपट पड़े और मेरी बुर के छेद से अपनी जीभ सटा दी और बुर के इस रस से शराब को मिला कर कॉकटेल का मज़ा लेने लगे।
चमेली अब कामिनी की बुर में मुँह लगा कर शराब पीने लगी।
मैं जीजाजी के बुर चाटने और दो पैग पीने के बाद बहक कर बोली- ओ मेरे चुदक्कड़ राजा ज़रा ठीक से अपनी साली के मिक्स सोड़ा को पियो … ओह राजा ज़रा जीभ को और गहराई तक पेलो… ओह अहह हाईईईई राजा ज़रा स्क्रीन पर देखो… साला बहनचोद चूत में लण्ड पेल रहा है … और तुम भोसड़ी के…बिना झांट की बुर को चाट-चाट कर मेरी मुतनी को झड़ने पर मजबूर कर रहे हो… ओह मेरे चोदू … अब लौड़े का मज़ा दो ना…!”
मैं मेज पर पैर फैला कर लेट गई और जीजाजी खड़े-खड़े मेरी बुर में लण्ड डाल कर चुदाई करने लगे, वे जबरदस्त शॉट लगा रहे थे।
मैं चिल्लाई, “हाँ राजा हाँ फाड़ दो इस साली बुर को… राजा तुम्हारा लौड़ा बड़ा दमदार है… क्या चुदाई करता है… राजा आज रात भर चुदाना है… ओह मेरे चुदक्कड़ सनम शादी तो मेरी बहन से की है, लेकिन अब मैं भी तुम्हारे लौड़े की दासी बन कर रहूंगी… जब भी मौका मिलेगा ये साली चूत तुम्हारे लौड़े से चुदवाती रहेगी… मारो राजा कस-कस कर धक्का … फाड़ दो बुर को … मसल दो इन चूचियों को… ओह माई डियर फक मी हार्ड …फक मी…!”
जीजाजी सटासट लौड़ा मेरी बुर में पेल रहे थे, तभी उनकी निगाह कामिनी की बुर पर गई। जो उसी मेज पर अधलेटी चमेली को अपनी बुर चटवा-चटवा कर शराब पिला रही थी। जीजाजी अचानक मेरी बुर से लौड़ा निकाल कर बगल में मेज के सहारे अधलेटी कामिनी के बुर में ठूँस दिया और चमेली को भी बगल में लिटा लिया।
अचानक मेरी बुर से लण्ड निकाले जाने से मुझे बहुत बुरा लगा, लेकिन स्क्रीन पर चल रहे दृश्य को देख कर जीजाजी के मंशा का पता चला, जिसमें तीनों लड़कियाँ मेज पर झुकी थीं और पहला आदमी बारी-बारी से उन तीनों को चोद रहा था और दूसरा आदमी मेज पर लेट कर अपना लौड़ा चुसवा रहा था।
सारा गिला-शिकवा समाप्त हो गया और मैं भी कामिनी के बगल में लेट अपनी बारी का इंतजार करने लगी। कामिनी की दूसरी तरफ चमेली थी, कामिनी के बुर में दस बारह-बारह धक्का लगाने के बाद चमेली की बुर में लौड़ा पेल कर कई बार धक्के लगाए, फिर मेरी बारी आई।
मैं अब तक बहुत गरम हो गई थी।
मैं जीजू से बोली- जीजाजी अब मैं रुक नहीं सकती… पहले मेरा गिरा दो फिर इन दोनों के साथ मुँह काला करते रहना… राजा निकलना नहीं… मैं बहुत जल्दी आ रही हूँ… प्लीज़ जीजू ज़रा और …ओह माँ मैं गइईईईईईईईई.. आह राजा बहुत सुख मिलाआाअ..!
और मैं भलभला कर झड़ गई।
जीजाजी अभी नहीं झड़े थे। मेरी बुर से अपने खड़े लण्ड को निकाल कर उन्होंने कामिनी की बुर में डाल दिया और फिर कामिनी और चमेली को बराबर चोदना शुरू किया।
मैं थक गई थी। मैंने अपने लिए एक पैग बनाया और एक सिगरेट सुलगा कर ब्लू-फिल्म देखने सोफा पर बैठ गई।
स्क्रीन पर घमासान चुदाई का दृश्य चल रहा था।
मुझे पेशाब लग रही थी, पर मैं सिगरेट और विहस्की खत्म कर बाथरूम जाना चाह रही थी।
इसी समय स्क्रीन पर दूसरा दृश्य उभरा अब पहला युवक लेटा था और एक लड़की उसके ऊपर चढ़ कर उसके लण्ड को अपनी बुर में ले लिया, उसकी गाण्ड की छेद दिखाई पड़ रहा था, दूसरा युवक पास आया और अपने खड़े लण्ड पर थूक लगा कर उसकी गाण्ड में पेल दिया।
तीसरे आदमी ने अपना लण्ड उसके मुँह में लगा दिया और दूसरी लड़की उसकी चूचियाँ एक-एक करके चूस रही थी।
मैंने एक-दो ब्लू-फिल्म देखी थीं, पर दुहरे-चुदाई वाले इस दृश्य को देख कर मैं नशे से सराबोर हो गई, वहाँ से हटने का मन नहीं हो रहा था, पर पेशाब ज़ोर मार रही थी।
मैंने पास ही रखे गिलास को बर के नीचे लगा कर उसमें पेशाब कर लिया और उसे उठा कर सोफा के बगल स्टूल पर रख दिया, यह सोच कर कि जब फिल्म खत्म होगी तो उठ कर बाथरूम में फेंक आऊँगी।
जब गिलास को रखा तो पेसाब की बू आई, तब उस बू को दबाने के लिए मैंने उस गिलास में बॉटल से विहस्की डाल दी और फिल्म देखने के साथ विहस्की और सिगरेट पीती रही।
इस दुहरे-चुदाई को देखने के लिए मैंने सब से कहा।
तो कामिनी और चमेली जो आगे से चुदवा रही थीं घूम कर टेबल पर झुक कर खड़ी होकर पिक्चर देखने लगीं और जीजाजी उन दोनों को बारी-बारी से डॉगी स्टाइल में चोदने लगे। कामिनी के बाद जब वे चमेली के पीछे आ कर जब उसकी बुर चोद रहे थे, तब एक बार उनका लण्ड चमेली की बुर से बाहर निकल आया और उसकी गाण्ड के छेद पर टिक गया।
जीजाजी ने चुदाई की धुन में धक्का मारा तो बुर के रस से सने होने के कारण चमेली की गाण्ड में घुस गया।
चमेली दर्द से कराह उठी, “जीजाजी पिक्चर देख कर गाण्ड मरने का मन हो आया क्या..! अब जब घुसा ही दिया है.. तो मार लो, आपकी ख़ुशी के लिए दर्द भी सह लेंगे..!”
फिर क्या था..! जीजाजी शेर हो गए और हचा-हच उसकी गाण्ड मारने लगे।
कामिनी बोली- जीजाजी इसकी गाण्ड जम कर मारना, सुना है इसने आपकी गाण्ड चूची से मारी थी..!
“क्या दीदी..! चूची से जीजाजी की गाण्ड तो सुधा दीदी ने मारी थी और फँसा रही हैं मुझे..!”
अब जीजा जी का ध्यान कामिनी की तरफ गया। चमेली की गाण्ड से लण्ड निकाल कर वे कामिनी के पीछे आए।
कामिनी समझ गई अब उसके गाण्ड की खैर नहीं पर बचाने के लिए बोली- जीजाजी मैंने कभी गाण्ड नहीं मराई है, अभी रहने दीजिए, जब एक लौड़े का इंतजाम और हो जाएगा तो दोहरे मज़े के लिए गाण्ड भी मरवा लेंगे..!
पर जीजाजी कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने कामिनी की गाण्ड के छेद पर लण्ड लगाया और एक जबरदस्त शॉट लगाया और लण्ड गाण्ड के अन्दर दनदनाता हुआ घुस गया।
कामिनी चीख उठी, “उई माँ..! बड़ा दर्द हो रहा है निकालिए अपने घोड़े जैसे लण्ड को..!”
इस पर चमेली व्यंग्य करती हुए बोली- जब दूसरे की में गया तो भूस में गया और जब अपनी में गया तो उई दैया..!”
मैं खिलखिला कर हँस पड़ी।
कामिनी गुस्से में मुझसे बोली- साली, छिनाल.. रंडी.. मेरी गाण्ड फट गई और तुझे मज़ा आ रहा है, जीजा जी की गाण्ड तूने मारी और गाण्ड की धज्जियां उड़वा दीं मेरी..! रूको..! बुरचोदी, गाण्डू, लौंडेबाज, तुम्हारी भी गाण्ड जब फाड़ी जाएगी, तो मैं ताली पीट-पीट कर हसूँगी… प्लीज़ जीजाजी …बहुत आहिस्ते-आहिस्ते मारिए …दर्द हो रहा है।” धीरे-धीरे कामिनी का दर्द कम हुआ और अब उसे गाण्ड मरवाने में अच्छा लगने लगा, “जीजाजी अब ठीक है.. मार लो गाण्ड…तुम भी क्या याद रखोगे कि किसी साली की अनछुई गाण्ड मारी थी..!”
उसको इस प्रकार गाण्ड मरवाने का आनन्द लेते देख मेरा भी मन गाण्ड मरवाने का हो आया, पर मैंने सोचा कभी बाद में मरवाऊँगी, अभी नशे में जीजाजी गाण्ड का कबाड़ा कर देंगे और अभी जीजाजी इतना सम्भाल भी नहीं पाएँगे और यही हुआ।
कामिनी की संकरी गाण्ड ने उन्हें झड़ने के लिए मजबूर कर दिया और वे कामिनी की गाण्ड में झड़ कर वहीं सोफे पर ढेर हो गए।
अब स्क्रीन पर दूसरा दृश्य था, दोनों लड़कियाँ उन तीनों आदमियों के लण्ड को मूठ मारकर और चूस कर उसका वीर्य निकालने का उद्यम कर रही थीं।
उन तीनों लण्ड से पानी निकला जो वे अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रही थीं। वीर्य से उन दोनों का मुँह भर गया, जिसे उन दोनों ने गुटक लिया।
ब्लू-फिल्म समाप्त हुई, कामिनी टीवी बंद कर बोली- चलो अब खाना लगा दिया जाए, बड़ी ज़ोर की भूख लगी है..!
तैयार खाने में आवश्यक सब्जियों को चमेली नीचे से गरम कर लाई और तब तक मैं और कामिनी ने मिल कर टेबल लगा दी। अब खाना प्लेट में निकालना भर बाकी था।
तभी जीजाजी की आवाज़ आई, “अरे कामिनी..! इस गिलास में किस ब्रांड की विहस्की थी? बड़ी अच्छी थी, एक पैग और बना दो इसका, ऐसी स्वादिष्ट विहस्की मैंने कभी नहीं पी।”
मैंने उधर देखा और अपना सर पीट लिया.. जीजाजी गिलास में रखे मूत को शराब समझ कर गटक चुके थे और दूसरे गिलास की माँग कर रहे थे।
शायद चमेली ने मुझे गिलास में मूतते देख लिया था, उसने कहा- दीदी मुझे लगी है, मैं जीजाजी के ब्रांड को तैयार करती हूँ..!
वह एक गिलास लेकर शराब वाली अल्मारी तक गई और एक लार्ज पैग गिलास में डाल कर अल्मारी के पल्ले की ओट में अपनी मूत से गिलास भर दिया। कामिनी यह देख गुस्सा करती मैं उसे खींच कर एक और ले गई और उसे सब कुछ बता दिया।
मैं बोली- वो भी क्या करती इज़्ज़त का सवाल था, अपना बचा कर रखना दुबारा फिर ना माँग बैंठे।
वो मुस्कराई और बोली- तुम दोनों बहुत पाजी हो..!
चमेली ने जीजाजी को गिलास पकड़ा दिया जिसे वे बड़े चाव से सिगरेट सुलगा कर सिप करने लगे।
चमेली उनके पास खड़ी थी। उनके मुँह से सिगरेट निकाल कर एक गहरा कश लगाया और उसे अपनी बुर से छुआ कर फिर से उनके मुँह में लगा दिया।
जीजाजी उसके होंठों पर अपनी मदिरा का गिलास लगा दिया। उसने बड़े अज़ीजी से हम दोनों की तरफ देखा और फिर उसने उस गिलास से एक सिप लिया और हम लोगों के पास भाग आई।
कामिनी ने उसकी चूची दबाते हुए कहा- फँस गई ना बच्चू..!
वो बोली- दीदी..! प्यार के साथ चुदाई में यह सब चलता है, यह तो मिक्स सोडा था लोग तो सीधे मुँह में मुतवाते हैं।
“अरे तू तो बड़ी एक्सपीरियेन्स्ड है..!” कामिनी बोली।
चमेली कहाँ चूकने वाली थी, बोली- हाँ दीदी, यह सब आप लोगों की बदौलत हुआ है।
बात बिगड़ते देख मैं बोली- चमेली तू फालतू बहुत बोलती है। अब जा चुदक्कड़ जीजू को खाने की टेबल पर ले आ।
“उन्हें गोद में उठा कर लाना है क्या..!” वो बोली।
“नहीं..! अपनी बुर में घुसेड़ कर ले आ..!” मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली।
चमेली जीजाजी के पास जाकर बोली- हुजूर! अब स्पेशल ड्रिंक नहीं है, जितना बचा है उसे खत्म कर खाने की मेज पर चलें।
फिर जीजाजी के लौड़े को सहलाते हुए बोली- सुधा दीदी ने कहा है कि हुजूर को बुर में घुसा कर लाना।
उसने जीजाजी को खड़ा कर उनके लौड़े को मुँह में ले लिया जीजाजी का लौड़ा एकदम तन गया। फिर उनके गले में बाँहें डाल कर तथा उनके कमर को अपने पैरों में फँसा कर उनके कंधे पर झूल गई और जीजाजी ने उसके चूतड़ के नीचे हाथ लगा कर अपने लण्ड को एडजेस्ट कर उसकी बुर में घुसा दिया।
अब जीजू से कामिनी बोली- हाँ..! अब ठीक है इसी तरह खाने की मेज तक चलिए।”
जीजाजी उसे गोद में उठाए खाने के टेबल तक आए।
चमेली बोली- देखो दीदी..! जीजाजी मेरी बुर में घुस कर यहाँ तक आए हैं।
उसकी चालाकी भरी इस करतूत को देख कर हम दोनों हँस पड़े। जीजाजी खाने की बड़ी मेज के खाली जगह पर उसके चूतड़ को टिका कर उसकी बुर को चोदने लगे।
चमेली घबड़ा कर बोली- अरे जीजाजी यह क्या करने लगे..! खाना लग गया है..!”
“तूने मेरे लण्ड को ताव क्यों दिलाया..! अब तो तेरी चूत का बाजा बजा कर ही छोडूंगा.. ले साली सम्भाल, अपनी बुर को भोसड़ा बनाने से बचा… तेरी बुर को फाड़ कर ही दम लूँगा…!”
चुदाई के धक्के से मेज हिल रही थी। मैं यह सोच रही थी कि मज़ाक में जीजाजी चमेली को चिढ़ाने के लिए चोद रहे हैं, अभी चोदना बंद कर देंगे,
लेकिन जब जीजाजी नशे के शुरूर में बहकने लगे “साली..! तूने मेरे लण्ड को खड़ा क्यों किया… अब तो तेरी बुर फाड़ कर रख दूँगा … ले … ले … अपनी बुर में लौड़े को … उस समय नहीं झड़ी थी, अब तुझे चार बार झाडूंगा…!”
कामिनी धीरे से बोली- लगता है चढ़ गई है..!
मैंने जीजाजी को समझाते हुए कहा- जीजाजी इस साली के बुर को चोद-चोद कर भुरता बना दीजिए… उस समय झड़ी नहीं थी तभी तल्ख़ हो रही थी… इस साली को पलंग पर ले जाइए और चोद-चोद कर कचूमर निकाल दीजिए। यहाँ मेज पर लगा सामान खराब हो जाएगा।
जीजाजी बड़े मूड में थे बोले- ठीक है इस साली को पलंग पर ही चोदूँगा … इसने मेरे लण्ड को खड़ा क्यों किया… चल साली पलंग पर तेरी बुर का कचूमर निकालता हूँ।
जीजाजी उस नंगी को पलंग तक उठा कर लाए। चमेली खुश नज़र आ रही थी और जीजाजी से सहयोग कर रही थी, कहीं कोई विरोध नहीं।
जीजाजी चमेली को पलंग पर लिटा कर उस पर चढ़ गए और उसकी बुर में घचा-घच लण्ड पेल कर उसे चोदने लगे।
हम सभी समझ गए कि जीजाजी मूड में हैं और बिना झड़े वे चुदाई छोड़ने वाले नहीं हैं।
जीजाजी उसकी चूत में अपने लण्ड से कस-कस कर धक्का मार रहे थे और समूचा लौड़ा चमेली की चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
वे दना-दन शॉट पर शॉट लगाए जा रहे थे और चमेली भी चुदासी औरत की तरह नीचे से बराबर साथ दे रही थी।
वह दुनिया-जहाँ की ख़ुशी इसी समय पा लेना चाह रही थी।
कामिनी इस घमासान चुदाई देख कर मुझसे लिपट कर धीरे से बोली- हाय रानी..! लगता है यह नुस्खा अमेरिकन वियाग्रा से ज़्यादा इफेक्टिव है, चल आज उसकी ताक़त देख ली जाए..!
वह जीजाजी के पास जाकर उनके बाल को पकड़ कर सिर उठाया और उनका मुँह अपनी चूत पर लगा दिया जिसे चाट-चाट कर चमेली की चूत में धक्का लगा रहे थे।
इधर मैं पीछे से जाकर चमेली की चूत पर धक्का मार रहे जीजाजी के लण्ड और पेल्हर (टेस्टिकल) से खेलने लगी।
जीजाजी का लण्ड चमेली की चूत में गपा-गप अन्दर-बाहर हो रहा था और उनके पेल्हर के अंडे चमेली के चूतड़ पर ठाप दे रहे थे। बड़ा सुहाना मंज़र था।
चमेली अभी मैदान में डटी थी और नीचे से चूतड़ हिला-हिला कर जीजाजी के लण्ड को अपनी बुर में लील रही थी और बड़बड़ाती जा रही थी, “चोदो मेरे राजा… चोदो…बहुत अच्छा लग रहा है…पेलो … पेलो … और पेल ओ …ऊऊओह माआअ जीजाजी मेरी बुर चुदवाने के लिए बहुत बेचैन थी… बहुत अच्छा हुआ जो आपका लौड़ा मेरी बुर फाड़ने को फिर से तैयार हो गया…ऊओह आआहह… ओह राजा लगता है अपने से पहले मुझे खलास कर दोगे… देखो ना..! कैसे दो बुर मुँह बांए इस घोड़े जैसे लण्ड को गपकने के लिए आगे-पीछे हो रही हैं… जीजाजी आज इनकी मुतनियों को भोसड़ा ज़रूर बना देना..!”
जीजाजी भी चमेली की बुर में गचा-गच धक्का मार कर नशे के झोंक में बड़बड़ा रहे थे, “साली ले… और… ले… अपनी बुर में लौड़ा…आज तेरी बुर की चटनी बना कर अपने लण्ड को चटाऊँगा… बड़ी चुदक्कड़ बनती है साली… लौड़ा खड़ा कर दिया…ले और कस-कस कर ले … चोद चोद कर भोसड़ा ना बनाया तो मेरा नाम भी मदन नहीं… ले चूत में सम्भाल मेरा लौड़ा…!”
चमेली अब झड़ने के करीब थी और वो मदन जीजाजी के हल्लबी लौड़े की दमदार चोटों के आगे भलभला कर झड़ गई और निढाल हो गई, पर जीजाजी अभी भी उसे चोदने में लगे थे, मैंने जीजा जी को रोका और उनको अपनी बुर पेश की उन्होंने मुझे और फिर मेरे बाद कामिनी की बुर को भी चोद चोद कर झड़ने पर मजबूर कर दिया।
अब हम चारों बेसुध पड़े थे फिर मैंने उठ कर सबके लिए एक एक पैग और बनाया और फिर सबने खाना खाया और सो नंगे ही फर्श पर पड़े गद्दे पर सो गए।
chusu
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Re: आधी रात के बाद

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wah
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